Tom Eisenmann
A New Roadmap for Entrepreneurial Success
दो लफ्जों में
वाय स्टार्टअप्स फेल्स (2021) उन छ: बड़ी वजहों की पहचान करती है जिनके चलते अक्सर स्टार्टअप्स फेल हो जाया करते हैं. इस समरी में आपको ऐसा फ्रेमवर्क मिलेगा जो किसी भी स्टार्टअप के फेलियर को एनालाइज़ करने में आपकी मदद करेगा और आप समझ पाएंगे कि कैसे किसी बिजनेस के अलग-अलग पहलू एक साथ मिलकर काम करते हैं. एंटरप्रेन्योर इस फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करके अपने बिजनेस को परख सकते हैं.
किन के लिए है
- अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स के फाउंडर के लिए
- एंटरप्रेन्योर्स जो अपनी कंपनी को कामयाब करना चाहते हैं
- उन इन्नोवेटर्स के लिए जो अपने आइडिया को बिजनेस की शक्ल नहीं दे पाए
लेखक के बारे में
Tom Eisenmann हावर्ड बिजनेस स्कूल में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के टीचर हैं जहां वह एंटरप्रेन्योरशिप पढ़ाते हैं. उन्होंने 130 केस स्टडीज को को लेखक किया है जो दुनिया भर के स्कूल में इस्तेमाल की जाती है. उन्होंने बहुत सारे वेंचर में इन्वेस्ट किया है, बहुत सारे स्टार्टअप्स में एडवाइजरी बोर्ड मेंबर के तौर पर काम किया है और एंटरप्रेन्योर बनने की चाहत रखने वाले हजारों स्टूडेंट्स को रास्ता दिखाया है.
अपने स्टार्टअप की हेल्थ मेजर करने के लिए आपको ट्रस्टवर्दी फ्रेमवर्क चाहिए
हावर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर Tom स्टार्टअप्स के एक्सपर्ट हैं. लेकिन 20 साल की रिसर्च के बाद उन्हें कुछ ऐसा पता चला जिसने उनकी आंखें खोल दीं. उनके दो स्टूडेंट्स जिन्होंने अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया एक में तो प्रोफ़ेसर को इतना यकीन था कि उन्होंने खुद इन्वेस्ट किया था लेकिन उन्हें समझ में नहीं आया कि आखिर दोनों नाकाम क्यों रह गए. इसने उन्हें पूरी तरीके से डिसएप्वाइंट कर दिया.उन्होंने यह एनालाइज करना शुरू किया कि आखिर स्टार्टअप्स नाकाम क्यों होते हैं, हालांकि इन कारणों में उन्होंने फाइनेंशियल प्रॉब्लम जैसे टिपिकल रीजन को नहीं शामिल किया. इस रिसर्च में उन्होंने ऐसा फ्रेमवर्क डिवेलप किया, जिसमें उन चार अपॉर्चुनिटीज़ के बारे में बताया गया है जो हर स्टार्टअप के पास होती है. कामयाब होने के लिए स्टार्टअप्स को इन अपॉर्चुनिटीज़ का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. आप इस फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करके पता कर सकते हैं कि आपके बिजनेस में सब कुछ सही जा रहा है या नहीं और जब जरूरत पड़े तो सही भी कर सकते है.
यह चार अपॉर्चुनिटी इन स्टार्टअप की रिसोर्स हैं जो एक साथ मिलकर किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को बनाने से प्रॉफिट में बेचने तक का काम करते हैं.पहला है आपका ब्रिलिएंट आइडिया. आपको अपने कस्टमर की प्रॉब्लम के लिए एक यूनिक सलूशन ढूंढना होगा. आपका यह आइडिया कस्टमर की कोई इंपॉर्टेंट प्रॉब्लम सॉल्व करने वाला होना चाहिए और इंश्योर कीजिए कि मार्केट में अवेलेबल सल्यूशंस से आप अलग हों.दूसरा है टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन. अपने प्रोडक्ट को बनाने, कस्टमर तक पहुंचाने और सेल के बाद उस प्रोडक्ट को मेंटेन रखने के लिए इस सिस्टम की जरूरत पड़ती है. इसमें आपके द्वारा इन्वेंटरी और शिपिंग मैनेज करना और आपके कस्टमर द्वारा सेल्स और बुकिंग के लिए इस्तेमाल किए गए प्लेटफार्म शामिल होते हैं.
