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Priyanka Chopra Jonas
प्रियंका चोपड़ा की आत्मकथा

दो लफ्जों में
प्रियंका चोपड़ा की किताब अनफिनिश्ड उनकी आत्मकथा है. जिसमें उन्होंने अपनी पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक के बारे में खुलासे किए हैं. अनफिनिश्ड में प्रियंका ने अपनी जिंदगी की सच्चाई को सबके सामने लाने की कोशिश की है. उन्होंने इसमें अपने 20 साल के फिल्मी कैरियर को लेकर अपने हार्ड वर्क और डेडिकेशन के बारे में बताया है. अनफिनिश्ड में उन्होंने अपनी जिंदगी के उस किस्से के बारे में भी बताया है जो कभी किसी को नहीं पता था.

यह किसके लिए है
- जो मशहूर सिलेब्रिटीज की जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं. 
- जो उन के संघर्षों से लेकर कामयाबी तक के सफर के रोमांच को महसूस करना चाहते हैं. 
- जो एक निडर और खूबसूरत अभिनेत्री की जिंदगी की उथल-पुथल को महसूस करना चाहते है .
- और जो एक ऐसी आम भारतीय लड़की से प्रेरणा लेकर जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं जिसने अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपने काम से दुनियामें सबसे ज्यादा मशहूर औरतों में अपना नाम कमाया है.

लेखिका के बारे में
इन का पूरा नाम प्रियंका चोपड़ा गुर्जर है . इनका जन्म 18 जुलाई को 1982 जमशेदपुर, झारखण्ड में हुआ था. प्रियंका के माता – पिता दोनों भारतीय सेना में डॉक्टर थे. प्रियंका चोपड़ा 2000 में मिस वर्ल्ड का अवार्ड जीतने वाली देश की पांचवी महिला हैं. पहले प्रियंका चोपड़ा इंजिनियरिंग की पढाई करना चाहती थीं . लेकिन आज उनको न सिर्फ भारतीय फ़िल्म जगत की सबसे ज्यादा मशहूर अभिनेत्रियों में गिना जाता है बल्कि उन्होंने अमेरिकी फ़िल्म जगत हॉलीवुड में काम करके पूरी दुनिया में नाम कमाया है. 

10 जून 2013 को मुंबई में कैंसर की वजह से प्रियंका के पिता अशोक चोपड़ा इस दुनिया से विदा हो गए थे. 
प्रियंका का कहना है कि उनके पिता की कहानी अधूरी रह गई थी इसलिए उन्होंने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी किताब का टाइटल अनफिनिश्ड रखा है और उन्होंने अपना सब कुछ अपनी आत्मकथा के जरिए अपने पिता को समर्पित किया है. वह अपने पिता को बहुत याद करती हैं. इस किताब कोपेंगुइन पब्लिकेशन ने 9 फ़रवरी 2021 को पब्लिश किया है. पब्लिश होने के 24 घंटे के अंदर ही यह किताब न्यू यॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलर लिस्ट में पहुंचने वाली और नीलसन बुक स्कैन बेस्ट सेलर लिस्ट में पहुंचने वाली किताब बन गई.पार्ट - 1
प्रियंका चोपड़ा हमेशासे यही महसूस करती रही हैं कि जिंदगी का सफर सबको अकेले ही तय करना होता है. जिसके लिए हम सब एक ट्रेन मेंसवार होते हैं. और फिर यह सफर जिंदगी भर चलता ही रहता है. इस सफर को हम अकेले शुरू करते हैं और आखिर में अकेले ही रह जाते हैं. और इस ट्रेन के सफर के दौरान सभी डिसीजन्स को लेने की जिम्मेदारी भी हमारी खुद की होती है. इस सफर के दौरान तमाम दूसरे लोग हमसे मिलते हैं और बिछड़ते हैं. उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें हम प्यार करते हैं और कुछ लोग हमें प्यार करते हैं और कुछ हमारी फैमिली बन जाते हैं. हम सभी यात्री होते हैं और हमेशा चलते रहते हैं. हमारे आसपास का माहौल हमेशा बदलता रहता है. 

हालांकि इस सफर में हम बहुत कम समय के लिए एक साथ रह पाते हैं, लेकिन हमारे लिए यही बहुतमायने रखता है. क्योंकि एक साथ बिताया गया टाइम ही हमें एक दूसरे से प्यार और खुशी के साथ जोड़ता है. 

इस वज़ह से प्रियंका खुद को इस बात के लिए बहुत एहसानमंद मानती हैं कि उन्हें अपनी जिंदगी के अब तक के अधूरे सफर को सारी दुनिया के साथ शेयर करने का मौका मिला. वह यही उम्मीद करती हैं कि उनके अब तक के सफर के दौरान उन्होंने अपने साथी यात्रियों से औरअपनी कोशिशों और गलतियों से जो कुछ भी सीखा, वह सब कुछ दूसरे लोगों की जिंदगी को भी बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सके . क्यूंकि उन्होंने अब तक यही देखा है कि अगर आप जिंदगी के स्टूडेंट बनना चाहते हैंतो फिर बहुत लंबे समय तक आपको जिंदगी से बहुत कुछ मिल सकता है. 

तो चलिए शुरू करते हैं!

प्रियंका के दादाजी का नाम कस्तूरी लाल चोपड़ा था. वह अंबाला में एक पंजाबी हिंदू फैमिली से आते थे. और वह भारतीय सेना में एक सूबेदार थे. उन्होंने बर्मा और कांगो की लड़ाई में हिस्सा लिया था और वह यूनाइटेड फोर्सेस मेभी शामिल थे. प्रियंका की दादी का नाम चंपा कली चोपड़ा था. उनके दादाजी ने सेना से रिटायर होने के बाद सेना को सामान सप्लाई करने का बिजनेस शुरू किया था. प्रियंका के पिता अशोक चोपड़ा के तीन भाई थे. जिनमें से उनके बड़े भाई विजय चोपड़ा ने 17 साल की उम्र में आर्मी को ज्वाइन कर लिया था. और उनसे छोटे भाई प्रदीप और पवन दोनों अपने पिता के साथ उनके बिजनेस शामिल हो गए थे. अशोक चोपड़ा की दो छोटी बहने सरोज और कामिनी थीं. 

अशोक चोपड़ा का जन्म 23 जून 1950 को हुआ था. 
उन्होंनेआर्मी मेडिकलस्कूल जॉइन किया था. और वहां से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने 27 साल तक आर्मी में एक सर्जन डॉक्टर के तौर पर सर्विस की और लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर वहां से रिटायर हुए. वह अपनी जिंदगी में एक संगीतकार बनना चाहते थे लेकिन उनके टाइम में मनोरंजन और संगीत के क्षेत्र को कैरियर के लिहाज से ज्यादा अच्छानहीं माना जाता था इसलिए उन्होंने मेडिकल लाइन में अपना कैरियर बनाया. हालांकिइसके बावजूद संगीत से उनका लगाव कम नहीं हुआ. और वह बहुत अच्छा गाना गाया करते थे. वह एक खुश मिजाज शख्स थे और हमेशा खुद भी हंसते थे और दूसरों को भी हंसाया करते थे.प्रियंका की नानी एक क्रिश्चियन लेडी थीं. उनका नाम मधु ज्योत्सनाथा. उनके नाना हिन्दू थे और उन का नाम मनहर कृष्णा अखौरी था. प्रियंका की मां का नाम मधु अखौरी था. और उनका जन्म 16 जून 1958 कोबिहार के झारखंड में हुआ था. प्रियंका की नानी मधु ज्योत्सना बिहार विधान सभा की पहली महिला मेंबर थीं . प्रियंका के नाना बिहार में कांग्रेस पार्टी के मेंबर और एक ट्रेड यूनियन के लीडर थे. 

