Uncertainty

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Uncertainty

Jonathan Fields
डर और डाउट को अपनी जीत का हथियार बनाना सीखिए

दो लफ्जों में
अगर आपको भी जानना है कि फियर ऑफ़ फेलर से डील कैसे करना है तो साल 2011 में रिलीज हुई किताब “Uncertainty” आपके लिए गाइड के समान है. फोकस, कॉंफिडेंट, प्रोडक्टीव और सक्सेसफुल होने के लिए हमें कैसे कदम उठाने चाहिए. ये किताब हमें उन्हीं कदमों से रूबरू करवाती है. 

ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसे क्रिएटिव लोग जिन्हें प्रोडक्टिव भी बनना है 
- ऐसे लोग जिन्हें स्ट्रेस से डील करना सीखना है 
- ऐसे लोग जिन्हें जिंदगी को बिना डर के जीना है 

लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक Jonathan Fields हैं. वो पेशे से बिजनेस स्ट्रेटजिस्ट भी हैं. वो Career Renegade के लेखक भी हैं. इसी के साथ वो अपना ब्लॉग भी चलाते हैं. जिसमे वो एंटरप्रीन्योरशिप और लाइफस्टाइल जैसे टॉपिक्स को कवर करते हैं.

एंग्जायटी और फीयर से रिस्क का कनेक्शन होता है
अगर आपको अपनी जिंदगी में हार का डर सताता है. या फिर ऐसा लगता है कि आप फियर ऑफ़ फेलर को कैसे डील कर पायेंगे? तो फिर ये किताब आपके लिए ही है. 

इस किताब में लेखक ने बताया है कि जिंदगी में अनसर्टेनिटी बहुत है. इसी के साथ कई सारी तकनीक भी हैं. जिससे इंसान इस अनसर्टेनिटी से लड़ सकता है. इसी के साथ लेखक ने ये भी बताया है कि एक बार जब आप इस अनसर्टेनिटी के मास्टर बन जाते हैं. तो फिर उसके बाद आपके दिमाग में इनोवेशन का जन्म होता है. इसी के साथ लाइफ में सफलता का दरवाज़ा भी आइडियाज और इनोवेशन से ही खुलते हैं. 

सोचिये, दिमाग पर जोर डालने की कोशिश करिए कि आपने आखिरी बार ऐसा कौन सा फैसला लिया था जो आपको एक जुवे की तरह लगा हो. इसी के साथ ये भी सोचने की कोशिश करिए कि उस फैसले को लेते समय आपको कैसा लग रहा था? क्या आपको एंग्जायटी की फीलिंग आ रही थी? 

इसके पीछे का कारण यही है कि रिस्क से खोने का डर भी जुड़ा हुआ होता है. जिससे हमारे अंदर डर बनता है. जैसे कि अगर हम कोई भी चीज़ बना रहे होते हैं तो उसमे हमारा कुछ ना कुछ इनपुट भी जाता है. भले ही वो इनपुट पैसों के रूप में हो. इसी के साथ जब हम उसमे फेल होते हैं तो हमारा इनपुट भी खराब हो जाता है. 

इसी के साथ अगर कुछ खोने का चांस ज्यादा होगा तो फिर हम उस आईडिया को भी ड्राप कर देते हैं. मतलब साफ़ है कि खोने के रिस्क को देखते हुए ही फैसले लिए जाते हैं. 

ऐसा भी ज़्यादातर बार देखा गया है कि जब कभी हम कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. तो लोग हमें जज भी करने लगते हैं. ज़्यादातर ऐसा तब होता है जब हम लीक से हटकर कोई काम करने वाले होते हैं. जज करने वाले लोग भी कोई अंजान नहीं होते हैं. ये वही लोग होते हैं जो हमें सपोर्ट कर रहे होते हैं. कई बार तो हम खुद ही खुद को जज करने बैठ जाते हैं. 

जजमेंट का डर हमारी क्रिएटिविटी के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इसके कारण ही हमारा कांफिडेंस भी कम होता है. 

