Samantha Boardman
किस तरह से इंसान स्ट्रेस को हैंडल कर सकता और खुल के जीना सीख सकता है।
दो लफ्जों में
2021 में आई ये बुक हमें बताती है कि हम अपनी लाइफ में रोजाना आने वाली स्ट्रेस का सामना कैसे करें। जो इंसान अपनी लाइफ में खुद को स्ट्रांग और पॉजिटिव बनाते हैं वो किसी भी तरह की सिचुएशन को संभाल सकते हैं। इंटेंशन, पर्पज और कनेक्शन स्थापित करके जो लोग अपनी स्ट्रेस को स्ट्रेंथ में कन्वर्ट करते हैं वो लोग बेस्ट होते हैं।
ये बुक किसके लिए है?
- ये बुक उन व्यक्तियों के लिए है जो अपनी रोजाना के स्ट्रेस से बचना चाहते हैं।
- ये बुक उन व्यक्तियों के लिए भी है जो अपनी लाइफ की क्वालिटी को इम्प्रूव करना चाहते हैं।
- ये बुक उन लोगों के लिए भी है जोकि जीवन में शांति की तलाश कर रहे हैं।
लेखिका के बारे में
Samantha Boardman एक साइकैट्रिस्ट हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी में अपनी ट्रेनिंग कम्प्लीट की है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया से उन्होंने अप्लाइड पॉजिटिव साइकोलॉजी में मास्टर्स डिग्री हांसिल की है। आजकल वो पॉजिटिव साइकोलॉजी की प्रैक्टिस करती हैं।
कुछ लोग स्ट्रेस को अच्छे से हैंडल कर लेते हैं और कुछ लोग नहीं कर पाते क्योंकि दोनों तरह के लोग जीवन को अलग अलग तरह से कल्टीवेट करते हैं।
आम तौर पर हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसकी लाइफ आसान रहे और उसे किसी तरह की प्रॉब्लम का सामना न करना पड़े। लेकिन सच तो ये है कि ऐसा कोई भी दिन नहीं होता जब किसी इंसान के जीवन में किसी तरह की प्रॉब्लम या फिर कहें स्ट्रेस न हो। स्ट्रेस से दूर भागने से अच्छा है कि हम सब उसका डटकर सामना करें। अगर आप अपनी लाइफ में वाईटैलिटी कल्टीवेट करते हैं यानी कि खुद को स्ट्रांग और पॉजिटिव बनाने की कोशिश करते हैं तो आपको अपनी लाइफ में मौजूद स्ट्रेस को हैंडल करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। इस समरी में हम जानेंगे कि ये हम कैसे कर सकते हैं। इस समरी में आप जानेंगे कि टीम स्पोर्ट खेलने से इंसान की उम्र लंबी क्यों हो जाती है? आखिर कैसे अपने करीबी इंसान के रहते किसी भी तरह से दुख दर्द को फेस करना थोड़ा आसान हो जाता है? और किस सिचुएशन में हमें दूसरी पर्सनालिटी को चैनल करना चाहिए?
तो चलिए शुरू करते हैं!
सोचिये कि आप का ये हफ्ता बहुत बुरा बीत रहा है। शायद आपने किसी अपने करीबी को खो दिया है या फिर आपके परिवार में किसी को बहुत खतरनाक बीमारी हो गयी है। ऐसे में आप टेंशन में आके अपने सारे प्लान कैंसिल कर देंगे और उसी टेंशन को दूर करने के लिए शायद आप नशे का सहारा भी लें या फिर दिन रात बिना कुछ किये टीवी के सामने बैठे रहें।
लेकिन हम आपको एक चीज बिल्कुल साफ बता दें कि ये सब चीजें आपके स्ट्रेस को दूर करने में बिल्कुल हेल्प नहीं करेंगी। हो सकता है ये सब करने की वजह से आपको नुकसान भी उठाना पड़े। तो आखिर आप कैसे ऐसी सिचुएशन के साथ डील कर सकते हैं।
जरा एक बार आपने आसपास के लोगों पर नजर डालिए और जानने की कोशिश करिये कि ऐसा कौन सा व्यक्ति है जोकि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी खुद को स्टेबल रख पा रहा है और कौन ऐसा है जोकि परेशानी वाली सिचुएशन में और ज्यादा परेशान हो जाता है।
