The Time Paradox

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The Time Paradox

Philip Zimbardo And John Boyd
समय का नया मनोविज्ञान, जो आपके जीवन को बदल देगा।

दो लफ्जो में
समय मायने रखता है।हम में से बहुत से लोग समय के गुलाम हैं चाहे हम प्लानिंग कर रहे हो,किसी काम की लिस्ट बना रहे हो, कुछ निरस्त कर रहे हो या एक समय में बहुत सारे काम कर रहे हो। लेकिन टाइम के कांसेप्ट के प्रति यह हमारा एटीट्यूड होता है जो हम कैसे हैं और कैसे जी रहे हैं, इस बात को प्रभावित करता है । 
The Time Paradox(2009) आपको दिखाती है कि एक अच्छी और खुशहाल जिंदगी के बारे मे आप किस तरह से सोचना शुरू कर सकते हैं।

यह किसके लिए है? 
- ऐसे व्यक्ति जो अपनी दर्द भरी यादों से बाहर आना चाहते हैं । 
- मनोवैज्ञानिक और मनोविज्ञान के छात्र
- कोई ऐसा जो जानना चाहता हो कि इंसान टाइम को कैसे समझते हैं। 

लेखक के बारे में
1971 मे स्टैनफोर्ड कुख्यात जेल प्रयोग के हेड, Philip Zimbardo, आधुनिक मनोविज्ञान के एक प्रतिष्ठित शख्सियत हैं। इसके पहले वह अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रहे हैं और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में लगभग 4 दशकों तक प्रोफेसर भी रहें हैं।

वे अभी तक अपनी लगभग 50 बुक्स पब्लिश कर चुके हैं, जिसमें The Time Cure और The Lucifer Effect शामिल है। 
John Boyd ने Zimbardo के साथ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में डॉक्टरेट किया है। इसके साथ ही उन्होंने इकोनॉमिक्स में भी डिग्री हासिल की है और वह गूगल के साथ रिसर्च मैनेजर के रूप में काम करते हैं।मेरा समय आपके समय के जैसा नहीं है; हम अपने समय को कैसे समझते हैं यह एक्सप्लेन करता है कि हम कैसे जीते हैं और हम कौन हैं।
एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने एक बार कहा था "सबसे कीमती साधन अगर हमारे पास कुछ है तो वह है समय". अगर ऐसा है तो हम समय के व्यवहार को बहुत कम क्यों समझ पाते हैं? 

ऐसा इसलिए नहीं है कि टाइम एक बहुत अलग टॉपिक है। टाइम कुछ ऐसा भी है जिसे हम सभी अलग अलग समझते हैं। टाइम हम सभी को अलग-अलग तरह से इनफ्लुएंस करता है। हम समय के बारे में कुछ ऐसा जानते हैं कि जैसा हम सोचते हैं, एक्ट करते हैं और जितने हेल्दी हम हैं, टाइम उसी हिसाब से हमें इफेक्ट करता है। 

स्टैनफोर्ड साइकोलॉजीस्ट Philip Zimbardo, जो की स्टैनफोर्ड जेल एक्सपेरिमेंट के रिसर्चर भी रहे है, बताते हैं कि आप दूसरों से अलग किस तरह से टाइम को समझते हैं और यह इतना जरूरी क्यों है। यह समरी आपको यह भी बताएगी कि किस तरह से आप अपने टाइम को बेहतर बना सकते हैं। इसके अलावा आप जानेंगे कि हमारी यादें पास्ट के वीडियो की तरह देखने जैसी क्यों नहीं होती है?  वे लोग जो कि अपने वर्तमान पर बहुत ज्यादा फोकस करते हैं, खुद के लिए खतरनाक हो सकते हैं, और समय के पावर को और अधिक इफेक्टिव बनाने के लिए गवर्नमेंट क्या कर सकती हैं?

