Split the Pie

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Barry Nalebuff
नेगोशिएट करने के बेहतरीन तरीके

दो लफ्जों में
आप नौकरी की बात कर रहे हैं पर HR की तरफ से उतनी सैलरी का ऑफर नहीं है जितनी आपको उम्मीद है। ऐसे में जिसका नेगोसिएशन मजबूत होगा वो बाजी मार लेगा। पर नेगोसिएशन का भी एक तरीका होता है। आप ये तो नहीं कह सकते न कि इतनी सैलरी देते हो तो बात करो नहीं तो मैं चला। नेगोसिएशन की जरूरत जॉब ही नहीं बल्कि हर जगह पड़ती है। साल 2022 में आई  ये किताब आपको नेगोसिएशन के कुछ नए रास्ते दिखाती है। हालांकि नेगोसिएशन करते हुए हम अक्सर गलत दिशा में मुड़ जाते हैं जहां हमें बस ये लगता है कि किसी भी तरह अपनी बात मनवानी है। पर इतने सख्त कदम के बिना भी काम हो सकता है। आप “pie” अप्रोच की मदद से बहुत अच्छे तरीके से अपनी बात रखकर और बिना सामने वाले से सख्ती दिखाए अपनी बात मनवा सकते हैं। 

ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
• ऐसे लोग जो अपनी सैलरी बढ़वाना चाहते हैं
• बिजनेस और मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स 
• हर वो इंसान जो नेगोसिएशन की साइकोलॉजी समझना चाहता है 
इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे
•  50/50 का फार्मूला गलत भी हो सकता है
• किसी मजबूत या बड़ी पार्टी से नेगोसिएशन कैसे करें
• आग बुझाने के लिए आग नहीं पानी की जरूरत 

होती है
लेखक के बारे में

बैरी नेलबफ, येल साकूल ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं। उन्होंने बहुत से बिजनेस शुरू किए हैं जो बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं। इनमें Honest Tea का नाम दुनियाभर में फेमस है। उनके नेगोसिएशन के कोर्स में साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट अपना नाम लिखवा चुके हैं।

इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे
•  50/50 का फार्मूला गलत भी हो सकता है
• किसी मजबूत या बड़ी पार्टी से नेगोसिएशन कैसे करें
• आग बुझाने के लिए आग नहीं पानी की जरूरत होती है

लेखक के बारे में
बैरी नेलबफ, येल साकूल ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं। उन्होंने बहुत से बिजनेस शुरू किए हैं जो बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं। इनमें Honest Tea का नाम दुनियाभर में फेमस है। उनके नेगोसिएशन के कोर्स में साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट अपना नाम लिखवा चुके हैं।

किसी भी नेगोसिएशन में पाई अप्रोच सबसे बेहतर होती है।
हमें जिंदगीभर कोई न कोई नेगोसिएशन करना पड़ता है। इसमें छोटे बड़े हर तरह के मौके शामिल हैं। जैसे सड़क के किनारे लगी किसी दुकान से कोई जैकेट खरीदनी हो या फिर इंटरव्यू के दौरान अपनी सैलरी की बात करनी हो। यहां तक कि कुछ लोगों का पूरा करियर ही नेगोसिएशन पर बना होता है। जैसे कोई बड़ी बिजनेस डील क्लोज करनी हो या फिर दो देशों के बीच चल रहा तनाव खत्म करना हो। अब दांव पर जो भी लगा हो नेगोसिएशन हमेशा एक मुश्किल काम होता है। नेगोसिएशन करते हुए लोग कभी कभार बदतमीजी पर भी उतर आते हैं। एक साइड को कम से कम कीमत पर सामान या सर्विस चाहिए और दूसरे को ज्यादा से ज्यादा कीमत वसूलनी है। ऐसे में लालच, गुस्सा, झल्लाहट जैसी भावनाएं आ जाना बहुत आम बात है। लेकिन हम किस तरह खुद को बचा सकते हैं? क्या हमारी मदद के लिए रूल्स हैं जिनके इस्तेमाल से बात भी न बिगड़े और काम भी बन जाए। जी हां, बिल्कुल हैं जो आपके बहुत काम आएंगे। बैरी इनको नेगोसिएशन पाई अप्रोच कहते हैं। इस किताब में नेगोसिएशन से जुड़े बहुत से मिथ टूटते हैं और ये भी गारंटी रहती है नेगोसिएशन में बैठे दोनों लोग या दोनों साइड खुश रहते हैं। 