तीसरा आता है प्रॉफिट फार्मूला, इसमें सेल्स के जरिए होने वाली कमाई और उस कामाई में लगने वाले पैसे का ब्योर होगा, ऑपरेशनल कॉस्ट सहित. अगर आपके पास एक अच्छा प्रॉफिट फॉर्मूला है तो आप बहुत अच्छे से अपने पैसों को मैनेज कर सकते हैं.आखिर में आता है मार्केटिंग, आप अपने पोटेंशियल कस्टमर से कम्युनिकेट कैसे करेंगे और अपना प्रोडक्ट खरीदने के लिए उन्हें कन्वेंस कैसे करेंगे. अगर आप की मार्केटिंग बहुत अच्छी होती है तो आपके कस्टमर ही आप के ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं और आपकी सेल्स उन्हीं के द्वारा होने लगती है. यह चार अपॉर्चुनिटी आपके टीम में शामिल हर किसी के द्वारा सपोर्ट की जानी चाहिए. चाहे वह इन्वेस्टर हो, एडवाइस देने वाला एक्सपर्ट या कोई भी. अगर आपकी अपॉर्चिनिटीज़ रेसहॉर्स हैं तो यह लोग जॉकी हैं. इस रेस को जीतने के लिये उन्हें एक दूसरे और स्टार्टअप की ज़रुरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए.
ऐसे फाउंडर्स जिनको इंडस्ट्री की नॉलेज नहीं होती वह नाकाम हो जाते हैं
मार्च 2012 में हावर्ड बिजनेस स्कूल से ग्रेजुएट्स Alexander Nelson और Christiana Wallace ने Quincy Apparel स्टार्ट किया, एक ऐसी कंपनी जिस ने वादा किया कि इसकी यूनिक साइज़िंग सिस्टम से यह औरतों को ऐसे बिजनेस क्लोथ्स प्रोवाइड करेंगे जो उन्हें एकदम फिट होंगे. दोनों ही काफी काबिल और होशियार फाउंडर्स थे. उन्होंने मार्केट रिसर्च कर रखी थी और ऐसे इवेंट भी ऑर्गेनाइज किए जहां पर औरतें क्लोथ्स ट्राई कर सकती थीं, उन्होंने $950,000 इकट्ठे कर लिए थे.शुरुआत में उनकी बहुत अच्छी सेल हो रही थी. जिन औरतों ने विंटर में उनसे कपड़े खरीदे थे उनमें से 39% ने स्प्रिंग में भी कपड़े खरीदे. लेकिन प्रॉब्लम कहीं और थी हालांकि उन्होंने कुछ फैशन एक्सपर्ट्स को हायर कर रखा था लेकिन उन दोनों को इस इंडस्ट्री की कोई भी नॉलेज नहीं थी. जिसकी वजह से 1 साल के अंदर ही उनकी कंपनी बर्बाद हो गई.
यह दोनों परफेक्ट को फाउंडर थे, कम से कम पेपर्स पर तो थे ही. Wallace काफी इंप्रेसिव थी और अपनी कंपनी का विजन लोगों तक पहुंचा सकते थे मतलब अपने विजन को सेल कर सकती थीं. Nelson एक ट्रेंड इंजीनियर थीं जो कि एनालिसिस करती थीं, मैनेजमेंट और ऑपरेशन को संभालने के लिए एकदम परफेक्ट थीं. अपने ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने समर में Hermen's में इन्वेंटरी ऑप्टिमाइजेशन पर काम किया था.लेकिन Wallace और Nelson दोनों में से किसी को भी कपड़े बनाने के लिए पैटर्न मेकिंग, सैंपल मेकिंग और टेक्निकल डिजाइन जैसे स्पेशलाइज्ड रोल की समझ नहीं थी. उन्हें लगा था कि वह गारमेंट डिजाइन खुद मैनेज कर लेंगे और पूरे मैन्युफैक्चर को देखने के लिए बस एक प्रोडक्शन मैनेजर की ज़रूरत होगी.
जिसकी वजह से साइज़िंग और गलत फैबरिक अॉर्डर करने जैसे बहुत सारे ऑपरेशनल इशु सामने आने लगे. नेल्सन के अंदाजे से लगभग 15% ज्यादा लोगों ने कपड़े वापस किए जिनमें से 68% लोगों की वजह खराब फिटिंग थी. इसका सीधा सा मतलब था कि उनकी कंपनी ने जो फिट बिजनेस क्लोथ्स प्रोवाइड करने का वादा किया था वो निभाने में नाकाम रहे और इतने बड़े लेवल पर रिटर्न होने की वजह से उनको जो फायदा हुआ वह भी खत्म हो गया.Quincy ने लेखक द्वारा बताए गए 4 में से 3 अपॉर्चुनिटीज़ का एकदम सही इस्तेमाल किया उन्होंने बढ़िया मार्केटिंग की, बढ़िया आया था उनके पास और उनका प्रॉफिट फॉर्मूला भी बहुत अच्छा था. लेकिन फाउंडर्स की नॉलेज की कमी से उनके ऑपरेशन में प्रॉब्लम होने लगी जिसकी वजह से उनका बिजनेस नाकाम हो गया.अगर आप किसी ऐसे फील्ड का स्टार्टअप खड़ा कर रहे हैं, जिसके आप एक्सपर्ट नहीं हैं तो इस कमी को कम्पनसेट करने का इंतजाम पहले से करके रखिए. किसी ऐसे को को फाउंडर बनाइए जो एक्सपीरियंस हो या इस फील्ड के किसी एक्सपर्ट के साथ आप पार्टनरशिप भी कर सकते हैं जो आपको यूज़फुल एडवाइसेज दे सके. इसके साथ ही कम से कम इतनी नॉलेज तो आपके पास होनी ही चाहिए कि आप सही इंसान को हायर कर सकें. जिसके चलते आप एक अच्छी टीम बना सकेंगे और गलतियों से बच सकेंगे.
