Thich Nhat Hanh
माइंडफुलनेस की ताकत
दो लफ्जों में
आपने गौर किया होगा कि कुछ लोगों को उनके कम्युनिकेशन के लिए ही पहचाना जाता है। ये एक बहुत खास स्किल है जिसमें हम सब माहिर होना चाहते हैं। साल 2013 में आई ये किताब इसमें आपकी मदद करती है। इसमें बताया गया है कि माइंडफुल रहकर और बुद्धिस्ट नॉलेज की बुनियाद पर आप भी किस तरह अपना कम्युनिकेशन बेहतर बना सकते हैं। यानि आप कैसे सामने वाले की बात सही तरह समझ सकते हैं, कैसे अपनी बात बेहतर ढंग से रख सकते हैं और कैसे सामने वाले के साथ एक मजबूत जुड़ाव बना सकते हैं ये सब आपको इस किताब से पता चलता है।
ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
• हर वो इंसान जो अपना कम्युनिकेशन बेहतर बनाना चाहता है
• जिनको बुद्धिज्म में रुचि है
• हर वो इंसान जो दूसरों के साथ अच्छी तरह जुड़ना चाहता है
इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे
• क्या आप सच में अपने आसपास के लोगों को समझते हैं
• अपने काम की शुरुआत कैसे करें
लेखक के बारे में
Thich Nhat Hanh एक जानेमाने वियतनामी बुद्धिस्ट monk थे। उन्होंने लगभग 100 किताबें लिखीं। इसमें न्यूयार्क टाइम्स की बेस्ट सेलर किताब Anger भी शामिल है। साल 1967 में उनको नोबेल पीस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था।
बातचीत या तो आपका काम बना सकती है या आपका काम बिगाड़ सकती है।
आपके मन में ये ख्याल आता है कि वो कौन सी बात है जो आपके रिश्तों में एक बड़ी परेशानी बनती है? चाहे घर के रिश्ते हों या ऑफिस के या फिर आपके दोस्त हर जगह कहीं न कहीं बातचीत ही रुकावट की वजह बनती है। पर ऐसा होता क्यों है? थिच न्हात हान आपको बताते हैं कि कौन सा कन्वर्सेशन सही है और किससे आपको बचना चाहिए। उनका कहना है कि दूसरों तक अपनी बात पहुंचाने से पहले आपको खुद अपनी बात अच्छी तरह समझ आनी चाहिए। हालांकि हममें से बहुत कम लोग ही हैं जो इतना सोचते हैं। इसी वजह से हमें दूसरों से बात करते हुए इतनी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
चाहे घर के लोगों से बात करनी हो या कोई बड़ी बिजनेस डील पक्की करनी हो आपके लिए सही शब्दों को इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। इसे हेल्दी कम्युनिकेशन कहा जाता है। पर ये आखिर होता क्या है? देखिए इसे भोजन से समझा जा सकता है। जैसे भोजन होता है या तो वो हेल्दी होगा जो आपकी सेहत बनाएगा या फिर टॉक्सिक होगा जो सेहत पर बुरा असर डालेगा। हेल्दी बातचीत वो होती है जहां बात करने वाले एक दूसरे को अच्छी तरह समझ रहे हों और बातचीत सही दिशा में आगे बढ़े। ऐसी बातचीत आपको खुशी देती है। टॉक्सिक बातचीत वो है जहां कोई मसला या सिचुएशन सुलझने के बजाए और उलझकर रह जाए। इसमें आखिर में आपके पास गुस्सा और चिड़चिड़ापन बचता है। मान लीजिए कि आप किसी काम के फीड बैक का इंतजार कर रहे हैं। बॉस अचानक आकर कहता है कि "ये क्या है? तुमको कुछ आता भी है या नहीं।" ये टॉक्सिक बात है। इसकी जगह अगर वो ये कहे - "अगर तुम थोड़ी मेहनत करो तो और अच्छी तरह इस काम को कर सकते हो।" ये बातचीत आपके लिए किसी अच्छी खुराक का काम करती है और आप पहले से ज्यादा जोश और खुशी से काम पर लग जाते हैं।
