The Psychology of Laziness

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The Psychology of Laziness

Mohammad Shakeel
इंसान का सबसे बडा दुश्मन आलस है।

दो लफ्जों में 
इस बुक समरी में हम जान पाएंगे कि इंसान का सबसे बडा दुश्मन कौन है। अगर आप सोचते हैं कि टेक्नोलॉजी या फिर AI इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है तो शायद आप गलत है क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि इंसान का सबसे बडा दुश्मन आलस होता है। आलस ही वो चीज है जो कि इंसान को लाइफ में पीछे की ओर धकेल सकती है और जो इंसान आलस को अपनी लाइफ से निकाल देता है वही अपनी लाइफ में सक्सेस को हासिल कर सकता है। 

ये बुक किसके लिए है
- ये बुक उन लोगों के लिए है जिनका किसी काम में मन नहीं लगता। 
- ये बुक उन व्यक्तियों के लिए भी है जो काम को पोस्टपोन यानी को टालते रहते हैं। 
- ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो लाइफ में सक्सेस का सीक्रेट फाइंड आउट करने की कोशिश कर रहे हैं। 

लेखक के बारे में 
मोहम्मद शकील एक कंटेंट क्रिएटर होने के साथ साथ एंटरप्रेन्योर भी हैं। यूट्यूब पर उनके २ मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। इसके अलावा उनकी इस बुक की लगभग एक लाख से ज्यादा कॉपी ऑनलाइन लोगों ने इंजॉय करी है और नॉलेज गैदर की है। उनकी ये बुक इंडिया को बेस्ट सीलिंग बुक्स की लिस्ट में शामिल है।

आलस किस तरह से इंसान की लाइफ को मुश्किल बनाती है?
क्या कभी आपने सोचा है कि इस दुनिया में अगर इंसानों के लिए सबसे बडा खतरा है तो फिर वो क्या है? आपके और आपके सपने के बीच सबसे बडी रुकावट क्या है? ये कोई दुनिया का सबसे खतरनाक जानवर नहीं है और ना ही कोई ऐसी नेचुरल आपदा जिससे कि इंसानियत का खात्मा हो जाए। आपके और आपके सपने के बीच सबसे बडी रुकावट है आलस।

आप अगर गौर करेंगे और अपने आसपास देखेंगे तो आपको बहुत सारे आलसी लोग दिख जाएंगे और उन्हें देखने के बाद आपको ये एहसास हो जाएगा कि इंसान का जो सबसे बडा दुश्मन होता है वो होता है उसका आलसीपन।

आलस इंसान को इतना ज्यादा कमजोर कर देती है कि इंसान की सोचने और समझने की क्षमता भी धीरे-धीरे कम होती चली जाती है। इंसान को ऐसा लगने लगता है कि वो किसी काम का नहीं रहा है और उसे अंदर ही अंदर इतनी कमजोरी महसूस होने लगती है कि वो कुछ भी काम करने से पहले 10 बार सोचता है। अगर आप भी आलस पन के शिकार हो चुके हैं तो ये बुक समरी बिल्कुल आपके लिए ही है। 

आलस एक ऐसी हानिकारक चीज है जो कि इंसान को अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। इंसान को पता भी नहीं चलता कि वो दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है। ऐसे में ना सिर्फ वह व्यक्ति बल्कि उसके आसपास के लोग भी उससे परेशान हो चुके होते हैं।

जब आपके आसपास के लोगों को भी लगने लगता है कि आप इतने बड़े आलसी हैं कि आपको कोई काम बोला जाए तो आप उस काम को करने में बहुत ज्यादा समय लगा देते हैं या फिर आप उस काम को करते ही नहीं है तो फिर आपके आसपास के जितने भी इंसान होते हैं वो आपको Avoid करने लगते हैं और जब आपको लोग अवॉइड करते हैं तब अंदर से आपको बहुत ज्यादा बुरा महसूस होता है।

दूसरों को अवॉइड करना दूसरों के ऊपर नेगेटिव इफेक्ट डालता है।
बहुत ज्यादा लोग किसी एक इंसान को तभी अवॉइड करते हैं जब उन्हें लगता है कि वो इंसान उनके किसी काम का नहीं है और आलस एक ऐसा तरीका है जो कि इंसान को एक ऐसा प्राणी बना देती है जो कि किसी भी काम को करने से पीछे हट जाता है। हो ना हो हर व्यक्ति के अंदर आलस जरूर होती है। लेकिन बात वहीं पर आ जाती है जो व्यक्ति इस आलसीपन से उबर कर अपने काम को ज्यादा महत्वपूर्ण समझता है वो व्यक्ति अपनी लाइफ में आगे की तरफ बढ़ जाता है और सक्सेसफुल होता है। वहीं दूसरी तरफ जो व्यक्ति आलस को नहीं हरा पाता है और अपने सारे काम को छोड़ देता है वो व्यक्ति वही का वही रहता है और अपनी लाइफ में कभी सक्सेसफुल नहीं हो पाता है।

हम सभी ने ये तो जरूर सुना होगा कि जो व्यक्ति अपनी लाइफ में हार्ड वर्क नहीं करता है वो अपनी लाइफ में पीछे रह जाता है। मान लीजिए आप एक बहुत टैलेंटेड व्यक्ति है लेकिन वो टैलेंट किस काम का है जब वो टैलेंट किसी ऐसे काम ना इस्तेमाल हो सके जो कि आपकी लाइफ में आपको ग्रोथ प्रोवाइड कर सके। एक कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी कि अगर टैलेंट हार्ड वर्क नहीं करता है तो वो पीछे रह जाता है और वहीं दूसरी तरफ अगर कोई इंसान जो कि टैलेंटेड नहीं है लेकिन वो अपनी लाइफ में लगातार हार्ड वर्क कर रहा है तो उसे सफलता जरूर मिलती है।

हार्ड वर्कका मतलब सिर्फ ये नहीं है कि आप बिना सोचे समझे किसी भी दिशा में अपने आप को झोंक दें। हार्ड वर्क का मतलब होता है कि पहले आप अपने लाइफ के गोल को डिसाइड करें और उसके बाद उस गोल को अचीव करने के लिए आप पूरे जी जान से लग जाए। आलस एक ऐसी चीज है जो कि आपको आपके गोल तक पहुंचने से रोकती है। अगर आप लाइफ में किसी भी मूमेंट पर आलस को अपना साथी बना लेते हैं तो फिर समझ लीजिए कि उसी पॉइंट से आपकी लाइफ का डाउनफॉल शुरू हो जाता है। उसके बाद आप चाह कर भी उस स्पीड से ग्रोथ नहीं कर सकते हैं जिस स्पीड से आप पहले कर रहे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आपके अंदर आलस आ जाता है तो फिर आप अपने साथ वालों से बहुत ज्यादा पीछे हो जाते हैं क्योंकि हर कोई तो आलसी होता नहीं है।

