Nick Trenton
23 Techniques to Relieve Stress, Stop Negative Spirals, Declutter Your Mind, and Focus on thePresent
दो लफ्ज़ों में
साल 2021 में रिलीज़ हुई बुक “Stop Overthinking” एक ऐसी प्रॉब्लम से रूबरू करवाने का काम करती है. जिससे आज के समय का हर युवा परेशान है. इस किताब में Overthinking की समस्या से बाहर आने के तरीकों के बारे में भी बात की गई है. इसलिए अगर आप भी अपने दिमाग को declutter करना चाहते हैं? और स्ट्रेसफ्री रहना चाहते हैं? तो इस बुकसमरी को ध्यान से सुनने की कोशिश करिए.
ये बुक समरी किसके लिए लिखी गई है?
-ऐसा कोई भी जिसे हेल्प की ज़रूरत हो
-ऐसा कोई भी जो ओवर थिंकिंग से परेशान हो
-Nervous Nellies के लिए
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Nick Trenton ने किया है. इन्होने कई सेल्फ हेल्प बुक्स का लेखन किया है. जिनमें Dopamine Detox और 80/20 Your Life जैसी किताबें शामिल हैं.
आपको इस किताब में ये भी जानने को मिलेगा
-गिल्ट से बाहर आने का तरीका
-ओवरथिंकिंग को जड़ से खत्म करने का तरीका
-मेंटल मॉडल्स का बारे में बहुत कुछ
हमें थॉट्स को मैनेज करना सीखना होगा
थॉट्स के never-ending loops को ही ओवर थिंकिंग कहते हैं. हम ना चाहते हुए भी इस जंजाल में फंस जाते हैं. इसके लिए कई बार हम अपने आस-पास के environment को दोषी ठहराते हैं. लेकिन इसके पीछे का मेन रीज़न ये रहता है कि हम महसूस हो रहे स्ट्रेस पर रियेक्ट कर रहे होते हैं. बल्कि actual stress तो आया भी नहीं होता है. ऐसा भी हो सकता है कि कभी actual stress आए भी नहीं? फिर भी हम उस आने वाले स्ट्रेस को लेकर ओवर थिंकिंग की चपेट में आ जाते हैं.
हमें excessive analysis की वजह से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि fatigue, anxiety, या फिर difficulty sleeping... कई सिचुएशन में तो ओवर थिंकिंग रिलेशनशिप और ज़िन्दगी भी खराब करके रख देती है.
इसलिए ऑथर कहते हैं कि हमें अपनी thought processes को मैनेज करना सीखना होगा. अगर हम ये कर लें तो हम अपनी मेंटल हेल्थ को काफी हद तक सुधार सकते हैं. हमें अपने triggers पॉइंट्स को समझना होगा.. हमें खुद की बॉडी को समझना होगा.. इसके बाद ही हम अपने थॉट्स को समझ सकते हैं.
हमें खुद के ऊपर भरोसा करना होगा और समझने की कोशिश करनी होगी कि ओवर थिंकिंग एक बैड हैबिट है. इस आदत को किसी भी तरह छोड़ना होगा.
Four A’s कांसेप्ट के बारे में जानना भी ज़रूरी है
avoid, alter, accept, and adapt ही four A’s कांसेप्ट है, जिसकी मदद से हम ओवर थिंकिंग से बाहर आ सकते हैं. वैसे ये कहना आसान होता है कि जब ज़िन्दगी आपको नींबू दे तो उसकी शिकंजी बना लेनी चाहिए. लेकिन असल मायनों में ऐसा कर पाना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है.
लेकिन triggers के बारे में पता करके, स्ट्रेस वाली सिचुएशन आने पर.. उससे पीछे ज़रूर हटा जा सकता है. इसी को कहते हैं अपने इमोशन्स के बारे में अच्छे से पता होना..
इसलिए ऑथर सलाह देते हैं कि सबसे पहले उस सिचुएशन को एक्सेप्ट कर लीजिए जिन्हें आप चाहकर भी चेंज नहीं कर सकते हैं. आपको खुद को बताना होगा कि ये रियलिटी है.. अब ये बदल नहीं सकती हैं. इसलिए एक्सेप्ट करने में ही भलाई है.
अगर गर्ल फ्रेंड की किसी और से शादी हो चुकी है? तो एक्सेप्ट कर लीजिए कि अब वो आपकी ज़िन्दगी में नहीं आएगी.. वो मूव ऑन कर चुकी है और यही रियलिटी है. फ़ालतू के शायरों से दूर रहिए और ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के नज़रिए से देखने की कोशिश करिए.
इसी के साथ-साथ power of positivity को समझने की कोशिश करिए, ऐसी चीज़ें करिए जिन्हें करने में आपको ख़ुशी मिलती है. वर्क आउट करिए और साथ में खूब पैसा कमाने के लिए मेहनत करिए. मन भी हल्का रहेगा और दिमाग को सुकून भी मिलेगा. अपनी लाइफ के हर एक घंटे को पॉजिटिव लक्ष्य से भर दीजिए. बिज़ी रहना ही ओवर थिंकिंग की दवाई है.
