The Buddha and the Badass

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The Buddha and the Badass

Vishen Lakhiani
The Secret Spiritual Art of Succeeding at Work

दो लफ्ज़ों में 
साल 2020 में रिलीज़ हुई किताब ‘The Buddha and the Badass’ बताती है कि कैसे ज़िन्दगी में जीत हासिल की जा सकती है? इसी के साथ ये किताब ज़िन्दगी में जीत के मायने को भी बताने का काम करती है. अगर आपको भी आपकी प्रोफेशनल लाइफ से लेकर पर्सनल लाइफ तक को बेहतरीन बनाना है. तो ये किताब आपके लिए लिखी गई है. इस बुक समरी की मदद से आपको पता चलेगा कि कैसे आप खुद को जानकर ‘ज़िन्दगी’ की ख़ुशियों को समझ सकते हैं.

ये किताब किसके लिए है? 
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
 - लीडर्स के लिए 
 - ऐसा कोई भी जो अपनी लाइफ में बदलाव लाना चाहता हो 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Vishen Lakhiani ने किया है. ये ऑथर होने के साथ-साथ जाने-माने पब्लिक स्पीकर भी हैं. इसी के साथ ये Mindvalley के फाउंडर और सी.ई.ओ भी हैं.

फाउंडेशनल वैल्यूज़ लाइफ को पूरी तरह से बदल सकते हैं
हम लोगों ने बार-बार और कई बार सुना है कि अगर सफल होना है तो हार्ड वर्क करना ही होगा. इसलिए हम अपनी पर्सनल लाइफ के साथ खिलवाड़ करते हैं और जॉब में खूब मन लगाने की कोशिश करते रहते हैं. इसके बाद क्या होता है? हमारा मन जॉब में भी नहीं लगता है और हमारी पर्सनल लाइफ भी खराब हो चुकी होती है. 

लेकिन हमें पता होना चाहिए कि ज़िन्दगी में ख़ुश रहने के लिए हमें खुद को जानना ज़रूरी है. अगर हम खुद को जान लें तो हम हर जगह बेहतर कर सकते हैं. साथ ही साथ लाइफ में काफी ज्यादा खुश भी रह सकते हैं. “The Buddha and The Badass” एक जर्नी है, इस जर्नी में आपको ख़ुशी की असली वैल्यू और मतलब के बारे में पता चलेगा. इसलिए लाइफ में खूब ज्यादा खुश रहने की कोशिश करिए और “the Buddha and the badass” जर्नी की शुरुआत कर दीजिए. 

इस समरी में आप यह भी जानेंगे कि Foundational Valuesक्या होती हैं? और कुछ सवाल जो कि आपकी लाइफ बदल सकते हैं!

तो चलिए शुरू करते हैं!

हम लोगों में से ज्यादातर लोगों को पता है कि हर इंसान की फिंगरप्रिंट्स अलग-अलग होती हैं. लेकिन ऑथर कहते हैं कि फिंगरप्रिंट्स के साथ हम लोगों की आत्मा की प्रिंट भी अलग-अलग होती है. जिसे हम ‘सोलप्रिंट्स’ के नाम से जान सकते हैं. 

Soulprints हमारी शुरूआती लाइफ एक्सपीरियंस से क्रिएट होती हैं.  जो कुछ भी हम एक्सपीरियंस करते हैं, भले ही वो अच्छा हो या बुरा.. उसका असर हमारी आत्मा पर पड़ता है. इसी soulprint की वजह से फाउंडेशनल वैल्यूज़ का निर्माण होता है. इसलिए बहुत ज़रूरी है कि हमें हमारी फाउंडेशनल वैल्यूज़ के बारे में पता हो.. अगर हमें इसके बारे में पता होगा तो हमें हमारी इनर वैल्यूज के बारे में भी पता चल जाएगा. 

और तभी जाकर हम अपनी इनरसेल्फ से कनेक्ट हो पाएंगे. जैसे ही आप खुद के इनर सेल्फ से कनेक्ट हो जाएंगे, वैसे ही आप अपनी लाइफ के Buddha को अनलॉक कर लेंगे. 

