Gary Wilson
Internet Pornography And The Emerging Science Of Addiction
दो लफ्जों में
इस किताब में बताया गया है कि कैसे पोर्न गुजरते वक्त के साथ हमारे दिमाग और लाइफ को बेकार और डिप्रेसिव बनाता जा रहा है. इस बुरी आदत की वजह से आप अपने गोल्स, एक बेहतर जिंदगी और अच्छी हेल्थ से दूर होते जा रहे हैं. उन्होंने इस किताब में यह भी बताया है कि पोर्नोग्राफी कोयूज करना लोगों के लिए इमोशनल तौर पर अच्छा रहने के लिए भी एक अहम खतरा बन गया है. इस लिए उन्होंने पोर्न एडिक्शन की न्यूरोसाइंस और ऐसे लोगों केइलाज पर रिस्पांस करने वाले और ज्यादा रिसर्च पर ध्यान दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने बताया है कि नो फैप के नाम से सर्व करने वाले एक कम्युनिटी फोरम में लोगों के ग्रुप्स और इसी नाम से चलने वाली वेबसाइट की मदद से ऐसे लोगों की मदद की जाती है जो पोर्नोग्राफी और मास्टरबेशन यानी हस्त मैथुन की लत से छुटकारा पाना चाहते हैं.
यह किनके लिए है
- जो पोर्नोग्राफी कंटेंट यूज करने की वजह से परेशानी महसूस कर रहे हैं.
- जो पोर्न से रिलेटेड प्रॉब्लम्स को क्लियर करने के लिए और इसमें छुपे हुए खतरों से बचने के तरीकों को समझना चाहते हैं.
- जो पोर्नोग्राफी की वजह से शारीरिक संबंध बनाने के दौरान अपनी खुद की बॉडीज में सेटिस्फेक्शन की कमी और अपने अंदर की चिंता डर और घबराहट को दूर करना चाहते हैं.
- जो लगा तार पोर्न कंटेंट्स को देखने की वजह से डिप्रेशन , एंग्जायटी , स्ट्रेस के शिकार हो करसमाज में खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं.
- जो अपने सेक्सुअल और रिलेशन शिप में सेटिस्फेक्शन की कमीकी वजह से अपने लिए नए सेक्सुअल टेस्ट्स बदल रहे हैं. और
- जो अपने जबरदस्त सेक्सुअल बिहेवियर्स पर काबू पा कर जोश से भरपूर एक खुशहाल जिंदगी जीना चाहते हैं.
लेखक के बारे में
इन का पूरा नाम गैरी ब्रूस विल्सन है. इन का जन्म 12 मई 1956 को सीएटल वॉशिंग्टन में हुआ था और एक गंभीर बीमारी की वजह से 20 मई 2021 को उनकी डेथ हो गई है. वह 1974 में पब्लिश होने वाली बेस्ट सेलिंग किताब योर ब्रेन ऑन पोर्न के लेखक और पॉपुलर शो ' टेड एक्स टॉक - द ग्रेट पोर्न एक्सपेरिमेंट ' के प्रेजेंटर, योर ब्रेन ऑन पोर्न डॉट कॉम के क्रिएटर, और पोर्नोग्राफी के इफेक्ट्स और उस से होने वाले नुकसान के बारे में लेटेस्ट रिसर्च, मीडिया और अपनी खुद की रिपोर्ट्स के बारे में एक क्लीयरिंग हाउस यानी सूचना और प्रसारण का जरिया भी थे.
गैरी विल्सन ने बहुत सालों तक लोगों में न्यूरोकेमेस्ट्री आफ एडिक्शन यानी लोगों में अश्लीलता की बुरी लतों के लिए जिम्मेदार दिमाग में होने वाले केमिकल रिएक्शन, जिस्मानी संबंध बनाने और उन के आपसी करीबी रिश्तो के बारे में बहुत गहराई से स्टडी किया है.
जब उन्होंने यह नोटिस किया कि बहुत से नौजवान लोग बहुत ज्यादा ऑनलाइन अश्लील कंटेंट्स को यूज करने के बाद उस के साथ जुड़े हुए बहुत बुरे असर को एक्सपीरियंस कररहे हैं तो उन्होंने 2010 में उन की मदद करने के लिए योर ब्रेन ऑन पोर्न डॉट कॉम को क्रिएट किया था.Introduction
गैरी विल्सन का कहना है कि कुछ साल पहले जब हाई स्पीड इंटरनेट दूर - दूर तक अवेलेबल हो गया तो हद से ज्यादा पोर्नोग्राफी यूज करने वाले लोगों की गिनती भी तेजी से बढ़ने लगी. जिस की वजह से ऐसे लोगों ने खुद को अपनी सेक्सुअल रिलेशन शिप की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार करने की जगहकभी ना खत्म होने वाली अश्लील वीडियोज को देखना शुरू कर दिया. इस वजह से उनके अंदर ना मालूम कैसे कैसे अजीब लक्षण पैदा हो गए. और बड़ी हैरानी के साथ शायद इतिहास में पहली बार नौजवान लड़कों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) यानी नपुंसकता एक बहुत एहम समस्या बन गई. जिस की वजह से न्यूरोकेमेस्ट्री आफ एडिक्शन के साइंटिस्ट्स को साइंस के इतिहास में अब तक का एक सब से बड़ा इनफॉर्मल एक्सपेरिमेंट करने के लिए मजबूर होना पड़ा. लाखों लोगों ने एक प्रोसेस के तहत जिस्मानी भूख को बढ़ाने वाले सामानों से परहेज रखने की कोशिश की . इस प्रोसेस का नाम रिबूटिंग है. इस के बाद उन में से बहुत से लोगों में चौंकाने वाले बदलाव पाए गए. जैसे कि बेहतर कंसंट्रेशन और रियल लाइफ में और ज्यादा कैपेसिटी से जिस्मानी संबंध बनाने के लिए एनर्जी से भरपूर एक हाई लेवल मूड का होना.
इस किताब के लेखक विल्सन ने उन लोगों की कहानियां सुनी हैं जिन्होंने इंटरनेट पोर्न को गिव अप करने की कोशिश की और जो इस बात पर ध्यान देने लगेकि कैसे उन के दिमाग का रिवॉर्ड सिस्टम अपने आस पास के माहौल से बातचीत करता है. इस के बाद न्यूरोसाइंस में होने वाली तमाम रिसर्च से यह कंफर्म हो गया है कि अब यह लोग भी जानते हैं कि इंटरनेट पोर्नोग्राफी एडिक्शन एक सीरियस और बहुत नुकसान दे नशे की लत साबित हो सकता है.
तो चलिए शुरू करते हैं!
What Are We Dealing With?
“It is not the answer that enlightens, but the question.”
Eugene Ionesco
फ्रेंच साहित्य कार यूजीन आयनेस्को के मुताबिक जवाब से ज्यादा जानकारी सवाल में छुपी होती है.
विल्सन के मुताबिक बहुत से यूजर्स अपनी जवानी के शुरुआती सालों में ही इन्टरनेट पोर्न को अपनी बोरियत, सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन, अकेला पन और तनाव से राहत पाने के लिए बहुत अच्छा सोल्यूशन मानते हैं. इस लिए वह इंटरनेट पर बहुत ज्यादा पोर्न कंटेंट देखने लग जाते हैं. इस के बाद उन के अंदर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. यह लोग इस वजह से खुद से बहुत अपसेट और नाराज रहते हैं. लेकिन इसी के साथ यह लोग बड़े पैमाने परअलग अलग तरह के पोर्न कंटेंट देखने के दौरान मास्टरबेशन कर के अपने जेनिटल्स यानी इंद्रियों में भर पूर इरेक्शनपा सकते हैं.
ऐसे लोग जब किसी रियल महिला के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें इसमें एक आर्टिफिशियल और अनजाना एहसास महसूस होता है. क्योंकि यह लोग एक वीडियो स्क्रीन के सामने बैठ कर मास्टरबेशन करने के इतने ज्यादा आदी हो चुके हैं कि उन्हें रियल एक्चुअल जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने के लिए यही सब करना ही नार्मल लगता है.
इस की वजह यह है कि रियल सेक्स के दौरान कोई शख्स एक 'वोयर' की पोजीशन में नहीं हो सकता है. वोयर का मतलब है एक ऐसा शख्स जिसे छुप कर दूसरे लोगों को फिजिकल रिलेशन बनाते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है. बल्कि वह शख्स इस दौरान दौरान सेक्स डिजायर बढ़ाने वाले सिर्फ उन्हीं बॉडी पार्ट्स को देख सकता है, जिन को वह एक पार्टनर से जुड़ने से पहले ही बहुत सालों से देखता चला रहा है.
पोर्नोग्राफी एडिक्शन की वज़ह से लोगों के अंदर कुछ दूसरी खतरनाक प्रॉब्लम्स भी पैदा हो जाती हैं - जैसे अपने पार्टनर में अट्रैक्शन की कमी महसूस करना,या डिलेड इजेकुलेशन यानी रियल सेक्स के दौरान क्लाइमेक्स फ़ील करने में देरी का होना या फिजिकल रिलेशनबनाने में नाकामयाब रहनाया अनएकस्टम्ड प्रीमैच्योर इजेकुलेशन यानी गैर मामूली तौर पर शीघ्रपतन का होना. जिन से बचने के लिए बहुत से लोग पोर्नोग्राफी को क्विट करने का डिसिजन लेते हैं.