बहुत से लोगों को ये बात पता है कि अगर वो लोग आलस को अपना साथी बना लेंगे तो फिर उनकी लाइफ बहुत ज्यादा दर्दनाक भी हो सकती है। आप देखते होंगे कि जो लोग गरीबी से निकल कर आते हैं वो कभी हार्ड वर्क करने से पीछे नहीं आते ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पता होता है कि हार्ड वर्क ही एक ऐसा तरीका है जिससे वो अपनी लाइफ को एक अच्छा मोड़ दे सकते हैं। बिना हार्ड वर्क के इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर पाना संभव नहीं है। अगर आप आलसी हो चुके हैं तो इससे आपकी लाइफ में लॉन्ग टर्म में तो फर्क पड़ेगा ही पड़ेगा बल्कि फिजिकल तौर पर भी आप काफी ज्यादा कमजोर फील करने लगेंगे। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आप आलसी हो जाते हैं तब आपका किसी काम में मन नहीं लगता है और ज्यादातर समय आप ऐसे ही बैठ कर या फिर लेटे हुए व्यतीत करते हैं जिससे कि आपकी बॉडी का जो फ्लो होता है वो बिगड़ जाता है और बॉडी का फ्लो बिगड़ने से होता ये है कि आपकी बॉडी के सारे पार्ट्स रिलैक्स मोड में चले जाते हैं।

ऐसे में जब आप अचानक से कोई काम करने के लिए उठते हैं तब आपको अजीब सा महसूस होता है। कभी-कभी तो आपको बॉडी में दर्द भी महसूस होगा क्योंकि आलसी व्यक्ति जब कोई काम नहीं करता है तो फिर उसकी बॉडी के जो पार्ट्स होते हैं वो एक तरह से न्यूट्रल पोजीशन में आ जाते हैं और उसके बाद जब दोबारा से आप अपने आप को तैयार करने की कोशिश करते हैं तो वो सारे बॉडी पार्ट्स उस हिसाब से आप का साथ नहीं देते हैं जिस तरीके से आपको चाहिए होता है।

बदलावों के साथ इंसान को भी बदलने की जरूरत है।
समय के साथ बदलती दुनिया में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। हमारे सामने ही ना जाने कितने बदलाव हुए हैं। हमारे जन्म से लेकर अभी तक का जो समय हमने इस दुनिया में बिताया है उससे हमें ये अंदाजा लग जाना चाहिए कि दुनिया में कितनी तेजी से बदलाव होते जा रहे हैं। और ऐसे में इन बदलावों के हिसाब से खुद को ढालने के लिए हमें अपने आप को भी बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है। अगर हम समय के साथ खुद को इंप्रूव नहीं करेंगे तो हम दुनिया में बहुत ज्यादा पीछे रह जाएंगे और बाकी के लोग हमसे बहुत ज्यादा आगे निकल जाएंगे।

इस तेजी से बदलती दुनिया में अगर आपको सफल होना है तो इसका एक बहुत ही सिंपल रूल है और वोये कि अपने आप को हर समय इंप्रूव करने के लिए देखिए। आपको कभी ये सोचकर नहीं बैठना है कि आप तो हर चीज में माहिर हो चुके हैं क्योंकि ऐसा सोचने के बाद आप अपने आप को इंप्रूव करने की कोशिश नहीं करते हैं और ऐसे में जो लोग कांस्टेंट इंप्रूवमेंट की तरफ बढ़ते रहते हैं वो आप से आगे निकल जाते हैं।

अब जब इस दुनिया में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो उन बदलावों से निपटने के लिए लोगों को अलग-अलग तरीकों का डेवलपमेंट करना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे बदलते समय में आपके सामने रोजाना कोई ना कोई कंपलेक्स प्रॉब्लम आती है जिससे डील करने के लिए आपको कुछ हटके सोचना पड़ता है। और इन्हीं सब समस्याओं की वजह से लोगों की सोचने की एबिलिटी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि समय के साथ इस दुनिया में हर एक इंसान का अगर आईक्यू देखा जाए तो वो भी अच्छी होती जा रही है। यानी कि बेहतर होती जा रही है। इसके अलावा लोगों की सोचने की एबिलिटी भी काफी ज्यादा वाइड होती जा रही है। वाइड से यहां हमारा मतलब है अलग-अलग तरह से किसी एक चीज के बारे में सोचना या फिर किसी प्रॉब्लम का अलग अलग तरह से सोचकर बहुत सारे सॉल्यूशन फाइंड करना। चीजों को अलग अलग तरह से करने का ट्राई करना भी वाइड थिंकिंग का एक एग्जाम्पल है।

धरती पर लाइफ काफी चैलेंजिंग है। धरती पर जीवन एन्ट्रापी को कैप्चर करके और उसे एक्सपेंड करके इनक्रीज किया जाता है और कई बार ये तरीका हमें भ्रमित कर सकता है। एन्ट्रापी का मतलब होता है एक तरह की ऊर्जा या कहें एनर्जी। अगर आपको कभी ऐसा लगा है कि आपकी लाइफ थोडी अव्यवस्थित है तो आप सही भी हैं और गलत भी। अगर फिजिक्स के नजरिये से देखा जाए तो हमारी लाइफ एक आर्डर में चलती है लेकिन इसकी शुरुआत ब्रह्मांड में मौजूद एन्ट्रापी से होती है। हमारे सामने जो भी हो चाहे वो बढा से बढा पेड हो या फिर हमारे हांथों की उंगलियां सब कुछ इस ब्रह्मांड में मौजूद एटम्स से ही बने हैं। एटम्स हम उन पार्टिकल्स को कहते हैं जोकि सबसे छोटे होते हैं और उनसे छोटा कोई पार्टिकल आज तक डिसकवर नहीं हुआ है। 

आपकी बॉडी इस ब्रह्मांड में रहकर जो भी वर्क करती है या एनर्जी स्पेंड करती है वो सब इस ब्रह्मांड को सही तरह से चलाने में काम आता है। क्वांटम फिजिसिस्ट एर्विन स्क्रोडिंगर ने थर्मोडायनामिक्स के दूसरे लॉ की हेल्प से इस चीज को एक्सप्लेन भी किया है। उनके एकॉर्डिंग हमारी बॉडी इस ब्रह्मांड में मौजूद एन्ट्रापी यानी कि एनर्जी को कैप्चर करती है उसको यूज़ करती है और फिर उसको दोबारा से ब्रह्मांड में रिलीज कर देती है। 