अब सवाल ये उठ सकता है कि आखिर फाउंडेशनल वैल्यूज़ को अनकवर कैसे किया जाए? इसके लिए ऑथर सजेस्ट करते हैं कि अपनी लाइफ की उन यादों को याद करने की कोशिश करिए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं भुला सकते हैं. उन एक्सपीरियंस को याद करने से आपको आपकी वैल्यूज के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा. इसे स्टोरी एक्सरसाइज भी कहा जाता है.

सही लोगों का सर्कल तैयार करने की कोशिश करिए
लक्ष्य तय करिए, ऐसे काम का चुनाव करिए जिससे आपकी फाउंडेशनल वैल्यूज मेल खाती हों. फिर ऐसे लोगों का चयन करिए, जिनकी मदद से आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें. इसलिए ऑथर कहते हैं कि अगर आपको किसी के साथ काम करना हो? तो आप किसी को भी अपना पार्टनर नहीं बना सकते हैं. आपके पार्टनर के अंदर वही वैल्यू सिस्टम होनी चाहिए, जो आप फॉलो करते हैं. ऐसा करने से आपका आगे का सफर काफी आसान हो जाएगा. 

एक टीम बनाने के लिए, आपको लोगों को इंस्पायर करना होगा कि वो आपको ज्वाइन करें, ऐसा करने के लिए आपको अपना काम लोगों के साथ शेयर करना होगा. साथ ही साथ उन्हें अपने मिशन के बारे में भी बताना होगा. ह्यूमन की आदत होती है कि वो इमोशन्स पर काफी सारे फैसले करते हैं. इसलिए आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आप लोगों से इमोशनली भी कनेक्ट हो सकें. 

इसी को ‘big why’ कांसेप्ट कहते हैं और इसी का यूज़ बड़े-बड़े ब्रांड्स करते हुए आए हैं. उनके अंदर ये क्षमता थी कि उन्होंने सवाल पूछने की हिम्मत दिखाई? जिसकी वजह से वो कुछ ऐसा कर पाए जो कि ऑर्डिनरी से अलग था. एप्पल कंपनी बाकी कम्पनियों से अलग क्यों खड़ी है? क्योंकि इस कंपनी ने conventions को चैलेंज किया था और कुछ अलग सोचने की हिम्मत दिखाई थी. 

इसलिए ऑथर सलाह देते हैं कि लाइफ में कुछ बेहतर करने के लिए आपको भी ‘big why’ कांसेप्ट का सहारा लेना होगा. इसकी मदद से आप अपनी वैल्यूज की भी कद्र करना सीख जाएंगे. 

एक बार जब आपको खुद का ‘big why’ पता चल जाएगा, तो आप उसे दूसरों के साथ अच्छे से साझा भी कर पाएंगे. याद रखिए कि इफेक्टिव कम्युनिकेशन एक पिलर की तरह है, जिसकी मदद से आप लोगों को अपने मिशन की तरफ अट्रैक कर सकते हैं. इसलिए कभी भी कम्युनिकेशन को नज़रंदाज़ करने की कोशिश मत करिएगा. 

इसी के साथ एक फाइनल स्ट्रेटजी भी है, जिसकी मदद से सही लोगों को अपने सर्कल में लाया जा सकता है. इस स्ट्रेटजी का नाम राईट विज़न है.. ज़िन्दगी में विज़न का होना बहुत ज़रूरी है. आपको पता होना चाहिए कि आप क्या अचीव करना चाहते हैं? और आप अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचेंगे? विज़न रहने से आप बेहतर तरीके से अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकते हैं.

सोशल बांड्स के महत्व को समझना भी ज़रूरी है, इसका सीधा कनेक्शन हैप्पीनेस से है
अगर आपसे कोई सवाल करे कि सफलता को कौन-कौन से पहलू इफ़ेक्ट कर सकते हैं? तो आपका क्या जवाब होगा? 

हो सकता है कि strengths, communication, responsibilities, और timelines की बात करें.. आप बिल्कुल सही हैं. सफलता की तरफ बढ़ते हुए इंसान के लिए इन सब चीज़ों का रोल काफी ज्यादा रहता है. लेकिन एक पहलू और है जो कि काफी ज्यादा ज़रूरी होता है.. उसका नाम सोशल कनेक्शन है. 

