Darius Foroux
Change Your Thoughts, Change Your Life
दो लफ्जों में।
क्या आपने कभी अपनी सोच को डेवलप करने के बारे में सोचा है? अगर आपका जवाब नहीं है तो ये बुक समरी आप ही लिए है। इस बुक समरी में हम जानेंगे कि किस तरह से एक इंसान अपनी सोच को डेवलप करके खुद को एक ऐसा इंसान बना सकता है जिसको लोग फॉलो करें। इंसान की थिंकिंग एबिलिटी बहुत ज्यादा पावरफुल होती है और इस बुक समरी में हम जानेंगे कि किस तरह से हम सभी अपनी थिंकिंग में निखार ला सकते हैं।
लेखक के बारे में।
Darius Foroux काफी पॉपुलर लेखक हैं। उन्होंने अबतक सात बुक्स लिखी हैं और सारी बुक्स काफी पॉपुलर हैं। Darius का मेन फोकस प्रोडक्टिविटी, बिजनेस और वेल्थ मैनेजमेंट पर रहता है और उनकी बुक्स में हमें ये देखने को भी मिलता है।
ये बुक किसके लिए है?
ये बुक उन लोगों के लिए है जो अपनी थिंकिंग एबिलिटी को स्ट्रांग बनाना चाहते हैं।
ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो अपने थॉट्स पर कंट्रोल करना चाहते हैं।
ये बुक उन व्यक्तियों के लिए भी है जिन्हें रीडिंग पसंद है।
Introduction
क्या कभी आपने सोचा है कि जिस तरह से आप अपनी बॉडी को ट्रेन करते हैं उसी तरह से आप अपने माइंड को भी ट्रेन कर सकते हैं? शायद आपने ये बात कभी नहीं सोचा होगी। लेकिन आज हम इस बुक समरी के जरिए आपको ये बताना चाहते हैं कि जितना जरूरी आप अपनी बॉडी को ट्रेन करना समझते हैं, उतना ही जरूरी अपने माइंड को ट्रेन करना भी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। रोजाना इस दुनिया में अलग-अलग तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं और अगर आप उस बदलाव के साथ-साथ खुद को चेंज नहीं करेंगे और अपनी थिंकिंग को नहीं बदलेंगे तो आप इस दुनिया में काफी पीछे रह जाएंगे और लोग आपसे आगे निकल जाएंगे।
हम सभी ने कभी अपनी थिंकिंग के ऊपर इतना ज्यादा गौर नहीं किया है। लेकिन थिंकिंग जब इंप्रूव होती है तो इंसान की पर्सनालिटी अपने आप ही ग्रो करने लगती है और इंसान को समझ में आने लगता है कि वो इस बदलती दुनिया में किस तरीके से सरवाइव कर सकता है और किस तरीके से दुनिया में जो उसको परेशानियां दिख रही हैं उनका सॉल्यूशन फाइंड कर सकता है।
तो चलिए शुरू करते हैं!
Think Straight by Darius Foroux
हम दुनिया में जो भी बदलाव लाना चाहते हैं सबसे पहले वो बदलाव हमें अपने अंदर लाना होगा। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था कि दुनिया में हम जो बदलाव देखना चाहते हैं वो बदलाव सबसे पहले हमें अपने अंदर लाना होगा। ये बात आज के समय में भी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण है जितनी कि महात्मा गांधी के समय में थी क्योंकि हम सभी में से ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दुनिया में अलग-अलग चीजों में खामियां ढूंढते हैं और फिर लोगों को सलाह भी देते हैं कि उस कमी को कैसे दूर करना है लेकिन हम कभी अपने अंदर झांक कर नहीं देखते हैं कि हमारे अंदर क्या क्या कमी है। जब तक हम खुद को नहीं सुधारेंगे तब तक ये दुनिया हमें कभी एक अच्छे इंसान या फिर कहें एक अच्छे लीडर के रूप में नहीं देख सकती।
आपको एक मॉडल की तरह लोगों के सामने पेश होना पड़ेगा। एक मॉडल वही होता है जो इंसान एक अच्छा लीडर होता है और एक अच्छा लीडर बनने के लिए आपको बहुत सारी क्वालिटी अपने अंदर धारण करनी होगी। जब इंसान एक अच्छा लीडर बन जाता है तो लोग उसे मॉडल के रूप में देखने लगते हैं। उसे फॉलो करने लगते हैं। उस इंसान के ओपिनियन कि लोग वैल्यू करते हैं। वो इंसान जब कोई बात किसी से कहता है तो उसकी बात की इज्जत की जाती है क्योंकि लोगों को इस बात का एहसास होता है की अगर वो इंसान कोई बात कह रहा है तो उसके पीछे कोई कारण जरूर होगा। कोई भी इंसान जब आपको एक लीडर के रूप में देखता है तो उसे पता होता है कि आप कितनी मेहनत करके उस पोजीशन तक पहुंचे हैं।