सफलता के पीछे पड़ जाइए
याद रखिएगा कि सफलता में बहुत ताकत होती है. सफलता का स्वाद ही बुरी यादों को पीछे छोड़ सकता है. इसलिए जो भी लक्ष्य आपको सफल बना सकता है? दिन रात एक करके उसके पीछे जुट जाइए.
ऑथर आपसे सवाल करते हैं कि क्या आप भी किसी भी बात को लेकर बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं. इतना सोचते हैं कि वह बात आपको टेंशन देने लगती है. कई बार किसी भी चीज के बारे में बहुत अधिक सोचने से थकान महसूस हो सकती है. दिमाग और मन पर बोझ बढ़ जाता है. ओवरथिंकिंग की समस्या आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकती है.
ओवरथिंकिंग जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तो इसे मानसिक बीमारी की कैटेगरी में रखा जाता है. जब कोई व्यक्ति छोटी सी बात को भी लंबे समय तक सोचने लगे तो यह ओवरथिंकिंग कहलाती है. किसी भी काम को करने या फैसला लेने से पहले लोग सोचते हैं, जो सही भी है. यह इंसान का नेचुरल स्वभाव है, लेकिन जब यह स्वभाव हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ओवरथिंकिंग कहलाती है.
उम्मीद लगाना अच्छी बात है, पर उसे दिल से नहीं लगाना चाहिए। एक कहावत बड़ी पुरानी है: 'मन का हो तो अच्छा, न हो तो और भी अच्छा'.. इस वाक्य को अपनी ज़िंदगी में जरूर शामिल करना चाहिए..100 फीसदी न सही, 50 फीसदी भी शामिल करने से ज़िंदगी काफी आसान हो जाती है..
Meditation की मदद से भी हम अपनी लाइफ की टेंशन को कम कर सकते हैं और ओवर थिंकिंग से छुटकारा पा सकते हैं.
दिमाग और शरीर को शांत रखने की कोशिश करें
अगर आप जल्द से जल्द खुद को de-stress करना चाहते हैं? तो आपको पेन और पेपर से आगे की तरफ बढ़ना होगा.. relaxation के लिए कई चीज़ों की मदद लेनी पड़ती है.
एग्जाम्पल के लिए progressive musclerelaxation (PMR) की मदद से आप अपनी बॉडी और दिमाग को जल्द से जल्द रिलैक्स कर सकते हैं.
हां, ओवर थिंकिंग से निजात पाने के लिए योग के आसन, प्राणायाम और वॉक- एक्सरसाइज जरूर करें.
इसी के साथ चाहे घूमना हो, मूवी जाना हो, बेडरूम बदलना हो, ऐसे काम करते रहें। कुछ मुमकिन न हो तो बेडशीट ही बदल दें, तकिया बदल दें या उसके कवर बदल दें. रात में आइसक्रीम खाने की इच्छा हो तो निकल जाएं खाने के लिए. दरअसल, जब एक ही तरह की चीजें होती रहती हैं तो हमारे दिमाग में पुराने विचार ही जगह बना लेते हैं.
हमारे अंदर नयापन नहीं आता...पुराने विचारों के द्वंद्व में ही फंसे रहते हैं.. वही चीजें बार-बार आती हैं..
इसी तरह कई बार ऑफिस से घर और फिर घर से ऑफिस के सिलसिले को तोड़ना जरूरी हो जाता है..कुछ नया करें ताकि पुरानी सोच की जगह नई सोच उभरे.
अगर यह महसूस हो कि खाली हूं। करने के लिए कुछ भी नहीं है मेरे पास। संकेत मिलने लगे कि अब ओवरथिंकिंग की तरफ जाने ही वाला हूं तो खुद को किसी ऐसी चीज से जोड़ लें जहां आपका मन भी लगे और ध्यान भी कुछ केंद्रित हो.. मसलन: किसी को फोन लगा दिया...अगर वह फोन न उठाए या वह बिजी हो तो किसी दूसरे को कॉल कर लें.. मुमकिन है कि वह भी आपको फोन करने में हिचक रहा हो... सीधे कहें तो किसी से बातों का सिलसिला जोड़कर ओवरथिंकिंग का सिलसिला को तोड़ दें..
जब भी ओवरथिंकिंग हावी हो तो उस स्थिति से बाहर निकलने के लिए डीप ब्रीदिंग करें . . . . चाहे बेड पर लेटे हों . . . लेटे-लेटे ही गिनती करते हुए: 1, 2, 3, 4, 5.....15 तक जाएं और साथ में गहरी सांस लें. गहरी सांस लेने के लिए सांस को अंदर खींचें, फिर 2 से 3 सेकंड के लिए रोकें और फिर बाहर निकाल दें. . . . इससे विचारों का आवेग भी दूर होगा और फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ेगी...
Cognitive behavioral therapy के बारे में जानना भी ज़रूरी है
कोगनीटिव बिहेवियर थरेपी या फिर सीबीटी, टॉक थेरेपी का एक सामान्य प्रकार है. आमतौर पर इसे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. इसमें मरीज की सोचने की क्षमता और तरीकों पर फोकस किया जाता है.
