Shellye Archambeau
Take Risks, Break Barriers, and Create Success on Your Own Terms (अपनी शर्तों में सफलता तक पहुँचने का मज़ा ही अलग है.. कहानी एक ऐसी ही लड़की की..)
दो लफ्ज़ों में
साल 2020 में रिलीज़ हुई किताब “Unapologetically Ambitious” एक ऐसी लड़की की कहानी बताती है. जिसने अमेरिका के इतिहास में रंग-भेद को पीछे छोड़ते हुए नया कीर्तिमान रचने का काम किया था. इस लड़की का नाम “Shellye Archambeau” है. ये उन कुछ चुनिंदा African American female में शामिल हैं. जिन्होंने आम कर्मचारी से Silicon Valley में CEO तक का सफर तय किया है. इस कहानी से उन सभी लड़कियों को सीख मिलेगी, जो कुछ अचीव करना चाहती हैं.
ये किताब किसके लिए है?
-ऐसा कोई भी लड़की जो कुछ बनने का सपना देखती हो
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए
-ऐसा कोई भी जिसे मोटिवेशन चाहिए हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन ‘Shellye Archambeau’ ने किया है. ये एक सफल businesswoman हैं, जिन्हें टेक फील्ड का 30 सालों से भी ज्यादा का अनुभव है. इन्होने अपने अनुभव का सार इस किताब में लिख दिया है.
इस किताब में मेरे लिए क्या है?
आज की भागती दौड़ती दुनिया में जब लोगों के पास समय की इतनी ज्यादा कमी है. तब किसी किताब के लिए ये सवाल आना लाज़मी सा लगता है कि आखिर कोई क्यों अपना कीमती समय इस बुक समरी को दे? इसके जवाब में ऑथर सिर्फ इतना कहना चाहती हैं कि ये बुक समरी आपके सोचने का नज़रिया बदल सकती है. इसलिए अगर आप अपनी लाइफ के प्रति उदासीन हो चुके हैं? तो इस बुक समरी को एक बार ज़रूर सुन लें.. इसे सुनने के बाद आप कुछ ज्यादा नहीं बस अपने काम की शुरुआत कर देंगे. इसलिए ऑथर कहती हैं कि “जो हो चुका उसकी परवाह करना बंद करिए, कुछ नया सोचो, नया करो और आगे बढ़ो, जो हो चुका अगर उसी में उलझे रहोगे तो आपका आज खराब हो जाएगा..हमारी इस बात को आप हल्के में ना लें; आप इतने समझदार हैं कि आप हमारी इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं.अगर आप वाकई पीछे घटने वाली घटनाओं को दिन-रात अपने दिल और दिमाग़ में दोहराते रहेंगे तो आगे कुछ नया करने का निर्णय नहीं ले पाएंगे..जानते हैं ऐसा क्यों होता है?ऐसा इसलिए होता है कि आपका दिमाग़ जब बुरी घटनाओं विचार से भरे होते हैं तो यह अच्छे और प्रेरक विचार पैदा नहीं कर पाते हैं...और आप हर काम में असफल हो जाते हैं.. याद रखिए कि यदि आपकी परिस्थितियों पर अच्छी पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.
सही स्ट्रेटजी और गोल की मदद से ‘Shellye Archambeau’ ने अपने करियर में काफी कुछ हासिल किया है. इनकी जर्नी से हर उस शख्स को प्रेरणा मिलेगी जो अपनी लाइफ में कुछ बेहतर करना चाहता है. इसलिए इस बुक समरी के सफर में आपका स्वागत है.
आपको इस किताब में ये जानने को मिलेगा
-imposter syndrome के बारे में काफी कुछ
-कामयाबी के सफर के बारे में काफी कुछअगर मन में हिम्मत है तो “impostor syndrome” भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है
सोचिए कि साल 1969 चल रहा है, एक African American girl स्कूल में एंटर कर रही है. ये वही दौर है जब अमेरिका में रंग-भेद अपने चरम पर है. मतलब साफ़ है कि इस दौर में अमेरिका में केवल गोरे लोगों को ही इज्ज़त की नज़र से देखा जाता था.