इसको हम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च से समझने की कोशिश कर सकते हैं. उस रिसर्च में ये निकलकर सामने आया है कि पेंटर्स जब कमीशन में काम करते हैं. तब उनकी क्रिएटिविटी आम दिनों की अपेक्षा कम हो जाती है. इसके पीछे का रीजन ये है कि तब उन्हें कस्टमर की अपेक्षा के अनुसार काम करना पड़ता है. जिससे उनके दिमाग में प्रेशर रहने लगता है.

रियलिटी यही है कि अनसर्टेनिटी हमें अनकम्फर्टेबल करती है क्योंकि हम दूसरों के सामने फेल नहीं होना चाहते हैं. लेकिन इस डर से लड़ने के लिए आप एक्शन ले सकते हैं.

रिस्क और अनसर्टेनिटी से लड़ना करना सीखिए, इनोवेशन का जन्म तभी होगा
अभी हमने पिछले चैप्टर में पढ़ा है कि फियर ऑफ़ रिस्क और फियर ऑफ़ फेलर हमे वो करने से रोकता है. जो हम असल में करना चाहते हैं. लेकिन क्या इसका महत्व इतना ज्यादा है? जरा सोचिये कि अगर आपके पास स्टेबल लाइफ है तो भी क्या आप रिस्क लेंगे? अगर आप रिस्क लेना भी चाहेंगे तो क्यों? 

इसका जवाब है कि आप इसलिए रिस्क लेंगे क्योंकि सेफ खेलने से आपको वो नहीं मिलेगा जो गैम्बलिंग से मिलने वाला है. इसके पीछे का कारण ये है कि अगर कोई भी चीज़ या फिर सिचुएशन प्रीडेक्टेब्ल है. तो फिर इसका मतलब साफ़ है कि पहले भी उसे कई लोगों ने एक्सपीरियंस किया हुआ है. फिर उसका रिजल्ट भी आम सा ही रहता है. उसमे कुछ ख़ास मजा नहीं रहता है. बस, वही मजा आपको रिस्क लेने के बाद मिलता है.

हमारे खुद के अनुभव और दूसरों के एक्सपीरियंस हमें सर्टेनिटी की तरफ ले जाते हैं. इसके पीछे का रीजन भी यही कि उसे पहले भी कई लोगों ने ओब्सर्व किया हुआ है. जब उसे पहले से लोगों ने ओब्सर्व किया हुआ है. तो फिर उसका रिजल्ट भी वही आने वाला है. यही वजह है कि सर्टेनिटी में इनोवेशन खत्म हो जाता है. अगर किसी को इनोवेटिव आईडिया की तलाश है तो फिर उसे अपनी लाइफ में अनसर्टेनिटी को जगह देनी  पड़ेगी. जहाँ अनसर्टेनिटी होगी वहीँ इनोवेशन का जन्म भी होगा.

मान लीजिये कि आपको कोई गाना लिखना है और आप एक ही तरह का म्यूजिक सुन रहे हैं. तो फिर आप उसे कॉपी करके बस एक म्यूजिक ही बना सकते हैं. आपका भी जौनर वही होगा जैसा आप अभी तक सुनते हुए आये हैं. इसी के उलट देखने की कोशिश करते हैं. अगर आपको किसी और ही बीट का गाना लिखना है तो फिर आपको अपने एक्सपेरिमेंट के दौर में भी अलग-अलग तरह के गानें सुनने पड़ेंगे.

इसका मतलब साफ़ है कि जितना आप अननोन या अनसर्टेनिटी की तरफ बढ़ेंगे उतनी ही क्रिएटिविटी आपके अंदर बढ़ेगी.

ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रही है बल्कि स्टडी में ये साबित हुआ है कि जो लोग अनसर्टेनिटी को फॉलो करते हैं. वो लोग ज्यादा क्रिएटिव होते हैं. ये देखा गया है कि वो लोग कठिन सिचुएशन में ज्यादा अच्छे से काम कर पाते हैं. उनके लिए कठिन से कठिन सिचुएशन बड़ी आसान होती है. उनका नज़रिया ही किसी भी चीज़ को देखने का बिल्कुल ही अलग होता है. 