मधु ज्योत्सना की फैमिली में तीन बहने और एक भाई थे. वह अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं. 1970 के दौरान बिहार में एक राजनीतिक उथल-पुथल वाला अशांति का दौर चल रहा था. इसलिए मधु ज्योत्सना को छोड़कर उनके बाकीदूसरे भाई बहनों को रिश्तेदारों के यहां रहने के लिए वहां से दूर भेज दिया गया था. उस पीरियड के दौरान मधु ने घर के शांत माहौल में अपनी पढ़ाई पर अच्छी तरह से फोकस किया. और वह अपनी ताकत पर यकीन करने के साथ बड़ी होती गईं. वह अपनी कम उम्र में ही एक खुली जीप को ड्राइव करके स्कूल जाया करती थीं. 

प्रियंका के लिए उनकी मां एक रोल मॉडल और इंस्पिरेशन थीं. उन्होंने बिहार केएक छोटे से शहर से निकलकर मेडिकल की पढ़ाई की और आखिरकार उन्होंने मेडिकल की अलग-अलग तरह की 8 डिग्रीयाँ हासिल कीं. वह एक सर्टिफाइड पायलट भी थीं.इसके अलावा वह 9 भाषाएं बोल सकती थीं. उन्होंने प्रियंका को हमेशा यही सिखाया था कि वह जो चाहे और जैसा चाहे बन सकती थीं. प्रियंका अपनी मां जैसा बनना चाहती थीं. 

1981 में प्रियंका के माता पिता की मुलाकात यू पी के बरेली शहर में हुई थी. जहां पर उस वक्त मेजर डॉक्टर अशोक चोपड़ा आर्मी में जनरल सर्जन थे और और उनकी मां डॉक्टर मधु अखौरी क्लैरा स्वैन मिशन हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज कर रही थीं. दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया और फिर दोनों ने उसी साल शादी भी कर ली. 

प्रियंका की मां ने शादी के बाद आर्मी को जॉइन कर लिया. प्रियंका नेअपने बचपन का शुरुआतीवक्त झारखंड में अपने नाना नानी के पास गुजारा . जब उनके माता-पिता पुणे शहर में रहकर अपने मेडिकल पोस्ट ग्रैजुएट पर काम कर रहे थे. 

प्रियंका के पेरेंट्स को हर साल गर्मियों के मौसम में दो महीने की छुट्टियां मिलती थीं. जिनमें से वह लोग 2 हफ्ते का टाइम दादा दादी के साथ और 2 हफ्ते का टाइम नाना नानी के साथ रह कर बितायाकरते थे. इसके बाद वहबाकी की छुट्टियों को इंजॉय करने के लिए उनके साथ किसी भी हिल स्टेशन पर चली जाती थीं.एक बार जब वह 9 साल की थीं, और अशोक चोपड़ा लेह लद्दाख में पोस्टेड थे, तब उन्होंने गर्मियों में 2 महीने लेह लद्दाख में गुजारे थे. उस दौरान उन्होंने पैंगोंग झील की ट्रिप के दौरानरास्ते में पहली बार याक के दूध से बनी हुई लद्दाखीचाय पी थी. पैंगोंग झीलका रास्ता हिमालय की ऊंचाइयों मेंभारत से तिब्बत को जोड़ता था.इसके बहुत सालों बाद जब 2004 में वह वक्त फिल्म की शूटिंग करने के लिए दोबारा लेह गई थीं, तो उन्हें बचपन में जो पहाड़ियां बहुत विशाल और ऊंची नजर आती थीं वह इस बार काफी छोटी दिखाई दे रही थीं. और वहां का माहौल बिल्कुल बदला हुआ नजर आ रहा था. 

एक बार जब प्रियंका अपनी 11-12 साल की उम्र में आमतौर पर गर्मियों की छुट्टियों की प्लानिंग कर रही थीं. तब उनकी मां ने करीब के एक गांव में रेगुलर हेल्थ केयर का एक कैंप ऑर्गेनाइज किया. और प्रियंका को अपने साथ वहां ले गईं. शुरुआत में तो उनको अपनी मां पर बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर उन्होंने वहां पर मरीजों को दवाइयां के इस्तेमाल के बारे में एक्सप्लेन किया. इसके बाद उन्हें वो काम करना अच्छा लगा. उन्हें यह देख कर बहुत खराब लगता था कि गांव वाले अपनी बच्चियों का ठीक से ना तो ध्यान रखते थे और ना ही मेडिकल चेकअप करवाते थे. लेकिन प्रियंका के पैरंट्स ने बहुत से गांव वालों को समझा-बुझाकर अपनी लड़कियों के चेकअप और इलाज कराने के लिए तैयार किया था. यह सब देख कर प्रियंका के अंदरमानवता वाली वैल्यूज़ की जड़ें गहराई तक बहुत मजबूत हो गई थीं. और बच्चों की भलाई करने के लिए उनका डेडीकेशन अटूट हो गया था खास कर छोटी लड़कियों के लिए. जिनको बेहतर जिंदगी जीने के लिए पूरे मौके नहीं मिलते थे.

पार्ट - 2
प्रियंका कहती हैं कि उन्होंने तीन चार साल की उम्र में दिल्ली में एक कैथोलिक स्कूल में एक साल का वक्त गुजारा था. वहां वह अपनी के जी स्टैंडर्ड की क्लास करने के दौरान अपनी क्लास टीचर, दूसरे बच्चों और वहां के माहौल को बहुत पसंद करने लगी थीं. तभी उनके पिता का ट्रांसफर बरेली शहर में हो गया और उन्हें वह स्कूल छोड़ना पड़ा. उस वक्त वहां से जाने की सोच कर वह बहुत दुखी हुईं और खूब रोईं. इस पर उनके पिता ने प्रियंका को समझाया कि नई जगह पर जाकर वो खुद को जैसा चाहे वैसा बना सकती थीं. यह उनकी सुपर पावर थी. वह अपने पिता की बात से कन्वींस हो गई थीं. इसके बाद उन के पिता की होशियारी भरी बातों ने प्रियंका के अंदर नई जगहों को घूमने के एडवेंचर को इंजॉय करने का सेन्स और सफर करने की इच्छा कोमोटिवेट करने में मदद की . वहां से जाने के बाद उनको बरेली के स्कूल में एडमिशन दिला दिया गया था. 

और फिर प्रियंका को 7 साल की उम्र में लखनऊ के ला मार्टिनियर बोर्डिंग स्कूल में तीसरी क्लास में एडमिट करा दिया गया. वहां सब लोगों को एक कड़े अनुशासन का पालन करना पड़ता था. शुरुआत में प्रियंका को वहां रहना अच्छा नहीं लगता था. लेकिन फिर बाद में उन्होंने वहां के माहौल के मुताबिक खुद को अच्छी तरह से तैयार कर लिया. उन्होंने उस स्कूल में 9 साल की उम्र में बहुत से करीबी दोस्त बना लिए. अपनी चौथी और पांचवी क्लास के बाद वह चीजों को खूब अच्छी तरह से इंजॉय करने लगी थीं और उनके अंदर चीजों को समझने की काबिलियत बढ़ने लगी थी. उन्होंने लोगों के बीच में डिबेट करना और तैराकी में शामिल होना शुरू कर दिया था. ला मार्टिनियर स्कूल पढ़ाई के साथ साथआर्ट और कल्चर पर भी खूब फोकस करता था. वहां पर उन्होंने डांसिंग औरसिंगिंग में भी पार्टिसिपेट किया जिस के लिए उनको बहुत पॉजिटिव रिस्पांस मिला था. इसके बाद उनका हौसला बढ़ता गया और वह अपने प्रदर्शन को लगातार बेहतर करती चली गईं. 