आप किस तरह अपना कम्युनिकेशन बेहतर बना सकते हैं? इसके लिए सबसे पहले आपको ये ध्यान देना होगा कि आप बात करते हुए कैसे बर्ताव करते हैं, किन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। यानि अपनी बातचीत को लेकर माइंडफुल रहना होगा। माइंडफुल रहने का मतलब है अपने आप को, दिमाग और सांसों को लेकर पूरी तरह चौकन्ना रहना। इस तरह आप बिना किसी इंसान या हालात को जज किए हुए बातचीत कर सकते हैं। जब आप माइंडफुल रहते हैं तो आप किसी वॉचर की तरह होते हैं। यानि आप सब देख तो रहे होते हैं पर उसमें इनवॉल्व नहीं होते। आपके ऊपर कोई चीज दबाव या कंट्रोल नहीं बनाती है। ऐसे में आपको ये समझ आ जाता है कि आप ऐसा क्या कह सकते हैं जो टॉक्सिक हो। और एक बार जब आप ये बात समझ जाते हैं तो खुद ही इसे कहने से बचते हैं। माइंडफुलनेस आपको इस बात में भी मदद करती है कि आपके ऊपर किसी दूसरे की टॉक्सिक बातों का असर न पड़े। माइंडफुल रहकर आप ये समझ सकते हैं कि सामने वाला कोई तीखी या गलत बात क्यों कह रहा है। आप ये समझ पाएंगे कि उनके इस बर्ताव के पीछे क्या वजह है। इससे आपके मन में उनके लिए गुस्से की जगह करुणा की भावना आएगी। अब आप उनकी बातों को दिल से नहीं लगाएंगे। तो एक अच्छी बातचीत का हिस्सा बनने के लिए माइंडफुल रहना शुरू कर दीजिए।
दूसरों के साथ अच्छी तरह कम्युनिकेट करने के लिए खुद के साथ बेहतर ढंग से कम्युनिकेशन जरूरी है।
आप दिन भर दूसरों के साथ तो बातचीत करते होंगे चाहे आमने सामने हो या ऑनलाइन पर अपने आप से बातें करने के लिए कितना वक्त निकालते हैं? शायद न के बराबर। माइंडफुल रहने के लिए खुद से बातचीत करना जरूरी है। इस तरह आप खुद को परख पाते हैं। ये कोई मुश्किल काम भी नहीं है। जैसे आप आती जाती सांसों पर ध्यान देते हैं वैसे ही अपनी बातचीत पर भी गौर करना है। ऐसा करते हुए आप वर्तमान में चल रही बातों में ही रहते हैं। बीते हुए या आने वाले वक्त में आपका ध्यान नहीं भटकता। उस वक्त बस आप होते हैं और आपकी सोच। ये तरीका उस वक्त खास तौर पर आपकी मदद करता है जब आप किसी बात से परेशान हों। क्योंकि कई बार हमें इसकी वजह ही समझ नहीं आती। लेकिन माइंडफुल रहकर हम इसकी गहराई में जा सकते हैं।