3.5 बिलियन साल पहले धरती पर प्राणी के नाम पर सिर्फ सिंगल सेल बैक्टीरिया हुआ करते थे।  वो पानी जैसे चीजों से एनर्जी लेकर केमिकल बांड्स बनाते थे और फिर उन केमिकल बांड्स को तोडकर एनर्जी रिलीज की जाती थी। वो ज्यादातर अंधेरे में ही काम करते थे। आज से लगभग 2.7 बिलियन साल पहले फोटोसिंथेसिस के प्रोसेस से कुछ नए स्पीशीज का जन्म हुआ जोकि सूर्य की रोशनी से एनर्जी लेकर उसको ऑक्सीजन में कन्वर्ट करते थे। और फिर इस ऑक्सीजन का यूज़ दूसरे प्राणी वर्क करने के लिए करते थे। 

टिशू और नर्वस सिस्टम वाला पहला प्राणी आज से लगभग ७०० मिलियन साल पहले समुद्र के नीचे पैदा हुआ था। और फिर बहुत सारे प्राणियों ने जन्म लिया लेकिन सबसे ज्यादा सफल वही प्राणी हुए जोकि जीवित चीजों से एनर्जी लिया करते थे। फिर धीरे धीरे प्राणी धरती पर रहने लगे और उनके काम करने का तरीका ट्रांसफॉर्म होता गया। 

लेकिन शुरुआत में सिर्फ एनर्जी कैप्चर करने से जीवन नहीं चलता था बल्कि उस एनर्जी को एक्सपेंड यानी कि खर्च भी करना होता था। आइये एक एग्जाम्पल से इसको समझने का प्रयास करते हैं।

मान लीजिए की आपको कुछ समय के बाद एक मैराथन के लिए जाना है तो लाजमी है कि आप मैराथन में जाने से पहले बहुत सारी तैयारी करेंगे। आप खुद को एक्सरसाइज करके फिट रखना चाहेंगे जिससे कि मैराथन में भागते समय आपकी फिजिकल बॉडी ठीक रहे और आपको कोई समस्या का सामना ना करना पड़े। उसके लिए आप जिम भी करेंगे।

खुद को एनर्जेटिक बनाए रखने के रास्ते ढूंढिए।
जब आप एक्सरसाइज या जिम करते हैं तो वो आपके अंदर एक नई एनर्जी क्रिएट करता है और जब आप मैराथन में भागते हैं तो वो एनर्जी रिलीज होती है। जब आपके बॉडी के अंदर एनर्जी होगी नहीं तो फिर आप भागते टाइम उस एनर्जी को क्रिएट कहां से करेंगे। इसलिए इंसान पहले से ही खुद को तैयार करता है और अपने अंदर एनर्जी क्रिएट करता है जिससे कि जब ऐसा समय आए कि उसे कुछ काम करना पड़े तो उस टाइम उसके पास एनर्जी मौजूद हो।

उसी तरीके से अगर आप आलस पन को अपने दिमाग में या अपने शरीर में जगह दे देते हैं तो फिर आलस आपकी जो बॉडी की एनर्जी है उसे पूरी तरह से खत्म कर देता है। आपके अंदर बिल्कुल एनर्जी नहीं बचती है। और जब आपके अंदर एनर्जी या कहें ताकत ही नहीं होती है तब आप किसी भी काम को करने में सफल नहीं हो पाते। दुनिया में किसी भी काम करने के लिए आपको एनर्जी की जरूरत जरूर पड़ती है चाहे वो काम फिजिकल हो या फिर मेंटल। अगर आपको लगता है कि वो काम आप आसानी से कर सकते हैं जिसमें आपको सिर्फ बैठना हो या फिर सिर्फ लेटना हो तो फिर ये आपकी एक गलतफहमी है क्योंकि मेंटल हेल्थ भी बहुत जरूरी चीज है और इंसान का आलस और मेंटल हेल्थ दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा कनेक्टेड है।

अगर कभी आप अपनी जॉब या फिर अपनी स्टडी को लेकर सैटिस्फाइ हो गए तो फिर उसी टाइम आपकी ग्रोथ स्टॉप हो जाएगी। एलोन मस्क की खास बात यही है कि वो कभी अपनी अचीवमेंट से सैटिस्फाइड  नहीं रहते। वो हमेशा नए नए गोल्स सेट करते रहते हैं। एलोन मस्क  और उनकी कम्पनी ने न जाने कितनी एक्स्ट्राऑर्डिनरी अचीवमेंट्स हांसिल की हैं लेकिन इसके बावजूद एलोन मस्क हमेशा कहते हैं कि इम्प्रूवमेंट हो सकता है। वो हर चीज में इम्प्रूवमेंट तलाश करते हैं। एलोन मस्क कहते हैं कि हर चीज को करने का हमेशा फ़ास्ट, इजी और सस्ता वे होता है। 

ग्रोथ माइंडसेट एक ऐसी स्किल है जोकि किसी सक्सेसफुल व्यक्ति को आर्डिनरी इंसान से अलग बनाती है। अगर किसी व्यक्ति के पास ग्रोथ माइंडसेट होता है तो उसको पता होता है कि वो किसी भी स्किल को लर्न कर सकता है। और अगर वो फेल भी होता है तो वो उस स्किल को लर्न करने का नया तरीका ढूंढने लगता है।  

एलोन मस्क कहते हैं कि फेलियर हमेशा ऑप्शन होता है। अगर आप फेल नहीं हो  रहे हैं तो इसका मतलब आप इनोवेटिव वे में सोच ही नहीं रहे हैं। फिक्स्ड माइंडसेट के साथ रहने वाले लोग कभी कुछ डिफरेंट नहीं करते। उनके पास जो होता है वो उसी में खुश रहते हैं। ग्रोथ माइंडसेट की हेल्प से आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों में डेवलपमेंट होगा।

अगर आप भी सक्सेसफुल होने के इस सीक्रेट को अपनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ चीजों को अडॉप्ट करना पडेगा। ग्रोथ माइंडसेट डेवलप करने के लिए जरूरी है कि आप हमेशा लर्निंग करते रहें। इसके लिए आप बुक्स रीड कर सकते हैं। अलग अलग तरीके की बुक्स रीड करने से आपके माइंड की कैपेबिलिटी इम्प्रूव होगी। 

परसिस्टेंस को अपना दोस्त बनाएं। बिना परसिस्टेंस के कोई कुछ अचीव नहीं कर सकता। इसलिए पहले अपना गोल डिसाइड करें और फिर  उसको अचीव करने के लिए हार्डवर्क करें। हारकर पीछे न हटें, परसिस्ट करें। इसके अलावा दूसरों की सक्सेस को सेलिब्रेट करना सीखें। आप अकेले कुछ भी बड़ा अचीव नहीं कर सकते। अगर आपके साथ लोगों का सपोर्ट रहेगा तो आपके लिए लाइफ आसान हो जाती है।

आप अच्छी हैबिट्स अपनाइए और फिर देखिए किस तरह आपके गोल आपके एकॉर्डिंग चलने लगते हैं। क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो सुबह उठने से पहले सोचते हैं कि क्यों न 5 मिनट और सो लिया जाए? अगर ऐसा है तो हो सकता है कि उन 5 मिनट में आपको नींद लेकर मजा आ जाये लेकिन क्या आपको पता है वो 5 मिनट एक्स्ट्रा  सो कर आप क्या खो रहे हैं? 