ला मार्टिनियर स्कूल सभी धर्मों का एक बराबर स्वागत करता था और एक लिबरल एजुकेशन प्रोवाइड करता था. प्रियंका पहले से ही अपनी फैमिली में ऊंची मॉरल वैल्यूज़, आपसी भाई चारा और सेक्युलरिज्म यानी धर्म के मामले में भेदभाव ना करने वाले माहौल में पल कर बड़ी हो रही थीं. उनकी नानी शादी से पहले एक क्रिश्चियन लेडी थीं. और उनकी आंटी सोफिया शादी के बाद इस्लाम में कन्वर्ट हो गई थीं. उनके पिता अशोक चोपड़ा मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे और चर्च हर जगह पर गाना गाते थे. 

दरअसल अशोक चोपड़ा 1980 से हैदाखान बाबाजी को फॉलो कर रहे थे. जो हालांकि हिंदू धर्म को मानते थे लेकिन जोर देकर सभी धर्मों का आदर करने के लिए कहते थे. प्रियंका के पेरेंट्स बहुत सालों से अपना दूसरा बच्चा चाहते थे. उन्होंने बाबा जी के आश्रम में जाकर उनसे आशीर्वाद लिया और उनकी शिक्षाओं का पालन किया. और फिर बहुत मुश्किलों के बाद आखिरकार सिद्धार्थ इस दुनिया में आया था. बाबाजी प्रियंका की लाइफ का हिस्सा बन गए थे और वह उन पर यकीन करती थीं. 

प्रियंका ने इसी तरह का माहौल अपने स्कूल में भी देखा था. वहां पर दिवाली ईद गुरु पर्व और क्रिसमस सभी त्योहारों को बहुत सम्मान और खुश दिली के साथ मनाया जाता था. 

बोर्डिंग स्कूल में बिताए गए सालों के दौरान प्रियंका को खुद को अलग माहौल के मुताबिक ढालने में और पूरी तरीके से आज़ाद ख्याल बनने में बहुत मदद मिली थी. 

इसके बाद 10 साल की उम्र में प्रियंका का एडमिशन बरेली के लड़कियों के स्कूल सेंट मारिया गोरेट्टी इंटर कॉलेज में करा दिया गया. इस कॉलेज में भी सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते थे.

इस स्कूल में एक सब्जेक्ट मोरल साइंस भी पढ़ाया जाता था और सेवेन डेडली सिंस के बारे में भी सिखाया जाता था. जो ईसाई धर्म के मुताबिकसात भयानक पाप- घमंड, लोभ, वासना, क्रोध, असंतोष, ईर्ष्या और आलस्य थे. यहां पर बिल्कुल भी हंसी मजाक नहीं किया जाता था. 

प्रियंका ने उस स्कूल में दूसरे साल के दौरान यह नोटिस किया कि कुछ बड़ी उम्र की लड़कियां क्लासेज खत्म होने के बाद स्कूल के गेट पर अपने बाय फ्रेंड्ससे मिला करती थीं. और तभी से प्रियंका ने लड़कों को एक दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया था. हालांकि 11-12 साल की उम्र में उन्होंने कोई बॉयफ्रेंड नहीं बनाया था, लेकिन वह मजाक करते हुए कहती हैं कि उन्हें अपने ऊपर पूरा यकीन था कि वह जब चाहें अपना बॉयफ्रेंड बना सकती थीं. 

पार्ट - 3
मई 1995 में प्रियंका 13 साल की उम्र में अपनी मां के साथ छुट्टियां मनाने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर सीडर रैपिड्स आयोवा में पहुंची थीं. यह उनका देश के बाहर पहला सफर था. 

प्रियंका अपनी मां के साथ उनकी छोटी बहन किरण माथुर से मिलने के लिए गई थीं. जो वहां पर एक कंप्युटर इंजीनियर थीं. वह अपनेहस्बैंडअमिताभ और दो बेटियों के साथ वहां रहती थीं. उनकी 10 साल की बेटी का नाम प्रियम और 3 साल की बेटी का नाम पूजा था. 

प्रियंका को वहां पर जॉन एफ कैनेडी हाई स्कूल में एडमिशन दिलवादिया गया. इस स्कूल में बच्चों को इंडिया के मुकाबले में ज्यादा जिम्मेदार समझा जाता था, और उन्हें ज्यादा आजादी हासिल थी. वह यह देखकर बहुत खुश हो गईं कि उस स्कूल में बच्चों के लिए कोई यूनिफार्म पहनना जरूरी नहीं था बल्कि वह वहां पर अपनी मर्जी की ड्रेसेस पहनसकते थे. और लड़कियों को मनचाहा फैशन करना अलाउड था. इसके बाद वह अपनी किरण आंटी और उनकी फैमिली के साथ रह कर स्कूल अटेंडकरने लगीं . 

अमेरिका में स्कूल के सेशन अगस्त या सितंबर से शुरू होकर मई या जून तक चलते थे. जबकि इंडिया में स्कूल के सेशन अप्रैलसे मार्च तक होते थे. हालांकि अमेरिका आने से पहलेप्रियंकाबरेली में आठवीं क्लास में एडमिशन ले चुकी थीं. लेकिन फिर उन्होंने वहां पर आठवीं ग्रेड में दोबारा से एडमिशन ले लिया था. और जल्दी ही वहां के माहौल में खुद को एडजस्ट कर लिया था. उनका स्कूल बहुत बड़ा था. वहां पर क्लासेज के बीच में शोर गुल का माहौल, खुशनुमा फैशन वाले लोग और आमतौर पर पूरी आजादी का एहसास उनको बहुत अच्छा लगता था. इसके अलावा स्कूल में ग्रुप में सिंगिंग मैं पार्टिसिपेट करना उनको बहुत पसंद था. उनको स्कूल फंक्शन में गाना गाने के लिए भी सिलेक्ट किया गया था. वह स्कूल में म्यूजिकल थिएटर में भी बहुत इंटरेस्ट किया करती थीं. 

1996 की गर्मियों में उनकी किरण आंटी और अमिताभ अंकल ने अपने अपने जॉब चेंज कर लिए थे. और दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग शहरों में हुई थी. अमिताभ लिंकन शहर में औरकिरण इंडियाना पोलिस शहर में जॉब करने लगी थीं. इस वजह से प्रियंका प्रियम और पूजा को न्यूयॉर्क शहर के पड़ोस में फ्लशिंग क्वींस में रहने के लिए भेज दिया गया था. जहां पर प्रियंका की मां के भाई विमल मामा उनकी वाइफ विमला मामी और उनके दो बच्चे दिव्या और रोहन रहते थे. 

प्रियंका ने फ्लशिंग क्वींस मे रॉबर्ट एफ कैनेडी कम्यूनिटी हाई स्कूल में 9 वें ग्रेड में एडमिशन ले लिया. वहां पर पढ़ने वाले सभी स्टूडेंट्स दूसरी जगहों से आए थे इसलिए प्रियंका ने बड़े आसानी से उन सब के साथ खुद को एडजस्ट कर लिया. 

प्रियंका को न्यूयॉर्क का म्यूजिक, वहां का फैशन और वहां का मस्ती भरा माहौल बहुत पसंद आया था. 