प्रोफेसर डेविड अलमिडा ऐसे लोगों के ग्रुप को टेफ़लोन और वेल्क्रो के नाम से रेफर करते हैं। वेल्क्रो वो लोग होते हैं जो डिफिकल्ट सिचुएशन में ये समझ नहीं पाते कि उनको सिचुएशन को कैसे हैंडल करना है। वो ऐसी चीजें करने लग जाते हैं जिससे उनको और ज्यादा नुकसान होता है। न सिर्फ इमोशनल तौर पर बल्कि ये लोग फिजिकल तौर पर भी खुद को कमजोर कर लेते हैं।
टेफ़लोन ग्रुप में वो लोग आते हैं जो स्ट्रेस को सही तरह से हैंडल करना जानते हैं। कठिन परिस्थितियों में ऐसे लोग न सिर्फ खुद को संभालते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर दूसरों को भी सम्भाल लेते हैं।
दोनों तरह के लोगों में डिफरेंस इतना होता है कि टेफ़लोन ग्रुप के लोग खुद को दूसरी चीजों में इन्वॉल्व रखते हैं। ऐसी चीजें जो उनको स्ट्रांग बनाती हैं। अगर आप खुद को एक्टिव और स्ट्रांग बनाना चाहते हैं तो इस बात का इंतजार मत करिए कि कभी आपके साथ ऐसी कोई घटना होगी जोकि आपको अंदर से मजबूत बना देगी। छोटी छोटी चीजों से आप प्रेरणा ले सकते हैं।
मुहम्मद अली ने एक बार कहा था कि कभी कभी आपके जूते में फंसा हुआ छोटा सा पत्थर आपको परेशान करता है नाकि उस पहाड़ की ऊंचाई जिसपर आप चढ़ाई कर रहे हैं। रोजाना जीवन में आने वाली परेशानियों से लड़ते रहना स्ट्रांग से स्ट्रांग व्यक्ति के लिए मुश्किल हो सकता है।
तो आपको क्या लगता है कि वो कौन से लोग है जो अपनी लाइफ के स्ट्रेस को सही तरह से हैंडल कर पाते हैं? वो लोग जो जीवन में एक्टिव और स्ट्रांग रहते हैं उनके अंदर तीन मेन क्वालिटी होती है ऑटोनोमी, कॉम्पीटेंस और रिलेटेडनेस। ऐसे लोग प्रोएक्टिव होते हैं और प्लान्स के एकॉर्डिंग काम करते हैं। दूसरों के साथ काम करके ऐसे लोग खुद को और मजबूत बनाते हैं।
लाइफ में खुद को स्ट्रांग और एक्टिवेट करने का मतलब ये नहीं कि आप अपने स्ट्रेस को एलिमिनेट कर रहे हैं बल्कि उसका मतलब होता है कि आप अपने स्ट्रेस को समझदारी के साथ हैंडल कर रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड के रिसर्चर्स ने एक बार चूहों के ऊपर एक रिसर्च की। उन्होंने चूहों के दो ग्रुप बनाये। एक ग्रुप के सामने उन्होंने आसानी से खाने की चीज पेश की और दूसरे ग्रुप के लिए उन्होंने खाने की चीज को उनके सामने से थोड़ा छुपा दिया जिससे कि उनको उसे ढूढने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़े।
कुछ हफ़्तों के बाद रिसर्चर्स ने दोनों ही ग्रुप के चूहों के सामने खाने की चीज रखी लेकिन उस चीज को उन्होंने एक प्लास्टिक बॉल के अंदर पैक कर दिया जिससे कि उसे हांसिल करने के लिए चूहों को थोड़ी मेहनत करनी पड़े। बाद में रिसर्चर्स को ये देखने को मिला कि शुरुआत में उन्होंने जिस ग्रुप को आसानी से खाने की चीज दे दी थी उन्होंने खाने तक पहुंचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं की जबकि जिस ग्रुप को शुरू में खाने के लिए मेहनत करनी पड़ी थी उन्होंने जबतक प्लास्टिक बॉल में से खाना हांसिल नहीं किया तबतक वो झूझते रहे। इससे हमें ये जानने को मिला कि हम अपनी लाइफ की परेशानियां या फिर कहें स्ट्रेस को एलिमिनेट नहीं कर सकते। हार्ड वर्क करके हम उनको अच्छे से हैंडल जरूर कर सकते हैं। कभी कभी ऐसा होता है कि खराब टाइम में हम चुपचाप बैठ जाते हैं और