एंटरप्रेन्योर हाल एलरोड ने सीईओ से लेकर आर्टिस्ट तक दुनिया के काफी सक्सेसफुल लोगों पर उनके डेली रूटीन को लेकर रिसर्च की। उन्होंने पाया कि उन सभी के डेली रूटीन में मॉर्निंग में वो सभी 6 एलिमेंट्स को फॉलो करते थे। साइलेंस जिसमें मेडिटेशन और रिफ्लेक्शन इन्वॉल्व होता है। दूसरा एलिमेंट है अफर्मेशन या फिर कहें खुद से पॉजिटिव बातें करना। थर्ड एलिमेंट है विजुअलाइजेशन जिसकी हेल्प से आप एक मेंटल इमेज क्रिएट कर सकते हैं कि आप उस दिन क्या करने वाले हैं। उसके बाद आता है एक्सरसाइज जोकि आपके सेंस को ओपन करता है और आपके ब्लड को स्मूथली रन करता है। पांचवा एलिमेंट है स्क्रिबिंग जिसको सिम्पली हम राइटिंग भी कह सकते हैं। लास्ट एलिमेंट है  रीडिंग जिसमें आप दूसरों के शब्दों की मदद से मोटिवेशन ले सकते हैं। 

एक अच्छा मॉर्निंग रूटीन डेवलप करना और उसको फॉलो करना आपको आपके मैक्सिमम पोटेंशियल पर वर्क करा सकता है। अब शायद आपको समझ आ गया होगा कि सुबह 5 मिनट रोजाना एक्स्ट्रा सोने से आप क्या मिस कर रहे हैं।

अब आपने जब अपनी कोर वैल्यूज को आइडेंटिफाई कर लिया है और एक अच्छा वे डिसाइड कर लिया है उसको अचीव करने का तो अब टाइम है आगे बढ़ने का। आप सोच रहे होंगे कि कैसे? अगर आप अपने गोल पर वर्क करने की एक हैबिट डेवलप कर लेंगे तो आपके लिए काफी अच्छा रहेगा। 

कोई भी नई हैबिट को अपनाने के लिए 21 दिन लगते हैं। और अगर आप अपने माइंड में क्लियर हैं तो आप एक टाइम पर दो हैबिट्स पर भी वर्क कर सकते हैं। अगर आप एक हैबिट अपना लेते हैं तो उससे आपको और ज्यादा अच्छी हैबिट्स अपनाने के लिए मोटिवेशन मिलेगा। एग्जाम्पल के लिए अगर आप एक्सरसाइज करना शुरू करते हैं तो इसकी वजह से अच्छा खाने की हैबिट भी आपके अंदर डेवलप होगी। जो लोग अच्छा खाते हैं और एक्सरसाइज करते हैं वो ज्यादा प्रोडक्टिव होते हैं। 

एक हैबिट जो आपको जरूर अपनानी चाहिए वो है एक्सीलेंस। जब Ann Miura ने Yaleके इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में इंटर्नशिप जॉइन की तो उन्होंने अपने पापा से कहा कि वहां पर एक इंटर्न के तौर पर उनको नौकरों वाला काम करना पडता है। उनके पिता ने उनसे कहा कि तुम जो भी काम करो उसमें एक्सपर्ट बनो तभी तुम बडी से बडी जॉब को आसानी से परफॉर्म कर पाओगे। उसके बाद से Ann Miura ने अपने हर काम को परफेक्ट तरीके से करने का डिसीजन लिया। उसके बाद उन्होंने एक इंटर्न के तौर पर सभी छोटे कामों को पूरी एक्सीलेंस के साथ परफॉर्म किया और उनके काम से सभी खुश थे। उनकी इसी लगन की वजह से शायद आज वो वर्ल्ड की मोस्ट सक्सेसफुल वेंचर कैपिटलिस्ट हैं।

इंसानों के अंदर एक बहुत बुरी आदत है और वो ये है कि हम सोचने में बहुत ज्यादा टाइम बिता देते हैं। हम ज्यादातर टाइम यही सोचते रहते हैं कि हम अपनी लाइफ में क्या कर रहे हैं और हमें क्या करना चाहिए। हमारा हमेशा यही फोकस होता है और हम ये ही सोचते रहते हैं कि आगे की अपनी लाइफ को हम किस तरह जीने वाले हैं। लेकिन उस प्रकार लाइफ को अचीव करने के लिए हम कुछ नहीं करते बल्कि सिर्फ सोचते ही रहते हैं। जब आप अपने टाइम को एनालाइज करेंगे कि आप अपना टाइम कहां कहां वेस्ट कर रहे तब आपको एहसास होगा कि आप अपनी लाइफ में अब तक कितना ज्यादा टाइम वेस्ट कर चुके हैं।

आपने एक चीज बहुत बार सुनी होगी कि समय के साथ सब कुछ ठीक हो जाता है। ऐसा नहीं है। समय के साथ कुछ ठीक नहीं होता। अगर आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे और समय के साथ सब कुछ ठीक होने का इंतजार करते रहेंगे तो फिर आपको पता चलेगा कि कभी कुछ ठीक होने वाला नहीं है। अगर आपको किसी चीज को ठीक करना है तो जरूरी है कि आप खुद उस काम में लग जाएं। बल्कि होता ऐसा है कि आप इंतजार करते रहते हैं और बैठे रहते हैं कि कोई टाइम तो आएगा कि जब चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी पर ऐसा कभी हो नहीं पाता।

आइए आपके दिन को एनालाइज करने की कोशिश करते हैं। जब सुबह उठते हैं तब आपके पास उस समय से लेकर अगले दिन तक 24 घंटे का वक्त होता है। मान लीजिए आप सुबह 6 बजे उठे उसके बाद 6  से 7 तक आपने एक्सरसाइज की। 7 से 9 तक आपने घर पर समय बिताया और 9 बजे से लेकर 5 बजे तक आपने ऑफिस में समय बिताया। 5 बजे ऑफिस से आने के बाद आपके पास घर के थोड़े बहुत काम होंगे जो कि आपको करने होंगे तो मान लीजिए आपके एक-दो घंटे उस काम में भी लग सकते हैं। लेकिन उसके बाद तो आपके पास समय होता है। आप अपनी फैमिली को टाइम दे सकते हैं।