ऐसे मे सोचिए कि उस लड़की मन में क्या चल रहा होगा? जो कि मूल रूप से African American थी. जिसे मालुम था कि वो बाकी बच्चों की तरह सफ़ेद गोरे रंग की नहीं है. उसका रंग तो श्याम कन्हैया रंग का है.
वो लड़की कोई और नहीं बल्कि ‘Shellye Archambeau’ थीं. यहीं से Shellye की जर्नी की शुरुआत होती है, जहाँ उसने अकेलेपन से लेकर assault तक का सामना किया था. कोई भी स्कूल का बच्चा उससे बात करना पसंद नहीं करता था. स्कूल टीचर्स भी ‘Shellye Archambeau’ को अकेले बैठाकर भूल जाया करते थे.
अब आप खुद सोचिए कि इस तरह की घटनाएँ किसी छोटी बच्ची के दिमाग में किस तरह का बुरा असर डाल सकती हैं? ‘Shellye Archambeau’ को इस तरह का मेंटल टॉर्चर हर रोज़ झेलना पड़ रहा था.
वो किसी से कह नहीं पाती थी लेकिन वो अंदर ही अंदर एक ट्रामा का सामना कर रही थी. उसका कॉन्फिडेंस पूरी तरह से खत्म हो चुका था. उस बच्ची को ऐसा लगने लगा था कि कोई उससे प्यार नहीं करता है. कुछ ना कुछ उसके अंदर ही कमी है? जिसकी वजह से दूसरे लोग उससे दूर भागते हैं.
इन्हीं सब फीलिंग्स की वजह से शैली को impostor syndrome ने अपने वश में कर लिया, उसको ‘feeling of not belonging’ ने घेर लिया. उसे लगने लगा कि वो किसी भी तरह की सफलता डिजर्व ही नहीं करती है. इसी वजह से उस बच्ची ने अपने गोल्स के बारे में सोचना भी बंद कर दिया.
आपको बता दें किimpostor syndromeपीड़ित व्यक्ति के मन में हमेशा यह भम्र बना रहता है कि वह रंग-रूप, शिक्षा, करियर, आर्थिक-सामाजिक स्थिति की दृष्टि से अपने आसपास के लोगों की तुलना में काफी पीछे है या पिछड़ता जा रहा है. यही सोचकर वह इतना निराश हो जाता है कि खुद आगे बढ़ने की कोशिश भी नहीं करता और तनाव, डिप्रेशन से घिरता जाता है.
इस बारे में बात करते हुए ऑथर लिखती हैं कि “impostor syndrome का सामना कर रहे लोगों को समझना होगा कि उन्हें लाइफ की जर्नी को खुद ही पूरा करना है. इसलिए उन्हें अपने लिए अच्छे दोस्तों की तलाश करनी चाहिए. उन्हें एक ऐसे मेंटर की ज़रूरत होती है. जो उन्हें सही राह दिखा सके..अगर उन्हें सही मेंटर मिल जाए? तो उनका खोया हुआ विश्वास लौट सकता है.”
गोल्स के बारे में पता होना बहुत ज़रूरी है
Shellye की लाइफ में गोल्स का रोल बहुत अधिक रहा है और इसके महत्व के बारे में उन्हें अपनी माँ से सीखने को मिला था.
उनकी माँ ने बताया था कि इस जीवन को अपनी बुद्धि से देखिए, उन बातों के नजरिए से मत देखिए जिन्हें आप नहीं जानते, या जिन्हें मैंने कभी कहा या किसी और ने कहा, या किसी ने लिखा हो.. अपने बोध और समझदारी से यह देखिए कि आप सबसे ऊँची चीज क्या चाहते हैं और अपना सब कुछ उसे पाने के लिए लगा दीजिए.. वह जो भी हो, उसे थामे रखिए.
एक लक्ष्य का मतलब है कि जीवन अब ठहरा हुआ नहीं है - यह कुछ चाहता है. लक्ष्य का मतलब है, कहीं जाने की चाह. यह किसी एक जगह पर ठहर नहीं सकता। आप क्या चाहते हैं इससे कोई अंतर नहीं पड़ता. बस यह इतना उत्साही हो कि आपके जीवन को जीवंत बना सके.