कई लोगों का मानना होता है कि सोशल रूप से कनेक्टेड होना कोई बायोलॉजिकल ज़रूरत नहीं है. लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि ये सर्वाइवल के लिए ज़रूरी है. अगर आपको जानना है कि सोशल कनेक्शन के क्या फायदे हैं? तो कभी अपने पूर्वजों के बारे में पढ़ने की कोशिश करिएगा. तब आपको पता चलेगा कि सोशल कनेक्शन की मदद से इंसान ज़िन्दा रह सकता है. 

आज के दौर में happiness, productivity, intelligence, और creativity के लिए भी सोशल बांड्स का रोल काफी ज्यादा बढ़ जाता है. इसलिए जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं, उनके साथ सोशल कनेक्शन बनाना भी एक स्किल है. इस स्किल का माहिर खिलाड़ी बनना बहुत ही ज्यादा ज़रूरी है. 

सोशल कनेक्शन के बहुत ज्यादा फायदे हैं, इससे पॉजिटिव वर्किंग माहौल तैयार होता है. जिसका पॉजिटिव असर प्रोडक्टिविटी पर भी देखने को मिलता है. इसका प्रूफ इसी बात से समझ सकते हैं कि जिस वर्क प्लेस में दोस्ती हो जाती है, वहां हैप्पीनेस भी ज्यादा रहती है और employee performance भी बेहतर हो जाता है.

ऐसे मिशन का चुनाव करिए जिससे दुनिया बेहतर हो सके
आज के समय में लोग एक दूसरे से कई तरीकों से जुड़े हुए हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि आज के समय में कम्युनिकेशन बेहतर हो चुकी है. इसके कई फायदे हैं, लेकिन इसकी वजह से एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है. हमें समझना चाहिए कि आज हम जो कुछ भी करते हैं. उसका परिणाम आगे जाकर ज़रूर नज़र आता है. ऐसा बिजनेस की दुनिया में भी होता है. 

बिज़नेस की दुनिया की कई नामचीन कम्पनियां केवल प्रॉफिट की रेस में भाग रही हैं. उन्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि उनके प्रोडक्ट्स की वजह से सोसाइटी को कितना ज्यादा नुकसान हो रहा है? इसलिए ये ज़िम्मेदारी बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घराने की है.. कि वो अपने बिजनेस के साथ सोसाइटी का भी ख्याल रखें. 

इसलिए ऐसी कम्पनियों को ऑथर ‘Humanity Minus companies’ के नाम से पुकारते हैं. वो कहते हैं कि इन कम्पनियों के अंदर Buddha or the badass mentality नहीं है. अब कई लोगों के मन में सवाल आ सकता है कि Buddha and the badassmentality का क्या मतलब होता है? 

इसका सीधा सा मतलब Humanity Plus एक ऐसा मिशन होता है.. जिसकी वजह से इस दुनिया को और ज्यादा बेहतर बनाया जा सके. अब ये सवाल हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हमारे पास एक ऐसा मिशन है? जिसकी वजह से दुनिया बेहतर बन सकती है. अगर नहीं है तो सबसे पहले हमें उस मिशन को तैयार करना चाहिए. 

जब आप किसी एक मिशन की तलाश में होंगे, जिससे दुनिया में कुछ बेहतरी हो सके.. तो उसके बाद आपको फुलफिलमेंट का एहसास होगा. आपको ऐसा लगेगा कि आपके काम से कुछ तो बेहतर हो रहा है. आपको धीरे-धीरे ही सही लेकिन अपने काम से प्यार होने लगेगा.. समय बीतने के साथ आपको अपनी लाइफ से भी प्यार होने लगेगा. 

एक सार्थक मिशन के लिए, आपको ऐसे लोगों का साथ ढूंढना चाहिए, जिनके पास प्रॉब्लम सॉल्व करने का एटीट्यूड हो.. इस तरह के लोगों का साथ मिलने से आपका काम काफी हद तक आसान हो जाएगा. 

हमें हर स्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए. निराशा से बचें. अगर कोई लक्ष्य हासिल करना है तो लगातार अंतिम पड़ाव तक मेहनत करें. अंतिम पड़ाव पर थक जाएंगे तो काम अधूरा रह जाएगा..इसलिए प्रयास करते रहें.

इसलिए हमें समझना चाहिए कि हम प्रतिपल नए हैं. मगर भारत की चेतना का इस समय ये हाल है कि वो एक चुनाव, नेता और राजनीतिक उठापटक में सालों से फंसी हुई है. हम सबकी सोच जैसे जड़ हो गयी है. और ये बड़ी भयावह स्थिति है. इस समय हम सबको बुद्ध को जानने और समझने की बहुत आवश्यकता है.