समय एक ऐसा कांसेप्ट है जिसे हम ना तो महसूस कर सकते हैं, ना ही देख और स्मेल कर सकते हैं। अक्सर समय को समझना बहुत ही मुश्किल होता है। यही एक कारण है कि हम सबके लिए समय को देखने का नजरिया अलग अलग होता है। हमारे पूर्वज सिर्फ 'आज'में जीते थे। उनका प्रजेंट पर ही फोकस करना उन्हें तत्काल होने वाले खतरों से बचने में मदद करता था और जो मृत्यु को भी टाल देता था। उनके पास फ्यूचर के बारे में बात करने के लिए कोई शब्द ही नहीं होते थे इसलिए वह सिर्फ प्रजेंट में ही जीते थे। कुछ समय बाद लोगों ने मौसम के बदलाव को पहचानना शुरू किया, सूरज और चाँद के चक्र को समझना शुरू किया, जिससे उन्हें खेती करने में मदद मिली। धीरे-धीरे हमारे पूर्वजों ने उनके फ्यूचर के बारे में सोचना और बात करना शुरू किया। 

आज समय को लेकर हमारे सर पर जुनून सवार है। हमारी लाइफ स्कूल सेमेस्टर, फाइनेंशियल क्वार्टर और 24 घंटे न्यूज़ के आसपास ही घूमती है। 'टाइम'वर्ड एक ऐसा वर्ड है जिसे इंग्लिश लैंग्वेज में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। आज भी समय व्यक्ति की एक कल्पना मात्र है। लेकिन हर व्यक्ति का एक्सपीरियंस टाइम को लेकर अलग कैसे होता है? 

टाइम को समझने के 2 तरीके होते हैं। पहला वो टाइम जिसे हम घड़ी से ट्रैक करते हैं। जब हम घड़ी के टिक टिक करने से उसके टाइम का अंदाजा लगाते हैं। दूसरा होता है साइकोलॉजिकल टाइम, जो कि डिस्क्राइब करता है कि हम सब्जेक्टिवली टाइम को किस तरह समझते हैं। आप अपने पास्ट को लेकर ज्यादा चिंतित हैं या फ्यूचर को लेकर? आप इसे सकारात्मक नजरिए से देखते हैं या फिर नकारात्मक?

क्योंकि समय को लेकर हमारा एक्सपीरियंस अलग होता है इसलिए हमारा एटीट्यूड भी अलग होता है। आप समय के बारे में जैसा सोचते हैं, आपका एटीट्यूड भी वैसा ही होता है और जैसा आपका एटीट्यूड होता है आप वैसे ही जिंदगी जीते हैं।  समय को समझने के लिए अलग-अलग एटीट्यूड होते हैं। पास्ट पॉजिटिव और पास्ट नेगेटिव, का रिलेशन होता है हमारे पास्ट में हुए पॉजिटिव और नेगेटिव अनुभव के साथ। 

प्रजेंट हेडोनिस्ट का मतलब है वर्तमान में जीने वाला। जितना पॉसिबल हो सके उतना अच्छा एक्सपीरियंस लेने वाला। प्रेजेंट-फेटेलिस्ट का मतलब है दुखी और उदासीन रहने वाला। आप ऐसा महसूस करते है की आपका भाग्य पहले ही लिख जा चुका है। लास्ट होता है फ्यूचर ओरियंटेशन, जिस में शामिल होती है भविष्य की प्लानिंग। ट्रांसेंडेंटल एटीट्यूड (transcendental) का मतलब होता है आप बिलीव करते हैं कि मौत के बाद भी ज़िन्दगी है।

दुखी कर देने वाली यादें ही आपको वह बनाती हैं जो आज आप हैं। लेकिन पॉजिटिव सोच से देखने पर दुनिया खूबसूरत दिखती है।
समय को और बेहतर समझने के लिए हम पास्ट से स्टार्ट करते हैं। पास्ट इतना मैटर क्यों करता है? क्योंकि हमारे पास जो यादें होती हैं वह यादें ही हमारी वह लाइफ बनाती हैं जो हम आज जी रहे हैं। 

साइकोलॉजिस्ट अल्फ्रेड एडलर अपने मरीजों से उनकी पहली मेमोरी के बारे में पूछा करते थे। उनका यह मानना था कि ऐसा करना उनकी अभी की लाइफ में विंडो का काम करेगा। अभी होने वाली परेशानियों में वे इस इंफॉर्मेशन का यूज किया करते थे। एग्जांपल के लिए हमें बचपन से ही यह चिंता हो सकती है कि हमारे माता-पिता कहीं हमें छोड़ कर ना चले जाएं। 