अभी हमने आपको एक ऐसा टाइम मैनेजमेंट बताया है जो कि इस दुनिया में लगभग हर इंसान फॉलो कर रहा है। लेकिन इस टाइम मैनेजमेंट में भी ऐसा बहुत समय होगा जो कि आप वेस्ट करते हैं। जैसे कि जब आप अपनी जॉब पर पूरे टाइम हमेशा काम ही करते रहते हैं ऐसा तो नहीं होता है। जॉब पर अगर आप काम कर रहे तो उसमें से 4 से 5 घंटे प्रोडक्टिव काम आप कर सकते हैं। उसके बाद का जो टाइम होता है वो आप सोचने में या फिर इधर-उधर वेस्ट करने में बिता देते हैं। और यही आलस की सबसे बड़ी निशानी होती है कि आप सोचने में ज्यादा टाइम वेस्ट कर रहे होते हैं।

जब इंसान आलसी हो जाता है तो सबसे ज्यादा समय उसका सोने में या फिर फालतू की चीजें सोचने में व्यतीत होने लगता है और अगर आप इस तरह के इंसान बन चुके हैं तो फिर ये बहुत अच्छा समय है कि आप अपनी लाइफ को एक सही डायरेक्शन प्रोवाइड करें। अगर आप भी अपना टाइम वेस्ट करने में लगे हैं तो अभी ही आपको ये रियलाइज कर लेना चाहिए कि बहुत ज्यादा देर कर देने से आपकी लाइफ और ज्यादा खराब होती चली जाएगी। इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आज ही आप डिसीजन ले कि किस तरह से आपको अपनी लाइफ जीनी है। अगर आप चाहते हैं कि आप आलस का साथ छोड़ दें तो ये सब आपको खुद ही करना पड़ेगा। आलस आपके माइंड से ही शुरू होता है और वहीं पर खत्म होता है। तो अगर आप अपना माइंड मेकअप कर लेंगे कि आपको आलसी नहीं होना है तो आप फालतू टाइम में भी कुछ ऐसा प्रोडक्टिव काम ढूंढ लेंगे जो कि आपको लाइफ में अच्छे पॉइंट पर लेकर जाएगा।

बहुत सी बार आपने ये भी एनालाइज किया होगा कि कोई काम आपको करना होता है तो आपको लगता है कि आपके पास बहुत समय है और इस वजह से आप उस काम को टालते चले जाते हैं। आपको पता भी नहीं चलता लेकिन काम को टालते टालते  इतनी देर हो जाती है कि वो काम करने का सही समय निकल चुका होता है। और जब आपको पता चलता है कि अब आप उस काम को नहीं कर सकते या फिर अब उस काम को करने का कोई मतलब नहीं होगा तो फिर आप को काफी नुकसान सहना पड़ता है। ये एटीट्यूड भी बहुत ज्यादा गलत है। अगर आप यही सोचते रह जाते हैं कि किसी काम को करने के लिए आपके पास बहुत समय है और इसलिए पहले आराम कर लिया जाए। फिर आराम के बाद काम करेंगे तो ये आजकल के समय में नहीं चलता है।

आपने खरगोश और कछुए वाली कहानी तो सुनी होगी। उस कहानी में खरगोश ये सोच कर आराम करता है कि उसके पास तो बहुत ज्यादा समय है, वो कभी भी तेजी से भागकर कछुए से रेस जीत सकता है लेकिन जब वो सो कर उठता है तब उसे पता चलता है कि रेस को कब की खत्म हो चुकी है और कछुआ पहले ही उसको जीत चुका है। बिल्कुल उसी तरह इंसानों की लाइफ में भी होता है। आलसी लोग ये सोचते रहते हैं कि उनके पास बहुत सारा समय है और वो जब चाहेंगे तब किसी काम को कंप्लीट कर देंगे। लेकिन यही सोचते सोचते बहुत सारा समय निकल जाता है और वो लोग कुछ अचीव नहीं कर पाते। अगर आप चाहते हैं कि आप अपनी लाइफ में सक्सेसफुल बने तो इसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप ये काम को टालने वाला एटीट्यूड अपनी लाइफ से निकाल कर बाहर कर दें। आप जितनी जल्दी ये एटीट्यूड अवॉइड करेंगे उतनी जल्दी ही सफलता आपको मिलेगी।

द मोर यू लर्न, द मोर यू अर्न।
वारेन बफ़ेट ने एक बार कहा था द मोर यू लर्न, द मोर यू अर्न। यानी कि आप जितना लर्न करते हैं उतना ही अर्न करते हैं। और ये बाते एकदम सच है। दुनिया के किसी भी सक्सेसफुल इंसान को आप देखिए वो सक्सेसफुल इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अपने टाइम का बेस्ट यूज़ किया। वो सभी सक्सेसफुल इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने कभी लर्निंग नहीं छोडी। वो हमेशा नई चीजों को सीखने में बिलीव करते रहे। सक्सेसफुल लोग हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं।

चलिए आप सोचिए कि दिन की शुरुआत से पहले आपके पास 86,400 डॉलर हैं और दिन खत्म होने के साथ ही वो पैसे आपके पास से गायब हो जाएंगे। और फिर वो आपको वापस नहीं मिलेंगे। अगर कभी ऐसा आपके साथ होता है तो आपकी हर हाल में यही कोशिश होगी की आप किसी न किसी तरह से वो सारे पैसे यूज़ कर लें। तो क्यों न आप उन पैसों का सही वे में यूज़ करें। क्यों न आप उन पैसों का बेस्ट यूज़ करें। 

बिल्कुल ऐसे ही आपके पास दिन में 86,400 सेकंड होते हैं। सिर्फ आपके पास ही नहीं दुनिया के हर इंसान के पास इतना ही टाइम होता है। लेकिन हर कोई इसका बेस्ट यूज़ नहीं करता। ज्यादातर लोग टाइम को बर्बाद करते हैं। ज्यादातर लोग आलसी होते हैं और जो नहीं होता है वो लाइफ में आगे निकल जाता है। जो इंसान इसका सही यूज़ करता है वो ही सक्सेसफुल बनता है। 

तो आज से एक बात अपने दिमाग में बैठा लीजिये की ये 86,400 सेकंड आपको दोबारा नहीं मिलेंगे। इसलिए इसका बेस्ट यूज़ करें। इस टाइम को कुछ प्रोडक्टिव करने में यूज़ करें। वो चीजें करें जो आपको पसंद है। या फिर कुछ ऐसा करें जिससे आपकी लाइफ सेट अप हो। अपने टाइम को किसी बेकार की जगह वेस्ट करने से अच्छा उसे कुछ नया लर्न करने में इन्वेस्ट करें। 

अगर आप अपना टाइम वीडियो गेम और पार्टी जैसी चीजों में यूज़ करते हैं तो सम्भल जाइये क्योंकि ये टाइम जो आप वेस्ट कर रहे हैं वो कभी वापस नहीं आने वाला। अपने उस टाइम को सही जगह यूज़ करें। बुक रीड करें। कोई नई चीज लर्न करने की कोशिश करें। 

