Ron Chernowa
जॉन डी रॉकफेलर (सीनियर) की बायोग्राफी
दो लफ्जों में
टाइटन (1998) 19वीं सदी और 20वीं सदी की शुरुआत में इंडस्ट्री का सबसे बड़ा नाम रहे, ऑयल टाइकून और स्टैंडर्ड ऑयल के फाउंडर, जॉन डी रोकफेलर (sr) की बायोग्राफी है। यह समरी हमें रॉकफेलर के सादगी भरे बचपन से लेकर अमेरिका के सबसे अमीर आदमी बनने और अजीब हालातों में हुये रिटायरमेंट की कहानी बताती है। इसे पढ़कर हमें रॉकफेलर की पर्सनल जिंदगी, बिजनेस के तरीकों और फिलैंथरोपिक कामों के बारे में पता चलता है।
यह किनके लिए है
- इंस्पायरिंग लाइफ स्टोरी और बायोग्राफी पसंद करने वालों के लिए
- एडवोकेट और कैपिटलिज्म के जानकार के लिए
- इंस्पिरेशन की तलाश कर रहे एंटरप्रेन्योर्स के लिए
लेखक के बारे में
रॉन चर्नेव, "द हाउस ऑफ मोरगन", "द वारबग्स", "वाशिंगटन- अ लाइफ एंड एलेग्जेंडर हैमिल्टन" जैसी कई बेस्ट सेलिंग किताबों के अवॉर्ड विनिंग लेखक हैं। उन्होंने, नेशनल बुक अवार्ड, द जॉर्ज एस. एकल्स और पुलित्जर प्राइज सहित सात ऑनरी डॉक्टरल डिग्री हासिल की हैं।
फादर की गैर मौजूदगी की वजह से यंग जॉन डी रॉकफेलर की फैमिली अक्सर शिफ्ट होती रहती थी
बहुत कम लोग ही जॉन रॉकफेलर की तरह अमेरिकन ड्रीम को समझ पाते हैं, उनकी जिंदगी रंक से राजा बनने की कहानी है। रॉकफेलर सेल्फ मेड, फोकस्ड और अपने करियर में लगातार आगे बढ़ने वाली शख्सियत थे। उन्होंने इस बात का टेंपलेट बनाया कि अमीर होने का असल मतलब क्या होता है और समझा कि दौलत इकट्ठा करने के लिए नहीं बल्कि जरूरतमंदों के काम के लिए होती है। वह एक अकलमंद बिजनेसमैन थे। उनका मकसद फॉरेन मार्केट में इनफ्लुएंस रखते हुए, अपनी कंपनी स्टैंडर्ड ऑयल के ज़रिए देश में मोनोपोली स्टैबलिश करना था। हालांकि, उनके बिजनेस एंपायर का बिखरना उनके लिए किसी मेंटल ब्रेकडाउन की वजह नहीं बना, बल्कि अपनी समझदार इन्वेस्टमेंट के जरिए वह और ज़्यादा अमीर हो गए। इसने सोशल वेलफेयर और चैरिटेबल कामों के लिए इंस्पायर किया, जो रॉकफेलर लिए अपने बिजनेस से जुड़े कामों से कहीं ज्यादा इंपॉर्टेंट था। इस समरी में आप जानेंगे कि किस तरह की खोज रॉकफेलर द्वारा इंस्पायर्ड थी? किस तरह की डाइट और एक्सरसाइज के ज़रिए इस अमीर शख्स ने बेहतरीन बुढ़ापा गुजारा? और कितने नोबेल प्राइज विनर रॉकफेलर के कर्जदार हैं?
1723 के आसपास जोहान पीटर रॉकफेलर नाम के जर्मन मिलर अपने बीवी बच्चों और सामान के साथ यूनाइटेड स्टेट चले गए। फिलाडेल्फिया आने के बाद वह न्यू जर्सी के एमवेल की एक फार्म में ठेहरे, वक्त के साथ कुछ प्रॉपर्टी भी बनायी। यह उस फैमिली के लिए सिंपल शुरुआत थी जिसके बीच से, सिर्फ एक सेंचुरी बाद, अमेरिकन हिस्ट्री का बहुत ही अमीर शख्स जॉन डी रॉकफेलर निकलने वाला था।
1939 में न्यू जर्सी के रिचफोर्ड में जन्मा, जॉन डेविसन रॉकफेलर नाम का यह शख्स बाद में "द आयल टाइटन" के नाम से जाना गया। वह बिल एवरी और एलिज़ा डेविसन रॉकफेलर की दूसरी औलाद और पहले बेटे थे।
उन्होंने शुरुआत के कुछ साल रिचफोर्ड में गुजारे। रिचफोर्ड एक स्कूल हाउस चर्च वाला छोटा सा कस्बा था, लेकिन यहां मौजूद आरामिलें, कॉर्न की मिलें, और व्हिस्की को डिस्टिल्ड करने वाली मशीनों ने इसे एक ग्रोइंग इंडस्ट्रियल एरिया बना दिया था।
1840 की शुरुआत में, रॉकफेलर के फादर ने अपनी फैमिली को रिचफोर्ड से कुछ 30 मील दूर मौजूद, मुराविया के एक बेहतर कस्बे में शिफ्ट करने का फैसला किया। रॉकफेलर का फ्रेंड ग्रुप पीछे रह गया। ब्यूक्लिक मोराविया में यंग रॉकफेलर की जिंदगी का एक इंपॉर्टेंट अच्छा गुजरा क्योंकि इसी दौरान उन्होंने अपने फादर के बिजनेस में तरक्की देखी।