बहुत से लोग ऐसा कहते हैं कि उन्हें उनके पास्ट की मेमोरी सही-सही याद है और वह यादें फिक्स हैं। लेकिन यादों को एक वीडियो रिकॉर्डिंग से कंपेयर नहीं किया जा सकता है, वह असल में समय के साथ बदलती रहती हैं। बचपन में सेक्सुअल अब्यूज के शिकार हुए कुछ लोग अपनी कुछ पुरानी यादों को याद नहीं रख पाते हैं जबकि अब वह बड़े हो चुके हैं।

Sigmund Freud ने अपना आधे से ज्यादा कॅरिअर मरीजों को उनकी बीती यादों से वर्तमान में व्याख्या करने मे मदद करते हुए बिताया है। आपके अतीत के बारे में सबसे अधिक जो मायने रखता है, वह है आपका इसके प्रति एटीट्यूड। जो लोग अपने अतीत को पॉजिटिव देखते हैं जो कि पास्ट- पॉजिटिव टाइम पर्सपेक्टिव में आता है, ज्यादा खुश, स्वस्थ और सक्सेसफुल होते हैं बजाय उन लोगों के जो कि पास्ट- नेगेटिव पर्सपेक्टिव रखते हैं। आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जो लोग पास्ट पॉजिटिव पर्सपेक्टिव रखते हैं वह लोग भले ही अपनी यादों को सही से याद ना रख पाते हों लेकिन फिर भी वह ज्यादा खुश रहते हैं। 

साइकोलॉजिस्ट ने यह मालूम किया है कि अगर हम अपने अतीत को पॉजिटिव सोच के साथ देखते, समझते और याद करते हैं तो यह हमारे आज को बेहतर बना सकता है। आप यह कैसे कर सकते हो? 

आपके डेली रूटीन में से थोड़ा समय निकालें और पेपर पर नोट कीजिए उन बातों को जिनके लिए आप ग्रेटफुल है। हालांकि आप अपना पास्ट चेंज नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप उस अतीत के बारे मे कैसा महसूस करते हैं यह बदला जा सकता है। थोड़ी सी फ्रेमिंग में चेंज करना पूरी पिक्चर को बदलने जैसा होता है और इसी तरह थोड़ा सा चेंज कर के पास्ट नेगेटिव को पास्ट पॉजिटिव में बदला जा सकता है।

आज में जीने के एक से ज्यादा तरीके हैं। आप क्या हैं, भाग्य के भरोसे रहने वाले या फिर अपनी किस्मत खुद लिखने वाले?क्या आप आज में जीते हैं? सिर्फ प्रजेंट पर फोकस करते रहना एक बहुत ही दिलचस्प सच को जन्म देता है जो कि असल में झूठा दिखता है। किसी मोमेंट में खो जाना एक अच्छी बात है, लेकिन उसमें हद से ज्यादा डूब जाना हमारी खुशियों के लिए खतरा बन सकता है। 

तो हम इसके लिए क्या कर सकते हैं? 

एक इंसान के रूप में हमें जन्म से ही अपने प्रजेंट पर फोकस करने की आदत मिली है। हमारी बॉडी की मांग होती है खाने से लेकर सोना, उठना और बाथरूम जाना। लेकिन आमतौर पर हम प्रजेंट पर फोकस नहीं करते हैl समाज हमें हमारी संतुष्टि के अनुसार हमें नहीं रहने देता है, जिसमें हमारी बायोलॉजिकल नीड्स भी शामिल होती है। स्कूल हमें पढ़ने के लिए अनुशासित करते हैं, जबकि इसमें कुछ भी मज़ा नहीं होता है लेकिन हमें पता है कि पढ़ने से हम हमारे भविष्य को सुधारेंगे। हम अपने अच्छे फ्यूचर के लिए कई बार हमारे आज की बहुत सारी चीजें सैक्रिफाइस कर देते हैं।