बहुत से लोग अपने ड्रीम्स पर गिव अप कर देते हैं क्योंकि उनको अपने ड्रीम्स तक का रास्ता बहुत हार्ड लगने लगता है। कई स्टूडेंट्स तो ऐसे हैं जो सिर्फ एक टेस्ट में फेल हो जाने की वजह से अपने ड्रीम्स को चेज करना छोड देते हैं। लेकिन सच तो ये है कि उन्होंने कभी अपना फुल एफर्ट लगाया ही नहीं। जिस टेस्ट में वो फेल हुए उसमें भी उन्होंने अपना बेस्ट परफॉर्म नहीं किया। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने दिमाग में पहले से ही ये सोच बना ली होती है कि टेस्ट बहुत हार्ड है और वो उसको पास नहीं कर सकते। ऐसे स्टूडेंट्स खुद में बिलीव करना ही छोड देते हैं। और एक बार आपके अंदर का बिलीव खत्म हो गया तो समझ जाइये की आपका ड्रीम भी खत्म हो गया। 

अगर आपका कोई ड्रीम है तो उसे हांसिल करने के लिए वो सब करें जो आपको करना पडे। कभी भी अपने ऊपर बिलीव करना न छोड़ें। 

हमारी पूरी लाइफ ही एक टेस्ट की तरह है। हम कई बार फेल होंगे। लेकिन अगर हम कोशिश करनी छोड देंगे तो वो सबसे ज्यादा बुरा होगा। कभी भी कोशिश करने से पीछे नहीं हटें। अपने ड्रीम को अचीव करने के लिए डटे रहें। 

आपको जो भी ड्रीम है उसको अचीव करने के लिए अपनी पूरी एनर्जी इन्वेस्ट करें। अपने आप को अपने ड्रीम्स की तरफ़ पुश करते रहें। अगर आपको अपनी लाइफ में कुछ ऐसा करना है जो आपने कभी नहीं किया तो आपको उसके लिए कुछ अलग भी करना पडेगा। 

एक बार बिल गेट्स से किसी ने एक सवाल किया कि वो कौन सी सुपर पावर है जो वो अपने अंदर लाना चाहते हैं। तो उनका जवाब था कि उनके अंदर अगर बुक्स को जल्दी रीड करने की सुपर पावर हो तो वो बेस्ट होगा। सक्सेस का मतलब ये नहीं कि आपके पास बहुत पैसा है, या आप बहुत फेमस हैं। सक्सेस का असली मीनिंग है अपने आप का बेस्ट वर्जन बनना। 

सक्सेस के रास्ते में आपको कई बार फेल होना पडेगा। आप कई बार गिरेंगे लेकिन इम्पोर्टेन्ट है कि आप गिरने के बाद फिरसे से खडे होकर अपने ड्रीम की ओर एक्स्ट्रा एनर्जी के साथ चल पड़ें। ऐसा माइंड सेट डेवलप करें जिससे आप कभी अपने ऊपर से बिलीव न खोएं। 

अगर आप अपने ड्रीम को फॉलो करना छोड देंगे और गिव अप कर देंगे तो आप कभी जान ही नहीं पाएंगे कि आप कितने ग्रेट बन सकते हैं। कभी भी अपने ऊपर और अपनी स्किल्स पर डाउट न करें। डाउट ड्रीम्स को किल कर देता है। हर एक दिन खुद को बेहतर इंसान बनाने की कोशिश करें। क्योंकि ये आपकी लाइफ और इससे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट कुछ भी नहीं है।

इंसान के आलस के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं और उस में से सबसे बडा कारण होता है स्ट्रेस अगर कोई इंसान ज्यादा स्ट्रेस लेता है तो फिर वो बहुत ज्यादा आलसी होता चला जाता है। कुछ लोग स्ट्रेस को अच्छे से हैंडल कर लेते हैं और कुछ लोग नहीं कर पाते क्योंकि दोनों तरह के लोग जीवन को अलग अलग तरह से कल्टीवेट करते हैं। 

सोचिये कि आप का ये हफ्ता बहुत बुरा बीत रहा है। शायद आपने किसी अपने करीबी को खो दिया है या फिर आपके परिवार में किसी को बहुत खतरनाक बीमारी हो गयी है। ऐसे में आप टेंशन में आके अपने सारे प्लान कैंसिल कर देंगे और उसी टेंशन को दूर करने के लिए शायद आप नशे का सहारा भी लें या फिर दिन रात बिना कुछ किये टीवी के सामने  बैठे रहें। 

लेकिन हम आपको एक चीज बिल्कुल साफ बता दें कि ये सब चीजें आपके स्ट्रेस को दूर करने में बिल्कुल हेल्प नहीं करेंगी। हो सकता है ये सब करने की वजह से आपको नुकसान भी उठाना पडे। तो आखिर आप कैसे ऐसी सिचुएशन के साथ डील कर सकते हैं। 

जरा एक बार आपने आसपास के लोगों पर नजर डालिए और जानने की कोशिश करिये कि ऐसा कौन सा व्यक्ति है जोकि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी खुद को स्टेबल रख पा रहा है और कौन ऐसा है जोकि परेशानी वाली सिचुएशन में और ज्यादा परेशान हो जाता है। 

प्रोफेसर डेविड अलमिडा ऐसे लोगों के ग्रुप को टेफ़लोन और वेल्क्रो के नाम से रेफर करते हैं। वेल्क्रो वो लोग होते हैं जो डिफिकल्ट सिचुएशन में ये समझ नहीं पाते कि उनको सिचुएशन को कैसे हैंडल करना है। वो ऐसी चीजें करने लग जाते हैं जिससे उनको और ज्यादा नुकसान होता है। न सिर्फ इमोशनल तौर पर बल्कि ये लोग फिजिकल तौर पर भी खुद को कमजोर कर लेते हैं। 

टेफ़लोन ग्रुप में वो लोग आते हैं  जो स्ट्रेस को सही तरह से हैंडल करना जानते हैं। कठिन  परिस्थितियों में ऐसे लोग न सिर्फ खुद को संभालते हैं बल्कि जरूरत पडने पर दूसरों को भी सम्भाल लेते हैं। 

दोनों तरह के लोगों में डिफरेंस इतना होता है कि टेफ़लोन ग्रुप के लोग खुद को दूसरी चीजों में इन्वॉल्व रखते हैं। ऐसी चीजें जो उनको स्ट्रांग बनाती हैं। अगर आप खुद को एक्टिव और स्ट्रांग बनाना चाहते हैं तो इस बात का इंतजार मत करिए कि कभी आपके साथ ऐसी कोई घटना होगी जोकि आपको अंदर से मजबूत बना देगी। छोटी छोटी चीजों से आप प्रेरणा ले सकते हैं। 

