Musonius Rufus
The Teachings of a Roman Stoic
दो लफ्ज़ों में
साल 2020 में रिलीज़ हुई किताब ‘That One Should Disdain Hardships’ Stoic Gaius Musonius Rufus के लेक्चर्स से भरी हुई है. इस किताब को ‘collection of lectures’ भी कह सकते हैं. इस किताब में स्टोइक दर्शन या स्टोइकवाद के बारे में भी बताया गया है. आपको बता दें कि स्टोइकवाद एक प्राचीन ग्रीक दर्शन है जो कि 300 BC के आसपास सिटियम के निवासी जेनो द्वारा तपस्यावाद के रूप में विकसित किया गया था. Stoicism की मदद से कोई भी अपनी लाइफ को सरल और सुखद बना सकता है. इसलिए इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में हमें Stoicism के बारे में भी पता होना बहुत ज़रूरी है.
ये किताब किसके लिए है?
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए
-इतिहास को पसंद करने वालों के लिए
-ऐसे लोग जिन्हें लाइफ के बारे में जानना हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि Gaius Musonius Rufus का जन्म इटली में 30 CE के आसपास हुआ था. इस जगह को उस दौर के बढ़ते हुए रोमन अम्पायर के दिल के रूप में याद किया जाता है. बता दें कि Gaius Musonius Rufusपहली सदी के सबसे प्रभावशाली स्टोइक दार्शनिकों में से एक थे. इसलिए इनके विचारों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.
इस सफ़र की शुरुआत Stoicism के प्रैक्टिकल ज्ञान से होगी
सबसे पहले हम बता दें कि इस बुक समरी में ज़िन्दगी के पहलुओं के साथ-साथ इतिहास के फैक्ट्स की बातें भी होंगी. इसलिए इस किताब के चैप्टर्स आपके लिए किसी कॉम्बिनेशन से कम नहीं होंगे.
एक सवाल आपके मन में भी आता होगा कि philosophy का पर्पस क्या है?
अधिकांश फिलॉसफर्स का मानना है कि इसकी मदद से हम विश्व को बेहतर नज़रिए से समझ पाते हैं. Roman Stoic Gaius Musonius Rufus भी कोई अपवाद नहीं हैं. उनका मानना भी कुछ ऐसा ही था. लेकीन वो ये भी मानते थे कि फिलॉसफ़ी का काम इससे भी कुछ बढ़कर है. फिलॉसफ़ी की मदद से हम अपनी ज़िन्दगी को काफी ज्यादा बेहतर और पर्पस वाली बना सकते हैं.
अब चलिए एक नज़र में इतिहास के पन्ने से अरस्तु को समझने की कोशिश करते हैं.. अरस्तू (384-322 ईपू), एक ग्रीक दार्शनिक थे. वें दुनिया के बड़े विचारकों में से एक थे. उनके लेखन के घेरे में विचारों के सभी क्षेत्र शामिल है. अरस्तू का मानना था कि पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में है और केवल चार तत्वों से बनी है: मिटटी, जल, वायु, और अग्नि.. उनके अनुसार सूरज, चाँद और सितारो जैसे खगोलीय पिंड परिपूर्ण और ईश्वरीय है और सारे पांचवें तत्व से बने है जिसे वें ईथर कहते थे.
अरस्तु को खोज करना बड़ा अच्छा लगता था खासकर ऐसे विषयों पर जो मानव स्वाभाव से जुड़े हों जैसे कि "आदमी को जब भी समस्या आती है वो किस तरह से इनका सामना करता है?” और "आदमी का दिमाग किस तरह से काम करता है"? समाज को लोगों से जोड़े रखने के लिए काम करने वाले प्रशासन में क्या ऐसा होना चाहिए जो सर्वदा उचित तरीके से काम करें? ऐसे प्रश्नों के उतर पाने के लिए अरस्तु अपने आस पास के माहौल पर प्रायोगिक रुख रखते हुए बड़े इत्मिनान के साथ काम करते रहते थे.
अगर औरते नहीं होतींतो इस दुनिया की सारी दौलत बेईमानी होती...ये बेबाक कथन भी आरस्तु का ही था. आरस्तु के बाद ही स्टोइकवाद (Stoicism) फिलॉसफ़ी की शुरुआत हुई थी.
स्टोइकवाद (Stoicism) एक प्राचीन यूनानी दर्शन है जिसकी स्थापना एथेंस में सिटियम के ज़ेनो द्वारा की गई थी.