प्रजेंट ओरियंटेशन पर्सपेक्टिव के कुछ अलग अलग प्रकार होते हैं चलिए उन्हें देखते हैं। 

प्रजेंट में या तो आप भाग्य भरोसे रह सकते हैं या फिर अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं। अपनी किस्मत खुद लिखने वाले हर बात में खुश रहते हैं और दुख को दूर करने की हर संभव कोशिश करते हैं। टीन एज बच्चे क्लासिक हैडोनिस्ट होते हैं , जो कि हमेशा उत्साह से भरे हुए रहते हैं। इन्हें हर बात को इंजॉय करना अच्छा लगता है। लेकिन उन्हें कंट्रोल करना भी थोड़ा मुश्किल होता है। 

इसके विपरीत फेटेलिस्ट वह होते हैं जिन्हें लगता है कि उनकी लाइफ भगवान के हाथ में है। ऐसा मान लेते हैं कि मुझे अपने फ्यूचर की क्या चिंता है मेरा फ्यूचर तो भगवान् पहले ही लिख चुके हैं। 

तो आज के पल में जीने की क्या अच्छाई और बुराई है?

अगर आपने अपने अतीत को समझा नहीं और उससे कुछ सीखा नहीं तो यह आपके लिए बुरा साबित हो सकता है। और अगर आपने अपने अतीत से सीख ली तो यह आपके आज और आने वाले कल, दोनों के लिए अच्छा साबित हो सकता है।

फ्यूचर ओरिएंटेड बनना आपको ज्यादा कमाने में मदद कर सकता है और ओवरऑल सक्सेसफुल बनने में मदद कर सकता है।
हमारा अतीत हमारे आने वाले समय से बहुत ज्यादा अलग नहीं होता है, क्योंकि हम दोनों को ही डायरेक्टली एक्सपीरियंस नहीं कर सकते हैं। यह दोनों ही एक मेंटल स्टेट कंस्ट्रक्ट करते हैं जिसमें हम हमारी आशाओं, डर और एक्सपेक्टेशन को आकार देते हैं। फ्यूचर ओरिएंटेड होना आपके पॉजिटिव बिहेवियर में आपकी हेल्प कर सकता है। एक फ्यूचर ओरिएंटेड स्टूडेंट को अगर फ्यूचर में एक सक्सेसफुल डॉक्टर बनना है तो वह अपने एग्जाम की तैयारी करता है बजाय कोई वीडियो गेम खेलने के। 

लेकिन हम जन्म से ही फ्यूचर प्लान करने के लिए नहीं बनते हैं। इसके लिए कुछ कंडीशन भी होती हैं। 

उसमें से एक कंडीशन होती है स्थिरता। जब आप अपने फ्यूचर के बारे में सोचते हैं तो आपका प्रेजेंट में इस बात के लिए योग्य होना भी ज़रूरी होता है कि आप उस हिसाब से अपने गोल और प्लान क्रिएट कर सकें। 

एग्जांपल के लिए अगर आप किसी युद्ध मैदान में फंसे हैं तो वहां आप कैसे सोच सकते हैं अपने फ्यूचर के बारे में यह बिल्कुल ही नामुमकिन सा लगता है।

यहां तक कि किसी बदलते मौसम वाली जगह रहना भी हमारे फ्यूचर प्लान को इफेक्ट करता है। जैसे कि अगर आप किसी बहुत ठंडी जगह रह रहे हैं तो वहां पर आपको बाहर जाने से पहले यह सोचना होगा कि आप कैसे मैनेज करेंगे। तो फ्यूचर ओरियंटेशन पर्सपेक्टिव के एडवांटेज क्या है?

