A Year in the Life of William Shakespeare
James Shapiro
1599 एक ऐसा साल जिसनें दुनिया को William Shakespeare से रूबरू करवाया
दो लफ्ज़ों में
साल 2005 में रिलीज़ हुई किताब “A Year in the Life of William Shakespeare” एक सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करती है. ये सवाल बहुत ख़ास है, वो ये है कि आखिर विलियम शेक्सपियर की सफलता के पीछे का राज़ क्या है? वो ऐसी कौन सी खूबी थी जिसने 26 अप्रैल सन 1564 को इंग्लैंड के Warwickshire में शहर में जन्में बच्चे को दुनिया का सबसे बड़ा अंग्रेज़ी भाषा का लेखक बना दिया? ऐसा नहीं है कि विलियम शेक्सपीयर के बारे में रिसर्च नहीं की गई है. इनके ऊपर सदियों से कई रिसर्चर ने रिसर्च की है. लेकिन किसी को भी कुछ ज्यादा हासिल नहीं हुआ है. इसलिए अगर आपको लिटरेचर में रूचि है. तो इस किताब की समरी आपके लिए ही लिखी गई है. ये किताब किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे इतिहास में दिलचस्पी हो
- ऐसा कोई भी जिसे लिटरेचर में रूचि हो
- ऐसा कोई भी जिसे विलियम शेक्सपीयर के बारे में जानना हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन ‘James Shapiro’ ने किया है. ये Columbia University में इंग्लिश लिटरेचर के प्रोफेसर भी हैं. इस किताब के अलावा भी इन्होने कई बेस्ट सेलिंग किताबों का लेखन किया है. इस किताब में मेरे लिए क्या है?
एक बार इंग्लिश राइटर Ben Jonson ने कहा था कि “विलियम शेक्सपियर किसी एक जनरेशन के लेखक नहीं रहे हैं बल्कि ये किसी भी शताब्दी के बेस्ट लेखकों में से एक रहे हैं.” लिटरेचर को जानने वालों के लिए इस बात को नकार पाना काफी मुश्किल है.
अगर हम लोग भी अपने स्कूल के दिनों को याद करें तो हमें भी इंग्लिश की क्लास में विलियम शेक्सपियर का नाम सुनाई देता रहा है.
इस किताब में साल 1599 की बात की गई है. ये कोई आम साल नहीं था बल्कि इसका प्रभाव विलियम शेक्सपियर की लाइफ में काफी ज्यादा रहा है. इसलिए हम इस बुक समरी की मदद से विलियम शेक्सपियर की ज़िन्दगी का हिस्सा बनने की छोटी सी कोशिश कर सकते हैं. इस किताब में और क्या सीखने को मिलेगा
- साल 1599 विलियम शेक्सपियर की लाइफ महत्वपूर्ण क्यों था?
-विलियम शेक्सपियर की ख़ूबियों से हम क्या-क्या सीख सकते हैं?‘लंदन’ नाम तो सुना होगा, यहाँ रहने वालों को थियेटर से प्यार हो ही जाता है
कहानी की शुरुआत में ही तस्वीर में लन्दन शहर आ रहा है. वो भी आज के समय का नहीं बल्कि साल 1585 के आस पास का.. उस समय के लन्दन में लोगों को थियेटर से प्यार हुआ करता था.
बड़ी-बड़ी सड़कों में समाए इस शहर की आबादी तब 2 लाख से ज्यादा की हुआ करती थी. और ये शहर अपने थियेटर्स के लिए काफी ज्यादा मशहूर भी हुआ करता था.
जब sixteenth century खत्म हो रही थी, तो लन्दन के थियेटर की दुनिया में दो कम्पनियों का राज़ हुआ करता था. एक थी “William Shakespeare” की कंपनी “Chamberlain’s Men” और दूसरी इसी कंपनी की कम्पटीटर “the Admiral’s Men.”
जिन थियेटर्स में ये कम्पनियां नाटकों को ऑर्गनाइज़ करवाती थीं. वहां 2 से तीन हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था हुआ करती थी. अगर एक ही दिन दोनों कम्पनियों के शोज़ होते थे तो करीब 6 हज़ार लोग थियेटर्स में हुआ करते थे.
वो एक ऐसा दौर चल रहा था, जब लोगों को शेक्सपीयर के लिखे प्लेज का इंतज़ार रहा करता था. इन प्लेज की popularity दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी.