फैमिली रिलीजियस थी। रॉकफेलर बैपिस्ट की तौर पर बड़े होए और उनकी जिंदगी पर चर्च का खासा असर रहा। ना सिर्फ रॉकफेलर को एक एथिकल लाइफ जीनी थी, बल्कि बैपिस्ट रिलीजियस प्रिंसिपल ने उन्हें सेल्फ-इप्रूववमेंट और ऑनर के वैल्यूज़ भी सिखाए। हालांकि 1850 में, रॉकफेलर के फादर बिल पर एक यंग हाउस हेल्प के रेप का इल्ज़ाम लगने के बाद फैमिली को एक बार फिर शिफ्ट होना पड़ा, इस बार वह पेंसिलवेनिया बॉर्डर के आवेगो गए। रॉकफेलर के बचपन में बिल की जिंदगी कुछ क्लियर नहीं थी, ऐसा लग रहा था वह दोहरी जिंदगी जी रहे हैं। वह एक ट्रैवलिंग सेल्समैन थे जो अक्सर महीनों भर गायब रहते थे। बिल की गैरमौजूदगी में एलिज़ा ने रॉकफेलर को कुछ काम सिखाए, जिससे वह जल्द समझदार हो गए। रॉकफेलर अपने भाई-बहनों के लिए भाई से बढ़कर बाप की तरह थे।
रॉकफेलर ने 16 की उम्र में बिज़नेस की दुनिया में कदम रखा और बड़ी तेज़ी से कामयाबी हासिल की
1853 में, बिल रॉकफेलर ने अपनी फैमिली से एक बार फिर शिफ्ट करने के लिए कहा। विगो से वह क्लीवलैंड के करीब मौजूद, ओहियो के शहर स्ट्रोंग्सविल्ले चले गये। उनके दूसरे घरों की तरह ही यह नयी जगह भी एडवांसमेंट की तरफ बढ़ रही थी। रॉकफेलर भी यहां आने वाला एक पढ़ा लिखा नौजवान था, एरिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी, ओवेगो अकैडमी की पढ़ायी ने उसे एक एजुकेटेड इंसान बनाया था।
2 साल बाद ही 1857 में उसने अपनी पहली नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी। यह काम थोड़ा मुश्किल था लेकिन रॉकफेलर के इरादे मज़बूत थे। और आखिर में कमीशन मर्चेंट हेविट और टटल ने उसे मौका दिया, 16 साल की उम्र में उसे लेटर लिखने, रिकॉर्ड रखने और कर्ज़ जमा करने की जिम्मेदारी दी गई। उस लड़के ने पहला कदम बढ़ा लिया था। वह अपने आप को आजाद महसूस करने लगा था और अब पैसों के लिए उसे अपने फादर पर डिपेंडेंट रहने की ज़रुरत नहीं थी। हेविट और टटल इस यंग बिजनेसमैन के लिए परफेक्ट ट्रेनर्स थे। जब 28 साल के इंग्लिशमेन, मॉरी बी क्लर्क के द्वारा बिजनेस का मौका मिला, तो रॉकफेलर में दोनों हाथों से उसे थाम लिया।
1858 में क्लर्क और रॉकफेलर की पार्टनरशिप हो गई। शुरुआत में इनकी पार्टनरशिप ने खरीदने और बेचने का काम किया है जिसके ज़रिए इन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती थी। क्लर्क के एक फ्रेंड, केमिस्ट सैमुअल एंड्रिव की वजह से, 1853 में इन दोनों ने ऑयल रिफायनिंग में पहला कदम रखा। रॉकफेलर ने तेल साफ करने के पीछे की साइंस समझ ली थी, जिसे हम रिफाईनिंग कहते हैं।
हालांकि 1865 तक क्लर्क और रॉकफेलर के रिश्ते खराब हो गए थे। रॉकफेलर ने एक ऑक्शन (बोली) में जॉइंट बिजनेस खरीद लिया। उसने एक नई ऑयल रिफायनिंग पार्टनरशिप, रॉकफेलर एंड एंड्रिव्स की शुरुआत की।
लाइफ बिजनेस नहीं होती। बैपिस्ट मिशन चर्च में, उनकी मुलाकात एक दर्यादिल रिलीजियस लड़की से हुई। 1864 में उन्होंने लॉरा "शेट्टी" स्पेलमन से शादी कर ली थी।
1860 के आखिर में, रॉकफेलर ने अपने ऑयल इंटरेस्ट को स्टैंडर्ड ऑयल कंपनी में लगा दिया। 1875 तक, रॉकफेलर अमेरिकन ऑयल इंडस्ट्री के किंग बन गए थे
जिस पेट्रोलियम डील की वजह से रॉकफेलर ने पैसे और पापुलैरिटी की तरफ कदम बढ़ाया था उसके बीच में झील के किनारे वाला रेलरोड़ आ रहा था। इसने रॉकफेलर को अपना तेल शिफ्ट करने के लिये ट्रांसपोर्टेशन की कीमत में बड़ी छूट देने की गारंटी दी। उस वक्त ऑल काफी सस्ता हुआ करता था, इसका मतलब है वह पेट्रोलियम बिजनेसेस कंपटीशन बन सकते थे,जो अपनी मार्जिन कम रख रहे थे।
रॉकफेलर इस चीज़ को लेकर अलर्ट थे, उन्हें बिजनेस की समझ थी और जानते थे कि रेलरोड़ कम्पनियों को क्या चाहिये-आॉयल सप्लाई, जोकि वह उन्हें प्रोवाइड कर सकते थे।
1868 के बहार के मौसम में, डील लॉक हो गई थी। डील के मुताबिक़, रेलरोड़ रॉकफेलर का रिफाइंड आयल क्लीवलैंड न्यूयॉर्क पहुंचाने वाला था, जिसके लिए रॉकफेलर को हर बैरल पर $1.65 की कीमत अदा करनी होगी जबकि लिस्टेड रेट $2.40 था। इसके बदले रॉकफेलर को हर रोज रिफाइंड ऑयल का 60 कारलोड सप्लाई करना था। इतने बड़े ऑर्डर के लिए, रॉकफेलर को लोकल ऑयल रिफायनर्स से शिपमेंट कोआर्डिनेशन की ज़रूरत थी। लेकिन इस काम में मेहनत से ज़्यादा फायदा था।