हालांकि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन वालेलोगों के लिए सब से ज्यादा फिक्रमंदी की बात तो यह है कि पोर्नोग्राफी का यूज़बंद कर देने के बादउनके अंदर लिबिडो यानी सेक्सुअल डिजायर में बहुत कमी आ जाती है और उन के जेनिटल्स गैर मामूली तौर पर एक दम बेज़ान हो जाते हैं. विल्सन ऐसी कंडीशन कोउन की जिंदगी की फ्लैट लाइन कहतेहैं. लेकिन जिन लोगों में 'ईडी ' केसिंपटम्स नहीं भी होते हैं उन लोगों में भी पोर्नोग्राफी क्विट करने के बाद बहुत जल्दी लिबिडो में टेम्पररी तौर पर कमी और सेक्सुअल डिसफंक्शन की कमी होने लगती है. और इस के अलावा भी उन्हें तमाम अन एक्सपेक्टेड विड्रोल सिंप्टम्स की तकलीफों का सामना करना पड़ता है जैसे कि , चिड़चिड़ापन, थकान, नींद ना आना, बदन कांपना, फोकस मेंकमी, सांस लेने में परेशानी और डिप्रेशन वगैरह . इस के बाद यह लोग इन प्रॉब्लम्स के इलाज के तौर पर फिर से पोर्न का यूज़ करना शुरू कर देते हैं. इस में सब से ज्यादा डरावना पहलू यह है कि इस के बाद भी उनकी फ्लैट लाइन वालीकंडीशन नॉर्मल नहींहो पाती है.
इस किताब में विल्सन का आगे यह कहना है कि हमारा दिमाग प्लास्टिक होता है जिस का मतलब है किहमारे दिमाग के अंदर यह काबिलियत होती है कि वह बॉडी में होने वाले चेंजेज के मुताबिकखुद अपने स्ट्रक्चर और फंक्शन को मॉडिफाई कर सकता है. और यह सच है कि हम लोग अपनी सेक्सुअल डिजायर के मुताबिक जाने या अनजाने में अपने दिमाग को ट्रेनिंग देते रहते हैं. पोर्नयूजर्सके बारे में तमाम रिसर्चर्स और साइकोलॉजिस्ट की बहुत सी रिपोर्ट्स से यह बिल्कुल क्लियर है कि यह लोग आम तौर पर हमेशा अलग अलग तरीके के पोर्न कंटेंट्स को यूज करते रहते हैं. और इस वजह से उन को पर्सनली कभी - कभी बहुत कंफ्यूज और डिस्टर्ब भीहोना पड़ जाता है . इस फैक्ट की एक वजह तो शायद उनकी बोरियत या उन का टीन ऐज का डिवेलपिंग ब्रेन हो सकता है जिस को इन चीजों की आदत डालने की ट्रेनिंग लेनी होती है.टीन एज वाले लोग जोश खरोश वाले काम करना पसंद करते हैं और उस काम से आसानी सेबोर भी हो जाते हैं. उन्हें नोवेल्टी यानीनई चीजों को करना पसंद होता है . उन्हें अनजानी चीजें बेहतर लगती हैं. बहुत से नौजवान लड़कों ने बताया है कि वह मास्टरबेशन करते वक्त बदल बदल कर अश्लील वीडियो क्लिक करते रहते हैं. जैसे कि वह लेस्बियन पोर्न से बोर होने पर ट्रांसजेंडर पोर्न ट्राई करते हैं. ऐसा करने से उन के लिए एक नावेल्टी और बेताबी के हालात लागू हो जाते हैं. जिस की वजह से उन के सेक्सुअल एक्साइटमेंट बहुत बढ़ जाते हैं . और जब तक इन्हें इस बारे में पता चलता है तब तक वह क्लाइमेक्स पर पहुंच जाते हैं. और उन के नए एक्सपीरियंस की छाप उनके सेक्सुअल सर्किट पर बनना शुरू हो जाती है. और ऐसी लापरवाह प्रैक्टिस इन के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.
और दूसरी वजह शायद टॉलरेंस हो सकती है. जो कि एक एडिक्शन प्रोसेस होता है जो ज्यादा से ज्यादा सेक्सुअलस्टिमुलेशनकी जरूरत को चलाता है . सेक्सुअल नॉवल्टीआप के कमजोर पड़ रहे अटेंशन को फिर से वापस ले आने का एक बिल्कुल पक्का तरीका होता है.
कुछ नौजवान लोग अपने जेनिटल्स मे कठोरता लाने के लिए अलग अलग तरीके के पोर्न कंटेंट्स को फॉलो करने लगते हैं. और फिर वह जिस तरीके में अपनी सेक्सुअल आइडेंटिटी फ़ील करने लगते हैं उसी को अपना फेवरेट तरीका बना लेते हैं.
विल्सन का कहना है कि बहुत ज्यादा पोर्न यूज करने से हमारी रिलेशन शिप पर भी खराब असर पड़ता है. बहुत ज्यादा स्टिमुलेशन यानी यौन उत्तेजना बढ़ने से पेयर -बॉन्डिंग यानी किसी से लव अफेयर शुरू करने में रुकावट पहुंचती है.
विल्सन के मुताबिक आगे यह कहा गया है कि जैसे - जैसे पोर्नयूजर्सपोर्न से दूर होने लगते हैं, वैसे वैसे आम तौर पर उन के अंदर दूसरे लोगों से कनेक्ट होने की इच्छा बढ़ने लगती है. और ऐसे लोग जो पहले गंभीर सोशल एंग्जायटी की तकलीफ से दुखी रहते थे, वह लोग भी सोशल कांटेक्ट के लिए नए रास्ते तलाश लेते हैं. जैसे कि वह लोग अपने काम के साथियों के साथ मुस्कुराना और हंसी मजाक करना, ऑनलाइन डेटिंग, मेडिटेशन ग्रुप्स और रिक्रिएशन क्लब जॉइन करना वगैरहशुरू कर देते हैं.
साइकेट्रिस्ट नॉर्मन डोइज लोगों को यह सुझाव देते हैं कि मौजूदा वक्त में पोर्न का बहुत ज्यादा स्टिमुलेशन दिमाग की फंक्शनिंग पर काबू पाकर उसमें नए सर्किट बनाता है जिस की वजह से सोशल रिलेशन शिप और एक दूसरे से जुड़ेरहने के बारे में हमारा फोकस कम हो जाताहै. और फिर रियल लोगों में हमारा इंटरेस्ट कम हो जाता है और हमें बनावटीलोग ज्यादा अट्रैक्टिवलगने लगते हैं. और शायद पोर्न के हट जाने के बाद हमारे अंदर फ्रेंड्स और पार्टनर्स जैसे नेचुरल रिवॉर्डज के लिए जगह बन जाती है.
Wanting Run Amok
विल्सन ने 'Coolidge effect(कूलिज इफ़ेक्ट)' के बारे में समझाया है. दरअसल कूलिज इफेक्ट का मतलब है कि एक हीमहिला के साथ बार - बार फिजिकल रिलेशन बनाने के मुकाबले में नई औरतों के साथ फिजिकल होने में सेक्सुअल इंटरेस्ट बढ़ने की टेंडेंसी बहुत ज्यादा होती है.
विल्सन का कहना है कि हमारे दिमाग में मौजूद सदियों पुराने सर्किट्स, हमारे इमोशंस को , एनर्जी और पक्के इरादे को , हमारे एक्साइटमेंट को , और सबकॉन्शियस डिसीजन्स यानी छिपे तौर पर हमें रियलाइज हुए बगैर भी डिसीजन ले लिया जाना वगैरह को कंट्रोल करते हैं.उन के मुताबिक फिजिकल रिलेशन बनाने की इच्छा और सेक्सुअल मोटिवेशन डोपामिन नाम के एक न्यूरोकेमिकल की वजह से पैदा होते हैं. डोपामिन हमारे दिमाग के अंदर मौजूदरिवार्ड सर्किट्री नाम के एक बुनियादी पार्ट की पॉवर को बढ़ा देता है. दिमाग के इसी हिस्से में आप किसी चीज के लिए बहुत चाहत और खुशी को महसूस करते हैं और यहीं से आप को नशे की लत लगना भी शुरू होती है. यही सदियों पुराना रिवार्ड सर्किट्री आप को तमाम चीजों को करने के लिए मजबूर करता है और हमारे ह्यूमन रिवॉर्ड की जानकारी को हमारे जिंदा रहने के लिए और हमारे जींस में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ा देता है.
हमारे ह्यूमन रिवॉर्ड की लिस्ट में सबसे टॉप पर यह चीजें होती हैं - फूड, सेक्स, लव, फ्रेंडशिप और नॉवल्टी. इन सब को नेचुरल इन्फोर्सर्स कहा जाता है. यह रिवॉर्डज नशे की लत के खिलाफ काम करने वाले केमिकल्स होते हैं. जो रिवार्ड सर्किट्री पर कभी भी कब्जा कर सकते हैं.
डोपामिन का पर्पज आप के जीन्स की जानकारी के मुताबिक आप को सर्व करना होता है. जितनी तेजी से आप के दिमाग में डोपामिन रिलीज होगा, आप को किसी चीज को पाने की उतनी ही ज्यादा इच्छा होने लगेगी. डोपामिन की लहरें आप को यह बताती हैं कि आप को किस चीज को अप्रोच करना है और किसे अवॉइड करना है. और अपने अटेंशन को कहां फोकस करना है. इस के बाद डोपामिन आप को यह भी बताता है कि आप को किस चीज को याद रखने के लिए अपने दिमाग को रिवायर करने में उसकी मदद करनी है . आप की रिवार्ड सर्किट्रीमें अवेलेबल होने वाले डोपामिन का सबसे बड़ा नेचुरल ब्लास्ट सेक्सुअल स्टिमुलेशन औरफिजिकल रिलेशन शिपबनाता है.