राईट माइंड सेट+रिस्क लेने की काबिलियत= सफलता का मूलमंत्र.

ऐसे इनोवेटर्स के बारे में आपने भी सुना ही होगा जो नए इनोवेटिव आईडिया के ऊपर इन्वेस्ट करते हैं. उन्हें कुछ भी हार जाने का डर ही नहीं होता है. उनका स्वभाव ही पूरा गैम्बलिंग वाला होता है. लेकिन फिर भी वो लोगों को मोटिवेट कर लेते हैं उन्हें सपोर्ट करने के लिए. आखिर इतने रिस्क के बाद भी वो लोगों को कैसे मना लेते हैं? 

अनसर्टेनिटी से इनोवेशन, क्रिएटिविटी और नोवेल्टी का जन्म होता है. जब भी कोई अपने आपको पुश करता है तो इसका मतलब साफ़ है कि वो करेंट सिचुएशन से संतुष्ट नहीं है और उसे इम्प्रूवमेंट चाहिए. इसलिए अगर कोई रिस्क लेना चाहता है तो इसका मतलब साफ़ है कि वो कुछ नया ट्राई भी करना चाहता है.

पैसों और इज्जत को दांव में लगाना तभी वर्थ है जब आप बस खुद के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए कुछ वैल्यू क्रिएट करने की कोशिश करिए. अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर लोगों को भी आपकी मेहनत नजर आती है. इसी के रिवार्ड्स के तौर पर वो आपके ऊपर विश्वास करते हैं और आपका सपोर्ट करते हैं.

ग्रेट आईडिया को ज़मीन पर लाने के लिए क्राउड फंडिंग भी की जा सकती है. इसको एक एग्जाम्पल के तौर पर भी पेश किया जा सकता है. इसके तहत लोग देख सकते हैं कि कैसे जनता भी ग्रेट आईडिया को सपोर्ट करती है. इसलिए कभी भी रिस्क लेने से डरना नहीं है. 

क्राउड फंडिंग को लेकर एक बच्चे ने एग्जाम्पल सेट कर दिया है. उसका नाम बोयान है. उसने समुद्र से प्लास्टिक को क्लीन करने का आईडिया जनरेट किया था. उसके इस आईडिया को लोगों ने काफी ज्यादा सपोर्ट भी किया है. उसने क्राउड फंडिंग के माध्यम से २१ लाख डॉलर इकट्ठा किये हैं. 

इस एक एग्जाम्पल से आप समझ सकते हैं कि अगर कुछ भी करने की लगन बस हो तो पूरी कायनात भी आपकी मदद करती है. बस लोगों को आपके अंदर इनोवेशन और जज्बा नज़र आना चाहिए. ऐसा कब होगा? ऐसा तब होगा जब आप रिस्क लेना सीखेंगे. रिस्क लेने के साथ ही साथ आपको सही माइंड सेट के महत्त्व को भी समझने की कोशिश करनी है. बिना सही माइंड सेट के रिस्क लेने का भी कोई फायदा नहीं होने वाला है. 

तो फिर अब ये सवाल उठता है कि हम उस माइंड सेट में कैसे पहुंचे? जहाँ से हम अनसर्टेनिटी की राह को पा सकें? यहाँ पर अनसर्टेनिटी का महत्त्व भी बढ़ जाता है. इसके पीछे का रीजन यही है कि इसी से आपके अंदर कई सारी खूबियों का जन्म भी होने वाला है.

उस माइंड सेट तक पहुँचने का एक रास्ता है. आप सोच रहें होंगे कि वो कौन सा रास्ता है? वो ये है कि आप अपनी छाती को चौड़ा करिए और अपने डर का सामना करने की कोशिश करिए. जो भी आपका डर हो, आज ही उसके सामने खड़े हो जाइए. जैसे ही आप ये करने की कोशिश शुरू कर देंगे आपको टार्गेट भी नज़र आने लगेगा. टार्गेट तक पहुंचने के लिए मोटिवेशन भी आपके अंदर आ ही जाएगी. 