यह पहली बार था, जब रॉकफेलर ने अपने कंपीटीटर से अच्छी खासी बढ़त हासिल की थी।
इसी दौरान रॉकफेलर की फैमिली यूक्लिड एवेन्यू चली गई थी, क्लीवलैंड में मौजूद वह स्ट्रीट जो शहर के अमीर लोगों की पसंद थी। रॉकफेलर ने ऐसा, 1866 में, अपने पहले बच्चे एलिजाबेथ की पैदाइश पर अपने सोशल स्टेटस में बदलाव लाने के लिए किया।लेकिन रॉकफेलर के बिजनेस का काम खत्म नहीं हुआ था।
पहला कदम उस पार्टनरशिप को खत्म करना था, जो उन्होंने एड्रिव और दूसरे बिजनेसमैन हेनरी फ्लैग्लर के साथ की थी। 10 जनवरी, 1873 को इसे ज्वाइंट-स्टॉक कॉर्पोरेशन स्टैंडर्ड आयल नाम की कंपनी से रिप्लेस कर दिया गया, जिसके प्रेसिडेंट रॉकफेलर थे।
1871 में रॉकफेलर ने लार्ज स्केल टेकओवर्स की शुरुआत कर दी। रॉकफेलर का आईडिया इन पैट्रोलियम बिजनेसेस और रिफायनर्स को स्टैंडर्ड आयल में शामिल करना था। इसकी शुरुआत अमेरिकन रिफायनिंग इंडस्ट्री में 10% के कंट्रोल से की गयी, लेकिन खात्मा स्टैंडर्ड ऑयल की मोनोपोली से हुआ।
1875 तक, रॉकफेलर अमेरिकन ऑयल इंडस्ट्री के किंग बन गए थे, लेकिन दाम को किफायती रखना उनकी आदत में शामिल रहा।कामयाबी के पहिए बढ़ रहे थे, रॉकफेलर का स्टैंडर्ड ऑयल एंपायर कंपटीशन का सामना करते हुए और तेजी से बढ़ रहा था।सबसे बड़ी बात यह थी कि 1874 में स्टैंडर्ड आयल ने पिट्सबर्ग की 50% आॅयल रिफायनिंग कैपेसिटी पर कब्ज़ा कर लिया था। इसने फ़िलाडेल्फ़िया की सबसे बड़ी रिफाइनरी को भी हासिल कर लिया था।
यह सब स्ट्रैटेजी का हिस्सा था, रॉकफेलर ने, पिट्सबर्ग, फ़िलाडेल्फ़िया और न्यूयॉर्क की उन रिफाइनरीज़ को ख़रीदने पर ध्यान दिया जो रेलरोड और शिपिंग हब के करीब थीं। और इस वजह से, वह अपने प्रोडक्ट को ट्रांसपोर्ट करने के लिए बेहतर शर्तों पर नेगोशिएट कर सकते थे। अब इंडिपेंडेंट रिफाइनरीज़ किसी भी तरह कंपटीशन नहीं कर सकती थीं।मई 1875 तक, ऐसा लगने लगा जैसे अमेरिका की रिफायनिंग इंडस्ट्री रॉकफेलर की हथेली में हो। 35 की उम्र तक, अमेरिका की बड़ी रिफाइनरीज़ पर उनका कंट्रोल था, और स्टैंडर्ड ऑयल अपनी मोनोपोली चला रही थी।
हालांकि क्रोएसस (लीडिया के राजा) जितना अमीर होने के बावजूद, रॉकफेलर सादगी भरी जिंदगी गुजार रहे थे। वह अपने एक एवरेज से ऑफिस में खतों को पढ़ने और लिखने का काम, रेगुलरली करते थे।
इससे भी ज्यादा यह कि, रॉकफेलर को उनके इंप्लाएज़ पसंद करते थे। रॉकफेलर का बिहेवियर एक अमीर बॉस की तरह नहीं था। एंपलॉयज़ को काम की अच्छी सैलरी और पेंशन मिलती थी, यहां तक की किसी भी तरह की सलाह या शिकायत होने पर एंपलॉयज़ पर्सनली रॉकफेलर के पास जा सकते थे।जहां तक पर्सनल खरीद-फरोख्त की बात थी, रॉकफेलर दिखावटी नहीं थे, वह बड़ी बड़ी हवेलियों के बजाय आम सी जमीनें खरीदना पसंद करते थे।
1873 में, उन्होंने अपने क्लीवलैंड वाले घर से कुछ मील ईस्ट में, फॉरेस्ट हिल पर बसा 79 एकड़ का एक बहुत खूबसूरत ग्रामीण इलाका खरीदा। यहीं पर उनकी फैमिली ने अपना गर्मियों का वक्त बिताया। एलिजाबेथ के बाद रॉकफेलर के चार और बच्चे थे, 1871 में अल्ता, 1872 में एडिथ और 1874 में जॉन जूनियर।
न्यूयॉर्क बेस्ड स्टैंडर्ड आयल का विदेशी कंपनियों से कंपटीशन शुरू हो गया
1877 तक, स्टैंडर्ड आयल की अमेरिकन रिफाइनरी में मोनोपोली चल रही थी।सिर्फ एक बार ही स्टैंडर्ड ऑयल को चुनौती मिली थी।एंपायर ट्रांसपोर्टेशन कंपनी ने स्टैंडर्ड के बजाय उनकी रेलरोड टैंक कार इस्तेमाल करने पर रिफाइनर्स को छूट देनी शुरू कर दी। लेकिन स्टैंडर्ड ने उनसे कम दाम लगाकर इस कंपटीशन को खत्म कर दिया।