यहां यह भी बताया गया है कि क्लाइमेक्स का आनंद 'ओपीओएड्स' यानी नशीली चीजों से पैदा होता है. इस लिए आप अपनी चाहतों के लिए डोपामिन और अपनी पसंद के लिएओपीओएड्स के बारे में सोच सकते हैं. जैसा कि अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट सुसान वाइनशेंक ने भी एक्सप्लेन किया है, " हालांकि डोपामिन हमारे अंदर चीजों के लिए चाहत, इच्छा, तलाश करने और पा लेने की वजह बनता है, लेकिन फिर भी डोपामिन सिस्टम ओपीओएड्स सिस्टम के मुकाबले में कहीं ज्यादा मजबूत है."
इन्टरनेट पोर्न, खासकर आप के रिवार्ड सर्किट्री को ललचानेवाला होता है. क्यूंकि वहां पर हमेशा आप को नॉवल्टीयानी नई नई चीजें देखने को मिलती हैं. यहां नावेल्टी के तौर पर एक नया साथी हो सकता है या कोई गैर मामूली सीन सकता है या कोई अजीब सा सेक्सुअल ड्रामा हो सकता है या फिर आप किसी पॉपुलर यू ट्यूब साइट पर भी नावेल्टी को तलाश कर सकते हैं.
जब आप इंटरनेट पर बहुत से टैब ओपन कर केघंटों तक पॉर्नोग्राफी देखते हैं, तो आप हर 10 मिनट पर एक नए सेक्स पार्टनर को एक्सपीरियंस कर सकते हैं.
आज कल सुपर नॉर्मल स्टिमुलेशन यानी जरूरत से ज्यादायौन उत्तेजना का अंत होता दिखाई नहीं पड़ता है. बल्कि पोर्न इंडस्ट्री ने फिजिकल एक्शन से उत्तेजना बढ़ाने के लिए ऑलरेडी 3D पोर्न और रोबोट्स को ऑफर कर दिया है और सेक्स टॉयज को पोर्न के साथ या दूसरे कंप्यूटर यूजर्स के साथ जोड़ दिया है. जब आप के सामने बे हद और बे रोक टोक सुपर स्टिमुलेटिंग रिवार्ड की पहुंच हासिल होती हैतो आप का दिमाग आप ही के खिलाफ काम करने लगता है. असल में यह जरूरत से ज्यादा स्टिमुलेटिंग यानी उत्तेजना को बढ़ने से रोकने के लिए अपनी प्रतिक्रिया को कम कर के खुद को जरूरत से ज्यादा डोपामिन रिलीज करने से बचाता है.
किसी टीन एज वाले शख्स के लिए उसके होश मेंया अनजाने में ही सेक्स के बारे में सब कुछ सीख लेना उस के अंदरएक बुनियादी डेवलपमेंट पैदा करने वाला काम होता है. इस काम को पूरा करने के लिए उन केदिमाग के तार एनवायरनमेंट में मौजूद सेक्सुअल इशारों तक पहुंचते हैं. और फिर एकदम नया चौंकाने वाला और सेक्सुअल डिजायर को बढ़ाने वाला स्टिमुलेशन उस टीन एज बच्चे की दुनिया को इस तरह से हिला सकता है कि इस का ऐसा जोर दार असर एक एडल्ट दिमाग पर नहींडाला जा सकता है. यही न्यूरो केमिकल रियलिटी एक टीन एजदिमाग को बहुत खास बना देती है. ऐसे बच्चों को पोर्नोग्राफी के सब से बड़ेसेक्सुअल इनफ्लुएंस से जो भी स्टिमुलेशन ऑफर की जाती है वह उसी के मुताबिक सेक्स को डिफाइन करना सीख जाते हैं. यह बच्चे अपने एक्सपीरियंसेज को एक साथ बांध कर रखते हैं और एडल्ट नौजवानों के मुकाबलेमें ज्यादा आसानी से और तेजी के साथ एराउजल यानी कामोत्तेजना को हासिल कर लेते हैं. दरअसल इंसानी दिमाग 12 साल की उम्र के बाद सिकुड़ जाता है . क्योंकि इसके अंदर सैकड़ों करोड़ नर्व्स कनेक्शन की काट छांट होती है और यह रीऑर्गेनाइज होती हैं. यहां पर नर्व्स के सरवाइव करने के लिए यूज इट ऑर लूजइट का सिद्धांत लागू होता है. जिसका मतलब है कि जिन नर्व्स को आप इस्तेमाल नहीं करते हैं वह आगे काम करना बंद कर देती हैं.
एक बार जब नए कनेक्शंस बन जाते हैं तो टीन एज दिमाग इन पर अपनी मजबूत पकड़ बना लेते हैं. असल में रिसर्च से यह पता चलता है कि हमारी सबसे ज्यादा पावर फुल और लंबे समय तक टिकने वाली मेमोरीज जिन में हमारी सबसे खराब आदतें भी शामिल हैं, यह हमारी टीन एज में ही पैदा होती हैं.
टीन एज के बच्चों में सेक्सुअल लर्निंग से उनके अंदर पोर्न के असर की वजह से होने वाले इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की प्रॉब्लम भी पैदा हो जाती है. इस लिए उन को नॉर्मल सेक्सुअल फंक्शन रिकवर करने में बड़ी उम्र के लोगों के मुकाबले में महीनों का टाइम ज्यादा लग जाता है. इस की वजह यह है कि बड़ी उम्र के लोग अपने दिमाग की तारों को सेक्सुअल रिस्पांस से जोड़ने के लिए किसी वीडियो स्क्रीन की मदद नहीं लेते हैं, बल्कि अब भी उनके पासअच्छी तरह से डेवलप किए हुए ब्रेन मैप्स मौजूद होते हैं. और यूट्यूब का दौर शुरू होने से पहले से ही इन लोगों के पास अपने पार्टनर्स के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाते वक्त अपने जेनिटल्स में भरपूर इरेक्शंस होने का पूरा यकीन होता है.
बहुत से साइकोलोजिस्ट्स का यह मानना है कि जुआ खेलने के आदी हो चुके और इन्टरनेट पोर्नोग्राफी का आउट ऑफ कंट्रोल यूज करने वाले लोगों के बिहेवियर को समझने के लिए एडिक्शन साइंस का इस्तेमाल करना गलत है. क्योंकि उन लोगों को सिर्फ हेरोइन, अल्कोहॉल और निकोटीन जैसी चीजों के बारे में ही एडिक्शन की बात करना ही समझ में आता है.
लेकिन इस बारे में रिसर्च करने पर यह क्लियर हो गया है कि ज्यादा पोर्न कंटेंट देखने से मोटिवेशन और डिसीजन मेकिंग में इंवॉल्व होने वाले ग्रे मैटर में कमी आ जाती है . जिस की वज़ह से नर्व कनेक्शन्स मे भी कमी आ जाती है. यह ग्रे मैटर रिवार्ड सर्किट्री के सेक्शंस में मौजूद रहता है.
नर्व कनेक्शन्स मे कमी आ जाने की वज़ह से रिवार्ड एक्टिविटी सुस्त हो जाती है और खुशी का रिस्पांस सुन्न पड़ जाता है. इस प्रोसेस को डीसेंसीटाइजेशन कहते हैं. इस के साथ ही हमारी विल पावर में भी कमी आ जाती है. इस के बाद रिसर्चर्स ने बिहेवियर के एडिक्शन को भी रिकॉग्नाइज करना शुरू कर दिया.
इंटरनेट पोर्नोग्राफी को क्विट करने के बाद इस के विदड्रॉवल सिम्पटम्स भी कभी - कभी ड्रग विदड्रॉवल सिम्पटम्सजैसे ही नजर आते हैं. क्योंकि सभी नशीली चीजें एक खासन्यूरो केमिकल शेयर करती हैं औरदिमाग में कुछ सेलुलर बदलाव भी पैदा करती हैं.
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि डोपामिन न्यूरोकेमिकल इवेंट्स की शुरुआत करता है. जिस की वजह सेएडिक्शन से जुड़े हुए दिमागी बदलाव होते हैं. लेकिन इस की असली वज़ह मॉलिक्यूलर स्विचहोता है जो ' डेल्टा फॉस बी ' नाम के प्रोटीन में लंबे टाइम तक के लिए बहुत से चेंजेज पैदा करता है.
डोपामिन डेल्टा फॉस बी के प्रोडक्शन में बढ़ावा देता है. इस के बाद जब हम इन नेचुरल रिवार्र्ड्स को इंजॉय करते हैं - जैसे सेक्स , शुगर, हाई फैट, एरोबिक एक्सरसाइज और नशीले ड्रग्स वगैरह तो धीरे - धीरे इस प्रोटीन की कम या ज्यादा क्वांटिटी डोपामिन केरिलीज होने के मुताबिकरिवार्ड सर्किट्री में जमा होने लगती है. डेल्टा फॉस बी को खत्म होने में 1 से 2 महीने का टाइम लग जाता है लेकिन इसकी वजह से होने वाले दिमागी बदलाव बने रहते हैं .
रिवार्ड सर्किट्री में जमा होने वाला डेल्टा फॉस बी प्रोटीनजींस के एक बहुत खास सेट में बदल जाता है जो रिवार्ड सेंटर में फिजिकल और केमिकल बदलाव पैदा करते हैं.