जब आप खुद से बातचीत करने में महारत हासिल कर लेते हैं तो दूसरों के साथ भी पहले से बेहतर ढंग से बात करने लगते हैं। अपनी खुद की सोच समझ में आ जाए तो दूसरों की सोच को पढ़ पाना भी आसान हो जाता है। मान लीजिए एक इंसान उदास है और उसे ये लगता है कि वो अपनी उदासी दूर भी नहीं कर सकता। वो अपने रिश्ते को लेकर परेशान है पर उसे ये समझ नहीं आ रहा कि गड़बड़ कहां हो रही है। उसे माइंडफुलनेस से काम लेना चाहिए। अगर उसे ये समझ आ जाता है कि उसे कौन सी बात परेशान कर रही है तो परेशानी का हल भी मिल जाएगा। उसे ये भी समझ आएगा कि उसके पार्टनर को भी कोई परेशानी हो सकती है जिसकी वजह से उसका फोकस रिश्ते पर घट रहा है। अब ये दोनों आपस में बातचीत करके परेशानी का हल निकाल सकते हैं। जब तक हम खुद को ही न समझ पाएं भला दूसरों को कैसे समझ पाएंगे।
दूसरों की परेशानी पर ध्यान दीजिए।
कभी ऐसा हुआ है कि आपको अपने पार्टनर या दोस्त की कोई ऐसी बात पता चली हो जिसने आपको हैरान कर दिया हो और आपके मन में ये सवाल आ जाए कि आपको अभी तक ये बात पता क्यों नहीं थी? ऐसा बिल्कुल हो सकता है कि हम लंबे समय तक किसी के साथ रहें पर ये समझ न आए कि उनकी परेशानी क्या है या वो किस दौर से गुजर रहे हैं। इसकी वजह ये होती है कि हम ध्यान देकर उनकी बातें सुनते नहीं हैं। जब हमारा पार्टनर हमसे बात कर रहा होता है तो हमारा ध्यान कहीं और होता है। हो सकता है वो कोई परेशानी बताए और आपके मन में बिजली बिल भरने या घर की सफाई का ख्याल आने लगे। कभी कभार ऐसा भी होता है कि हम उनकी बातें सुनते हुए बीच में टोककर अपनी राय देने लगते हैं क्योंकि हमें लगता है वो गलत हैं।
इसका आसान सा हल है माइंडफुल रहकर उनकी बातें सुनना। यानि ध्यान देकर लेकिन बिना उनको जज किए हुए उनकी बात सुनना। हालांकि बातें सुनते हुए हम अक्सर बोलना चाहते हैं। सलाह देना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि उनका नजरिया बदल जाए। लेकिन ऐसे में हम मुद्दे से ही भटक जाते हैं। हम उनकी फीलिंग्स पर ध्यान नहीं दे पाते। जबकि फोकस इसी पर होना चाहिए। माइंडफुल लिसनिंग में बोलने वाले पर दोष नहीं दिया जाता। न ही उनकी कमी निकाली जाती है। जैसे आप किसी ऐसे दोस्त के साथ बैठे हैं जिसका अभी ब्रेकअप हुआ। ये भी हो सकता है कि इसमें कहीं न कहीं उसकी गल्ती हो और आपका मन बार-बार ये कहे कि उसे ये बात बता दी जाए पर आपको ये समझना होगा कि ये सही समय नहीं है और आपकी बात उसे और परेशान करेगी। माइंडफुल लिसनिंग का मकसद है सामने वाले की परेशानी कम करना न कि उसे बढ़ाना। इसलिए उनको बोलते रहने दीजिए। आप बाद में उनकी गलतफहमी दूर कर सकते हैं। जब सामने वाला ये देखता है कि आप पूरे अपनेपन और खुले दिमाग से उसकी बात सुन रहे हैं और उनको समझ रहे हैं तो उनकी तकलीफ खुद ब खुद कम हो जाती है।
आप बातचीत को बेहतर बनाने के लिए मंत्रों की मदद ले सकते हैं।