वॉर और द परफेक्ट स्टॉर्म के लेखक, सेबेस्टियन जुंगर लगातार असफलता के अपने डर पर काबू पाते हैं. वो अपने डर का इस्तेमाल  फायदे के लिए करते हैं.  जब कभी नाकामी का विचार उनके दिमाग में आता है, तो वह एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं. इससे उनके अंदर क्रिएटिविटी का जन्म होता है और उनके अंदर मोटिवेशन भी आ जाती है. 

आग आने वाले चैप्टर में आप यही समझेंगे कि इसे करना कैसे है?

रूटीन और रिचुअल्स से सर्टेनिटी का जन्म होता है
जब कभी भी किसी भी काम की डेड लाइन पास आती है तो आप क्या करते हैं? हो सकता है कि आप दिन रात ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश करते होंगे? ये भी हो सकता है कि आप दोस्तों से मिलना बंद कर देते होंगे? आप सोचते हैं कि ऐसा करने से आपका काम समय से पहले खत्म हो जाएगा. लेकिन आपको बता दें कि इससे आपको ही तकलीफ होने वाली है?

रिचुअल्स और रूटीन से स्टेबिलिटी और कंसिस्टेंसी आती है. मान लीजिये कि आप जिम जाते हैं उसके बाद आप दोस्त से मिलते हैं और कॉफ़ी पीते हैं. अब ये आपकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हो चुका है. इससे आपको सुकून मिलने लगा है. इस तरह की रूटीन से हम शांत रह पाते हैं. इससे हमारा फोकस भी बढ़ता है. 

रिचुअल्स और रूटीन आपकी ऐसे कामों में फोकस करने में मदद करते हैं जिनमें प्रोसेस होता है. एग्जाम्पल के लिए कोई ऐसा आदमी जो सुबह 5 बजे उठता है. जिम जाता है. फिर एक घंटे फोन पर बात करता है. उसके बाद वो ऑफिस जाता है. जब वो एक रूटीन फॉलो करता है तो उसका दिमाग उसका आदि हो जाता है. इस तरह की रूटीन उसकी मदद करता है क्योंकि उसके काम में क्रिएटिविटी का यूज ज्यादा नहीं है. 

हो सकता है कि आपको हर बार अच्छा नहीं लगता होगा जब कोई दूसरा आपके काम में ओपिनियन देता हो, लेकिन ये बहुत ज़रूरी भी है. जब हम कभी दूसरे से रिव्यु पाते हैं तो उसे ही फीडबैक के तौर पर लिया जाता है. ये रिव्यु हमारे इम्प्रूवमेंट के लिए बहुत ज्यादा ज़रूरी होते हैं.

अगर आप नये सोडे का निर्माण कर रहे हैं तो फिर ये बहुत ज्यादा ज़रूरी हो जाता है कि उस सोडे का टेस्ट लोगों को कैसा लग रहा है? इसके लिए आपको उनसे पूछना ही पड़ेगा. 

लेकिन यहाँ अब सवाल ये उठता है कि आखिर फीडबैक इतना ज़रूरी क्यों है? इसके पीछे का रीजन ये है कि इसके बिना हम अनसर्टेनिटी को फेस करते हैं. 

एग्जाम्पल के लिए हम समझते हैं कि अगर कोई प्रोडक्ट बिना कस्टमर रिव्यु के लांच कर दिया जाएगा तो इसके बहुत ज्यादा चांस हैं कि वो मार्केट में आते ही काफी बुरी तरह से फ्लॉप भी हो जायेगा. 

इसलिए प्रोडक्ट के डेवलपमेंट के समय से ही कस्टमर का फीडबैक मिलने से प्रोडक्ट की क्वालिटी बेहतर होती है.

इसलिए अगर आप सोडा बनाने वाले हैं और आप ये सोचते हैं कि बिना फीडबैक के ही आप उसे मार्केट में लॉन्च कर देंगे. तो फिर आप अपने पैसों में आग लगाने का काम कर रहे हैं.