जब तक यह कंपटीशन खत्म हुआ 38 साल के रॉकफेलर ने 90% रिफाइनरी इंडस्ट्री पर कब्जा कर लिया था बाकी के 10 परसेंट कुछ छोटे-मोटे रिफाइनरी ही बचे रह गए थे।
हालांकि 1880 के शुरुआत में, स्टैंडर्ड ऑयल को लीगल और फाइनेंशियल मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यह खासतौर पर इस फैक्ट पर बेस्ड था, कि कंपनी स्टेट बॉर्डर के बाहर भी ऑपरेट कर रही है, हालांकि स्टैंडर्ड ऑयल का कंट्रोल सेंटर के पास था। ख़तरा तब बढ़ गया जब कई स्टेट के लेजिस्लेचर ने एंटीट्रस्ट लॉ पेश कर दिया।
इस प्रॉब्लम के सल्यूशन के तौर पर स्टैंडर्ड ऑयल के लॉयर ने स्टेकहोल्डर की एक यूनियन बनाने की वकालत की। इस तरीके से स्टैंडर्ड ऑयल की हर स्टेट में अलग कंपनियां बनाई जा सकती थी, लेकिन उसका कंट्रोल सेंट्रल एग्जीक्यूटिव के पास ही रहेगा।नतीजतन, 1882 में स्टैंडर्ड ऑल ट्रस्ट बनाया गया।
इसके बाद 1883 में रॉकफेलर अपने ऑफिस और फैमिली के साथ न्यू यॉर्क शिफ्ट हो गए। अब रॉकफेलर की गिनती यूनाइटेड स्टेट के 20 सबसे अमीर शख्सियतों में होने लगी। कॉस्मोपॉलिटन न्यू यॉर्क में भी रॉकफेलर की आदत क्लीवलैंड वाली ही रही। उन्हें महंगे डिनर, बॉल्स और थिएटर पसंद नहीं थे।
अमेरिका में इस सक्सेस के साथ ही रॉकफेलर विदेश के लिए रास्ते बना रहे थे। 1880 के मिड (मध्य)तक, 70% अमेरिकन आयल यूरोप, एशिया और मिडिल ईस्ट को एक्सपोर्ट होता था।लेकिन स्टैंडर्ड ऑल के पास इसका कोई खास अपना तरीका नहीं था।
स्वीडन की नोबल फैमिली यूरोपीयन मार्केट में सस्ता केरोसिन, लैंप जलाने में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल, सप्लाई करने के लिए रशियन रिफाइनरीज़ इस्तेमाल किया। रोथ्स्चिल्डस ने अपना बैंकिंग मुनाफा कैस्पियन और ब्लैक सी ऑयल की नयी कंपनी में इन्वेस्ट किया।
इन सब चुनौतियों के बावजूद, रॉकफेलर, सर्वे की गई सभी घरेलू और ग्लोबल ऑयल मार्केट में सबसे बेहतर थे।
स्टैंडर्ड ऑयल ने ऑयल प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया और रॉकफेलर ने न्यू शिकागो यूनिवर्सिटी को फंड भी दिए।
फॉरेन मार्केट के कंपटीशन से निपटने के लिए स्टैंडर्ड आयल की स्ट्रेटजी लगभग वही थी जो इसने यूनाइटेड स्टेट में अपनायी थी, इसने अपनी कीमत में भारी कमी की और रशिया के केरोसीन को तबाह करने के लिए व्हिस्परिंग कैंपेन भी किया।
1880 तक, स्टैंडर्ड ऑयल ने अपने कंपटीशन को तबाह करके ग्लोबल मार्केट का 80% हिस्सा हासिल कर लिया।
इसी बुलंदी से स्टैंडर्ड आयल ने अपना अगला अटैक किया। इस वक्त तक, कंपनी ऑयल रिफायनिंग और पेट्रोलियम बेचने तक ही लिमिटेड थी। लेकिन जब पेंसिलवेनिया के बाहर जरूरत भर आयल डिपॉजिट की प्रेजेंस स्टैबलिश् कर ली गई, तो इसने आयल फील्ड में भी कंट्रोल करने के लिए कदम आगे बढ़ाए। 1980 की शुरुआत में स्टैंडर्ड ऑयल ने इंडिपेंडेंट फॉर्म की शुरुआत की लेकिन जल्दी अमेरिकन ऑयल प्रोडक्शन के चौथाई हिस्से पर इसने कब्जा कर लिया।
कंपनी के इस रवैया की वजह से इसकी इमेज एक बड़े ऑक्टोपस की बन गई जो चारों ओर अपना जाल बिछा रही थी।इस इमेज के बावजूद रॉकफेलर ने चैरिटेबल और फिलंथ्रोपिकल वजहों से डोनेट करना जारी रखा। वह इस बात पर बहुत गर्व करते थे, और हर रोज़ उन्हें मदद के लिए बहुत सारी रिक्वेस्ट आती थी।
और कुछ इसी तरह 1990 में रॉकफेलर ने शिकागो यूनिवर्सिटी की मदद की थी उन्होंने अमेरिकन बैपिस्ट सोसाइटी को $60000(आज की कीमत के हिसाब से 9.5 मिलियन डॉलर) देने से शुरुआत की, जो प्रोजेक्ट लीड कर रही थी।
उसके बाद, 1892 में, रॉकफेलर ने 1.35 मिलियन डॉलर (आज की कीमत में 22 मिलियन डॉलर) डोने किए। इतना डोनेट करने के बावजूद, सालों तक वह यूनिवर्सिटी के टच में रहे।
यकीनन रॉकफेलर के दरियादिली वाले काम नि:स्वार्थ नहीं थे, इसने उनकी काफी ज्यादा पब्लिसिटी की। अब अमेरिकन न्यूज़ पेपर में उनकी चर्चा सबसे अमीर इंसान की तौर पर होने लगी, और डोनेशन की दरियादिली से एथिकल बिजनेसमैन की तौर पर उनकी इमेज बना रही थी।