ये नेगोसिएशन पाई अप्रोच क्या होती है? एलिस और बॉब का उदाहरण लीजिए। वो एक रेस्टोरेंट में बैठे हैं। तभी वेटर आकर कहता है कि अगर वो 12 स्लाइस वाले पिज्जा का बंटवारा कर लें तो उनको पिज्जा फ्री मिलेगा। पर अगर वो बंटवारा न कर पाएं तब भी आधा पिज्जा यानि 6 स्लाइस तो फ्री मिलेंगी। पर एलिस को 4 और बॉब को दो ही स्लाइस मिल पाएंगी। एलिस और बॉब को कोई न कोई तरीका तो निकालना ही होगा। आइए देखें ये बंटवारा कैसे कैसे हो सकता है। एक तरीका होगा power perspective जहां एलिस को आठ और बॉब को चार स्लाइस मिलें। लेकिन ये तो उसी तरह हो गया जैसा वेटर ने कहा था। यानि एलिस को बॉब से दुगनी स्लाइस मिल रही हैं। यहां फर्क बस इतना है कि एलिस के पास नेगोसिएशन की पावर ज्यादा है। दूसरा तरीका है fairness perspective जहां दोनों पिज्जा को आधा आधा कर लेंगे। ज्यादातर लोग कहेंगे कि यही सबसे बढ़िया तरीका है। लेकिन हम जो बात नजरअंदाज कर रहे हैं वो ये है कि दांव पर पूरा नहीं बल्कि आधा पिज्जा लगा है। यानि अगर एलिस और बॉब कोई भी फैसला न कर पाएं तो भी उनको 6 स्लाइस तो मिलने ही हैं। तो यहां नेगोसिएशन बाकी की 6 स्लाइस पर है। इनको ही बैरी ने नेगोसिएशन पाई कहा है। और जब कभी नेगोसिएशन इस नजरिए से शुरू होता है तो fairness और power perspectives दोनों ही हवा हो जाते हैं। 

यानि अब एलिस और बॉब दोनों के पास नेगोसिएशन की बराबर ताकत है। भले ही वेटर की बात सुनकर ये लगे कि  बॉब को तो कम स्लाइस ऑफर की गई हैं पर असल में अगर कोई समझौता नहीं होता है तो नुकसान दोनों का है। यानि दोनों की हार है। यानि रेस्टोरेंट से ज्यादा पिज्जा लेने के लिए दोनों को एक दूसरे की जरूरत बराबर है। ये ताकत तब दिख सकती है जब नेगोसिएशन पाई वाली 6 स्लाइस पर ध्यान लगाया जाए। अब एलिस हर हाल में मिलने वाली चार पाई के साथ बाकी 6 में से तीन स्लाइस ले लेती है और इसी तरह बॉब भी तय दो स्लाइस में तीन और स्लाइस जोड़ लेता है। एलिस को सात और बॉब को पांच स्लाइस मिल जाती हैं। इस तरह दोनों ही विनर बन जाते हैं। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि इतना सोचने से अच्छा है 50/50 कर लो। इन दोनों को फ्री पिज्जा मिल तो रहा है। लेकिन ये कोई सही तरकीब नहीं है। जरा ध्यान दीजिए कि यहां कोई uneven fallback पर बात नहीं कर रहा है। मान लीजिए वेटर ये कह दे कि हारने पर एलिस को सात स्लाइस मिलेंगी पर बॉब को दो। ऐसे में अगर एलिस हां बोल देती तो 50/50 की 6 में से एक स्लाइस ज्यादा मिलती। यानि ये तरीका उसका नुकसान करेगा। यानि 50/50 हर बार काम नहीं कर सकता। अच्छे नेगोसिएशन का मतलब है कि आपको जितना मिल रहा था या आप जो कुछ लेकर आए थे उससे ज्यादा लेकर जाएं। नेगोसिएशन पाई पर फोकस करके आप और सामने वाला दोनों ही एक अच्छे नतीजे पर पहुंच सकते हैं।

