Million Dollar Habits

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Million Dollar Habits

Brian Tracy
Proven Power Practices to Double and Triple Your Income

दो लफ्ज़ों में 
साल 2017 में रिलीज़ हुई सुपरहिट बुक “Million Dollar Habits” आपके ब्रेन को सुपर पॉवर को जगाने का काम करती है. इस किताब में ऐसी टेकनीक्स को बताने का काम किया गया है. जिसके बारे में किसी को भी स्कूल में नहीं बताया गया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बुक में सीक्रेट ऑफ़ सक्सेस के बारे में बात की गई है. 

ये बुक समरी किसके लिए है? 
-ऐसा कोई भी जिसे ब्रेन की पॉवर जाननी हो 
-ऐसा कोई भी जिसे सफलता हासिल करनी हो 
-ऐसा कोई भी जिसे कुछ नया सीखना हो 
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स 
-सभी फीमेल्स के लिए 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब को Brian Tracy ने लिखा है. ये एक सफल बिजनेस कोच और शानदार घुमक्कड़ भी हैं. इन्होने 120 से ज्यादा देशों की यात्रा की है. इन्होने अपने सालों के अनुभव का सार शब्दों के माध्यम से इस किताब में उकेर दिया है. जिसका फायदा आप इस बुक समरी की मदद से उठा सकते हैं. आपको इस बुक समरी में ये भी जानने को मिलेगा 
-ब्रेन की पॉवर के बारे में बहुत कुछ 
-अपनी कमाई बढ़ाने के सूत्र
-लाइफ स्टाइल चेंज करने की टिप्स 
-लाइफ जर्नी को ख़ुशियों से भरने का तरीका 
-सफलता हासिल करने के लिए ज़रूरी टिप्ससफलता हासिल करने के लिए ख़ुद को री-प्रोग्राम करना बहुत ज़रूरी है
100 billion cells और सभी के नयूरोंस के साथ 20,000 connections.. ये बताता है कि इंसानी दिमाग कितनी कमाल की चीज़ है.
अब सवाल यही
 उठता है कि क्या हम अपने दिमाग को पूरी तरह से समझ पाए हैं? 

जब हम अपने दिमाग को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं तो हम उसकी मदद से सफलता कैसे हासिल कर पाएंगे? इसलिए लाइफ में सफल होने के लिए बहुत ज़रूरी है कि हमें अपने दिमाग की जर्नी के बारे में पूरी जानकारी हो. 

इन चैप्टर्स में Brian Tracy’s ने Million Dollar Habits के बारे में बात की है. जिसकी मदद से आप भी अपनी लाइफ को सफलता की मुकाम पर पहुंचा सकते हैं. तो फिर देर किस बात की? चलिए खुद के दिमाग को समझने के सफर की शुरुआत करते हैं. 

सबसे पहले आपको एक फैक्ट्स से रूबरू करवा दें कि इंसानी दिमाग़ को समझने के लिए दस साल तक चलने वाली एक अरब पाउंड (करीब 99 अरब रुपये) लागत की परियोजना पर काम शुरू हो गया है.दुनिया के 135 संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक इस परियोजना में भाग ले रहे हैं जिसका नाम है दि ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट (एचबीपी). इनमें से ज़्यादातर वैज्ञानिक यूरोपीय हैं.

ऑथर कहते हैं कि हमारा मस्तिष्क दरअसल चौबीसों घंटे काम करता रहता है. हमारे सोने के बाद भी इसका काम जारी रहता है. इस दौरान ये सुनता है और तनाव पैदा करने वाले सभी कारकों को मैनेज करता है ताकि आप सुरक्षित तरीके से अच्छी नींद ले सके.इस दौरान आपको पता नहीं चलता, फिर भी आपका दिमाग फैसले लेता है, समस्याओं के समाधान ढूंढता है और नई संभावनाओं के बारे में सोचता है.