सीबीटी मानसिक परेशानियों को दूर करने के लिए एक ऐसी विधि है जिसमें आमतौर पर किसी मरीज की परेशानियों की वजहों को जानने के लिए उसके पहले के समय को देखने की कोशिश की जाती है. सीबीटी में कई तरह के उपकरण भी प्रयोग में लाए जाते हैं.
सीबीटी में नकारात्मक विचारों के पैटर्न पर कड़ी नजर रखी जाती है. यदि आप यह मान लेते हैं कि आपके लिए सबसे बुरा होगा तो इस सोंच का आपके काम पर भी असर पड़ने लगता है और यह सोच आपके रिजल्ट को भी प्रभावित कर सकती है. इस प्रोसेस में एक्सपर्ट आपसे कुछ सवाल पूछता है जिससे नकारात्मक पैटर्न की पहचान हो सके. जब आप एक बार उसकी पहचान कर लेतें हैं तो आप यह भी जान जाते हैं कि उन्हें कैसे कंट्रोल करना है.
सीबीटी का ही दूसरा तरीका गाइडेड डिस्कवरी भी है. गाइडेड डिस्कवरी में एक्सपर्ट मरीज के दृष्टिकोण से परिचित हो जाता है. इसके बाद मरीज के विश्वास को बढ़ाने के लिए तार्किक प्रश्न होते हैं. इस प्रक्रिया में मरीज को एक ही चीज को दूसरे दृष्टिकोण से देखना सिखाया जाता है, जिससे उपसे जो बातें परेशान कर रही हैं उससे उसका ध्यान हट सके.
एक्सपोजर थेरेपी (Exposure Therapy)
यह थेरेपी मरीज के डर को दूर करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है. इसमें शख्स को भय का सामना करना सिखाया जाता है, ताकि वह उन स्थिति को भली प्रकार से संभाल सके जिससे उसे डर लगता है. एक्सपर्ट धीरे-धीरे आपको उन चीजों से अवगत कराएगा जो भय या चिंता को भड़काती हैं. इसमें बुरी परिस्थितियों में आत्मविश्वास बनाए रखने के तरीकों से अवगत कराए जाते हैं.
एंग्जायटी और स्ट्रेस को कम करने के लिए 5-4-3-2-1 तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है
क्या कभी आपको ऐसा लगा है कि आपका सीना अचानक भारी हो गया हो? दिमाग में अनगिनत थॉट्स चल रहे हों? दिमाग काम ही ना कर रहा हो? ठंड में भी पसीना निकल रहा हो?
इसे एंग्जायटी कहा जाता है और आज के समय में ये काफी कॉमन हो चुका है. ज्यादातर लोगों को अपनी लाइफ में कभी ना कभी इस तरह की सिचुएशन का सामना करना पड़ता है. हमें पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर हम इतने दर्द में क्यों हैं? और हम इससे कैसे बाहर निकल सकते हैं?
जैसा कि हम लोगों ने previous section में समझा है कि सीबीटी की मदद से हम अपनी लाइफ को आसान बना सकते हैं और एंग्जायटी का सामना भी कर सकते हैं.
लेकिन कई बार ऐसा मौका आता है जब हमें क्विक फिक्स डील की ज़रूरत पड़ती है. उसके लिए हमारे पास 5-4-3-2-1 groundingtechnique है. जिसकी मदद से हम एंग्जायटी को दूर भगा सकते हैं.
इस तकनीक के उपयोग के लिए आपको अपने आस-पास की 5 चीज़ों को identify करना होगा. जैसे कि a lamp, painting, window frame, rug, और vase.
इसके बाद अपने physical sensations को पहचानने की कोशिश करिए.. इसके बाद सुनिए कि आपको कौन से तीन साउंड सुनाई दे रहे हैं? अब two smells को पहचानने की कोशिश करिए..फाइनली अब किसी एक चीज़ को टेस्ट करने का समय आ गया है. जो कुछ भी है आपके पास.. एक बिस्किट का टुकड़ा या एक कप चाय.. उसे टेस्ट करिए.. 5-4-3-2-1 technique की मदद से आप अपने दिमाग और थॉट्स को शांत कर सकते हैं और एंग्जायटी से बाहर भी आ सकते हैं.
कुल मिलाकर
अगर हम हर दिन या सप्ताह में 4 से 5 दिन भी योग करते हैं तो मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं. इससे शरीर में स्ट्रेस कम होता है. इसी तरह हर दिन या हफ्ते में 4-5 दिन 40 मिनट ब्रिस्क वॉक करें. इनके अलावा 10 मिनट की एक्सरसाइज भी जरूर करें...शरीर से पसीना जरूर निकालें.. जो भी निगेटिव थॉट्स आएं और जिनसे ओवरथिंकिंग का सिलसिला शुरू होने की स्थिति बने, कॉपी-पेन लें और उन्हें लिख लें... चाहें तो लिखने के साथ, उससे संबंधित कोई स्केच भी बना लें.. फिर उन्हें कचरे के डब्बे में बंद कर दें या फिर जला दें.. यह काम आपको सुकून देगा..
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Stop Overthinking by Nick Trenton
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