फ्यूचर ओरिएंटेशन वाले अच्छे ग्रेड प्राप्त करते हैं। वे लोग अपनी प्रॉब्लम सॉल्व करने में और उन से बाहर आने में काबिल होते हैं और जनरली यह लोग ज्यादा सक्सेसफुल होते हैं बजाय उन लोगों के जो कि फ्यूचर प्लानिंग करके नहीं रखते हैं। 

वे लोग जो कि अपने भविष्य से भी और आगे देखते हैं यानी कि अपनी मौत के भी आगे का देखते हैं, वह लोग ट्रांसकेंडेंटल फ्यूचर टाइम पर्सपेक्टिव (transcendental future time perspective) में आते हैं। 

कुछ पारंपरिक फ्यूचर प्लान होते है जैसे कि कॉलेज से ग्रेजुएट होना या शादी के बाद बच्चे पैदा करना या इससे ज्यादा हमारी मौत। लेकिन ट्रांसकेंडेंटल पर्सपेक्टिव आस्था, अध्यात्म और धर्म से कनेक्ट होता है। लेकिन बहुत ज्यादा फ्यूचर के बारे में सोचने से भी बचना चाहिए। 

यूएसए टुडे की एक रिपोर्ट में 1989 में यह बताया कि अमेरिका के बहुत सारे लोग यह अपील करते हैं कि उनके पास इतना समय ही नहीं है कि वह सब कुछ कर सकें और यह एक इमोशनल डिस्ट्रेस का बहुत बड़ा कारण बन गया। 

समय के साथ हमारी रिलेशनशिप इस बात पर असर करती है यह कि हम कैसा सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं।

पेड़, पौधे और जानवर समय के साथ खुद को ढालने में समर्थ होते हैं। पतझड़ में पत्ते का गिरना, फिर नये पत्ते आना, पक्षियों का एक जगह से दूसरी जगह के लिए प्रवास करना और भालू का खुद को शीत निंद्रा की अवस्था में ले जाना, यह सभी खुद को समय के हिसाब से ढालकर करते हैं। लेकिन हम भी अपने इंटरनल क्लॉक से टाइम को ट्रैक कर सकते हैं।

यह क्लॉक हमारे दिमाग के बेस में होती है जो एरिया सुपर काइनेटिक न्यूक्लियस कहलाता है। इसका प्राइमरी काम हमारी बॉडी के फंक्शन को रेगुलेट करना है जैसे कि ब्लड प्रेशर और फर्टिलिटी सायकल। 

आपको पता है कब आप की यह घड़ी बिगड़ जाती है या एक समान काम नहीं करती है? सोचिए जब आखरी बार आप बीमार हुए थे और आप इस बात से बहुत परेशान और चिड़चिडे  हो गए थे और फिर आपको काफी समय लगा था दोबारा रीसेट होने में।

जब भी हम समय के बारे में सोचते हैं, तब यह हमारे दिमाग के पहले भाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में घटित होता है। इस दिमाग के हिस्से को आप तब इंगेज करते हैं जब आप अपने किसी गोल के बारे में सोच रहे हो या फिर फ्यूचर में आने वाली परेशानियों के बारे में विचार कर रहे हो। 

किसी ऐसे टास्क को ऑर्गेनाइज करना जो की बहुत ही कम समय सीमा में बंधा हुआ हो और आपको इसे पूरा करके देना हो, स्ट्रेसफुल हो सकता है। लोबोटॉमी दिमाग की एक सर्जरी होती जिसमें दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को हटा दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया करवाने के बाद हमें अपनी चिंताओं से छुटकारा मिल जाता है।

लेकिन, लोबोटॉमी प्रक्रिया लोगों को पूरी तरह से उदासीन और सुस्त बना देती है। तो फिर समय के बारे में सोचने का क्या फायदा है? यह हमें हमारी भावनाओं से बचाता है। 

डर, घबराहट, चिंता और डराने वाला भविष्य हमें अपनी रुकावटों से लड़ने के लिए और भी ज्यादा प्रजेंट ओरिएंटेड बनाता है। हमारे पूर्वजों को पता था कि उन्हें अपने घर के पास ही रहना पड़ेगा क्योंकि जब भूखा शेर शिकार की तलाश में निकलेगा तो उन्हें भटकना नहीं है घर पर ही रहना है। 

लेकिन अपने फ्यूचर में बिजी हो जाने के भी अलग ही नेगेटिव परिणाम हो सकते हैं। 

डिप्रेशन में होना एक लूप में होने की तरह होता है हम लगातार ऐसी चीजें सोचते हैं जो हमें दुखी करती हैं और हम डिप्रेस्ड हो जाते हैं लेकिन यह एक तरह से डिप्रेशन में होने की अफवाह की तरह होता है। जो पुरानी यादों में डूबे रहने के जुनून की तरह है, जो किसी इंसान को प्रेजेंट में डिप्रेशन में डाल देता है।