1897 में रॉकफेलर रिटायर हो गए और उनके बेटे ने स्टैंडर्ड ऑयल में अपनी पारी शुरू की, रिटायर होने पर भी रोकफेलर ने अपने फिलांथ्रोपिक काम जारी रखे
वैसे तो रॉकफेलर को काफी क्रिटिसाइज किया जाता था लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा हेनरी लॉयड ने क्रिटिसाइज किया। 1994 में लॉयड ने वेल्थ अगेन कॉमलवेल पब्लिश की जोकि रॉकफेलर पर घिनौने कैपिटलिज्म के इल्ज़ामों की सीरीज थी।बुक को काफी ऑडियंस मिलने के बावजूद रॉकफेलर किताब के वजह से नहीं बल्कि अपनी खराब हो रही सेहत की वजह से टेंशन में थे।वैसे तो रॉकफेलर मज़बूत और हेल्थी थे। 1980 के दौरान स्ट्रेस रिलेटेड अल्सर की वजह से उनके डाइजेशन में दिक्कत हो गई, वह सिर्फ दूध और लंच में क्रैकर्स कि खा पाते थे।
सितंबर 1997 में सर्कुलेटरी सिस्टम से जुड़ी दिक्कतों की वजह से रॉकफेलर का करियर खत्म हो गया। बिना पब्लिकली अनाउंस किए रॉकफेलर शांति से उस आयल एंपायर से चले गए जो लगभग 30 सालों तक उनकी जिंदगी था।रॉकफेलर की रोज़मर्रा की जिम्मेदारियां उनके डिप्टी जॉन डी आर्चबोल्ड के हाथों आ गई। और वह नाम भर के लिये न्यू जर्सी स्टैंडर्ड आयल के प्रेसिडेंट रह गए।
रॉकफेलर के पास अब भी स्टैंडर्ड आयल का 30% स्टॉक था और यह एक समझदारी का फैसला था, क्योंकि इस वक्त तक अमेरिका में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का जन्म हो चुका था। जल्द ही पहले से भी कहीं ज्यादा तेल निकाला जाने वाला था।रॉकफेलर के रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही उनके 23 साल के बेटे, जॉन डेविसन जूनियर ने ब्राउन यूनिवर्सिटी से निकलते ही फर्म ज्वाइन कर ली। उसने 1 अक्टूबर 1897 से न्यूयॉर्क के 26 ब्रॉडवे में मौजूद स्टैंडर्ड ऑयल के ऑफिस में काम करना शुरू किया।
अपने फादर के उत्तराधिकारी की तौर पर फर्म ज्वाइन करने के बावजूद शुरुआत में जूनियर रॉकफेलर ने स्टैंडर्ड ऑयल में मैनेजमेंट का काम संभालने के बजाय अपने फादर के इन्वेस्टमेंट और फिलांथ्रोपिक प्रोजेक्ट्स पर काम किया। यह एक समझदारी भरा फैसला था, आखिरकार जूनियर रॉकफेलर भी अपने पैरंट्स की तरह ही मेहनती और ब्राइट था।
जब रॉकफेलर रिटायर हुए, एक एवरेज अमेरिकन $500 कमाता था। वहीं दूसरी तरफ रॉकफेलर के लिए यह वैल्यू 10 मिलियन डॉलर थी- यह तब की बात है जब अमेरिका में इनकम टैक्स नहीं आया था।इस बात में कोई हैरत नहीं, कि रॉकफेलर दौलत का सिंबल बन गए थे।
हालांकि, रॉकफेलर ने अपने रिटायरमेंट को ऐश-आराम से गुज़ारने के बजाए, अपना फिलोंथ्रोपिक मिशन जारी रखा। इसके लिए वह पुराने बैपिस्ट प्रीचर और बैपिस्ट एजुकेशन सोसाइटी के प्रेसिडेंट फ्रेडरिक टी गेट्स पर डिपेंडेंट थे, वही एजुकेशन सोसायटी, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो स्टैबलिश करने के लिए, रॉकफेलर ने डोनेशन दिया था।
प्रीचर के द्वारा प्रोवाइड की जा रही ऑर्गेनाइजेशंस की लिस्ट की वजह से रॉकफेलर को अपना चैरिटेबल एंपायर बढ़ाने में मदद मिली। वह किसी खास इंसान को डोनेशन देने के बजाय ऑर्गेनाइजेशन को देना पसंद करते थे और इसके बदले उन्हें अनक्वेश्चंड पब्लिक सपोर्ट मिला।
इसका एक बेहतरीन एग्जांपल हेल्थ केयर है। जून 1991 में, रॉकफेलर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च बनाया गया था। उसमें छोटे-छोटे हॉस्पिटल्स भी थे जो मुफ्त में इलाज करते थे। इंस्टिट्यूट, जिसे बाद में रॉकफेलर यूनिवर्सिटी का नाम दे दिया गया, ने बेहतरीन रिसर्चर्स की एक टीम बनाई। 1970 तक यूनिवर्सिटी को 16 नोबेल प्राइज मिले। बहुत हद तक इसका क्रेडिट रॉकफेलर द्वारा किए गए $61 मिलीयन के डोनेशन को जाता है।