एक मॉडल के तौर पर आप दूसरों के जीवन को बहुत ज्यादा इनफ्लुएंस करते हैं। इन्फ्लुएंस यानी कि आप दूसरों को प्रेरित करते हैं। लोग आपको और आपके काम करने के तरीकों को फॉलो करने लगते हैं।
अब आइए एक नजर डालते हैं उन चीजों पर जिस की हेल्प से आप खुद को इंप्रूव कर सकते हैं। सबसे पहली चीज है कि आपको जब तक कुछ कहा ना जाए उसे मत करिए। कभी-कभी ऐसा होता है कि आप किसी को दिखाने के लिए या फिर किसी पर अच्छा इंप्रेशन जमाने के लिए उस काम को करने लगते हैं जिसे करना आपके लिए उचित नहीं है। या फिर आप कोई ऐसा काम करने लगते हैं जिसको करने के लिए आपको कहा ही नहीं गया है। तो ये बहुत जरूरी है कि आप तब तक इंतजार करिए जब तक आप से किसी काम को करने के लिए ना कहा जाए। क्योंकि कभी-कभी जल्दबाजी में आप दूसरों का काम करने लगते हैं और आपको इस बात का एहसास नहीं होता कि हर इंसान किसी स्पेसिफिक काम को अपने ढंग से करता है। अगर आप किसी दूसरे के काम में अड़चन पैदा करने की कोशिश करेंगे तो ये लाजमी है कि वो काम खराब हो जाएगा।।
Think Straight by Darius Foroux
दूसरी महत्वपूर्ण बात जिस पर आपको फोकस करना है वो ये है कि जब भी आपके मन में कोई सवाल आए तो उसे पूछ लीजिए। अगर वो सवाल आपकी जॉब से रिलेटेड है तो अपने ऑफिस में अपने साथ काम करने वाले वर्कर से पूछिये या फिर अपने बॉस के पास जाइए उनसे उस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करिए। अगर किसी और भी चीज से रिलेटेड आपके दिमाग में कोई सवाल आ रहा है तो किसी ऐसे व्यक्ति के पास आप जा सकते हैं जो कि उस सवाल का जवाब आपको सही तरीके से दे सकता है। सवाल पूछने में कभी हिचकिचाना नहीं है।
एक और महत्वपूर्ण चीज जो कि आपको ध्यान रखनी है कि अगर आपके सामने कभी कोई ऐसा मौका आ रहा है कि आप किसी जॉब को अपने लायक नहीं समझ रहे हैं या फिर आपको ये लगता है कि आप उस जॉब को अच्छी तरह से नहीं कर सकते हैं तो अगर आपके दिमाग में उस जॉब को लेकर कोई ऐसा व्यक्ति आ रहा है जो कि आपको लगता है उसे और अच्छी तरीके से कर सकता है तो आप उसका नाम ले लीजिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एक अच्छा मॉडल या फिर एक अच्छा लीडर वही होता है जो कि सही लोगों को सही जगह पर काम पर लगाता है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि आप किसी चीज में इस तरह से फंस जाते हैं कि आपको उस चीज से बाहर निकलने का रास्ता नहीं समझ में आ रहा होता है। तो क्या कभी आपने इस चीज के पीछे का कारण जानने की कोशिश करी है? दरअसल इसके पीछे ये कारण होता है कि आप अपनी थिंकिंग को कभी इनोवेट ही नहीं कर पाते हैं। आप अपनी थिंकिंग कभी डेवलप नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से आपकी थिंकिंग एक ही पॉइंट पर आकर रुक जाती है और उसके बाद आपको समझ में नहीं आता है कि आगे आपको करना क्या है। ऐसे में ये बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप अपनी थिंकिंग को डेवलप करें और अपने थॉट को आप अपने कंट्रोल में रखें। जितना ज्यादा आपके थॉट्स आपके ही कंट्रोल में रहेंगे उतना ज्यादा आप की ग्रोथ होगी।
Think Straight by Darius Foroux
कोई भी इंसान उसी तरह का हो जाता है जिस तरह कि उसकी थिंकिंग होती है। अगर आप गलत थिंकिंग रखते हैं तो फिर आपकी पर्सनालिटी भी ऐसी हो जाती है कि लोग आपको गलत समझने लगते हैं और वहीं दूसरी तरफ अगर आपकी थिंकिंग यानी कि आपकी सोच एक पॉजिटिव डायरेक्शन की तरफ अग्रसर होती है तो आपकी पर्सनालिटी में एक पॉजिटिव इंपैक्ट नजर आने लगता है और वो पॉजिटिव इंपैक्ट का असर दूसरों के ऊपर भी होता है जो कि काफी ज्यादा वैल्युएबल होता है।