क्या आपका खुद पर कंट्रोल है या फिर आप अंधे प्यार में डूबे हैं?
इस बात में आश्चर्य करने जैसा कुछ भी नहीं है कि हमारा टाइम पर्सपेक्टिव समय के साथ चेंज होता रहता है।लेकिन अगर कुछ पहले जैसा ही रहता है वह है हमारा समय को देखने का नजरिया, जो कि हमारे व्यवहार को हमेशा इनफ्लुएंस करता है। अगर हम अपने भविष्य को नहीं समझते हैं तो हम इसके लिए काम भी नहीं कर पाएंगे। इसीलिए हमें हमेशा अपने फ्यूचर के लोंग टर्म गोल्स पर फोकस करना चाहिए, बजाय इसके कि हम खुद को अपने प्रजेंट सेटिस्फेक्शन के लिए इनफ्लुएंस करें। 

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ विशेषज्ञों ने 4 साल के बच्चे के साथ इस स्टडी का एक डेमो किया। उन्होंने उस बच्चे से कहा कि हम या तो आपको अभी एक चॉकलेट देंगे या फिर 1 घंटे बाद दो चॉकलेट देंगे। जैसा कि बच्चों का प्राकृतिक व्यवहार होता है वह बच्चा अभी ही चॉकलेट लेने के लिए राजी हुआ। लेकिन वह बच्चा यह नहीं समझ पाया की अगर वह एक घंटे बाद लेता है तो उसे दो चॉकलेट मिलेगी। और वह एक चॉकलेट से ही संतुष्ट हो गया। 

कुछ सालों बाद उसी बच्चे के ऊपर फिर से यह टेस्ट किया गया। जिन लोगो ने बताया था कि वे खुद पर कंट्रोल कर सकते हैं उन्होंने एक टेस्ट में एवरेज से भी ज्यादा हायर स्कोर बनाये। जोश, उत्साह या फिर स्फूर्ति प्रजेंट हेडोनिस्ट बच्चों की एक विशेषता है और यही विशेषता उनके साथ उनके बड़े हो जाने पर भी रहती है, साथ ही इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। 

आपका समय को देखने का नजरिया आपकी लव लाइफ को भी प्रभावित करता है। Sigmund Freud के अनुसार किसी के प्यार में होना किसी दिमागी बीमारी में होने जैसा है। आप अपने उस गोल को खो देते हैं जो आपको प्रजेंट ओरिएंटेड बनाता है। 

आपको याद है जब आपका पार्टनर आपके साथ रोमांटिक होता था? उस समय ना आपने अपना पास्ट एक दूसरे के साथ शेयर किया था ना ही आप अपने फ्यूचर के बारे में कुछ प्लान कर रहे थे, तब आप दोनों अपने प्रजेंट में जी रहे थे और बहुत ही खुश थे। लेकिन समय के साथ आपको अपने पास्ट और फ्यूचर दोनों के बारे में आश्वस्त होना पड़ता है। 

यह बदलाव थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि एक महिला आमतौर पर फ्यूचर ओरिएंटेड होती है और पुरुष अपने प्रजेंट पर फोकस करने वाले होते हैं। एग्जांपल के लिए बच्चों का होना एक असली झगड़े का कारण हो सकता है। आपकी निजी खुशियां भी इस समय के हिसाब से प्रभावित हो सकती हैं लेकिन बुरी खबर यह है कि यहां पर कुछ भी परमानेंट नहीं है। आप हमेशा के लिए खुश नहीं रह सकते हैं यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको हमेशा के लिए खुश कर दे। हमें अच्छा बनने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है। 

एक लॉटरी जीतने वाला हद से ज्यादा खुश हो सकता है, लेकिन उसकी यह खुशी हमेशा के लिए नहीं रह सकती है। एक रिसर्च में ऐसा बताया गया है कि जैकपॉट जीतने वाला आदमी आमतौर पर वापस उसी खुशी की स्टेट में आ जाता है जहां से वह गया था। 

अगर हम समय के इंपैक्ट को अच्छी तरह से समझ ले तो हमारा समाज और व्यापार दोनों ही बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।

हम इस बात को खुद पर कैसे अप्लाई करते हैं कि हमें अपनी सोसाइटी से क्या बेनिफिट मिले हैं और हमने इंडिविजुअली क्या सीखा है? 