एक फाइनल चीज़, जब कभी आप फीडबैक मांगे तो इस बात का ख्याल रखियेगा कि आपका कंट्रोल आपके प्रोडक्ट के ऊपर होना चाहिए. दूसरे का ओपिनियन आपको गाइड ज़रूर कर सकता है. लेकिन अल्टीमेटली आप ही जानते हैं कि बेस्ट क्या है.

मेंटल और फिजिकल एक्सरसाइज से हमारा ब्रेन फंक्शन बेहतर होता है
आपने अब तक वर्ल्ड ऑफ़ अनसर्टेनिटी को पढ़ लिया है. तो अब हम समझने की कोशिश करते हैं कि हम उस वर्ल्ड को जीतेंगे कैसे? आखिर हम अपने थॉट्स को बेहतर कैसे कर सकते हैं? अगर आपके पास क्रिएटिविटी है तो फिर आप उसे और निखार कैसे सकते हैं? 

फोकस और अटेंशन को बढ़ाने के लिए आप साइकोलॉजिकल अटेंशन ट्रेनिंग का यूज भी कर सकते हैं. इसकी मदद से आपके दिमाग की शक्ति भी बढ़ेगी.

इसी के साथ आप फिजिकल एक्सरसाइज रनिंग और साइकिलिंग की मदद भी ले सकते हैं. मेंटल एक्सरसाइज के तौर पर आप मैडिटेशन भी कर सकते हैं. ये सब प्रैक्टिस काफी ज्यादा इफेक्टिव भी हैं. इससे आपकी मानसिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. साथ ही साथ आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा.

मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी में हुई शोध में ये बात सामने आई है कि जिस दिन किसी भी कंपनी में काम करने वाले लोग किसी भी खेल या एक्सरसाइज में हिस्सा लेते हैं. उस दिन उनका मूड बाकी दिनों से अच्छा रहता है. इसी के साथ ही साथ इसका पॉजिटिव असर उनके काम में भी नज़र आता है. इस शोध में ये निकलकर सामने आया है कि मेंटल हेल्थ से ही इंसान की क्रिएटिविटी का भी संबंध होता है. जितना अच्छा इंसान का दिमाग होगा. उतनी ही बेहतर उसकी क्रिएटिविटी भी होगी. इसलिए अगर आपको भी अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ाना है. तो सबसे पहले अपने मेंटल हेल्थ की ओर ध्यान देने की कोशिश करिए. 

फिजिकल एक्सरसाइज में आप एक चीज़ एड कर सकते हैं, वो ये है कि सुबह-सुबह आप दौड़ लगाने की कोशिश करिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो फिर आप खुद ही ओब्सर्व करेंगे कि आपके दिन की शुरुआत ज्यादा एनर्जी के साथ हो रही है. इसी के साथ ये करने से आप इमोशनली भी ज्यादा मज़बूत बन जायेंगे. 

इस तरह की चीज़ों में समय लगाना पूरी तरह से वर्थ है. इसके बाद आप खुद ओब्सर्व करने लगेंगे कि आपका काम ज्यादा बेहतर होने लगा है. 

क्या आपको अभी भी नहीं पता है कि आप सही कर रहे हैं या फिर नहीं? क्या आपको अभी भी फेल होने से डर लग रहा है? तो फिर खुद से सवाल करिए कि आपके अंदर मोटिवेशन कहाँ से आ रहा है? 

इसके लिए आपको अपनी सिचुएशन को रीयलिस्टिक ढ़ंग से देखने की कोशिश करनी होगी. आपको ये देखना होगा कि आप जो काम कर रहे है. वो आपके लिए कितना उपयोगी है?

मान लीजिये कि आपने किसी जॉब की शुरुआत की है. अब आप उसे छोड़ने के लिए स्ट्रेस में हैं? तो फिर कुछ सवाल करिए आप खुद से, आप इन सिक्योर क्यों है? क्या आपको फेल होने का डर है? क्या आपको कम्फर्ट ज़ोन में वापस जाना है? 

इन सवालों के जवाब से आपको पता चलेगा कि आखिर आप चाहते क्या है? 