अगर हम विलियम शेक्सपीयर के बचपन की बात करें तो कोई व्यक्तिगत दस्तावेज़ शेक्सपियर के स्कूल के सालों का मौजूद नहीं है.
लेकिन कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि विलियम शेक्सपीयर ने स्ट्रेटफोर्ड ग्रामर स्कूल अटैंड किया था. और वहां इन्होने क्लासिक्स, लैटिन ग्रामर एवं साहित्य की पढ़ाईकी थी.
लेकिन कई प्रूफ्स ये भी कहते हैं कि कि फाइनेंसियल रूप से अपने पिता की मदद करने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई लगभग 13 साल की उम्र में छोड़ दी थी.
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि लन्दन के लोग थियेटर को पसंद किया करते थे. दर्शकों के बीच में थियेटर को लेकर काफी उत्साह भी रहता था. लेकिन एक ऐसा भी दशक आया था, जब थियेटर के लिए समय बिल्कुल भी सही नहीं चल रहा था. ये दशक 1590 का था, ये एक ऐसा दशक था, जब थियेटर की दुनिया में टैलेंट की कमी नज़र आ रही थी. इसका सबसे बड़ा रीज़न ये था कि बड़े-बड़े नाम या तो थियेटर छोड़ चुके थे. या फिर वो अपनी लाइफ के आखिरी पड़ाव से गुज़र रहे थे.
1597 आते-आते मशहूर नाटककार जैसे कि Christopher Marlowe,Robert Greene, और George Peel ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. नए जनरेशन में केवल Ben Jonson ही नज़र आ रहे थे. इसका मतलब साफ़ था कि अब थियेटर की दुनिया में टैलेंट की कमी होने लगी थी.
इन दोनों जनरेशन के बीच में एक नाम और था, जिसकी तरफ सभी की निगाहें जा रही थीं. ये नाम किसी और का नहीं बल्कि “William Shakespeare”का था.
कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर वो कौन सा साल था? जब “William Shakespeare”ने खुद को काबिल नाटककार के रूप में स्थापित किया था? आपको बता दें कि वो साल 1599 का ही था. जब लोगों ने “William Shakespeare”के टैलेंट की पहचान की थी. क्योंकि यही दशक था जब थियेटर इंडस्ट्री टैलेंट की कमी से जूझ रही थी. और “William Shakespeare”ने इसी आपदा को अवसर में तब्दील किया था.
इसलिए कहा भी जाता है कि इंसान को कभी भी मुसीबतों से डर कर भागना नहीं चाहिए. क्योंकि हर मुसीबत के पीछे एक अवसर भी छुपा हुआ होता है. ये हमारे ऊपर है कि क्या हम उस अवसर की पहचान कर पाते हैं?
“William Shakespeare” ने भी परमानेंट थियेटर में इन्वेस्ट किया था
आपको बता दें कि लन्दन का प्ले हाउस केवल कल्चरल लैंडमार्क ही नहीं था. बल्कि ये बिजनेस के नज़रिए से भी बहुत ज़रूरी हुआ करता था. 1599 वो साल था जब entrepreneurs की नज़र थियेटर बिजनेस मॉडल पर पड़ रही थी.
अधिकत्तर लोग थियेटर्स में इन्वेस्ट करना चाहते थे. सभी चाहते थे कि लोगों के प्यार को कैश में तब्दील किया जा सके.
इसी को देखते हुए “William Shakespeare”ने भी अपने फाइनेंशियल गोल को अचीव करने के लिए थियेटर में इन्वेस्ट करने की प्लानिंग की थी. इसके लिए उन्होंने दो entrepreneurial brothers के साथ पार्टनरशिप की थी. उनका नाम Richard और Cuthbert Burbage था. इन्होने “William Shakespeare”के थियेटर में £700 का इन्वेस्टमेंट किया था.
सन 1592 से 1594 तक का समय लन्दन में रहने वालों के लिए सही नहीं था. इसी दौरान लन्दन प्लेग नामक बीमारी की चपेट में आ गया था. इन सालों में प्लेग फैलने के कारण लन्दन के थिएटर भी बंद रहे थे.
लेकिन इस दौरान William Shakespeare ने नाटकों को लिखना बंद नहीं किया था. उन्होंने इन सालों में फिक्शन की दो किताबें लिखी थीं. सन 1593 में उन्होंने “Venus and Adonis” की रचना की और सन 1594 में “Lucars” की.
