Lateral Thinking

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Lateral Thinking
Edward de Bono


स्टेप बाय स्टेप क्रिएटिविटी
दो लफ़्ज़ों में
लेटरल थिंकिंक (1970) वर्टिकल और लेटरल थिंकिंग के बीच के फर्क को बताती है. इस समरी में आप क्रिएटिवली सोचने की टेकनीक जानने के साथ अपनी सोच में जरूरी बदलाव करने के तरीके सीखेंगे. समरी में मौजूद लेसंस का इस्तेमाल टीचर्स स्टूडेंट्स में लेटरल थिंकिंग डिवेलप करने के लिए कर सकते हैं.किनके लिये है
- ऐसे लोग जो out-of-the-box सोचना चाहते हैं
- जो टीचर्स अपने स्टूडेंट्स में क्रिएटिव थिंकिंक डेवलप करना चाहते हैं
- एग्जीक्यूटिव जो और भी प्रोडक्टिव सेशंस क्रिएट करने की चाह में हैं.
लेखक के बारे में
Edward De Bono प्रोफेसर, फिलॉसफर और साइकोलॉजिस्ट थे, उन्होंने ही लेटरल थिंकिंग शब्द को इजाद किया था. वह ऑक्सफोर्ड, हावर्ड और कैंब्रिज जैसे यूनिवर्सिटीज के फकैलिटी रहे हैं.  उन्होंने सिक्स थिंकिंग हैट्स और मैकेनिकल ऑफ माइंड सहित 80 किताबें लिखीं.लेटरल थिंकिंग फिर से सोचने और एक सेट पैटर्न को अपडेट करने में मदद करती है
जब भी कोई इनोवेटिव आइडिया डिवेलप करने की बात आती है तो हम एक ऐसे रास्ते में फस जाते हैं जिसका कोई अंत नहीं होता. किसी भी तरह के गेम चेंजिंग आइडियाज को डिवेलप करने का कोई फार्मूला नहीं होता लेकिन एक बार जब आप लेटरल थिंकिंग के बारे में जान लेते हैं तो आपके पास नए आइडियाज को जन्म देने की टेक्निक आ जाती है.

लेटरल थिंकिंग का मकसद पुराने आईडियाज़ को नए नजरिए से देखना है, उसमें कमियां ढूंढना और उसे पूरी तरह से एग्जमाइन करना है. Edward de Bono द्वारा दिए गए एग्जांपल और थोड़ी सी प्रैक्टिस के जरिए कोई भी अपने थॉट को इनोवेटिव आइडिया और नये सलूशन में बदलना सीख सकता है.

 

इस समरी में आप जानेंगे कि,

- कैसे प्रोडक्ट डिजाइनिंग एक्सरसाइज़ आपको अलग तरीके से सोचने के लिए इनकरेज कर सकती है

- क्यों आपको किसी की गलत सलाह पर मुंह नहीं मोड़ना चाहिए

- कैसे नये आइडियाज़ को जन्म देने के लिए डिक्शनरी का इस्तेमाल किया जा सकता है

 

तो चलिए शुरू करते हैं!

थिंकिंग दो तरीके की होती है, पहली वर्टिकल और दूसरी लेटरल. हम ज्यादातर जो सोचते हैं वह वर्टिकल थिंकिंग ही होती है. यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें आइडिया को डिवेलप करने और उसे पुख्ता बनाने के बाद फैक्ट्स और डाटा से बैक-अप भी करना पड़ता है, यह लगभग किसी आईडिया को जमीन में मज़बूती से उतारने या गाड़ने जैसा है.

अगर वर्टिकल थिंकिंग किसी भी आइडिया को उगाने के लिए खुदाई करना है तो लेटरल थिंकिंग खुदाई के लिए दूसरी जगह ढूंढने जैसा है.

सबसे पहले तो यह क्लियर हो जाना चाहिए कि लेटरल थिंकिंग वर्टिकल थिंकिंग के उलट या ऑपोजिट नहीं है. वर्टिकल थिंकिंग यूज़फुल और जरूरी है क्योंकि हमारा दिमाग वर्टिकली ही काम करता है.