चीजों के बदलने का इंतजार करने लगते हैं जबकि हमें करना ये चाहिए कि हम उस परिस्थिति में खुद को संभालें और बेटर परफॉर्म करें। बहुत सी रिसर्च के बाद ये सामने आया है कि लोगों के सामने जब कोई चैलेंजिंग काम होता है तो वो उसे एन्जॉय करते हैं। और तो और किसी गोल को अचीव करने के बाद जितना मोटिवेट इंसान फील करता है उतना ही मोटिवेशन उसको उस गोल तक पहुंचने की जर्नी में भी फील करना चाहिए। आइये 1950 के दशक से एग्जाम्पल की बात करते हैं। उस टाइम हाउस वाइफ को अट्रैक्ट करने के लिए जनरल मिल्स ने केक मिक्स तैयार किया। उन्होंने केक बनने के सारे इंग्रीडिएंट्स को पाउडर फॉर्म में बनाया। लोगों को बस इतना करना था कि उन्हें वो सारे इंग्रीडिएंट्स को मिला कर मिक्स करके उसे ओवन में डालना था और केक खुद ही रेडी हो जाता। इस काम में 0 एफर्ट लग रहा था।
मिल्स को लगा था कि इससे वो हाउस वाइफ का काम आसान कर देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। केक बनाना इतना ज्यादा आसान हो गया था कि बनाने वाले लग रहा था कि वो चीटिंग कर रहा है। पहले केक बनाने के बाद जिस तरह से कुछ अचीवमेंट की फीलिंग आती थी वो अब कहीं गायब सी हो गयी थी। जनरल मिल्स ने अपनी इस स्ट्रैटेजी में कुछ बदलाव किए और उस पाउडर के साथ अंडे को मिक्स करने का ऑप्शन अलग से ऐड किया। ऐसा करने के बाद उनको जबरदस्त सक्सेस मिली।
अगर बिना स्ट्रगल के आप कुछ अचीव करते हैं तो उसमें आपको वो सैटिस्फैक्शन वाली फील नहीं आती है। इसलिए जरूरी है कि आप लाइफ में वाईटैलिटी यानी कि स्ट्रांगनेस और ठहराव लेकर आएं।
आप अपने आप कभी स्ट्रांग नहीं बन सकते, स्ट्रांग बनने के लिए आपको खुद आगे आना होगा और कोशिश करनी होगी।
टफ सिचुएशन से डील करने के लिए एक ट्रिक है और वो ये कि डोंट बी योरसेल्फ। आप सोच रहे होंगे ये कैसी ट्रिक है कि परेशानी सामने आते ही हम खुद को बदल दें। लाइफ में हर कोई आपको यही सलाह देता है कि अपने आप को बदलना नहीं है और हम कह रहे हैं कि आप अपने आप को बदल दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कभी कभी परेशानी वाली परिस्थितियों में आप अपनी ओरिजिनल पर्सनालिटी से दूर हो जाते हैं।
आपने नोटिस किया होगा कि कुछ लोग जब पब्लिक के सामने कुछ प्रेजेंट करने जा रहे होते हैं तो वो काफी स्ट्रेस में होते हैं और इसी वजह से काफी गलतियां कर जाते हैं। लेकिन अगर आप कॉन्फिडेंस लेकर बाहर जाएंगे तो शायद आप एक अच्छी परफॉर्मेंस दे पाएं। आपको बस अपने मन मे ये डिसाइड करना है कि आप अच्छा परफॉर्म करेंगे।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप पहले से ही एक प्लान बना लेते हैं और फिर आपकी पर्सनालिटी उसी प्लान के एकॉर्डिंग काम करती है।
आइये एक एग्जमापल से समझते हैं। मान लीजिए आप एक क्रिकेट मैच खेल रहे हैं और उस मैच में आपकी टीम परेशानी में है और अब सारी जिम्मेदारी आपके ऊपर है। तो ऐसे में आपके अंदर स्ट्रेस जरूर पैदा हो जाएगा। इसलिए ऐसी सिचुएशन में आपको एक बड़े क्रिकेटर की तरह सोचना है। आप अगर चाहे तो अपने अंदर सचिन तेंदुलकर की पर्सनालिटी को चैनल कर सकते हैं और फिर उनके रिकॉर्डिंग सोच सकते हैं। अगर आप सचिन कि पर्सनालिटी चैनल करेंगे तो आप उनकी तरह प्रेसर हैंडल कर पाने में कुछ हद तक सफल होंगे। ऐसा करते टाइम आपको माइंड में एक बात बिल्कुल क्लियर रखनी है कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता। सचिन तेंदुलकर भी हर बार प्रेसर सिचुएशन में अच्छा परफॉर्म नहीं करते थे। ये ठीक है कि आप किसी को फॉलो कर रहे हैं लेकिन आपको उनकी पर्सनालिटी में इतना इन्वॉल्व नहीं होना है कि छोटी छोटी चीजें आपको हर्ट करें।
