Seth Godin
एंड ऑफ़ नॉर्मल
दो लफ्जों में
साल 2011 में रिलीज हुई किताब “We Are All Weird” में लेखक ने समाज की सोच के ऊपर कटाक्ष कसा है. किताब में ये बताया गया है कि किस तरह हमारे समाज का कल्चर वन साइज़ फिट्स ऑल मेंटालिटी के ऊपर काम करता है? इसी के साथ ही साथ इस किताब में ये भी बताया गया है कि काफी लंबे समय से मीडिया भी ये बताने की कोशिश कर रहा है कि समाज में सभी लोग एक ही तरह के हैं.
ये किताब किसके लिए है
- ऐसे लोग जिन्हें कुछ नया सीखने में मज़ा आता हो
- कल्चरल क्रिटिक्स
- ऐसे लोग जो सामाजिक ढ़ांचे में खुद को अनफिट समझते हों
लेखक के बारे में
इस किताब का लेखन “Seth Godin” ने किया है. Seth Godin लेखक होने के साथ ही साथ एजुकेटर भी हैं. इन्होंने 19 बेस्ट सेलिंग नॉवेल्स का लेखन किया है. जिसमे ‘Poke the Box’, ‘Linchpin’ और ‘The Icarus Deception’ जैसी किताबें शामिल हैं. इन सबके साथ ही साथ लेखक कई बार टेड टॉक्स और पॉडकास्ट में भी शामिल हो चुके हैं.
मास मार्केट बहुत तेजी से फेड हो रहा है, साथ ही साथ फ्यूचर काफी वीयर्ड यानि अजीब भी होने वाला है
क्या आप कभी ऐसे इंसान से मिले हैं जो कि 100 प्रतीशत एवरेज हो? बहुत ज्यादा संभावना है कि आपका जवाब ना ही होगा. हम सभी जानते हैं कि सभी के इंटरेस्ट और खूबियाँ अलग-अलग होती हैं. इसी के साथ लेखक बताते हैं कि आपकी खूबियाँ और आदतें ही आपको अलग और अजीब बनाते हैं. इसी पहलू को लेकर लेखक ने सवाल किया है कि अगर हम सब अजीब हैं. तो फिर इस दुनिया को हमारी सहूलियत के हिसाब से क्यों बनाया गया है? इसी के साथ ही साथ लेखक बताते हैं कि हम शताब्दियों से देख रहे हैं. इस संसार के सामाजिक, राजनीतिक सिस्टम को एक बड़ी मास ऑडियंस के हिसाब से तैयार किया गया है. उसे किस बिसात पर तैयार किया गया है? लेखक कहते हैं कि उसकी नींव ही गलत है. एक मिथ है, नींव ये है कि सामान्य लोग सामान्य चीज़ें चाहते हैं. लेकिन समय-समय पर वीयर्ड मानसिकता ने उस सामान्य मानसिकता को चुनौती दी है. लेखक कहते हैं कि अब हमें मान लेना चाहिए कि हम सब अज़ीब हैं.
इसी के साथ ही साथ इस किताब की समरी में आपको पता चलेगा कि आपकी जिंदगी के लिए वियर्डनेस क्यों ज़रूरी है?
लेखक यहां एंटवर्प जू की कहानी साझा करना चाहते हैं. वो बताते हैं कि कुछ सालों पहले ये ज़ू काफी ज्यादा मुश्किलों से जूझ रहा था. इसकी लोकप्रियता में भी काफी ज्यादा कमी आ चुकी थी. जहाँ पहले ये ज़ू लोगों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था. अब लोग यहां जाना भी पसंद नहीं करते थे. तब इस जू में एक घटना होती है. यहां की एक हाथी प्रेग्नेंट हो जाती है.
इस उम्मीद में कि इससे कुछ बज्ज़ क्रिएट होगा. ज़ू में काम करने वाले कर्मचारी इस घटना का वीडियो बनाकर यू-ट्यूब में डाल देते हैं. अच्छी बात ये होती है कि ये काम कर जाता है. इस तकनीक की मदद से ये खबर काफी ज्यादा वायरल हो जाती है. इसके वीडियो को लोग ऑनलाइन शेयर करने लगते हैं. देखते ही देखते एक बार फिर से लोगों का ध्यान इस ज़ू की तरफ आकर्षित हो जाता है.