नाटक लेखन के जरिये ही “William Shakespeare”लगातार popularity हासिल करते जा रहे थे. फिर सन 1597 आया, इसी साल उन्होंने स्ट्रेटफोर्ड में 60 पौंड की कीमत चुकाकर एक मकान और बगीचा खरीद लिया था.
आपको बता दें कि कई लोग ऐसा मानते हैं कि “William Shakespeare”केवल एक नाटककार थे? लेकिन ये बात पूरी तरह से ग़लत है, “William Shakespeare”नाटककार होने के साथ-साथ एक मंझे हुए अभिनेता भी थे.
साथ ही साथ “William Shakespeare”ने अंग्रेज़ीकविता भी सीखी थी और वो एक बेहतरीन कवी भी थे.
साल 1593 और 1594 का ही वो दौर था, जब “William Shakespeare”ने अपने नाटकों के साथ – साथ कविता लिखने की कोशिश शुरू कर दी थी.
उन्होंने इस कोशिश को पूरी शिद्दत से किया था. जिसका नतीजा ये हुआ था कि उन्होंने उस समय 2 कविता ‘वीनस एंड एडोनिस’ एवं ‘दी रेप ऑफ़ लूक्रेस’ लिखीं. सबसे ख़ास बात ये है कि दोनों कवितायें हेनरी रिओथेस्ले, साउथएम्प्टन के एर्ल को समर्पित थीं.
उस दौर में इंग्लैंड की राजनीति में भी कुछ बड़े बदलाव हो रहे थे
इंग्लैंड के इतिहास को समझने के लिए 1530 के दशक में चलना होगा. 1520 और 1530 के दशक में इंग्लैंड एक कैथलिक कंट्री हुआ करती थी. जिसका मतलब साफ़ था कि धार्मिक मामलों के फैसले चर्च में ही हुआ करते थे.
लेकिन ये नज़र आ रहा था कि देश में धार्मिक परिवर्तन हो सकता है. इसका संकेत इस बात से भी मिल गया था कि 1520 के अंत में Henry VIII जो कि इंग्लैंड के राजा हुआ करते थे. उन्होंने चर्च के पोप के सामने अपनी शादी को रद्द करने की बात रखी थी क्योंकि उन्हें दूसरी महिला से शादी करनी थी. लेकिन उनकी इस इच्छा को पोप ने मना कर दिया था.
लेकिन पोप के मना करने के बाद भी Henry VIII ने अपनी मर्जी से फिर से शादी कर ली थी.
अब ये बात तय हो चुकी थी कि चर्च और राजा एक दूसरे के विरोध में खड़े हुए हैं. ये विरोध का नेचर तो राजनीतिक था, लेकिन इसका धार्मिक असर भी दिखने वाला था.
इंग्लैंड के लोगों के मन में सवाल आने लगा कि अगर इंग्लैंड का राजा पोप की बात नहीं मान सकता है? तो इसका मतलब साफ़ है कि वो कैथोलिक नहीं है.
इस सीरीज़ ऑफ़ एक्शन की वजह से हेनरी को इंग्लिश चर्च का हेड बनना पड़ा, ये दिखाने के लिए वो पूरी तरह से कैथलिक ही है. उस दौर में इसी को English Reformation भी कहा गया, तब कुछ ऐसा ही रिफॉरमेशन यूरोप में भी चल रहा था.
लेकिन English Reformation को असली उचाई Elizabeth I ने दी थी, उन्होंने 1559 आते-आते दुनिया भर में ये बहस छेड़ दी थी कि सबसे बड़ा कैथलिक पॉवर कौन है? इंग्लैंड या स्पेन?
उस दौर में स्पैनिश अम्पायर एक बड़ी शक्ति हुआ करता था, उसकी ताकत लैटिन अमेरिका से होते हुए Philippines तक पहुँच चुकी थी. उस दौर में Philip II ही स्पैनिश किंग हुआ करते थे. और वो भी पूरी तरह से कैथलिक विचारधारा के ही थे. वो खुद को Catholicism का डिफेंडर भी माना करते थे.