जो लोग अपनी सोच को बहुत ज्यादा बदल नहीं पाते हैं उन्हें लगता है कि लाइफ बहुत ज्यादा सिंपल है और इसलिए वो सिंपल तरीके से लाइफ को जीने लगते हैं और उनकी लाइफ एक पॉइंट पर आकर रुक सी जाती है यानी की उनकी लाइफ में ग्रोथ खत्म हो जाती है। लेकिन जिन लोगों ये समझ में आ जाता है कि लाइफ सिंपल नहीं है तो उनके थॉट्स भी उसी हिसाब से चेंज होते हैं। और वो अपनी डेली लाइफ में आने वाली प्रॉब्लम्स को उसी हिसाब से टैकल करते हैं। अगर आप एक ऐसे इंसान है जो कि लीनियर थिंकिंग रखते हैं, लीनियर थिंकिंग का मतलब होता है कि आप एक ही डायरेक्शन में सोचते हैं तो फिर आपके लिए लाइफ में ऐसे बहुत से मोमेंट्स आने वाले हैं जोकि आपको परेशान कर सकते हैं। क्योंकि एक ही डायरेक्शन में सोचने वाला इंसान आज की दुनिया में सफल नहीं हो सकता है। आपको एक वर्सेटाइल थिंकिंग की जरूरत है। आपकी थिंकिंग ऐसी होनी चाहिए कि आप हर डायरेक्शन में उसको अप्लाई कर सकें और ये समझ सकें कि किस तरह से हर अलग-अलग चीज में आप खुद को इंप्रूव कर सकते हैं।
Think Straight by Darius Foroux
अब बात करते हैं उन बिहेवियर की जो कि आपके लिए बहुत ज्यादा हानिकारक हो सकते हैं। सबसे पहला है क्रिटिसाइज। किसी को भी क्रिटिसाइज करने से बचें। क्योंकि जब आप किसी व्यक्ति को क्रिटिसाइज करते हैं तो उसके मन में आप के लिए गलत भावना पैदा हो जाती है। फिर वो आप को नीचा दिखाने की ही कोशिश करने लगता है। दूसरा एक इंपॉर्टेंट बिहेवियर जो कि आपको नजरअंदाज करना है वो है कंप्लेनिंग। किसी को भी कंप्लेन मत करिए। अगर आपको किसी के काम से कुछ समस्या है तो इनडायरेक्ट वे में उसको समझाने की कोशिश करिये कि उसने कहां पर गलती की है। उसको अगर आप सीधा बोलेंगे तो शायद उसको बुरा लग सकता है।
एक और महत्वपूर्ण चीज ये कि कभी भी दो लोगों को कम्पेयर मत करिए क्योंकि जब आप दो लोगों को कम्पेयर करते हैं तो उन दोनों में आपस में ही एक कॉम्पिटिशन की शुरुआत हो जाती है। फिर वो एक दूसरे से बेटर बनने की कोशिश करते हैं। कभी भी फिर वो एक दूसरे का साथ नहीं देना चाहते। वो दोनों अलग-अलग रास्तों पर निकल जाते हैं। एक और चीज जो कि आपको नॉर्मल लाइफ में अवॉइड करना चाहिए वओ है कंप्पीट करना। किसी से भी किकॉम्पिटिशन रखने की जरूरत नहीं है। हर इंसान की अपनी अपनी कैपेबिलिटी है। हर इंसान अपने-अपने तरीकों से काम करना पसंद करता है। सबको अलग-अलग तरह के काम में इंटरेस्ट होता है। इसलिए किसी दूसरे इंसान के साथ कॉम्पिटिशन करना आपके लिए सही नहीं है।
अपने ऑब्जेक्टिव, अपने फैक्ट्स और अपनी जूरी को सही से पहचान लें। अगर बात करें किसी कोर्ट केस की तो वहां पर लॉयर को अपने जूरी और जज को पूरी तरह से कन्विन्स करना पड़ता और तब जाके डिसीजन उनके हक में होता है। लेकिन रियल लाइफ में ऐसा नहीं है। रियल लाइफ में ये पॉसिबल ही नहीं है कि आप किसी को 100% कन्विन्स कर सकें। पॉलिटिक्स, फैमिली वैल्यूज, बिजनेस स्ट्रैटजी जैसे टॉपिक्स में हर व्यक्ति का अलग अलग ओपीनिजयन होता है और अलग अलग जजमेंट होता है।
जब भी आप किसी के साथ अर्ग्यूमेंट स्टार्ट करें तो सबसे पहले आपको ये पता होना चाहिए कि आप उस अर्ग्यूमेंट से अचीव क्या करना चाहते हैं। क्योंकि लोगों को 100% कन्विन्स करना मुश्किल है लेकिन 50-60% कन्विन्स किया जा सकता है। 30% के आसपास आते ही आपके अपोनेंट को ये समझ आने लगता है कि आप उसे क्या समझाना चाह रहे हैं और इस वजह से उसके बिलीफ में कुछ थोड़े बहुत चेंज होने लगते हैं। और ये सब तभी पॉसिबल होगा जब आपको इस बात की क्लियर नॉलेज होगी की आपको क्या अचीव करना है।