टीन ऐजर्स के दिमाग का ह्यूमन रिवार्ड के लिए ओवर सेंसिटिव होना यह भी दिखाता है कि ऐसे लोग एडिक्शन के लिए ज्यादा सेंसिटिव होते हैं.
रिसर्च स्टडीज में यह पता लगा है कि सेक्सुअल इरेक्शन्स के लिएरिवार्ड सर्किट्री और दिमाग के ' मेल ' सेक्सुअल सेंटर्स मेंकाफी डोपामिन की जरूरत होती है. ग्रे मैटर में कमी, नर्व सेल की ब्रांचेज और दूसरे नर्व सेल से कनेक्शन में हुई कमी के बराबर होती है . इस वजह से डोपामिन सिगनलिंग में कमी आती है और फिर सेक्सुअल एरॉउजलयानी उत्तेजना मे भी कमी आ जाती है.
विल्सन के मुताबिक रिकवरी फोरम के हज़ारों मेम्बर्स ने यहपता लगाया है कि पोर्न को क्विट करने वाले लोग अपने मूड , मोटिवेशन, एकेडमिक परफारमेंस, सोशल एंजायटी वगैरह के मामले में खुद को बहुत बेहतर सिचुएशन में महसूस करने लगते हैं. इस से यह पता लगता है कि इंटरनेट की प्रॉब्लम्स सिर्फ उन्हीं लोगों में पैदा होती हैं जिन लोगों के अंदर पहले से ही इस तरह की गड़बड़ियां और लक्षण मौजूद होते हैं.
एडिक्शन के बारे में रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट्स ने हर तरह के नशे के आदी लोगों केदिमाग में डोपामिन में आने वाली कमी और उस की सेंसटिविटी को मापा है. जिन में इंटरनेट की लत वाले लोग भी शामिल हैं. हालांकि हम यह भी जानते हैं कि जंक फूड जैसे नेचुरल रिवॉर्ड की वजह से भी हमारे दिमाग में बहुत तेजी के साथ डोपामिन की यह कमी पैदा हो सकती है . जब कि इस का दूसरा पहलू यह भी है कि जब डोपामिन और उस से जुड़े हुए न्यूरो केमिकल्स प्रॉपरली रेगुलेट किए जाते हैं तो सेक्सुअल अट्रैक्शन , सोशलाइजिंग , कंसेंट्रेशन, सेक्सुअल रिस्पांसिंवनेस यानी उत्तेजना बढ़ाने वाली चीजों के लिए सेक्सुअल डिजायर्स का रिस्पॉन्स करना और खुद के अच्छा होने की फीलिंग को महसूस करना जैसे इमोशन्स बगैर ज्यादा कोशिश किए, बड़ी आसानी से हमारे अंदर बढ़ जाते हैं. इसी लिए जब बहुत ज्यादा इंटरनेट पोर्न का इस्तेमाल करने वाले लोग इसे छोड़ते हैं तो उन के अंदर नॉर्मल डोपामिन सिग्नलिंग के वापस लौट आने की वजह से इन सब चीजों में यह सब सुधार दिखाई देने लगते हैं.
बदकिस्मती से इंटरनेट पोर्न एडिक्शन के साइंटिफिक बेसिस के बारे में दूर - दूर तक फैली हुई ना समझी की वजह से बहुत से हेल्थ केयर प्रोवाइडर अभी भी यह मानते हैं कि इंटरनेट पोर्न का इस्तेमाल करने की वजह से लोगों के अंदर गम्भीर डिप्रेशन, ब्रेन फॉग यानी कंसंट्रेशन में कमी, लो मोटिवेशन या एंग्जाइटी जैसी प्रॉब्लम्स नहींहो सकती हैं. और फिर इस का यह नतीजा होता है कि यह लोग अनजाने में ही इंटरनेट पोर्न यूजर्स के बारे में उन की इन्टरनेट आदतों की जांच पड़ताल किए बगैर ही उन के अंदर कुछ शुरुआती गड़बड़ियां होने के तौर पर उन को मिस डायग्नोज कर लेते हैं. और फिर पोर्न यूजर्स उस वक्त यह देखकर हैरान रह जाते हैं जब पोर्न क्विट करने के बाद उन के दूसरे सिम्टम्स भी खुद ब खुद हल हो जाते हैं.
बेशक हेल्थ केयर प्रोवाइडर्सकुछ नौजवान लोगों का इलाज इरेक्टाइल डिसफंक्शन और डिलेड इजेकुलेशन के लिए भी करने लगते हैं जब कि इस के लिए सिर्फ पोर्न कोक्विट करनाही काफी होता है.
बहुत से लोगों को सेक्सुअल प्रॉब्लम्स के लिए गैर जरूरी आउटडेटेड इंफॉर्मेशन्स और ट्रीटमेंट ही मिल पाते हैं . जब कि सब से पहले उन की ब्रेन्स को उन की नॉर्मल पोजीशन पर वापस लौटने का मौका मिलने की जरूरत होती है. जिस से कि वह प्लेजर और सेक्सुअल रिस्पांसिंवनेस तक पहुंच सकें.
Regaining Control
“The road of excess leads to the palace of wisdom.”
William Blake
अंग्रेज कवि विलियम ब्लेक का कहना है कि आप कभी भी यह नहीं जान सकते हैं कि कितना होना काफी है जब तक कि आप को यह न मालूम हो कि कितना होना जरूरत से ज्यादा है.
यहां विल्सन का यह कहना है कि हालांकि बहुत से लोग अपनी प्रॉब्लम से रिकवरी करने के बाद उस के फायदों के बारे में बताते हैं लेकिन इस का सबसे बड़ा फायदाहै,अपनी जिंदगी पर दोबारा से खुद का कंट्रोल हासिल कर लेना. इस के लिए आप का पहला कदम होता है, आने वाले कई महीनों तक अपने ब्रेन को आर्टिफिशियल सेक्सुअल स्टिमुलेशन सेदूर रख कर उस को आराम देना. इस के बाद आप खुद को रियल लाइफ की दूसरी चीजों के बीच मेंशिफ्ट कर सकते हैं . फिर चाहे वह लंबे समय से पोर्नोग्राफी को हद से ज्यादा इस्तेमाल करने का मामला हो या फिर कोई दूसरे इशूज हों, इस से आप को उन सारी सिचुएशंस में खुद को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
इस प्रोसेस को रिबूटिंग कहा जाता है. इस तरीके से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपकी जिंदगी में पोर्न का ना होना क्या मायने रखता है. इस को करने के पीछे यह आईडिया है कि आप आर्टिफीशियल सेक्सुअल स्टिमुलेशन को अवॉइड कर के अपनी ब्रेन को किसी कंप्यूटर की तरह ही शटिंग डाउन कर के री स्टार्ट करते हैं और इस की ओरिजिनल फैक्ट्री सेटिंग को फिर से रिस्टोर कर देते हैं.
अब आप का गोल वीडियो स्क्रीन को बीच में लाए बगैर रियल लोगों से बात चीत कर के अपनी खुशी को तलाश करना औरजिंदगी और प्यार के लिए अपनी चाहत को बढ़ाना होता है.
शुरुआत में आप के लिए रिबूटिंग प्रोसेस एक चैलेंजिंग काम हो सकता है. क्योंकि आप की ब्रेन पोर्न के इस्तेमाल से परिचित हो कर आर्टिफिशियल तरीकों से प्रोड्यूस की गई डोपामिन की एक फिक्स खुराक और दूसरे न्यूरो केमिकल्स की सप्लाई के लिए आप पर भरोसा करती है. और आप की आजादी इसी में है कि आप किसी भी एडिक्शन के रास्ते को कमजोर कर दें और वापस नॉर्मल सेंसिटिविटी में वापस लौटने की शुरुआत करें.
रिबूटिंग के लिए सबसे ज्यादा फेमिलियर टिप्स यह बताए गए हैं-
1.Remove all porn यानी सारे पोर्न हटा दीजिए -
यहां यह कहा गया है कि आप अपने डिवाइसेज से सारे पोर्न को हटा दीजिए. और इस के साथ ही बैक - अप्स और ट्रैश को भी रिमूव कर दीजिए. यह एक्शन आप की ब्रेन को सिग्नल भेजता है कि आप का पोर्न को छोड़ने का इरादा बिल्कुल पक्का है.
2. Move your furniture around यानीअपने आस पासके फर्नीचर की लोकेशन चेंज कीजिए -
आप के इस्तेमाल से जुड़े हुए एनवायरमेंटल संकेत एक पावर फुल रिएक्शन की वजह बन सकते हैं. क्योंकि वह खुद भी डोपामिन रिलीज करते हैं. इसी लिए नशीले केमिकल्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों से कहा जाता है कि उन को अपने दोस्तों , पड़ोसियोंऔर अपनी पुरानी एक्टिविटीज को अवॉइड करना चाहिए.
हालांकि आप खुद को ना तो अवॉइड कर सकते हैं और ना ही खुद से कहीं दूर जा सकते हैं. लेकिन आप अपने आसपास के माहौल में कुछ बदलाव जरूर कर सकते हैं. जैसे कि अगर आप अपने रूम या प्राइवेट एरिया में पोर्न देखते हैं तो आप अपने कंप्यूटर टेबल को ऐसी जगह पर रख दीजिए जहां पर घर के सब लोग रहते हैं और आपवहाँ पर पोर्न ना देख सकते हों या आप अपनी मास्टरबेशन चेयर से छुटकारा पा सकते हैं.