स्टोइकवाद का मानना है कि इस दुनिया में वर्तमान एकमात्र अच्छी वस्तु है सदाचार (virtue), और अन्य सभी वस्तुएं निरर्थक हैं.Stoics का मानना है कि उन्हें इन सांसारिक वस्तुओं के प्रति उदासीन होना चाहिए क्योंकि वे अस्थायी और झूठे हैं. स्टोइकवाद का लक्ष्य सत्यनिष्ठा, ज्ञान, आत्म-नियंत्रण, न्याय और साहस का जीवन जीना है.
सदाचारी बनने का प्रयास मानव स्वभाव का अभिन्न अंग है
फिलॉसफ़ी का काम ही ये बताना है कि हम लाइफ को सदाचार (virtuously) कैसे जी सकते हैं? लेकिन इसी के साथ एक सवाल का जन्म भी होता है. वो ये है कि आखिर सदाचारी लाइफ का असली मतलब क्या हो सकता है?
इसके लिए ऑथर Musonius Rufus एक ग्रीक टर्म का यूज़ करते हैं. उस टर्म को ‘aretê’ नाम से पुकारा जाता है. जिसका इंग्लिश में मतलब “excellence.” होता है. मतलब साफ़ है कि लाइफ को “excellence.” की तरफ ले जाने की कोशिश करनी चाहिए.
यहाँ पर “excellence.” का मतलब शॉपिंग या मटेरियल चीज़ों से नहीं है बल्कि ऐसी प्रैक्टिकल स्किल्स से है. जिसकी मदद से आपकी लाइफ बेहतर हो सकती है. इसका सीधा सा मतलब ये है कि हमें हमेशा लाइफ में कुछ ना कुछ नया सीखते रहना चाहिए. स्किल्स ही वो चीज़ या ब्रह्मास्त्र है जिसकी मदद से हम अपनी लाइफ को बेहतरीन बना सकते हैं.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर वो कौन सी स्किल्स हैं? जिनकी मदद से हम अपनी लाइफ को बेहतरीन बना सकते हैं.
ऑथर Musonius ने कहा है कि सबसे पहले हमें 4 स्किल्स पर काम करना चाहिए.. पहली सच्चाई से प्रेम करना सीखिए..दूसरी ज्ञान के पास जाने की कोशिश करिए यानि समझदार लोगों को सुनने की शुरुआत करिए. तीसरी स्किल का नाम ‘दिलेरी’ है, इसकी मदद से आप अपने डर और कमियों का सामना करेंगे. इसके बाद चौथी स्किल की बारी आती है. इसका नाम ‘self-control’ है. अपनी इच्छाओं के ऊपर कंट्रोल करना आना चाहिए.
इन 4 स्किल्स की प्रैक्टिस करके कोई भी अपनी लाइफ को बेहतर बना सकता है. ये कोई राकेट साइंस नहीं है. इसके लिए बस थोड़ी सी समझदारी की ज़रूरत है.
‘Virtue’ के साथ जीने के लिए प्रैक्टिस तो करनी ही होगा
एक बार की बात है Musonius ने अपने लेक्चर की शुरुआत में ही ऑडियंस से कहा कि दो डॉक्टर्स के बारे में इमैजिन करिए.
पहला डॉक्टर काफी ज्यादा पढ़ा लिखा है और काफी टैलेंटेड भी नज़र आता है. जी हाँ, शब्द पर ध्यान दीजिए नज़र आता है. उसे काफी ज्यादा मेडिकल ज्ञान प्राप्त है. लेकिन उसनें अभी तक एक भी पेशंट को ट्रीट नहीं किया है. उसे पेशंट हैंडलिंग का बिल्कुल भी एक्सपीरियंस नहीं है.
वहीं दूसरा डॉक्टर आपको बहुत टैलेंटेड नहीं नज़र आएगा. लेकिन उसने हज़ारों पेशंट्स को ठीक किया है.
अब Musonius ऑडियंस से सवाल करते हैं कि अगर आप बीमार पड़ेंगे तो किस डॉक्टर को दिखाना पसंद करेंगे? इसका सीधा सा जवाब है कि दूसरे वाले को क्योंकि किताबी ज्ञान बस का रियल लाइफ में कोई मतलब नहीं निकलता है. इसलिए प्रैक्टिस पर ही भरोसा किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ ‘Virtue’ के कांसेप्ट के साथ भी होता है.
इसी के साथ ऑथर Musonius ऑडियंस से फिर एक सवाल दागते हैं. वो कहते हैं कि अगर आपको अपनी गाड़ी के लिए ड्राईवर रखना हो? तो क्या आप किताबी ज्ञान वाले ड्राईवर को सेलेक्ट करेंगे या फिर आप ऐसे ड्राईवर का चुनाव करेंगे? जिसे सच में ड्राइविंग का अच्छा ख़ासा एक्सपीरियंस हो.. इसका भी सीधा सा जवाब यही है कि हम एक्सपीरियंस ड्राईवर का ही चुनाव करेंगे.