किसी भी तरह के पैटर्न्स को पहचानने और इंफॉर्मेशन को ऑर्गेनाइज करने के कई तरीके हैं लेकिन उन सब में दिमाग सबसे पावरफुल सिस्टम है. और यह काम दिमाग सेल्फ मैक्सिमाइजिंग मेमोरी सिस्टम से करता है. मतलब हमारा कोई भी आईडिया हमारे एक्सपीरियंस, कोई पैटर्न जो हमने समझा है या फिर इन सब से हमने जो एविडेंस  निकाला है उस पर बेस्ड होता है.

जिंदगी के कुछ हिस्सों में यह सिस्टम बहुत अच्छी तरीके से काम करता है मिसाल के तौर पर, हम लेटर्स और नंबर को इतनी अच्छी तरीके से समझ और याद कर लेते हैं कि अगर वह कुछ हद तक खराब भी हो तब भी हम उन्हें पहचान लेते हैं. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है जितना ज्यादा हम एक्सपीरियंस करते हैं उतना ही ज्यादा हम इस पैटर्न और एक्सपेक्टेशन में उलझते चले जाते हैं. हम इन्हें हल्के में ले लेते हैं और जैसा है वैसे ही छोड़ देना चाहते हैं.

लेटरल थिंकिंग इस पैटर्न को चैलेंज और टेस्ट करने का एक तरीका है, जो यह देखता है कि क्या इसे अपडेट या इंप्रूव किया जा सकता है. अगर हम अपने दिमाग में अनकॉन्शियसली चल रहे अज़म्पशंस को चैलेंज नहीं करते तो इनोवेटिव और क्रिएटिव आइडियाज आना मुश्किल है.

इसलिए वर्टिकल और लेटरल दोनों ही तरह की थिंकिंग जरूरी है. साइंस और मैथ जैसे सब्जेक्ट में हमें लेबल और कैटेगराइज करने की जरूरत होती है. यह काम हमारा दिमाग बहुत अच्छी तरीके से कर सकता है. लेकिन कभी-कभी हमें इस पैटर्न की खिलाफ जाकर इन कैटेगरीज़ और इनमें मौजूद एलिमेंट के बारे में दुबारा सोचना पड़ता है. और नेचुरल थिंकिंग यही काम करती है.

वक्त और प्रैक्टिस के साथ कोई भी लेटरल थिंकिंग सीख और इस पर अमल कर सकता है
कुछ लोग नेचुरल लेटरल थिंकर हो सकते हैं लेकिन हममें से ज्यादातर लोगों को लेटरल थिंकिंग हासिल करने के लिए प्रैक्टिस करनी पड़ेगी. अपने दिमाग में पहले से बसे हुए आइडियाज और बिलीव्स के खिलाफ जाना कोई आम बात नहीं है. इसलिए हमें कुछ ऐसी टेक्निक की जरूरत होगी जिनका इस्तेमाल कर हम अपनी लेटरल थिंकिंग को स्ट्रांग कर सकें.

लेटरल थिंकिंग का एक बुनियादी प्रिंसिपल यह समझना है कि किसी भी  चीज को एक से ज्यादा तरीके से देखा और समझा जा सकता है. लेटरल शब्द को किसी भी चीज को ट्रेडिशनल तरीके से देखने के बजाय दूसरा रास्ता चुन्ने जैसा समझिए.

लेटरल थिंकिंग का मतलब इस्टैबलिश्ड पैटर्न को उजाड़ कर कोई दूसरा रास्ता ढूंढना या कोई दूसरा पैटर्न डिवेलप करना है. नेचुरल थिंकिंग शुरू करने के लिए एक बहुत आसान चीज जो आप कर सकते हैं वह यह कि कोटा सेट कीजिए.

बहुत सारे लोग कहते हैं कि वह नए पर्सपेक्टिव और अल्टरनेटिव के लिए तैयार हैं वह किसी भी चीज को नए तरीके से देखने के लिए तैयार हैं लेकिन असल में जब वक्त आता है तो ऐसा करने की उनकी नियत होती नहीं है. और यहीं पर कोटा हेल्पफुल हो सकता है. जब आप तीन से पांच अलग-अलग आइडिया का कोटा से करते हैं तो आप अपने अंदर कुछ नया ऐब्ज़ॉर्ब करने की इंटेंशन डिवेलप करने के साथ ही आसपास के लोगों को लेटरल थिंकिंग की तरफ ले जाते हैं.