3.Consider a porn blocker and an ad blocker यानी पोर्न ब्लॉकर और एड ब्लॉकर को इस्तेमाल करने के बारे में विचार कीजिए.
पोर्न ब्लॉकर्स इन्टरनेट ब्राउज़िंग करते वक्त आप की स्क्रीन पर पोर्न कंटेंट्स को ब्लॉक कर देते हैं. और आप को यह रियलाइज करने का टाइम देते हैं कि आप वह काम करने वाले हैं जो कि आप असल में नहीं करना चाहते हैं. अपनी रिकवरी के प्रोसेस की शुरुआत में और इस से पहले कि आप की ब्रेन में सेल्फ कंट्रोल मैकेनिज्म पूरे वर्किंग ऑर्डर में रीस्टोर हो सके, इस तरह के ब्लॉकर्स आप के लिए काफी मदद गार साबित हो सकते हैं. और फिर कुछ टाइम बाद आप को इन का इस्तेमाल करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
आपको ऐड ब्लॉकर का भी यूज़ करना चाहिए. क्यूंकि ऐसा करने से आप को हॉलीडे प्लान बनाते समय या विटामिन आर्डर करते समय अपनी साइड बार में हिलती डुलती इमेजेज नहीं देखनी पड़ेगी. और इस से आप को अपनी लालसा को अवॉइड करने में मदद मिलेगी
4. Consider a day-counter यानी एक डे काउंटर पर विचार कीजिए.
बहुत से फोरम्स फ्री डे काउन्टर्स ऑफर करते हैं. जहां हर एक पोस्ट के नीचे आप एक ' बार ग्राफ ' बनाते हैं जो आपके गोल की प्रोग्रेस को शो करता है और ऑटोमेटिकली अपडेटहोता रहताहै. इन काउंटर्स में लोगों के मिले - जुले रिव्यूज होते हैं. अगर आप को एक डे काउंटर मिलता है तो इस का एक लॉन्ग टर्म व्यू लीजिए. और यह सोचे बगैर कि एक बार आपने अपने गोल को पूरा कर लिया है, इस लिए अब आप दोबारा पोर्न पर वापस लौट सकते हैं, अपने पोर्न फ्री डेज की गिनती कर के खुशी मनाइए. इस तरीके में जो मायने रखता है वह पोर्न के बगैर बिताए गए आप के दिन नहीं होते हैं बल्कि आपके माइंड का बैलेंस होता है. क्योंकि ब्रेन्स एक सेट शेड्यूल के तहत पूरी तरह से अपने बैलेंस पर वापस नहीं लौट पाते हैं. इस लिए इस में लगने वाले दिन आप के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं बल्कि उन्हें रिबूट होने के लिए एक डेफिनेट टाइम चाहिए होता है.
5. Extinction training (not for everyone) यानी खत्म करने की ट्रेनिंग ( यह सभी लोगों के लिए नहीं है )
इस प्रोसेस में आप पोर्न को यूज करने के लिए उकसाने वाले लिंक को कमजोर करते हैं. और अगर एक्सटिंक्शन ट्रेनिंग आप के लिए कारगर नहीं साबित होती है, क्यूंकि अगर पोर्न साइट्स की झलक देख कर आप फिर से अपना कंट्रोल खो देते हैं, तो पहले आप अपनी विल पॉवर को मजबूत करने के लिए एक इनडायरेक्ट अप्रोच का इस्तेमाल करने की कोशिश कीजिए. इस के लिए आप एक्सरसाइज और मेडिटेशन भी कर सकते हैं.
6. Join a forum, get an accountability partner यानी एक फोरम को ज्वाइन कीजिए , और एक अकाउंटेबिलिटी पार्टनर को अपने पास रखिए.
नो फैप और रिबूट नैशन जैसी वेब साइट्स अकाउंटेबिलिटी पार्टनर्स तलाश करने में मदद करती हैं. अकाउंटेबिलिटी पार्टनर्स ऐसे प्राइवेट ट्रेनर होते हैं जो आप के कमिटमेंट को पूरा करने में मदद करते हैं. रिकवरी की तरह ही एडिक्शन की भी एक सोशल सिचुएशन होती है . इस लिए अपने लिए एक सपोर्ट को तलाश कर लेना आप के लिए बहुत इंपॉर्टेंट होता है.
7. Therapy, support groups, Healthcare यानीथेरेपी, सपोर्ट ग्रुप्स और हेल्थ केयर की जरूरत.
एक अच्छा थैरेपिस्ट जो यह समझता है कि बेहवियरल एडिक्शन्स रियल होते हैं, वह आपके लिए काफी मदद गार साबित हो सकता है. ऐसे ही कुछ थैरेपिस्ट ऑन लाइन या ऑफ लाइन ग्रुप सपोर्ट के जरिए ऐसे लोगों का काम आसान करते हैं जो पोर्न क्विट करने में संघर्ष कर रहे होते हैं.
अगर आप यह सोचते हैं कि आप को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर (OCD) की प्रॉब्लम है. यानी आपके मन में कोई ऐसी सोच या आईडिया बार - बार आता है जिस पर आप का कोई कंट्रोल नहीं है तो आप को पोर्नोग्राफी क्विट करते वक्त विड्रॉल की एंग्जाइटी को कम करने के लिए कुछ दवाइयां लेने की जरूरत पड़ सकती है.
8. Keep a journal यानी अपनी प्रोग्रेस का हिसाब रखें.
रिबूटिंग प्रोसेस एक बिल्कुल सीधा तरीका नहीं है. इस में अच्छे - बुरे दिन आते रहते हैं. और आप के बुरे दिनों में आप की ब्रेन आप को यह समझाने लगती है कि आप ने कोई प्रोग्रेस नहीं की है और आप की इच्छा पूरी होने की कोई उम्मीद नहीं है. लेकिन आप अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में पहले की एंट्रीज को देख कर अपने कॉन्फिडेंस को फिर से बढ़ा सकते हैं.
Managing Stress, Improving Self-control and Self-care यानी स्ट्रेस मैनेज करना, सेल्फ - कंट्रोल बेहतर करना और सेल्फ - केयर करना.
इस टॉपिक में यह चीजें आती हैं :
9. Exercise, beneficial stressor यानीएक्सरसाइज करना और बॉडी मसल्स में बेनेफिशियल तनावपैदा करने वाली चीजों को इस्तेमाल करना .
पोर्नोग्राफी से अपना ध्यान दूसरी तरफ हटाने और स्ट्रेस को दूर करने के लिए और अपने सेल्फ कॉन्फिडेंस और फिटनेस लेवल को बेहतर करने के लिएएक्सरसाइज करने को एक बेहतरीन और फायदे मंद तरीका माना गया है.
प्रॉपर एक्सरसाइज करने से 40 साल से कम उम्र वाले लोगों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है.
10. Get outside यानी बाहर की तरफ निकलिए.
रिसर्चर्स के मुताबिक नेचर में बिताया गया टाइम दिमाग के लिए बहुत अच्छा होता है. यह क्रिएटिविटी, इनसाइट और प्रॉब्लम सॉल्विंग को बढ़ाता है.
अगर आप किसी शहर में रहते हैं तो पार्कों में घूमिए. क्योंकि हमारे रहने का एनवायरनमेंट हमारे दिमाग के ऊपर एक पॉजिटिव असर डाल सकता है.
11. Socializing यानी सोशल होना.
जब रिबूटिंग के दौरान आप मजबूरन अपने अटेंशन को आदतन राहत देने वाली चीजों से दूर करने की कोशिश करते हैं तो आपका रिवार्ड सर्किटरी दूसरे प्लेजर सोर्सेस को तलाशने लगता है. और आखिर कार फ्रेंडली बात चीत, रियल साथी , नेचर मे टाइम, एक्सरसाइज, और क्रिएटिविटी जैसे नेचुरल रिवार्र्ड्स को तलाश कर लेता है. यह सभी चीजें आप की लालसा को कम कर देती हैं.
12. Meditation, relaxation techniques यानी मेडिटेशन और रिलैक्सेशन टेक्नीक्स का इस्तेमाल करना.
विड्रॉल के स्ट्रेस से गुजरने वाले किसी भी शख्स के लिए डेलीमेडिटेशन करना बहुत आराम देह हो सकता है. इस के इस्तेमाल से एडिक्शन की वज़ह से दिमाग के जो पार्ट्स कमजोर हो जाते हैं उन में फिर से मजबूती आ जाती है.
13. Creative pursuits, hobbies, life purpose यानी क्रिएटिव काम काज , हॉबीज और जिंदगी का पर्पज क्या होना चाहिए.
रिबूटिंग प्रोसेस के दौरान खास कर शुरुआती कुछ हफ्ते डिस्ट्रेक्शन से संघर्ष करने वाले होते हैं. यानी आप के लिए पोर्नोग्राफी से अपना अटेंशन दूर रख पाना बहुत मुश्किल होता है. इस लिए आप ऐसे वक्त में अपने सारे एक्स्ट्रा टाइम, एनर्जी और कॉन्फिडेंस का इस्तेमाल खुद कोदूसरे कामों में बिजी रखने के लिए कीजिए. ऐसे मेंक्रिएटिविटी आप के लिए डिस्ट्रेक्शन का एक बड़ा जरिया साबित हो सकती है.
Rebooting Challenges यानी रिबूटिंग प्रोसेस में आने वाली मुश्किलें.