प्रियंका के मामा मामी पांचों बच्चों को अक्सर न्यूयॉर्क घुमाने ले जाया करते थे. जहां पर उन्होंने स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी, न्यू यॉर्क हॉल ऑफ साइंस और चिल्ड्रन म्यूजियम जैसी तमाम इंपॉर्टेंट चीजों को देखा और इंजॉय किया. उस म्यूजियम में बहुत से मशहूर पेंटर्स की पेंटिंग को डिस्प्ले किया गया था. जिनमें से विंसेंट गो की स्टारी नाइट नाम की ऑइल पेंटिंग ने उनका मन मोहलिया था और वह उस पेंटिंग को बहुत करीब से देखना चाहती थीं. लेकिन वहां पर रखी हुई किसी भी चीज को छूने की मनाई थी इसके बावजूद वह जल्दी से वहां पर लगाई गई बैरिकेडिंगको हटाकर उस पेंटिंग के पास पहुंच गईं और उस पर अपना हाथ फिराने लगीं. यह देखकर वहां तैनात सिक्योरिटी गार्डों ने उन सब को म्यूजियम से बाहर निकाल दिया था. प्रियंका की इस शैतानी पर उनकी फैमिली के सभी लोगबहुत नाराज हुए थे. 

क्वींस में रहने के दौरानप्रियंकाअमेरिका के बारे में चीजों को बहुत अच्छी तरह से समझने लगी थीं. 

और फिर कुछ महीनों के बाद 9 वें ग्रेड के दौरान ही प्रियंका प्रियम और पूजा के साथफ्लशिंग क्वींस से पैक अप कर केकिरण आंटी के साथ रहने के लिएइंडियाना पोलिस आ गईं थीं . वहां पर उन्होंने नार्थ सेंट्रल हाई स्कूल जॉइन कर लिया. यहीं पर उन्हें बॉब नाम के एक लड़के से प्यार हो गया था. उन्होंने स्कूल के बाद उस लड़के के साथ मिलना जुलना शुरू कर दिया था. और वह अक्सर लैंड लाइन फोन पर भी उस सेबातें किया करती थीं. किरण आंटी को इस बारे में पता लग चल गया था. उन्होंने प्रियंका से अपनी नाराजगी दिखाते हुए उन्हें उस लड़के से मिलने जुलने से मना किया. लेकिन प्रियंका ने उससे मिलना जुलना बंद नहीं किया. इसके बाद किरण ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए प्रियंका के पेरेंट्स को कॉल करके इस बारे में उनकी शिकायत भी की थी. लेकिन प्रियंका की मां नेइस मैटर को ज्यादा सीरियसलीनहींलिया बल्कि उन्होंने मज़ाक में प्रियंका से पूछा था कि किरण को इस बारे में कैसे पता चल गया था.

लेकिन किरण आंटी ने इस मैटर को बहुत सीरियस ले लिया और उस लड़के बॉब से उन को दूर करने के लिए उन्होंने दस वें ग्रेड से पहले प्रियंका को वापस विमल मामा और विमला मामी के पास भेज दिया. जो उस समय फ्लशिंग क्वींस को छोड़ कर न्यूटन मैसाचुसेट्स में रहने लगे थे. बॉब से दूर हो जाने के बावजूद प्रियंका का उससे प्यार कम नहीं हुआ और वह बराबर चिट्ठियों और ईमेल के जरिए से उसके कांटेक्ट में बनी रहीं. फिर बाद में जब प्रियंका को पता चला कि उनके वहां से जाते ही बॉब ने उनकी बेस्ट फ्रेंड के साथ अफेयर शुरू कर दिया था. तब उसी समय उन्होंने भी बॉब को गुड बाय बोल दिया था. 

प्रियंका ने न्यूटन नॉर्थ हाई स्कूल में दस वें ग्रेड में एडमिशन ले लिया. वहां पर वह अपने दोस्तों के साथ म्यूजिक थियेटर और ग्रुप सिंगिंग में शामिल हो गई थीं. और वहां के मॉडर्न फैशन में बहुत इंटरेस्ट लेने लगी थीं. उन्होंने अपना मेकअप का सामान और फैशनेबल ड्रेसेस अपने स्कूल के लॉकर में रखी हुई थीं. वह घर से एक जींस और टॉप पहन कर स्कूल आती थीं. और स्कूल के बाथरूम में उन्हें चेंज करके जाकर छोटी टाइट स्कर्ट और जैकेट वगैरा पहनकर खूब मेकअप करके डार्क लिपस्टिक लगाया करती थीं. 

वहां पर उनके लिए सब कुछ अच्छा चल रहा था. लेकिन उनके साथ एक मुश्किल भरा टाइम शुरू हो गया था.पढ़ाई के दौरान वह कई बार कथित तौर पर रंगभेद का शिकार हुईं. जेनी नाम की एक लड़की अपने दोस्तों के ग्रुप के साथ उन्हें स्कूल में तंग किया करती थी और उन्हें अकसर धमकाती रहती थी. इतना ही नहीं, सांवले रंग के कारण प्रियंका के बहुत से क्लास मेट उनका मजाक उड़ा कर उन पर हंसते भी थे. और बाथरूम में उनके बारे में गंदी गंदी बातें लिखते थे. प्रियंका इन सब बातों से पूरी तरीके से इरिटेट हो गई थीं. स्कूल में उस लड़की की शिकायत करने के बावजूद उसके ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया गया था. उन्होंने सोचा था इस मैटर को वह खुद हैंडल कर लेंगी इसलिए उन्होंने यह बात घर में किसी से भी नहींबतायी थी. और फिर दसवें ग्रेड का सेशन खत्म होते ही उनकी हिम्मत जवाब दे गई. उन्होंने अपनी मां को कॉल किया और उन्हें अपनी दुख तकलीफ के बारे में बताया. उनकी मां अगली फ्लाइट से अमेरिका आ गईं. और उनके स्कूल जाकर स्कूल छोड़ने की फॉर्मेलिटी पूरी कर दी. और फिर इसके 5 दिन बाद प्रियंका अपनी मां के साथ इंडिया वापस आ गईं.

पार्ट - 4
अमेरिका से इंडिया तक के सफर में 20 घंटे से ज्यादा का टाइम लगता है और रास्ते में किसी जगह पर रुक कर दोबारा से सफर शुरू किया जाता है. प्रियंका इंडिया लौटते समय अपनी मां के साथ 2 दिन तक पेरिस में रुकी थीं. पेरिस अपने फैशन कल्चर और खानपान के लिहाज से एक बहुत ही खूबसूरत शहर था. वहां पर उन्होंने तमाम खूबसूरत जगहों की सैर की और फिर लुवर म्यूजियम को भी विजिट किया. वहां पर वह मोनालिसा की पेंटिंग के साथ अपनी फोटो क्लिक करवाना चाहती थीं. लेकिन यहां भी पेंटिंग्स के आसपास बैरिकेडिंग लगाई गई थीं और उन के करीब जाना मना था. लेकिन उनकी मां ने उनकी इच्छा को देखते हुए उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि वह जल्दी से बैरिकेडिंग हटा कर उस पेंटिंग के पास खड़ी हो जाएं. प्रियंका ने ऐसा ही किया और उनकी मां ने जल्दी से मोनालिसा के साथ उनकी एक फोटो क्लिक कर ली. लेकिन यहां पर भी सिक्योरिटी गार्ड्स ने उनकी इस हरकत पर उनको म्यूजियमसेबाहर निकाल दिया था. लेकिन प्रियंका को ऐसा करके बहुत मजा आया और उनका खोया हुआ कॉन्फिडेंस वापस लौटने लगा.