बहुत बार ऐसा भी होता है कि कोई इंसान किसी के सामने खुद को सही साबित करने की कोशिश में इतना ज्यादा इंवॉल्व हो जाता है कि वो अपनी सारी एनर्जी उसी के ऊपर वेस्ट कर देता है। आपको ऐसा नहीं करना है। अगर कोई इंसान आपकी बात नहीं समझ रहा है, वो आपकी बात नहीं मान रहा है तो जरूरी नहीं है कि आपको उसे अपनी बात मनवानी ही है। आप अपनी एनर्जी सेव करिए और वहां से निकलिए। क्योंकि जब कोई इंसान ये डिसाइड कर लेता है कि उसे किसी की बात नहीं माननी है तो वो फिर नहीं मानता है। ऐसे में अपनी एनर्जी किसी दूसरे इंसान पर वेस्ट करना सही नहीं है।
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लाइफ में सबसे जरूरी ये है कि आप कभी भी क्विक डिसीजन ना लें। जब आप जल्दी में डिसीजन लेते हैं तो ये तो पक्का हो जाता है कि आपके बहुत सारे डिसीजन गलत होने वाले हैं। इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप सामने मौजूद फैक्ट को ध्यान में रखें और किसी भी डिसीजन को लेने से पहले अपनी सोच पर पूरा फोकस करें। जब आप बहुत ज्यादा डीप किसी चीज के बारे में सोचने लगते हैं तब आपको समझ में आता है कि उसके लिए सही तरीका क्या हो सकता है। जब इंसान किसी प्रॉब्लम को अपने सामने देखता है तो जरूरी है कि वो व्यक्ति एक झटके में उस प्रॉब्लम को दूर करने की कोशिश ना करे। पहले उस प्रॉब्लम को सही से समझना इंपोर्टेंट है कि आखिर प्रॉब्लम आई क्यों है और उसके बाद उस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन फाइंड करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से दोबारा कभी उस प्रॉब्लम को फेस नहीं करना पड़ता।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपका माइंड काफी थक जाता है। आप इतना ज्यादा सोचते हैं कि आपको थकान महसूस होने लगती है। तो ऐसे में बहुत ज्यादा जरूरी है कि अपने माइंड को रिलैक्स करें। अब आपको लग रहा होगा कि माइंड कैसे रिलैक्स किया जा सकता है! माइंड को रिलैक्स करने के लिए कुछ नहीं करना है। आप बस अपनी आंखें बंद करिए और आराम से।अपने दिमाग को शांत करने की कोशिश करिए। ऐसा भी नहीं हो सकता है कि आपने माइंड में कोई चीज ना रहे। आपके माइंड में हमेशा कुछ न कुछ चकता रहता है। लेकिन जब आप खुद रिलैक्स करना चाहते हैं तब आप ऐसे पोजीशन में होते हैं जिसकी वजह से आपको स्ट्रेस कम होता है और उससे आपके माइंड की थकान भी दूर होती है।
आपने अगर कभी ध्यान दिया होगा तो आपको ये एहसास होगा कि आपके बॉडी का सिर्फ एक ही पार्ट होता है जो कि हर समय वर्क कर रहा होता है और वो होता है आपका माइंड। आपका माइंड हर सिचुएशन में आपके साथ होता है। अगर आप सो रहे हैं तब भी आपकी थिंकिंग किसी ना किसी डायरेक्शन में चल रही है। इसी वजह से अपनी थिंकिंग को डेवलप करना बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है। अगर आप अपनी सोच को को डेवलप नहीं करते हैं जो कि आपके साथ हमेशा रहती है तो फिर शायद आपको प्रॉब्लम हो सकती है और अगर आप चाहते हैं कि खाली समय में आपके दिमाग में कुछ ऐसी चीजें रहे जिससे आपका इंप्रूवमेंट हो तो ये बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप अपनी लाइफ में जुड़े हुए मोमेंट्स को कनेक्ट करना सीखें।
जब आप अपने लाइफ के मोमेंट्स को एक दूसरे के साथ कनेक्ट करेंगे तो आपको बहुत ज्यादा लर्निंग होगी और उस लर्निंग की हेल्प से आप की ग्रोथ होगी। चीजों को एक दूसरे से कनेक्ट करने से आपको किसी भी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन बहुत आसानी से मिल सकता है। जब आप चीजों को एक दूसरे से कनेक्ट करते हैं तब आपको समझ में आता है कि किस तरह से आप अलग-अलग टेक्निक्स को अलग-अलग जगह पर अप्लाई कर सकते हैं।