ज्यादा से ज्यादा लोग उस बेबी एलिफेंट पर इन्वेस्ट करना चाहते हैं. एक बार फिर से ज़ू के अच्छे दिन आ जाते हैं. इस कहानी का सार क्या है?
आपको बता दें कि इस कहानी का सार यही है कि फ्यूचर काफी ज्यादा वीयर्ड होने वाला है.
इस किताब के लेखक गोडिन के अनुसार, वास्तव में इस परिवर्तन को समझने के लिए कुछ प्रमुख शब्दों को जानना आवश्यक है. जैसे कि- मॉस, नॉर्मल, वीयर्ड और रिच.
सबसे पहले मॉस और नॉर्मलको समझने की कोशिश करते हैं. मॉस और नॉर्मल से लेखक का मतलब है कि वही पुरानी चीज़ें जो कि पहले से होती आई हैं. यहां पर पुरानी चीज़ों से मतलब है कि वही सिस्टम जिसके अंदर ये सोसाइटी चल रही है. जिसे आप वन माइंड सेट कल्चर भी कह सकते है. एक ऐसा सिस्टम जो कि कुछ लार्ज स्केल लोगों के लिए बनाया गया है. जो इंसान इस सिस्टम में खुद को ढाल लेता है. वो इस सोसाइटी में फिट भी हो जाता है. इस सिस्टम में मौजूद मार्केटीयर्स की यही कोशिश रहती है कि कैसे वो माँस की नीड्स के हिसाब से चीज़ों को क्रिएट कर सकें? और इसी को वो नॉर्मल का टैग भी देते हैं.
सामाजिक व्यवस्था के हिसाब से नॉर्मल क्या है? हर वो इंसान या चीज़ नॉर्मल है. जो सामाज की बनाई गयी व्यवस्था में फिट हो जाता है. इसका मतलब साफ़ है कि सामाज ने पहले ही तय कर दिया है कि किसी को भी कैसे रहना है? अगर शादी के पहले तक लड़का या लड़की वर्जिन रहते हैं. तो वो सामाज के हिसाब से नॉर्मल है. लेकिन यहां पर सामाज को ये समझ में नहीं आता है कि सेक्स करना या ना करना किसी की भी पर्सनल चॉइस है. इसी तरह शादी के बंधन में बंधना या ना बंधना भी किसी की पर्सनल चॉइस हो सकती है. यहां लेखक ये कहना चाहते हैं कि हम सामाज में फिट होने के लिए ही क्यों जीते रहते हैं?
अब यहां समझने की कोशिश करते हैं कि वीयर्ड का मतलब क्या है? अजीब का मतलब वही लोग है. जो थोड़ा सा अलग से होते हैं. ऐसे लोग सामाज को इम्प्रेस करने के लिए अपनी जिंदगी को नहीं जीते हैं. वो जीते हैं क्योंकि उन्हें कुछ अलग करना अच्छा लगता है.
इस चैप्टर में लेखक ने एक और शब्द को समझाने की कोशिश की है. वो शब्द है ‘रिच’, यहां रिच से पैसों के होने से कोई मतलब नहीं है. यहां रिच होने से मतलब है कि क्या आपके पास वियर्डनेस की खूबी है? अब इस सवाल का जवाब आपको ही खुद के अंदर तलाशने की ज़रूरत है.
‘नॉर्मल’ जैसे कांसेप्ट का जन्म आखिर क्यों और किसके लिए हुआ था?
इस चैप्टर की शुरुआत करते हैं एक थॉट से,चलिए सोचने की शुरुआत करते हैं. क्या आप बता सकते हैं कि ज्यादातर अमेरिकन्स के फ्रिज में सुबह-सुबह क्या मिल सकता है? इसका सीधा सा जवाब आपके दिमाग में आएगा. वो ये होगा कि काफी सारे दूध के पैकेट्स और रात का बचा हुआ खाना.
आपने इतनी आसानी से गेस कैसे कर लिया? इसके पीछे का रीजन है मास प्रोडक्शन और एक बड़ी आबादी के लिए बनाये जाने वाले प्रोडक्ट्स.
