The 4 Pillar Plan

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The 4 Pillar Plan

Rangan Chatterjee
कैसे आप संतुलित खानपान, कसरत, आराम और नींद के साथ एक सेहतमंद लम्बी उम्र पा सकते हैं

दो लफ्जों में 
द 4 पिलर प्लान ( The 4 Pillar Plan ) में हम देखेंगे कि किस तरह से हम अपनी हर रोज की जिन्दगी में कुछ मामूली से बदलाव कर के अपनी सेहत को बेहतर बना सकते। यह किताब हमें चार पिलर्स के बारे में बताती है जिनपर ध्यान देकर हम बहुत सी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही यह किताब हमें सेहत से संबंधित कुछ अच्छी आदतों के बारे में भी बताती है।

यह किसके लिए है 
-वे जो समय समय पर बीमार होते रहते हैं।
-वे जो सेहत के चार पिलर्स के बारे में जानना चाहते हैं।
-वे जो अच्छी सेहत बनाना चाहते हैं और खुद को बीमारियों से दूर रखना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
रंजन चैटर्जी ( Rangan Chatterjee ) एक ब्रिटिश फिजीशियन, लेखक, टीवी प्रेजेंटर और पोडकास्टर हैं जो कि अपने टीवी शो डॅाग इन द हाउस के लिए जाने जाते हैं। वे बीबीसी वन्स ब्रेकफास्ट शो में एक डाक्टर की तरह काम करते हैं और साथ ही बीबीसी रेडियो पर एक कमेंटेटर हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
हम हमेशा से सुनते आए हैं कि सेहत ही परम धन है, लेकिन हम में से बहुत से लोग इस बात को गहराई से समझने में बहुत देर कर देते हैं। बहुत से लोगों को लगता है कि वे कभी बीमार नहीं होंगे और हमेशा जवान बने रहेंगे। लेकिन एक दिन जब उनकी आँखें खुलती हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। लेकिन जरूरी नहीं है कि हर किसी के साथ ऐसा ही हो।

यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम खुद को सेहतमंद रखने के लिए अपनी हर रोज की जिन्दगी में कुछ खास बदलाव कर सकते हैं। यह किताब हमें सेहत के चार पिलर्स के बारे में बताती है, जो है - आराम करना, खाना, एक्टिव रहना और सोना। हम देखेंगे कि किस तरह से इन चार चीज़ों में बदलाव कर के आप खुद को हमेशा के लिए सेहतमंद रख सकते हैं।

 

-किस तरह अपने खाने में बदलाव कर के आप बेहतर सेहत पा सकते हैं।

-कसरत के अलावा खुद को सेहतमंद रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं।

-सोने से पहले आपको क्या काम करने चाहिए और क्या नहीं करने चाहिए।

हमारे शरीर का हर अंग एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और एक अंग पर बुरा असर पड़ने से सभी पर बुरा असर पड़ता है।
बहुत से डाक्टर आपकी बीमारी की वजह का इलाज नहीं करते, बल्कि वे बीमारी के लक्षण का इलाज करते हैं। अगर सुबह उठकर आप ने देखा कि आपकी आँख लाल हो गई है और उसमें खुजली हो रही है और आप डाक्टर के पास जाएंगे तो यह हो सकता है कि डाक्टर आपको इस लक्षण से छुटकारा पाने के लिए कोई दवा दे दे। वो इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश नहीं करेगा।

हमारा शरीर बहुत ही उलझा हुआ है और बीमारी बहुत सी वजहों से हो सकती है। अगर आप डिप्रेशन के शिकार हैं तो उसकी वजह ज्यादा स्ट्रेस लेना हो सकता है, ज्यादा काम करना हो सकता है या फिर कम सोना भी हो सकता है। अगर आप इन चीजों को सुधार लेंगे तो आप डिप्रेशन से अपने आप छुटकारा पा लेंगे। 

हमारी बीमारी के पीछे बहुत सी वजह हो सकती है और जब तक हम गहराई तक पहुंचने की कोशिश नहीं करेंगे तब तक हम उसका इलाज पूरी तरह से नहीं कर पाएंगे। लेखक के हिसाब से एक डाक्टर को यह जानना चाहिए कि बीमारी की वजह कुछ और है और उसे उस वजह का इलाज करना चाहिए। इसे प्रोग्रेसिव मेडिसिन कहा जाता है।

