David Diop
At Night All Blood is Black
दो लफ्जों में
Alfa Ndiaye एकसेनेगली फोजी था जो फ्रांस के लोगों के साथ मिल कर पहला विश्व युद्ध लड़ रहा था।उसने युद्ध के दौरान अपने Best Friend, Mademba को खो दिया था।जो उसके साथ ही युद्ध लड़ रहा था। Mademba की मौत बहूत दर्दनाक तरीके से हुई थी।जिसके बाद Alfa Ndiaye के सर पर खून सवारहो गया था।
ये कहानी किन लोगों को पढ़ना चाहिए
जो ऐतिहासिक फिक्शन पढ़ना पसंद करते हैं। उन्हें ये कहानी एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
लेखक के बारे में
David Diop पेरिस में पैदा हुए थे। उन्होंने अपना बचपन सेनेगल में बिताया।उन्होंने फ्रांस में रहकर अपनी आर्ट्स और लिट्रेचर की पढ़ाई पूरी की। वह फ्रांस के सबसे मशहूर लेखक हैं। इनकी यह बुक ' एट नाइट आल ब्लड इस ब्लैक ' को 2021 में international booker prize का पुरूस्कार भी मिला था।
Chapter 1
Alfa Ndiaye सेनेगल के एक गांव Gandiol का रहने वाला था।जो पहले कभी अपने गांव से बाहर नहीं गया था।पर आज वह फ्रांस की फौज के साथ मिल कर पहला विश्व युद्ध लड़ रहा था। फ्रांस के फौजी याने टौबब्स उसे और उसके साथ के सारे सेनेगलियों को चॉकलेट कह कर बुलाते थे। टौबब्स का एक जेनरल था, जिस का नाम कैप्टन अर्मांड था। वह सारे सेनेगली फौजियों को जंग लड़ने के लिए हौसला देता था। वह उन्हें कहता था कि फ्रांस के लोग तुम्हें बहुत पसंद करते हैं। यह तो बस न्यूज पेपर वाले हैं जो हमें ऐसा दर्शाते हैं कि हम अपने फायदे के लिए तुम्हारा इस्तमाल करते हैं, पर असल में ऐसा कुछ नहीं है। एल्फा कैप्टन अर्मांड के शब्दों में छुपे अर्थ को बखूबी समझता था। वह यह जानता था कि युद्ध में फ्रांस को सनकी सिपाहियों की जरूरत है जो अच्छे से खून खराबा कर सकें। इसी लिए यह लोग हम जैसे लोगों को भरती के रहे हैं।
आज एल्फा बहुत पछता रहा था। उसे अपनी गलती काएहसास था और वह बहुत शर्मिंदा था। वह खुदा से अपने किए उस गुनाह की माफीमांग रहा था। जिस गुनाह के लिए शायद वो खुद को कभी माफ नहीं कर पाएगा।असल में वह अपने बेस्ट फ्रैंड मदेंबा कि मौत के लिए खुद को दोषी मानता है।
एल्फा और मदेंबा बचपन के जिग्री दोस्त थे। वह साथ में पले बढ़े थे और उन्होंने विश्व युद्ध भी साथ ही में लड़ना शुरू किया था। वे दोनों एक ही सैनिकों की टुकड़ी में थे। मदेंबा और एल्फा रात के वक्त बैटलफील्ड पर गए थे। वे जर्मन फौजियों की लाशों के पास से गुजर रहे थे। एल्फा थोड़ा सा आगे था और मदेंबा थोड़ा सा पीछे था। तभी अचानक से एक जर्मन फौजी ने उठ कर मदेंबा पर चाकू से हमला कर दिया और वहां से भाग गया। मदेंबा ज़ोर से चिल्लाया। एल्फा ने जब मदेंबा की चीख सुनकर पीछे देखा तो वह लहूलुहान ज़मीन पर पड़ा हुआ था। एल्फा ने जब ये सब देखा तो उसे मदेंबा के लिए बहुत दुख हुआ।