फ्यूचर ओरियंटेशन को लेकर इनकरेज करने के लिए हमारी एजुकेशन हमें एक अच्छा फ्रेमवर्क प्रोवाइड कर सकती है। एग्जांपल के लिए सरकार को ऐसे इंस्टिट्यूट ओपन करना चाहिए, जहां पर हमें टाइम पर्सपेक्टिव को लेकर पॉजिटिव डेवलपमेंट के बारे में सीखाया जाए। 

19वीं सदी में औद्योगिक क्रांति के लिए बहुत से काम करने वाले लोगों की ज़रुरत महसूस हुई। 

अपनी आने वाली ज़िन्दगी फैक्ट्री में काम करके गुज़ारने की तयारी करने वाले बच्चों को वहां पर जर्मंस के अंदाज़ में हुकुम मानना सिखाया गया, समय की पाबन्दी सिखाई गई, और एक जैसे उकता देने वाले काम को बर्दाश्त करना सिखाया गया। 

यह पूरी तरह से भविष्य के बारे में सोचने वाले लोगों को तैयार करने की प्रक्रिया नहीं थी, यह तो बच्चों को अडल्ट के रूप में फ्यूचर ओरिएंटेड बना रहे थे। 

हमें हमारे व्यवसाय से तब ज्यादा बेनिफिट मिलते हैं जब हम इस बात पर ध्यान दें कि कंपनी और कंपनी में काम करने वाले लोग टाइम को कैसे हैंडल करते हैं। जब कोई एंटरप्रेन्योर अपने फ्यूचर विजन से भटक जाता है जो कि उसने तब देखा था जब कंपनी शुरू की थी और अपना सारा ध्यान अपने आज पर लगा देता है तब इसके परिणाम बहुत ही भयंकर होते हैं। 

एग्जांपल के लिए Enron एक उभरती हुई कंपनी थी जो कि अचानक से 2001 में डूब गई ऐसा क्या हुआ? कंपनी के एग्जीक्यूटिव ने अपने कुछ ही महीनों की कमाई को बहुत ज्यादा लोंग टर्म गोल में लगा दिया, जो कि सफल ना हो सके। समय हमारे लीगल सिस्टम को लेकर भी बहुत सारे सवाल खड़े करता है। लोग जो की बहुत ज्यादा प्रसेंट हेडोनिस्ट और कम फ्यूचर ओरिएंटेड होते हैं, ऐसे लोगों से कानून टूटने का खतरा ज्यादा होता है और भविष्य में होने वाले ऐसे परिणाम इन इंपल्स को ध्यान में नहीं रखते हैं। 

फिर क्यों हम लोगों को पनिशमेंट देते हैं और जेल में बंद कर देते हैं, उन्हें उनके भविष्य से वंचित क्यों कर देते हैं? जेल जाने का खतरा अपराध को नहीं रोक सकता है। हम जानते हैं कि यह काम नहीं करेगा यह मुश्किल मामला है जो कि ठीक नहीं किया जा सकता।

समय को समझने के लिए एक आइडियल कंबीनेशन पर काम कीजिए और लाइफ का ज्यादा से ज्यादा लुत्फ उठाएं।
क्या होगा अगर हम सभी एक आइडियल टाइम पर्सपेक्टिव को बनाएं? ऐसा जो कि हमें ज्यादा खुश रखे हम ज्यादा प्रोडक्टिव हो सके और अपनी लाइफ को कंट्रोल कर सके? एक ऐसा आइडियल टाइम हो सकता है जिसका आप लक्ष्य बना सकते हैं और यह कंबीनेशन बहुत सारे टाइम पर्सपेक्टिव को मिलाकर बनता है। 