अगर हम आपकी आँखों की सूजन की बात करें तो हो सकता है वो एक एलर्जी हो या फिर एक कुछ खराब खाना खाने की वजह से हुआ हो। इसलिए उसपर कोई लोशन लगा लेने से वो एक बार के लिए तो ठीक हो जाएगा, लेकिन अगर आप अपनी एलर्जी को पहचान कर उसका इलाज कर देंगे तो उसका इलाज जिन्दगी भर के लिए हो जाएगा।

अपनी जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए आपको अपने खाने पीने पर और अपनी लाइफस्टाइल पर ध्यान देना होगा क्योंकि कहीं न कहीं हर बीमारी के पीछे इन्हीं का हाथ होता है। लेखक के हिसाब से अच्छी सेहत के लिए चार चीज़ें जरूरी है  आराम करना, खाना, कसरत करना और सोना।

इसलिए एक डाक्टर को चाहिए कि वो अपने मरीजों की बीमारी के लक्षण के। इलाज करने के बजाय उन्हें अच्छा खाना खाने, सोने, कसरत करने और आराम करने के फायदों के बारे में बताना चाहिए।

खुद को सेहतमंद रखने के लिए हर रोज आराम करने के लिए कुछ समय निकालिए।
आज के वक्त में हमारी लाइफस्टाइल, हमारा समाज और हमारा माहौल तो बहुत बदल गया है, लेकिन हमारा शरीर अब भी वही है जो अब से 25,000 साल पहले हुआ करता था। हमें 50 लोगों के साथ एक आफिस में काम करने के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि जंगलों में शिकार करने के लिए बनाया गया है।

जब हम जंगलों में रहा करते थे तो हमारे ऊपर बहुत से खतरे हमेशा मौजूद होते थे। अगर कोई जानवर हमें खाने के लिए भगाता था तो हमारे अंदर से एड्रेनलीन नाम का एक हार्मोन निकलता था जिससे की हम या तो उससे लड़ पाते थे या उससे भाग पाते थे। साथ ही हमारे अंदर स्ट्रेस पैदा करने वाला एक हार्मोन निकलता था जिसे कार्टिसोल कहा जाता है। इससे हमारे दिल की धड़कन तेज हो जाती थी, फेफड़ों के ट्यूब फैलने लगते थे और मांसपेशियां टाइट होने लगती थी। इन सभी से हमें भागने की या उससे लड़ने की ताकत मिलती थी।

लेकिन आज के वक्त में हमारे आस पास इस तरह के खतरे नहीं होते हैं। फिर भी जब हम खतरा महसूस करते हैं तो हमारे शरीर में इस तरह के बदलाव होने लगते हैं। नौकरी खोने का खतरा, बिल ना भर पाने का खतरा, इंटरव्यू देने से डर, सबके सामने कुछ बोलने से डर, इन सभी से हमारे अंदर एड्रेनलीन और कार्टिसोल पैदा होता है जिससे हमारे शरीर में बदलाव आने लगते हैं। लेकिन इस हालात में हमें किसी से भी लड़ना नहीं होता , इसलिए यह बदलाव बेमतलब के हैं।

इस तरह से जब आप हर काम में खतरा महसूस करते हैं तो आपके अंदर ज्यादा कार्टिसोल पैदा होता है जिससे आप तनाव के शिकार हो जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप खुद को समय दीजिए। इस समय में आप हर तरह की चिंता को भूल कर सिर्फ आराम कीजिए। यह मत कहिए कि जब आप सारा काम पूरा कर लेंगे तभी आप आराम करेंगे। बल्कि इस आराम करने को अपने हर दिन का एक हिस्सा बना लीजिए।

इसके लिए आप अपने फोन में ओके अलार्म लगा सकते हैं जिससे आपको हर दिन समय पर पता लग जाए कि आपके आराम करने का समय हो गया है। इस समय आप कोई मैगज़ीन पढ़ सकते हैं, गाने सुन सकते हैं या फिर किसी से बात कर सकते हैं। लेकिन इस बीच खुद को अपने फोन या कंप्यूटर से दूर रखिए। 

खुद को शांत माहौल में रखने की कोशिश कीजिए और कुछ देर के लिए ध्यान कीजिए।
जब हम जंगलों में रहा करते थे तो हमारे आस पास ट्रैफिक नहीं रहता था। हमारे पास लाउड स्पीकर नहीं थे और ना ही टीवी था जिसके सामने बैठकर हम कुछ देख सकें। हम सारा दिन शांति में शिकार करते थे और रात में आग जला कर बैठते थे। हमें उस समय बोलना भी नहीं आता रहा होगा। 