लेटरल थिंकिंग के लिए अपने कोटा को दिमाग में रखकर डिस्क्रिप्शंस की तरफ आगे बढ़ सकते हैं, और यह लेटरल थिंकिंग स्टार्ट करने का एक आसान तरीका है. इसके लिए आप एक आसान सी प्रैक्टिस कर सकते हैं किसी भी मैगजीन या वेस्ट पेपर से कोई फोटोग्राफ काटिये और उसके आसपास मौजूद सभी शब्द हटा दीजिए. उसके बाद लोगों से उस फोटो को डिस्क्राइब करने के लिए कहिए.

हालांकि इस प्रैक्टिस में ऐसी कोई तस्वीर मत लीजिए जिससे साफ साफ पता चल रहा हो कि सामने क्या हो रहा है, बल्कि ऐसी कोई तस्वीर लीजिए जिसका एक से ज्यादा मतलब हो सकता है. मिसाल के तौर पर अगर आप जलते हुए घर की तरफ जा रहे हैं फायर फाइटर्स की तस्वीर लेंगे तो इसका सिर्फ एक ही मतलब हो सकता है लेकिन अगर आप पानी से बाहर निकलते लोगों की तस्वीर लेंगे तो इसके कई मतलब हो सकते हैं, जैसे कि बाढ़ में फंसे लोग, पैसेंजर शिप की तरफ जा रहे लोग या किसी आईलैंड की तरफ जा रहे लोग.

इसी तरह आप कोई तस्वीर और पेंटिंग लेकर उसका आधा हिस्सा हटा या अनक्लियर कर सकते हैं, और फिर लोगों से पूछिए कि दूसरे हिस्से में क्या हो रहा होगा. याद रखिए इस लेटरल थिंकिंग एक्सर्साइज़ कि हर जवाब वैलिड है कोई भी जवाब बेतुका नहीं है. हलांकि, जो जवाब बहुत ज्यादा इमेजिनेटिव लगे शायद वह सबसे ज्यादा लेटरल हो. और दूसरे आईडिया को इंस्पायर करने में हेल्पफुल हो सकता है.

लेटर थिंकिंग के लिए जज करने से बचने और डोमिनेंट आईडियाज को पहचानने की जरूरत है
मोटे तौर पर लेटरल थिंकिंग में कोई भी गलत आईडिया होता ही नहीं है. हकीकत में यह गलत आईडिया ही है जो शायद आपको इनोवेशन की तरफ ले जाए. Guglielmo Marconi ओशियन के पार वायरलेस ट्रांसमिशन भेजने में तभी कामयाब हुए जब वह इस गलत आईडिया के साथ आगे बढ़े कि रेडियो वेव अर्थ की कर्वेचर को फॉलो करती है.

और इसीलिए लेटरल थिंकिंग में  जजमेंट की कोई जगह नहीं होती खासतौर पर जल्दी किये गये जजमेंट की. हर तरह के आइडिया के लिए जगह होती है क्योंकि क्या पता कौन सा आईडिया आप को आगे लेकर जाए.

जब कोई ऐसा आईडिया डिवेलप करने की कोशिश की जा रही हो जिसके साथ आगे बढ़ना है तो लेटर थिंकिंग में जेनरेटिव और सिलेक्टिव दोनों ही तरह के स्टेजेज़ आते हैं. जेनरेटिव स्टेज में किसी भी तरह का जजमेंट लेने से बचना चाहिए. क्योंकि इस स्टेज में आप अपने आइडियाज जेनरेट कर रहे होते हैं. किसी एक इंसान का खराब आईडिया किसी दूसरे इंसान में ऐसे आईडिया का स्पार्क डाल सकता है जो लोगों के काम करने के तरीके को चैलेंज कर दे. कभी-कभी किसी बेतुके आइडिया को टेस्ट करने के दौरान आप पूरी तरीके से अलग और बेहतरीन आइडिया पर पहुंच सकते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोग अपना आइडिया रखने में झिझके नहीं और खुलकर अपनी बात कह सकें. 

