Franz Kafka
"कुत्ते की तरह!"
दो लफ्जों में
द ट्रायल फ्रांज काफ्का द्वारा 1914 और 1915 के बीच लिखी गई एक नोवेल है जो उनके मरने के बाद 26 अप्रैल 1925 को प्रकाशित हुआ। जोसेफ के. की कहानी है जिसे यह नहीं पता था कि उस पर किस बात का मुकदमा चल रहा था और ना ही यह पाठकों को पता चल पाया कि वह मुकदमा उस पर आखिर था किस वजह से। काफ्का की दूसरी नोवेल्स की तरह, द ट्रायल कभी भी पूरी नहीं हुई, हालांकि इसमें एक चैप्टर शामिल है जो कहानी को जानबूझकर अचानक खत्म करने के लिए रखा गया है।
यह कहानी किन लोगों के लिए है
● जो लिटरेचर के मास्टर पीस को पढ़ना चाहते हैं।
● जो डीप मीनिंग वाले नोवेल्स में इंटरेस्ट रखते हैं।
लेखक के बारे में
फ्रैंज काफ्का बीसवीं सदी के एक सांस्कृतिक रूप से प्रभावशाली, लघु कहानियां और उपन्यास के जर्मन लेखक थे। काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक थे।
Chapter 1
अपने तीसवे जन्मदिन की सुबह जोज़फ़ के. के घर दो पुलिस वाले आकर उसे गिरफ्तार कर रहे थे। पहले तो उसे लगा कि यह कोई बर्थडे प्रैंक हो सकता था जो कि उसके दोस्त उसके साथ कर रहे थे। लेकिन उसे बाद में पता चला कि उसे सच में अरेस्ट किया जा रहा था। जोज़फ़ के. बैंक में एक चीफ क्लर्क था। उसे यह तक नहीं बताया जा रहा था कि उसने क्या जुर्म किया था। उसके साथ एक बहुत ही अजीबोगरीब तरीके की पूछताछ हुई। उसे कुछ समझ नहीं आया था और पूछताछ के बाद उसे कहां गया कि वह अब बहुत रोज की तरह अपने काम पर वापस जा सकता था।
वापस घर आकर उसने अपनी मकान मालकिन से माफी मांगी कि उसकी वजह से घर पर पुलिस आई थी और इस वजह से उन्हें परेशानी हुई होगी। उसे वहां फ्राउलिन बर्स्टनर नाम की एक लड़की मिली जिसे उसने गले लगाया और इन दोनों ने किस भी की। यह सब के बाद उसकी परेशानी कुछ हद तक कम हो गई थी।
जोज़फ़ को एक तारीख दी गई थी जिस पर उसकी पेशी होने वाली थी। उसकी पेशी किस जगह थी इसका एक अधूरा सा एड्रेस उसे बताया गया था। उस तारीख पर जब वह वहां गया तो उसने देखा कि यह एक गरीब बस्ती का एड्रेस था वहां पर उसे वहां पर रहने वालों की हंसने की बातें करने की और चिल्लाने की आवाज आ रही थी।वह एड्रेस उसे एक बड़ी सी बिल्डिंग तक ले गया जिसमें बहुत सारी सीढ़ियां थी। आधा अधूरा एड्रेस होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसे एक्जेक्टली जाना कहां था जिससे वह काफी परेशान हो गया। वह हर फ्लोर पर पूछ रहा था और आखिरकार उसे पांचवी मंजि़ल पर वह एड्रेस मिला।
Chapter 2
जैसे ही वह उस कमरे के अंदर गया कि यह कोई किराए के घर जैसा कमरा था जहां पर काफी भीड़ लगी हुई थी। जज ने उससे कहा कि वह लेट हो गया था जिसका जवाब उस में कुछ इस तरह दिया कि गनीमत है कि वह पहुंच तो गया। यह सुनकर ऑडियंस तालियां बजाने लगी। उससे जज ने पूछा कि क्या वह एक घर पेंट करने वाला पेंटर है। उसने बड़े ही तल्ख़ियां अंदाज में कहा कि वह तो एक बड़े से बैंक में क्लर्क है। उसने पूरी सुनवाई को अपने काबू में कर रखा था। सबकी नजरें उस ही पर टिकी हुई थी। उसने अपनी बेतुकी अरेस्ट को लेकर भी बहुत बवाल किया और जज और पूरे सिस्टम की धज्जियां उड़ाने की कोशिश की। जब जोसेफ वापस जा रहा था तब जज ने उसे कहा कि ऐसी हरकतें करके और ऐसा बर्ताव रखकर वह कोर्ट द्वारा मिलने वाली सभी एडवांटेजेज़ और बेनिफिट्स को खो देगा।