लेकिन Philip II का ये मानना था कि Catholicism को बड़ा खतरा Elizabeth जैसे लोगों से है. वो एक ऐसा समय था जब Philip और Elizabeth के बीच में सीधी लड़ाई चल रही थी. फिर 1588 का समय आया, इस दौर में फिलिप ने इंग्लैंड जाने का फैसला कर लिया. वहां जाकर उसे चर्च की पॉवर को बढ़ावा देना था.
तब उसनें सैनिकों से भरी हुई 130 से ज्यादा जाहाज़ इंग्लैंड की तरफ रवाना किए थे. ये इस बात का संकेत था कि स्पेन इंग्लैंड के ऊपर हमला करना चाहता है.
जब लन्दन स्पैनिश इन्वेशन के लिए तैयार हो रहा था, तब “William Shakespeare” ने लोगों के मूड को पढ़ लिया था
वो साल 1599 का ही था, जब दुनिया देख रही थी कि इंग्लैंड के लोग पैनिक कर रहे हैं. आयरलैंड में इंग्लैंड की फ़ोर्स दिक्कतों का सामना कर रही है. यही वो समय था जब “William Shakespeare”ने Julius Caesar नाम के पॉपुलर प्ले को तैयार किया था.
इस प्ले ने लोगों के दिल में तुरंत छाप छोड़ी थी, लोगों ने खुद को इस प्ले से कनेक्ट किया था. धीरे-धीरे ये अफवाह भी फ़ैल रही थी कि आयरलैंड में फंसे इंग्लिश सैनिक जंग को बीच में छोड़ कर भागने वाले हैं. ऐसा हो भी सकता था क्योंकि उस समय ये बात सभी जानते थे कि अंग्रेज़ डरपोक और बुज़दिल होते हैं.
अब आपकी मुलाकात Julius Caesar नाम के पॉपुलर प्ले से थोड़ा करीब से करवाते हैं. “द ट्रेजेडी ऑफ़ जूलियस सीज़र” एक इतिहास में दर्ज़ सुपरहिट प्ले है. इसे विलियम शेक्सपियर ने मुश्किल के दौर में लिखा था. उस दौर में पूरा इंग्लैंड मुश्किल के समय से गुज़र रहा था.
इसलिए इस नाटक को आज तक की सबसे बड़ी त्रासदी, जिसे पेपर में कलम की मदद से उतारा गया होमाना जाता है.
आपको बता दें कि Julius Caesar नाम के पॉपुलर प्ले में “William Shakespeare”ने रोमन इतिहास की सत्य घटनाओं को शामिल किया था. उस दौर में लोगों ने इस प्ले को दिल खोलकर प्यार दिया था. इसका सबसे बड़ा रीज़न यही था कि “William Shakespeare”को दर्शकों की नब्ज़ को पकड़ते आता था.
इसलिए कहा भी जाता है कि अगर आपको सफल होना है तो आपके पास लोगों के नब्ज़ की पहचान होनी चाहिए.
साल 1599 के दौर में दुनिया की नज़र में एक बहुत बड़ा राजनीतिक प्रश्न भी सामने आ रहा था?
साल 1599 में दुनिया ने Julius Caesar की सफलता को देख लिया था, उन्हें पता चल चुका था कि लेखक “William Shakespeare”को लोगों के दिमाग को पढ़ते आता है. उन्हें मालुम है कि जो लोगों को देखना है? उसे लिखा कैसे जाता है?
इसलिए किसी ने बहुत खूब कहा है कि “अगर आपसे सही बात कहते आती है तो वो बात सुनी भी जाती है..”
‘Julius Caesar’ प्ले में “William Shakespeare”ने Assassination यानि मानव हत्या के मुद्दे को भी उठाया था. वो एक ऐसा समय था जब इंग्लैंड में Assassination काफी ज्यादा हो रहा था.
उस समय इंग्लिश लोग एक दूसरे को धर्म के नाम पर काटने को भी तैयार हो जाते थे. तब दुनिया की नज़र के सामने ये राजनीतिक सवाल आ रहा था कि क्या धर्म के नाम पर या फिर किसी भी वजह से Assassination यानि हत्या को जायज़ ठहराया जा सकता है?
इसी सवाल को “William Shakespeare”ने अपने नाटकों से भी उठाया था. इसलिए तब के दार्शनिक कहा करते थे कि “William Shakespeare”केवल एक नाटककार नहीं थे बल्कि उनके अंदर पूरी की पूरी मानवता का वास हुआ करता था.