अपनी लाइफ में पॉजिटिव देखना शुरू करिये चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा। एग्जाम्पल के लिए अगर कोई आपके लिए गेट खोलता है या कोई छोटा बच्चा आपके साथ खेलने की कोशिश करता है। ऐसी सिचुएशन में परेशान होने की बजाय पॉजिटिव नजरिये से देखिए। पॉजिटिव सोचने से आपके अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी जनरेट होती है। आइये अब जानते हैं कि अपनी लर्निंग प्रोसेस में हम दूसरों को कैसे इन्वॉल्व करना है।
दूसरों के साथ अच्छा कनेक्शन बनाने से आपके लाइफ में पॉजिटिविटी आती है और आप स्ट्रांग बनते हैं।
रिसर्च में ये सामने आया है कि जो लोग पहाड़ पर चढ़ाई करने जाते हैं उन्हें अकेले जाने में असहजता महसूस होती है और अगर वही लोग अपने किसी दोस्त या किसी सेम इंट्रेस्ट वाले व्यक्ति के साथ जाते हैं तो उनके लिए पहाड़ चढ़ना बहुत आसान हो जाता है। इसी तरह से अगर कोई व्यक्ति किसी पब्लिक प्लेस पर प्रेजेंटेशन देने जाते हैं तो अगर उसे पहले कोई हग करता है तो उसके लिए चीजें आसान हो जाती हैं।
एक और स्टडी में ये सामने आया है कि करंट लगते टाइम अगर मैरिड कपल एक दूसरे का हांथ थामे रहते हैं तो उन्हें कम दर्द का एहसास होता है।
इतनी चीजों से आपको ये तो समझ आ गया होगा कि अगर कोई आपका करीबी या आपसे प्यार करने वाला इंसान आपके साथ होता है तो आपको हर तरह की कठिन सिचुएशन में सम्भलना ख़ुद आ जाता है।
लेकिन आजकल आलम कुछ ऐसा है कि लोग इतने ज्यादा बिजी हो गए हैं कि दूसरों के साथ कनेक्शन बनाना उनके लिए मुश्किल हो गया है। और शायद इसलिए लोगों की लाइफ में स्ट्रेस बढ़ता जा रहा है।
बेटर कन्वर्सेशन से लोग खुश होते हैं। रियल कन्वर्सेशन वो होती है जिसमें इन्फॉर्मेशन का आदान प्रदान हो नाकि रैंडम टॉक। कभी भी किसी कन्वर्सेशन के दौरान सिर्फ खुद के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। सामने वाले व्यक्ति से हमेशा सवाल करिये और जितना ज्यादा हो सके उतने लोगों को अपनी कन्वर्सेशन में इंक्लूड करिये। कन्वर्सेशन के दौरान सामने वाले व्यक्ति को नोटिस करिये और उसको ध्यान से सुनिए। और सबसे जरूरी चीज कन्वर्सेशन के दौरान अपने फोन को खुद से दूर रखिये।
रोमांटिक रिलेशनशिप और मैरिज लाइफ के लिए इफेक्टिव कन्वर्सेशन बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है। कभी भी जब आप रात में काम से घर आने के बाद अपनी फैमिली के साथ डिनर कर रहे हों तो उससे पहले से खुद को शांत कर लें जिससे कि आपकी फ्रस्ट्रेशन आपके फैमिली टाइम को न खराब कर दे। जब भी आपका पार्टनर आपसे कुछ बात करे तो उसे इग्नोर किये बिना उसकी बात को ध्यान से सुनें और उसकी बात का अच्छा और पॉजिटिव जवाब दें। इससे आपके पार्टनर को आप पर प्यार आएगा।
जब भी कोई प्यारी कन्वर्सेशन किसी एक्शन में बदल जाती है तो उससे इंसान को और भी ज्यादा स्ट्रेंथ मिलती है। इससे इंसान को एक इनविजिबल सपोर्ट मिलता है और उसका आने वाला दिन अच्छा हो जाता है। अगर आप ऐसे छोटे छोटे स्टेप्स लेते हैं तो आप किसी इंसान के स्ट्रेस को कम करने में उसकी हेल्प कर सकते हैं।