जोसेफ कोर्ट की अगली तारीख का इंतजार कर रहा था। उसे वहां से कोई खबर नहीं मिली थी तो वह खुद ही संडे के दिन कोर्ट वहां चला गया। वहां पहुंचकर उसे पता लगा कि यह तो खाली पड़ा था। उसे वहां एक औरत मिली जो उसके साथ फ्लर्ट कर रही थी। थोड़ी ही देर में एक लॉ स्टूडेंट वहां आ गया और वह उस औरत को वहां से ले गया। यह सब के कुछ देर बाद ही उस औरत का पति वहां आ गया और वह और एक गाइड जोसेफ को कोर्ट दिखाने के लिए ले गए। कोर्ट के अंदर पहुंचकर उसने कई लोगों को देखा। वहां पर कुछ मुजरिम भी खड़े थे। उसने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन देखते ही देखते उसको घबराहट होने लगी। उसकी तबीयत इतनी खराब हो गई कि उससे सिक रूम ले जाना पड़ा जहां पर उसे फ्रेश हवा मिली और उसकी तबीयत सुधरी।
जोसेफ ने फ्राउलिन बर्स्टनर से बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन वह उसे लगातार इग्नोर करती रही। एक शाम जब जो सब काम से वापस घर के लिए निकल ही रहा था तो उसे अपने ऑफिस के पास के एक कमरे से एक दर्द भरी आह की आवाज सुनाई दे रही थी। जब उसने दरवाजा खोल कर कमरे के अंदर देखा तो उसने पाया कि एक आदमी उन दोनों पुलिसवालों को मार रहा था जो जोसेफ को अरेस्ट करने आए थे। यह आदमी कोई और नहीं बल्कि द व्हिपर था। दो उन दोनों को कोड़े से मार रहा था। वह उन्हें इसलिए मार रहा था क्योंकि जोसेफ ने अपनी पहली पूछताछ के दौरान उनके बिहेवियर के बारे में कंप्लेंट की थी। जोसेफ ने मन ही मन सोचा कि अगर उसे पता होता कि उसकी कंप्लेंट का यह असर होगा तो वह कभी ऐसी कंप्लेन करता ही नहीं और ना ही वह यह चाहता था कि इन पुलिस वालों को ऐसे बेरहमी से कोड़ों से मारा जाए। वह दोनों खून में लथपथ हो चुके थे। जोसेफ बहुत ही परेशान हो गया था लेकिन दूसरे लोग वहां आकर पूछताछ न करने लगे इसलिए उसने उस कमरे का दरवाजा वापस बंद कर दिया।
Chapter 3
एक दिन जोसेफ के अंकल कार्ल उससे मिलने आए। उन्हें जोसेफ पर चल रहे केस के बारे में खबर लगी थी और उन्हें जोसेफ की फिक्र होने लगी थी इसलिए वह उससे मिलने आए थे। अंकल कार्ल उसे उनके एक पुराने वकील दोस्त के पास ले गए। इस दोस्त का नाम हर हुल्ड था। हर हुल्ड बहुत ही बीमार था और वह बिस्तर से लगा हुआ था। हर हुल्ड के घर एक नस उसका ख्याल रखती थी जिसका नाम लेनी था। इन दोनों के अलावा वहां पर कोर्ट का एक चीफ क्लर्क भी मौजूद था। जोसेफ और अंकल कार्ल ने मिलकर उसे अपना केस बताया लेकिन वह उसके केस के बारे में पहले से ही जानता था क्योंकि चीफ क्लर्क उसे यह सब पहले ही बता चुका था। यह बातें चल ही रही थी कि किचन से कुछ गिरकर टूटने की आवाज आई। जोसेफ ने कहा