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कई बार हमारे सामने ये प्रॉब्लम भी आती है कि हम बहुत ज्यादा चीजें सोचने लगते हैं क्योंकि दिन भर में ऐसी बहुत सारी इंफॉर्मेशन होती है जो हम कलेक्ट करते हैं। तो ऐसे में उन इंफॉर्मेशन पर फोकस करना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है जो कि इंपॉर्टेंट होती हैं और बहुत लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। ज्यादातर लोग फालतू की चीजों में फंसे रह जाते हैं जिससे कि इंपॉर्टेंट चीज पर उनका फोकस नहीं रह जाता है। इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आपके पास जितनी भी इंफॉर्मेशन आती है आप उसमें से पहले उन इंफॉर्मेशन को निकाले जो कि आपको इंपॉर्टेंट लग रही है और उसके बाद उसके ऊपर वर्क करें। ऐसा करने से आपकी कांस्टेंट ग्रोथ होगी और आप उन चीजों को खुद से दूर कर पाएंगे जो कि आपके लिए फायदेमंद नहीं है।
अपनी सोच को डेवलप करने का ये बहुत आसान तरीका है कि आप अपने दिमाग से उन चीजों को निकाल कर बाहर कर दें जो कि आपको बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं लग रही है और सिर्फ उन्हीं चीजों को अपने दिमाग में एंट्री दें जो कि आपके काम की है।
ट्रायल एंड एरर का एक कांसेप्ट इस बुक में बताया गया है जो कि आप अपनी लाइफ में यूज कर सकते हैं। इस कांसेप्ट का मतलब होता है कि आप अपनी लाइफ में आने वाली प्रॉब्लम्स में उन तरीकों को अप्लाई करें जो कि आपने अपनी लाइफ से सीखे हैं और अगर उनमें से कोई एक तरीका फेल भी हो जाता है तो आप अपने तरीके बदल भी सकते हैं। क्योंकि एक प्रॉब्लम के हमेशा आपके पास एक से ज्यादा सॉल्यूशन तो होते ही हैं। अगर आप अपना माइंड शार्प रखेंगे और अपनी थिंकिंग को लगातार डेवलप करते रहेंगे तो आप पाएंगे कि जब भी आपके सामने कोई समस्या आएगी तो आपके पास उस समस्या को सुलझाने के एक से ज्यादा तरीके मौजूद होंगे।
बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिनके दिमाग में नेगेटिव थॉट्स बहुत ज्यादा डोमिनेट करते हैं। आप में से ऐसे बहुत सारे स्टूडेंट होंगे जोकि सोचते होंगे कि अगर मैं फेल हो गया तो फिर मेरे साथ क्या होगा या फिर कुछ ऐसे एडल्ट होंगे जो कि ये सोचते हुए कि अगर मेरी जॉब चली गई तो क्या होगा। तो इस चीज को इंप्रूव करने के लिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप नेगेटिव तरह से सोचना बंद कर दें। जब आप नेगेटिव थिंकिंग को अपने माइंड से निकाल देते हैं तब आपको समझ में आता है कि आपके पास जो पॉजिटिव थॉट है वो आपको एक अच्छा डायरेक्शन प्रोवाइड कर सकते हैं जिससे आपकी लाइफ और ज्यादा अच्छी हो सकती है और ऐसे में वो पॉजिटिव थॉट आपकी पर्सनालिटी को भी पॉजिटिविटी प्रोवाइड करते हैं।
Think Straight by Darius Foroux
कई लोगों के साथ एक और प्रॉब्लम देखने को मिलती है और वो ये कि वो अपने माइंड के साथ हमेशा चलते रहते हैं। उनका माइंड जो कहता है वो उसी पर विश्वास करते हैं और ऐसे में कभी कभी उनका माइंड उन्हें गलत डायरेक्शन में भी डायवर्ट कर सकता है। तो इसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि जो भी फैक्ट्स आपके सामने मौजूद है आप उन पर ध्यान दें और उन फैक्ट्स को फॉलो करें। ऐसा भी नहीं हो सकता कि आप हर टाइम अपने माइंड को फॉलो करें और वो करना सही भी हो।
जब आप फैक्ट्स को फॉलो करने लगते हैं तब आपका माइंड भी उसी तरह से बात करता है। और फिर आपको समझ में आने लगता है कि माइंड और आपके सामने मौजूद फैक्ट्स के साथ कैसे कॉर्डिनेट करना है। फैक्ट्स बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट होते हैं। अगर आप अपनी लाइफ को एनालाइज करेंगे तो आपको हर सिचुएशन से जुड़े कुछ फैक्ट नजर आएंगे और वो फैक्ट्स काफी हद तक सही भी होते हैं। इसलिए ये बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि आप उन फैक्ट्स को भी फॉलो करें और उन्हें अवॉइड करने की कोशिश ना करें।