उसने मदेंबा से पूछा कि वह आदमी कैसा दिखता है जिस ने तुम पर वार किया है? मदेंबा ने कहाकि उसकी नीली आंखें है। लेकिन तुम उसे छोड़ दो, मुझे बहुत ज़्यादा तकलीफ हो रही है। मुझसे अब यह दर्द बर्दाश्त नहीं होता। प्लीज़ तुम मुझे मार कर मुझे इस तकलीफ से छुटकारा दिला दो। लेकिन एल्फा ऐसा नहीं कर पाया। alfa का ध्यान तो उस जर्मन फौजी में लगा हुआ थाजो उसके प्यारे दोस्त को ज़ख्मी करके भाग गया था।वह उस वक़्त बस किसी भी हाल में उसे ढूंढ कर मारना चाहता था।
मदेंबा उसके सामने दर्द से कराहरहा था क्योंकि उसे जर्मन सैनिक ने बुरी तरह घायल कर दिया था। उस परइतनी क्रूरता से वार किया गया था कि उसकी आंते बाहर आ गयी थीं। उसकी जान इतने धीरे धीरे निकली थी कि उसकी जान निकलने में सुबह के पहले पहर से रात हो गई थी। मदेंबा को इतनी तकलीफ हो रही थी कि वह 3 बार एल्फा से उसे मारने के लिए कह चुका था पर एल्फा उसे नहीं मार पाया था। एल्फा उसे बहुत प्यार करता था और उसकी अंतरात्मा उसे ऐसा करने से रोक रही थी। आखिरकार मदेंबा का दर्द ख़त्म हुआ और वह मर गया।
एल्फा ने अपनी शर्ट उतार कर मदेंबा के पेट पर बांध दिया ताकि उसकी आंतें बाहर ना लटकें और अपना कोट भी उतार कर उसे लपेट दिया। उस रात बहुत ठंड थी और वह इतनी सर्द रात में उसे उठा कर उनकी टुकड़ी के trench में लेकर आया। जंग के वक़्त सैनिक ज़मीन में छुपने के लिए गहरे और लंबे गढढे बना लेते हैं उन गढढो को ट्रेंच कहते हैं।जब वह अंदर आया तो सब ने उसकी हिम्मत की दाद दी।
एल्फा के मन की दशा उस वक़्त कोई नहीं समझपा रहा था। वह अंदर से टूट चुका था। अब धीरे धीरे उसके ख्याल बदलने लगे थे। जिसे किसी ने नोटिस नहीं किया था।
वह रात को ट्रेंच से निकल कर बाहर जाता और जब वापस आता तो उसके पास एक जर्मन सेना के नीली आंखों वाले सिपाही की बन्दूक और जिस हाथ ने उस बन्दूक को पकड़ा था वह हाथ होता था। शुरू में तो सब फौजी यह देख कर बहुत खुश हुए। एल्फा उन के लिए हीरो बन गया था। किसी ने एल्फा से यह नहीं पूछा कि उसने बची हुई बॉडी का क्या किया। सब को तो मरे हुए जर्मन सैनिक का कटा हुआ हाथ देख कर अच्छा लगता था पर असलियत कोई नहीं जानता था।
एल्फा रात के वक्त जाकर लाशों के बीच लेट जाता और ऐसे दिखाता जैसेवह मरा हुआ है। जब कोई जर्मन सैनिक वहां पर दौरे पर आता तो उसे वह ठीक उसी तरीके से घायल कर देता जिस तरह उसके दोस्त मदेंबा को उस जर्मन सैनिक ने घायल किया था। और फिर जब वह अपनी मौत की भीख मांगने लगता तो अल्फा उसे पहली बार कहने पर ही मार देता और सोचता कि मैं कितना दयावान हूं।मैंने उसे दर्द से राहत दिला दी। इस तरह उसने तीन और फौजियों को मार दिया। उन फौजियों को मारते समय उसने यह नोटिस किया कि रात के वक़्त खून काला ही दिखाई देता है , फिर चाहे वह किसी का भी हो। वह जब भी किसी को मारता तो उस इंसान का हाथ और बन्दूक अपने साथ लेकर आ जाता था। अब उसके साथ के लोग उसकी सराहना नहीं करते थे वे अब एल्फा से डरने लगे थे।