14. Withdrawal यानी वापसी.
जैसे कि इस किताब में पहले ही बताया चुका है कि हमारी ब्रेन्स न्यूरो केमिकल बैलेंस बनाए रखने के लिए हमेशा अपनी कोशिशें करती रहती हैं. अगर हम लगातार लंबे समय तक इन के ऊपर तेज स्टिमुलेशन यानी यौन उत्तेजना के हमले करते रहेंगे तो यह डोपामिन जैसे न्यूरो केमिकल्स की सेंसिटिविटी को कम कर देते हैं. इस की वजह से न्यूरल सिगनल्स शांत हो जाते हैं. और फिर हमारे प्लेजर और इमोशंस सुन्न पड़ जाते हैं. हमारी रोजाना की जिंदगी सुस्त और बेमानी हो जाती है.
लेकिन जब हम एक्जेजेरेटेड स्टिमुलेशन यानी बहुत ज्यादा उत्तेजना को वापस हटा लेते हैं तो धीरे - धीरे सुन्न पन के लक्षण अपने आप गायब होने लगते हैं, जोश बढ़ने लगता है और स्टेबिलिटी कायम हो जाती है.
15.Flatline यानी बेज़ान होने का लक्षण.
फ्लैट लाइन किसी भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन वाले शख्स में पोर्नोग्राफी क्विट करते वक़्त एक स्टैंडर्ड विड्रोल सिस्टम होता है. जिस की वजह से उन के अंदर की लीबिडो यानी सेक्सुअल डिजायर खत्म हो जाती है और उन के जेनिटल्स बिल्कुल बेज़ानहो जाते हैं. और फिर इस डर से कि कहीं यह परमानेंटली ऐसे ही ना हो जाएं, बहुत से लोग फिर से पोर्न का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं.
हालांकि ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई हैं, जिन के मुताबिक पोर्न क्विट करने वाले हर शख्स में रिकवरी के दौरान लीबिडो में कमी या फ्लैट लाइन की प्रॉब्लम नहीं होती है. लेकिन फिर भी हाई स्पीड इंटरनेट पोर्न का इस्तेमाल करने वाले ज्यादा तर लोगों में ऐसी प्रॉब्लम दिखाई पड़ती है. और बहुत से लोगों में यह प्रॉब्लम पोर्न क्विट करने के करीब 7 महीने बाद दूर हो जाती है.
16.Insomnia यानी नींद ना आने की बीमारी
हमारी बॉडी के लिए पूरा आराम करना बहुत जरूरी है. क्योंकि थकान की वजह से पोर्न का इस्तेमाल करने को बढ़ावा मिलता है. बहुत से रीबूट करने वाले लोग बहुत सालों से अच्छी नींद लाने के लिए पोर्न को अलग - अलग तरीके सेइस्तेमाल करने में यकीन रखते आ रहेथे . जिस के बगैर उन्हें नींद नहीं आती है. नींद ना आने की बीमारी एक कॉमन विड्रोल सिम्पटम है. और यह प्रॉब्लम धीरे-धीरे टाइम के साथ अपने आप खत्म हो जाती है.
17.Triggers यानी चालू करने की वजह.
ट्रिगर्स वह बाहरी कारण होते हैं जो आप को पोर्न के बारे में सोचने पर मजबूर करते हैं. कॉमन ट्रिगर्स में यह चीजेंशामिल होती हैं - ऐसे टी वी शोज और मूवीज जिन में इरोटिक कंटेंट यानी सेक्सुअल डिजायर बढ़ाने वाले मटेरियलहोते हैं, पोर्न यूज़ की पुरानी कहानियां, सुबह उठने पर जेनिटल्स यानी यौन अंगों में तनाव रहना, नशीली ड्रग्स या अल्कोहल का इस्तेमाल, आप को पोर्न साइट या एक्टर के बारे में याद दिलाने वाली बातें, और उत्तेजना बढ़ाने वाले विज्ञापन वगैरह.
लेकिन हमारी अलग अलग दिमागी हालत भी ट्रिगर्स हो सकती हैं. जैसे बोरियत, एंग्जायटी, डिप्रेशन, अकेला पन, गुस्सा और फैलियर वगैरह.
ट्रिगर्स में प्रॉब्लम और सलूशनदोनों चीजें मौजूद होती हैं. यह शुरू में आप को पागल कर सकते हैं लेकिन यही आप को यह भी दिखाते हैं कि कब आप को हाई अलर्ट होना चाहिए.
18. Chaser यानी पीछे करने वाला
चेजर का मतलब सेक्स के लिए जोर दार तलब पैदा हो जाने के बाद ऑर्गेज्म यानी सेक्सुअल क्लाइमैक्स के हाईएस्ट प्वाइंट पर पहुंचना होता है. विड्रोल सिम्पटम की तरह चेजर भी एक पल में रिबूटिंग प्रोसेस कोबंद करवा सकता है.
कुछ लोग वेट ड्रीम यानी स्वप्नदोष की प्रॉब्लम एक्सपीरियंस करनेके बाद उन के अंदर चेजर इफेक्ट को नोटिस कर सकते हैं. अक्सर इन तेज असर डालने वाले चेजर इफेक्ट्स की वजह से एक बेखबर रिबूटिंग करने वाला शख्सऑर्गेज्म पर पहुंचने के बाद खुद पर से अपना कंट्रोल खो देता है. आम तौर पर यह देखा गया है कि जैसे - जैसे रिबूटिंग के बाद ब्रेन अपना बैलेंस तलाश करती जाती है वैसे वैसे वक़्त के साथ चेजर इफेक्ट खुद ब खुद खत्म होने लगता है .
19.Disturbing dreams, flashbacks यानी परेशान करने वाले सपने और पुरानी यादें.
बहुत से लोगों का यह कहना है कि पोर्न क्विट करने के बाद उन को बेहतर सपने दिखाई देने लगे. दरअसल अलग - अलग तरह के सपनों का दिखाई देना हमारी मेंटल हाउस क्लीनिंग यानी दिमाग की देख भाल करने का एक हिस्सा होता है.
रिबूटिंग के दौरान पोर्न फ्लैश बैक यानी पोर्न की पुरानी यादों का आना भी एक आम बात है. और इन की वजह सेबड़ी आफत भी खड़ी हो सकती है. इसी लिए सबसे अच्छा यही करना होताहैकि आप पोर्न फ्लैश - बैक्स को किसी सपने की तरह ही ट्वीट करें.
20. Shame cycle यानी शर्म का चक्र.
ज्यादा तर इन्टरनेट पोर्न यूजर्स ऑन लाइन इरोटिका यानी यौन उत्तेजना को एक्सपीरियंस कर के बड़े हुए हैं. लेकिन बाद में वक्त बीतने के साथ - साथ ही इस को इस्तेमाल करने में लोगों की दिलचस्पी काफी कम हो जाती है. अगर यही लोग इस मामले में शर्म महसूस करते हैं तो यह दिखाता है कि पोर्न कंटेंट या उस के इस्तेमाल में कमी की बात नहीं है बल्कि यह पोर्न के इस्तेमाल को कंट्रोल ना कर पाने में उन की कमजोरी का होनाहै. जैसे ही वह इस परअपना कंट्रोल वापस हासिल कर लेते हैं उस के बाद उन की शर्म गायब हो जाती है.
Common Pitfalls यानी छिपे हुए कॉमन खतरे.
21. Edging यानी किनारा कर लेना
रिबूटिंग के प्रोसेसमे रुकावट पैदा करने वाला सब से बड़ा फैक्टरएजिंग होता है. जैसे कि इंटरनेट पर यौन अंगों में उत्तेजना बढ़ाने वाले कंटेंट को देख कर मास्टरबेशन करना और क्लाइमेक्स के बगैर ही ऑर्गेज्म के किनारे पहुंचने तक बार - बार इसे रिपीट करते रहना. हालांकि नो फ्लैप फोरम पर यह बताया जाता है कि लोगों में इस तरह की प्रैक्टिस का होना कोई नई बात नहीं है. जहां पर कभी - कभी लोग खुद को इस बात से बहलाने लगते हैं कि उन के लिए इजेकुलेशन यानी बॉडी मे से सीमेन को बाहर निकालना मेन प्रॉब्लम है और इन्टरनेट पोर्न की प्रॉब्लम इस से ज्यादा इंपॉर्टेंट नहींहै.
ऑर्गेज्म की कगार पर पहुंचते ही डोपामिन अपने सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच जाता है. इसी लिए एजिंग की वजह से भीकई घंटों तक डोपामिन का हाई लेवलबना रहता है. यही वजह है कि जब आप अश्लील चीजें देखना बंद कर देते हैं, तो आप की मास्टरबेशन करने की इच्छा भी काफी कम हो जाती है. क्योंकि पोर्न के बगैर इस को करना आप के लिए इंटरेस्टिंग नहीं होता है. इस लिए आप खुद को क्लाइमैक्स के लिए फोर्स मत कीजिए औरअपना धीरज बनाए रखिए.
22. Fantasising यानी मनचाही बात की कल्पना करना.
विल्सन के मुताबिक रिबूटिंग प्रोसेस के शुरुआती दिनों में एक पार्टनर के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के दौरान फेंटेसी को अवॉइड करना बहुत मदद गार होता है. क्योंकि इस को अवॉइड करना हमारी लालसा को काफी कम कर देता है.आखिर कार अवॉइडेंस की मदद से आप अपने संभावित पार्टनरर्स के साथ रियलिस्टिक फेंटेसी में इंगेज हो सकते हैं. इस तरीके से आपवीडियो स्क्रीन की जगह रियल लोगों के साथ रीवायर करने में अपने माइंड की मदद कर सकते हैं.
