Forgiving What You Can’t Forget

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Forgiving What You Can’t Forget


Lysa TerKeurst
मूव ऑन करना सीखिए
दो लफ्ज़ों में 
साल 2020 में रिलीज़ हुई किताब ‘Forgiving What You Can’t Forget’ एक गाइड है, जिसकी मदद से कोई भी पुरानी बुरी यादों से मुक्ति पा सकता है. और हीलिंग की प्रोसेस को पूरा कर सकता है. इस किताब में ऑथर Lysa TerKeurst ने एक नज़रिए को पेश किया है. जिसकी मदद से आप समझ पाएंगे कि कैसे माफ़ करके भी खुद को हील किया जा सकता है. इसलिए Forgiving एक आर्ट है, जिसको सीखना बहुत ज़रूरी है. ये किताब किसके लिए हैं? 
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
-ऐसा कोई भी जो एंग्जायटी या डिप्रेशन से परेशान है 
-ऐसा कोई भी जिसे सुकून की तलाश हो 
-ऐसा कोई भी जिसका दिल टूटा हो 
लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Lysa TerKeurst ने किया है. ये Proverbs 31 Ministries की प्रेजिडेंट भी हैं. इस किताब के अलावा इन्होने साल 2018 में बेस्ट सेलिंग नॉवेल Supposed to Be This Way (2018) का भी लेखन किया था.माफ़ करना बहुत ज़रूरी है, ऐसा करने से हीलिंग की प्रोसेस शुरू होती है
“काले बालों के बीच से चमकते कुछ सफेद बाल, चेहरे पर हल्की दाढ़ी, नरमी की चादर ओढ़े भारी आवाज़ और आंखों में डूबो लेने वाली गहराई, 40-42 की उम्र का वो शख्स अपनी पूरी बात कह कर चला गया और महक वहीं दरवाज़े पर बुत बनी खड़ी रही..” क्या आपको भी कभी किसी से मोहब्बत हुई थी? फिर उस मोहब्बत की वजह से आपका दिल टूट गया हो? और आपको लगा हो कि अब इसे हील कर पाना मुश्किल है? अगर आपका सामना भी मुश्किल भरे दौर से हुआ है. तो आपको बता दें कि लेखिका ने अपने बुरे एक्सपीरियंस को ध्यान में रखकर इस किताब का लेखन किया है. इसलिए वो आपसे वादा करती हैं कि इस किताब की वजह से आपकी काफी ज्यादा मदद होगी. आपको पता चलेगा कि आपके पास Forgiving की कितनी बड़ी ताकत मौजूद है? जिसकी मदद से आप सामने वाले को भी गिल्ट से बाहर कर सकते हैं और खुद भी हीलिंग की स्टेज को एन्जॉय कर सकते हैं. 

इसलिए अब वक्त आ चुका है जब आप उदासी को भूलिए और खिड़की के अधखुल किवाड़ से आ रही हल्की किसी अनजान पक्षी की आवाज़ सुनने की कोशिश करिए .. वो पक्षी आपको बताना चाहता है कि लाइफ की खूबसूरती उदास रहने में नहीं है बल्कि दूसरों को माफ़ करके आगे बढ़ते जाने में है. 

आपको इन चैप्टर्स में ये भी सीखने को मिलेगा 

-“जो बीत गया सो बीत गया” ये बात क्यों समझना ज़रूरी है 

-एक्सेप्ट करने के कांसेप्ट के बारे में 

तो चलिए शुरू करते हैं!

ऑथर आपसे एक सवाल करती हैं कि क्या कभी आपका बुरी तरह से दिल टूटा है? जब ऐसा लगा हो कि अब इस दिल को कभी कोई हील नहीं कर सकता है? ऐसा इस बुक की ऑथर के साथ हुआ था. जब उन्हें पता चला था कि उनका पति किसी और के साथ भी बिस्तर शेयर करता है. मतलब पति उनके साथ लगातार चीटिंग कर रहा है. 