तब आपके साथ कुछ किया जा सकता है. अगर आप ठहरे हुए पानी की तरह हैं तो सबसे पहले आपको इसे बहता पानी बनाना होगा.
बड़ी सिम्पल सी बात है.. वो ये है कि अगर आपको एहसास हो जाए कि आप केवल गोल चक्कर काट रहे हैं तो आपका सबसे पहला लक्ष्य यही होगा कि आप उससे बाहर निकलें.. केवल तीन दिन लगा कर यह पता करें कि आपके जीवन में ऐसा क्या है? जिसे पाने का आप दिल से लक्ष्य रखते हैं - फिर चाहे जो भी हो, उसके लिए अपना सब कुछ लगाकर जी-जान से जुट जाएँ.
मान लेते हैं कि आप बस एक पहाड़ पर जाना चाहते हैं. तब आप अपना पूरा जीवन इसके पीछे लगा दीजिए.तब आपके लिए कुछ किया जा सकता है. लक्ष्य से भरा जीवन निश्चित तौर पर उत्साहपूर्ण होता है.
हर व्यक्ति को अपने जीवन में कोई ना कोई उद्देश्य जरूर रखना चाहिए. एक लक्ष्य ही होता है, जो हमें हमारे सपनों तक पहुंचा सकता है और हमें एक अलग पहचान दे सकता है. जिस व्यक्ति का कोई सपना नहीं होता, कोई लक्ष्य नहीं होता, वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता. ऐसे लोगों को ही अक्सर कहते सुना है कि हमारी किस्मत ही हमारे साथ नहीं है.
इंसान को लाइफ पार्टनर का चुनाव बहुत ध्यान से करना चाहिए
अगर आप रोमांटिक कॉमेडी स्क्रीन पर देखे होंगे..तो आपको स्टोरी लाइन पता होगी कि एक्टर्स by chance मिलते हैं, फिर कुछ समय बाद दोनों शादी कर लेते हैं. कुछ लोग मूवीज़ की स्टोरी लाइन की ही तरह अपने लाइफ पार्टनर का चुनाव भी कर लेते हैं.
लेकीन Shellye के लिए ये प्रोसेस थोड़ा अलग था. जब वो अपने पार्टनर Scotty से मिली थी. तो कुछ भी मूवी वाला सीन नहीं हुआ था. Shellye, के दिमाग में पहले से क्लियर था कि उसे शादी बहुत लेट नहीं करनी है.
इसके लिए उसे एक ऐसे पार्टनर की तलाश थी, जो उसको समझ सके, उसके गोल्स को भी अपना सके और उसका साथ दे सके. इसलिए Shellye ने डेटिंग की मदद ली..
Shellye ने डेटिंग की मदद से अपने पार्टनर को समझने की कोशिश की.. और यही सलाह वो बाकियों को भी देती हैं. हमें अपने जीवन साथी का चयन काफी सोच समझकर करना चाहिए.
Shellye बताती हैं कि अगर आप अपने लाइफ पार्टनर को ढूंढ रहे हैं. तो सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आप सामने वाले के अंदर कौन-कौन सी क्वालिटीज़ की तलाश कर रहे हैं. इसके बाद आपको काफी क्रिटिकल होकर अपने पार्टनर की तलाश करनी चाहिए.
कभी भी शादी किसी के दबाव में या फिर जल्दबाजी में आकर नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से आप अपनी लाइफ के साथ-साथ कई लोगों की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रहे होते हैं. इसलिए इस बात को समझ लीजिए कि एक अच्छा साथ आपकी लाइफ को काफी बेहतर बना सकता है. वहीं एक खराब रिश्ता आपकी पूरी लाइफ को बर्बाद कर सकता है. इसलिए किसी भी रिश्ते का चुनाव पूरी समझदारी के साथ करना चाहिए.
Shellye जब अपने लाइफ पार्टनर के लिए डेटिंग कर रही थी. तो उसे Scotty के अंदर वो सारी खूबियाँ मिल गईं. जो उसे अपने लाइफ पार्टनर के अंदर चाहिए थी. फिर क्या था? एक महीने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया.