जब Sunil Nagaraj हावर्ड बिजनेस स्कूल में पढ़ रहे थे तो उनके पास एक आईडिया था. उन्होंने सोचा कि वह एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाएंगे जिसकी मदद से पोटेंशियल सिंगल्स की तलाश की जा सकेगी. और यह तलाश इंटरनेट पर मौजूद उनके बिहेवियरल डाटा से की जाएगी जैसे कि वह कौन सा टीवी शो देखते हैं या कैसा म्यूजिक सुनते हैं. वह इस सॉफ्टवेयर का लाइसेंस डेटिंग कंपनी को दे देंगे. जिसे कंपनीज प्रीमियम रेट पर बेचेंगी.यह जानने के लिए कि बिहेवियरल डेटा से रोमांस कंपैटिबिलिटी पहचानी जा सकती है या नहीं उन्होंने 100 लोगों के बीच एक टेस्ट किया. उन्होंने इसके लिए जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया वह ज्यादातर पार्टिसिपेंट्स के कंप्यूटर पर काम ही नहीं कर रहा था इसलिए डेटा खराब हो गया. Sunil इसे नहीं जान पाए और अपना सॉफ्टवेयर बनाने की डायरेक्शन में आगे बढ़ गए. मार्केट की जानकारी के बगैर वह अंधेरे में तीर मार रहे थे.
वह इस सॉफ्टवेयर के लिए बहुत बेताब थे, जिसके चलते उन्होंने एक कॉमन मिस्टेक कर दी फॉल्स स्टार्ट की. यह जाने बगैर कि इंटरेस्टेड कंजूमर उन्हें मिलेंगे या नहीं उन्होंने इसमें टाइम और पैसा इन्वेस्ट कर दिया. मार्केट रिसर्च किए बगैर वह अपने कस्टमर को लेकर असम्पशन करने लगे कि लोग ट्रायंगुलेटेड जैसे सॉफ्टवेयर के लिए प्रीमियम कॉस्ट अदा करने के लिए तैयार होंगे.लेकिन हकीकत में लोगों को जो भी प्रोफाइल पसंद आती है उसमें एल्गोरिथ्म का कोई रोल नहीं होता. पार्टनर चुनना फाइनेंशियल डिसीजन जैसा बिल्कुल भी नहीं होता.सुनील यह जानने में भी नाकाम रहे कि क्या लोग इस सॉफ्टवेयर के जरिए पार्टनर ढूंढने के लिए अपनी इंटरनेट एक्टिविटी ट्रैक करवाने के लिए तैयार होंगे, यह कुछ ऐसा था जिसे हम में से ज्यादातर लोग प्राइवेसी ब्रीचिंग कहते हैं. इसका मतलब किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे इंपोर्टेंट अपॉर्चुनिटी उनके आईडिया में ही कमी थी. अगर ऑनलाइन डेटिंग सर्विसेज का इस्तेमाल कर रहे लोगों के बीच में उन्होंने सर्वे किया होता तो इस बारे में उन्हें पहले ही पता चल जाता. और इस इंफॉर्मेशन के चलते वह अपने प्रोडक्ट में पैसा इन्वेस्ट करने से पहले एक बार और सोच सकते थे.फॉल्स स्टार्ट से बचने के लिए जरूरी है कि आप फौरन स्टार्ट करने और फौरन लॉन्च करने की अपनी ख्वाहिशों को कंट्रोल करें. अगर आपको अपने आईडिया से प्यार हो जाता है तो बिना किसी होमवर्क के इस पर काम शुरू कर देने के जाल में बड़ी आसानी से फंसा जा सकता है.
अर्ली ग्रोथ को अनालाइज़ ना करने की वजह से भी लोग फेल हो जाते हैं
2014 में Lyndsey Hyde ने Baroo नाम की पेट केयर कंपनी खोली. साउथ बोस्टन की एक रेजिडेंशियल बिल्डिंग के बेसमेंट में मौजूद यह कंपनी ओनर्स को ग्रूमिंग, डॉग वॉकिंग, प्ले डेट और फीडिंग जैसी सर्विसेज दे रही थी. बिल्डिंग में मौजूद 70% ओनर्स ने Baroo की सर्विस इस्तेमाल की. शुरुआती सक्सेस से एक्साइटेड होकर उन्होंने चार और अपार्टमेंट बिल्डिंग से साइन अप करवा लिया. बड़ी तेजी से कंपनी शिकागो की 25 और बिल्डिंग्स तक एक्सपेंड हो गई. 1 साल बाद Hyde ने वॉशिंगटन डीसी और मेट्रोपॉलिटन न्यूयॉर्क में भी सेटअप कर लिया. लेकिन इतनी तेजी से एक्सपेंड होने के बावजूद 2017 के मिड तक कंपनी की फाइनेंसियल हेल्थ बिगड़ी ही नहीं थी बल्कि बुरी तरह खराब हो गई थी. 2018 में Hyde को पैक-अप करना पड़ गया. आखिर उनकी गलती क्या थी? वह यह समझने में नाकाम रही कि साउथबॉस्टन के जो कस्टमर थे वह ब्रॉडर मार्केट को रिप्रेजेंट करते हैं या नहीं.