हमारे शरीर में हमेशा 'ऑन' रहने वाला ये अंग कभी ब्रेक या छुट्टी नहीं लेता. लेकिन न्यूरोसाइंटिस्ट्स ये भी कहते हैं कि हमारे मस्तिष्क की भी एक सीमा होती है.नींद ऐसी ही एक प्रक्रिया है, जिसमें हमारा दिमाग भले ही काम कर रहा होता है, लेकिन इस दौरान वो खुद को दुरुस्त भी करता है. इसलिए नींद के साथ बोर होना भी हमारी सेहत के लिए जरूरी होता है.

इटली के लोग बोर होने की इस खूबी से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वहां तो एक कहावत भी है- कुछ नहीं करने का सुख. ये वहां के कल्चर का हिस्सा है, जिसके तहत लोग आराम करते हैं और कुछ नहीं करने वाली स्थिति का आनंद उठाते हैं.कुछ नहीं करने से मतलब झपकी लेना नहीं, बल्कि इसके मायने और भी गहरे हैं. इसका सही मतलब है ख़ुद को रोजमर्रा की आपाधापी से अलग करना, अपने अंदर झांकना, आराम करना और ये महसूस करना कि आप वर्तमान में जी रहे हैं.

अमेरिका के रेन्सलेयर पॉलिटेक्नीक इंस्टीट्यूट के कॉग्निटिव साइंसेज डिपार्टमेंट में बतौर रिसर्चर काम कर रहीं न्यूरोसाइंटिस्ट एलिसिया वॉफ कहती हैं-" कभी कभार खुद को बोर होने देना ब्रेन हेल्थ के लिए जरूरी है."

फोर्ब्स पब्लिकेशन को दिए अपने स्टेटमेंट में एलिसिया आगे बताती हैं "बोर होने से हमारे समाजिक संबंध बढ़ते हैं. इस बारे में कई सोशल न्यूरोसाइंटिस्ट की खोज ये साफ कर चुकी है कि हमारे ब्रेन की नेटवर्किंग तब सबसे ज्यादा सक्रिय होती है जब हम कुछ करना बंद कर देते हैं. बल्कि यूं कहे तो बोरियत में क्रिएटिव आइडिया पनप सकते हैं. ये अजन्मे विचारों के बेहतर आइडिया में बदलने का मुफ़ीद वक्त होता है."

ऑथर यहाँ सेल्फ कांसेप्ट की बात करते हुए कहते हैं कि हम सभी ने अपने subconscious में कुछ बिलीफ बना लिए हैं. इन बिलीफ सिस्टम में हमारे इमोशन्स और फीलिंग्स शामिल हैं. हम अपने एक्सपीरियंस की वजह से मान लेते हैं कि हम कौन सा काम कर सकते हैं? और कौन सा काम नहीं कर सकते हैं? इसका सीधा असर हमारी effectiveness और  performance पर भी पड़ता है. 

इसलिए अगर हमें लाइफ में बेहतर फैसले करना है? तो हमें खुद को री-प्रोग्राम करना होगा और अपने लिए बेहतर सेल्फ कांसेप्ट का निर्माण भी करना होगा. इसलिए खुद की नज़रों में एक ideal image बनाइए, जहाँ आपकी मुलाक़ात खुद के बेस्ट वर्ज़न से हो.. जिसके साथ आप बातें कर सकें और अपनी फीलिंग्स को भी शेयर कर सकें. 

ऑथर कहते हैं कि जितनी तगड़ी आपकी सेल्फ इमेज होगी.. उतनी ही बढ़िया आपकी लाइफ भी बनती जाएगी. आपकी सेल्फ इमेज को पता होना चाहिए कि आप कोई भी काम बड़ी आसानी से पूरा कर सकते हैं. आपके अंदर गज़ब की काबिलियत है. आपका दिमाग भी पूरी तरह से एक्टिव है. इन छोटी-छोटी बातों का आपकी लाइफ में बहुत गहरा असर होगा. इसलिए इन्हें नज़रंदाज़ करने की गलती मत करिएगा.