लेकिन सबकुछ इतना आसान नहीं होने वाला था, Shellye और Scotty के बीच में उम्र का 18 साल का अंतर था. जिसकी वजह से Shellye के घरवाले इस रिश्ते के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे. लेकिन शैली को पता था कि उसे self-determination की मदद से अपने घरवालों को मनाना है.
अपनी पर्सनालिटी को इम्प्रूव करने की कोशिश करिए
आपको बता दें कि Shellye Archambeau की ‘टाइप ए’ पर्सनालिटी थी. ऐसे लोग काफी determined, hardworking, और highly ambitious होते हैं. वो अपने गोल्स को अचीव करने में पूरी जान लगा देते हैं.
लेकिन ऐसे लोगों की एक नेगेटिव पॉइंट ये होता है कि वो अपने से ज्यादा ज़िम्मेदार इंसान किसी और को नहीं मानते हैं. इसकी वजह से वो अपना काम किसी दूसरे को नहीं सौंप पाते हैं.
ऐसा ही कुछ Shellye Archambeau के साथ भी देखने को मिल रहा था. जब उनका परिवार नए घर में शिफ्ट हुआ था. तो प्रेग्नेंट होने के बावज़ूद Shellye घर का पूरा काम कर रही थी. वो अपने हाथों से नए घर को सजा रही थी.
उसका मानना था कि इस सीमेंट के स्ट्रक्चर को वही घर बना सकती है. तब उसकी माँ ने उसे एक सलाह दी थी कि कभी-कभी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में भी अपनी ज़िम्मेदारियों को दूसरों के साथ बाटना चाहिए. ऐसा करने से हम दूसरों को भी बेहतर इंसान बना सकते हैं.
Shellye Archambeau को अपनी माँ की ये सलाह बहुत पसंद आई और उन्होंने इस एडवाइस को अपनी प्रोफेशनल लाइफ में भी अप्लाई करने की शुरुआत कर दी थी.
तब उन्हें समझ में आया कि कई बार हर काम खुद ही करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.. इससे काम भी अच्छा नहीं हो पाता है और साथ के लोग भी कुछ नया नहीं सीख पाते हैं. इसलिए ज़िम्मेदारी के साथ दूसरों से ज़िम्मेदारी वाला काम करवाना भी बहुत ज़िम्मेदारी का काम है.
कई बार ज़िम्मेदारी शब्द आने की वजह से आप कन्फ्यूज़ मत हो जाइएगा, बस इतना समझ लीजिए कि आज से ही अपना काम दूसरों के साथ बाटना सीख लीजिए. ऐसा करने से आप अपनी पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक को बेहतर बना लेंगे.
गोल्स के बारे में पता होना बहुत ज़रूरी है
Shellye की लाइफ में गोल्स का रोल बहुत अधिक रहा है और इसके महत्व के बारे में उन्हें अपनी माँ से सीखने को मिला था.
उनकी माँ ने बताया था कि इस जीवन को अपनी बुद्धि से देखिए, उन बातों के नजरिए से मत देखिए जिन्हें आप नहीं जानते, या जिन्हें मैंने कभी कहा या किसी और ने कहा, या किसी ने लिखा हो.. अपने बोध और समझदारी से यह देखिए कि आप सबसे ऊँची चीज क्या चाहते हैं और अपना सब कुछ उसे पाने के लिए लगा दीजिए.. वह जो भी हो, उसे थामे रखिए.
एक लक्ष्य का मतलब है कि जीवन अब ठहरा हुआ नहीं है - यह कुछ चाहता है. लक्ष्य का मतलब है, कहीं जाने की चाह. यह किसी एक जगह पर ठहर नहीं सकता। आप क्या चाहते हैं इससे कोई अंतर नहीं पड़ता. बस यह इतना उत्साही हो कि आपके जीवन को जीवंत बना सके.
तब आपके साथ कुछ किया जा सकता है. अगर आप ठहरे हुए पानी की तरह हैं तो सबसे पहले आपको इसे बहता पानी बनाना होगा.