आप लोगों से डिजाइन कॉन्सेप्ट के बारे में पूछ कर उन्हें बेहिचक अपना आइडिया शेयर करने के लिए इनकरेज कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर आप उनसे पूछ सकते हैं कि कैसे एक बेहतर एप्पल-पिकिंग मशीन बनाई जाये. या फिर कोई ऐसी ड्रिंकिंग कप जिससे कुछ गिरे न. यहां तक कि आप लोगों के आईडिया जानने के लिए उनसे अंब्रेला या ह्यूमन बॉडी को ही रीडिजाइन करने के लिए कह सकते हैं.

इस एक्सरसाइज से आप लेटरल थिंकिंग के दूसरे इंम्पार्टेंट हिस्से की तरफ आगे बढ़ते हैं- डॉमिनेंट आइडियाज़ को पहचानना. अक्सर लोग कन्क्लियूजन निकालने की जल्दबाजी में लग जाते हैं क्योंकि उनको लगता है कि किसी पार्टिकुलर चीज के बारे में जितना जानना चाहिए उन्हें इतना मालूम है. मिसाल के तौर पर एप्पल पिकिंग मशीन को ही ले लीजिए. कमर्शियल परपज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एप्पल पिकिंग मशीन को बनाने के लिए डोमिनेंट आईडिया क्या हो सकता है?

लोगों के अंदर सजेशन देते वक्त किसी भी तरह के जजमेंट का डर नहीं होना चाहिए. क्या बिना एप्पल को खराब किए उसे उठाना डोमिनेंट आईडिया है? क्या उठाने के लिए सही एप्पल की तलाश करना? क्या एप्पल को जमीन पर लाए बिना आराम से उसे ट्रांसपोर्ट करना डोमिनेंट आइडिया है? इस प्रोसेस में आप अलग अलग हिस्से पहचान सकते हैं, जोकि लेटरल थिंकिंग का एक यूज़फुल कंपोनेंट है. किसी भी तरह की प्रॉब्लम को कई हिस्सों में बांट कर आप उस प्रॉब्लम को अलग नज़रिए से देख सकते हैं.

अपनी थिंकिंग को बदलने के लिए रिवर्सल मेथड और एनालॉजीस यानि उपमा का इस्तेमाल कीजिए
मुमकिन है कि आप ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन का हिस्सा रहे हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक अच्छे लेटरल थिंकिंग सेशन का हिस्सा रहे होंगे. फिर भी जब ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन में जजमेंट को दूर रखने और सभी डोमिनेंट आइडियाज को एक्सप्लोर करने की गाइडलाइन को फॉलो किया जाता है तो यह लेटरल थिंकिंग के प्रिंसिपल को बनाए रखने के लिए इफेक्टिव हो सकता है.

लेखक कहते हैं कि बेस्ट रिजल्ट हासिल करने के लिए लगभग 12 लोगों का ग्रुप बनाइए और लगभग 30 मिनट के लिए आपस में डिस्कशन कीजिए. सेशन के खत्म होने तक लोग नए आइडियाज और उत्साह से भरे रहेंगे.

कुछ देर पहले हमने बात की थी कि कैसे लेटरल थिंकिंग को इंकरेज करने के लिए डिस्क्रिप्शन और डिजाइन चैलेंज इफेक्टिव हो सकता है इसके साथ ही एक और तरीका, प्रॉब्लम सॉल्विंग भी है. हालांकि अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने के लिए ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन सबसे ज्यादा कारगर हो सकता है लेकिन इसके अलावा कई और टेक्निक हैं जो आपको लेटरल थिंकिंग के माइंड फ्रेम में ले जा सकती हैं.

ऐसे ही एक टेक्निक को रिवर्सल मेथड कहते हैं. इस बात को अप्लाई करने के कई तरीके हो सकते हैं लेकिन एक तरीका आप जो भी सिचुएशन पेश कर रहे हैं उसे रिवर्स कर देने जितना आसान है.