फिट और हेल्दी रहना बहुत ज़रूरी है
थोड़ी बात ब्रेन की और कर लेते हैं.. "बोरियत वाले लम्हें हमें भले ही बेकार, खाली और गैरज़रूरी लगते हैं, लेकिन इस दौरान हमारे दिमाग में तमाम रणनीतियां और समस्याओं के समाधान कुलबुला रहे होते हैं. इस दौरान हमारे काम नहीं करने से ब्रेन को भी आराम मिल जाता है. कई मशहूर लेखक ये दावा कर चुके हैं कि उनके दिमाग में कई क्रिएटिव आइडियाज़ तब आए जब वे नहाने, घास छीलने या घर के फर्नीचर इधर से उधर करने जैसे काम कर रहे थे. इस तरह के पल को 'इनसाइट' (अंतरदृष्टि) कहा जाता है."

इसलिए अगली बार आप बोर हो रहे हों.. तो परेशान नहीं होना है? क्योंकि बोरियत भी एक तरह की क्रिएटिविटी है. 

अब फिटनेस पर आते हैं.. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जो लोग फिट रहते हैं. उनकी जीने की इच्छा और उम्र में भी इज़ाफा देखा गया है. इसलिए सबसे पहले खुद को आर्डर दीजिए कि आपको फिट और हेल्दी रहना है. इसके लिए आपको सही वेट मेंटेन करके रखना होगा. 

अनुमान लगाइए कि आप दिन भर में कितने घंटे बैठे-बैठे गुजारते हैं?

हाल में किए गए एक सर्वे में पता चला है कि हम कंप्यूटर पर काम करते हुए या टीवी देखते हुए करीब 12 घंटे बैठे हुए बिता देते हैं.

यदि इसमें सोने के घंटों को भी मिला लें, तो हम 19 घंटे निष्क्रिय बिता देते हैं.कुछ अध्ययनों के अनुसार ज्यादा घंटे बैठने वाले लोग ज्यादा सक्रिय लोगों से दो साल कम जीते हैं. बल्कि यदि आपको रोज कसरत की भी आदत हो तो भी इससे खास फर्क नहीं पड़ता.

रिसर्चर्स ने जब 70 वर्ष के लोगों के दिमाग के सफेद हिस्से (दिमाग का वो हिस्सा जो पूरी खोपड़ी में किसी संदेश को पहुंचाने का काम करता है) का अध्ययन किया तो पाया कि जो लोग लगातार शारीरिक रूप से एक्टिव थे,  मतलब जो लोग रोज़ कुछ समय कसरत करते थे. उनके दिमाग को कम नुकसान हुआ था.. बजाय उनके जो लोग कम एक्टिव थे.

इसलिए लाइफ में बेहतर करने के लिए फिट और हेल्दी रहना बहुत ज़रूरी है.

अच्छे रिश्ते बनाने की कला भी आनी चाहिए
एक महान Greek philosopher हुए थे, जिनका नाम Aristotle था. उनका कहना था कि इंसान सिर्फ और सिर्फ social animals है. वहीं Sidney M.Jourard जो कि एक फेमस साइकोलॉजिस्ट रहे हैं. उनका मानना था कि इंसान की ख़ुशियों के पीछे 85 प्रतीशत के उसके रिश्तों का हाँथ होता है. मतलब जिस इंसान के रिश्ते बेहतर होते हैं, उसके जीवन में खुशियाँ भी ज्यादा होती हैं. 

इसलिए हमें समझना चाहिए कि अच्छे रिश्ते बनाना भी एक तरह की हैबिट है. और हमें इस हैबिट को अपने अंदर लाने की कोशिश करनी चाहिए. 

