Alejandro Junger and Amely Greeven
एक ऐसा प्रोग्राम जिसकी मदद से आप शरीर के खुद को ठीक करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
दो लफ़्ज़ों में
क्लीन (2009) में हम अपने शरीर और वातावरण को करीब से जानने की कोशिश करते हैं। यह किताब हमें हमारे खाने में छुपी नुकसानदायक चीजों के बारे में बताती है जिसे हम अनजाने में ही अपने शरीर को नुकसान पहुंचाने दे रहे हैं। इस किताब की मदद से हम इन नुकसानदायक चीज़ों से छुटकारा पाना सीखेंगे जिसकी वजह से हमें कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
यह किसके लिए है
- थके हुए लोग जो एनर्जी पाना चाहते हैं।
-सेहत बनाने के लिए सलाह चाहने वाले लोग।
-वे लोग जो अलग तरह की दवाइयों के बारे में जानना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
एलजैनड्रो जंगर (Alejandro Junger) न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलिंग लेखक हैं। वे न्यूयॉर्क के एक कार्डियोलॅाजिस्ट क्लीनिक में काम करते हैं। अपने मेडिकल ट्रेनिंग को खत्म करने के बाद उन्होंने इंडिया में ईस्टर्न मेडिसिन की पढ़ाई की और वे एड्रेनल फैटीग के एक्सपर्ट बन गए। उसके साथ साथ उन्होंने ज़्यादा तनाव से होने वाले शारीरिक और मानसिक नुक़्सानों के बारे में भी जाना।
एमेली ग्रीवेन (Amely Greeven) एक जर्नलिस्ट और लेखिका हैं जिन्होनें सेहत के बारे में बहुत से ब्लॅाग्स और आर्टिकल्स लिखे हैं। उनके ब्लॅाग्स और आर्टिकल्स वोग, हार्पर बज़ार एन्ड डबलु ज़ैसे मैग्ज़ीन्स में छप चुकें हैं।
एक ऐसा प्रोग्राम जिसकी मदद से आप शरीर के खुद को ठीक करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
शायद आप इसेसुनते वक्त कॉफ़ी पी रहे हों। क्या आप कॉफ़ी से नुकसानदायक चीज़ों को निकाल कर उसके फायदे को बढ़ाना चाहते हैं? कॉफ़ी में कैफीन होता है जो सेहत के लिए अच्छा नहीं है। इन सबक से आप यह जानेंगे कि कैसे आप अपने शरीर को साफ़ कर अच्छी सेहत पा सकते हैं।
इनमें आप क्लीन प्रोग्राम के बारे में जानेंगे जो आपको रोज़ की जिंदगी में होने वाले नुकसानों के बारे में बताएँगे। इसमें आप सीखेंगे कि कैसे आप अपने शरीर से नुकसानदायक चीजों को निकाल कर उसे ठीक कर सकते हैं। इसमें आप उन नुक्सानदायक चीज़ों के बारे में जानेंगे जिनसे रोज़ आपका आमना-सामना होता है। आप अपने शरीर को अच्छे खान पान और एक्सरसाइज से साफ़ करना सीखेंगे।
- आप एक दिन में कितनी बार टॉयलेट जायेंगे अगर आपका खाना सेहतमंद हो।
- क्लीन प्रोग्राम के लिए क्या क्या बदलाव चाहिए।
- ज्यादातर सफाई वाली वाली चीज़े साफ़ नहीं होतीं।
दुनिया की सभी नुक्सानदायक चीजें चार लेयर के ज़रिए हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं।
न्यू यॉर्क के अपने कार्डियोलॉजी क्लीनिक में लेखक ने देखा कि बहुत सारे मरीज़ फिसिकली, मेंटली और इमोशनली परेशान थे। सर्दी थकान और एसिडिटी जैसे लक्षण सभी मरीजों में थे। लेखक ने सोचा शायद ये सब वातावरण में फैली नुकसानदायक चीजों की वजह से हुआ है।