इन सभी कामों के बावजूद स्टैंडर्ड आयल के ख़िलाफ़ प्रेस कैंपेन बढ़ता जा रहा था। यकीनन इसके पीछे नया रिच और प्रॉस्परस इंडस्ट्रियल क्लास था।सबसे ज्यादा अटैक इडा टारबेल द्वारा किया गया। 3 सालों तक उन्होंने रॉकफेलर की बेरहम कैपिटलिस्ट अप्रोच और स्टैंडर्ड ऑयल के काम करने के भयावह तरीके को एक्सपोज करने के लिए मॅकक्लूर मैगजीन में आर्टिकल लिखे।टारबेल के क्रिटिसिज्म से रॉकफेलर को तकलीफ तो हुई लेकिन अपने घमंड की वजह से उन्होंने कभी पब्लिकली ज़ाहिर नहीं किया।
जहां एक तरफ प्रेस रॉकफेलर के गैर हाज़िर पिता की तलाश में थी, वही रॉकफेलर फिलैंथरोपिक (परोपकारी) कामों में बिजी थे
इडा टारबेल ने रॉकफेलर पर कीचड़ उछालने की अटूट कोशिश की। असल में, उनके काम की वजह से ही खोजी पत्रकारिता के स्कूल को पहचान मिली।इडा की सबसे बड़ी कामयाबी रॉकफेलर के पिता, बिल को ढूंढ लेना था, जोकि अभी जिंदा थे।प्रेस उन्हें ढूंढने की नाकाम कोशिश कर रही थी और इसी वजह से पब्लिक का इंटरेस्ट भी बढ़ता जा रहा था। टारबेल और उसकी असिस्टेंट ने वह सुराग ढूंढ निकाले जिसपर बाकी का मीडिया टूट पड़ा।एक लंबे वक्त से बिल रॉकफेलर दोहरी जिंदगी जी रहे थे। जिसे रॉकफेलर ने ख़त्म करने की मांग की थी। बिल ने अपनी दूसरी पहचान डॉ लविंगस्टन के तौर पर बनाई थी- जबकि उनके पास मेडिकल लाइसेंस भी नहीं था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका अमृत हर तरह की बीमारी का इलाज कर सकता है।
इससे भी ज्यादा यह कि उन्होंने दो शादियां की थी। रॉकफेलर की मां एलिज़ा को बिना तलाक लिए छोड़कर मार्गरेट एलेन से दूसरी शादी कर ली थी।हालांकि, टारबेल और प्रेस ने बिल रॉकफेलर की सच्चाई का पता लगा लिया था, लेकिन वह उनका इंटरव्यू नहीं ले पाए, क्योंकि एक्सपोज़ होने के तुरन्त बाद 1906 में उनकी डेथ हो गई थी।
इसके बावजूद छोटे रॉकफेलर का ध्यान कहीं और था वह अपने फिलैंथरोपिक कामों का दायरा बढ़ाना चाहते थे। 1902 में रॉकफेलर ने जनरल एजुकेशन बोर्ड (GEB) बनाया, जिसका मकसद खासतौर पर साउदर्न ब्लैक के लिए हाई स्कूल बनाना था। उस वक्त लगभग 50% लोगों इल्लिट्रेट थे, वाइट्स को मिलाकर, साउथ में कुछ लोगों की ही पहुंच चार साल के ग्रेजुएशन तक थी, जो कि आज कॉमन बात है।
1910 तक, 800 साउदर्न स्कूल बनकर तैयार हो गए थे, इनमें से ज्यादातर रॉकफेलर के GEB को दिये गये डोनेशन की वजह से बने थे, जिसकी कीमत आज के हिसाब से $500 मिलियन थी।
1911 में, स्टैंडर्ड ऑयल को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया गया, जिससे रॉकफेलर की मोनोपोली भी खत्म हो गई।
अपने फिलैंथरोपिक काम में रॉकफेलर नहीं बहुत पैसे खर्च किए। हलांकि इसका कुछ हिस्सा क्रिश्चियनिटी चैरिटी की तरफ फोकस्ड था, इस बात में कोई शक नहीं है कि इसका मकसद प्रेस में रॉकफेलर की अच्छी इमेज बनाना था।
रॉकफेलर ने अपनी इमेज तो सही कर ली थी, लेकिन उनका बिजनेस एंपायर अपने आखिरी दिन गिन रहा था। स्टैंडर्ड ऑयल के एंपायर को पहला धक्का 11 नवंबर 1906 को लगा। प्रेसिडेंट थियोडोर रूजवेल्ट की फेडरल गवर्नमेंट ने शर्मैन एन्टीट्रस्ट एक्ट के ज़रिये स्टैंडर्ड ऑयल को खत्म करने की कोशिश की। स्टैंडर्ड ऑयल पर रेलरोड द्वारा दी गयी इल्लीगल छूट के ज़रिए अपने कंपटीशन को खत्म करने और ऑयल इंडस्ट्री में मोनोपोली इस्टैबलिश करने, पाइपलाइन मोनोपोली और फेक कंपटीशन (उन कंपनियों की ओनर्शिप खुद स्टैंडर्ड ऑयल के पास थी) क्रिएट करने का इल्ज़ाम लगा।
13 अगस्त 1907 को जज कन्नेसव माउंटेन लैंडलिस ने कंपनी पर $29.4 मिलियन का फाइन लगाया, जिसकी कीमत 1996 में $457 मिलियन थी। हालांकि 1908 की अपील के बाद, फेडरल कोर्ट ने कंपनी पर लगे फाइन को हटा लिया था, आगे की सुनवाई में स्टैंडर्ड ऑयल बेकसूर पाई गई।
1909 में, विलियन हावर्ड टाफ़्ट के अमेरिकन प्रेसिडेंट बनने के बाद स्टैंडर्ड ऑयल पर एक बार फिर से कानूनी कार्रवाई शुरू हो गयी।