टॉक्सिक स्पीच से बचना तो जरूरी है ही पर अपनी स्पीच को बेहतर और मीनिंगफुल बनाना भी जरूरी है। इसके लिए मंत्र आपके काम आ सकते हैं। मंत्र कई तरह की भावनाएं बता सकते हैं। अपना प्यार जताने के लिए बुद्धिज्म में तीन मंत्र होते हैं। "मैं तुम्हारे साथ हूँ" ये पहला मंत्र है। ये बुनियादी मंत्र भी है क्योंकि किसी से प्यार करने के लिए उसके साथ होना जरूरी है। हर वो इंसान जिसकी आप परवाह करते हैं उससे बातचीत के दौरान ये मंत्र बोलना जरूरी है। किसी के साथ होना और उसका साथ निभाना इससे बेहतर गिफ्ट कोई नहीं हो सकती। अगर आप पूरे मन से ये बात कहें तो सामने वाले की खुशी का अंदाजा नहीं लगा पाएंगे।
दूसरा मंत्र है "तुम्हारे होने से मुझे ताकत मिलती है।" सामने वाले को ये एहसास बहुत खुशी देता है कि उसका होना आपके लिए मायने रखता है। जैसे आप कार में अपने पार्टनर के साथ बैठे हैं। ऐसे में जरूरी नहीं कि आप उनके ही बारे में सोचें। आपके मन में न जाने कितने ख्याल आ सकते हैं। पर इससे उनको बुरा लग सकता है जैसे कि वो मौजूद ही न हों। लेकिन अगर आप सफर के दौरान उनसे बातें करते रहें या उनको बताते रहें कि उनके साथ आपको कितना अच्छा लग रहा है तो उनको लगेगा कि आप उनकी कीमत समझते हैं। तीसरा मंत्र है "मुझे मालुम है कि तुम परेशान हो और मैं हर तरह से तुम्हारी मदद को तैयार हूं।" ये पहले मंत्र का एक बड़ा रूप कहा जा सकता है। इससे ये भी पता चलता है कि उनकी परेशानी आपके ऊपर भी असर डालती है। ये माइंडफुल लिसनिंग को भी जाहिर करता है।
अब जानिए खुशी देने वाले तीन मंत्र।
पहले तीन मंत्र तो वो थे जो दूसरों को खुशी देते। लेकिन आपकी अपनी खुशी भी तो मायने रखती है। तो अगले तीन मंत्र आपके लिए हैं। बोलिए "मुझे मदद की जरूरत है।" ताकि लोग जान सकें कि आपको मदद चाहिए। अगर कोई हमारा दिल दुखाता है तो हम किसी न किसी वजह से उससे ये बात छिपा लेते हैं। अगर कोई अनजाने में हमारी इन्सल्ट कर दे तो या तो हम इस बात को मानते ही नहीं या खुद को उससे दूर कर लेते हैं। ये जाहिर करते हैं कि हमें उसकी जरूरत ही नहीं है। ये भी हो सकता है कि हम उसे सबक सिखाने का सोच लें। लेकिन जब आप माइंडफुलनेस के रास्ते पर चलने लगते हैं तो आपके मन में दया और करुणा जैसी भावनाएं घर करने लगती हैं। अब अगर कोई आपको हर्ट करे तो आप उसकी वजह समझने की कोशिश करते हैं। आप ये देख पाते हैं कि आखिर सामने वाले ने ऐसा क्यों किया होगा। अगला मंत्र है "यही तो अच्छा वक्त है।" जिंदगी की भागदौड़ में हम खुशियों के छोटे छोटे पल मिस कर देते हैं। ये मंत्र इस बात का ध्यान रखता है कि ऐसा न हो। ये मंत्र बोलते हुए आपको एहसास होता है कि खुशी को अलग से ढूंढने नहीं जाना है। आपको इसी पल में खुशी ढूंढनी है।