सामने वाली पार्टी को नेगोसिएशन पाई तक लेकर आने के भी तरीके होते हैं।
आपने ये तो समझ लिया कि नेगोसिएशन पाई क्या है और ये कैसे काम करती है। अब आपको ये समझना है कि इसे प्रेक्टिकल लाइफ में कैसे इस्तेमाल करें। आपको सही तरीके की जरूरत है। पर अगर आप अपना प्लान बनाते हैं तो सामने वाले के पास भी कोई न कोई प्लान तो होगा ही। इसमें आमतौर पर अग्रेशन या सख्त रवैया दिखाना, टस से मस न होना जैसे कदम शामिल हैं। ऐसे में माहौल में थोड़ा तनाव होने लगता है। पर नेगोसिएशन पाई अप्रोच की मदद से आप माहौल हल्का बना सकते हैं। यहां आपको सबसे पहले ये समझना है कि सामने वाली पार्टी अपने हाथ में क्या लेकर आ रही है। क्या वो 50/50 का सोचकर चल रही है? क्या वो पहले से ये सोचकर आ रहे हैं कि एक पार्टी मजबूत है और दूसरी कमजोर? इस बात के बहुत चांस हैं कि उनको ये बात समझ ही न आ रही हो कि असल नेगोसिएशन तो उस "पाई" का है। ऐसे में आपको उसे ये समझाना है कि आप दोनों का गोल एक ही है। यानि पाई का बड़े से बड़ा हिस्सा पाना और फिर उसे बराबर बांटना। यानि आप दोनों एक दूसरे पर भरोसा करके और एक दूसरे को मिलने वाले हिस्से की परवाह करके आगे बढ़ें। अगर सामने वाले को ये बात समझ आ जाती है तो अब आप दोनों का फोकस अपना फायदा बढ़ाने में होगा न कि इस चिंता में कि कहीं सामने वाला कोई चालाकी न दिखा दे।

लेकिन यही सबसे मुश्किल काम है। जरूरी नहीं कि दूसरी पार्टी आपकी बात समझ ही लेगी। अगर उसे ये लगता है कि आपकी पावर ज्यादा है और इससे उसको नुकसान है तो वो शायद ये बात मान भी ले। पर अगर सामने वाली पार्टी मजबूत पोजीशन में है या उसे ये दिख रहा है कि वो पहले से ही फायदे में है तो वो इतनी आसानी से आपकी बात नहीं मानेगी। लेकिन नेगोसिएशन से पहले उनको हकीकत समझाना आपका काम है। हम वापस एलिस और बॉब का उदाहरण लेते हैं। अब पिज्जा की जगह किसी इन्वेस्टमेंट का फैसला करना है। एलिस के पास 5000 डॉलर हैं और बॉब के पास 20 हजार। अगर वो अलग-अलग इन्वेस्ट करें तो एलिस को एक और बॉब को दो परसेंट का इंट्रेस्ट मिलेगा। लेकिन अगर वो एक साथ इन्वेस्ट करते हैं तो उनको 3 परसेंट मिलेगा। यानि दोनों का फायदा है। बॉब ये कहता है कि हम इस तीन परसेंट के मुनाफे को अपनी कैपिटल के हिसाब से बांटेंगे। पर एलिस इस बात के लिए तैयार नहीं है। बॉब फिलहाल नेगोसिएशन पाई के हिसाब से नहीं सोच रहा है। अब एलिस उससे पूछती है कि अगर दोनों मिलाकर इन्वेस्ट करें और फिर भी दो परसेंट का मुनाफा हो तो क्या होता? यानि अगर बॉब अकेले इन्वेस्ट करे तो भी वही मिलता। यानि बॉब को कोई फायदा नहीं होता। लेकिन इसी दो परसेंट में एलिस का मुनाफा तो दुगना हो जाता क्योंकि उसे पहले एक परसेंट ही मिल रहा था। यानि नुकसान तो बॉब का ही है। 