आप खुद को चैलेंज करके भी स्ट्रांग और पॉजिटिव बन सकते हैं।
आइये सबसे पहले एक इंट्रेस्टिंग फैक्ट सुनिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि जो साइंटिस्ट नोबेल पुरस्कार जीतते हैं उनके अंदर कुछ न कुछ हॉबी जरूर होती है जबकि नार्मल साइंटिस्ट में इसके चांस कम होते हैं। आपको लगता होगा कि नोबेल पुरस्कार जीतने वाले साइंटिस्ट अपने काम में इतने ज्यादा बिजी रहते होंगे कि लाइफ में उनके पास कुछ और करने या सोचने के लिए टाइम ही नहीं रहता होगा। लेकिन हम आपको एक बात क्लियर कर दें कि दुनिया में जितने भी सक्सेसफुल लोग हैं वो अपनी मनपसंद चीज करने के लिए कहीं न कहीं से टाइम निकाल ही लेते हैं।
सबसे पहले आप खुद से सवाल करिये। जरूरी नहीं कि आप हर समय खुश ही रहें। कभी कभी जीवन में थोड़ा दुख होना भी अच्छा ही होता है। अपने आप को कभी कभी डिसअपॉइंटमेंट फील जरूर करवाएं। आपको जो भी चीज परेशान कर रही है उसको नोट डाउन करिये और फिर उसके बारे में सही तरह से सोचने की कोशिश करिये। आप खुद को ये सिखाइये कि जीवन में स्ट्रेस आता जाता रहेगा, आपको बस उसके साथ जीना आना चाहिए।
इसके बाद आप खुद को चैलेंज करिये और कुछ अलग और इंट्रेस्टिंग करने का ट्राई करिये। कुछ ऐसा जिससे आपकी नॉलेज इनक्रीज हो। टीवी देखना और सोशल मीडिया पर टाइम बिताने से कुछ नहीं होगा। आपको कुछ अलग करना होगा।
कभी कभी आपने नोटिस किया होगा कि आप जब अपनी मनपसंद चीज कर रहे होते हैं तो अचानक से एक मूमेंट ऐसा आता है कि आप अपने ही थॉट्स में खो से जाते हैं। जैसे राइटिंग करते वक्त या कोई गाना सुनते वक्त। ये दुनिया की सबसे खास फीलिंग होती है। और आपको ऐसी एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए जोकि आपको इस तरह की फील दें।
हर दिन खुद को और हेल्थी बनाने का चैलेंज एक्सेप्ट करिये। 7 से 8 घण्टे की नींद जरूर लीजिये। अगर आप इससे कम सोएंगे तो आप क्लियर तरीके से सोच नहीं पाएंगे और एनरजेटिक फील नहीं करेंगे। नींद को भी उतनी ही इम्पोर्टेन्स दीजिए जितनी कि आप एक मीटिंग को देते हैं। सोने से पहले अपने फ़ोन को साइलेंट जरूर करें।
एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है। अगर आप हफ्ते में तीन दिन भी 30 30 मिनट वाक करते हैं तो इससे आपकी लाइफ में स्ट्रेस काफी कम हो जाएगा। बिना एक्सरसाइज के लाइफ में डिप्रेशन के चांस बढ़ जाते हैं।
इसी तरह से अगर आप छोटी छोटी चीजों पर ध्यान देंगे और खुद को हर रोज बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे तो आपको लाइफ में बहुत ज्यादा पॉजिटिव चेंजेस देखने को मिलेंगे।
लाइफ में अगर आपको स्ट्रांग और पॉजिटिव बनना है तो कॉन्टेक्स्ट बहुत ज्यादा मायने रखता है।
कुछ टाइम पहले एक स्टडी की गई कि इंटेंशन और बिना इंटेंशन के किसी इंसान को दर्द देने से उसपे क्या अफ़ेक्ट होता है। इसके लिए कुछ लोगों को तीन अलग अलग ग्रुप में डिवाइड किया गया। हर ग्रुप के लोगों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया। पहले ग्रुप से कहा गया कि उनको गलती से इलेक्ट्रिक शॉक लग गया जबकि दूसरे ग्रुप से कहा गया कि उनके पार्टनर्स ने उनको जान बूझकर इलेक्ट्रिक शॉक दिया। और लास्ट वाले ग्रुप से कहा गया कि उनको इलेक्ट्रिक शॉक इसलिए दिया गया क्योंकि ये एक लॉटरी जीतने के लिए जरूरी था।