बहुत से लोग ऐसा भी करते हैं कि वो जानते हुए भी उन फैक्ट्स को अवॉइड कर देते हैं जो कि जरूरी होते हैं। जिससे कि उनकी प्रॉब्लम और ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आपको अपनी लाइफ में फैक्ट्स का इस्तेमाल करने लगेंगे तब आपका माइंड और और आपके पास मौजूद फैक्ट एक दूसरे के साथ इस तरह से मिल जाएंगे कि आपकी लाइफ बहुत ज्यादा आसान हो जाएगी।
अगर आप सवालों का यूज़ करना चाहते हैं तो कोशिश करें कि वो फैक्ट्स पर बेस्ड हों। इसका मतलब ये होगा कि आपके पास अपनी अर्ग्यूमेंट को सपोर्ट करने का एविडेन्स होगा। और फैक्ट्स गैदर करने के लिए आप इंटरनेट का यूज़ कर सकते हैं।
मान लीजिए कि आप चाहते हैं कि कोई आपके बिजनेस में 10 लाख रुपये इन्वेस्ट करे तो इसके लिए आपको ज्यादा फैक्ट्स की जरूरत होगी। क्योंकि जितना ज्यादा इन्वेस्टमेंट आपको चाहिए आपको उतना ज्यादा अपने अपोनेंट को कन्विन्स करना होगा।
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अर्ग्यूमेंट को किस तरह से प्रेजेंट करना है ये आपकी जूरी पर डिपेंड करता है। क्योंकि कोर्ट रूम में आपको 10-12 लोगों से बनी जूरी के सामने पेश करना होता है, फैमिली में सीन अलग होता है। सवालों की हेल्प से आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपकी जूरी किस चीज में बिलीफ करती है।
अपनी स्ट्रैटेजी को परिस्थितियों के साथ मैच करिये। किसी भी नई ऑर्गेनाइजेशन में जाते हैं तो वहां पर आपको यही सोच कर हायर किया जाता है कि आप अपनी कैपेबिलिटी का पूरा इस्तेमाल करके ऑर्गेनाइजेशन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। कोई भी कम्पनी अगर आपको लीडर के तौर पर अपने ग्रुप में शामिल करती है तो इसका मतलब है कि उनके पास कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब उनको ढूढने में समस्या हो रही है और वो आपसे उम्मीद कर रहे हैं कि आप उस ऑर्गेनाइजेशन में जाने के बाद चीजों में सुधार लाएंगे और खराब सिचुएशन को बदलने की कोशिश करेंगे।
आप एक मॉडल का भी यूज़ कर सकते हैं। आइये जानते हैं कि आखिर ये मॉडल है क्या असल में। इस मॉडल के एकॉर्डिंग कोई भी इंसान पांच तरह की परिस्थितियों में खुद को पाते हैं जब वो किसी और जगह मूव कर रहे होते हैं। पहली परिस्थिति वो है जब हम किसी नई सिचुएशन में मूव करते हैं या फिर जब वो किसी प्रॉब्लम को हैंडल कर रहे होते हैं। दूसरी सिचुएशन जब हम लाइफ में चीजों को पूरी तरह से बदलने की कोशिश करते हैं। तीसरा जब हम अपनी इंसान की ग्रोथ पर काम करने की कोशिश कर रहे होते हैं। चौथी परिस्थिति वो जब हम किसी खुद को लड़खड़ाने के बाद दोबारा से खड़ा करने की कोशिश करते हैं। और सबसे लास्ट ये मॉडल तब काम आता है जब हम अपनी लाइफ की सक्सेस को बनाये रखना चाहते हैं।
इस मॉडल में हम उन चैलेंजेस और फायदों के बारे में समझते हैं और जानते हैं जिनका हमें सामना करना पड़ता है जब हम किसी वेंचर को लांच कर रहे होते हैं। इस मॉडल का गोल समझना बहुत आसान है। इस मॉडल का मकसद है एक सक्सेसफुल और ग्रो करने वाली पर्सनालिटी क्रिएट करना। इस मॉडल के अंतर्गत अलग अलग तरह से के चैलेंज को किस तरह सामना करना है उसके बारे में हम जानते हैं।
जब भी आप किसी नई जगह को जॉइन करते हैं तो वहां पर चीजों को आपको अलग तरह से हैंडल करना होता है। आपको नए नए लोगों के साथ रिश्ते बनाने पड़ते हैं। आप वहां पर अपनी लाइफ को, नए और अपनी तरह से डिजाइन कर सकते हैं। कहने का साफ मतलब ये है कि नई जगह के अंदर आप खुद को अपने एकॉर्डिंग शुरू से शेप दे सकते हैं। अपने हिसाब से वहां आप बदलाव ला सकते हैं क्योंकि चीजें ज्यादा पुरानी नहीं होती। कभी कभी नयापन आने से लोग बहुत ज्यादा एक्साइटेड फील करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि वहां पर उन्हें ज्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ेगा।