आज हम सभी बहुत सारे केमिकल्स से इन्फेक्टेड हैं। इन केमिकल्स को 20वीं सेंचुरी में ही बनाया गया था। अगर हमें ये जानना है कि कैसे ये सभी चीज़े हम तक पहुँचती हैं तो हमें चार लेयर के बारे में जानना होगा।
पहली लेयर है हमारी स्किन। नुक्सानदायक चीज़ें कास्मेटिक और डेओड्रेंट्स की वजह से हमारे शरीर में स्किन के ज़रिये अंदर आती हैं। जब हम इन सभी चीज़ों को अपनी स्किन पर लगाते हैं तो ये हमारे खून में जाकर मिल जाती हैं।
दूसरी लेयर है हमारे कपड़े। कपड़ो में डाई, परफ्यूम और कपड़े साफ़ करने वाले केमिकल्स होते हैं। फैब्रिक्स में बहुत ज़्यादा पेस्टिसाइड इस्तेमाल किया जाता है। एक रिसर्च में ये बाद सामने आई है की दुनिया का २५% पेस्टिसाइड कॉटन की फसल पर इस्तेमाल होता है. ड्राई क्लीनिंग में इस्तेमाल होने वाले परक्लोरोएथिलीन (perchloroethylene) की वजह से हमें किडनी, लीवर या दिमाग की बीमारियां हो सकती हैं।
तीसरी लेयर है हमारे घर के अंदर का वातवरण। हमें लगता है कि हमारे घर में बाहर के मुकाबले कम प्रदूषण है। पर एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी ( Environament Protection Agency ) ने बताया कि पेंट और फर्नीचर से निकलने वाली नुकसानदायक चीजों की वजह से हमारे घर में प्रदूषण ज़्यादा है। शावर के पर्दो से निकलने वाली खुशबू PVC प्लास्टिक की होती है जो मार्केट की सबसे नुकसानदायक चीजों में से एक है।
और आखिर में सबसे आखिरी लेयर है बाहर की दुनिया। एक रिसर्च में ये बात सामने आयी कि ज़्यादा एयर पॅाल्युशन में कुछ घंटे रहने से ही हार्ट अटैक हो सकता है। मोबाइल और कंप्यूटर से निकलने वाले रेडिएशन से भी ये हो सकता है। और दिल्ली के एयर पोलुशन के बारे में तो आप जानते ही हो।
डीटॉक्सिंग (Detoxing) शरीर के उन सारे फंक्शन्स को ठीक कर सकता है जो नुकसानदायक चीजों की वजह से काम नहीं कर रहे।
अगर आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे या आपको सर्दी हुई है तो आप दवाई लेने बाहर जाते हैं। लेकिन क्या हो अगर आपकी समस्या के पीछे कुछ और ही वजह हो। क्या हो अगर आपका शरीर ही ठीक तरीके से काम न कर रहा हो। आजकल हमारे खाने और वातावरण में बहुत सी नुकसानदायक चीज़े हैं जो हमारे शरीर को ठीक से काम करने और ठीक होने नहीं दे रही हैं।
कंपनियाँ अलग अलग कामों के लिए केमिकल्स बना रही हैं। हमारा शरीर इन केमिकल्स से लड़ नहीं पा रहा है। पिछले 50 सालों में हमने अपने रहने और खाने पीने के तरीकों को बदल कर अपने डिफेन्स सिस्टम को खराब कर दिया है।
नुकसानदायक चीजों के साथ उनके लक्षण भी आते हैं। डॉक्टर तब तक इन पर ध्यान नहीं देते जब तक ये सीरियस न हों। और सीरियस होने पर, वो हमें ऐसी दवाइयां देते हैं जिसके केमिकल से हमारे शरीर को और नुक्सान होता है। लेकिन हम इससे बचने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
काफी समय से इलाज करने वाले लोगों ने सेहतमंद रहने के लिए डिटॅाक्स (Detox) का इस्तेमाल किया है। इंडिया और चाइना में आज भी इनका इस्तेमाल होता है। लेकिन पश्चिमी देशों ने इस प्रथा को छोड़ दिया है।