23.Using porn substitutes यानी पोर्न की जगह किसी और चीज का इस्तेमाल करना
यहां पर यह कहा गया है कि अगर आप पोर्नको क्विट कर रहे हैं तो आप चीजों को लॉजिकल तरीके से भी देख सकते हैं. जैसे कि यह माना जा सकता है कि किसी महिला की बिकनी में तस्वीरें अश्लील नहीं होती हैं. दरअसल हमारे दिमाग का प्रिमिटिव पार्ट यानी सिंपल और अनडेवलप्ड पार्ट पोर्न के बारे में कुछ भी नहीं समझता है. यह सिर्फ इसी चीज को समझता है कि कहीं किसी चीज में हमारी उत्तेजना बढ़ रही है या नहीं. इस लिए अगर बिकनी वाली तस्वीरें आप की यौन उत्तेजना को बढ़ाती हैं तो फिर आपके अंदर अभी भीप्रॉब्लम मौजूद है . इस वजह से आप के लिए रिबूटिंग प्रोसेस बहुत मुश्किल और पेन फुल हो जाता है.
24.Forcing sexual performance prematurely (ED) यानी इरेक्टाइल डिस्फंक्शनमें सेक्सुअल परफॉरमेंस कोसमय से पहलेपूरा करने के लिए फोर्स करना.
विल्सन के मुताबिक बुनियादी तौर पर पुरुष और महिला दोनों लोगों का ही यह मानना है कि एक पार्टनर में सेक्सुअल सुस्ती को दूर करने के लिए सेक्सुअल हीट को बढ़ा देना एक अच्छा सलूशन होता है . हालांकि जिन लोगों में पोर्न रिलेटेड सेक्सुअल डिस्फंक्शन की प्रॉब्लम होती है उन के अंदर लिबिडो को नेचुरल तरीके से दोबारा जगाने के लिए एलाऊ किया जा सकता है. इस तरीके से उन की प्रॉब्लमबहुत तेजी से सोल्व हो जाती है. यानी लोगों को अपनी बेलगाम सेक्सुअल परफारमेंस की इच्छाओं को रिबूट करने की जरूरत होती है.
इस लिए अगर जरूरत पड़े तो तो आप अपने पार्टनर को समझाइए कि उन्हेंवक्त से पहले आप को ' हीट' करनेके लिए किसी पोर्न ऐक्टर की तरह एफर्ट प्ले करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ऐसा करना आखिर कार आपकी हीलिंग कोनुकसान पहुंचा सकता है .
25.Assuming a fetish is permanent यानी यह मान लेना कि किसी चीज में उत्तेजना पैदा करने वाला मैजिकल इफेक्ट हमेशा के लिए होता है.
विल्सन का कहना है कि आजकल के पोर्न व्यूअर्स सुपर नॉर्मलएरॉउजल यानी एक अलौकिक उत्तेजना की पोजीशन को प्रोड्यूस करने के लिए हाइपर स्टिमुलेटिंग यानी अति उत्तेजक कंटेंट का इस्तेमाल करते हैं. और वह इस पोजीशन कोघंटों तक मेंटेन रख सकते हैं. इस के बाद जब ओवर कन्सम्प्शन की वज़ह से डीसेंसीटाइजेशन का इफेक्ट होने लगता है तो हमारी ब्रेन नॉवल्टी, शॉक, और पोर्नोग्राफी बढ़ानेवाले कंटेंट वगैरह के रास्ते ज्यादा डोपामिन की डिमांड करने लगती है. और फिर उस वक्त पहले वाले पोर्न टेस्ट यानी पहले वाली अश्लील चीजों के फ्लेवर्स अब आप के काम नहीं आते हैं.
26.The bad urge यानी बुरी चाहतें.
आप को अपनी बुरी चाहतों के दिखाई पड़ने से पहले ही उन से डील कर लेना चाहिए. इस लिए जब आप पोर्न क्विट कर रहे हों तो बुरी चाहतों के पैदा होते ही सबसे पहले पोर्न को अवॉइड करने की वजहों की एक लिस्ट बना कर उस को कंसल्टकीजिए.
इस के बाद आप एक दूसरी लिस्ट बनाइये कि चाहतें पैदा होने के बाद आप पोर्न यूज करने की जगह क्या करेंगे?
Common Questions यानी इस बारे में पूछे जाने वाले कॉमन सवाल.
27.How long should I reboot ? यानी मुझे कितने लंबे वक्त तक रिबूट करना चाहिए?
विल्सन का कहना है कि इस मामले में बहुत सी वेब साइट्स और फोरम्सरिबूट करने के लिए 60 से 90 दिन या 8 हफ्तों का टाइम प्रेसक्राइब करते हैं. लेकिन असल में रीबूटिंग प्रोसेस के लिए कोई टाइम लिमिट तय नहीं की जा सकती है. क्योंकि इस में लगने वाला टाइम पूरी तरह से इस बात पर डिपेंड करता है कि पोर्न की वजह से पैदा होने वाली प्रॉब्लम्स कितनी सीरियस हैं और आपकी ब्रेन इन प्रॉब्लम्स को कैसे रिस्पॉन्ड करती है , और आपके गोल्स क्या हैं ?
एक बार जब आप को यह क्लियर अंडरस्टैंडिंग हो जाती है कि आप ने किन वजहों से पोर्न को यूज करना शुरू किया था तो फिर आप खुद को इस प्रॉब्लम सेबाहर निकाल सकते हैं.
28. Can I have sex during my reboot? यानी क्या मैं रिबूट के दौरान फिजिकल रिलेशन बना सकता हूं ?
विल्सन का इस बारे में यह कहना है किऐसा करना खुद आप के अपने ऊपर डिपेंड करता है. कुछ लोग रिबूट के दौरान टेम्पोरेरी तौरपर सभी तरह की सेक्सुअल स्टिमुलेशन पैदा करने वाली चीजों को इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं. इस की वज़ह से उन की ब्रेन कोबहुत जरूरी आराम मिल जाता है और वह तेजी से रिकवर करने लगती हैं .
दूसरी तरफ हर एक दिन सेक्स के दौरान या सेक्स के बगैर गरम जोशी से, दोस्ताना, और इंटिमेसी वाला प्यार भरा टच आप के लिए हमेशा फायदेमंद होता है. अगर आप ऐसा महसूस करते हैं कि सेक्स करने के बाद चेजर इफेक्ट आप के बैलेंस को बिगाड़ रहा है तो आप ऑर्गेज्म तक पहुंचने का इरादा छोड़ दीजिए और जेंटल लव मेकिंग को ट्राई करना शुरू कीजिए.
हालांकि अगर किसी शख्स को रीबूटिंग प्रोसेस में थोड़ा ज्यादा टाइम लग रहा हो तो एक पार्टनर की मदद से उन की लिबिडो को नार्मल पोजीशन पर वापस लाया जा सकता है.
29.Should I reduce masturbation? यानी क्या मुझे मास्टरबेशन कम कर देना चाहिये ?
यहां विल्सन का कहना है कि सब के लिए ऐसा करना जरूरी नहींहै. पहले आप अपनी डेली रूटीन में से पोर्न को, पोर्न फेंटेसी को, और पोर्न सब्सीट्यूट को काट कर बाहर निकाल दीजिए. क्योंकि कुछ लोगों के लिए खुद को बैलेंस की तरफ वापस लौटने का मौका देना ही काफी होता है. जब कि कुछ दूसरे लोगों के लिए मास्टरबेशन, पोर्न पाथ वेज को एक्टिवेट करने में एक पावर फुल ट्रिगर का काम करता है. इस वजह से ऐसे लोगों के लिए कुछ समय तक इस कोबंद कर देना ही बेहतर होता है.
30.How do I know when I'm back to normal? यानी मुझे यह कैसे पता लगेगा कि मैं वापस से नॉर्मल हो गया हूं ?
विल्सन का कहना है कि इस सवाल का कोई सीधा जवाब देना पॉसिबल नहीं है क्योंकि हर शख्स का अपना एक अलग गोल होता है. हालांकि कॉमन गोल्स में यह चीजें शामिल होती हैं - जैसे हेल्थी इरेक्शन्स पर वापस लौटना, लिबिडो को नॉर्मलाइज करना, पोर्न की वजह से अपनीअन कंट्रोल होने वाली वाली पोजीशन को बेहतर करना, पोर्न की वजह से पैदा हुए सेक्सुअल टेस्ट्स को बदल देना और अपनी लालसा पर काबू पाना वगैरह वगैरह. ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि बहुत से नौजवान लोगों ने रीबूटिंग प्रोसेस के खत्म हो जाने के बाद भी लंबे टाइम तक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में लगातार इम्प्रूवमेंट एक्सपीरियंस किया है.
31.How do I know that I don't just have a high libido? यानी मै यह कैसे पता लगा सकता हूं कि मेरे अंदर एक हाई लिबिडो की कमी हो गई है?
इस बारे में विल्सन का कहना है कि आप पोर्न और पोर्न फैन्टसी को गिव अप कीजिए और फिर उस के कुछ हफ्तों बाद आप यह देखकर हैरान रह जाएंगे कि कैसे आप के अंदर लिबिडो का लेवल बढ़ जाने की वजह से आपकी जिंदगी बहुत आसान हो जाती है. और इस की वजह यह है कि बहुत से लोगों के लिए पोर्न के बगैर मास्टरबेशन करना बिल्कुल भी इंटरेस्टिंग नहीं होता है. बल्कि सच्चाई यह है कि वह लोग एक हाई लिबिडो की जगह पोर्न के इस्तेमाल से ही सेक्सुअल स्टिमुलेशन हासिल करते हैं .