बड़ी सिम्पल सी बात है.. वो ये है कि अगर आपको एहसास हो जाए कि आप केवल गोल चक्कर काट रहे हैं तो आपका सबसे पहला लक्ष्य यही होगा कि आप उससे बाहर निकलें.. केवल तीन दिन लगा कर यह पता करें कि आपके जीवन में ऐसा क्या है? जिसे पाने का आप दिल से लक्ष्य रखते हैं - फिर चाहे जो भी हो, उसके लिए अपना सब कुछ लगाकर जी-जान से जुट जाएँ.
मान लेते हैं कि आप बस एक पहाड़ पर जाना चाहते हैं. तब आप अपना पूरा जीवन इसके पीछे लगा दीजिए.तब आपके लिए कुछ किया जा सकता है. लक्ष्य से भरा जीवन निश्चित तौर पर उत्साहपूर्ण होता है.
हर व्यक्ति को अपने जीवन में कोई ना कोई उद्देश्य जरूर रखना चाहिए. एक लक्ष्य ही होता है, जो हमें हमारे सपनों तक पहुंचा सकता है और हमें एक अलग पहचान दे सकता है. जिस व्यक्ति का कोई सपना नहीं होता, कोई लक्ष्य नहीं होता, वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता. ऐसे लोगों को ही अक्सर कहते सुना है कि हमारी किस्मत ही हमारे साथ नहीं है.
अपने करियर को लेकर काफी ज्यादा सजग रहने की ज़रूरत है
Shellye Archambeau की ख़ास बात ये थी कि ग्रेजुएशन के वक्त से ही उसका गोल क्लियर था. उसे मालुम था कि उसे सी.ई.ओ ही बनना है.
इसलिए पढ़ाई के बाद उसने IBM को ज्वाइन किया और मन में विश्वास रखा कि एक दिन इस कंपनी को उसे ही लीड करना है. इसके लिए उसने रोड मैप भी तैयार कर रखा था.
उसे मालुम था कि ज्यादातर सी.ई.ओ sales, के बाद management experience लेते हैं और फिर executives का काम करते हैं. उसे भी ऐसा करना था वो भी 30 की उम्र के पहले..
लेकिन जैसे-जैसे वो 30 के करीब पहुँचने लगी बॉस कहने लगे कि अभी management में किसी भी तरह की जगह नहीं खाली है.
Shellye Archambeau को समझ में आ चुका था कि अब एक्शन का वक्त आ चुका है. उसने तुरंत कई और जगह इंटरव्यू दिए और सफलता भी हासिल कर ली.. फिर क्या था? IBM के मैनेजमेंट को मजबूरी में उसे प्रमोशन देना पड़ा.
इसलिए ऑथर सलाह देती हैं कि करियर के मामले में कभी भी चुप नहीं बैठना चाहिए. हमेशा अपने करियर के लिए वोकल रहना चाहिए. जो चीज़ आप डिज़र्व करते हैं? उसे मांगने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए.
सभी को पता चल चुका था कि Shellye Archambeau क्या चाहती है? शायद यही वजह थी कि ब्रांच मैनेजर बनने के कुछ सालों बाद ही Shellye Archambeau ने executive level तक का सफर तय कर लिया.
executive level पर पहुँचने के बाद Shellye Archambeau को एहसास हुआ कि IBM में उसकी ग्रोथ रुक सी गई है. यहाँ पर सी.ई.ओ बनना मुमकिन नहीं है. इसलिए उन्होंने तुरंत इस आर्गेनाईजेशन से इस्तीफ़ा दे दिया और अपने मंज़िल की तलाश के लिए आगे बढ़ गईं.
फ्लेक्सिबल रहिए और अवसर की खोज में निकल जाइए
Shellye Archambeau ने फैसला कर लिया था कि उन्हें मुश्किलों से आगे बढ़ना है. इसलिए उन्होंने इस्तीफ़ा भी दे दिया था.
ये 1990 का दौर था, इस दौर में सिलिकॉन वैली में टेक फील्ड में बूम आ चुका था. सभी बड़े लोग इस फील्ड में हाँथ अजमाना चाहते थे.