कि वह जाकर देख आएगा। जब किचन में पहुंचा तो लेनी ने उसे बताया कि उसने यह सब उसे बाहर बुलाने के लिए ही किया था। लेनी और जोसेफ दोनों हर हुल्ड के स्टडी रूम में चले गए और वहां जोसेफ लेनी से फ्लर्ट करने लगा। जब वह वापस लौटा तो अंकल कार्ल ने उसे डांटा और कहा कि उसका इतनी देर तक गायब रहना उसके केस के लिए भारी पड़ सकता था क्योंकि चीफ क्लर्क उससे उसके केस के बारे में बातें करना चाहता था लेकिन इतनी देर तक जब वह गायब था तो वह भी चला गया।
ठंड की एक सुबह को बैठकर जोसेफ अपने केस के बारे में सोच रहा था। वह उसके लॉयर द्वारा बनाई गई कोर्ट की कार्यवाही की फाइल को पढ़ रहा था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसका लॉयर कैसे काम कर रहा था। लॉयर ने अपने बचाव में लिख रखा था कि ऐसे केसेस में कुछ ना करना ही सबसे अच्छा उपाय था। केस के बारे में सोच सोच कर जोसेफ अब बहुत थक चुका था और उसे आगे क्या करना चाहिए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
यह सब की वजह से वह अपने काम पर भी कंसंट्रेट नहीं कर पा रहा था। वह इतना परेशान रहने लगा था कि कई जरूरी क्लाइंट को उसने इंतजार करने के लिए कह दिया था। जोसेफ को एक बहुत इंपॉर्टेंट क्लाइंट मिला था लेकिन उसने अपने इसी तनाव के कारण उसे भी खो दिया था और मौके का फायदा उठाकर उस के सबसे बड़े कॉम्पिटिटर असिस्टेंट मैनेजर ने यह केस अपने हाथ में ले लिया था। लेकिन यह इंपॉर्टेंट क्लाइंट जोसेफ से आकर बोलता है और कहता है कि वह उसके केस में बारे में जानता था। जोसेफ को यह सुनकर बहुत ही अजीब लगा। उस क्लाइंट ने उसे एक सुझाव दिया कि वह एक छोटे-मोटे पेंटर को जानता था, जो कोर्ट के लिए पेंटिंग बनाया करता था, जिसका नाम टिटोरेली था। इस पेंटर ने ही उसे जोसेफ के केस के बारे में बताया था। वह सुझाव देता है कि जोसेफ इस आदमी से मिलें, पता करें कि वह क्या जानता है, और देखें कि क्या वह किसी काम का हो सकता है। जोसेफ ने उस पेंटर का एड्रेस लिया और कामकाज छोड़कर उससे मिलने के लिए चला गया। इस मौके का भी फायदा उठा कर असिस्टेंट मैनेजर ने उसके बचे हुए सारे केसेस अपने हाथ में ले लिए थे। पेंटर शहर के उस हिस्से में रहता था जो कि उस हिस्से से भी ज्यादा दयनीय हालत में था जब वह सुनवाई के लिए जहां गया था। जोसेफ ने पहले बिल्डिंग ढूंढी़, फिर उसने सीढ़ियां चढ़ी, जहां उसे एक जवान लड़कियों की नटखट टोली मिली। एक छोटे से स्टूडियो रूम में उसे वह पेंटर मिल गया। यह लड़कियों की टोली बाहर खड़े होकर झांक रही थी और उनकी बातें सुन रही थी।
पेंटर वाकई में एक ऑफिशियल कोर्ट पेंटर था। उसे यह पद अपने पिता से विरासत में मिला था। उसने जोसेफ को कोर्ट के बारे में और ज्यादा जानकारी दी। उसने जोसेफ से कहा कि वह उसके कनेक्शंस को इस्तेमाल कर के उसे बरी करवाने की कोशिश करेगा। वह उसे बताता है कि कैसे उसे बरी करवाया जा सकता था।