हर छोटी चीज को खुशी का बहाना समझिए। थोड़ा रुककर हर अच्छे पल को एन्जॉय कीजिए। जैसे सुबह उठकर उगते सूरज को देखिए और सोचिए कि ये कितना खुशनुमा लगता है। कुदरत को धन्यवाद दीजिए कि उसने आपको ये सुबह देखने का मौका दिया। अगला मंत्र है "आप कुछ हद तक सही हो।" जब कोई आपकी बुराई कर रहा हो, आपमें कमियां निकाल रहा हो या फिर तारीफ ही क्यूं न कर रहा हो ये मंत्र बहुत काम आता है। ये मंत्र बताता है की एक इंसान के अच्छे, बुरे, पॉजिटिव और नेगेटिव पहलू हो सकते हैं। ये मंत्र आपको इस बात के लिए तैयार करता है कि आप दूसरों से मिलने वाली बुराई और तारीफ दोनों को पूरी तरह स्वीकार कर पाएं। लेकिन ये कहना कि "आप कुछ हद तक सही हो" आपको ये एहसास भी दिलाता है कि आपमें और भी खूबियां या कमियां हैं। ये मंत्र आपको ताकत देता है कि आप बातें एब्जार्ब कर सकें न कि उसको दिल पर लें। माइंडफुलनेस के लिए ये बहुत जरूरी है। ये मंत्र आप खुद को भी बोल सकते हैं। जब कोई आपकी बुराइयां बताने लगे तो इस मंत्र को बोलकर ये याद रखिए कि उसकी बात पूरी तरह सही भी नहीं है। यानि आप उतने भी गलत नहीं हैं जितना आपको बताया जा रहा है। आपको घबराने या नाराज होने की जगह ये समझना है कि आप खुद को सुधार लें।
आप सच्चाई और करुणा वाली बातों से दूसरों का भला कर सकते हैं।
इन मंत्रों के अलावा और भी तरीके हैं जिनसे आप अपना कम्युनिकेशन बेहतर और पॉजिटिव बना सकते हैं। इसे लविंग स्पीच कहा जाता है। आगे बताई बातों का ध्यान रखकर आसानी से इसमें महारत हासिल कर सकते हैं। सबसे पहले तो आपको हमेशा सच बोलने की आदत डालनी चाहिए। हालांकि ये काफी मुश्किल रास्ता है क्योंकि सच कड़वा होता है। लेकिन अगर सही तरह से कहा जाए तो सच बोलने से बेहतर कुछ भी नहीं है। शुरुआत में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है पर आगे चलकर इससे बोलने और सुनने वाले का रिश्ता मजबूत ही होता है और दोनों में trust develop होता है। सामने वाला आपके साथ सेफ फील करता है। क्योंकि अगर आपने कोई झूठ बोला और कल चलकर वो सामने आया तो सुनने वाले को तकलीफ होती है। उनका भरोसा डगमगा जाता है और आगे चलकर कभी भी वो आपके ऊपर भरोसा नहीं कर पाते।
जैसे आपको ये पता चले कि आपकी सहेली को उसका पार्टनर धोखा दे रहा है तो भले ही उस वक्त सच बोलना उसे दुख दे पर समझदारी से बात करके उसे हालात समझाए जा सकते हैं ताकि वो कोई फैसला लेने के लिए खुद को तैयार कर सके। इस तरह आखिर में उसका दुख कम हो जाता है। लेकिन आपको ये भी ध्यान रखना है कि हर इंसान अलग होता है और हर किसी पर एक ही दवा काम नहीं कर सकती। ये तो जरूरी नहीं है ना कि हर कोई एक ही हालात में एक ही तरह से रिएक्ट करे। तो अपनी बात इस तरह से कहिए कि सामने वाला उसे समझ सके। इस बारे में महात्मा बुद्ध से जुड़ी एक कहानी भी है। एक बार किसी ने पूछा कि मरने के बाद वो कहां जाएगा तो बुद्ध ने जवाब दिया "कहीं नहीं।" अगली बार किसी और ने वही सवाल किया पर बुद्ध ने कुछ और जवाब दिया। जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उनका कहना था कि जवाब इस बात से तय होता है कि पूछने वाला कौन है। खुद ही सोचकर देखिए कि इतिहास में हुई कोई बड़ी लड़ाई आप किसी बच्चे को कैसे समझाएंगे और किसी बड़े को कैसे समझाएंगे।