प्रियंका को बरेली में अपने घर वापस लौटने पर ऐसा महसूस हुआ मानो कोई मुरझाया हुआ पौधा फिर से हरा भरा हो गया था. अमेरिका के न्यूटन में उन्हें परेशान करने के लिए जो बुरा बर्ताव उन के साथ किया गया था वह उस झटके से अभी तक बाहर नहीं आ पाईथीं और उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बहुत कम हो गया था. लेकिन उनके पिता ने यह सिखाया था कि हर एक नए एक्सपीरियंस के साथ अपने आप को एक नए अंदाज़ में बनाने का मौका भी साथ में आता था. 

प्रियंका ने 16 साल की उम्र में बरेली में आर्मी पब्लिक स्कूल में 11वीं क्लास में एडमिशन ले लिया. वह स्कूल टाइम के बाद दूसरी ल़डकियों के साथ खुली रिक्शा में बैठकर फिजिक्स और मैथ्स का ट्यूशन पढ़ने जाती थीं. उस वक्त वो बहुत टाइट जींस के साथ बहुत टाइट फैशनेबल कपड़े पहनती थीं. और खूब मेकअप किया करती थीं.और कुछ मनचले लड़के रास्ते में अपनी बाइक पर उनका पीछा किया करते थे. लेकिन वह चुपचाप सिर झुका कर उनको अवॉइड कर देती थीं. 

प्रियंका अपने छोटे भाई सिद्धार्थ के साथ अपनी रिलेशन शिप के बारे में बहुत अफसोस महसूस करती थीं. दरअसल जब सिद्धार्थ का जन्म हुआ था तो उन्हें उससे बहुत जलन होती थी. वह यह सोचती थीं कि उनके माता - पिताउससे ज्यादा सिद्धार्थ से प्यार करते थे और उसको ज्यादा अटेंशन देते थे. लेकिन जब वह अमेरिका से लौट कर वापस घर आईं , तब उन्होंने यह रियलाइज किया कि उनकी और सिद्धार्थ की उम्र में काफी बड़ा गैप था. जिस वज़ह से वह दोनों अपनी अलग अलग दुनिया में रहते थे. खासकर उस वक्त जब वह दोनों पहले ही बहुत सालों तक अलग रह चुके थे. प्रियंका एक टीन एजर होने की वजह से अपने दोस्तों के साथ रहने और पार्टियों में जाने के अलावा अपने नए स्कूल में बिजी हो गई थीं. और उनको स्कूल एग्जाम की तैयारी भी करनी थी. ऐसे में वह 8 साल के सिद्धार्थ की तरफ बहुत कम ध्यान दे रही थीं. और उनके माता-पिताभी प्रियंका को ज्यादा अटेंशन दे रहे थे . वह दोनों उनके सामाजिक औरपढ़ाई के मामलों को सही तरीके से डील करने में उनकी मदद कर रहे थे. और इसके अलावा उस दौरान प्रियंका के पेरेंट्स बरेली में अपना खुद का एक नया हॉस्पिटल बनवा रहे थे. इसलिये सिद्धार्थ की ज्यादातर जरूरतें पूरी करने की जिम्मेदारी उसकी नानी ही संभालती थीं. जिनके साथ वह अपने जन्म के समय से ही रह रहा था. 

प्रियंका को बहुत साल पहले लखनऊ के ला मार्टिनियर स्कूल में डांसिंग और सिंगिंग में बहुत पॉजिटिव अटेंशन मिला था. इस बार भी उन्होंने बरेली में आकर अपने बेहतरीन प्रदर्शन वाले हुनर में पार्टिसिपेट करना शुरू कर दिया . खासकर सिंगिंग और डांसिंग में. जिनको बहुत अच्छे से किया करती थीं.

आर्मी स्कूल में उन्होंने अपने बहुत सारे दोस्तों का एक ग्रुप बना लिया था, जिनके साथ मिल कर वह लोग पार्टियाँकरते थे , प्यार मोहब्बतकरते थे और डेट पर भी जाया करते थे. उन्हें यह बात बहुत अच्छी लगती थी कि अमेरिका की तरह यहां पर उन्हें यह सब कुछ छुपकर नहीं करना पड़ता था. और उन्हें एक जवान शख्स के तौर पर यह सब करने की पूरी आजादी हासिल थी. 

वह अपना शाम का वक़्त दोस्तोंके साथ बरेली क्लब में गुजारा करती थीं. जहां पर हर शुक्रवार और शनिवार की रात में उनके माता-पिता भी उनके साथ होते थे. उस क्लब में अक्सर बहुत सारे फंक्शन ऑर्गेनाइज किए जाते थे. यहां तक कि दीवाली और होली को भी वहां खूब अच्छे तरीके से मनाया जाता था. वहां पर बड़ी पार्टियां भी होती थीं, जिसमें डीजे के साथ एक डांस फ्लोर पर सब लोग मस्ती में डांस किया करते थे. और वहां पर बहुत सारे खेल भी खेले जाते थे.

मई 1999 में ऐसी ही एक त्यौहार वाली रात को बरेली क्लब में एनुअल मई क्वीन बॉल का आयोजन किया गया. जिसमें सबसे खूबसूरत लड़की को चुना जाना था. इस कंपटीशन की जज बरेली के डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर दीपक सिंघल की वाइफ मिसेज अनीता को बनाया गया था. दीपक प्रियंका के पिता के पुराने दोस्त थे. मिसेज अनीता प्रियंका से मिल कर बहुत इम्प्रेस हो गईं. और उन्होंने उनसे मई क्वीन के कंपटीशन मेंपार्टिसिपेट करनेके लिए जोर दिया. और फिर शुरुआती हिचकिचाहट के बाद प्रियंका इसके लिए तैयार हो गईं. और आखिर कार उन्होंने वह कंपटीशन जीत लिया. इसके बाद जब उन्हें मई क्वीन का ताज पहनाया गया, तब उन्होंने अपने अंदर एक नए कॉन्फिडेंस को मजबूत होते हुए महसूस किया.

प्रियंका बारहवीं क्लास के बोर्ड एक्साम्स की तैयारी के लिए बहुत कड़ी मेहनत कर रही थीं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बारे में प्लानिंग कर रखी थी. और उसके लिए स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया था. उन्होंने बरेली में सूरी फोटो स्टूडियो में जाकर फॉर्म में लगाने के लिए पासपोर्ट साइज की फोटो खिंचवाई. तभी स्टूडियो के मालिक ने उनसे कुछ मॉडलिंग के पोज शूट कराने के लिए कहा . जब उन्होंने यह बात अपनी मां को बताई तो उन्होंने प्रियंका के साथ जाकर मॉडलिंग वाले कुछ एक्स्ट्रा फोटोस भी तैयार करा लिए . और फिर उनकी मां ने कुछ दिनों बाद सिद्धार्थ के कहने पर मिस इंडिया कंपटीशन के लिए मॉडलिंग वाले फोटोस को फेमिना मैगजीन में भिजवा दिया .