कई महीनों तक ऑथर को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. उन्हें पता ही नहीं चल रहा था कि आखिर उनकी लाइफ में चल क्या रहा है? कई बार तो उन्हें खुद के ऊपर शक होता कि शायद उन्हीं के अंदर कोई कमी है? जिसकी वजह से उनके पति ने किसी और को उनके ऊपर अहमियत दी है. 

उस दौर में ऑथर के अंदर एक अजीब से बेचैनी रहती थी. उनका मन किसी भी काम में नहीं लगता था. दिन भर रोते और उदासी में ही बीत जाता था. कई बार तो उनका मन खुद की जान लेने का भी करता था. 

लेकिन कुछ महीनों के बाद ऑथर को एहसास हुआ कि ट्रामा को पकड़कर रखने से कुछ नहीं मिलने वाला है. इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि वो अपने पति को माफ़ कर दें. भले ही उसने उनके साथ बहुत गलत किया है. लेकिन उस बात को पकड़कर वो अपना नुकसान कर रही हैं. 

लेकिन ये बात भी सच है कि जब आपके साथ बुरा हुआ रहता है. तो forgiveness की प्रोसेस बिल्कुल भी आसान नहीं होती है. इस प्रोसेस को सीखने के लिए आपको अपने आपसे ही एक लड़ाई लड़नी पड़ती है. 

किसी को माफ़ करने के लिए हमें खुद से ज्यादा गॉड के ऊपर भरोसा रखना चाहिए, वो हमें सीखाते हैं कि माफ़ करना कितना ज़रूरी है? 

लाइफ में कई ऐसे लोग होते हैं, जो किसी ना किसी से भावनात्मक रूप से चोट खाए हुए होते हैं. ये चोट इतनी गहरी होती है कि कई बार हम जीवन भर उन्हें माफ नहीं कर पाते, लेकिन इसका नकारात्मक असर कहीं ना कहीं खुद हमारे जीवन पर भी पड़ता है. वैसे तो किसी को माफ कर देना आसान काम नहीं होता, लेकिन यह भी सच है कि खुद की शांति के लिए लोगों को माफ करना ज़रूरी है. 

कहा जाता है कि कमजोर कभी किसी को माफ नहीं कर पाते और क्षमा करना ताकतवर की विशेषता है. ऐसे में आप इस बात को गांठ बांध लें कि दूसरों को माफी आप उनके लिए नहीं, बल्कि खुद के सुकून के लिए दे रहे हैं. यहां हम आपको बताते हैं कि आप किस तरह दूसरों को माफ करें.

इस बात को स्वीकारें कि गलती किसी से भी हो सकती है. ऐसा सोचकर आप किसी को माफ करें और सिचुएशन को नॉर्मल बनाएं. यह याद रखें कि आगे बढ़ना ही समझदारी है ना कि पीछे की बातों को पकड़े रहना.

माफ़ करने के लिए सही समय का इंतज़ार मत करिए
ऑथर की शादी के कुछ महीने बाद से ही सिचुएशन ख़राब होने लगी थी. उनकी शादी खत्म होने के कगार पर पहुँच चुकी थी. ऑथर की मेंटल हेल्थ भी बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. 

जब ऑथर एक थैरेपिस्ट से मिलीं थीं तो उनकी मेंटल हालत काफी खराब हो चुकी थी. जिसका असर उनकी फिजिकल बॉडी पर भी नज़र आ रहा था. 

तब काउंसलर ने ऑथर से कहा था कि वो अपने पति को माफ़ नहीं कर रही हैं. उसी इमोशनल बैगेज की वजह से उनकी हालत खराब होती जा रही है. 

तब ऑथर ने कहा था कि उनके अंदर से ही माफ़ करने की आवाज़ नहीं आ रही है. तो वो किसी को कैसे माफ़ कर सकती हैं? 

इसके जवाब में काउंसलर ने ऑथर से सवाल किया कि क्या आप खुद के पास्ट को हील करना चाहती हैं? 