ये बुद्ध थे जिन्होंने लोगों को वर्तमान में रहने की महत्ता समझाई. ये बुद्ध थे जिन्होंने पूरे मानव चेतना के एक नए युग कि शुरुआत की. बुद्ध दुनिया के हर समाज, हर धर्म और हर जाति के लिए वैद्य जैसे हैं. जब भी आप स्वयं को मानसिक रूप से बीमार महसूस करें तो बुद्ध की शरण में जाइए. बुद्ध की वो गहरी बंद आखें आपकी आखें खोल देंगी.

हम हजार लड़ाई कर जीत हासिल करते है.. उसमें जो खुशी मिलती है.. इसकी बात ही अलग होती है. इसी तरह खुद पर जीत हासिल करना आपको आना चाहिेए..अगर आपने खुद पर जीत हासिल कर ली तो जीत हमेशा आपकी होगी.

बुद्ध के अनुसार कभी भी किसी के ऊपर शक या संदेह नहीं करना चाहिए. इससे रिश्तों में खटास, दोस्ती में दरार आती है. शक एक ऐसी चीज है..जो कि विष बनकर अच्छे खासे रिश्तों को तोड़ कर तहस नहस कर देती है. शांति हमारे अंदर से आती है.. आप इसे कहीं और न तलाशें.

ऑथर कहते हैं कि Buddha and the badassmentality को अपनाने के लिए हमें पता होना चाहिए कि हम वही बनते है जो हम सोचते है.. .. .. जिस तरह कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है.. . . . यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह खुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती. 

हमेशा हमें अपना काम करना चाहिए... एक सार्थक मिशन की तलाश करनी चाहिए.... . . .कभी भी भविष्य के बारें में नहीं सोचना चाहिए... बिता हुआ कल और आने वाला कल .. दोनों ही कल्पना हैं. इसलिए परिश्रम करते समय अपने अतीत पर नहीं उलझना चाहिए. बस जिस समय आपको मिशन मिल जाए जिससे दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है. उसी वक्त से उस काम को ही भगवान समझ लीजिएगा और  उसी काम पर दिन रात एक कर दीजिएगा.. इसीसे आपको खुशी मिलेगी और आपकी तरफ से मानवता का भी थोड़ा सा भला हो जाएगा. इसलिए ज़िन्दगी को दूसरों के लिए जीना चाहिए.. जब दूसरों को ख़ुशी देने लगेंगे तो आप खुद ही खुश रहने लगेंगे.

कभी भी बोल्ड विज़न से डरना नहीं चाहिए, इससे ग्रेट थिंग्स में मदद मिलती है
क्या आपको flea-in-the-jar experiment? के बारे में पता है? अगर नहीं, तो बता दें कि साइंटिस्ट fleas को ओपन ज़ार में छोड़ देते हैं. उसके बाद क्या होता है? 

जैसा कि सभी को अंदाज़ा है कि fleas ज़ार से बाहर आने लगती हैं. लेकिन फिर साइंटिस्ट कुछ और करते हैं, वो उन्हीं fleas को बंद ज़ार में कुछ दिनों के लिए बंद कर देते हैं. 

इसके बाद जब ज़ार खोला जाता है तो fleas बाहर आने के लिए छलांग नहीं मारती हैं. इसके बाद वो तभी छलांग मारती हैं, जब ज़ार का साइज़ काफी बड़ा कर दिया जाता है. 

इसका सीधा सा मतलब यही है कि fleas की तरह इंसान भी खुद को छोटे विज़न में कैद कर लेता है. जिन लोगों का विज़न छोटा होता है, उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उनके अंदर क्षमता ही कम है? लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. आपको अपनी क्षमता पहचानने के लिए अपने विज़न को बड़ा और बोल्ड बनाना होगा. 

इसलिए ऑथर कहते हैं कि badass एटीट्यूड को अपनाने की कोशिश करिए, अपने विज़न को बोल्ड बनाइए.. जब आपका विज़न बोल्ड होगा.. तब आपकी क्षमता भी बोल्ड हो जाएगी. और याद रखिए कि बोल्ड क्षमता के धनि लोग ही इस दुनिया को बदलने का काम कर सकते हैं. 