टिटोरेली के स्पष्टीकरण से पता चला था कि किसी भी आरोपी को कभी भी सही मायने में बरी होने का मौका नहीं मिलता है; सुनवाई या तो अनंत काल तक जारी रहते हैं या जुर्म साबित होने पर ही खत्म होती है।
हालांकि यह एक आसान फैसला नहीं था, जोसेफ ने अपने वकील की सेवाओं को समाप्त करने का संकल्प किया। वह एक शाम दस बजे वकील के घर जाता है। दरवाज़ा एक बेकार से दिखने वाले, दाढ़ी वाले छोटे से ने खोला। जोसेफ लेनी को अपने नाइटगाउन में दूसरे कमरे में भागते हुए देखता है। वह छोटे आदमी के बारे में जानना चाहता है कि क्या वह लेनी का लवर है। आदमी जोसेफ को बताता है कि वह लेनी का लवर नहीं है। उसका नाम ब्लॉक था और वह एक व्यापारी था और वकील का मुवक्किल भी था। ब्लॉक जोसेफ को किचन में ले जाता है जहां लेनी वकील का सूप तैयार कर रही थी। जोसेफ को अभी भी यकीन नहीं था कि ब्लॉक लेनी का लवर था या नहीं। लेकिन ब्लॉक और लेनी पूरी कोशिश कर रहे थे कि वह जोसेफ को इस बात का यकीन दिला दें।
जब जोसेफ ब्लॉक और लेनी को बताता है कि वह हल्ड से अपना केस वापस ले रहा था क्योंकि वह उसके बतौर वकील काम से खुश नहीं था। यह सुनकर ब्लॉक और लेनी उसे रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन वह उन दोनों को उसी कमरे में बंद कर कर हल्ड से मिलने आ गया था।
वकील जोसेफ को लेनी के चरित्र की एक ख़ासियत के बारे में बताता है कि वह सभी आरोपी पुरुषों की ही तरफ अट्रैक्ट होती थी। जोसेफ ने वकील को अपने फैसले की जानकारी दी। वकील ने जोसेफ को एक बार और सोचने के लिए कहा। जोसेफ ने उसे बताया कि वह उनके काम की गति और तरीके से परेशान आ चुका था और उसने पूछा कि अगर वह जारी रखना चाहते हैं तो वह क्या उपाय करेंगे। हर हल्ड का दावा था कि वह अपनी वर्तमान गतिविधियों को जारी रखेंगे। लेकिन इसमें जोसेफ का कोई फायदा नहीं था। हालाँकि, वह इस बात से हैरान था कि एक अमीर और बड़े वकील को क्लाइंट रखने की इतनी परवाह क्यों करनी चाहिए।
वकील जोसेफ को मनाने की एक और कोशिश करता है। वह जोसेफ को यह दिखाना चाहता था कि आरोपी पुरुषों के साथ आम तौर पर कैसा व्यवहार किया जाता है, ताकि के उसे यह महसूस करा सके कि उसके साथ कितना अच्छा व्यवहार किया गया था और अदालत ने उसे किस हद तक नजरअंदाज कर रखा था।
हल्ड लेनी को ब्लॉक को लाने के लिए भेजता है। जोसेफ देखता है कि कैसे दोनों ब्लॉक को अपमानित करते हैं, और कैसे वह डर कर चुपचाप खुद को अपमानित होने देता है। जोसेफ को ऐसा लगा जैसे कि वकील के पास ब्लॉक के ऊपर पूरा अधिकार था।
Chapter 4
एक इटालियन क्लाइंट शहर आ रहा था और जोसेफ को उसे शहर के कल्चरल जगहें दिखाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जोसेफ अपने काम पर कंसंट्रेट करना चाहता था इसलिए उसने इसके लिए हामी भी भर दी।
अगली सुबह जोसेफ ऑफिस जल्दी पहुंच गया था। वह रात भर इटालियन ग्रामर पढ़ पढ़ कर थक गया था। उसका क्लाइंट वक्त की कमी की वजह से सब जगह नहीं घूम सकता था इसलिए उसने 10:00 बजे कैथेड्रल पर मिलने का प्लान बनाया।