इन सबका मतलब साफ है। हमें शोर भरे माहौल में रहने के लिए नहीं बनाया गया है। हमारे शरीर को हर रोज शांति भरे माहौल में रहने की आदत है। ज्यादा शोर में रहने से हमारी सेहत खराब हो जाती है और हम स्ट्रेस के शिकार होन लगते हैं। शांति में रहने से हमारे दिमाग का ग्रे मैटर बढ़ता है जो कि हमारी माँसपेशियों को काबू करता है और हमारे सुनने, देखने और चीज़ों को याद रखने की क्षमता को बढ़ाता है। 

अपनी हर रोज की जिन्दगी में शांति लाने कि सबसे अच्छा तरीका है ध्यान करना या फिर ब्रीथिंग एक्सरसाइज करना। लेखक ने इसके लिए एक बहुत सी आसान एक्सरसाइज बनाया है जिसका नाम उन्होंने 3-4-5 ब्रीथिंग रखा है। इसमें आप सबसे पहले तीन सेकेंड तक साँस अंदर खींचते हैं, फिर उसे चार सेकेंड के लिए रोकते हैं और फिर अगले पाँच सेकेंड तक उसे बाहर निकालते हैं।

इस एक्सरसाइज को कितनी देर तक करना है वो आप अपने हिसाब से तय कर सकते हैं। लेकिन आपको इसे हर रोज करना होगा। आप इसे कहीं भी कर सकते हैं, अपनी गाड़ी में, अपने घर में, खाना खाने के बाद या फिर अपने आफिस में।  समय के साथ आप इसे ज्यादा लम्बे समय तक करने की कोशिश करने लगेंगे। लेकिन तुरंत ही इसे देर तक करने की कोशिश मत कीजिए। शुरुआत में इस कुछ समय के लिए कीजिए, फिर समय के साथ इस समय को कुछ कुछ देर तक बढ़ा सकते हैं।

अपनी सेहत को सुधारने के लिए खाने में शुगर लेना कम कर दीजिए।
हम सभी अलग अलग तरह के माहौल में पले बढ़ते हैं और दुनिया के सभी लोगों को अलग मौसम का सामना करना पड़ता है, जिसके वजह से जो खाना एक जगह पर खाना बहुत फायदेमंद होगा, उसे दूसरी जगह पर खाना ठीक नहीं होगा। इसलिए हम यह तो नहीं बता सकते कि आपको असल में क्या खाना चाहिए, लेकिन यह जरूर बता सकते हैं कि क्या नहीं खाना चाहिए।

मीठा खाना किसे नहीं पसंद है। लेकिन अगर हम कहें कि इसे खाने के बहुत से नुकसान हैं , तो क्या फिर भी आप उसे खाएंगे? एक नुकसान के बारे में सभी को पता है कि मीठा खाने से हमें डायबिटीज हो सकता है और आज के वक्त में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

ब्रिटेन में, जिन लोगों को डायबिटीज हुआ था, उनकी संख्या 1996 में  14 लाख थी , लेकिन अब वो 35 लाख तक पहुंच गई है। इसके अलावा बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हें डायबिटीज है, लेकिन उन्होंने अब तक इसका चेक अप नहीं कराया है। यह संख्या रुकने का नाम नहीं ले रही है।

इसके अलावा ज्यादा मीठा खाने से हमारे जीभ के टेस्ट बड्स पर असर पड़ता है जिससे स्वाद को लेकर हम कम सेंसिटिव हो जाते हैं। 2016 में दो ग्रुप पर की गई एक स्टडी में यह पाया गया कि जो ग्रुप लो-शुगर डाइट पर था , उसने एक दिए गए डिश को बहुत ज्यादा मीठा बताया, जबकि जो ग्रुप हाई-शुगर डाइट पर था उसने उसी डिश को कम मीठा बताया। ज्यादा मीठा खाने वाले मीठेपन को कम महसूस कर पाते हैं।

अगर आप अपने खाने का स्वाद अच्छे से लेना चाहते हैं तो आपको शुगर खाना कम करना होगा। अपने किचन से सारे मीठे सामान निकाल दीजिए और अब से आप जब भी कुछ खाने के लीजिए तो उसका शुगर कंटेंट चेक कर कर लीजिए।  यह सारी जानकारी उसके लेबल पर दी गई होती है।