बोल्ड विज़न की वजह से आपके सपने बड़े होंगे और जब सपने बड़े होंगे तो आपकी कोशिश भी काबिले-तारीफ़ होगी. इसलिए बड़ी कोशिश करने के लिए अपने सपनों को बड़ा करिए, कभी भी बोल्ड विज़न तैयार करने से खुद को नहीं रोकिएगा...

“optimal work environment”के लिए संवाद के महत्व को समझिए
जीवन में कम्युनिकेशन का बड़ा महत्व है. रोजाना सुबह उठने से लेकर सोने तक हम किसी न किसी से बात करते हैं. इसी कम्युनिकेशन से हमारे करियर की राह तय होती है. यही हमारी सफलता या असफलता का कारण भी बनता है. 

जब भी हमें किसी से कोई शिकायत हो, तो उसकी समीक्षा ठंडे दिमाग से करनी चाहिए और इसलिए कम्युनिकेशन में लिसनिंग (सुनना) एक बहुत जरूरी पहला कदम है.

आप सोचिये, अगर भगवान चाहते कि हम लोग बोलें ज्यादा और सुनें कम, तो शायद दो मुंह और एक कान देते लेकिन ऐसा नहीं है.

जब कम्युनिकेशन गैप होता है, तो हम पूरी सचाई जाने बिना अपने मन से कुछ भी सोच लेते हैं. एक रिसर्च बताती है कि कारपोरेट वर्ल्ड में 60 फीसद प्राब्लम कम्युनिकेशन गैप की वजह से होती है.

इसलिए अगर हम अपने कम्युनिकेशन पर ध्यान दें तो घर परिवार और कार्य क्षेत्र, हर जगह सफलता पा सकते हैं. इसी पर एक बहुत पुरानी कहावत है-ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय, औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय.

अगर आपकी टीम एक दूसरे से और बॉस से फ्री होकर कम्यूनिकेट कर पाएंगे तो उनकी प्रोडक्टिविटी भी कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी. फिर एक ऐसी स्टेज आएगी जब आप और आपका कलीग दिमागी तौर पर सेम स्पीड पर काम कर पाओगे. दोनों की थिंकिंग भी एक दूसरे से मैच होगी. 

न्यूरो साइंटिस्ट इसे ‘brain coupling’ के नाम से जानते हैं. साइंटिस्टस के हिसाब से जब लोग ‘brain coupling’ को एक्सपीरियंस करते हैं. तब उनका दिमाग सेम फ्रीक्वेंसी पर काम करने लगता है. तब उनके काम को देखकर ऐसा लगने लगता है मानो कि उनके पास सुपर ब्रेन हो.. 

अब आप खुद सोचिए कि अगर आपकी टीम, कंपनी या फैमिली में सभी लोग इसी तरीके से सोचना शुरू कर दें. तो सभी की लाइफ में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है? और इसी थिंकिग की मदद से एक “optimal work environment” भी तैयार हो सकता है.

लाइफ को डिज़ाइन करिए और सेट बैक के लिए तैयार रहिए
ऐसा हो सकता है कि आप भी कुछ लोगों को जानते हों, जिन्हें खुद की तारीफ या बुराई से फर्क नहीं पड़ता है. उन्हें सच में कोई लेना देना नहीं रहता है कि कोई दूसरा उनके बारे में क्या सोचता है? 

उन्होंने खुद को ऐसा बना लिया होता है कि वो अपनी लाइफ में मस्त रहते हैं. उन्हें अपने फेलियर से भी कोई दिक्कत नहीं होती है. 

आखिर उन लोगों में ऐसा क्या रहता है? जो उन्हें दूसरों से अलग बनाता है .. उनके अंदर एक ख़ास खूबी रहती है. वो खुद से कम्फर्टेबल हो जाते हैं. ये एक badass quality है और आपको इसे सीखने की ज़रूरत है. 

अधिकत्तर इंसान को अप्रूवल की ज़रूरत पड़ती है, उन्हें तारीफ़ सुनना पसंद होता है. सबसे पहले तो आपको समझना है कि आप जैसे भी हैं खुद के लिए पर्याप्त हैं. आपको किसी के भी अप्रूवल की ज़रूरत नहीं है. 