15 मई 1911 को, सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंडर्ड ऑयल की मोनोपोली को गैरकानूनी करार दिया। कोर्ट ने कंपनी को अपनी सब्सिडियरीज़ (सहायक कंपनियों) से अलग होने और दोबारा मोनोपोली स्टैबलिश न करने का आर्डर दिया। 41 साल की पहचान के बाद कंपनी खत्म हो चुकी थी।
हालांकि, जिन लोगों ने कंपनी का बंद होना रॉकफेलर के लिए सज़ा समझा था वह खुद हैरत में थे। रॉकफेलर के पास सब्सिडियरीज़ के इतने सारे शेयर थे, कि जब 1911 में कंपनियों के इंडिपेंडेंट होने के साथ उनके शेयर की कीमत अदा होने लगी तो रॉकफेलर रात भर के अंदर मिलेनियर से बिलेनियर बन गए।
1913 में, रॉकफेलर ने ग्लोबल चैरिटी शुरू की, लेकिन स्ट्राइकर्स पर गोली चलने की वजह से उनकी कोशिशें बर्बाद हो गयीं
आपके कैरियर का खत्म होना आप को तोड़ कर रख सकता है। लेकिन रॉकफेलर के साथ ऐसा नहीं था। स्टैंडर्ड ऑयल के बंद होने के बाद उनके पास और पैसा आ गया और उन्हें मालूम था कि किस डायरेक्शन में जाना है- और वह आगे बढ़ते रहे।1900 तक, रॉकफेलर ऐसे चैरिटेबल ट्रस्ट स्टैबलिश करने के आइडिया पर एक्सपेरिमेंट कर चुके थे जैसा दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा था। स्टैंडर्ड ऑयल के बंद होने के बाद उन्हें ऐसा करने के लिये रिसोर्स और मौका दोनों मिला।1913 में रॉकफेलर ने रॉकफेलर फाउंडेशन की शुरुआत की। उन्होंने आज की कीमत के हिसाब से, पहले साल में 100 मिलियन डॉलर और उसके बाद 10 सालों के अंदर 2 बिलियन डॉलर इस ऑर्गेनाइजेशन को दिए। इस ऑर्गेनाइजेशन का मिशन यूनाइटेड स्टेट और अब्रॉड में हेल्थ केयर और मेडिकल एजुकेशन पर फोकस करना था।
रॉकफेलर जूनियर ऑर्गेनाइजेशन के प्रेसिडेंट चुन लिए गए थे। 1920 तक रॉकफेलर आर्गेनाइजेशन दुनिया की सबसे बड़ी पब्लिक हेल्थ, मेडिकल साइंस और एजुकेशन के स्पॉन्सर्स में से एक बन गयी। एक इंटरप्राइज की वजह से रॉकफेलर अमेरिका के सबसे बड़े फिलैंथरोपिस्ट बन गए थे।
लेकिन 1914 में, रॉकफेलर के यह चैरिटेबल काम लुडलो हत्याकांड के सामने आने की वजह से बेमायने रन गये। 1902 में रॉकफेलर ने कोलोराडो फ्यूल और ऑयल कंपनी मे इन्वेस्ट किया था, जिसके पास साउदर्न कोलोराडो के बहुत सारे कोलफील्ड की मिल्कियत थी।
1910 में इसके वर्कर्स ने यूनियन बनाना शुरू कर दिया, रॉकफेलर जूनियर के ऑर्डर पर कंपनी के मैनेजमेंट ने इसका सख्ती से विरोध किया, 1913 के अंत तक, इंडस्ट्रियल एक्शन लेते हुए वर्कर्स स्ट्राइक पर चले गए, 20 अप्रैल 1914 के दिन बात आर पार पर पहुंच गई। अनजानी बैरल से एक गोली चली जिसने नेशनल गार्ड मिलिशिएमेन- जिनमें से कई को कंपनी के गनर द्वारा मदद की गई थी, को यूनियन मेंबर्स पर फायर करने के लिए उकसा दिया। जिसमें काफी स्ट्राइकर्स की जान चली गई।इस खून के धब्बे रॉकफेलर के दामन तक भी पहुंचे, और फिर से उनकी इमेज एक बेरहम कैपिटलिस्ट की बन गई।
1910 में बाप बेटे ने अपने फिलैंथरोपिक यानी परोपकारी, दूसरों की मदद करने के कामों को बढ़ा दिया था।
रिटायरमेंट के बाद भी रॉकफेलर मजबूत और सेहतमंद थे। हालांकि, उनकी हमसफर स्पेलमैन कुछ सालों से कमजोर पड़ती जा रही थीं। 1909 से, वह व्हीलचेयर पर आ गयी थीं। उन्हें बहुत सारी बीमारियां थी, जिसकी वजह से वह बेड पर पड़ी रहतीं और उन्हें हर वक्त नर्स की जरूरत होती थी।75 साल की उम्र में, 12 मार्च 1915 को, उनकी डेथ हो गई। रॉकफेलर टूट गए थे, पहली बार उनकी फैमिली ने उन्हें इस तरह से रोते हुए देखा था।