20वीं शताब्दी से ही ये चला आ रहा है. तब से कम्पनियों की ये आदत लगी हुई कि प्रोडक्शन मास ऑडियंस के हिसाब से किया जा सके. हर एक इंसान का टेस्ट और मूड का अंदाजा लगाना कम्पनियों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल और महंगा था. इसलिए उन्होंने फैसला किया था कि वो प्रोडक्ट्स मास ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाया करेंगी.
इसलिए कम्पनियों ने अपने प्रोडक्ट्स की सेल को बढ़ाने के लिए ही मास ऑडियंस की पसंद को नॉर्मल कहना शुरू कर दिया था.
अब आपको जवाब मिल गया है कि नॉर्मल जैसे शब्द का आविष्कार क्यों हुआ था? इसका आविष्कार मास ऑडियंस को प्रोडक्ट बेचने के लिए किया गया था.
नॉर्मल जैसे कांसेप्ट का जन्म भी हुआ था और ये काम भी किया था.
लेकिन क्या ये ज़रूरी है कि हम उसी तरह से अपनी लाइफ को जीते रहें जैसे ये मार्केट बता रहा है. लेखक इसका जवाब देते हैं ‘नहीं’, लेखक के हिसाब से हम वियर्डनेस को चुन सकते हैं.
इसी के साथ ही साथ लेखक बताते हैं कि अब धीरे-धीरे लोग वियर्ड होना यानी अजीब होने को चुन रहे हैं. आज से 3 दशक पहले तीन ही टीवी चैनल हुआ करते थे. उसे ही 90 प्रतीशत लोग देखा करते थे. लेकिन अब समय बदल रहा है. अब लोग टीवी की जगह मोबाइल में एंटरटेनमेंट देखना पसंद करते हैं.
इसके आगे आने वाले चैप्टर में हम पढ़ेंगे कि इस ट्रेंड को आगे बढ़ने में कौन से फैक्टर्स मदद कर रहे हैं?
किस तरह वेल्थ और कनेक्टिविटी लोगों को वियर्ड होने के लिए मदद कर रहे हैं?
लेखक कहते हैं कि ये कहना गलत नहीं होगा कि हम हमेशा से वियर्ड रहे हैं. सिर्फ एक या दो दशक पहले से नहीं बल्कि 17 हज़ार साल पहले से, इसके कई सबूत भी हैं. एग्जाम्पल के लिए हम सदर्न फ्रांस के केव्स को ले लेते हैं. क्या आपने हज़ारों साल पहले की वॉल पेंटिंग को देखा है? ये पेंटिंग्स सदर्न फ़्रांस की केव्स में हैं.
जरा आप सोचिये कि हज़ारों साल पहले भी लोग वियर्ड ही हुआ करते थे. इसी का सबूत हैं ये पेंटिंग्स, कितने कम रिसोर्स होने के बावजूद लोगों ने पेंटिंग्स को बनाया था. उन्होंने इसे इसलिए ही बनाया था क्योंकि आने वाली जनरेशन उनकी प्रतिभा को याद रखे.
आपको याद रखना चाहिए कि आज के दौर में पहले की अपेक्षा वियर्ड होना काफी ज्यादा आसान है. आज की जनरेशन टेक्नोलॉजी के दौर में जी रही है.
ये कहना भी गलत नहीं होगा कि आज के समय में टेक्नोलॉजी हमारे हाथों में हैं. हमारा इंटरेस्ट जिस भी फील्ड में है. हम उस फील्ड में आसानी से आगे बढ़ सकते हैं.
आज के समय हम रिसोर्सेस के मामले में काफी ज्यादा रिच हैं.
इस चैप्टर का मुख्य संदेश यही है कि बढ़ती हुई वेल्थ और कनेक्टिविटी से आज के समय में वियर्ड होना काफी ज्यादा आसान हो गया है.
अगर आप क्रिएटिव पर्सन हैं या फिर बिजनेस मैन हैं,तो फिर इसका मतलब आपके लिए क्या है? इसका मतलब आपके लिए यही है कि अब आपको वन साइज़ मेंटालिटी में फिट होने की कोई ज़रूरत नहीं है.