खुद से प्यार करिए और खुद के प्रति प्यार को समझिए, self-gratitude का सम्मान करना सीखिए.. हर दिन शीशे के सामने खड़े होकर खुद से प्यार का इज़हार करिए.. धीरे-धीरे ऐसा समय आ जाएगा जब आपको खुद से सबसे ज्यादा प्रेम हो जाएगा. 

इन सभी के साथ खुद की लाइफ को खुद ही डिजाइन करने की कोशिश करिए, कोई दूसरा आपकी लाइफ को संवारने नहीं आएगा. आपको खुद ही अपनी लाइफ को डिज़ाइन करना है. इसी के साथ याद रखिए कि कभी भी अपनी ज़िन्दगी को किसी को इम्प्रेस करने के लिए नहीं डिज़ाइन करिएगा. हमेशा, अपनी लाइफ को खुद को इम्प्रेस करने के लिए डिज़ाइन करिएगा. 

इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि अक्सर हम आवेश में आकर कुछ भी बोल देते हैं. 

लेकिन शब्द जब तक हमारे मन के अंदर है, तब तक वह हमारे अधीन है और एक बार हमने बोल दिए तो हम अपने शब्दों के गुलाम हो जाते हैं.

यह एक कटु सच्चाई है कि हम लोग जीवन में दो साल की उम्र तक बोलना सीख लेते हैं, लेकिन कई बार पूरे जीवन में यह नहीं सीख पाते कि बोलना क्या और कैसे है?

हम अपनी ज़िंदगी को उलझा देते हैं, जब ये सोचते हैं कि हमारे कुछ भी करने से दूसरे क्या सोचेंगे. अगर आप भी ऐसी गलती करते आए हैं, तो अब इसे दोहराने से बचें. अगर किसी काम को करने की इच्छा आप रखते हैं, तो उसे बेझिझक करें.

ज़िन्दगी के सभी पहलुओं पर जीत हासिल करिए
क्या आपको याद है कि आप सफलता के पीछे कब भागना शुरू कर दिए थे? या फिर आपको एहसास हुआ था कि दुनिया केवल सफल लोगों को ही याद रखती है. 

अगर ऐसा है तो सबसे पहले अपने कांसेप्ट को क्लियर करिए, पहली बात सफलता एक निज़ी नज़रिया है. मेरे लिए जो सफलता के मायने हैं, हो सकता है कि वो मायने आपके लिए सही नहीं हों.. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं असफल हूँ.. दूसरी बात लाइफ का मेन गोल कभी भी सफलता नहीं होनी चाहिए. 

आपको ये सुनकर अजीब लग सकता है लेकिन ये सच है. लाइफ का मेन गोल ग्रोथ होनी चाहिए. आपकी कोशिश होनी चाहिए कि ज़िन्दगी में हर पहलू में बढ़ोतरी होती रहे. 

ग्रोथ करने के लिए सबसे ज़रूरी टूल transformation है. मतलब साफ़ है कि आपके अंदर कुछ नया सीखने का जज़्बा कभी भी खत्म नहीं होना चाहिए. जितना मौके मिले उतना ज्यादा सीखने की कोशिश करते रहिये. 

याद रखिए कि किसी ने बहुत खूब कहा है कि “तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा.. प्यासे के पास समन्दर भी आएगा..” 

कुछ नया और अलग करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती बल्कि लगन और कुछ अलग करने का जज्बा होना जरुरी है लेकिन इसके लिए जोश, हिम्मत और सर्वोच्च विचार मन में विकसित करने पड़ेंगे.

 अगर सफल होना है तो निरंतर बड़ा और बेहतर सोचना होगा तथा खुद को साबित करने के लिए इमानदारी से कोशिश करनी होगी.

इसी के साथ ऑथर कहते हैं कि हर इंसान के जीवन में कभी ना कभी मुश्किलें जरूर आती हैं. कुछ लोग इन मुश्किलों से हार मान लेते हैं तो कुछ टूटकर पूरी तरह से बिखर जाते हैं, वहीं कुछ लोग मुश्किलों का डटकर सामना करते हैं और सफलता की नई कहानियां लिख देते हैं. ज़िंदगी में कुछ अच्छा करने के लिए और आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है. मन में नया जोश हो, नई उम्मीदें हों और हर मुश्किल को पार करने का जज्बा हो तो इंसान बड़े से बड़े तूफान का भी सामना कर सकता है. 