इस कंपनी में उन चार इंपॉर्टेंट अपॉर्चुनिटीज़ में से कई की कमी थी. तेजी से मिल रही बढ़त ने कंपनी की टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन को खराब कर दिया था. इसने टीम, पार्टनर्स और कस्टमर के साथ रिलेशनशिप को खराब कर दिया था. लेकिन कंपनी की नाकामी के पीछे की वजह यह नहीं थी. कंपनी नाकाम हुयी क्योंकि ओनर फॉल्स पॉजिटिव में फंस गई थी.
फॉल्स पॉजिटिव उस सिचुएशन को कहते हैं जब एंटरप्रेन्योर्स अपने स्टार्टअप की अर्ली सक्सेस को मिसइंटरप्रेट कर देते हैं. उन्हें लगता है कि मार्केट उनके प्रोडक्ट या सर्विसेस को उतने ही उत्साह से एक्सेप्ट करेंगी जितना की शुरुआत के कस्टमर ने किया है. Hyde के केस में उन्हें लगा कि बिल्डिंग के जिन 70% पेट ओनर्स तक उन्होंने पहुंच हासिल की है वह Baroo की सर्विस का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन वह गलत थीं
वह उस सरकमस्टेंस को समझने में नाकाम रही जिसकी वजह से शुरुआती सक्सेस मिली. पहला यह कि जिस बिल्डिंग के बेसमेंट में उन्होंने अपनी सर्विस शुरू की थी वह बिल्डिंग नयी थी तो इसमें रहने वाले पेट ओनर्स को लोकल पेट सर्विस के बारे में नहीं मालूम था. उनके कस्टमर में से ज्यादातर बोस्टन में रीलोकेट हुए हॉलीवुड फिल्म के क्रू मेंबर थे जो अपने साथ अपने पेट्स को भी लेकर आए थे. उनके पास पैसे तो बहुत थे लेकिन अपने पेट की केयर करने के लिए वक्त नहीं था इस तरीके से यह क्लाइंट मेंस्ट्रीम कस्टमर बेस को बिल्कुल भी रिप्रेजेंट नहीं कर रहे थे.
शुरुआत की सक्सेस को मिसइंटरप्रेट करने से बचने के लिए एनालाइज कीजिए कि आप के शुरुआती कस्टमर मेनस्ट्रीम कस्टमर्स को रिप्रेजेंट करते हैं या नहीं. तेजी से एक्सपेंड करना नुकसानदायक साबित हो सकता है इसलिए एक्सपेंड करने से पहले इंश्योर कीजिए कि मार्केट में डिमांड हो.
जो स्टार्टअप जल्दी स्केल करने लगते हैं वह अक्सर नाकाम हो जाते हैं
अलग तरह के फर्नीचर और हाउसहोल्ड आइटम्स बेचने वाले फ्लैश सेल वेबसाइट fab.com के साथ सब कुछ अच्छा चल रहा था. यह एक एक्सपीरियंस एंटरप्रेन्योर और के हाथ में थी. Jason Goldberg ने दूसरे स्टार्टअप्स भी शुरू किए थे, Fab के लिए उन्होंने 170 मिलियन डॉलर इकट्ठा कर लिया था. शुरुआत के 12 दिनों में वेबसाइट ने $600,000 बिक्री की थी.लॉन्च के 3 साल बाद कंपनी ने यूरोप में एक्सपेंड किया. अपने एक्जिस्टेंस बनाए रखने के लिए कंपनी हर महीने के हिसाब से 14 मिलियन डॉलर खर्च कर रही थी. कॉस्ट कम करने के लिए कंपनी ने अमेरिकन वर्कफोर्स को हटा दिया और यूरोप पर फोकस करना शुरू कर दिया. चौथे साल में पहुंचते-पहुंचते कंपनी को यूएस ऑपरेशन पूरी तरीके से बंद करना पड़ा. तेजी से आगे बढ़ने की सनक में कंपनी ने अपना ही नुकसान कर लिया था.कुछ सालों में फेल हो जाने वाले दूसरे स्टार्टअप्स की तरह Fab भी अपनी स्पीड की वजह से ही नाकाम हुआ. अक्सर बिजनेसेस स्पीड ट्रैप में फंस जाते हैं जब शुरुआत में सक्सेस अच्छी हो और ग्रोथ करने के लिए फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट भी बढ़िया हो. लेकिन कभी-कभी शुरुआती कामयाबी मार्केट की सैचुरेशन रिप्रेजेंट करती है. अपने दूसरे साल में कंपनी ने 40 मिलियन डॉलर एडवर्टाइजमेंट पर खर्च किया जो कि 4 अपॉर्चुनिटीज़ में से एक है. लेकिन इसके बावजूद कस्टमर बेस नहीं बढ़ पाया. जिसे अपनी गलतियों की वजह से खो दिया गया था.स्पीड ट्रैप से बचने के लिए RAWI टेस्ट का इस्तेमाल कीजिए. जिसका मतलब है- Ready, Able, Willing और Impelled.