अब वो उसे समझाती है कि हम उस दो परसेंट रिटर्न को बराबर बांट लें जो साथ इन्वेस्ट करने पर मिलेगा। यानि अगर नेगोसिएशन पाई वाले हिस्से को बांट लें तो दोनों का फायदा है। इस तरह एलिस, बॉब को उसकी गल्ती समझा देती है। अब वो ऐसा कदम तो नहीं उठा सकता जहां एक तरफ तो उसे फायदा हो और दूसरी तरफ नुकसान। उसे एलिस की बात समझ आ जाती है और दोनों पूरे मुनाफे को आधा ले लेते हैं। यहां पर एलिस का लॉजिक बहुत बढ़िया है। अगर आपको कभी दूसरी पार्टी को नेगोसिएशन पाई के फायदे समझाने में मुश्किल आए तो आप भी ऐसे ही कोशिश कीजिए। बजाए इसके कि आप उनको ये कहें कि proportional split आपको नुकसान कर रहा है, आप ये कहिए कि इसमें उनका कितना नुकसान है। जरूरी नहीं कि कोई आपकी जगह पर खड़े होकर ही आपकी परेशानी समझे। आप उनको उनकी परेशानी दिखा दीजिए।

अगर सामने वाला जिद पर अड़ा हो तो क्या करें?
एलिस और बॉब तो जल्दी समझ गए पर अगर किसी ने जिद ठान रखी हो ओ क्या करें? लोग नेगोसिएशन में धौंस जमाने लगते हैं। आप लॉजिक और रीजनिंग से बात करें पर अगला समझे ही न तो क्या करना चाहिए? वो पहले से ही सोचकर आए थे कि क्या करें। या तो उनकी बात मानो या बात खत्म करो। आपके पास बहुत से रास्ते हैं। बस एक काम मत कीजिए। उनसे उनकी ही तरह पेश मत आइए। यानि आग को आग से मत बुझाइए। इस तरह डील खराब होने के चांस बढ़ते हैं। आपका गोल होना चाहिए कि आप सामने वाले की सोच को रेशनल बनाएं। उसकी समझदारी और इंसानियत को उभारें। नेगोसिएशन के दौरान लोग अक्सर अकड़ने लगते हैं। ये एक तरह से अपने बचाव का तरीका होता है। लेकिन इस बदतमीजी के पीछे एक सहमा हुआ इंसान भी छिपा हो सकता है जिसे सही होने के लिए बस हल्की सी चपत की जरूरत पड़ती है। 

यानि आपको आग से नहीं, पानी से आग बुझानी है। सिचुएशन को हल्का बनाएं। एक तरीका तो ये है कि उनके अपने अल्टीमेटम पर ही सवाल कर दिया जाए। यानि उनके मन में अपने फैसले पर डाउट होने लगे। अब फिर एलिस और बॉब की बात करते हैं। एलिस अपनी कंपनी बॉब को बेचना चाहती है लेकिन इस बात पर अड़ी है कि वो $25 million से कम नहीं करेगी। बॉब नेगोसिएशन पाई की तरकीब लगाता है। उसे फायदे और नुकसान समझाता है। एलिस फिर भी नहीं सुनती और कहती है "यही फाइनल ऑफर है, कंपनी लेनी है तो लो वरना चलते बनो।" अब बॉब कहता है चलो मैं $26 million देता हूं। एलिस हैरान हो जाती है कि बॉब सच में पैसे बढ़ा रहा है क्या? बॉब कहता है कि तुम बस मान लो कि मैं दे रहा हूं तो क्या तुम कंपनी बेचोगी? एलिस हां कहती है। यहां बॉब ने एलिस के दिमाग में ये बात डाल दी कि उसका फाइनल ऑफर असल में फाइनल है ही नहीं। भले ही वो "मान लो" की बात पर चल रहा है पर एलिस के राजी होने का मतलब है वो अभी भी नेगोसिएशन के लिए तैयार है। अब जब एलिस को भी ये समझ आ जाता है तो नेगोसिएशन पाई अप्रोच पर काम करने के चांस बढ़ जाते हैं। 