नवंबर 1999 में फेमिना मैगजीन कीतरफ से प्रियंका को कॉल करके बताया गया कि उन्होंने नॉर्थ इंडिया को रिप्रेजेंट करने वाली मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए क्वालीफाई कर लिया था. और उनसे एक दिन के बाद दिल्ली आने के लिए कहा गया. यह सुनकर उनको बहुत अचंभा हुआ. उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी मां और सिद्धार्थ ने मिस इंडिया के लिए पहले ही अप्लाई कर दिया था. बल्कि उन्होंने अपने मासूम दिमाग से यह सोचा कि शायद मिस इंडिया कंपटीशन कराने वाले लोगों को उनके लोकल मई क्वीन जीतने के बारे में पता चल गया था. और फिर उन्होंने खुशी से चिल्लाते हुए अपनी मां से बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वह बरेली में इतनी मशहूर हो गई थीं कि मिस इंडिया वाले लोग भी जानने लगे थे कि वह कौन थीं. इसके बाद उनकी मां ने हंसते हुए उनकोअसली सिचुएशनके बारे में बताया. और प्रियंका ने यह रियलाइज किया कि उन्हें कितनी बड़ी अपॉर्चुनिटी हासिल हो गई थी. लेकिन वह इसके बाद खुश होने के साथ साथ परेशान भी हो गईं. जनवरी में उनके प्री बोर्ड के एग्जाम थेऔर उसके 2 महीने बाद मार्च में बोर्ड के एग्जाम थे. वहअच्छे जॉबऔर सुरक्षित फ्यूचर के लिए बोर्डएग्जामको बहुत अच्छे नंबरों से पास करना चाहती थीं. 

प्रियंका जब बड़ी हो रही थीं तभी से उन्होंने देखा था कि मिस इंडिया बनने वाली लड़कियों की बहुत तारीफ की जाती थी और उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता था. उन्हें याद आया कि 21 मई 1994 को पहली भारतीय लड़की सुष्मिता सेन फिलीपींस में मिस यूनिवर्स बनी थीं, तब खुद उन्होंने ही उनकी बहुत तारीफ की थी. उस समय सुष्मिता सेन की उम्र 18 साल और प्रियंका की उम्र 12 साल थी. वह एक सेल्फ मेड गर्ल थीं, जिन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता जीतने के बाद मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता को भी जीता था. वह अपने विचारों कोइंग्लिश लैंग्वेज में बना करपूरे कंट्रोल के साथ बोल सकती थीं. यह उनकी बहुत बड़ी काबिलियत थी क्योंकि इंग्लिश लैंग्वेज उनकी पहली भाषा भी नहीं थी. और देश के लिए सोने में सुहागा वाली बात तो यह थी की उसी साल 9 जुलाई 1994 को इंडिया की ऐश्वर्या राय ने भी साउथ अफ्रीका में मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था. 

सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय ने प्रियंका को बहुत मोटिवेट किया था. वह अपनी माँके साथप्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दिल्ली चली गईं. वहां पर उन्होंने उस प्रतियोगिता के हिसाब से अपनी तैयारी की और फिर कंटेस्टेंट केसिलेक्शन के लिए तमाम राउन्ड का दौरशुरू हो गया. इसके बाद प्रियंका ने मिस वर्ल्ड के लिए फाइनल 10 प्रतियोगियों के बीच में अपनी जगह बना ली. इसके बाद वह लोग बरेली वापस आ गए. 

मिस इंडिया का असली कंपटीशन 15 जनवरी 2000 को पुणे में पूना क्लब में हुआ था . हर साल 3 तीन लड़कियां इस प्रतियोगिता को जीतती थीं, जो तमाम दूसरी इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में इंडिया को रिप्रेजेंट करती थीं. प्रतियोगिता की पहली विनर को मिस इंडिया यूनिवर्स का ताज पहनाया जाता था जो मिस यूनिवर्स पेजेंट का खिताबजीतने के लिए मुकाबला करती थीं. प्रतियोगिता की दूसरी विनर को मिस इंडिया वर्ल्ड का ताज पहनाया जाता था जो मिस वर्ल्ड का खिताबजीतने के लिए मुकाबला करती थीं. और प्रतियोगिता की तीसरी विनर को मिस इंडिया एशिया पैसिफिक काताज पहनाया जाता था जोमिस इंटरनेशनल पेजेंट का खिताबजीतने के लिए मुकाबला करती थीं. 

साल 2000 के मिलेनियम ईयर होने की वजह से इस बार इस प्रतियोगिता में अलग-अलग फील्ड की तमाम मशहूर हस्तियों को जज के पैनल में शामिल किया गया था . और मेन कंपटीशन केदौरान वहां पर छोटे लेवल पर भी कुछ प्री - कंपटीशन को आयोजित किया गया था. जिसमें मिस परफेक्ट टेन, मिसकंजेनिएलिटी, स्विम सूट और टैलेंट जैसे इवेंट शामिल किए गए थे. और मजे की बात यह थी कि प्रियंका इनमें से किसी भी इवेंट में नहीं जीत पाई थीं. 

इस कंपटीशन में प्रियंका का मुकाबला लारा दत्ता, दीया मिर्जा, वालूश्चा डिसूजा, और लक्ष्मी राना जैसी खूबसूरत, दयालू और बहुत अच्छा बोलने वाली कंटेस्टेंट के साथ में था. प्रियंका इन सबके सामने खुद को बहुत कमजोर मान रही थीं. उनके हिसाब से लारा दत्ता इस खिताब को जीतने वाली थीं. क्योंकि वह पहले भी एक ब्यूटी पेजेंट का खिताब जीत चुकी थीं. और उन्होंने मॉडलिंग से अपना कैरियर शुरू किया था.

प्रियंका किसी तरह से 5 लड़कियों के फाइनल राउंड में पहुंच गई थीं. इस राउंड के लिए उनका नाम सबसे बाद में पुकारा गया था. और वह लारा दत्ता, दिया मिर्जा, लक्ष्मी राणा और गायत्री जयरामन के साथ स्टेज पर खड़ी थीं. इन लोगों के सामने वह अपनी जीत की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं कर रही थीं. हालांकि उन्हें इस बात की बहुत तसल्ली थी कि वह किसी मॉडलिंग और पेजेंट यानी ब्यूटी कंपटीशन के एक्सपीरियंस के बिना भी मिस इंडिया कंपटीशन के टॉप 5 में शामिल थीं. और यही उनके लिए बहुत बड़ा अचीवमेंट था. 

और फिर मिस इंडिया वर्ल्ड 2000 के लिए प्रियंका का नाम पुकारा गया तो वो एकदम से हैरान हो गई थीं. यह उनके लिए एक गर्व करने वाला पल था. उसी शाम को लारा दत्ता को मिस इंडिया यूनिवर्स और दिया मिर्जा को मिस इंडिया पेसिफिक का ताज पहनाया गया. 

प्रियंका को 30 नवंबर 2000 को लंदन के मिलेनियम डोम में मिस वर्ल्ड 2000 और मिस वर्ल्ड कॉन्टिनेंटल क्वीन ऑफ़ ब्यूटी-एशिया एंड ओशिनिया का ताज पहनाया गया. प्रियंका मिस वर्ल्ड जीतने वाली पांचवी भारतीय प्रतियोगी थीं. ब्यूटी कंपटीशन जीतने के बादफिल्मी दुनिया से ऑफर आने लगे तो, उन्होंने सिनेमा में अपना करियर बनाने का प्लान कर लिया.

पार्ट - 5
प्रियंका चोपड़ा एक इंडियन फिल्म ऐक्ट्रिस, गायक कलाकार और फिल्म प्रोड्यूसर भी हैं. 2015 से प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड सिनेमामे भी एक्टिव हो गई हैं.2000 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीत चुकीं प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड की सबसे महंगी एक्ट्रेसेस में से एक हैं, वह अपने करियर में हिंदी सिनेमा में कई इंपॉर्टेंट अवार्ड्स को अपने नाम कर चुकी हैं, जिनमे नेशनल अवार्ड्स और पांच कैटेगरी में फिल्मफेयर अवार्ड्स शामिल हैं. 2016 में भारत सरकार ने प्रियंका चोपड़ा को पद्मश्री से सम्मनित किया इसके साथ ही टाइम मैगजीनने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में चुना है. 2017 में फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे पावरफुल लेडिजमें उनका नाम दर्ज किया है. 