इसके अलावा बहुत से ऐसे खाने भी होते हैं जिसमें शुगर तो होता है, लेकिन आपको शक ही नहीं होगा कि उसमें भी शुगर हो सकता है। एक्ज़ाम्पल के लिए, पास्ता के सॅास का स्वाद मीठा नहीं होता, लेकिन उसमें भी शुगर होता है।

इस तरह से कुछ आसान से बदलाव कर के आप अपनी सेहत सुधार सकते हैं।

उपवास रखने से आप अपने शरीर को खुद रिपेयर करने का मौका देते हैं।
हर चीज को आराम की जरूरत होती है। जब आप  अपने शरीर को आराम दे रहे होते हैं तो वो खुद को बाद में काम कर पाने के लिए तैयार करता है। यह कमजोरी की निशानी नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि आपके शरीर को अब रिपेयर होने की और रीचार्ज होने की जरूरत है। एक्ज़ाम्पल के लिए, अगर आप एक हफ्ते तक अपने घर की साफ सफाई नहीं करेंगे, तो आप पाएंगे कि घर भर में धूल आ गई है और सारा सामान बिखरा पड़ा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपका घर खराब है, इसका मतलब है - अपने घर को साफ कीजिए।

जब हम अपने शरीर की बात करते हैं, तो इस साफ करने की प्रक्रिया को आटोफेजी, या फिर आसान शब्दों में उपवास करना कहते हैं। इससे आपके सेल्स और आपका इम्यून सिस्टम रिपेयर होने लगते हैं।

यह करने के लिए आपको 12 घंटे में सिर्फ एक बार खाना खाना होगा। जब आप बार बार खाना खाते हैं तो आपका लिवर ग्लूकोस को खून में मिला देता है। लेकिन आप जब 12 घंटे में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं, तो लिवर उस ग्लूकोस का इस्तेमाल सेल्स को रिपेयर करने के लिए कर लेता है।

इसे करने के लिए आपको दिन का एक समय चुनना होगा जिसमें आप सबसे कम काम करते हों और उस समय 12 घंटे तक लगातार बिना कुछ खाए, सिर्फ पानी, चाय या फिर कॅाफी पी कर रहना होगा। इसे अपनी आदत बना लीजिए और हर दिन कीजिए। अगर आप एक दो दिन किसी खास वजह से इसे नहीं कर पाते हैं तो कोई बात नहीं। लेकिन इसे करने की आदत बना लीजिए।

सुनने में यह कुछ मुश्किल लग सकता है, लेकिन अगर आपका परिवार भी इसमें आपका साथ दे तो यह कुछ आसान हो सकता है। आप चाहें तो इसे 11 या 10 घंटे के लिए भी कर सकते हैं।

ज्यादा कसरत करने के बहुत से नुकसान हैं और इसके करने के बजाय आप तीसरे पिलर को अपनाइए।
कसरत बहुत से लोग नहीं करते हैं और बहुत से लोग बहुत ज्यादा ही कसरत करते हैं। अब तक आप ने बहुत सुना होगा कि कसरत करने के क्या क्या फायदे हैं, लेकिन इसे करने के कुछ नुकसान भी हैं जो कि बहुत खतरनाक हैं। लेकिन यह नुकसान तभी होते हैं जब आप बहुत ज्यादा या बहुत मेहनत वाली कसरत करते हैं।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने बताया की यूएस के लगभग 50% महिलाएं और 40% पुरुष ज्यादा एक्टिव नहीं हैं। एशिया के देशों में यह संख्या कुछ कम है। वहाँ पर 15% महिलाएं और 19% पुरुष ज्यादा एक्टिव नहीं हैं। इसके अलावा दुनिया में लगभग 5% मौतें कम एक्टिव होने से की वजह से होती हैं।

दूसरी तरफ, कसरत करने से भी बहुत से नुकसान हैं। मैराथान दौड़ने से आपके दिल के ऊपर बुरा असर पड़ सकता है। ज्यादा मेहनत वाली कसरत करने से आपके इंटेस्टाइन लीक कर सकते हैं। इसका मतलब आपके इंटेस्टाइन से खाना, वेस्ट मटेरियल या फिर बैक्टीरिया लीक कर के आपके खून में मिल जाएंगे जिससे आप बीमार हो सकते हैं। इससे निकलने का उपाय?