एल्फा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उसके बारे में कौन क्या सोचता है।उसके साथ के लोग उसे काला जादू करने वाला जादूगर मानने लगे थे। उसके बारे में अफवाहें फैलाने लगे थे कि वह जिसे बुरी नजर से देख ले तो वह इंसान मर जाता है। अब लोग उसकी आंखों में देखने से भी बचने लगे थे। एल्फा फिर भी नहीं रुका। वह ट्रेंच में जर्मन सैनिकों की बंदूक और हाथ लाता रहा। इसी तरह मरने वालों की गिंती चार से पांच हुई, फिर 5से 6 और 6 से 7 और सात से आठ हो गई lAlfa के पास सात ही हाथ थे। वह शुरू में जो हाथ ले कर आया था वह जीन बेप्साइड ने उससे ले लिया था। जीन बेप्साइड मदेंबा के बाद एल्फा का इकलौता दोस्त बचा था। लेकिन एल्फा से हाथ लेने के बाद दूसरे ही दिन वह भी जर्मन सेना द्वारा मारा गया था। एल्फा को लगता था कि उसके पास इतने सारे हाथ है इसलिए लोग उसके बारे में ऐसी उल्टी-सीधी बातें करते हैं।
युद्ध भूमि पर खून खराबा बढ़ता ही जा रहा था और युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। इस तरह फ्रांस के जो फौजी थे जिन्हें टोबब्स कहा जाता था अब वे लोग गिंती के 7 ही बचे थे। वे लोग अब खून खराबा नहीं देखना चाहते थे। इसलिए वे लोग अब युद्ध करने से मना कर रहे थे। तभी कैप्टन अर्मांड ने उन सबसे कहा कि अगर तुम लोग युद्ध नहीं लड़ोगे तो हम तुम सबको मार डालेंगे और तुम्हें देश द्रोही बता देंगे। फिर तुम्हारे घर वालों को सारी जिंदगी बेइज्जत होकर रहना पड़ेगा और तुम्हारे मरने के बाद उन्हें कोई पैसा यानी की पेंशन नहीं दिया जाएगा और वे लोग भूख से मर जाएंगे। यह सुन कर टौबब्स डर गए।
हताश होकर आखिरकार टौबब्स को जंग लड़ने जाना पड़ा। उस दिन सारे टौबब फौजी मारे गए थे।
एक दिन कैप्टन अर्मांड ने इब्राहिम सेक को एल्फा से बात करने पहुंचाया। इब्राहिम सैक ने डरते हुए एल्फा से कहा कि कैप्टन चाहते हैं कि तुम युद्ध छोड़कर चले जाओ और जाकर आराम करो। अब यहां के हालात हम संभाल लेंगे। एल्फा समझ गया था कि कैप्टन को लगता है कि मैं यहां के लोगों के लिए खतरा बन गया हूं।वह मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं इसलिए मुझे जाने के लिए कह रहे हैं। एल्फा वापस जाने के लिए तैयार हो गया। इब्राहिम सैक ने एल्फा से कहा कि कैप्टन अर्मांड यह चाहते हैं कि तुम ने जो जर्मन सैनिकों के हाथ इकट्ठे किए हैं वे हमें दे दो। एल्फा जनता था कि यह लोग उन हाथों को प्रूफ दिखा कर उसे फंसा कर जेल में बंद करवा देंगे इसलिए उसने इब्राहिम सैक से कहा कि मेरे पास अब वह हाथ नहीं हैं।
उसने उन सारे हाथों को शुरुवात में ही चुले की राख के पास रख कर सुखा लिया था। ऐसा उसने उन्हें सड़ने से बचाने के लिए किया था।