आपके जीवन में भी कई बार ऐसी मुश्किलें आई होंगी जब आपको समझ नहीं आ रहा होगा कि क्या करें, क्या नहीं.. ऐसी परिस्थिति से निकलने में एक मार्गदर्शक, एक मेंटर की बहुत जरूरत होती है. इसलिए आप मेंटर के तौर पर “The Buddha and the Badass” पर्सनालिटी को अपना सकते हैं. और अपने साथ दूसरों की लाइफ को भी पूरी तरह से बदल सकते हैं.

ख़ुद को अलग नज़रिए से देखने की शुरुआत कर दीजिए, ज़िन्दगी अपने आप बदल जाएगी
कल्पना कीजिये कि आप खुद को कैसा देखना चाहते हैं? खुद की ideal self बनाने की कोशिश करिए..इतना समझ लीजिए कि अगर आप खुद को पहचान लेंगे तो आप वो बन जाएंगे. जो आप बनना चाहते हैं. 

बस कुछ बातों का ख्याल रखिए .. जैसे कि इंसान को कभी सीखना बंद नहीं करना चाहिए..जो व्यक्ति लगातार सीखता रहता है वही आगे बढ़ता है. आपको अपनी अच्छी और बुरी दोनों परिस्थितियों से सीखना चाहिए.

बुरी परिस्थितियां व्यक्ति को और मजबूत बनना सीखाती हैं, वहीं अच्छी परिस्थितियां जीवन जीने का नया नज़रिया देती हैं.

कई बार लोगों को लगता है कुछ नया सीखने की एक उम्र होती है. इसलिए वो एक समय के बाद सीखना बंद कर देते हैं. लेकिन यही जीवन की सबसे बड़ी गलती होती है. जो व्यक्ति सीखना बंद कर देता है या अपने सीखने की आदत छोड़ देता है वो उसी समय से असफलता की ओर जाने लगता है. वहीं जो व्यक्ति लगातार नई तकनीक, नई चीज़ें सीखता है, वो हमेशा आगे बढ़ता है. इसलिए आपको कभी भी सीखना बंद नहीं करना चाहिए और लगातार हर चीज़ से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए.

इसी के साथ याद रखिएगा कि सपने देखने वालों के लिए रात छोटी पड़ जाती है जबकि सपने पूरा करने वालों के लिए दिन छोटा पड़ जाता है. 

ऑथर कहते हैं कि जो व्यक्ति सिर्फ सपने देखते हैं उनके लिए रात छोटी पड़ जाती है. वहीं जो व्यक्ति सच में अपने सपने को, अपने लक्ष्यों को पूरा करना चाहते हैं उनके लिए दिन भी छोटा पड़ जाता है.

अपने सपनों को पूरा करने वाला व्यक्ति लगातार दिन-रात मेहनत करता है. अगर सफल लोगों के जीवन पर एक नज़र डालें तो आप पाएंगें ये लोग रात-दिन लगन के साथ अपना काम करते हैं और उनका सारा ध्यान केवल उनके लक्ष्य पर होता है. उन्हें किसी बात की परवाह नहीं होती. वो गर्मी, सर्दी, बरसात की परवाह किए बिना केवल अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में काम करता रहता है. इसलिए सफल भी वही व्यक्ति होता है जो बिना किसी बात की परवाह किए अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ता है. 

याद रखिए कि ऑथर कहते हैं कि आज से ही खुद को देखने का नज़रिया पूरी तरह से बदल दीजिए.. आपकी ज़िन्दगी खुद ब खुद बदलने लगेगी.

कुल मिलाकर
जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए एकदम रम जाते हैं वही अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. कोई व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो वो तब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त नही कर सकता जब तक उसके अंदर जुनून नहीं होगा. ज़िन्दगी और काम का कठिन होना ज़रूरी नहीं है. सब कुछ सरल से सरल करके भी ख़ुशियों को फील किया जा सकता है. ज़िन्दगी की ख़ूबसूरती कठिन होने में नहीं है. बल्कि सरल और सुगम होने में है. 

क्या करें? 

सपनों को पूरा करने के लिए उड़ान भरिए, कहीं गलती हो जाए तो कोई बात नहीं.. फिर से कोशिश करिए और किसी से भी नहीं डरिए..लाइफ और खुशियाँ आपका इंतज़ार कर रही हैं. 

 

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