इसके लिए सबसे पहले अपने अंदर ‘acceptance’ क्वालिटी को लाने की कोशिश करिए. याद रखिए कि एक सिम्पल सी स्माइल भी बहुत बड़ा फर्क ला सकती है. अगली बार किसी से मुलाक़ात करिए तो चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कुराहट ज़रूर रखिएगा. 

दूसरी आदत बनाइए, वो ये कि हर उस चीज़ के लिए थैंकफुल रहिए, जो कि आपके पास है. याद रखिए कि लालच बुरी बला है. कभी भी किसी का फायदा उठाने की नियत से उससे दोस्ती मत करिए.. अपने आपको अच्छा बनाइए, फिर देखिएगा आपकी मुलाक़ात अच्छे लोगों से ही होगी. 

अब बात एक ऐसी हैबिट की होगी.. जिसकी मदद से आप अपने रिश्तों को काफी बेहतर कर पाएंगे. उस हैबिट का नाम ‘गुड लिसनर’ है. आपको एक अच्छा लिसनर बनने की कोशिश करनी चाहिए. आज के समय में ज्यादातर लोग सिर्फ और सिर्फ बोलना चाहते हैं. लेकिन अगर हर कोई केवल बोलता रहेगा तो उसे सुनेगा कौन? इसलिए खुद के अंदर सुनने की कला को पैदा करिए.. ऐसा करने से आपके रिश्ते पहले से काफी बेहतर हो जाएंगे. 

ज़िन्दगी की खुशियों की नींव ही रिश्तों में टिकी हुई है. इसलिए अच्छे और ख़ास रिश्तों को कहीं दूर मत जाने दीजिए. 

इसी के हमें याद रखना चाहिए कि किसी भी रिश्ते को बनाने से ज्यादा मुश्किल होता है रिश्ते को निभाना और रिश्ता निभाने के लिए बहुत सी चीजें जरूरी होती है. दरअसल, रिश्ते में केवल भरपूर प्यार होने से सबकुछ नहीं हो जाता क्योंकि जैसे ही दो लोग एक होते हैं कई चीजों में बदलाव होने लगता है. ऐसे में रिश्ते को संभालकर आगे बढ़ने में ही दोनों की भलाई मानी जाती है. 

रिश्ते में सबसे ज्यादा जरूरी बात होती है सोच विचार. जब आप मुद्दों को साइड में रखकर पहले आपके पार्टनर की बातों को सुनते हैं और उन पर गौर करते हैं और अपने आप में बदलाव लाते हैं तो आपका रिश्ता मजबूत होता जाता है. जब आप बातों को नजरअंदाज करके अपने पार्टनर को हद से ज्यादा प्यार देते है और उनकी चीजों को पहले सुनते है तो हैं यकीन मानिए हर दिन प्यार बढ़ता है.

बात करना किसी भी रिश्ते में पड़ी दरार को खत्म कर सकता है. कई बार ऐसा होता होगा कि आपके मन में कोई बात है जो आपको परेशान किए जा रही है लेकिन आप अपने पार्टनर को उस बारे में भनक भी नहीं लगने देते हैं. ऐसे में बात सुलझने की बजाय और बिगड़ती चली जाती है. इसलिए अपनी बातें हमेशा एक दूसरे के साथ शेयर जरूर करें. इससे दोनों के बीच किसी तरह की गलतफहमी भी नहीं पैदा होगी.

सही और सटीक काम का चुनाव करिए
ज़िन्दगी में ख़ुशियाँ लाने के कई रास्ते होते हैं. उनमे से एक सबसे बड़ा रास्ता आपका काम होता है. इसलिए हमेशा काम का चुनाव काफी ध्यान से करना चाहिए. इसलिए कहा जाता है कि जिससे प्यार हो उस काम का चुनाव करिए, या फिर जो काम कर रहे हों, उसी से मोहब्बत कर लीजिए. 

इस सिम्पल सी हैबिट को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाकर कोई भी खुशियों को फील कर सकता है. इसलिए जल्दबाजी में कोई भी काम करने की शुरुआत मत कर दीजिए. वही काम करिए जिससे आपको प्यार हो. 