हाइपोथेटिकल बातें दूसरी पार्टी को अपना लॉजिक समझाने का अच्छा तरीका हैं। ये दूसरी सिचुएशन में भी काम आ सकती हैं। यानि इस समय बॉब अड़ा हुआ है कि वो इतने से ज्यादा पैसा नहीं देगा। दोनों पार्टी जानती हैं कि नेगोसिएशन पाई का फर्क लगभग $10 million है। अब बॉब ये कह देता है कि चलो मैं $10 और बढ़ा देता हूं। एलिस भी उसे आइना दिखाना चाहती है पर समझदारी से काम लेती है। वो पूछती है अगर मैं आपसे ये कहूं कि चलो मैं $10 कम कर दूं तो आपको कैसा लगेगा? बॉब का जवाब सुने बिना ही वो आगे बोलना जारी रखती है। "मुझे मालुम है आपको बुरा लगेगा और आप नेगोसिएशन किए बिना बात वहीं खत्म कर देंगे।" ये हाइपोथेटिकल बातें अड़ियल या घमंडी इंसान के पीछे छिपे नरमदिल इंसान को बाहर ले आने में अक्सर मददगार साबित होती हैं। अगर आप भी नरमी दिखाएं तो सामने वाली पार्टी भी नरम पड़ने लगेगी। पर हर बार ऐसा हो ये जरूरी नहीं है। कभी कभार दूसरी अप्रोच का सहारा भी लेना पड़ता है। यहां बहुत ज्यादा empathy दिखाते हुए ये समझना पड़ता है कि आखिर सामने वाले की क्या मजबूरी है जो वो टस से मस नहीं होना चाहता। उनसे इसकी वजह पूछिए। हो सकता है आपको कोई अलग रास्ता मिल जाए। बस ये देखिए कि आप दोनों क्या चाहते हैं और फिर कोई बीच का रास्ता निकाल लीजिए। 

एक और बार एलिस और बॉब का उदाहरण लेते हैं। एलिस अपनी दुकान बेचकर दुनिया की सैर पर जाना चाहती है। लेकिन कीमत घटाने को तैयार नहीं है। बॉब उसकी वजह समझता है। अब वो ये पूछता है कि टिकट कितने की आएगी? होटल का खर्च कितना होगा? वो कहां कहां घूमेगी? वापस आकर वो क्या करेगी? अब इस बातचीत से ये समझ आता है कि एलिस ने $75,000 का बजट बना रखा है। इसमें से कुछ घूमने में लग जाएगा और कुछ वापस आकर उसके बाकी खर्चों में। इसलिए वो दुकान के लिए यही कीमत चाहती है  और वो वापस आकर नौकरी करेगी। बॉब कहता है कि वापस आकर तुम इसी दुकान में मैनेजर बन जाना। बॉब के लिए तो दोनों हाथों में लड्डू वाली बात है। दुकान की कीमत भी कम हो जाएगी और उसे एक एक्सपीरियंस वाला मैनेजर भी मिल जाएगी। ये डील अचानक ही फाइनल हो गई। बॉब को बस थोड़ी नरमी और इंसानियत दिखानी पड़ी।

कुल मिलाकर
इस किताब की ये बातें ध्यान रखिए

किसी भी नेगोसिएशन में नेगोसिएशन पाई अप्रोच बहुत काम की होती है। ये सोचकर कि सामने वाला मजबूत पोजीशन में है या हमसे ज्यादा पावरफुल है आपका कोई फायदा नहीं होगा। वरना ऐसा सोचते ही आप अपनी असल ताकत खो देते हैं। नेगोसिएशन के फायदे सोचकर "पाई" को आधा बांट लीजिए। 

 

क्या करें

चुप रहना हर जगह काम नहीं आता। कभी कभी लोग नेगोसिएशन के वक्त जरूरी जानकारी या जवाब भी नहीं देते। भले ही आपको ये रवैया फायदेमंद लगे पर ऐसा होता नहीं है। बातचीत से ही कोई नतीजा निकल सकता है। ये भी न हो कि आप जवाब पे जवाब देते रहें। सामने वाले से सवाल करिए। अगर आप दोनों एक दूसरे की जरूरत को सही तरह समझ जाएंगे तो किसी अच्छे नेगोसिएशन की संभावना बहुत बढ़ जाएगी। 

 

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