सबसे पहले इवैल्युएट कीजिए कि आपका स्टार्टअप आगे बढ़ने के लिए रेडी है या नहीं. क्या यह प्रूवन बिजनेस मॉडल पर खरा उतरता है, कस्टमर बेस है या नहीं, क्या एक्सपेक्टेड कस्टमर ना मिलने के बावजूद यह एग्जिस्ट कर पाएगा?खुद से सवाल कीजिए कि क्या आपका स्टार्टअप एबल है क्या यह स्टाफ सहित दूसरे जरूरी रिसोर्स तक तेज़ी से पहुंच सकता है ? क्या एक लार्ज स्टाफ बॉडी को ट्रेन और मैनेज कर पाना पॉसिबल हो पाएगा?
डिसाइड कीजिए कि क्या आप अपने बिजनेस को सस्टेंड करने के लिए विलिंग यानी तैयार हैं क्योंकि अगर आपका बिजनेस आगे बढ़ेगा तो आपका वर्क लोड और स्ट्रेस लेवल भी बढ़ेगा.और आखिर में खुद से पूछिए क्या आपका स्टार्टअप आगे बढ़ने के लिए प्रेरित है? क्या आप सिर्फ इस वजह से एक्सपेंड कर रहे हैं क्योंकि मार्केट में कंपटीशन आ गया है और आप इस कंपटीशन में जीतना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो इंश्योर कीजिए कि नए कस्टमर हासिल करने की कीमत आप को होने वाले फायदे से ज्यादा ना हो.अगर आप इनमें से चारों पॉइंट को क्वार्टर्ली रिव्यू करते रहेंगे तो आप बिजनेस को एक्सपैंड करने का सही टाइम ग्रैब कर सकेंगे. अगर आपकी ग्रोथ का बहुत लिमिटेड स्कोप है तो आगे मत बढ़िए.
अगर स्टार्टअप में सही सीनियर मैनेजमेंट नहीं है तो यह नाकाम हो सकता है
Dot & Bo एक ई-कॉमर्स कंपनी थी जो होम डेकोर के सामान बेचती थी. उनके क्यूरेटेड पैकेजेस किसी इमैजिनरी टीवी शो के सेट की तरह डिजाइन किए जाते थे मसलन आइंस्टाइन का ऑफिस. 2013 में Anthony Soohoo ने इसकी शुरुआत की थी, लगातार बढ़ते कस्टमर बेस की वजह से इसने सिर्फ 2014 में ही 15 मिलियन डॉलर की कमाई की.इतनी ज्यादा डिमांड की वजह से वेयरहाउस और शिपिंग टीम पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ने लगा था जिसकी वजह से Soohoo ने ऑपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट को हायर किया. उन्होंने जिस कैंडिडेट को चुना उसकी सीवी तो बहुत अच्छी थी लेकिन ई-कॉमर्स ऑपरेशन में कोई एक्सपीरियंस नहीं था. उसकी एक्सपीरियंस की कमी की वजह से पूरी कंपनी को समझौता करना पड़ा, हालांकि कस्टमर बेस लगातार बढ़ रहा था. जब Soohoo को यह एहसास हुआ तो उन्होंने ऑपरेशन के लिए नया वाइस प्रेसिडेंट हायर कर दिया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, september 2016 तक Dot & Bo की फाइनेंशियल कंडीशन खराब होने लगी थी.
जब पहले वाइस प्रेसिडेंट काम पर आए तो उनका काम एंटरप्राइज रिसोर्सेज सिस्टम या ERS सिलेक्ट करना था. ERS इन्वेंटरी और डिलीवरी जैसे ऑपरेशन ट्रैक करती है. लेकिन वाइस प्रेसिडेंट ने जो सिस्टम चूज़ किया था वह अलग-अलग सप्लायर की डिलीवरी टाइम के वेरिएशन को हैंडल नहीं कर पा रहा था.