अगर आप ‘Julius Caesar’ प्ले को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि इस प्ले में “William Shakespeare”ने केवल कहानी नहीं लिखी है. उन्होंने पूरी दुनिया को सन्देश दिया है कि कट्टरपन्त की वजह से मानवता की क्या दशा होती जा रही है? उन्होंने बताया है कि इस दुनिया में मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता है.
इसलिए जिसे इंसानियत को समझना हो, उसे शेक्सपीयर को ज़रूर पढ़ना और समझना चाहिए. उनके लिखे प्ले सच में समाज के रूप को दर्शाया करते थे.
“William Shakespeare” के अंदर एक काबिल बिजनेसमैन भी छुपा हुआ था
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि “भले ही शेक्सपीयर को अंग्रेज़ी के मशहूर कवि और नाटककार के रूप में याद किया जाता है. लेकिन उन्हें सभी भाषा के साहित्य और थियेटर प्रेमियों के साथ-साथ आम इंसानों से भी बहुत प्रेम मिला है. लोगों के मन में उनके लिए इतना ज्यादा प्रेम है कि आज भी उनकी लिखी लाइनें लोगों की ज़ुबान पर चढ़ी रहती हैं..”
ये भी कहा जाता है कि आप लेखक तब तक नहीं बन सकते हैं. जब तक आपने शेक्सपीयर को ना पढ़ लिया हो. खैर ये सब बातें तो उनके साहित्य के लिए कही जाती हैं. लेकिन “William Shakespeare”एक बहुत काबिल बिजनेसमैन भी थे.
उन्हें पता था कि बिना पैसों की मदद से नाटक तो क्या ज़िन्दगी ही नहीं चलाई जा सकती है. इसलिए उन्हें सिचुएशन के हिसाब से दर्शकों के मूड को पढ़ते आता था.
“William Shakespeare” कितने अच्छे बिजनेसमैन थे? इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब उन्होंने देखा कि थियेटर उचाईयों की तरफ चल रहे हैं. तो उन्होंने किसी के यहाँ नौकरी करने के बजाय पार्टनरशिप में थियेटर को ही खरीदने का प्लान बना लिया था.
उन्होंने ऐसा केवल प्लान ही नहीं बनाया था बल्कि दो बढ़िया इन्वेस्टर्स के साथ मिलकर थियेटर को खरीद भी लिया था. उनके इसी फैसले की वजह से उन्होंने अपने परिवार को फाइनेंशियल फ्रीडम भी दिलाई थी.
इसी के साथ उनके बिजनेस माइंड को आप उनके प्ले ‘Julius Caesar’ से भी समझ सकते हैं. उन्होंने इस प्ले को मौके की नज़ाकत को देखते हुए लिखा था. उन्हें पता था कि इस समय इंग्लैंड के हालात सही नहीं हैं. लोग इमोशनल तौर पर कमजोर हैं. इसलिए उन्होंने ऐसे प्ले को लिखा जिससे लोग इमोशनली तौर पर कनेक्ट कर सकें.
हुआ भी कुछ ऐसा ही था, लोगों ने प्ले से खुद को कनेक्ट किया और प्ले की पॉपुलैरिटी दुनिया भर में फ़ैल गई. देखते ही देखते दुनिया के लोग शेक्सपीयर के नाम को जानने लगे थे.
“William Shakespeare”को याद करते हुए कई बड़े अखबारों ने कहा है कि “आज विलियम शेक्सपियर केवल नाटककार और कवि मात्र नहीं है. आज उन्हें आधुनिक अंग्रेज़ी के निर्माता के रूप में याद किया जाता है.”
ये बात पूरी तरह से सच है, और इसी के साथ ये बात भी सच है कि “William Shakespeare”केवल अंग्रेज़ी के निर्माता ही नहीं थे. बल्कि वो एक बहुत काबिल बिजनेसमैन भी थे. अगर हमें उनसे सीखना है तो हम उनसे लेखन के साथ-साथ बिजनेस के गुण भी सीख सकते हैं. हम उनसे सीख सकते हैं कि जब ज़िन्दगी हमारे सामने मुश्किलों को खड़ी कर दे, तो हमें कैसे उन मुश्किलों को अपने हक में बदलना चाहिए?