प्रियंका चौपड़ा ने हॉलीवुड में अपने सफर के दौरान अमेरिकी सिंगर और अभिनेता निक जोनस को डेट करना शुरु कर दिया। दोनों ने अगस्त 2018 में अपनी इंगेजमेंट करने के बाद दिसंबर 2018 में जोधपुर के उम्मैद भवन में हिंदू और 

क्रिश्चन रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी कर ली.

हिंदी सिनेमा में बहुत मशहूर हो जाने के बाद भीप्रियंका का रिश्ता अपने परिवार से मजबूत बना रहा. प्रियंका अपने पिता के बेहद करीब थीं. जून 2013 में कैंसर की वजह से प्रियंका के पिता की डेथ हो गई थी. इससे पहले 2012 में ही प्रियंका ने अपने पिता की हैण्ड राइटिंग में भी ' डैडी लिल गर्ल ' का टैटू बनवाया था. फिल्मी दुनिया में उन्होंने अपना एक ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है. और वहखुद को सेल्फ मेड स्टार कहती हैं. प्रियंका की मां मधु चोपड़ा बरेली में मशहूर स्त्री रोग की स्पेशलिस्ट थीं. 

प्रियंका चोपड़ा को मिस इंडिया वर्ल्ड जीतने के बाद पहली बार अब्बास मस्तान की रोमांटिक थ्रिलर फिल्म हमराज के लिए कॉन्टेक्ट किया गया था, लेकिन वह इस फिल्म में किसी वजह से काम नहीं कर सकी थीं . उसके बाद उन्होंने तमिल फिल्म थमिजहन से एक्टिंग की शुरुआत की थी.इस फिल्म में प्रियंका के अपोजिट साउथ का मशहूर हीरो विजय ने काम किया था. फिल्म में प्रियंका का रोल काफी छोटा था. 

2003 में प्रियंका ने फिल्म द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई से हिंदी सिनेमा में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म में प्रियंका ने सेकंड लीड एक्ट्रेस का रोल निभाया था. इस फिल्म में सन्नी देओल, प्रीति जिंटा ,अमरीश पुरी और प्रियंका चोपड़ा अहम किरदार में थे. उस साल यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी और इस फिल्म में प्रियंका के किरदार को भी क्रिटिक्स ने अपना मिला जुला रिस्पांस दिया था. इसी साल प्रियंका ने राज कंवर की फिल्म अंदाज में अक्षय कुमार के अपोजिट काम किया था. और वह एक बार फिरइस फिल्म में सेकंड लीड एक्ट्रेस के रोल में दिखाई दी थीं. फिल्म में अक्षय प्रियंका चोपड़ा के अलावा लारा दत्ता ने भी काम किया था.फिल्म में उनकी ऐक्टिंग की खूब तारीफ हुई थी, जिसके लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड में बेस्ट स्पोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नोमिनेशन भी मिला था. 

2004 में प्रियंका की एक के बाद एकतीन फ़िल्में रिलीज हुई थीं - प्लान,किस्मत और असम्भव. और यह तीनों ही फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई थीं. प्रियंका को फिल्मी कैरियर की शुरुआत मेंग्लैमर रोल ऑफर किये जाते थे. लेकिन कुछ समय बाद डेविड धवन ने प्रियंका को एक कॉमेडी फिल्म 'मुझसे शादी करोगी' के लिए ऑफर दिया. इस फिल्म में प्रियंका ने सलमान खान के अपोजिट काम किया था. इस कमर्शियल फिल्म को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला और यह उनकी एक साल में तीसरी सुपरहिट फिल्म भी साबित हुई. 

इसके बाद प्रियंका को अब्बास-मस्तान की ऐतराज में एक नेगेटिव रोलकरने का ऑफ़र मिला. इस फिल्म में प्रियंका ने सोनिया कपूर की भूमिका निभाई थी. जो अपने इम्प्लोयी परसेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाती है. फिल्म हिट हो गयी और प्रियंका को उन के दमदार रोल के लिएकाफी तारीफ़ मिली थी. इस फिल्म में अक्षय कुमार ,करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा अहम किरदार में थे.इस फिल्म में प्रियंका को बेस्ट नेगेटिव रोल के लिएफिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. इसके अलावा उन को बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रिस के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नोमिनेशन और एक सपोर्टिंग रोल में बेस्ट एक्ट्रेस के लिएनिर्माता गिल्ड फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा गया था. 

2005 में प्रियंका ने6 फिल्मों में काम किया था. जिनमे उनकी पहली दो फ़िल्में 'ब्लैकमेल और करम' बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप हो गई थीं.हालांकि फिल्म वक्त: द रेस अगेंस्ट द टाइम प्रियंका के लिए इस साल बहुत लकी साबित हुई थी.यह फिल्म एक फैमली ड्रामा थी, इस फिल्म में प्रियंका ने अक्षय कुमार की वाइफ का रोल किया था. और इस में अमिताभ बच्चन ने काम किया था.इसके बाद प्रियंका ने फिल्म यकीन, बरसात और ब्लफमास्टर में काम किया था. और यह सभी फ़िल्में हिट साबित हुई थीं. 

2007 में प्रियंका ने निखिल अडवाणी के डायरेक्शन मेंफिल्म सलाम-ए-इश्क में काम किया था. इस फिल्म में प्रियंका एक बार फिर सलमान खान के अपोजिट दिखाई दी थीं. इस फिल्म में उन्होंने कामिनी का रोल किया था. इसके बाद 2008 में प्रियंका फिल्म ' लव स्टोरी 2050' में हर्मन बावेजा के अपोजिट दिखाई दी थीं. यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई थी. प्रियंका इसके बाद एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन परसलमान खान के साथ फिल्म गॉड तुस्सी ग्रेट में दिखाई दी थीं. फिल्म में सलमान खान के अलावा सोहेल खान और अमिताभ बच्चन भी अहम किरदार में थे लेकिन यह फिल्म भीबॉक्स-ऑफिस पर अपना जलवा नहीं दिखा सकी थी.इसके बाद प्रियंका ने फिल्म चमकू और द्रोणा में काम किया था और दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हो गईं. इस तरह से लगातार फ़िल्में फ्लॉप होने की वजह से बहुत से क्रिटिक्सप्रियंका के एक्टिंग करियर को खत्म हो गया मानने लगे थे.

आखिर कार फिल्म फैशन प्रियंका के एक्टिंग करियर में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई. मधुर भंडारकर के डायरेक्शन में इस फिल्म मे प्रियंका ने मेघना का रोल प्ले किया था , जो एक छोटे शहर से मुंबई में आकर अपने बड़े सपनों को पूरा करना चाहती है.फिल्म में प्रियंका की एक्टिंग ने हर जगह खूब तारीफें बटोरी थीं.इस फिल्म के लिए प्रियंका को बेस्ट ऐक्ट्रिसके लिए नेशनल फिल्म अवार्ड, बेस्ट ऐक्ट्रिस के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड, बेस्ट ऐक्ट्रिस के लिए आई आई एफ ए अवॉर्ड, बेस्ट ऐक्ट्रिस के लिए स्क्रीन अवॉर्ड और बेस्ट ऐक्ट्रिस के लिए निर्माता गिल्ड फिल्म अवॉर्ड सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. 