इसी के साथ ये भी जानना ज़रूरी है कि क्या आपका काम आपकी जिंदगी में असर डाल रहा है? कई बार ऐसा होता है कि क्रिएटिव काम को बहुत ज्यादा एनर्जी की ज़रूरत होती है. जिसका असर हमारे शरीर में दिखने लगता है.

इससे बचने के लिए अपने व्यस्त स्केड्यूल में से कुछ समय दोस्तों और परिवार के लिए निकालने की कोशिश करिए. इससे आपका दिमाग भी शांत होने लगेगा. 

अगर आप अपने काम से नाखुश रहने लगे हैं तो फिर अब समय आ गया है कि आप उसे रीफ्रेम करने की कोशिश में लग जाइए. ये कोशिश करिए कि आपकी नाख़ुशी के पीछे का रीजन आखिर क्या है? ये भी पता करने की कोशिश करिए कि सबसे ज्यादा ख़ुशी आपको किस काम को करने में मिलती है?

क्या आपको अंदर से मोटिवेशन आता है? अगर नहीं आता है तो फिर कुछ समय या दिन खुद को दीजिये. शायद, आप असलियत से दूर चले गये थे. रीयलिस्टिक अप्रोच को फॉलो करने की कोशिश करिए.

मेंटल एक्सरसाइज से आप फियर ऑफ़ फेलर को हैंडल कर सकते हैं
हम सभी को पता है कि फियर ऑफ़ फेलर कितना खतरनाक होता है? इससे बचने के लिए हमें अपने माइंड सेट को बदलना पड़ेगा. हममे से ज्यादातर लोगों का माइंड सेट फिक्स होता है. हम सिचुएशन से जल्दी हार मान लेते हैं. हमें ये लगने लगता है कि अब इसका कोई यूज नहीं है. अब कुछ अच्छा नहीं हो सकता है. फिर हम उस काम से हार जाते हैं. 

इससे बचने के लिए हम ग्रोथ माइंड सेट का यूज कर सकते हैं. इस माइंड सेट की मदद से हम अनसर्टेनिटी को भी समझ सकते हैं. ये माइंड सेट हमें सोल्यूशन की तरफ लेकर जाता है. इसकी मदद से हमारे अंदर क्विट करने की आदत भाग जाती है. हमें हर सिचुएशन का पॉजिटिव साइड नज़र आता है. इसकी वजह से हमारे अंदर संघर्ष करने के जज्बे का जन्म होता है. 

अब यहाँ एक सवाल ये उठेगा कि फियर ऑफ़ फेलर का क्या करें? उसे कैसे भगाएं? उससे डील किया जा सकता है. कुछ एक्सरसाइज हमारी मदद कर सकती हैं. 

याद रखिये कि अगर आप फेल भी हो जायेंगे तो भी उम्मीद की लहर से उठकर खड़े हो जायेंगे. ये भी याद रखिये कि ज्यादा से ज्यादा क्या ही हो जाएगा? सब कुछ हार जायंगे. लेकिन उसके बाद आप फिर खड़े हो सकते हैं. इसलिए फियर ऑफ़ फेलर को कभी भी खुद के ऊपर हावी ना होने दीजिये. 

इसी के साथ ये भी सोचिये कि क्या होगा अगर मैं कामयाब हो गया तो? कामयाबी उसी के पास जाती है. जिसके पास उसे पाने के लिए लगन और जज्बा होता है.

कुल मिलाकर
अनसर्टेनिटी एक ऐसी चीज़ है. जिससे हम सभी डरते हैं. लेकिन ये क्रिएटिव लोगों के लिए बहुत ज़रूरी भी है. कुछ टेकनिक की मदद से और एक्सरसाइज की मदद से हम एंग्जायटी से लड़ना सीख सकते हैं. 

ज़िन्दगी में सब कुछ हार जाने का हौसला भी होना चाहिए. याद रखिये कि सब कुछ हार भी जायेंगे तो भी आप रहेंगे. आप फिर से सब कुछ और बेहतर बना सकते हैं.

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