हालांकि, उनकी डेथ ने रॉकफेलर को अपना फिलैंथरोपिक काम बढ़ाने के लिये इनकरेज किया।1918 में, उन्होंने लॉरा स्पेलमैन मेमोरियल को 74 मिलीयन डॉलर दिए। इस फाउंडेशन ने बैपिस्ट मिशन, चर्च और बूढ़ों के लिए घर सहित, उन सभी चीजों को प्रमोट किया जो लॉरा के दिल के करीब थीं। बाद के कुछ सालों में, क्रिश्चियनिटी से जुड़े कारणों के अलावा इस फाउंडेशन ने सोशल साइंस रिसर्च में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया।लॉरा की मौत ने रॉकफेलर को अपनी दौलत के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, और उन्होंने इसे अपने बेटे रॉकफेलर जूनियर को ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।इस बात में कोई शक नहीं था कि 1 दिन रॉकफेलर जूनियर को रॉकफेलर की सभी प्रॉपर्टी दी जाएगी लेकिन हैरत वाली बात यह थी कि ऐसा करने में रॉकफेलर ने बहुत वक्त लगा दिया।
मार्च 1917 से, रॉकफेलर ने स्टैंडर्ड ऑयल के स्टॉक्स और पुरानी सहायक कंपनियों को अपने बेटे जूनियर रॉकफेलर के हाथों में ट्रांसफर करने का काम शुरू किया।हालांकि, बाप बेटे में स्टैंडर्ड ऑयल को लेकर डिफरेंसेज़ थे जूनियर रॉकफेलर को स्टैंडर्ड अॉयल में कोई इंटरेस्ट नहीं था। इस ट्रांसफर से कई साल पहले, 1910 में, डायरेक्टर की पोस्ट से वाइस प्रेसिडेंट बना दिए जाने के बावजूद, जूनियर रॉकफेलर ने स्टैंडर्ड ऑयल से अपना नाता तोड़ लिया था। उसकी नजर में स्टैंडर्ड ऑयल द्वारा किए जा रहे काम क्रिश्चियन वैल्यू के ख़िलाफ़ थे। वह स्टैंडर्ड ऑयल के प्रेसिडेंट, आर्चबोल्ड द्वारा पॉलीटिशियंस को घूस देने की ख़बर से हैरत में थे।
एक बार स्टैंडर्ड ऑयल से फ्री होने के बाद, जूनियर रॉकफेलर ने अपनी ज़िंदगी फिलैंथरोपिक कामों में लगाने का फैसला किया।
रॉकफेलर ने एक बेहतर बुढ़ापा गुज़ारा और 98 साल की उम्र में 1937 में उनकी मौत हो गई
रॉकफेलर का अच्छा-खासा एंपायर था। वह हर रोज गोल्फ खेलते और हर रोज एक चम्मच ऑलिव आयल पीते थे। वह 100 की उम्र पार करना चाहते थे और सेहतमंद चल रहे थे।1922 तक, रॉकफेलर ने ना सिर्फ अपने कई फॉर्मर बिजनेपार्टनर्स और बीवी से बल्कि अपने दो छोटे भाइयों फ्रैंक और विलियम से भी ज़्यादा जिंदगी गुजार ली थी। फ्रैंक की 1917 और विलियम की 1922 में मौत हो गई थी।
रॉकफेलर का अपीयरेंस उम्र गुजरने के साथ निखर रहा था। अॉरमंड बीच पर बने अपने फ्लोरिडा वाले घर में, अपनी वीबी के गुजरने के बाद, रॉकफेलर ने खुलासा किया कि कंपनी की यंग लड़कियों में एक ने बताया था कि वह देखने में काफी अट्रैक्टिव हैं। वह दिन चले गए थे जब वह ब्लैक बिजनेस सूट पहनकर अपनी डेट्स के साथ डांस और कॉन्सर्ट में जाया करते थे।
अब रॉकफेलर बहुत चुपचाप और सीरियस नहीं रहते थे। उन्होंने अनजान लोगों से घुलना मिलना शुरू कर दिया, और ऑरमंड बीच पर एनुअल क्रिसमस पार्टी भी ऑर्गेनाइज की। रॉकफेलर के बदले हुए स्वरूप को मीडिया का पॉजिटिव रिएक्शन मिलने लगा था। ऐसा लग रहा था कि उनके दरियादिली वाले कामों की वजह स्टैंडर्ड ऑयल और कॉमर्स में उनकी दिलचस्पी नहीं बल्कि उनका साफ दिल हो। 98 बर्थडे के छठवें हफ्ते ही, रॉकफेलर की बॉडी में दम तोड़ दिया।
22 मई 1937 को, हार्ट अटैक के बाद वह कोमा में चले गए थे। उसके बाद वह कभी नहीं उठे, 23 मई की सुबह नींद में ही रॉकफेलर की मौत हो गई।रॉकफेलर की मौत की खबर फैलते ही लोग उनके घर पर इकट्ठा हो गए। अंतिम संस्कार के लिये क्लीवलैंड ले जाने से पहले, फैमिली और फ्रेंडस के लिए एक प्राइवेट फ्यूनरल ऑर्गेनाइज किया गया।वह, जो एक लंबे वक्त तक अमेरिका का सबसे चर्चित इंसान रहा है उसके आखिरी वक्त के मंज़र ने इस बात पर मुहर लगा दी कि अमेरिकन कैपिटलिस्ट और फिलैंथरोपिस्ट के तौर पर उनकी रेपोटेशन ज़िन्दा रहेगी।
कुल मिला कर.
जॉन डी रॉकफेलर महान फिलैंथरोपिस्ट और अमेरिकन हिस्ट्री के सबसे अमीर लोगों में से एक थे। रॉकफेलर ने छोटी शुरुआत से एक दिग्गज कंपनी, स्टैंडर्ड ऑयल खड़ी करने में बहुत मेहनत थी, और इस जर्नी ने उन्हें ऑयल "टाइटन" बना दिया। हालांकि उनका काम करने का तरीका हमेशा कंट्रोवर्शियल रहा और उनका बिजनेस एंपायर खत्म हो गया, लेकिन वह अपने पीछे मानवीय कामों की विरासत छोड़ गए जो आज भी जिंदा है।