जिसकी वजह से कस्टमर सर्विस टीम के पास मिसिंग या लेट डिलीवरी से जुड़ी क्वेरीज़ की बाढ़ आ गई थी. वह लगातार बढ़ती डिमांड का सामना नहीं कर पा रहे थे और ईमेल के जवाब में लगभग 11 दिन जितना वक्त लग जाता था. इससे ज्यादा बुरा यह हुआ कि जो सिस्टम वाइस प्रेसिडेंट ने चूज किया था वह इतना खराब था कि अक्सर टीम यह पता ही नहीं कर पाती थी कि डिलीवरी किसी पार्टिकुलर वक्त में कहां पर है.
होने वाली देरी को कम्पंसेट करने की वजह से कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन में कमी आ गई थी. उसी दौरान सोशल मीडिया हाइप की वजह से सेल्स और बढ़ती जा रही थी जिसकी वजह से ऑपरेशन पर प्रेशर भी बढ़ता जा रहा था.
सतही तौर पर देखा जाए तो कंपनी की नाकामी का ठीकरा टेक्नोलॉजी के सर पर फोड़ा जा सकता था लेकिन असल में यह वाइस प्रेसिडेंट के एक्सपीरियंस की कमी थी जिसकी वजह से ऐसा हुआ. कोई और जिसके पास बेहतर एक्सपीरियंस होता वह बेहतर सिस्टम चुनता कोई ऐसा सिस्टम जो कंपनी के कॉन्प्लेक्स सप्लायर मॉडल के साथ कोप कर सकता.
अगर आप चाहते हैं कि आपका स्टार्टअप एक्सपेंड सरवाइव कर सके तो सही सीनियर मैनेजमेंट का होना बहुत जरूरी है. मतलब अगर किसी का एक्सपीरियंस इम्प्रेसिव है तो भी उसके ऊपर स्पेशलिस्ट को तरजीह दीजिए. जॉकी सही नहीं है तो आपका रेसहॉर्स लाइन कभी नहीं क्रॉस कर पाएगा.
अगर आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन ऐसी नहीं है कि आप सीनियर स्पेशलिस्ट हायर कर सके तो मिल लेवल का स्पेशलिस्ट हायर कीजिए. ऐसे लोग कम चार्ज करेंगे और उनके पास उतनी नॉलेज होगी जितनी आपको आपकी कंपनी की ग्रोथ के लिए चाहिए.
अगर किसी वेंचर का ओनर जरूरत से ज्यादा एम्बीशियस है तो उसके फेल होने के चांसेस बढ़ जाते हैं
Entrepreneur समाज में बहुत इंपॉर्टेंट रोल निभाते हैं. बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की उनकी काबिलियत लाइफ चेंजिंग इनोवेशन को जन्म देती है. 2007 में इलेक्ट्रिक कार को मेंस्ट्रीम बनाने और हाउसहोल्ड गाड़ियों द्वारा एनवायरनमेंट पर हो रहे असर को कम करने का ख्वाब देख कर Sai Agassi ने भी ऐसा ही किया. लेकिन इतनी साफ नियत और 900 मिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट के बावजूद उनकी कंपनी बेटर प्लेस ने 1500 से भी कम कारें बेचीं.
Sai की प्रॉब्लम क्या थी? दरअसल उनका स्टार्टअप थोड़ा सा ज्यादा ही एंबिशियस था
अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें ऐस्पेक्ट पर डिपेंडेंट होना पड़ा था जो उनके कंट्रोल में नहीं थे. मिसाल के तौर पर इलेक्ट्रिक कार को अफॉर्डेबल बनाने के लिए उन्हें हाई क्वांटिटी कस्टमर की जरूरत थी. कस्टमर को चार्जिंग और बैटरी एक्सचेंज स्टेशन को लेकर भी कंपनी पर यकीन होना चाहिए था. और उन्हें बहुत सारे मैन्युफैक्चरर के साथ कोलैब करने की भी जरूरत थी क्योंकि कस्टमर एक ही तरह के मॉडल नहीं चाहेंगे.
नतीजतन Sai ऐसा प्रोडक्ट नहीं बना पाए जो मार्केट को अपील कर सके जिसकी वजह से उनका रिटर्न इफेक्ट होने लगा. शुरुआती रिसर्च में पता चला था कि इजराइल के 20% घर कम से कम एक इलेक्ट्रिक कार तो खरीदेंगे ही चाहे उनकी कीमत रेगुलर कार से 10% ज्यादा हो. कंपनी उनमें से ही 50 परसेंट लोगों द्वारा खरीदे गए प्रोडक्ट पर चल रही थी लेकिन Sai वह भी मेंटेन नहीं कर सके.
अगर आप का कंसेप्ट sai के कॉन्सेप्ट की तरह ही हाई रिस्क वाला है तो आप कुछ स्टेप्स के जरिए इन रिस्क्स को कम कर सकते हैं. हमेशा याद रखिए कि इंसान बदलाव से डरता है चाहे उसके पीछे कोई अच्छी वजह ही क्यों ना हो. अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट को कुछ इस तरह बनाइये कि उसे इस्तेमाल करने के लिए कस्टमर को अपने कंफर्ट जोन से बहुत ज्यादा बाहर न निकलना पड़े.