अपने शरीर के खुद को ठीक कर सकने की क्षमता को बढ़ने के लिए आपको डॉक्टर की ज़रुरत नहीं है। पर डिटॅाक्स प्रोग्राम को शुरू करने से पहले उन नुक्सानदायक चीज़ों पर एक नज़र डालते हैं।
पैकेट का खाना नुकसानदायक होता है।
हम सभी को छुट्टियों की दोपहर में दोस्तों के साथ मीट खाना पसंद है। अक्सर लोग खाना खाने के बहाने साथ आ जाते हैं। लेकिन आजकल ये खाना सेहतमंद नहीं है।
ज़्यादातर पैकेट की चीज़ें नुकसानदायक होती हैं। उनपर 'सुरक्षित' सिर्फ पैसे कमाने के लिए लिखा जाता है।
पालक में से बैक्टीरिया को निकलने के लिए उसे एक्स रे से ट्रीट किया जाता है जिससे उसके सारे न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं। खाने में केमिकल्स, फैट्स और आयल अलग से मिलाया जाता है जिससे वो जल्दी खराब नहीं होते पर उसे खाने से हमारी सेहत खराब होती है।
यहाँ तक कि नल का पानी भी नुकसानदायक होता है। पानी में फ्लोराइड मिलाया जाता है जिससे हमारे दांत मज़बूत होते हैं। लेकिन एक स्टडी में पाया गया कि फ्लोराइड से थाइरोइड्, किडनी और दिमाग की बीमारियां हो सकती हैं जिससे हमारा IQ कम हो सकता है।
प्लास्टिक के पैकेट में प्थैलेट (Phthalate) नाम का केमिकल होता है जो हमारे हार्मोन्स पर असर डालता है। इससे ब्रीस्ट, थाइरोइड और प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।
आप पैकेट की चीज़ों को छोड़कर मौसमी चीज़े खा सकते हैं। अगर आप दुनिया की उन जगहों को देखें जहाँ के लोग सबसे ज़्यादा जीते हैं तो आप देखेंगे कि उनके खाना खाने की आदतें अच्छी हैं।
सर्डिनीया (Sardinia) के पहाड़ों पर रहने वाले ज़्यादातर लोग 100 से ज़्यादा साल जीते हैं। यहाँ रहने वाले लोग मौसमी सब्जियां और फल खाते हैं, जो बिना केमिकल्स के उगाए जाते हैं। यहाँ के लोग अच्छे से खाना पकाते हैं और उसे एक शहर में रहने वाले से 10 गुना ज़्यादा समय में खाते हैं।
खाने और वातावरण में मौजूद नुकसानदायक चीजों से स्किन या पेट की बीमारियां हो सकती हैं।
जब नुक्सानदायक चीज़े हमारे शरीर में आती हैं तो वो पूरे शरीर को नुक्सान पहुंचाती हैं। भारत के आयुर्वेद की माने तो अगर शरीर में एमा (Amma) नाम की चीज़ ज़्यादा बन रही है तो आप खतरे में हैं। एमा ज़्यादा देर तक नुकसानदायक चीजों के शरीर में रहना की वजह से बनता है। सेहतमंद रहने के लिए आयुर्वेद सही खाना खाने की सलाह देता है। जब हम ऐसा नहीं करते तो हमें बीमारियां होने लगती हैं।
सेहत खराब होने की सबसे बड़ी वजह एमा है। आप अपने स्किन का लचीलापन टेस्ट करके इसका पता लगा सकते हैं। अपने स्किन को खींचिये, अगर वो वापस उसी जगह पर नहीं जाती तो आपके शरीर में एमा की मात्रा ज़्यादा है। इसके अलावा अगर आपके चेहरे पर पिम्पल, काले घेरे हैं या आपकी स्किन एक संतरे के जैसी खुरदुरी है तो आपके शरीर में एमा की मात्रा ज़्यादा है।
अगर आप सोचतें हैं कि उम्र बढ़ने की वजह से आपकी स्किन का लचीलापन खत्म हो रहा है तो आप गलत सोचते हैं। उन पहाड़ों पर रहने वाले 100 साल के लोगों के स्किन का लचीलापन नहीं जाता।
मगर सिर्फ बाहर के लक्षण को देख कर ही हम नहीं बता सकते कि हमारे शरीर में नुक्सानदायक चीज़े आ गयी हैं। अगर आपका पेट लंबे समय से खराब है तो आपका शरीर खतरे में है।