लोग मिलजुलकर भी माइंडफुलनेस का अभ्यास कर सकते हैं।
कम्युनिकेशन का मतलब सिर्फ किसी एक इंसान से आमने सामने बात करना नहीं होता। हम ग्रुप में भी तो बातें करते हैं जो कि अच्छा खासा मुश्किल काम है। बहुत से लोग ऑफिस में इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हो रहा। आप माइंडफुलनेस की मदद से इसे ठीक कर सकते हैं। आप एक रोल मॉडल बनकर दूसरों को राह दिखाइए। इसके लिए बहुत आसान रास्ते हैं। जैसे आप सुबह घर से निकलकर जब ऑफिस के लिए बस या ट्रेन पकड़ते हैं तभी इसकी शुरुआत कर लीजिए। अक्सर इस वक्त हमारे दिमाग में ये चल रहा होता है कि हमको ऑफिस जाकर ये करना है, वो करना है। इसका काम रह गया था, वो फाइल अधूरी पड़ी है। इस वजह से हम ऑफिस पहुंचने के पहले ही तनाव में आ चुके होते हैं। अपने सफर के दौरान माइंडफुल रहिए। अपनी सांसों पर ध्यान दीजिए और इस पल को एन्जॉय कीजिए। जब आप ऑफिस पहुंच जाते हैं तो आपका फोकस बेहतर होने लगेगा।
तनाव की वजह से हमारी परफार्मेंस खराब हो जाती है। ऑफिस के बाकी लोगों के साथ मिलकर माइंडफुलनेस का अभ्यास कीजिए। आप किसी मीटिंग से पहले कुछ देर साथ में ब्रीदिंग प्रेक्टिस कर सकते हैं। इस तरह मीटिंग के पहले सबका मन शांत हो जाता है और नतीजे अच्छे आते हैं। अगर साथ काम करने वाले इसमें शामिल होना न चाहें तो आप अकेले ही प्रेक्टिस कर लीजिए। एक वक्त ऐसा जरूर आएगा जब वो आपके साथ आकर जुड़ने लगेंगे। एक माइंडफुल कम्यूनिटी दुनिया बदलने की ताकत रखती है। लोग तो दूसरे बहुत से कामों के लिए एक दूसरे का साथ निभाते हैं जैसे एनवायरमेंट, सफाई, सेहत। इस तरह हाथ मिलाकर काम किया जाए तो ताकत कई गुना बढ़ जाती है। माइंडफुलनेस के लिए समय निकालिए। एक इंसान और एक दिन से शुरू हुआ ये काम दुनियाभर में फैल जाएगा।
कुल मिलाकर
लविंग स्पीच का इस्तेमाल करके दुनिया में प्यार बिखेरें।
जब कोई आपसे कुछ कहे तो माइंडफुल रहकर उसकी बात सुनें। माइंडफुलनेस का अभ्यास करें। जब आप टॉक्सिक स्पीच को इग्नोर करना सीख जाते हैं और सच और करुणा से भरी बातें करते हैं तो आसपास के लोगों से आपके रिश्ते मजबूत बनते हैं। आप सिर्फ अपने रिश्ते ही नहीं बल्कि दुनिया को भी बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
क्या करें?
धीमी सांस लें और तसल्ली से सामने वाले की बात सुनें।
कुछ पल ठहरिए। इस पल पर फोकस करिए। अपने विचारों को शांत करिए और आती जाती सासों पर ध्यान लगाइए। आप ये प्रेक्टिस किसी भी वक्त कर सकते हैं। यहां तक कि ऑफिस के लिए आते हुए भी। सुनने के लिए भी ध्यान लगाइए फिर चाहे आप दूसरे की बात सुन रहे हों या अपनी खुद की आवाज।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे The Art of Communicating By Thich Nhat Hanh.
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.