इसके बाद प्रियंका ने तरुण मनसुखानी की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म दोस्ताना में अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के साथ काम किया था.उन्होंने इस फिल्म मेंएक स्टाइलिश फैशन मैगजीन एडिटर का रोल प्ले किया था. जिसमें उन की एक्टिंग की काफी तारीफ हुई थी. 

2009 में प्रियंका ने अपने रोल्स के साथ एक्सपेरिमेंट करना शुरू कर दिया था.या यूं कहें कि उन्होंने कुछ नया करना शुरू किया था. उन्होंने विशाल भारद्वाज के डायरेक्शन मेंथ्रिलर फिल्म कमीने मेशाहिद कपूर के अपोजिट काम किया था. यह फिल्म दो भाइयों की कहानी की है, जिनकेअंडर वर्ल्ड से कनेक्शन जुड़े होते हैं.फिल्म में प्रियंका की एक्टिंग ने सबको हैरान कर दिया था. इस फिल्म में प्रियंका मराठी भी बोलती हुई नजर आती हैं. फिल्म फैशन के बाद प्रियंका को इस फिल्म के लिए भी कई अवार्ड्स में नोमिनेशन मिला. जिन में आइफा अवार्ड्स, गिल्ड वगैरह शामिल हैं .

इसके बाद प्रियंका ने आशुतोष गोविरकर की फिल्म व्हाट्स योर राशि में काम किया था.इस फिल्म में प्रियंका ने राशियों के हिसाब से बारह अलग अलग रोल प्ले किए थे. फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग के लिए प्रियंका को स्क्रीन बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नॉमिनेशन मिला था. 

2010 में प्रियंका ने जुगल हंसराज के डायरेक्शन मेंफिल्म प्यार इम्पॉसिबल में काम किया था.इस फिल्म में उन के अपोजिट उदय चोपड़ा नजर आए थे, लेकिन फिल्म को अच्छा रिस्पांस नहीं मिला और वह फ्लॉपहो गयी.उसके बाद प्रियंका ने फिल्म अंजाना - अनजानी में रणबीर कपूर के अपोजिट काम किया था. इस फिल्म की कहानी दो अजनबी लोगो की है, जिसमे दोनों लोगसुसाइड करने की कोशिश करते हैं. लेकिन धीरे-धीरे दोनोंएक दूसरे से प्यार करने लग जाते हैं. फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर ज्यादा कमाई तो नहीं की थी, लेकिन वह फ्लॉप भी नहीं हुई थी. 

2011 में प्रियंका ने फिल्म सात खून माफ़ मे काम किया था, यह फिल्म रस्किन बांड की किताब के बेस पर बनाई गई थी फिल्म में उनके साथ नील नितिन मुकेश, जॉन अब्राहम, इरफान, नसीरुद्दीन शाह, अन्नू कपूर अहम किरदार में थे. इस फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग के लिए प्रियंका की बहुत तारीफ की गई थी. इस फिल्म में उन्हें बेस्ट ऐक्ट्रिसके लिए फ़िल्म फेयर क्रिटिक्सका अवॉर्ड और फिल्म फेयर अवॉर्ड, आई आई एफ ए अवॉर्ड, प्रोड्यूसर गिल्ड फिल्म अवॉर्ड और बेस्ट ऐक्ट्रिस के लिए स्क्रीन अवॉर्ड के लिए नोमिनेशन दिया गया था. इसके बाद प्रियंका फिल्म डॉन में दिखाई दी थीं. इस फिल्म में उनकी दमदार एक्टिंग की वजह सेएक बार फिर क्रिटिक्स नेउनकी तारीफ तारीफों के पुल बांध दिए थे.

प्रियंका ने फिल्म फैशन के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.उन्होंने अपनी सभी फिल्मों में अपना पूरा योगदान दिया , जिसके लिए उन्हें कई अहम पुरुस्कारों से नवाजा गया प्रियंका ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया जिनमे 2009 में कमीने,, 2011 मेंबर्फी, और डॉन - 2, 2014 में मैरी कॉम, 2015 मे मस्तानी शामिल हैं यह सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई हैं.

2015 में प्रियंका ने जोया अख्तर की फिल्म दिल धड़कने दो मे काम किया था. यह फिल्म एक फैमिली ड्रामा थी, इस फिल्म में रणवीर सिंह, अनिल कपूर ,शेफाली शाह,अनुष्का शर्मा और फरहान अख्तर ने भी अहम किरदार निभाए थे. यह फिल्म एक पंजाबी परिवार की है, जो अपनी शादी की 30 वीं 

सालगिरह क्रूज पर मानाने पहुंचते हैं। इस फिल्म में प्रियंका की दमदार एक्टिंग ने उन्हें एक एकबार फिर कई अवार्ड्स में नॉमिनेशन दिलाया था. 

2015 में ही प्रियंका ने ए बी सी स्टूडियो में अमेरिकन थ्रिलर शो क्वांटिको को साइन किया, इस शो में प्रियंका ने एलेक्स पैरिश का किरदार निभाया था. इस शो के लिएप्रियंका को टी वी सीरीज में पसंदीदा अभिनेत्री के लिए पीपुल्स चॉइस अवार्ड मिला, और वह इस अवॉर्ड को जीतने वाली पहली दक्षिण एशियाई एक्ट्रेस बन गई थीं., 2016 में उन्होंने पसंदीदा थिएटर टी वी ऐक्ट्रिसके लिए दूसरा पीपल्स चॉइस अवॉर्ड जीता. 2018 में तीन सेशनके बाद क्वांटिको को रद्द कर दिया गया था. 

प्रियंका चोपड़ा की दिलचस्पी एक्टिंग के अलावा म्यूजिक में भी बहुत ज्यादा है. उन कीपहली फिल्म थामिजहन के लिए उनके गाने की रिकॉर्डिंग की गई थी. लेकिन प्रियंका को सिंगिंग की दुनिया में पहचान इन माय सिटी से मिली, इसके बाद उनके गानों की रिकॉर्डिंग में एक्सोइटिक और आई कांट मेक यू लव मी शामिल हैं.

कुल मिलाकर
इसमें बताया गया है कि कैसे प्रियंकाअपने हर फैसले परमजबूती से कायमरहीं. उन्होंने सेक्सिजम और रेसिज्म के बारे में भीडिस्कस करते हुए बताया है कि उन्हेंअपनी जिंदगी में किन परेशानियों और मुसीबतों को झेलना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने अपने पिता की मौत के बाद के डिप्रेशन के बारे में भी बताया. औरनिक के साथ अपनी लव स्टोरी के बारे में भी जानकारी दी है.

उन्होंने बताया है कि मनोरंजन के बिजनेस में एक औरत होने की वजह से उन्हें मजबूत बनना पड़ा. उनका मानना है कि जब कलाकार दूसरों को अपनी कमजोरी दिखाते हैं तो लोग उनको नीचा दिखाने में बहुत खुशी महसूस करते हैं. उन्होंने जिन मुसीबतों को झेला था उसके बारे में बातें नहीं कीं, बल्कि इसकी जगह उन्होंने सिर्फ अपना काम किया. अब वह खुद को ज्यादा समझदार मानती हैं. जिसकी वजह से पुराने वक्त की बातें करना उनके लिए आसान हो जाता है. इस किताब में उन्होंने अपनी कोईसफाई नहीं दी है. उन्होंने अपनी जिंदगी की कहानी अपने खुद के नजरिए से सुनाईहै. 

 

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