मोहम्मद अली ने एक बार कहा था कि कभी कभी आपके जूते में फंसा हुआ छोटा सा पत्थर आपको परेशान करता है नाकि उस पहाड की ऊंचाई जिसपर आप चढ़ाई कर रहे हैं। रोजाना जीवन में आने वाली परेशानियों से लडते रहना स्ट्रांग से स्ट्रांग व्यक्ति के लिए मुश्किल हो सकता है। 

तो आपको क्या लगता है कि वो कौन से लोग है जो अपनी लाइफ के स्ट्रेस को सही तरह से हैंडल कर पाते हैं? वो लोग जो जीवन में एक्टिव और स्ट्रांग रहते हैं उनके अंदर तीन मेन क्वालिटी होती है ऑटोनोमी, कॉम्पीटेंस और रिलेटेडनेस। ऐसे लोग प्रोएक्टिव होते हैं और प्लान्स के एकॉर्डिंग काम करते हैं। दूसरों के साथ काम करके ऐसे लोग खुद को और मजबूत बनाते हैं। 

पहले सिर्फ जानवर ही काम किया करते थे लेकिन बाद में इसी चीज ने इंसानों के काम करने की भी शुरुआत की। घरेलू जानवर जिसमें की कुत्ते भी शामिल हैं, उन्होंने हमारी सोसाइटी के डेवलपमेंट में काफी बड़ा रोल प्ले किया था। कुत्तों के बाद जो और जानवर पाले जा रहे थे उनमें बकरी और भेड बाकी जानवरों से काफी आगे थे। इनका पालन इसलिए होता था ताकि इनसे मीट, दूध और ऊन जैसी चीजों की प्राप्ति की जा सके। लेकिन जब इन जानवरों का इस्तेमाल एकदम पीक पर था तभी एक और इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन देखने को मिला। 

इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन के दौरान देखने को मिला कि इस तरह के पालतू जानवर खेतों में इंसान की जगह ले सकते थे। साथ ही साथ इन जानवरों की हेल्प से फल और सब्जी को ट्रांसपोर्ट करना भी काफी इजी हो गया था। इसके तुरंत बाद ही एक और रेवोल्यूशन देखने को मिला। इस रेवोल्यूशन के दौरान लोगों ने घोड़ों को पालना शुरू किया। घोडे बाकी जानवरों से ज्यादा काम करते थे, या कहें कि कई जानवरों का काम एक अकेला घोड़ा कर सकता था। इसके अलावा घोडे इंसान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी सक्षम थे। 

हर एक रेवोल्यूशन के साथ साथ इंसानों ने काम करने के अलग अलग तरीके अपनाए और जानवरों के ऊपर अपनी पकड को मजबूत किया। लेकिन इसके बाद हमें पालतू जानवरों को लेकर काफी नए इशू का भी सामना करना पड़ा। 

बहुत से लोग जानवरों को खिला पिला इसलिए पालते थे ताकि बाद में उनको मारकर उनको खाया जा सके। हिन्दू सभ्यता के अनुसार छोटी जाति के लोग ही जानवरों को मारते थे और ऊंची जाति के लोग इस चीज से खुद को दूर ही रखा करते थे। अब्राहमिक रिलीजन में जानवरों को मारने के लिए हलाल जैसे कुछ कानून थे। यूरोप में लोगों का मानना था कि जानवरों के अंदर आत्मा नहीं होती और इसलिए उनको मशीनों कि जगह पर यूज़ किया जा सकता है और जब जरूरत हो उनको मारा भी जा सकता है। बाद में फिलॉस्फर डेसकार्टेस ने इस चीज को जस्टिफाई किया कि इंसानों की कुछ प्रजाति भी जानवरों की तरह ही होती है जो कि सिर्फ गुलामी के लिए ही बने होते हैं। 

रोम वो पहली जगह थी जहां पर गुलामी को सिस्टमैटिक वे में इंफोर्स किया गया। इस सिस्टम की वजह से वहां पर अमीर लोगों ने बहुत ज्यादा पूंजी बना ली थी। और इसकी वजह से वहां पर भेदभाव भी काफी तेजी से बढ़ा। 

रोम में रहने वाले मिडल क्लास के लोगों ने खुद को सोसाइटी में बनाये रखने के लिए कॉलगिया नाम का ट्रेड गिल्ड स्टार्ट किया। लेकिन इससे ज्यादा कुछ बदलाव नहीं हुए। भेदभाव की वजह से रोम बाद में कोलैप्स भी हुआ। लेकिन उसके कोलैप्स होने से पहले ही अमीर लोग किसी और जगह पर मूव कर गए। ये वो समय था जब अर्बनाइजेशन की बस शुरुआत ही थी। 

इंसान के आलस पन का सबसे बडा कारण है टेक्नोलॉजी। जबसे नई नई टेक्नोलॉजी इस दुनिया में आई है तब से इंसान और ज्यादा आलसी होता जा रहा है। उसे कोई काम करने का मन नहीं होता है और अभी तो चैट जीपीटी नाम की एक नई चीज आ गई है जिसने इंसान की दुनिया को और आसान बना दिया है। इंसान घर से बैठे-बैठे सारे सवालों के जवाब हासिल कर सकता है। 

तो ऐसे में कोई क्यों ही कुछ करना चाहेगा? इंसान को लगने लगा है कि अगर वो लेटे-लेटे सब काम कर सकता है तो फिर उसको बाहर निकलने की क्या जरूरत है। और किसी से बात करने की क्या जरूरत है। गूगल, चैट जीपीटी और इसके जैसी सब चीजों की हेल्प से जितने भी काम करने में पहले बहुत ज्यादा समय लगता था आजकल वो काम कुछ ही मिनट में हो जाते हैं। ये चीजें इंसान को बहुत ज्यादा आलसी बना दे रही है। लेकिन ये किस हद तक सही है कि आप इन सब चीजों का फायदा उठाकर खुद आराम करें?