तब मन ही मन ऑथर को पता था कि वो यही चाहती हैं. लेकिन वो हीलिंग की प्रोसेस को शुरू नहीं कर पा रही हैं. क्योंकि वो चाहती हैं कि उनके पति को ये एहसास होना ज़रूरी है कि उसनें इनके साथ बहुत गलत किया है. 

इस बात पर काउंसलर ने समझाया कि अगर आप फेयर सिचुएशन का इंतज़ार करेंगी.. तो उस चीज़ में काफी ज्यादा वक्त लग जाएगा. जिसका सबसे ज्यादा नुकसान आपको ही होगा. इसी के साथ भले ही आपके पति को उनकी गलती का एहसास हो जाए? या फिर आप अपना बदला ले लें? लेकिन फिर जो गलत आपके साथ हो चुका है? वो सुधर नहीं सकता है. इसलिए किसी को माफ़ करने के लिए सही समय का इंतज़ार मत करिए. 

याद रखिए कि जितना आप इंतज़ार करेंगे, उतना ही आप अपनी हीलिंग को लेट करते जाएंगे. इसलिए जल्द से जल्द अपनी हीलिंग की शुरुआत करिए.

‘Coping mechanisms’ लंबे समय के लिए हमारी मदद नहीं कर सकता है
जब हमारा दिल टूटा होता है, तो ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो हम दुःख को कम करने के लिए करते हैं. कई लोग दारु-शराब या सेक्स का सहारा लेते हैं. 

कई लोग मोटिवेशनल गुरु के पास चले जाते हैं और पॉजिटिव रहने की टिप्स लेते हैं. ऐसा ही कुछ ऑथर भी कर रही थीं. वो खुद को बार-बार दिलासा देती थीं कि चीज़ें बिगड़ी नहीं हैं.. सब कुछ ठीक है.. उनके साथ कुछ बुरा नहीं हुआ है.. 

लेकिन काउंसलर का नज़रिया कुछ और ही था. उनका मानना था कि आपको डिनायल मोड में नहीं रहना चाहिए. आपको अपनी फीलिंग्स को दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. फीलिंग्स को दबाने से चीज़ें ठीक नहीं हो जाएंगी. बल्कि आपकी हीलिंग प्रोसेस को काफी नुकसान होगा. 

कई सारी Coping strategies होती हैं, उनमें से एक होती है कि ज्यादातर समय खुद को पॉजिटिव रखने की कोशिश करना.. इस तरह की Coping strategies कुछ देर के लिए मददगार साबित हो सकती है. लेकिन लॉन्ग रन में इसका कोई फायदा नहीं होने वाला है. 

इस तरह की चीज़ों से हम अपनी लाइफ और सिचुएशन को बेहतर नहीं बना सकते हैं. अगर हमें खुद को बेहतर बनाना है तो हमें रियल रहने की ज़रूरत है. हम जितना ज्यादा रियल रहेंगे, हम उतना ही बेहतर होते जाएंगे. इसलिए जो कुछ भी आपके साथ हो रहा है, उसे एक्सेप्ट करने की कोशिश करिए. उस सिचुएशन को जल्द से जल्द एक्सेप्ट करिए.

प्रेजेंट को सुधारने के लिए एक बार पास्ट को रीविजिट करिए
जब ऑथर ‘forgiveness’ के ऊपर किताब लिख रहीं थीं. तब भी वो अपने पति की बेवफाई से खुद को हील कर रही थीं. इस बात से हमें समझना चाहिए कि हीलिंग कोई एक या दो दिन की चीज़ नहीं है. बल्कि ये पूरी प्रोसेस है और हमें इस प्रोसेस के ऊपर ट्रस्ट करना चाहिए.