कसरत करने के बारे में सोचना छोड़कर अपने दिन में ज्यादा एक्टिव रहने की कोशिश कीजिए। हमारे शरीर को शिकार करने के लिए बनाया गया था, शिकारियों से बचकर भागने के लिए बनाया गया था और पेड़ पर चढ़कर फल तोड़ने के लिए बनाया गया था। इसलिए हर दिन में कुछ ज्यादा काम करने की कोशिश कीजिए। इसे हम कसरत ना कहकर मूवमेंट का नाम दे सकते हैं।

हर दिन कुछ छोटे एक्सरसाइज कर कर या फिर चलकर आप खुद को सेहतमंद रख सकते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि किस तरह से हम अपनी जिन्दगी में मूवमेंट को ला सकते हैं। यह बहुत ही आसान तरीका है। आप इसकी शुरुआत चलने से कर सकते हैं।

हर रोज जब आप अपने काम के लिए या फिर मार्कटे के लिए निकलें, तो बस लेने की बजाय पैदल जाने की कोशिश कीजिए। बिल्डिंग पर चढ़ते वक्त लिफ्ट का नहीं बल्कि सीढ़ियों का इस्तेमाल कीजिए। समय समय पर अपने टेबल से उठकर अपने दोस्तों से मिलने के लिए चले जाया कीजिए। कुछ मिलाकर हर रोज 10 हजार कदम चलने की कोशिश कीजिए। 1000 कदम चलने के लिए आपको लगभग 10 मिनट का समय लगेगा। हर एक घंटे काम करने के बाद अपने डेस्क से उठकर कुछ देर तक चल लीजिए।

इसके अलावा आप बहुत से छोटे छोटे एक्सरसाइज कर सकते हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं।

5 से 10 स्क्वैट - अपने पैर को जमीन पर रखिए और नीचे झुकिए। इस बीच अपनी कमर को सीधा रखिए।

5 से 10 काफ रेज़ेस - जमीन पर सीधा खड़े हो जाइए और अपने ऐड़ी को ऊपर उठाकर अपने पैर के अंगूठे पर खड़े होने की कोशिश कीजिए। 

5 से 10 प्रेस अप्स - जमीन पर उल्टा होकर लेट जाइए और पुश अप्स मारिए।

5 से 10 ट्राइसेप डिप्स - एक टेबल पर हाथ रखकर खड़े हो जाइए अपने हाथ के बल पर अपने शरीर को उठाइए। अपने कोहनी को मोड़कर शरीर को ऊपर नीचे कीजिए।

5 से 10 लंजेस - एक पैर को दूसरे के सामने रखकर खड़े हो जाइए और दोनों घुटनों को मोड़िए। अपनी छाती को सीधा रखते हुए अपनी शरीर को झुकाइए। फिर खुद को ऊपर उठाइए।

यह कसरत कुछ ऐसे हैं कि आप इसे बहुत आसानी से कहीं भी कर सकते हैं। आपको इसके लिए कुछ खरीदने की या फिर जिम जाने की जरूरत नहीं है।

अपने शरीर को रिपेयर करने के लिए अच्छ नींद लेना बहुत जरूरी है।
हम क्यों सोते हैं इसकी पूरी वजह का पता तो हम अब तक नहीं लगा पाएं हैं, लेकिन साइंस ने यह दिखाया है कि सोने से बहुत से फायदे होते हैं। जब आप सोते हैं तो आप अपने शरीर को रिपेयर कर रहे होते हैं। आपका शरीर आपके सेल्स में भरे हुए वेस्ट को साफ कर के फेकता है जो कि सारा दिन काम करने की वजह से इकट्ठा होते रहते हैं। इसलिए सोना हमारा चौथा और आखिरी पिलर है।

अच्छे से सोने से हम चीज़ों को लम्बे समय तक याद रख पाते हैं , अच्छे से ध्यान लगा पाते हैं, स्ट्रेस को कम कर पाते हैं और तरह तरह की बीमारियों से खुद को बचा पाते हैं। इसलिए सोना बहुत जरूरी है, लेकिन आपके नींद की क्वालिटी उसकी क्वान्टिटि से ज्यादा जरूरी है।

अगर आप लेटे हुए हैं लेकिन आपको नींद नहीं आ रही है तो इसकी गिनती सोने में नहीं होती है। आप अच्छे से सो रहे हैं या नहीं, यह पता लगाने के लिए आपको तीन बातों पर ध्यान रखना होगा

क्या आप सो कर उठने के बाद अच्छा महसूस करते हैं, या फिर आपका फिर से सोने का मन करता है? अगर आप अच्छा महसूस नहीं करते हैं तो आपकी नींद की क्वालिटी अच्छी नहीं है।