और आज कल हमारे यहाँ पेट खराब होना एक आम बात हो गयी है। पेट की बीमारियों के लिए मार्केट में हज़ारो दवाएं मौजूद हैं।
मगर समस्या इतनी सीधी नहीं है। हर बार खाना खा कर टॉयलेट जाना एक अच्छी आदत होती है। लेकिन हमारा खाना इतना भारी होता है कि हम उसे पचा नहीं पाते। वो खाना देर तक हमारे शरीर में रहता है जिससे नुकसानदायक चीज़े हमारे शरीर में इक्कट्ठा होने लगती हैं। इन सबसे पेट खराब हो सकता है।
क्लीन प्रोग्राम को शुरू करने और अपने खान पान को बदलने से पहले आपको अपना वातावरण और अपने आप को बदलना होगा।
जब हमें कोई चोट लगती है तो उसके आस पास के सेल्स डिवाइड होते हैं और उस चोट को भरने लगते हैं। अपने अंदर के घाव को भरने के लिए हमें यही पैंतरा अपनाना होगा।
क्लीन प्रोग्राम यही करता है। ये आपके शरीर पर लगी चोट को भरता है जिससे आपका शरीर खुद को ठीक करने में सक्षम हो जाता है।
क्लीन प्रोग्राम 21 दिन का प्रोग्राम है। इसमें नीचे दिए गयी चीज़े होती हैं।
सबसे पहले आप अपना खान पान बदलते हैं। आसानी से पचने वाले खाने को खाइये। अनाज या दूध की चीज़े न खा कर आप जूस पीजिए और कम से कम सॉलिड खाना खाइये।
अगला रूल ये है कि दिन में ऐसा शेड्यूल रखिये जिसमें आप 12 घंटे कुछ भी नहीं खाते। खाना खाने के 8 घंटे बाद हमारा शरीर डेटोक्सिफिकेशन ( Detoxification ) शुरू करता है और इसे पूरा होने में अलग से 4 घंटे लगते हैं। 12 घंटे खाना न खाने से आपका शरीर नुक्सानदायक चीज़ों को निकाल देता है।
इस 21 दिन के प्रोग्राम हो शुरू करने से पहले आप अपने वातावरण को साफ़ कर लीजिये। आप अच्छा शेड्यूल बनाइये और अपने किचन को साफ रखिये।
शुरुवात के तीन दिन बहुत मुश्किल होने वाले हैं। इसलिए आप अपने आप को तैयार राखिये। एक आम आदमी अच्छा नहीं दिखता, लेकिन आप सेहत सुधार कर अच्छे दिख सकते हैं। अमेरिका में रहने वाले आधे लोगों को कैंसर हो जाता है। अगर आपको सेहतमंद रहना है तो आपको खुद को बदलना होगा।
आप इस प्रोग्राम को 21 दिन तब दीजिये जब आपके जिंदगी में कुछ खास बदलाव न आ रहे हो। अगर आपको नयी नौकरी मिली है, या आप कहीं दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे हैं या आपका ब्रेक अप हुआ है तो इसे शुरू मत करिये।
अपने रसोई घर में तीन चीज़े ज़रूर रखिए- एक वाटर प्यूरीफायेर, एक पावरफुल ब्लेंडर और एक जूस बनाने की मशीन।
क्लीन प्रोग्राम के समय सिर्फ सेहतमंद खाना ही खाएँ।
ऐसा मत सोचिये कि क्लीन प्रोग्राम आसन होगा। इन तीन हफ्तों में आपको अपने भूख और खान पान के बीच संबंधों के बारे में जान कर अपने खाने से समझौता करना होगा।
क्लीन प्रोग्राम में आप दिन में सिर्फ एक बार लंच के समय सॉलिड खाना खाएंगे और सुबह शाम सिर्फ जूस, सूप या शेक पीयेंगे। इस तरह आपके पास 12 घंटे भूखे रहने की एनर्जी रहेगी।
लिक्विड मील्स में आप मैंगो, कोकोनट मिलशाके पी सकते हैं। इसे हमारा शरीर आसानी से सोख लेता है और हमें जल्दी भूख नहीं लगती।