एल्फा दूसरे ही दिन वापस लौटने के लिए निकलने लगा तब ही कैप्टन अर्मांड ने सिपाहियों से कहकर एल्फा की तलाशी दिलवाई। तलाशी के दोरान फौजियों को उसके बेग में से कुछ नहीं मिला। वे लोग जैसे ही उसकी अटेंची चेक करने लगे तो एल्फा ने कहा कि इसमें मेरे ताविज और जादू करने का सामान है। अगर किसी ने इसको हाथ लगाया तो बदकिस्मती उसका पीछा नहीं छोड़ेगी। सब उससे वैसे ही डरते थे। उसके मना करने पर सबने उसकी बात मान लिया और अटेंची को चेक नहीं किया। इस तरह एल्फा अपने साथ वह सारे हाथ ले जाने में सफल हो गया।
Chapter 2
Alfaको अब साइकेट्रिक अस्पताल में भेज दिया गया था। वहां पर उसकी मुलाकात मदेमोइसेले फ्रांसिस से हुई जो वहां के डॉक्टर की बेटी थी और उस अस्पताल की नर्स भी थी। मदेमोइसेल को देख कर एल्फा को अपनी गर्लफ्रेंड की याद आती थी। उसकी गर्लफ्रेंड का नाम फारी थियम था। वह बहुत खुबसरत थी और एल्फा के बचपन की दोस्त भी थी। एल्फा और मदेंबा दोनों ही फारी थियम को बचपन से पसंद करते थे पर फारी थियम ने कभी यह ज़ाहिर नहीं किया था कि वह किसे चाहती है।
मदेंबा और एल्फा युद्ध में हिस्सा लेने के एक दिन पहले अपने सारे दोस्तों के साथ पार्टी में गए थे। उन में फारी थियम भी मौजूद थी। रात के वक्त जब सारे फ्रेंड्स बैठ कर एक दूसरे को कहानी सुना रहे थे तब फारी एल्फा को अपने साथ अकेले में ले गई। मदेंबा उन दोनों को जाते हुए देख रहा था। मदेंबा यह समझ गया था कि फारी ने एल्फा को चुन लिया है। एल्फा ने जाते वक़्त मदेंबा की ओर देखा।वह दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए और फिर अल्फा फारी के साथ चला गया।
फारी और एल्फा नदी के किनारे आकर एकपेड़ के पास रुक गए और उन दोनों ने एक दूसरे को प्यार किया। एल्फा उस रात बहुत खुश था लेकिन उसे अपने दोस्त मदेंबा के लिए बुरा भी लग रहा था क्योंकि वह यह सब एक्सपीरियंस नहीं कर पाया था।
फारी के पिता अब्दोऊथियम gandiol के विलेज चीफ थे वह पूरे गांव का टैक्स जमा करते थे और गांव वालों को एडवाइज भी दिया करते थे उन्होंने एक बार पूरे गांव से कहकर सिर्फ मूंगफली की खेती करवाई लेकिन जब यह बात फारी के पिता ने एल्फा और मादेंबा के पिता से कहीं तो उन्होंने मूंगफली उगाने से साफ साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं दूसरी भी सब्जियां और अन्न उगाता हूं और मेरा परिवार साल भर वही अन्न और सब्जियां खाता है और यह अन्न और सब्जियां ही मेरी रोज़ी का एक मात्र ज़रिया हैं। उसी साल गांव में सूखा पड़ गया। एल्फा और उसके परिवार का गुजरा तो ठीक से हो गया पर पूरे गांव के सामने फारी के पापा की नाक नीची हो गई। एल्फा और मदेंबा के पापा ने पूरे गांव के सामने फारी के पापा को कहा कि तूम एक अच्छेvillage chiefनहीं हो। जिसके बाद से फारी के पापा एल्फा और मदेंबा की फ़ैमिली को नापसंद करने लगे।