अगर आप इंटरनेट पोर्न के बगैर मास्टरबेशन नहीं कर सकते हैं तो आप एक हॉर्नी शख्स नहीं हैं. इसका मतलब है कि आप एक सेक्सुअली स्टिम्युलेटेड शख्स नहीं हैं. बल्कि आप अपनी लालसा के इफेक्ट में हैं . ऐसे वक्त में आप की ब्रेन टेंपरेरी तौर पर हाई डोपामिन की डिमान्ड करने लगती है. जो हमारे प्लेजर और रिवार्डकी फीलिंग के लिए रिस्पांसिबल होता है.
32.How can I get excited by real partners? (ED) यानी मैं इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बावजूद रियल पार्टनर के साथ कैसे एक्साइट हो सकता हूं ?
विल्सन के मुताबिक कुछ लोगों ने अपनी टीन एज मे इंटरनेट पोर्न का इस्तेमाल शुरू कर दिया और अपने दिमागी तारों को वीडियो स्क्रीन्स से कनेक्ट कर लिया. और फिर अपनी कम उम्र के दौरान ही उन्होंने अपने दिमाग में ऐसी गांठ बांध ली कि जब उन लोगों को फाइनली एक रियल पार्टनर के साथ कनेक्ट होना पड़ा तो वह उनके साथ सेक्सुअली रिस्पांड नहीं कर सके. इसी वजह से जब ऐसे लोग पोर्न और पोर्न फेंटेसी और पोर्न सब्सटीट्यूट के बगैर कुछ महीने बिता लेते हैं तो उन की ब्रेन्स सेक्सुअल स्टिमुलेशन और रियल लोगों के साथ रीवायर करने के लिए यानी रियल लोगों के साथ दिमागी तार जोड़ने के लिए इधर-उधर देखना शुरु कर देती हैं.
और फिर इस की वजह से आप को फ्यूचर में रियल पार्टनर बन सकने वाले लोगों के साथ टाइम बिताने, और अपनी सारी सेक्सुअल फेंटेसीज को रियल लोगों और रियलिस्टिक सेक्सुअल सिनेरियो तक सीमित करने में मदद मिलती है.
Concluding Reflections
“Nothing ever becomes real, til it is experienced.”
John Keats
अंग्रेज कवि जॉन कीट्स का कहना है कि कोई भी चीज तब तक रियल नहीं बनती है जब तक किउस का एक्सपीरियंस नाकर लिया जाए.
यहां विल्सन का कहना है कि अगर आप को शक है कि आप का पोर्न यूज़ करना आप के ऊपर बुरा असर डाल रहा है तो आप कुछ टाइम के लिए इसे छोड़ दीजिए. और फिर खुद पर इसके असर को नोटिस कीजिए.
दरअसल इंटरनेट पोर्न को क्विट कर के आप सिर्फ इस तरह के एक मनोरंजन को खत्म करते हैं जिस को अभी हाल फ़िलहाल तक कोई भी इंजॉय नहीं करता था और सभी लोग इस के बिना ही आगे बढ़ते रहे थे .
1.Understand the Science of misinformation यानी गलत जानकारी के साइंस को समझना.
यहां विल्सन का कहना है कि आप जरूर यह सोच कर हैरान होते होंगे कि आखिर इंटरनेट पोर्न के असर के बारे में अभी तक एक आम राय क्यों नहीं बन पाई है. और विल्सन भी अपनी इसी उलझन में थे कि मौजूदा लिमिटेड रिसर्च के रिजल्ट्सइन्टरनेट पोर्न के इस्तेमाल से पैदा होने वाली तमाम वजहों के लिए किसी तरह के नुकसान का कोई एविडेंस क्यों नहीं तलाश कर पाए हैं. जो कि इस तरह से होती हैं :
1. न्यूरो साइंटिस्ट्स ने इन्टरनेट एडिक्शन, पोर्न यूज, और सेक्स के बारे में अपनी रिसर्च के जरिए इस रहस्य को क्लियर किया है कि लंबे वक्त से किए जा रहे ओवर कंजंम्पशन की वजह से उम्मीद के मुताबिक दिमाग में बदलाव होते हैं.
2. जब इन्टरनेट एडिक्शन की रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट्सने तमाम वजहों की जांच पड़ताल करी तो उन्होंने पाया किइन्टरनेट के आदी हो चुके लोगों ने जब इंटरनेट का इस्तेमाल बंद कर दिया तो उस के बाद उन को एडिक्शन रिलेटेड ब्रेन चेंजेज और सिम्टम्स मे रिवर्सल यानी उस के उलट तब्दीली देखने को मिली.
3. इन्टरनेट पोर्न यूजर्स की ब्रेन्स पर अलग से नयी सालिड रिसर्च अब बहुत से तरीकों से पब्लिश होने लगी हैं.इंटरनेट एडिक्शन जैसे वीडियो गेमिंग, गैंबलिंग, सोशल मीडिया और पोर्नोग्राफी वगैरह पर की गई इन सारी ब्रेन रिसर्च को भी दशकों पहले से की जा रही सब्सटेंस एडिक्शन रिसर्च के साथ ही बड़ी सफाई से रखा जाने लगा है. जिस की वजह से यह क्लियर हो गया है कि एडिक्शन आखिर एडिक्शन होता है और न्यूरोप्लास्टी जिंदगी की एक सच्चाई है.
4. इस के उलट बहुत सी सेक्सोलॉजी रिसर्च जो यह बताती हैं कि पोर्न से कोई नुकसान नहीं होता है, जब बारीकी से उन की जांच पड़ताल की गई तो इस के डिफेक्ट और कमियां सामने आ गए. क्योंकि इस मामले में बहुत लिमिटेड सवालों पर रिसर्च की गई थी और इस बारे में जो नतीजे निकाले गए थे वह यह भ्रम पैदा करते थे कि पोर्न का ज्यादा यूज करना ज्यादा बेनिफिशियल होता है.
2. Education – But What Kind? यानी एजुकेशन जरूरी है लेकिन किस तरह की ?
टीन एजर लोग ऑलरेडी यहपता लगा रहे हैं कि पोर्न का यूज करने से उन की जिंदगी पर एक अनचाहा असर पड़ रहा है.लोगों को यह भी जानने की जरूरत है कि रिवॉर्डसर्किटरी बैलेंस हमारी जिंदगी भर के इमोशंस, फिजिकल और मेंटल हेल्थ को अच्छा रखने के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि इस के अंदर इतनी पावर होती है कि यह हमारे कॉन्शियस अवेयरनेस के बगैर ही हमारी धारणाओं और चॉइसेज को एक शेप दे सकता है. इस के अलावा लोगों को उन तरीकों के बारे में भी इन्फॉर्म किया जाना जरूरी है जो रिवॉर्ड सर्किटरी में बैलेंस बनाने का रास्ता दिखाने में इंसानों की मदद करते हैं. जैसे एक्सरसाइज, नेचर में टाइम बिताना, आपसी भाई चारा, हेल्थी रिलेशन शिप, मेडिटेशन वगैरह - वगैरह.
और आखिर में पोर्न यूजर्स के लिए भी एक ऐसा ही फोकस करने का तरीका कारगर साबित हो सकता है. जिस मेंसिगरेट स्मोकिंग और तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तरह ही पोर्नोग्राफी के इस्तेमाल के चुनाव के बारे में भी इनफॉर्म किया जा सकता हो . इस के अलावा पोर्नोग्राफी के बारे में पूरी जानकारी और हमारी प्लास्टिक ब्रेन्स के लिए इस के खतरों के बारे में भी बताया जा सकता है.
कुल मिलाकर
इस किताब में गैरी विल्सन ने इंटरनेट पोर्न एडिक्शन की घटना का एक छोटा सा इंट्रोडक्शन दिया है. जिस में उन्होंने न्यूरोसाइंस की नॉलेज के जरिए एक जेनेरस और इंसानियत की आवाज में अपनी फाइंडिंग्स की तरफ हमारा ध्यान खींचा है. और जो लोग इंटरनेट पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल बंद करना चाहते हैं उन के लिए भी उन्होंने अपने कीमती सुझाव दिए हैं.
इस बारे में उनका एक्सप्लेनेशन नैतिक तौर पर न्यूट्रल और साइंटिफिकली बहुत मजबूत है कि क्यों कि बहुत सारे लोग अश्लीलता को यूज करने के आदी हो चुके हैं. यह किताब बहुत डिटेल में बायो लॉजिकल और सोशियो लॉजिकल जांच पड़ताल प्रोवाइड करती है कि कैसे और क्यों पोर्नोग्राफी एडिक्शन बहुत से लोगों की जिंदगी को खराब कर रहा है. और यही किताब उन की जिंदगी में पहले जैसा कंट्रोल फिर से हासिल करने के लिए एक स्ट्रेटजी भी प्रोवाइड करती है.
इस किताब को थैरेपिस्ट, सेक्स एजुकेटर, और हर उस शख्स को जरूर पढ़ना चाहिए जो अपनी शारीरिक जरूरतोंको एंजॉय करना चाहते हैं. यह किताब बहुत दया भाव और यकीन के साथ ऐसे लोगों को ठीक होने की उम्मीद देती है जो लोग इंटरनेट पोर्न एडिक्शन से संघर्ष कर रहे हैं.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Your Brain On Porn by Gary Wilson
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