इन जवाबों से पता चलता है कि रियल लाइफ में एक्सपीरियंस का ही बोल बाला है. मतलब समझिए कि सिर्फ किताबी ज्ञान से ही कुछ बड़ा नहीं होने वाला है. आपको उस ज्ञान को कर्म में लेकर आना ही होगा. इस दुनिया में उन्ही लोगों ने शोहरत पाई है, जिन लोगों ने आने कर्मों को सही रखा है. और अपने काम का सही चुनाव किया है. इसलिए सही काम का चुनाव करना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है. अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने की कोशिश करते रहिए. ज़िम्मेदार इंसान बनने की कोशिश करिए, क्योंकि जो इंसान ज़िम्मेदार नहीं बन सकता है. वो इंसान किसी का भी सगा नहीं हो सकता है. इसलिए याद रखिए कि लोग भी ज़िम्मेदार इंसान की ही कद्र करते हैं.
आज से ही अपने सही काम का चुनाव करिए और पिछले चैप्टर में बताई गईं 4 स्किल्स की रेगुलर प्रैक्टिस करते रहिए.
सभी को चाहे वो आदमी हो या औरत..फिलॉसफ़ी को समझने की कोशिश करनी चाहिए
ऑथर Musonius मानते थे कि इस दुनिया का हर इंसान सदाचार जीवन जी सकता है. मतलब साफ़ है कि हर इंसान ईमानदारी के साथ ख़ुशहाल जीवन जी सकता है. इसके लिए किसी को भी कोई पहाड़ तोड़ने की ज़रूरत नहीं है. बस आपको अपनी लाइफ को समझने की ज़रूरत है.
आपको इतनी समझ तो पैदा करनी ही होगी.
ऑथर कहते हैं कि आपको पता होना चाहिए कि आप क्या पाना चाहते हैं? GOAL’S SPECIFIC होने चाहिए, कभी भी सामान्य लक्ष्य नहीं बनाना है. मतलब अगर वजन कम करना है, तो आपको पता होना चाहिए कि कितना वजन कम करना है?
जो भी आपका लक्ष्य हो, उसे कहीं लिखकर रख लेना चाहिए, ऐसी जगह लिखना है जहाँ आपकी रोज़ नज़र जाती हो. जिन्होंने अपने गोल लिखे नहीं होते हैं, उनमे से सिर्फ 4% लोग ही अपने लक्ष्य को पाने के लिए काम करते हैं.
किसी भी लक्ष्य को पूरा करने के लिए DEADLINE ज़रूर बनाना चाहिए. हमें पता होना चाहिए कि अपने TARGET को कब तक ACHIEVE कर लेना है? इसलिए लक्ष्य भी REALISTIC होना चाहिए और उसमे लगने वाला समय भी REALISTIC होना चाहिए.
कोई भी लक्ष्य बिना मेहनत और RESOURCE के हासिल नहीं हो सकता है. इसलिए अपने लक्ष्य को पाने के लिए जो भी RESOURCE लगने वाले हैं. उनकी एक LIST बनाकर अपने पास रख लेना चाहिए.
एक बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे भागों में बाँट लें, उसके बाद उन छोटे-छोटे कामों को उनकी PRIORTY यानि प्राथमिकता के हिसाब से पूरा करें. ऐसा करने से आपका बहुत सारा समय बचेगा. जो आपको आगे आने वाले काम में काम आएगा.
कभी भी किसी भी काम को शुरू करने के लिए कल का इंतज़ार ना करें, कल कभी भी नहीं आएगा. जो है आज ही है इसलिए आज ही अपने काम को शुरू करें. बदलाव भी आपको आज ही नज़र आने लगेगा.
हर रोज़ अपने लक्ष्य के करीब जाने की कोशिश करें, रोज़ कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर करें, जिससे आप अपने लक्ष्य के करीब पहुँच सकें.
अगर आपके मन में सवाल आ रहा हो कि हर रोज़ क्या कुछ करें? जिससे हम अपने GOALS के करीब जा सकें. इसका जवाब है कि अगर किसी दिन कुछ करने को नहीं है. तो किसी अनुभवी इंसान से आप TIPS भी मांग सकते हैं. उस सलाह को लेना भी अपने लक्ष्य के पास जाना ही है.