मॉडल में जो दूसरी जरूरी चीज होती है वो है टर्न अराउंड। यानी कि ऐसी परिस्थिति जहां पर आपको चीजों को पूरी तरह से बदलना होता है। इसको टर्न अराउंड इसलिए कहा जाता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में आप किसी एक स्पेसिफिक यूनिट के साथ किसी एक स्पेसिफिक प्रॉब्लम के ऊपर काम करते हैं। ऐसी सिचुएशन में सामने वाले इंसान को आपसे ये उम्मीद होती है कि आप जल्द से जल्द प्रॉब्लम को समझेंगे, उसको एनालाइज करेंगे और बहुत रैपिड तरीके से उसको ठीक करने के लिए एक्शन भी लेंगे। टर्न अराउंड सिचुएशन को आप एग्जाम्पल के लिए एक फायर अलार्म भी समझ सकते हैं। क्योंकि जब कहीं पर आग लगती है और फायर आलम बजता है तो उस परिस्थिति में तुरन्त एक्शन लेने की जरूरत होती है क्योंकि ऐसी खराब परिस्थिति में हम जितना ज्यादा डिसीजन करने में देरी करेंगे नुकसान उतना बड़ा हो सकता है।
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अब बात करते हैं मॉडल का यूज़ किसी इंसान की फ़ास्ट ग्रोथ में कैसे हो सकता है। जब भी आपको अपनी लाइफ को तेजी से एक्सपैंड करना होता है या लाइफ की ग्रोथ को और तेज करना होता है तो हमें काफी अहम कदम उठाने पड़ते हैं। हमें नया स्ट्रक्चर फॉलो में लाना पड़ता है। नए प्रोसेस शुरू करने पड़ते हैं। और कभी-कभी तो ये भी होता है कि लाइफ की तेज ग्रोथ के लिए हमें बहुत सारे नए लोगों से कनेक्ट करना पड़ता है। ऐसे लोगों को हमें कनेक्ट करना पड़ता है जो हमारी लाइफ का जल्दी से जल्दी हिस्सा बने और उस चीज को फॉलो करें जिसकी वजह से हमारी लाइफ अभी तक सफल रही है। हालांकि किसी भी इंसान को अपनी लाइफ की ग्रोथ तेज करनी है तो उसमें रिस्क फैक्टर भी काफी होते हैं।
अभी तक हमने आपसे जिन तीन परिस्थितियों के बारे में बात की उन सभी में आपको उतना ज्यादा काम नहीं करना पड़ता। तीनों ही परिस्थिति में आपको नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है। बस हालांकि लाइफ की ग्रोथ वाली सिचुएशन में आपको एक स्ट्रांग फाउंडेशन बनानी पड़ती है। लेकिन बाकी की जो दो परिस्थिति है जिसमें की हमारा बताया हुआ मॉडल का इस्तेमाल होता है उसके अंदर आपको ज्यादा एफर्ट नहीं करने होते हैं। आप को बीएस सिचुएशन के हिसाब से अपनी थिंकिंग एबिलिटी को डेवलप करना होता है। और ये बहुत जरूरी होता है कि आपकी थिंकिंग और आपके लाइफ के गोल्स एक दूसरे के साथ सही तरीके से मेल खाएं।
चौथी सिचुएशन है लाइफ को दोबारा से स्टार्ट करना और पांचवी सिचुएशन है लाइफ की ग्रोथ और सक्सेस को बनाये रखना। इन दोनों ही सिचुएशन में आपको एक्स्ट्रा एफर्ट करना पड़ता है। अगर आप चाहते हैं कि आपने जो लाइफ में ग्रोथ हासिल की है वो बनी रहे तो इसके लिए बहुत इंपॉर्टेंट हो जाता है कि आप टाइम टू टाइम खुद को डेवलप करने की कोशिश करें और खुद को इंप्रूव करने की कोशिश करें। क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो कोई दूसरा व्यक्ति आपसे आगे निकल जाएगा। आपको ये जानकर बिल्कुल भी हैरानी नहीं होनी चाहिए कि इस दुनिया में हर कोई एक रेस में लगा हुआ है और हर कोई सामने वाली व्यक्ति से आगे निकलना चाहता है। ऐसे में अगर आपको ग्रोथ हासिल हो गई है तो इस बात की बहुत ज्यादा चांस है कि आप की ग्रोथ देखकर आप से आगे निकलने वाले बहुत लोग होंगे। इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप लगातार खुद को इंप्रूव करते रहे और अपनी सोच को डेवलप करते रहे क्योंकि यही वो तरीका है जो कि आप की ग्रोथ को बनाए रखेगा और दूसरे लोगों को आप से आगे नहीं निकलने देगा।
Think Straight by Darius Foroux