इतना सब होने के बाद भी फारी थियम ने एल्फा को चुना था और खुद को एल्फा के हाथों में सौंप दिया था। एल्फा उस दिन तो यह नहीं समझ पाया था कि फारी ने ऐसा क्युं किया पर बाद में वह समझ गयाकि फारी ने उस दिन खुद को एल्फा को इसलिए सौंप दिया था क्यूंकि वह जानती थी कि अब कभी वह एल्फा से नहीं मिल पाएगी। एल्फा अब कभी gandiolवापस नहीं लौटेगा। कल एल्फा युद्ध लड़ने चला जाएगा और वह या तो वहां मारा जाएगा या फिर वापस आकरsaint Luis du senegalमें अमीरों की तरह ज़िन्दगी गुजारेगा। फ्रांस उन दोनों को कभी मिलने नहीं देगा चाहे एल्फा जिए या मरे। एल्फा वापस आता है तो फिर भी ठीक है लेकिन अगर वो मारा गया तो वह इस खुशी से महरूम ही रह जाएगा।
Chapter 3
एल्फा जानता था कि डॉक्टर फ्रांसिस एक अच्छे इंसान थे। वे हमेशा अपने पेशंट्स से अच्छी तरह पेश आते थे। वह रोजाना एक स्कूल के प्रिसिपल की तरह सारे पेशंट्स के सामने बैठ जाते थे और सारे पेशंट्स को तस्वीर बनाने के लिए कहते थे। पेशंट्स जिस चीज की चाहें पेंटिंग बना सकते थे। एल्फा को फ्रेंच नहीं आती थी इसलिए वह डॉक्टर फ्रांसिस से बात नहीं कर पाता था। वह केवल अपनी बनाई तस्वीरों के ज़रिए ही उनसे बात कर सकता था। एल्फा इस बात को समझ रहा था कि डॉक्टर उसकी बनाई पेंटिंग्स के थ्रू ही उसके दिल ओर दिमाग में झांक सकते थे और उस चोट को ख़तम कर सकते थे जो वॉर ने उसे दी थी। जब उन्होंने एल्फा को पेंटिंग बनाने के लिए कहा तो एल्फा ने सबसे पहले अपनी मां की तस्वीर बनाई।
जब अल्फा अपनी मां की तस्वीर बना रहा था तो उसके बचपन की बहुत सी यादें ताज़ा हाे गयी थीं। एल्फा की मां वेस्ट अफ्रीका की ही रहवासी थीं पर वह दूसरे गांव की थीं। उनकी लैंग्वेज एल्फा और उसके पिता के अलावा कोई नहीं समझता था। वह एल्फा के पिता की 4थी बीवी थीं। एल्फा के नाना याने योरोबा साल में एक बार gandiolआते थे। एल्फा के पिता उन्हें अपने कुंवे से पानी देते थे। योरोबा ने उनका एहसान उतारने के लिए अपनी बेटी पेंडो का हाथ एल्फा के पिता के हाथ में दे दिया और यह वादा किया कि हम हर साल तुम से मिलने आएंगे और शुरू में कुछ साल वे लोग मिलने आए भी।लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने आना बंद कर दिया। एल्फा की मां अपने मां-बाप के आने का इंतजार करती रहती थी। एल्फा की पिता को उसकी मां के चेहरे पर निराशा अच्छीनहीं लगती थी। वे उसकी मां से बहुत प्यार करते थे। फिर उन्होंने एक दिन अल्फा की मां से कहां कि तुम जा कर अपने मां बाप से मिल आओ। एल्फा की मां बहुत खुश हो गई।