मिसाल के तौर पर अगर आपके सामने सिचुएशन है कि "पुलिस ऑफिसर ट्रैफिक डायरेक्ट कर रहा है", तो यह सोचिए कि "ट्राफिक पुलिस ऑफिसर को डायरेक्ट कर रहा है", क्या हो सकता है कि "पुलिस ऑफिसर ट्राफिक को गलत तरीके से डायरेक्ट कर रहा हो." इस तरह से सिचुएशन को रिवर्स करना हमारे माइंड को उन कंडीशंस को कंसीडर करने के लिए फोर्स करता है जो कि अदरवाइज मिस हो सकती थीं.

कभी-कभी यह रिवर्सल मास्टर बेतुका हो सकता है क्योंकि ट्राफिक पुलिस वाले मामले में आप सिचुएशन रिवर्स कर सकते हैं, लेकिन जब कोई क्लीनर रोड क्लीन कर रहा हो तो इस सिचुएशन को आप रिवर्स नहीं कर सकते. सड़क सफाई करने वाले को नहीं साफ कर सकती और अगर आप सड़क को गंदा करने वाले आईडिया के साथ जाते हैं, तो यह आइडिया ज्यादा आगे तक नहीं जा सकेगा. लेकिन असल में यह जरूरी नहीं है कि आपका  यह रिवर्सल मैथड़ हर बार लॉजिकल ही हो, बस इसका मकसद आपकी लेटरल थिंकिंग को प्रोवोक करना है.

अनॉलॉजीज़ या उपमा भी इसी काम आती है. जैसे कि आप कह सकते हैं कि रयूमर पहाड़ से गिरते बर्फ के गोले  की तरह है. यह बात समझ आती है क्योंकि कोई भी रयूमर जितना फैलती है, उतना ही मजबूत होती जाती है, लेकिन जब आप इस उपमा को अलग नजरिए से देखने की कोशिश करेंगे तो आपके सामने कई सवाल खड़े हो सकते हैं. क्या यहां पर बर्फ के गोले की तुलना उन लोगों से की गई है जिन्होंने रयुमर सुनी और यकीन किया या फिर रयूमर की स्ट्रेंथ से ही?

रिवर्सल मैथड और एनालॉजी यानी उपमा दोनों ही किसी भी चीज को ट्रैडिशनल तरीके से हटकर अलग नजरिए से देखने में आपकी मदद करते हैं.

अटेंशन एरिया और एंट्री प्वाइंट की मदद से आप उन जानकारियों को हासिल कर सकते हैं, जिनकी उम्मीद भी नहीं थी
शरलॉक होम्स की बहुत सारी मिस्ट्रीस में से एक में, डिटेक्टिव और डॉक्टर वाटसन उस सबूत को कंसीडर कर रहे थे जो रिलेवेंट था, क्राइम स्पॉट यानी घटनास्थल पर एक कुत्ता मौजूद था, लेकिन क्योंकि कुत्ते ने कुछ नहीं किया था इसलिए वाटसन ने उसे इर्रिलिवेंट माना. लेकिन क्योंकि कुत्ते ने रिएक्ट नहीं किया था, इसलिए होम्स के लिए वह कुत्ता रिलेवेंट था. अगर कुत्ते ने भौंका नहीं, इसका मतलब यह कि कुत्ता क्रिमिनल को जानता था.

जो चीज नॉर्मल तौर पर इर्रिलेवेंट लगती है, वह लेटरल थिंकिंग में रिलेवेंट हो जाती है, जैसे कि वह कुत्ता जिसने रिएक्ट नहीं किया था. आपको बस इतना पता होने की जरूरत है कि कब और कहां देखना है.

चीजों को अलग तरीके से देखने के लिए, आपको वहां देखना होगा जहां कोई और नहीं देखता और उस एंगल से समझना होगा, जो एंगल अक्सर लोग नहीं चुनते, है न? कभी-कभी इसके लिए आखिर से शुरुआत करनी पड़ती.