नॉफंक्शनिंग प्रोटोटाइप बनाइए और फोकस ग्रुप से फीडबैक लेते रहिए. डिजाइन के मामले में नेक्स्ट स्टेप पर पहुंचने में यह हेल्पफुल रहेगा मामला थोड़ा ज्यादा रिस्की हो जाता है अगर आप कुछ पूरी तरीके से नया लेकर आ रहे हों.
इन्वेस्टर्स को इंप्रेस करने के लिए बढ़ती मार्केट डिमांड के जाल में मत फंसिए. इसकी वजह से आप ऐसी सेल टारगेट सेट कर लेंगे जिस तक आप पहुंच नहीं सकते. अपने कस्टमर बेस को लेकर ईमानदार रहने से आप यह बेहतर तरीके से अंदाजा लगा सकेंगे कि कब तक इन्वेस्टमेंट में लगाया गया पैसा वापस आ सकता है.
नाकामी से बाहर निकलना मुमकिन है
ज्यादातर स्टार्टअप नाकाम हो जाते हैं. लेकिन नाकामी का यह मतलब नहीं है कि सब कुछ खत्म हो गया है. विमेन क्लॉथिंग ब्रांड Quincy Apparel की नाकामी की वजह से Christiana Wallace पूरी तरह से बिखर गई थी. एक फाउंडर के तौर पर उन्होंने नाकामी देखी, उनके सपने बिखर गए और कर्जदार भी हो गयीं.
Wallace के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था और उन्हें एक जॉब करनी पड़ी. वह दोबारा किसी स्टार्टअप को शुरू करने का इमेजिन भी नहीं कर सकती थी अब वह एक स्टार्टअप के लिए काम करके ही खुश थीं. न्यूयॉर्क में द स्टार्टअप इंस्टिट्यूट के नाम से चलने वाले इमर्सिव ट्रेनिंग प्रोग्राम में एक रोल उनके लिए नई शुरुआत बना. वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ी और साइंस के फील्ड में औरतों को सपोर्ट करने के लिए EdTech नाम से एक नया स्टार्टअप शुरू किया. एक फाउंडर के तौर पर उनकी नाकामी, लंबे वक्त के लिए उनकी कामयाबी के रास्ते का पत्थर नहीं बनी.
जब आप ऐसी किसी नाकामी में फंसे हो तो कामयाबी का रास्ता दोबारा ढूंढ पाना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन तीन R को फॉलो करके आप उस रास्ते पर चलकर फिनिशिंग लाइन तक पहुँच सकते हैं.
जब कोई एंटरप्रेन्योर्स फेल हो जाता है तो उसकी जिंदगी का अगला स्टेप रिकवरी होता है अपने स्टार्टअप में फेल होने का मतलब है कि आप फाइनेंशली तबाह हो चुके होंगे. आमतौर पर ऐसी सिचुएशन में फाउंडर्स के ऊपर क्रेडिट कार्ड का कर्ज बढ़ता जाता है वहीं दूसरी तरफ वह इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए अपनी सैलरी भी कम करने में लगे रहते हैं.
इसी दौरान आप यह भी नोटिस करेंगे कि आपका पर्सनल रिलेशनशिप भी इफेक्ट हुआ है, काम पर फोकस करने की वजह से आपने अपने अपनों को नजरअंदाज कर दिया है. जब आप नाकाम हो जाते हैं तो इस तरह की कमियां उस नाकामी के साथ मिलकर आपको शर्मिंदगी का एहसास कराने लगती हैं. हेल्थी लाइफस्टाइल अपनाइए, थेरेपी लेने की कोशिश कीजिए और वह सब करना दोबारा से शुरू कीजिए जो आप इंजॉय करते थे.
एक बार जब आप अपने अंदर चल रहे बवंडर को शांत कर लें तो आप उन 3R में से दूसरे R यानी रिफ्लेक्शन पर पहुंच सकते हैं. इस स्टेप पर आप यह एनालाइज करने की कोशिश करेंगे कि इस एक्सपीरियंस से आपने क्या सीखा है. हालांकि यह करना थोड़ा सा चैलेंजिंग है. हम अक्सर अपनी ईगो की वजह से अपनी खुद की गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं. लेकिन अगर आप इस आदत से बच गए तो रिफ्लेक्शन करके आप बहुत सारी वैल्युएबल इनफॉरमेशन और नॉलेज हासिल कर सकते हैं.
तीसरा और आखिरी R है Reentry. नाकामी के बावजूद लगभग 50% एंटरप्रेन्योर नया स्टार्टअप खड़ा करने में कामयाब हुए हैं. यहां पर आपके मन में यह फिक्र हो सकती है कि आपकी नाकामी की वजह से जो पोटेंशियल इन्वेस्टर्स दोबारा आपके स्टार्टअप में इन्वेस्ट नहीं करेंगे इसके सल्यूशन के तौर पर आप यह दिखा सकते हैं कि आपने अपनी जिंदगी के उस फेज़ से क्या सीखा और कैसे उसका इस्तेमाल नए स्टार्टअप में करेंगे. इस तरीके से आप इन्वेस्टर्स को बता सकते हैं कि आप एक नई शुरुआत कर रहे हैं जिसमें आपके पास एक्सपीरियंस और जानकारी दोनों है.