पहला, पास्ट पॉजिटिव होता है। जैसा कि आपका पास्ट आपको एक बेसिक देता है और जो कि आपको खुद को समझने में मदद करता है। परिवार और परंपराओं का पॉजिटिव साथ जो आपको कंटिन्यूटी देता है जोकि हेल्प करता है आपकी जिंदगी को और खूबसूरत बनाने में। 

इसके साथ ही आपको अपने पास्ट से नेगेटिव के प्रति क्लियर होना चाहिए। स्टडी में बताया गया है कि अपने पास्ट् में उलझे रहने से हमें कुछ भी हासिल नहीं होता है, इससे हमें सिर्फ चिंता, उदासीनता, डिप्रेशन और गुस्सा ही मिलता है। अगर आप अपने पास्ट नेगेटिविटी में जकड़े रहेंगे तो आप खुद को ब्लेम करते रहेंगे। अगर आप बहुत ज्यादा समय अपनी दर्द भरी यादों के साथ बिता रहे हैं तो कैसे पता चलेगा की आपके अंदर कितनी पॉजिटिविटी छुपी हुई है और आप अपनी सक्सेस को खुद क्रिएट कैसे कर पायेंगे। बात यह है कि आपका पास्ट खत्म हो चुका है और अब समय ही एक नई और पॉजिटिव स्टार्ट का। प्रजेंट हेडोनिस्ट होना भी एक अच्छी बात है लेकिन एक लिमिट में। आप अपनी लाइफ को एंजॉय कर सकते हैं और पैशनेट भी हो सकते हैं लेकिन बिना किसी नशे की आदत के। जुनून आपके काम का होना चाहिए किसी बुरी आदत का नही। अंत में अगर आप एक प्रतियोगी हैं और आप यह रियलाइज करते हैं कि आपने अपनी सक्सेस को अपने दोस्तों के ऊपर चुना है, तो ऐसा कह सकते हैं कि आपके ऊपर अपने भविष्य को लेकर जुनून सवार है। अगर आपके पास कुछ व्यक्तिगत मसले हैं तो पहले उन्हें समझिये और उसके बाद कोई नई टू डू लिस्ट तैयार कीजिये। 

अपनी नजरें फ्यूचर पर भी टीका कर रखिए। क्योंकि यह आपको उम्मीदें देता है और आपके डर को दूर करके आपको कंफर्ट जोन में रख सकता है। फ्यूचर के लिए ऑप्टिमिस्टिक होने का मतलब है कि आप अपनी जिंदगी से मिलने वाली अपॉर्चुनिटी का फायदा उठाएंगे और सफलता हासिल करेंगे। 

अंत में बस इतना ही टाइम पर्सपेक्टिव को बैलेंस करके चलने से आप खुद को इजाज़त देगें अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने के लिए।

कुल मिलाकर
समय कीमती है।

समय का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए आपको टाइम परसेप्शन में बैलेंस बनाना चाहिए। अपने पास्ट के जुनून से बाहर निकलना चाहिए। टाइम को कैसे पर्सिव करना है इसे समझिए, पर्सपेक्टिव्स को कैसे शिफ्ट करना है इसे सीखिए, यह आपको आपकी लाइफ में ज्यादा खुश रखने में मदद करेंगे। 

 

इसे ऐसे देखना है। 

जैसे कि कोई बास्केटबॉल प्लेयर गेम शुरू होने के पहले परफेक्ट थ्रो के लिए प्रैक्टिस करता है। 

आपको भी अपनी सक्सेस की कल्पना करनी होगी, जिससे कि उस सक्सेस के मिलने के चांसेस बढ़ जाए। यह आपको हेल्प करेगा एक सिक्योर फ्यूचर टाइम पर्सपेक्टिव के लिए। एक गोल से शुरू कीजिए उसके बाद स्टेप बाय स्टेप सोचिए कि आपको क्या करना है, क्या एक्शन लेने की आपको जरूरत है, अपने गोल पूरे करने के लिए छोटी-छोटी स्टेप आपकी सफलता की चाबी है। खुद को सब कुछ एक बार में ही करने के लिए फोर्स मत कीजिए।

 

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