Shellye Archambeau ने भी वेब साईट कंपनी को executive vice president के तौर पर ज्वाइन कर लिया.. उनकी ये जॉब बढ़िया चल रही थी. लेकीन एक दिन अचानक stock market crash कर गया और अचानक से ही वेब साईट कंपनी भी बंद हो गई.
मजबूरन Shellye Archambeau को नई जॉब की तलाश करनी पड़ रही थी. लेकिन अब वो टेक सी.ई.ओ बनने के लिए पूरी तरह से तैयार थीं. लेकिन उनके सामने मुश्किलें कम नहीं हो रहीं थीं. मार्केट क्रैश होने की वजह से बहुत लोगों को जॉब की ज़रूरत थी. जिसकी वजह से कम्पटीशन काफी बढ़ चुका था. और African American woman होने की वजह से बड़े लोग उन्हें सी.ई.ओ के पद पर देखना भी नहीं चाहते थे.
लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि Shellye Archambeau के हौसले में किसी भी तरह की कमी आने वाली थी. उन्हें पता था कि आपदा को अवसर में कैसे तब्दील कर सकते हैं?
उन्हें ये भी मालुम था कि खराब समय में थोड़ा सा फ्लेक्सिबल कैसे हुआ जाता है? इसलिए Shellye Archambeau ने सिलिकॉन में बैठे बड़े-बड़े दिग्गजों से मिलना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी तरफ से बहुत रिसर्च की.. उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि अभी उनके लिए किसी बड़ी कंपनी का सी.ई.ओ बनना मुमकिन नहीं है. क्योंकि मार्केट में बहुत ज्यादा तंगी और कम्पटीशन है.
इसी रिसर्च की वजह से वो दिन भी आया जब Zaplet कंपनी ने Shellye Archambeau को बतौर सी.ई.ओ नियुक्त किया. इसी के साथ कंपनी ने शैली के लिए कहा कि “very broken but well connected, with a lot of potential.”...फिर क्या था Shellye Archambeau ने इस कंपनी को ज्वाइन किया और अपनी मेहनत से 10 सालों के अंदर कंपनी को अपने सेक्टर का लीडर बना दिया.
10 सालों बाद Zaplet को MetricStream में एक award-winningsoftware solutions company के तौर पर जाना जाता था. इसका पूरा श्रेय कंपनी ने Shellye Archambeau को दिया था.
इसलिए ऑथर सलाह देती हैं कि देखा जाए तो जीवन में हर व्यक्ति को चुनौतियां और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. परंतु जीवन में किसी भी व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए. हमें तब तक प्रयास करना चाहिए, जब तक हमारा शरीर हमारे साथ है।कई लोग कहते हैं कि आपने ऐसा लक्ष्य चुना है, यह तो आपसे नहीं हो पाएगा। ऐसा हम मान सकते हैं कि हमारा लक्ष्य कठिन हो सकता है. लेकिन असंभव नहीं। हमें निरंतर प्रयास करते ही रहना चाहिए। कभी ना कभी सफलता हमारे कदम चूमेगी.
कुल मिलाकर
प्रोफेशनल गोल्स को अचीव करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि ये ना-मुमकिन है. इस दुनिया में इंसान के लिए कुछ भी करना ना-मुमकिन नहीं है. बस उसके पास सही सेट ऑफ़ स्किल्स होने चाहिए. इसलिए हमेशा अपनी स्किल्स पर काम करते रहना चाहिए. बिना स्किल्स को सीखे कुछ भी अचीव करना बहुत मुश्किल है.
क्या करें?
जहाँ भी आप काम कर रहे हैं, वहां पर अपने reputation को तैयार करिए. लोगों को पता होना चाहिए कि ये इंसान छोटी चीज़ों के लिए नहीं बना है. इसके सपने बहुत बड़े हैं इसलिए इसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है. याद रखिए कि सफलता में बहुत बड़ा हिस्सा सेल्फ इमेज का भी होता है. इसलिए हमेशा खुद के सेल्फ ईमेज पर काम करते रहिए. ऐसा करने से आप अपने आपको पहले से बेहतर बनाते रहेंगे.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Unapologetically Ambitious By Shellye Archambeau
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
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