जोसेफ कैथेड्रल पहुंच गया था और इटालियन क्लाइंट आने में लेट हो गया था तो जोसेफ ने उसे आधा घंटा और दिया लेकिन उसके बाद भी वह नहीं आया। बाहर तेज बारिश हो रही थी इसलिए जोसेफ को वहां कुछ देर और रुकना पड़ा। एक प्रीस्ट पलपिट पर चढ़ गया था। जोसेफ को समझ नहीं आया कि वह ऐसे अजीब टाइम पर प्रेयर क्यों शुरू कर रहा था। जोसेफ ने सोचा कि अगर एक बार प्रेयर स्टार्ट हो गई तो उसका वहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा। वह उठकर जा ही रहा था के पीछे से एक आवाज आई- "जोसेफ के.!"। उसने एक पल के लिए सोचा कि उसे ना सुनने और ना समझने का नाटक कर लेना चाहिए लेकिन वह पलटा और देखा यह प्रीस्ट ही उसे आवाज दे रहे थे। उसे एक पल को समझ ही नहीं आया कि वह उसका नाम कैसे जानते थे।
प्रीस्ट वास्तव में जेल का पुजारी था, जो अदालत से जुड़ा हुआ था। उन्होंने जोसेफ को इस जगह पर जानबूझकर बुलावाया था। वह जोसेफ को बता रहा था कि उसका मामला खराब चल रहा था और यह कभी भी निचली अदालतों से आगे नहीं बढ़ सकता है। जोसेफ का मानना था कि पादरी के इरादे अच्छे थे, और उसे उम्मीद थी कि पादरी उसे कुछ अच्छी सलाह देने में सक्षम हो सकता था।
वह दोनों गलियारे में चलते-चलते बात कर रहे थे। जोसेफ ने पादरी से कहा कि वह उस पर कोर्ट से जुड़े किसी भी इंसान से ज्यादा भरोसा कर रहा था और बहुत से खुलकर बात भी कर पा रहा था। पादरी ने कहा कि जोसेफ भटका हुआ था। वह एक छोटी सी कहानी सुनाता है और कहता है कि यह कहानी जोसेफ की कहानी का एग्जांपल हो सकती थी। कानून के बारे में लेखन से ली गई यह छोटी सी कहानी, देश के एक व्यक्ति के बारे में बताती है जो कानून के गेट पर एंट्री पाने की कोशिश करता है, हमेशा गेटकीपर द्वारा इनकार किया जाता है, और फिर भी मर जाने के बाद उसे एहसास होता है कि यह गेट तो उसी के लिए ही था। यह गेटकीपर ही थे जो उसे अंदर जाने से रोक रहे थे। यह कहानी खत्म होने के बाद पादरी और जोसेफ इसके एक्सप्लेनेशन पर बात कर रहे थे कि कौन भटका हुआ था? कौन किसके अधीन था? यह गेटकीपर कौन थे? दोनों कुछ देर बाद बिल्कुल चुप हो गए। जोसेफ को इस कहानी से कुछ खासा समझ नहीं आया था। उसने पादरी से जाने की इजाजत मांगी और पादरी में उसे आसानी से जाने दिया। जोसेफ को यह चीज बहुत अजीब लगी कि पादरी कुछ देर पहले तो इतना मिलनसार और मददगार लग रहा था लेकिन उसने जोसेफ को रोका क्यों नहीं और जाने क्यों दिया। उसने यह चीज पादरी से ही पूछ ली। पादरी ने जवाब दिया कि न्यायालय से जुड़ा हुआ है, और यह कि "न्यायालय आपसे कुछ नहीं चाहता है। जब आप आते हैं तो यह आपका स्वागत करता है और जब आप जाते हैं तो आपको बर्खास्त कर देता है।"
जोसेफ के इकतीसवें जन्मदिन की शाम पर—उसकी गिरफ्तारी के एक साल बाद—दो आदमी उसके कमरे में आए थे। वे उसे शहर के बाहरी इलाके में एक खदान में ले गए, जहाँ उन्होंने उसके दिल में चाकू घोंप दिया। जोसेफ, अपनी मौत से शर्मिंदा होकर, अपने ने आखिरी शब्द कहे- "कुत्ते की तरह!"
कुल मिलाकर
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