लाइफ में काम के लिए अवसरों की कमी नहीं है. आपके पास इतनी ज्यादा opportunities हैं, जितना आप सोच भी नहीं सकते हैं. इसलिए ये बहाना बनाना बंद करिए कि opportunities की ही कमी है. कमी केवल एक चीज़ की है, वो है आपके अंदर सही काम करने की नियत की.. आपके अंदर अपने गोल के लिए मेहनत करने की हिम्मत नहीं है. आपको पता है कि आपका गोल काफी ऊंचे स्तर का है. उसे अचीव करने में काफी स्ट्रगल लगेगा.. इसलिए कोई भी आसान सा काम चुन लेते हैं. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि ये आसान सा काम ही आगे चलकर आपके दुखों का कारण बनेगा. क्योंकि आसान चीज़ कभी भी वो सफलता नहीं दे सकती है? जिसके आगे दुनिया नतमस्तक हो जाए. 

“अगर सिकन्दर बनना है तो दुनिया को जीतने के लिए घर से तो निकलना ही पड़ेगा..” बिना घर से निकले ना ही कोई चाणक्य बन सकता है और ना ही कोई सिकन्दर. 

अगर आप सोचेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि आप जो भी करते हैं उन में से 90% चीजे कुछ और नही बल्कि आप की हैबिट्स होती हैं ऐसी हैबिट जो ऑटोपाइलेट पर चलती रहती हैं ओर जिन पर आपका शायद ध्यान भी नहीं जाता.. कोई भी हैबिट टूटने में या बनने में काफी टाइम ले लेती है तो इसके लिए हमारे अंदर पेरसिस्टेंस की खूबी होना काफी इम्पॉर्टेन्ट हैं ,क्योंकि तभी आप अपनी बेकार से बेकार हैबिट को अच्छी हैबिट में कन्वर्ट कर सकते हैं.

आपको financially independent बनने की ज़रूरत है
इस चैप्टर की शुरुआत अंग्रेज़ी के एक कोट से होगी.. आपने भी सुना होगा कि “If you take care of the pennies, the dollars will take care of themselves?”  ये बात जब कही गई थी, तब जितनी सच थी, आज भी उतनी ही प्रखर है. इसलिए पैसों के खेल को समझना बहुत ज़रूरी है. जी हाँ, ख़ुशियों के लिए भी पैसों का होना बहुत ज़रूरी है. 

जो लोग ये कहते हैं कि पैसे तो हांथों का मैल है? उनसे कहिएगा कि आपके लिए ये मैल अमूल्य है. क्योंकि खराब वक्त आने पर कोई भी ये मैल देने के लिए तैयार नहीं होता है. जब आपको हॉस्पिटल जाना पड़ेगा तो वहां बिल चुकाने के लिए पैसों की ही ज़रूरत पड़ेगी. इसलिए आज से ही अपने पैसों का ख्याल रखना शुरू कर दीजिए. 

अगर आप भी millionaire बनना चाहते हैं? तो आपको भी millionaire की तरह सोचना सीखना होगा? इसलिए सेविंग और इन्वेस्टिंग के नियमों को सीखने की कोशिश शुरू कर दीजिए. 

बचत करना पैसे की सबसे अच्छी आदतों में से एक है. बच्चे जब छोटे हों, तभी से आप इस आदत को डेवलप करें. उन्हें हर महीने एक अलाउंस दें और उन्हें इसका इस्तेमाल छोटी-छोटी चीजें खरीदने के लिए करने दें. अगर आपका बच्चा अपने बजट से कुछ चाहता है, तो उसे बचत के बारे में सिखाएं. आप उन्हें बता सकते हैं कि वे कुछ ऐसी छोटी चीजें खरीदने से बचें जिनकी उन्हें जरूरत नहीं है और वे जिस चीज को खरीद नहीं कर सकते उसे पाने के लिए अपने अगले अलाउंस की प्रतीक्षा करें. इस तरह बच्चों के अंदर सेविंग्स की हैबिट डेवलप होगी. 