ज़िन्दादिल ज़िन्दगी जीने की कोशिश करिए, सभी डर को दूर भगा दीजिए
हमारे जीवन में कई सारी दिक्कतें आते रहती हैं. आज के समय में लोगों के सामने एक दिक्कत ज्यादा आ रही है, उस दिक्कत का नाम डर है. यहाँ किसी आम डर की बात नहीं हो रही है. यहाँ ऐसे डर की बात हो रही है जिसे MENTAL HEALTH की भाषा में ANXIETY ATTACKS कहा जाता है. इस डर की वजह से कई लोग अपने LIFE में अपने GOAL’S को ACHIEVE नहीं कर पाते हैं.
जब ANXIETY ATTACKS के ऊपर कई सारी RESEARCH हुईं तो एक बात निकलकर सामने आई कि बहुत ज्यादा लोगों को फेल होने का डर सताता रहता है. उन्हें ऐसा लगता है कि वो कभी भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे. उनके मन में failure का डर बना रहता है. जिसकी वजह से वो अपने GOALS से हट जाते ही हैं, साथ ही साथ DEPRESSION जैसी मानसिक बीमारी से भी ग्रस्त हो जाते हैं.
अगर आपको भी किसी तरह का डर सता रहा है, तो सबसे पहले खुद को बता दें कि उस डर की औकात नहीं है कि वो आपको किसी भी लक्ष्य से दूर कर सके. इसी के साथ आप “the Disaster Report.” की मदद से भी अपने डर का दिलेरी के साथ सामना कर सकते हैं और उसे हरा भी सकते हैं.
कैसे बनाई जा सकती है “the Disaster Report.”?
STEP 1 –कभी भी खुद से झूठ नहीं बोलना है, खुद को बताना है कि आपको डर किस चीज़ का है? ऐसी कौन सी SITUATION है जिसका आपको डर लग रहा है. खुद को इस असलियत के बारे में बताने के बाद, आप किसी भी खराब से खराब SITUATION के लिए तैयार होते जाएंगे.
STEP 2- worst case scenario यानि बुरी से बुरी SITUATION के लिए तैयार रहें, अधिकत्तर लोग ये सोच सोच कर डरते रहते हैं कि “अगर वैसा हो गया तो क्या होगा?” अब आपको खुद के सोचने का तरीका बदलना है. आपको ये सोचना है कि अभी सबसे बुरा दौर आ चुका है. अब मैं क्या कर सकता हूँ? तब आपको पता चल जाएगा कि अगर खराब SITUATION आ भी जाएगी तो आप उसे MANAGE कर लेंगे. इस तकनीक से आपके दिमाग को भी तैयार रहने का संदेश मिल जाएगा.
सिम्पल डाईट के महत्व को समझने की कोशिश करिए
जैसा कि अभी तक के सफर में हमें पता चल चुका है कि ऑथर Musonius काफी ज्यादा प्रैक्टिकल थिंकर रहे हैं. लेकिन उनके विचार डेली लाइफ को लेकर भी काफी प्रखर रहे हैं.
वो कहते हैं कि अच्छी ज़िन्दगी का पिलर फ़ूड से मिलकर बनता है. मतलब साफ़ है कि सिम्पल फ़ूड से केवल आपकी बॉडी ही हेल्दी नहीं बनती है बल्कि सिम्पल फ़ूड से आपकी पूरी ज़िन्दगी हेल्दी बनती है.
इसलिए लाइफ को अच्छी बनाने के लिए आज से ही अपनी लाइफ में सिम्पल फ़ूड की एंट्री को यस बोल दीजिए.
आपने सुना होगा कि खराब डाइट के साथ आपकी एक्सरसाइज बिल्कुल बेअसर है. तंदुरुस्त रहने और वजन घटाने में आपकी डाइट बेहद असरदार होती है.
आपकी बॉडी को जितनी कैलोरी की जरूर होती है वो खाद्य और पेय पदार्थों से आती है. अगर आप रेगुलर एकसरसाइज करते हैं लेकिन अधिक कैलोरी का सेवन करते हैं तो एक्सरसाइज सिर्फ आपकी बॉडी से एक प्रतिशत कैलोरी को बर्न करेगी.
ऑथर कहते हैं कि खराब डाईट आपकी हेल्थ के साथ आपके दिमाग को भी खराब करती है. इसलिए अच्छा जीवन जीने के लिए अच्छी डाईट का होना बहुत ज़रूरी है. जिस हिसाब से कोई भी बिल्डिंग बिना मज़बूत पिलर के लंबे समय के लिए नहीं टिक सकती है. उसी तरह इंसानी शरीर और ज़िन्दगी भी बिना सिम्पल और अच्छी डाईट के सर्वाइव नहीं कर सकती है.