एल्फा के पिता ने अपने एक साथी के साथ एल्फा की मां को उनके गांव के लिए रवाना कर दिया। एल्फा की मां एल्फा को भी अपने साथ ले जाना चाहती थी। लेकिन एल्फा के पिता ने उन्हें एल्फा को साथ ले जाने से मना कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं ऐसा न हो कि पेंडो एल्फा को अपने साथ ले जाएं और कभी वापस ही न आए। पेंडों के जाने के बाद एल्फा के पिता और एल्फा दोनों उसके लौटने का तकरीबन एक 1 साल तक इंतजार करते रहे, पर वह लौटकर नहीं आई। तब एल्फा के पिता ने एल्फा के सौतेले भाई को पेंडो के गांव, हालात मालूम करने पहुंचाया। उसने वापस आकर एल्फा के पिता को बताया की पेंडो को कुछ गुंडों ने किडनैप करके बेच दिया और उसके साथी को मार डाला। यह खबर सुनकर एल्फा के पिता को बहुत बड़ा झटका लगा था। वे एल्फा के सामने अपने दुख को जाहिर नहीं करते थे। वे मुस्कुराते रहते थे। लेकिन उस इंसीडेंट के बाद से वे अब तेजी से बूढ़े होने लगे थे। आज इतने सालों बाद एल्फा को सब कुछ याद आ रहा था। उसे अपनी मां की बहुत याद आ रही थी।
Chapter 4
एल्फा ने डॉक्टर फ्रांसिस के कहने पर जो दूसरी तस्वीर बनाई थी वह थी मदेंबा डॉयोप की। जो एल्फा के लिए भाई से भी ज़्यादा बड़ कर था। यह तस्वीर पहले वाली तस्वीर जितनी खूबसूरत तो नहीं थी। पर इसका मतलब यह नहीं था कि एल्फा मदेंबा से कम प्यार करता था। मदेंबा देखने में तो आम-सा ही इंसान था पर वह अंदर से बहुत खूबसूरत था।
एल्फा की मां के वापस ना लौटने का सब से ज़्यादा दुख मदेंबा को ही था। वह भी एल्फा से उतना ही प्यार करता था जितना कि एल्फा उससे। जब एल्फा की मां वापस नहीं आई थी तब मदेंबा उसे अपने साथ अपने घर ले गया और धीरे धीरे कर के एल्फा रोज मदेंबा के घर ही सोने लगा। मदेंबा ने अपनी मां से एल्फा को एडॉप्ट करने के लिए कहा। उसकी मां मान भी गई। मदेंबा के मम्मी पापा ने एल्फा के पापा से इस बारे में बात की और अपनी इच्छा जताई कि हम एल्फा को गोद लेना चाहते हैं। एल्फा के पिताजी ने रजामंदी दे दी।एल्फा उनके साथ रहने लगा। और धीरे धीरे उनके परिवार का हिस्सा बन गया। एल्फा के लिए अब मदेंबा का परिवार ही उसका परिवार था।
अब मदेंबा और एल्फा दोनों ही बड़े होने लगे थे। एल्फासब एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करता था। उसने सब कुछ सीखा था जैसे नाचना, गाना ,स्विमिंग करना ,रेसलिंग करना। एल्फा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा था वह स्ट्रांग होता जा रहा था।जबकि मदेंबा दुबला पतला सा और कमजोर सा लड़का दिखाई देता था। उसे सिर्फ पढ़ने लिखने में दिलचस्पी थी। वह सिर्फ 12 साल का था जब ही उसने पूरा कुरान शरीफ अच्छी तरह से पढ़ना सीख लिया था। जबकि एल्फा को 15 साल की उम्र तक सिर्फ नमाज ही ठीक से पढ़ना आती थी।