जीवन में फाइनेंशियल प्लानिंग कितनी जरूरी है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आपके ही ऑफिस में एक ही वेतन पर काम करने वाले दो लोंगे की लाइफ स्टाइल में जमीन आसमान का अंतर हो सकता है. 

अपनी सैलरी को खर्च करने से पहले आपको दो चीजों पर गौर करना चाहिए. बचत और निवेश. बचत का गोल्डन रूल यह है कि पहले बचत करें और फिर खर्च करें. पहले खर्च करने और बचे हुए पैसे को बचत में डालने की रणनीति सही नहीं है. इसलिए, पहले सैलरी का एक हिस्सा बचत के तौर पर अलग रख दें और फिर बचे हुए पैसे को खर्च करें.

आप जितनी जल्दी निवेश की शुरुआत करेंगे, वित्तीय तौर पर उतने ही मजबूत होते जाएंगे. जल्दी निवेश से आपको कंपाउंडिंग की ताकत मिल जाती है . यानी आपका पैसा एक लंबी अवधि में काफी बढ़ जाता है क्योंकि आपके निवेश के ब्याज पर ब्याज मिलता है. आइंस्टीन ने कहा था कि कंपाउंड इंटरेस्ट दुनिया का आठवां आश्चर्य है. इसलिए एक छोटी सी बचत भी कंपाउंडिंग की ताकत से लंबी अवधि में बड़ी रकम बन जाती है.

ऑथर सलाह देते हैं कि millionaires की एक और अच्छी आदत होती है? उसे आपको सीखने की ज़रूरत है. वो आदत ये है कि वो कभी भी अपनी सेविंग्स से जुआं नहीं खेलते हैं. मतलब साफ़ है कि अगर ज्ञान ना हो तो शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए.. बिना एडवाइजर के मार्केट में दांव नहीं लगाना चाहिए. पहले अपने आपको उस काबिल बनाइए कि आप मार्केट की बारीकियों को समझते हों.. जब आप उस काबिल बन जाएँ.. तब ही अपनी सेविंग्स को कहीं ट्रेड में लगाएं. 

कोई भी millionaires रातों रात नहीं बनता है. ये एक पूरी प्रोसेस है और हमें इस प्रोसेस का हिस्सा बनना होगा. एक टिप है, उसे आपको याद रखना चाहिए ...  “Investigate before you invest...”

अगर आपको millionaire बनना है तो पहले savvy habits asmillionaires डेवलप करने की शुरुआत करिए. और याद रखिएगा कि हर शुरुआत छोटी ही होती है.

कुल मिलाकर
अगर आपको खुश रहना है तो अपने रिश्तों को अच्छा करिए, फिट और हेल्दी रहिए और जो करिए उसी से प्रेम करिए..क्या आपकी यह पहली जॉब है? अगर हां, तो पहली जॉब की पहली सैलरी के साथ ही फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होने का अहसास आपको बखूबी हुआ होगा. लेकिन इस खुशी के साथ एक जिम्मेदारी भी आती है और वह है खुद को आगे भी वित्तीय तौर पर आजाद बनाए रखने का. यह आपके पर्सनल फाइनेंस और भविष्य की खुशियों से जुड़ी है. लेकिन बहुत से युवा पहली जॉब से ही बचत और निवेश के महत्व को नहीं समझ पाते. आपको ये गलती नहीं करनी है. कभी भी पैसों को हल्के में नहीं लेना है. क्योंकि अगर पैसा नहीं रहेगा तो अच्छे से अच्छा प्यार भी साथ छोड़कर चला जाएगा. ये बात सुनने में अच्छी नहीं लगती लेकिन सच है. 

 

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