Stoicism हमें फुल पोटेंशियल लाइफ जीना सीखाता है
एक बार की बात है, एक बूढ़े इंसान ने ऑथर से सवाल किया था कि बची हुई ज़िन्दगी को पूरी तरह से कैसे जिया जाए?
इसके जवाब में ऑथर Musonius का जवाब था कि इसका रूल जवान और बूढ़े के लिए एक जैसा है. ये नियम यही है कि इंसान को अपनी ज़िन्दगी नेचर के हिसाब से जीना चाहिए.
सबसे पहले सोचिए कि ऊपर वाले ने आपको क्यों पैदा किया है? इस सवाल का जवाब इतनी आसानी से नहीं मिलेगा. लेकिन जिस दिन आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा. उस दिन से आपकी लाइफ किसी खेल की तरह हो जाएगी. आपको रोज़ अपनी ज़िन्दगी को जीने में मज़ा आने लगेगा.
इन सभी बातों के साथ आपको इस बता का ख्याल रखना है कि जिस दुनिया में आपका जन्म हुआ है? उस दुनिया को आपकी वजह से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसलिए आपकी ज़िम्मेदारी इस संसार के प्रति भी काफी अधिक है.
खुश रहने का ये मतलब नहीं हो सकता है कि हम दूसरों की फीलिंग्स के बारे में सोचना ही बंद कर दें. अगर हम ऐसा करने लगेंगे तो कभी भी कोई किसी की मदद नहीं कर पाएगा और ये दुनिया अपने आप ही खत्म हो जाएगी. इसलिए हमेशा दूसरों की खुशियों में भी खुश होने की कोशिश करिए.
इसी के साथ इस बात का ध्यान रखिएगा कि दिक्कतें कभी भी खत्म नहीं आएँगी. हमेशा आपके सामने दो सिचुएशन रहेगी कि छोटी सी बात को बड़ा करके परेशान होते रहना है. या फिर से बड़ी सी बड़ी दिक्कत को भी छोटा समझ लेना है? अगर आपने इस कला को सीख लिया तो विश्वास करिए कि कोई भी आपको परेशान नहीं कर सकता है.
दोस्तों, एक लाइन है कि “बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया...” हिंदी फ़िल्म का ये गीत एक लंबे अर्से से ख़ुशी का फ़लसफ़ा माना जाता रहा है.खाओ-पियो, ऐश करो, मस्त रहो. कुछ लोगों की ज़िंदगी का यही उसूल होता है. यही सब करके उन्हें ज़िंदगी की तमाम ख़ुशियां मिल जाती हैं. लेकिन बहुत से लोग ख़ुश रहने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं.
अमरीकी लेखिका एलिज़ाबेथ गिलबर्ट ने अपनी बेस्ट सेलिंग किताब ईट, प्रे, लव में लिखा है कि खुशियां इंसान की अपनी कोशिशों का नतीजा हैं. ख़ुश रहने के लिए मेहनत करनी पड़ती है.
बहुत बार ख़ुशी तलाशने के लिए दुनिया भर में घूमना पड़ता है. और जब ख़ुशी नसीब होती है तो उसे आगे तक बचाए रखने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. जो ऐसा नहीं कर पाते वो बेचैन रहते हैं.
इसलिए ऐसी लाइफ को डिज़ाइन करिये कि लोग आपसे सवाल करने में मज़बूर हो जाएँ कि “कोई नहीं है आपके पास, फिर भी आप इतने खुश?” आखिर कैसे?
और आपका जवाब हो कि कोई नहीं है तो क्या हुआ, मैं खुद हूं अपने लिए और मैं सिर्फ जीना नहीं, बल्कि ज़िन्दगी को गले लगाकर घूमना चाहता हूँ.
कुल मिलाकर
Stoics के हिसाब से इंसान को सदाचारी ज़िन्दगी जीनी चाहिए.. ज़िन्दगी से हार नहीं मानना चाहिए.. भगवान ने हमें कई कारण दिए हुए हैं कि हम अपनी लाइफ को खूब एन्जॉय कर सकें.. इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि नाकामी का एहसास इंसान को ख़ुशी और उदासी में फ़र्क़ की तमीज़ करना भुला सकता है. दरअसल ख़ुशियां एक आज़ाद पंछी की तरह हैं. उन्हें जितना पकड़ो वो उतनी ऊंची उड़ जाती हैं. इसलिए ख़ुशियों के पीछे भागना नहीं चाहिए. बल्कि ख़ुश रहने की कोशिश करनी चाहिए.
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