ऑथर को हर दिन पुरानी यादों का सामना करना पड़ता था. ऐसा कोई दिन नहीं बीतता था, जब उन्हें खुद से लड़ाई ना लड़नी पड़ती हो. काउंसलर ने भी ऑथर को समझाया था कि “हम सभी की लाइफ के साथ कोई ना कोई ट्रामा जुड़ा रहता है. कई लोगों को खराब हुए रिश्तों का दुःख होता है तो कई लोगों को किसी बीमारी का.. लेकिन सबसे ज़रूरी बात यही होती है कि क्या हमसे खुद को संभालने की कला आती है? 

अगर आती है तो आखिर हम खुद को कैसे ठीक कर रहे हैं? सबसे पहले तो हमें खुद को समझना होगा, हमें समझना होगा कि आखिर हमें किस बात से सबसे ज्यादा परेशानी है? वो कौन सी पुरानी यादें हैं जो हमें परेशान कर रही हैं? इसलिए हो सके तो प्रेजेंट को सुधारने के लिए अच्छे से पास्ट को रिविज़िट करिए. ऐसा करने से आप खुद को बेहतर समझ पाएंगे. 

इसलिए आज से ही अपनी लाइफ के डॉट्स को कलेक्ट करने की शुरुआत कर दीजिए. आपको पता होना चाहिए कि आपकी लाइफ में कौन-कौन से चैप्टर्स की एंडिंग अच्छी नहीं हुई है. उन डॉट्स को कलेक्ट करिए और फिर forgiveness की मदद से अपने डॉट्स और दिमाग को क्लियर करते जाइए. 

याद रखियेगा कि माफ न करना जहां हमें खुद में सीमित रखता है, वहीं माफ कर देना खुद से परे नई संभावनाओं तक ले जाता है. माफी देने के बाद एक कड़वा अनुभव हमारी यादों में सिर्फ एक विचार बनकर रह जाता है. आपको हुआ एक कड़वा अनुभव कुछ समय बाद अतीत बन जाएगा.

किसी की गलती को माफ करने के लिए बड़ा दिल चाहिए..अगर आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को खोना नहीं चाहते तो आपके ये कला सीखनी होगी.

किसी की गलती पर आपको ‘इट्स ओके’ बोलकर बात खत्म करनी होगी। अपनों को गलती का अहसास जरूर दिलाएं..

यदि आप हर किसी की गलतियां ढूंढने बैठ जाएंगे तो आप अपनों का स्नेह निश्चित रूप पर खो देंगे. अगर आप दूसरों की छोटी—छोटी गलतियों को तूल देते हैं तो आपका दिमाग कभी शांत नहीं रहता..

इसके उलट जब आप बड़ी गलती के लिए भी अपनों को माफ करने की हिम्मत रखते हैं तो आप खुद ही बड़े बन जाते हैं.. दूसरों की नजरों में भी उठ जाते हैं.

यकीन मानिए किसी को सजा देने से आप भी उतने ही दुखी होंगे जितना आपका अपना होगा. वहीं किसी को माफ करके आपका मन जरूर शांत होगा. इससे सामने वाले को खुद ब खुद ही अपनी गलती का अहसास हो जाएगा. आज से सजा देने का काम ईश्वर पर छोडिए। जिंदगी बहुत छोटी है इसमें माफ करना सीख जाइए. ऐसा करके आप सारे रिश्तों में प्यार भर देंगे.

हम को सबसे ज्यादा दुखी करती हैं दूसरों से हमारी उम्मीदें..जब हमारे आसपास के लोग हमारे हिसाब से नहीं चलते तो हम दुखी हो जाते हैं. जीवन में खुश रहने का फलसफा है कि हम दूसरों की गलतियों को इग्नोर करना सीखें.

बिलीफ़ सिस्टम को समझने की कोशिश करिए
अपने हसबैंड से मुलाक़ात के पहले से ही ऑथर के दिमाग में आदमियों को लेकर एक बिलीफ सिस्टम डेवलप हो चुका था. ऑथर का मानना था कि आदमियों का स्वभाव ही धोखा देना होता है. 