कुल मिलाकर
जब कोई भी स्टार्ट-अप फेल होता है तो अक्सर लोग इसके पीछे कोई बहुत सिंपल सी वजहअपने पैशन के पीछे भाग कर आप अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
पिछले सबक में हमने देखा कि किस तरह से बहुत से लोग एक जाल में फँस गए हैं जिससे बाहर निकलने का कोई तरीका दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन इससे बाहर निकलने का एक तरीका है - हसल करना।
बहुत से लोगों को लगता है कि हसल करने का मतलब होता है दूसरों का फायदा उठाना, उनके काम को चोरी करना और मतलबी बनकर काम करना, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। हसल करने का मतलब होता है रास्ते में आने वाली हर परेशानी से लड़ना और समस्या से बाहर निकलकर अपनी मंजिल तक पहुँचना।
बहुत से आर्टिस्ट का कहना है कि आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनका कहना है कि जब आप पैसे के लिए अपने पैशन के पीछे भागते हैं, तो आप अपने पैशन को खत्म कर देते हैं। दुनिया के महान कलाकारों ने पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपनी भावनाओं को कला के जरिए बाहर लाने के लिए काम किया था। अपने आर्ट से उन्हें एक सुकून मिलता था और यह सुकून उनके लिए पैसे से कहीं बढ़कर था। तो क्या पैसा मायने रखता भी है या नहीं?
आपको अपने पैशन के पीछे भागने के लिए पैसा नहीं चाहिए, लेकिन एक समय के बाद आपको उस काम से पैसे कमाने के तरीके के बारे में सोचना होगा। अगर आप उससे पैसे कमाने के तरीके नहीं खोजेंगे, तो अपनी हर रोज़ की मजबूरियों से तंग आकर पैसा आपको कमाने के लिए कोई दूसरा काम खोजना होगा। और ऐसा कर के आप अपने पैशन के पीछे नहीं भाग पाएंगे।
इसलिए आपको हसल को शुरू करने के लिए पैसा नहीं चाहिए, बल्कि हसल करते रहने के लिए पैसा चाहिए। पिकासो नाम के एक महान कलाकार अपने शुरुआती दिनों में बहुत गरीब हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ उनकी पेंटिंग्स ने उन्हें बहुत से पैसे कमा कर दिए। इन पैसों से उन्होंने अपने आगे के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। इनकी तरह ही बहुत से आर्टिस्ट अपने काम को इसीलिए जारी रख पाए क्योंकि उन्होंने उससे पैसे कमाने के तरीके खोजे।
तो, दुनिया चाहे जो भी कहे, आपको अगर अपने पैशन के रास्ते पर चलते रहना है, तो आपको उससे पैसे कमाने के तरीके के बारे में सोचना होगा।
बता देते हैं. लेकिन यह वजह है आमतौर पर सही नहीं होती इसलिए 50% एंटरप्रेन्योर जो दोबारा स्टार्टअप खड़ा करते हैं वह वापस वही गलतियां दोहराते हैं. अपने स्टार्टअप की हेल्थ को इवेलुएट करने के लिए फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करके आप यह जान सकते हैं कि कहां पर गलती हुई है और कहां चेंजेज़ करने की जरूरत है. और जब बात किसी स्टार्टअप में फेल हो जाने की हो तो यह फ्रेमवर्क आप को उस नाकामी का पोस्टमार्टम करने में हेल्प करेगा ताकि नेक्स्ट टाइम आप कामयाब हो सकें.
क्या करें
एक एक्ज़िक्युटिव कोच हायर कीजिए
फाउंडर्स नेचर में पैशेनेट और डिटरमाइंड होते हैं. लेकिन कुछ अपने गोल को लेकर इतने पॉज़ेज़िव होते हैं कि उनका विजन 1 सीध में रहता है जिसके चलते वह किसी भी तरह की एडवाइसेज और फीडबैक एक्सेप्ट नहीं करते. जिसकी वजह से अक्सर ऐसे मोमेंट पर उनके रिलेशनशिप खराब हो जाते हैं जब टीम का सपोर्ट बहुत जरूरी हो. इससे बचने के लिए आपको प्रोफेशनल कोच के साथ काम करना चाहिए जो आपको अपने वर्कप्लेस की प्रैक्टिसेस को समझने में मदद कर सकेगा. वह जरूरत पड़ने पर आपको अपनी लीडरशिप में कुछ बदलाव करने में मदद कर सकेंगे ताकि आप एक सक्सेसफुल एंटरप्राइज लीड कर सकें.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Why Startups Fail by Tom Eisenmann
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