और बाद में जब पूछा गया तो तीसरे ग्रुप के लोगों का जवाब था कि उनको सबसे कम दर्द महसूस हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि जब किसी को पता होता है कि दर्द सहने के बाद उसको बड़ा रिवॉर्ड मिलेगा तो अपने आप ही उस दर्द का एहसास उसको कम होने लगता है।
हम सभी एक ऐसी सोसाइटी में रहते हैं जहां हमको ये समझाया जाता है कि किसी की भी हेल्प करने से पहले एक बार सोच जरूर लेना। लेकिन अगर इंसान सिर्फ खुद पर फोकस करता रह जाएगा तो वो इस दुनिया में एक टाइम के बाद काफी अकेला फील करने लगेगा।
एक रिसर्च में जब लोगों को कहा गया कि वो दूसरों की जाकर हेल्प करें और उनको सपोर्ट करें तो जब उन्होंने ऐसा किया तो उनके अंदर एक पॉजिटिव फीलिंग डेवलप हुई और वो फीलिंग उनके अंदर काफी टाइम तक रही। और जिन लोगों ने दूसरों को छोड़कर अपने लिए कुछ किया उनके अंदर ऐसी कोई फीलिंग नहीं आयी।
कुछ भी करने से पहले ये जरूर जानिए कि वो आपके लिए कितना जरूरी है। मान लीजिए कि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है। ऐसी सिचुएशन में अगर आप सिर्फ ये सोचेंगे कि अगर आप तली हुई चीज न खाने से शायद आपका कोलेस्ट्रॉल कम हो जाए तो इससे शायद आपके खाने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर आप अपने आने वाली जनरेशन के बारे में सोचेंगे या अपने बच्चों के बारे में सोचेंगे तो शायद आपको इस बात का एहसास होगा कि हेल्थी डाइट कितनी ज्यादा जरूरी है।
आजकल दुनिया में इतनी ज्यादा नेगेटिविटी है कि कोई भी इंसान आसानी से उनकी चपेट में आ सकता है। अगर आपको स्ट्रांग और पॉजिटिव इंसान बनना है तो जरूरी है कि आप अपनी लाइफ को अलग नजरिये से देखें।
एक ऐसा इंसान बनने की कोशिश करिये जोकि दूसरों के साथ पॉजिटिव चीजें शेयर करता हो और उन्हें मोटिवेट करता हो। कोई भी इंसान जन्म से स्ट्रांग नहीं होता उसको ये क्वालिटी अपने अंदर डेवलप करनी पड़ती है।
कुल मिलाकर
आज के टाइम में स्ट्रेस इंसान के जीवन का हिस्सा बन चुका है। उसको अवॉइड करने से अच्छा है कि आप स्ट्रेस को बेटर तरीके से हैंडल करने से सीखें। लोगों से बात करके, उनको मोटिवेट करके और नए नए चैलेंज को अपनाकर आप स्ट्रेस को सही तरह से हैंडल करना सीख सकते हैं। अगर आप खुद को स्ट्रांग और पॉजिटिव बनाते हैं तो उसमें आपका फायदा ही फायदा है। आप जितने ज्यादा पॉजिटिव रहेंगे, उतना ही ज्यादा लोग आपसे इंफ्लुएंस होंगे। तो अगली बार जब आपके सामने कोई प्रॉब्लम आये तो इस समरी में बताए गए तरीकों को फॉलो करके उसको सही तरह से हैंडल करें।
क्या करें
जब भी आपके सामने कोई ऐसा इंसान आये जोकि किसी डिफिकल्ट सिचुएशन में फंसा हो तो उसको ये न बताएं कि उस सिचुएशन से वो बाहर कैसे आ सकता है। उल्टा उनसे पूछिये कि अगर उनकी जगह कोई और उसी सिचुएशन में होता तो उनका जवाब क्या होता। इससे उनके माइंड पर जोर पड़ेगा और उनको उस प्रॉब्लम से निकलने का रास्ता दिखने लगेगा।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Everyday vitality by Samantha Boardman
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