बच्चों की कॉपी में छपे हुए पज़ल को इमेजिन कीजिए. तीन फिशरमैन नांव पर बैठे हैं और उन तीनों की फिशिंग लाइन आपस में उलझी हुई है. फिशर्स के नीचे दिख रहा है कि मछली एक हुक में फंसी हुई है. सवाल पूछा जाता है कि किस फिशरमैन ने मछली को पकड़ा है? आमतौर पर एक बच्चा क्या करेगा, वह एक के बाद एक तीनों लाइन को ट्रेस करेगा और पता करने की कोशिश करेगा कि किस फिशरमैन ने मछली पकड़ी है. यहां पर आसान तरीका यह होगा कि नीचे से शुरू किया जाए और उसे ट्रेस करते हुए उस फिशरमैन तक पहुंचा जाए जिसका हुक मछली के मुंह में फंसा हुआ है.

इसी तरह कभी-कभी आखिर से शुरुआत करना लेटरल थिंकिंग में सही नतीजा दे सकता है. लेकिन आमतौर पर आपका दिमाग एक यूजुअल पैटर्न को फॉलो करता है, यह चीजें जैसी हैं उन्हें वैसे ही देखना चाहता है. लेटरल थिंकिंग का मकसद इसी को बदलना है, इसमें चीजों की तरफ एक अलग ही नजरिए से आगे बढ़ा जाता है, और उन चीजों पर ध्यान दिया जाता है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है.

एक और एग्जांपल समझने की कोशिश कीजिए मान लीजिए कि आप एक टेनिस टूर्नामेंट शेड्यूल करने की कोशिश कर रहे हैं, और उसमें 110 पार्टिसिपेंट्स हैं आपको कितने मैच अॉर्गनाइज़ करने की जरूरत पड़ेगी? यहां पर विनर्स पर ध्यान देना जो अगले मैच में जाएंगे एक कॉमन अप्रोच होगा. लेकिन इसमें लूजर यानी हारने वालों के बारे में सोचना बेहतर हो सकता है क्योंकि उनमें से सिर्फ एक ही विनर होगा. 110 में से 109 प्लेयर्स हारेंगे और हर प्लेयर सिर्फ एक बार ही हारेगा इसका मतलब है कि आपको 109 मैच ऑर्गेनाइज करने की जरूरत है.

बहुत सारे लोग सिर्फ विनर्स पर ही फोकस करते हैं, लेकिन लेटरल थिंकिंग में आप उन चीजों पर ध्यान देते हैं जो ज्यादातर लोगों ने नजरअंदाज कर दी है, और इसी अप्रोच के जरिए आप जीतते हैं.

रैंडम इंस्पिरेशन या इंकरेजमेंट को जगाने के दो तरीके हैं, एक्सपोजर और फॉर्मल जेनेरेशन
अभी तक हमने डिस्क्रिप्शन, डिजाइन और प्रॉब्लम सॉल्विंग के साथ किसी  पर्टिकुलर सिचुएशन में लेटर थिंकिंग ट्रिगर करने वाली टेक्नीक्स के बारे में जाना. इनमें से बहुत सारी टेक्निक में प्रोवोकेशंस शामिल हैं, लेटरल थॉट जगाने वाले ऐसे तरीके जो वक़्त और प्रैक्टिस के साथ नेचुरल बन सकते हैं.

लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी टेक्निक हैं, जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है और जिनके साथ डिस्क्रिप्शन, प्रॉब्लम सॉल्विंग और डिजाइन जोड़ने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. और यह सच में रैंडम हैं.

कभी-कभी एक अच्छा आईडिया ढूंढने या इंस्पिरेशनल मोड़ हासिल करने के लिए, आपको एक नए इन्वायरमेंट में जाने की ज़रूरत पढ़ सकती है. इनमें से एक तरीका रैंडम एक्स्पोज़र है. इसमें आप कोई अच्छी किताब पढ़ सकते हैं जिसका आपके फील्ड से कोई लेना देना नहीं है, यहां तक कि आप किसी ऐसे कन्वेंशन में भी जा सकते हैं जिसका आप से कोई नाता न हो. इसे क्रॉस डिसीप्लिनरी फर्टिलाइज़ेशन कहते हैं और यह सच में बहुत कारगर साबित होता है.