इस प्रोग्राम के वक्त आपको बीच में कुछ खाने कामन कर सकता है। पर इससे पहले आप कुछ खाएँ, खुद से सवाल करिए कि क्या आपको सच में भूख लगी है या आप सिर्फ किसी दूसरी चीज़ से ध्यान हटाने के लिए खाना खा रहे हैं।
आप ज़्यादा फ़ायदे के लिए प्रोबायोटिक्स, एंटी माइक्रोबियल्स या फाइबर खा सकते हैं।
नेचुरल फाइबर में फ्लैक्स सीड्स (Flax seeds) या साइलियम हस्क ( Psyllium husk ) होता है जो हमारे शरीर के नुक्सानदायक चीज़े से जुड़ कर उन्हें बाहर निकलता है। प्रोबायोटिक्स के ज़रिये आप हज़ारो फ़ायदेमंद इन्टेस्टाइन के बैक्टीरिया को अपने अंदर जगह दे सकते हैं। दही एक बहुत अच्छा प्रोबायोटिक है। और एंटी मिक्रोबियल्स जैसे ऑरेगैनो आयल, अद्रक या क्लोव नुकसानदायक बैक्टीरिया को मारते हैं। आखिरी सबक़ में हम देखें कि कैसे हम क्लीन प्रोग्राम से ज़्यादा से ज़्यादा फायदा पा सकते हैं।
अच्छी कसरत और एक्टिविटी से अपने शरीर के डीटॅाक्सिफिकेशन को बढ़ाइए।
क्लीन प्रोग्राम से ज़्यादा फायदा पाने के लिए आप बहुत सी एक्टिविटी कर सकते हैं। ये सभी आसन और ज़रूरी हैं। क्लीन प्रोग्राम के समय अच्छी नींद लीजिए और खुद को आराम दीजिए।
आप अपने शरीर से नुकसानदायक चीजों को निकालने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इसमें से सबसे अच्छी एक्टिविटी है कोलन हाइड्रोथेरेपी (Colon hydrotherapy)। इसमें एक ट्रेन्ड थेरेपिस्ट आपके कोलन में लो प्रेशर पानी पम्प करता है जिससे नुक्सानदायक चीज़ें बहार निकलती हैं।
सौना (Sauna) की मदद से ज़्यादा पसीना बहा कर आप अपने शरीर से ज्यादा नुकसानदायक चीजों को बाहर निकाल सकते हैं। इंफ्रारेड सौना पावरफुल हीट वेव छोड़ते हैं जो शरीर में मौजूद फैट मोलेक्यूल को पसीने से बाहर निकाल देती है।
सांस लेने की एक्सरसाइज से आप अपने खून में से कार्बन डाइऑक्साइड निकाल कर उसकी एसिडिटी को कम कर सकते हैं। अपने दिमाग में अपने शरीर के साफ़ होने की तस्वीर बना कर लम्बी साँसे भरिये।
क्लीन प्रोग्राम के समय रोज़ एक्सरसाइज कीजिये जिससे आप फिसिकली एक्टिव रहेंगे। मगर ज़्यादा कसरत मत करिये।
जंपिंग, स्किपिंग और ट्रैम्पोलिन जैसी एक्सरसाइज से लिम्फ सर्कुलेशन बढ़ जाता है। लिम्फ हमारे शरीर से नुकसानदायक चीजों को बैक्टीरिया और खराब सेल्स के साथ शरीर के बहार निकलती हैं।
शुरुवात के पहले हफ्ते में आपके एनर्जी लेवल में कमी आ सकती है। इस दौरान कमज़ोर महसूस करने पर ट्रेनिंग मत करिये। इस समय रोज़ कम से कम 20 मिनट तक चलिए या कसरत करिए।
अब आपके पास एक स्वस्थ शरीर और दिमाग पाने की सारी जानकारी है। अब आप इस प्रोग्राम को शुरू कर सकते हैं।
कुल मिला कर
लाखों लोग मोटापे, तनाव, पेट और दिल की बीमारियों से परेशान हैं। हमारे आस पास मौजूद नुकसानदायक चीजों की वजह से ये बीमारियां और तेज़ी से फ़ैल रही हैं। क्लीन प्रोग्राम आपके शरीर को साफ़ कर के आपको ठीक करता है और आपको एक सेहतमंद जिंदगी देता है।
केमिकल और कॅास्मेटिक से दूर रहिए।
ऐसी किसी भी चीज़ को अपने चेहरे पर मत लगाइए जो आपके मुंह में जा सकती है। अपने चहरे पर कॉस्मेटिक लगाने से आप उन चीज़ों को अपने खून में डाल रहे हैं। तो अगर उसमें नुक्सानदायक चीज़े या केमिकल हैं तो उसे इस्तेमाल मत करिये।