इसी के साथ हमें “William Shakespeare”के बारे में इस बात को याद रखना चाहिए कि “वे एक ऐसे क़लमकार हैं जिन्होंने अपने जन्म के 4 सदी बाद भी पाठकों और अभिनेताओं को अपने आकर्षण में बांधे रखा है. 16वीं सदी का ऐसा लेखक जिसके जुमलों का आधुनिक संवाद और चर्चा में बार-बार प्रयोग किया जाता है.”
“William Shakespeare” ने दुनिया को दिखा दिया है कि “काबिलियत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है”
सन 1599 की शुरुआत से ही, शेक्सपीयर की प्रोडक्टिविटी अपने चरम पर थी. उन्हें काफी ज्यादा सफलता भी मिलने लगी थी. वो प्ले राईट की दुनिया में काफी सफल भी हो चुके थे.
जैसा की साहित्य को समझने वाले कहते रहते हैं कि “ज़िंदगी एक रंगमंच है और हम सब उसकी कठपुतलियां.”
लेकिन उस दौर में कई लोगों के लिए रंगमंच ही उनकी ज़िंदगी थी और उनका भगवान सिर्फ़ एक ही था, उसे लोग विलियम शेक्सपियर के नाम से जानते थे.
27 मार्च को 'वर्ल्ड थिएटर डे' के नाम से मनाया जाता है. इस दिन बहुत से लोग ये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसी क्या बात थी कि आज भी लोग विलियम शेक्सपियर को साहित्य के देवता के रूप में पूजते हैं? ऐसा क्या था विलियम शेक्सपियर के अंदर?
इस सवाल के जवाब को तलाशने में कई रिसर्चर की उम्र खत्म हो गई, लेकिन उन्हें केवल जवाब मिला कि शेक्सपियर को अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा था. उन्हें मालुम था कि वो इस काबिलियत की मदद से साहित्य की पूरी दुनिया को बदल सकते हैं.
“William Shakespeare”ने अपनी काबिलियत का कितना ज्यादा फायदा उठाया? इस बात का अंदाज़ा आप इसी चीज़ से लगा सकते हैं कि भारत जैसी विकासशील देश में शेक्सपियर के जन्म के लगभग 500 साल बाद भी शेक्सपियर की छाप भारतीय नाटककारों पर साफ़ देखी जा सकती है.
साहित्य को समझने वाले कहते हैं कि 35 साल की उम्र तक में शेक्सपियर ने अपने बेहतरीन प्ले लिख दिए थे. उन्हें मालुम था कि प्रोडक्टिविटी को पीक में ले जाकर काम कैसे किया जाता है?
अगर आपको “William Shakespeare”के प्लेज़ की दो ख़ास बातें समझनी हैं. तो ऑथर कहते हैं कि आपको उनके प्लेज़ की आत्मा को समझना होगा. क्योंकि शेक्सपियर के नाटकों की दो ख़ास बातें हैं. पहली यह कि उनके सारे नाटक पूरे विश्व में मशहूर हैं. इन सभी नाटकों में एक ऐसा भाव तो होता ही है जिससे हर इंसान राब्ता रखता है.
ऐसा पूरी दुनिया में माना और कहा जाता है कि शेक्सपियर के नाटकों की कहानी और उनका विषय किसी भी एक समय और एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है. उनके सब्जेक्ट पूरी दुनिया को कवर करते थे. अब आप खुद ही सोचिए कि एक इंसान के पास पूरी दुनिया की समझ कहाँ से आई रही होगी? ऐसा बस तभी हो सकता है जब शेक्सपियर ने अपनी काबिलियत पर मास्टरी हासिल कर ली होगी.
इसलिए उन्होंने कहा भी था कि काबिलियत पर काम करके, इस दुनिया में कुछ भी हासिल किया जा सकता है. किसी भी इंसान को हमेशा बेहतर बनने के लिए मेहनत करते रहना चाहिए. उसे अपनी काबिलियत को पहचान कर उसे पॉलिश करने की कोशिश करनी चाहिए.
कुल मिलाकर
“William Shakespeare”किसी एक युग के नहीं थे, ऐसे लोग शताब्दियों में भी जन्म नहीं लेते हैं. इस बात का प्रमाण यही है कि आज 500 सालों के बाद भी कोई दूसरा शेक्सपियर नज़र नहीं आता है. 1599 का साल ही वो साल था जिसने शेक्सपियर को असली “William Shakespeare”बनाया था. इसलिए आपको भी इस कहानी से बहुत कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए.
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