उनके अंदर ये बात इसलिए बैठ गई थी क्योंकि उन्होंने देखा था कि उनके पिता ने उनकी माता को धोखा दिया था और पूरे परिवार को छोड़ दिया था. 

लेकिन जब ऑथर की मुलाक़ात उनके पति से हुई, तो उन्हें लगा शायद ये इंसान बाकी मर्दों की तरह नहीं है. लेकिन आखिर में उनके पति ने भी वही किया जो कि उनके पिता ने उनकी माँ के साथ किया था. 

तो ऑथर को समझ में आ चुका था कि अगर उन्हें अपने एक्स पति को माफ़ करना है. तो उन्हें अपनी लाइफ के उन सभी लोगों को भी माफ़ करना होगा. जिसने भी उनके साथ कुछ भी गलत किया है. 

ऑथर कहती हैं कि कनेक्टिंग द डॉट्स का असली मतलब यही है. मतलब साफ़ है कि अपने पास्ट की बुरी बातों को अपने दिमाग से दूर कर देना है. और दूर करने का सबसे अच्छा तरीका उसे माफ़ करना ही है.

आगे बढ़ना ही एक मात्र विकल्प है, इसलिए हौसला बनाए रखिए
क्या आप कभी किसी ऐसे इंसान से मिले हैं, जो कि हर चीज़ को पर्सनल अटैक की तरह लेता हो? ऐसे लोग वही समझते हैं, जो वो समझना चाहते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये लोग किसी ऐसे दर्द से जूझ रहे होते हैं. जिसका समाधान इन्हें नहीं मिला होता है. 

ऐसे लोग unresolved pain के स्वामी बन जाते हैं. इन्होने कभी भी अपने पास्ट के डॉट्स को कनेक्ट नहीं किया होता है. इन्हें पता ही नहीं होता है कि इन्हें किस इंसान को माफ़ कर देना चाहिए? 

इसलिए कहा भी गया है कि माफ़ करना भी एक आर्ट की तरह है. इसे सीखना बहुत कठिन है, लेकिन जिस किसी ने भी इसे सीख लिया, उसने अपनी लाइफ की आधी प्रॉब्लम को सॉल्व कर लिया. 

इसका मतलब साफ़ है कि केवल लाइफ के डॉट्स के बारे में पता कर लेना ही काफी नहीं है. बल्कि आपको उन्हें ठीक करने की भी कोशिश करनी चाहिए. बिना डॉट्स को ठीक किए लाइफ ठीक नहीं हो सकती है.

इसलिए ऑथर एक रिफरेन्स देते हुए कहती हैं कि ‘ANNA QUINDLEN’ जो कि American author, journalist और  opinion columnist हैं. उन्होंने  कहा है कि “LIFE में सबसे कठिन क्या है? सबसे कठिन यही है कि हम खुद को परफेक्ट दिखाना बंद करे दें. खुद को खुद दिखाना ही सबसे कठिन है.”

हम लोगों में से ज्यादातर लोगों की पूरी जीवन ही खुद को perfect  दिखाने की दौड़ में खर्च होती जा रही है. हमें पता होना चाहिए कि ‘PERFECTIONISM’ (ऐसा मानना कि मुझमें कोई कमी नहीं है) से हमें कुछ ज्यादा फायदा नहीं होता है. 

इसलिए हमें ‘PERFECTIONISM’ की तरफ भागना बंद करना चाहिए. इसे अच्छे से समझने के लिए हमें समझना होगा कि जीवन में खुशियों का रास्ता कहीं ना कहीं ग्रोथ से होकर गुज़रता है. 

खुद को PERFECT दिखाने के चक्कर में हम उस GROWTH की गुंजाइश को ही नकार देते हैं. जिसका असर ये होता है कि हमारा CHARACTER DEVELOP होना बंद हो जाता है. इसी के साथ हमें ये भी पता होना चाहिए कि ‘PERFECTIONISM’ एक बिमारी की तरह होता है. अगर एक बार ये बीमारी लग जाए तो इंसान खुद की असलियत से भागने लगता है.