मदेंबा ने गोरों के स्कूल जाने की फरमाइश की क्योंकि उनके स्कूलों में पढ़ाई ज्यादा अच्छी थी और मदेंबा के पापा भी चाहते थे कि वह पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन जाए। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी थी कि एल्फा भी मदेंबा के साथ उसी स्कूल जाएगा। अल्फा के लिए कुछ भी सीख पाना नामुमकिन सा था। उसके दिमाग में ऑलरेडी बहुत कुछ चल रहा था। जिसके रहते वह अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाया और उसने खेती बाड़ी करना उचित समझा। मदेंबा ने उस ही स्कूल जा कर फ्रेंच भी सीखी।
स्कूल पूरा हो चुका था और अब वे दोनों 20 साल के हो गए थे। मदेंबा ने मिलिट्री ज्वाइन करने का फैसला किया। उसने गोरों के स्कूल जाकर यह बात सीखी थी कि अगर वह वॉर में पार्टीसिपेट करेगा तो उसे फ्रांस की सिटिजनशिप याने फ्रांस की नग्रिक्ता मिल जाएगी। मदेंबा और एल्फा साथ साथ ही रहते थे। मदेंबा ने एल्फा को भी समझा लिया और अपने साथ मिलिट्री ज्वाइन करने के लिए मना लिया और वह दोनों विश्व युद्ध के लिए निकल गए।
Chapter 5
3rd और सबसे आखरी चीज जिस की एल्फा ने तस्वीर बनाई थी वह थे वह सात कटे हुए सिपाहियों के हाथ जो एल्फा ने जंग के दौरान काटे थे। एल्फा यह देखना चाहता था कि जिस तरह उसने अपनी मां और मदेंबा की तस्वीर बखूबी तरीके से बनाई है क्या वह उसी तरह उन हाथों को भी पेपर पर बना सकता है? उसने सारे हाथों को एक के पास एक रखे हुए बना दिया।
जब पेंटिंग बनकर तैयार हुई तो एल्फा अपनी पेंटिंग को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने छोटी से छोटी बारीकी का ध्यान रखा था। उसने हाथों पर लगा 1-1 कट , उनके बाल और नाखून, और उन हाथों में से टपकता हुआ खून , सब कुछ बिल्कुल उसी तरह ड्रॉ किया था जिस तरह वह हाथ असल में दिखते थे , जब उसने उन्हें काटा था।
पेंटिंग बनाने से कुछ दिन पहले ही एल्फा ने उन सारे हाथों को एक कपड़े में लपेट कर एक सफेद बक्से में डाल दिया था और उस बॉक्स को एक सुरक्षित जगह गाड़ दिया। ताकि कोई उसे ढूंढ़ ना पाए।
डॉक्टर फ्रांसिस एल्फा के दिमाग से बुरी यादों को निकालना चाहते थे और बस वह सातों हाथ ही अब एल्फा के ज़हन में रह गए थे। एल्फा भी उन्हें अब अपने दिमाग से निकालना चाहता था। यही वजह थी कि उसने उन हाथों को पेपर पर ड्रॉ किया। डॉक्टर फ्रांसिस ने जब वह पेंटिंग देखी तो उनके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई।
कुल मिलाकर
एल्फा अब सारी पुरानी बातें भूल चुका है। युद्ध से रिलेटेड अब एक भी बात उसके दिमाग में नहीं है। वह अपना बचपन तक भूल चुका है। वह धीरे धीरे करके अपना अस्तित्व खो चुका है। वह खुद को मदेंबा समझने लगा है। उसका डॉक्टर फ्रांसिस की बेटी के साथ अफेयर चल रहा है। अगर हम साइंटिफिक वे में बात करें तो अल्फा को Split Personality Disorder हो गया है। मादिंबा की Personality उस पर हावी हो गई है। कभी-कभी उसके दिमाग में हल्की हल्की सी आवाजें सुनाई देती है जो असल में उसकी खुद की पर्सनैलिटी की आवाज है लेकिन मदेंबा की पर्सनैलिटी ने उसकी बॉडी पर कब्जा कर लिया है।