क्या आप बिना अलार्म के ठीक उसी समय हर रोज उठ जाते हैं? अगर हाँ, तो आपका बायोलाजिकल क्लाक अच्छे से काम कर रहा है और आपकी शरीर बिल्कुल स्वस्थ है।

क्या आप लेटने के 30 मिनट के अंदर सो जाते हैं? अगर नहीं, तो मतलब आप दिन भर कुछ ऐसा काम कर रहे हैं जिससे आपको नींद नहीं आती।

यह तीन सवाल पूछ कर खुद को हर सवाल के लिए मार्क्स दीजिए। 0 मार्क, अगर आपके साथ यह कभी नहीं होता तो, 1 मार्क अगर आपके साथ यह कभी कभी होता है और 2 मार्क्स, अगर यह हमेशा होता है। इसके बाद सारे मार्क्स को जोड़ दीजिए। अगर अंत में आपको 6 नहीं मिलते हैं, तो आपको कुछ सुधार करने की जरूरत है।

अच्छे से सोने के लिए रात में खुद को लाइट और फोन से दूर रखिए।
सोने के लिए सबसे पहले आपको अंधेरे से प्यार करना होगा। जब आप अंधेरे में होते हैं तो आपके शरीर में मेलाटोनिन नाम का एक हार्मोन निकलता है जो कि सोने में आपकी मदद करता है। इसलिए सोने से पहले हर तरह की लाइट से खुद को दूर रखिए, अब चाहे वो फोन की लाइट हो, टीवी की लाइट हो या फिर खिड़की के बाहर से आने वाली स्ट्रीट लाइट हो। 

इसके बाद आप सोने से पहले कुछ नियमों को अपनाइए। समय से सोना और समय से उठना एक बहुत जरूरी नियम है जो कि हर किसी को अपनाना चाहिए। अगर आप एक दिन भर गलत समय पर सोते हैं या उठते हैं, तो आप अपना शेड्यूल खराब कर देंगे। आपको कितने बजे सोना या उठना चाहिए, यह आप अपने हिसाब से तय कर सकते हैं। हर कोई अलग है और उसे उसके हिसाब से सोने या उठने का समय तय करना चाहिए। 

इसके अलावा सोने से लगभग 90 मिनट पहले साले इलेक्ट्रानिक डिवाइस को बंद कर के रख दीजिए। अगर हम लेखक का एक्ज़ाम्पल लें, तो वो सोने से पहले कुछ इस तरह के काम हर दिन करते हैं।

शाम को 6:30 पर वे अपनी कसरत पूरी करते हैं और 8:30 पर सारे फोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस को खुद से दूर कर देते हैं। इसके बाद वे बहुत धीमी लाल रंग की रोशनी में जाते हैं और एक घंटे तक ब्रीथिंग एक्सरसाइज करते हैं या फिर कुछ अच्छे गाने सुनते हैं। 

जब सोने का वक्त होता है तो वे हल्की रोशनी में एक किताब तब तक पढ़ते रहते हैं जब तक उन्हें नींद ना आने लगे। 

इस तरह से आप भी कुछ नियम बना कर उसे हर रोज अपनाइए और अपनी नींद को बेहतर बनाइए।

कुल मिलाकर
बीमारी के लक्षण तो हमें बहुत आसानी से दिख जाते हैं, लेकिन उनके पीछे की वजह बहुत गहराई में छिपी होती है। अक्सर यह वजह हमारी लाइफस्टाइल में ही कहीं छिपी होती है। अगर हम हर दिन अच्छे से आराम करें, अच्छ खाना खाएं, दिन भर एक्टिव रहें और रात को अच्छे से सोएँ तो हम खुद को काफी हद तक खुद को हर तरह की बीमारी से दूर रख सकते हैं।  

 

संडे को अपना फोन मत इस्तेमाल कीजिए।

एक सेहतमंद जिन्दगी पाने के लिए हफ्ते में एक बार अपने फोन और टीवी को बंद कर दीजिए। अपने समय के हिसाब से हफ्ते में जिस भी दिन आपकी छुट्टी हो, उस दिन फोन स्विच आफ कर के रख दीजिए। इस दिन आप अपना समय अपने परिवार या अपने दोस्तों के साथ बिताइए या फिर कोई किताब पढ़िए जिससे कि आप खुद को आराम दे सकें।


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