कई बार माफ़ करना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है, इसलिए खुद को मज़बूत बनाइए
ऑथर अपनी पुरानी ब्लैक एंड वाइट तस्वीर देखती हैं, उस तस्वीर में उनकी उम्र काफी कम थी जो कि एक पेड़ से सटकर खड़ी थी. 

उस टाइम को याद करते हुए ऑथर कहती हैं कि उस टाइम में खुशियाँ उनसे काफी दूर रहा करती थीं. उन्हें ये भी अंदाज़ा नहीं था कि आखिर ख़ुशियाँ नज़र कैसे आती हैं? अपने बचपन को याद करते हुए ऑथर कहती हैं कि उस समय ने उनसे काफी कुछ छीन लिया है. उनसे उनका बचपन, प्यार, मासूमियत और काफी कुछ जिससे उन्हें ख़ुशी मिल सकती थी. 

ऑथर का बचपन नार्मल बच्चों की तरह नहीं था. उनका बचपन काफी गाली गलौज़ से भरा हुआ था. ऑथर को बचपन से ही प्यार नहीं मिला था. इसलिए उन्हें लगता है कि क्या वो प्यार करने लायक ही नहीं हैं? उनके अंदर एक हीन भावना का बस गई है. 

इसलिए ऑथर समझने लगी हैं कि जब कभी हमारे साथ कुछ बुरा होता है. तो हम माफ़ करने की स्थति में नहीं होते हैं. ख़ासकर उन इंसानों को माफ़ करना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. जिन लोगों ने हमारी पूरी लाइफ को खराब कर दिया होता है. 

इसलिए कहा भी जाता है कि जिन सिचुएशन को हम बदल नहीं सकते हैं. उन्हें भूलना और माफ़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है. 

अगर आप भी किसी को माफ़ नहीं कर पा रहे हैं. तो आपको याद रखना चाहिए कि “forgiveness is more satisfying than revenge...” कई बार लोग ऐसा सोच लेते हैं कि जिसने मुझे दुःख दिया है. मैं भी उसे दुःख देकर हिसाब बराबर कर लेता हूँ.. लेकिन लॉन्ग टर्म की खुशियों के लिए इस तरह की सोच बिल्कुल भी सही नहीं है. किसी से बदला लेना हमारे लिए ही नुकसान दायक होता है. इसलिए दूसरों को माफ़ करना सीखिए, माफ़ करने में ही भलाई है.

Forgiveness कोई मंज़िल नहीं है.. ये एक प्रोसेस है
किसी भी तरह के बुरे ट्रामा से डील करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. ट्रामा हमें अंदर से कमज़ोर बना देता है. 

कई बार ऐसा लगता है कि हम ट्रामा से बाहर आ चुके हैं. लेकिन फिर कोई बात उस ट्रामा को ट्रिगर कर देती है. इसलिए हमें ये समझना ज़रूरी है कि ट्रामा से बाहर आना भी पूरी एक प्रोसेस है. इसमें काफी ज्यादा समय लगता है. 

इसलिए अगर माफ़ करने के बाद भी ट्रामा ट्रिगर होता है. तो कभी भी ये मत सोचियेगा कि आपका सफर खत्म हो चुका है. बल्कि याद रखिएगा कि Forgiveness भी पूरी एक जर्नी है. इस जर्नी की प्रोसेस पर हमें भरोसा रखना है. 

अक्सर लोग समाज क्या सोचेगा, इस बात की चिंता करते हुए एंग्जाइटी या डिप्रेशन के लक्षण समझ में आने के बावजूद मनोचिकित्सक की मदद नहीं लेते हैं। ऐसा करके वह अपना ही नुकसान करते हैं क्योंकि खुद से वह अपनी एंग्जाइटी के न तो सही कारण को समझ पाते हैं और न ही उनका सही सॉल्यूशन ढूंढ़ पाते हैं.