अगर आप चाहते हैं कि आप की सोच डेवलप हो तो उसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप कठिन से कठिन परिस्थिति में भी खुद को शांत रखना सीखे। जब आप खुद को शांत रखते हैं तब आपको समझ में आता है कि किस तरह से चीजें चल रही है और आप ऐसे में चीजों को अच्छी तरह से एनालाइज करना सीखते हैं। खुद को शांत रखने का मतलब होता है कि आप दूसरी चीजों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं और जल्दबाजी करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
आपने कई बार सुना होगा कि लोग कहते हैं कि किसी भी चीज का सॉल्यूशन अगर फाइंड करना है तो हमें शांत रहने की जरूरत होती है। और ये बात बिल्कुल सही है। क्योंकि आप जब शांत रहते हैं तो आपकी सोच अलग अलग और डिफरेंट डायरेक्शन में वेरी करती है। तब आपको समझ में आने लगता है कि कौन सी डायरेक्शन आपके लिए सही है और किस डायरेक्शन में आपको जाना है।
वहीं दूसरी तरफ अगर आप जल्दबाजी करते हैं और शांत नहीं रहते हैं तो इस चीज के बहुत ज्यादा चांस बढ़ जाते हैं कि आप अपनी लाइफ में गलत फैसले लें। एक चीज बहुत ज्यादा जरूरी है कि जब भी आप डिसीजन ले तो वो बहुत ज्यादा सोच समझ कर ले जिससे कि आपको पीछे मुड़कर ना देखना पड़े। क्योंकि जब किसी इंसान को डिसीजन लेने के बाद दोबारा से उस चीज के बारे में सोचना पड़ता है तो वो बहुत ज्यादा हार्ड हो सकता है। कोई भी इंसान दोबारा से किसी चीज को करने में कोई एंजॉयमेंट नहीं पाता है। इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप किसी भी डिसीजन को लेने से पहले ये सोच ले कि आपको दोबारा उस सिचुएशन में नहीं आना है। इसलिए आपको डिसीजन बहुत सोच समझ कर लेना चाहिए।
सबसे इंपॉर्टेंट बात ये की कभी भी आपकी लाइफ में रिग्रेट नहीं होना चाहिए। अगर आप अपनी लाइफ में रिग्रेट करते हैं तो फिर ये आपके लिए बहुत बड़ी समस्या हो सकती है क्योंकि जो व्यक्ति लाइफ में रिग्रेट करता रहता है उनकी लाइफ बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाती है। वो व्यक्ति अपने पास्ट में ही उलझकर रह जाता है। वो सिर्फ उन्हीं चीजों के बारे में सोचता रहता है जो कि उसने लाइफ में अपनी गलतियां करी है और वो आगे की लाइफ के बारे में बिल्कुल नहीं सोच पाता है। और उसी मूमेंट पर आके उस इंसान की ग्रोथ रुक जाती है। इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि अगर आपकी लाइफ में आप किसी चीज को लेकर रिग्रेट करते हैं तो आज ही उसे छोड़ दें, क्योंकि रिग्रेट करना लाइफ में ग्रोथ को रोकता है।
कुल मिलाकर
इस बुक समरी में हमने इस बात पर फोकस किया है कि किस तरह से एक इंसान अपनी थिंकिंग को डेवलप कर सकता है और किस तरह सेउस डेवलपमेंट की हेल्प से वो अपनी लाइफ में ग्रोथ हासिल कर सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आप एक सक्सेसफुल लाइफ एंजॉय करें तो उसके लिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि आपकी लाइफ में कांस्टेंट लर्निंग हो। आप लाइफ में हर पॉइंट पर कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करें। और कभी भी ये ना सोचें कि आपने जितना लाइफ में सीखा है उतना काफी है। क्योंकि जब आप खुद को डेवलप करना रोक देते हैं तो फिर ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो कि आप से आगे निकल जाते हैं। और अगर आप चाहते हैं कि आप सबसे आगे रहे और आपकी लाइफ एक अच्छे और पॉजिटिव नोट पर चले तो इसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप अपनी सोच को लगातार डेवलप करते रहे क्योंकि यही वो तरीका है जिसकी वजह से आप खुद को एक ऐसी लाइफ प्रोवाइड कर सकते हैं जो कि बहुत सारे लोगों का सपना होता है।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Think Straight by Darius Foroux
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