आप अपने हिसाब से अपने प्रोडक्ट को डिजाईन कर सकते हैं. इसी के साथ ही साथ आप उस प्रोडक्ट की मार्केटिंग भी अपने हिसाब से कर सकते हैं.
अगर इस बात को और सिंपल तरीके से समझाया जाए तो यही होगा कि आप अपने टर्म्स पर जिंदगी को जी सकते हैं. आपकी लाइफ को बस आपको ही जज करना है. अगर आप अपनी सोच के हिसाब से इस सोसाइटी के टर्म्स पर खड़े नहीं भी उतरते हैं. तो भी आपको परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है.
हर इंसान की अपनी एक अलग ही जर्नी होती है. जिसका रास्ता भी वही बनाता है और उसकी मंजिल भी उसे ही तय करना होता है.
ऐसा समय भी आएगा जब लोग खुद ही अपनी वियर्डनेस को पहचानने लगेंगे
अगर हम कई दशक पहले की बात करें तो आपके पास चीज़ों को लेकर ज्यादा आप्शन नहीं हुआ करते थे. तब आपको वही चीज़ लेनी पड़ती थी. जो चीज़ उस समय मार्केट में उपलब्ध होती थी. लेकिन अब समय बदल चुका है.
अब जो चीज़ आपको पसंद रहती है वो मार्केट में आ जाती है. अब आप सेम फ्लेवर्स की चीज़ों को इस्तेमाल नहीं करते हैं. आज के समय में एक ही चीज़ के कई सारे फ्लेवर्स रिलीज होते हैं.
इसके पीछे का रीजन यही है कि अब लोग अपनी पसंद की चीज़ को ही खरीदते हैं. आज के समय में पैसों की वजह से लोगों के पास काफी ज्यादा आप्शन क्रिएट हो चुके हैं.
अब लोग ये मानने भी लगे हैं कि वो बाकियों से अलग भी हैं और वियर्ड भी हैं.
इस चैप्टर का सार यही है कि जैसे-जैसे सामान्य मिडिल क्लास सोच खत्म होती जायेगी. लोग ये समझने लगेंगे कि उनमे कुछ अलग बात है. वो ये जानने भी लगेंगे कि वो थोड़े से वियर्ड हैं.
इस किताब के लेखक मानते हैं कि वियर्डनेस आने से लोगों के पास चॉइस बढ़ जाएगी. वो ये भी मानते हैं कि चॉइस बढ़ने से उनके पास पॉवर भी बढ़ेगा.
लेखक ये भी मानते हैं कि आने वाले समय में काफी ज्यादा चीज़ें बदलने वाली हैं. लोगों के जीने के तरीके में भी काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिलेगा. एजुकेशन सेक्टर में भी बदलाव देखने को मिलेंगे. हम वियर्ड हैं, धीरे-धीरे समय के साथ हम इस बात को एक्सेप्ट करना भी सीख जायेंगे. ये कई मायनों में अच्छा भी होगा और हो सकता है कि इसमें आपको काफी ज्यादा रिस्क भी देखने को मिले.
लेकिन याद रखियेगा कि जहाँ रिस्क है वहीं इश्क भी है.
भूलियेगा नहीं कि “we are all weird” और ये एक अच्छी खबर भी हो सकती है.
कुल मिलाकर
आईडिया ऑफ़ नॉर्मल उस ईरा की पैदाइश थी. जब प्रोडक्ट्स को ये मानकर डेवलप किया जाता था कि सभी लोग एक जैसे हैं. लेकीन ऐसा हो ही नहीं सकता है. सभी लोग एक जैसे ना ही कभी थे और ना ही कभी होने वाले हैं. हम सब काफी ज्यादा अजीब हैं और हमें इस बात को मान भी लेना चाहिए.
क्या करें?
नकली जिंदगी को जीना बंद कर दीजिये. इससे मतलब साफ़ है कि जो आप नहीं हैं दुनिया के लिए वो बनना बंद कर दीजिये. इसी तरह आप वियर्ड बनने की कोशिश भी नहीं करियेगा. अगर आप अलग होंगे तो फिर आपको पता चल जायेगा. ऑरिजिनल रहिये, मस्त रहिये.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे We Are All Weird By Seth Godin
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