ऐसे में धीरे-धीरे उनकी एंग्जाइटी बढ़ती है और उनके नॉर्मल बिहेवियर में लगातार किसी न किसी तरह की गिरावट आती ही जाती है. पेशेंट का गुस्सा बढ़ेगा, उसे ज्यादा लोगों से मिलना अच्छा नहीं लगेगा और इसी तरह से एंग्जाइटी के बढ़ते-बढ़ते डिप्रेशन की नौबत आ जाती है और फिर एक दिन पेशेंट हारकर खुद को खत्म करने के बारे में भी सोचने लगता है.

इसलिए बार-बार कहा जा रहा है कि एंग्जायटी और डिप्रेशन का ईलाज के साथ-साथ उसका रूट कॉज भी पता होना ज़रूरी है. रूट कॉज पता करने के लिए आपको खुद से कड़े सवाल करने होंगे. और अगर फिर भी जवाब ना मिलें तो प्रोफेशनल की मदद लेने से पीछे मत हटियेगा. ऐसा करने से आप अपने आपकी मदद कर पाएंगे. 

इसी के साथ इस टिप का भी ध्यान रखें कि जब भी किसी व्यक्ति की कोई चीज पसंद आये, तो खुल कर उसकी प्रशंसा करें. इसमें कंजूसी न बरतें. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रशंसा करने और प्रशंसा सुनने दोनों से ही हमारे मस्तिष्क में पॉजिटिव एनर्जी सर्कुलेट होती है. इससे हमारा चित एवं मन प्रसन्न होता है. हम अपने कामों में बेहतर परफॉर्म कर पाते हैं और इसमें कोई शक नहीं कि इससे आपसी संबंध भी मजबूत होते हैं. बस ध्यान रखें कि बड़ाई की ओवरलोडिंग न होने पाये. सामनेवाले को ऐसा न लगे कि आप अपना मतलब निकालने के लिए उसकी चापलूसी कर रहे हैं.

कुल मिलाकर
लाइफ में कई ऐसे लोग होते हैं, जो किसी ना किसी से भावनात्मक रूप से चोट खाए हुए होते हैं. ये चोट इतनी गहरी होती है कि कई बार हम जीवन भर उन्हें माफ नहीं कर पाते, लेकिन इसका नकारात्मक असर कहीं ना कहीं खुद हमारे जीवन पर भी पड़ता है. वैसे तो किसी को माफ कर देना आसान काम नहीं होता, लेकिन यह भी सच है कि खुद की शांति के लिए लोगों को माफ करना ज़रूरी है. कहा जाता है कि कमजोर कभी किसी को माफ नहीं कर पाते और क्षमा करना ताकतवर की विशेषता है. ऐसे में आप इस बात को गांठ बांध लें कि दूसरों को माफी आप उनके लिए नहीं, बल्कि खुद के सुकून के लिए दे रहे हैं. 

जब आप किसी को माफ करते हैं तो आपको अपने अंदर के नकारात्मक सोच और तनाव को सकारात्मक परिणामों में बदलने का मौका मिलता है. ऐसा करने से आपके अंदर की क्रिएटिविटी और कौशल विकास होता है. यही नहीं, दूसरों के साथ आपके रिश्ते भी बेहतर होते हैं. इसलिए ये मान लीजिए कि गलतियां करना मनुष्य का स्वभाव हैं. कहते हैं 'अगर इंसान गलती न करे, तो जिंदगी का तजुर्बा अधूरा रह जाये.' हम सब आये दिन अपने जीवन में छोटी-मोटी गलतियां करते रहते हैं. लेकिन किसी की गलतियों को दिल से लगा लेना या अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करना- दोनों की गलत है. एक वेल डेवलप्ड पर्सनैलिटी हमेशा दूसरों को उनकी गलतियों के लिए क्षमा करना और अपनी गलतियों को स्वीकार करने में बिलीव करता है.

“माफ़ करना एक आर्ट है, और आपको इस आर्ट का माहिर खिलाड़ी बनना है...”

 

 

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