तरीका सिर्फ यही है कि आप कुछ खास ढूंढने की कोशिश ना करें, किसी एजेंडा के साथ आगे ना बढ़ें. क्योंकि यह माइंडसेट लेटरल थिंकिंग के एकदम उलट है. इसलिए एकदम खुले मन के साथ आगे बढ़े और इंस्पिरेशन को आने दीजिए.

फॉर्मल जेनेरेशन नाम का दूसरा मेथड भी एकदम इसी तरह रैंडम ही है. आप कई तरीके से फॉर्मल जनरेशन को अप्लाई कर सकते हैं मिसाल के तौर पर आप एक डिक्शनरी ओपन कीजिए और उनमें से रैंडम शब्द चुनिए और देखिए कि वह आपकी मौजूदा प्रॉब्लम से कैसे रिलेट करता है. यह एक मजेदार क्लास 2 एक्सरसाइज है. पेज के पहले और आखिरी टेस्ट के बीच में मौजूद नंबर के बारे में पूछिए उसके बाद एक से 20वें पेज के बीच मौजूद नंबर के बारे में पूछिए, ताकि आप उनके बीच मौजूद वर्ड्स को सीक्वेंस से डिटरमाइंड कर सकें. उसके बाद उन वर्ड्स को उनकी मीनिंग के साथ चॉक बोर्ड पर लिख दीजिए. उसके बाद स्टूडेंट से कहिए कि वह सोचे कि कैसे यह वर्ड शॉप्लिफ्टिंग या विंडो के नए डिजाइन जैसी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में हेल्पफुल हो सकता है.

दूसरा तरीका किसी भी रैंडम अॉब्जेक्ट को देखकर यह सोचना कि कैसे यह ऑब्जेक्ट आपकी प्रॉब्लम से रिलेट करता है.  लेटरल थिंकिंग के दूसरी टेक्निक की तरह ही इसमें भी आपको जजमेंट से दूर रहना है और बेकार से बेकार लगने वाले आईडिया को एक चांस देना है. किसी अनएक्सपेक्टेड रास्ते पर चलकर आप कोई ऐसा अनएक्सपेक्टेड सल्यूशन हासिल कर सकते हैं, जो सब कुछ बदल सकता है.

कुल मिलाकर
लेटरल थिंकिंग वर्टिकल थिंकिंग के उलट नहीं है. बल्कि यह ट्रेडिशनल पैटर्न और आइडियाज़ को टेस्ट करने और उन्हें अपडेट करने का एक तरीका है जो वर्टिकल थिंकिंग द्वारा स्टैबलिश की जाती है. हमेशा से किसी यकीन पर चलते रहने के हमारे नेचुरल आदत के उलट लेटरल थिंकिंग हर चीज को नए नजरिए से देखने और हर यकीन को चैलेंज करने के लिए इंकरेज करती है.  डिस्क्रिप्शन, डिजाइन और प्रॉब्लम सॉल्विंग से जुड़ी टेक्निक लेटरल थिंकिंग को पोक करने में मदद कर सकती है, जिसके जरिए कोई भी इंसान इसे सीखकर अपनी जिंदगी में अमल कर सकता है.

 

क्या करें

हमारी किसी भी चीज के बारे में फौरन जजमेंट ले लेने की हमारी आदत से बचने और अलग आइडिया का वेलकम करने के लिए ऑथर ने एक लिंग्विस्टिक सल्यूशन ढूंढा है उन्होंने 'नो' यानि नहीं की बजाय 'पो' शब्द का इस्तेमाल करने को तरजीह दी है.

'पो' शब्द का इस्तेमाल उन आईडिया को एक मौका देने के लिए करने के लिए किया गया है जो पहली नजर में बेतुके और बकवास लगते हैं. मिसाल के तौर पर अगर किसी ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन में कोई शख्स किसी सजेशन के जवाब में 'नो' कहता है तो आप वहां पर 'पो' शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं, यानी हर तरह के सजेशन और आइडिया का स्वागत है. आप अपनी टीम को लेटरल थिंकिंग के बारे में याद दिलाने के लिए अपने सजेशन की शुरुआत भी 'पो' शब्द से कर सकते हैं. जितना ज्यादा इस शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा उतना ज्यादा यह एक इफेक्टिव तरीका बनता जाएगा.

 

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