हमें इन सब चीजों को इस तरह से देखना चाहिए कि ये सब चीजें एक बेस है और इस बेस का यूज करके हमें कुछ नई तकनीक इजात करनी है जो कि आगे चलकर इंसानियत की मदद कर सके। अगर हम ऐसे ही आलसियों की तरह बैठ जाएंगे और इन सब चीजों का यूज करके कुछ नई या प्रोडक्टिव इन्वेंशन नहीं करेंगे तो फिर सोचिए कि आने वाले टाइम में किस तरह की दुनिया होगी। सब लोग इसी तरह सोच ने लगेंगे कि जो चीजें उनके पास है वही काफी है तो फिर वो कुछ नई चीजों की तरफ ध्यान ही नहीं देंगे। और ऐसे में कुछ नई चीजें दुनिया में आएंगी ही नहीं। और जब दुनिया में नई चीजें नहीं आएंगी तो दुनिया की ग्रोथ रुक जाएगी और इंसानियत की भी ग्रोथ रुक जाएगी जो कि हमारे लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है।

इंसान का आलस कहीं न कहीं इसके मूड से भी कनेक्टेड होता है। अगर इंसान का मन होता है तो ही वो कुछ करता है नहीं तो नहीं करता है।  और जो इंसान बिना मन के भी अपने काम को अंजाम दे सकता है वही असल में अपने आलस से जीत सकता है। 

अपने मूड को लेकर हमेशा एक्टिव रहिए। कभी भी अपने मूड की वजह से गलत कदम मत उठाइये । इंसान का मूड काफी डिसेप्टिव हो सकता है। यानी कि इंसान का मूड उससे कुछ भी करवा सकता है। जब हम अच्छे मूड में होते हैं तो हमारी साथ जो भी होता है वो हमें अच्छा ही लगता है। उस टाइम हमारा कॉमन सेंस बहुत अच्छे से काम कर रहा होता है। अच्छे मूड में हमें कोई भी समस्या मुश्किल नहीं लगती। अच्छे मूड में रहने की वजह से हमें किसी से कम्युनिकेशन बनाना भी काफी आसान लगता है। 

वहीं जब किसी इंसान का मूड खराब होता है तो उसे न फर्क पडने वाली चीजों से भी फर्क पडने लगता है। खराब मूड में छोटी समस्या भी बडी नजर आने लगती है। खराब मूड में  होने के कारण कभी कभी हम चीजों को गलत समझ कर उसका गलत अर्थ भी निकाल लेते हैं। 

आइये अब हम आपको एक बात बताते हैं। किसी भी व्यक्ति का मूड हमेशा एक जैसा नहीं रहता। ऐसा भी हो सकता है कि सुबह के टाइम किसी व्यक्ति का मूड काफी अच्छा और दोपहर के समय उसका मूड खराब हो जाये। खराब मूड की वजह से इंसान किसी को भी दोष देने लगता है। 

किसी भी इंसान के मूड में इतनी जल्दी जो बदलाव आता है वो शायद हमें मजाक लगे लेकिन हम सभी एक ही जैसे होते हैं। किसी का भी मूड कभी भी बदल सकता है। जब हमारा मूड खराब होता है तो हमें ऐसा लगता है कि हमको जो भी काम करना है वो अर्जेंट करना है। उस टाइम हम ये भूल जाते हैं कि जब हम अच्छे मूड में होते हैं तो सब चीज हमारे लिए आसान होती है। खराब मूड में हमें न सिर्फ परिस्थितियां खराब नजर आती हैं बल्कि हमें हमारी पूरी लाइफ ही गलत नजर आने लगती है।

सच तो ये है कि खराब मूड में भी लाइफ उतनी खराब नहीं होती जितनी हम उसे बना देते हैं। ऐसे टाइम में अपने आप को याद दिलाइये की अभी बस सिर्फ आपका मूड खराब और कुछ नहीं। आप सोचिये की जब आपका मूड ठीक होगा तो फिर चीजें आपको अपने आप ही अच्छी नजर आने लग जाएंगी।

अपनी लाइफ को एक टेस्ट की तरह देखिए।
जब हम अपनी लाइफ की हर प्रॉब्लम को एक टेस्ट की तरह देखेंगे तो आपको समझ में आएगा कि लाइफ में हर कदम पर आपके पास खुद को इम्प्रूव करने का मौका है। आपकी लाइफ में चाहे कितनी भी बडी प्रॉब्लम क्यों न हो अगर आपको उसके मात्र एक टेस्ट की तरह देखेंगे तो आपके सफल होने के चांस काफी हद तक बढ़ जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर आप लाइफ में आने वाली प्रॉबलम्स को एक सीरियस बैटल की तरह देखेंगे तो आप का  पूरा टाइम टेंशन में ही निकल जायेगा। 

हर छोटी छोटी जगह पर आप इस प्रिंसिपल को अप्लाई कर सकते हैं। अगर आप इस स्ट्रेटजी को ट्राई करते हैं तो आपको बहुत अच्छे रिजल्ट देखने को मिलेंगे। आइये एक  एग्जामपल से इसको समझने का प्रयास करते हैं। लेखक ने अपनी लाइफ में एक बार ये परसेप्शन बना लिया था कि उनके पास खुद के लिए टाइम नहीं है। वो हर चीज को जल्दबाजी में करने की कोशिश करते थे।  अपने शेड्यूल को ब्लेम करते थे, अपने परिवार को ब्लेम करते थे। किसी भी समय उनको ऐसा नहीं लगता था कि उनके पास कुछ खाली टाइम है।

बाद में उनको रियलाइज हुआ कि अगर उन्हें खुश रहना है तो उन्हें इस बात पर फोकस नहीं करना चाहिए कि लाइफ को कैसे परफेक्ट बनाना है। उन्हें बस ये ध्यान रखना चाहिए था कि किस तरह चीजों को सही तरह से किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में बात करें तो उन्हें अपनी स्ट्रगल को एक टेस्ट की तरह देखना था। आज भी लेखक के सामने उतनी ही प्रॉब्लम है लेकिन अब वो उसे टेस्ट की तरह देखते हैं और इसलिए वो हर टेस्ट में खुद को बेटर करने की कोशिश करते हैं। 

साइंस के एकार्डिंग जब इंसान कोई अच्छा काम करता है तो उसके बॉडी में डोपामाइन नाम का एक लिक्विड रिलीज होता है जिससे कि इंसान को खुशी का एहसास होता है। ऐसा तब भी होता है जब आपकी कोई तारीफ करता है। आलसी व्यक्ति जो होते हैं वो जब कोई काम नहीं करते हैं तो उनकी बॉडी में ये लिक्विड काफी कम क्वांटिटी में रिलीज होता है जिसकी वजह से उनकी लाइफ में खुशी भी कहीं खो कर रह जाती है और वो अपनी लाइफ को पूरी तरह इंजॉय नहीं कर पाते।लेकिन जब कोई व्यक्ति लगातार काम कर रहा होता है और अपने आप को एक्टिव रखता है तो उनकी बॉडी में ये लिक्विड बहुत अच्छी क्वांटिटी में रहता है जिससे कि उनकी बॉडी में हमेशा एनर्जी बनी रहती है और उन्हें अच्छा भी महसूस होता है।

जब आप कोई काम करते हैं और दूसरों को काम अच्छा लगता है तो दूसरे व्यक्ति भी आपकी तारीफ करने लगते हैं और जबआप दूसरों से खुद की तारीफ सुनते हैं तो आपको और ज्यादा मोटिवेशन मिलता है जिसकी वजह से आप और ज्यादा काम करने के लिए तैयार रहते हैं।अगर आप चाहते हैं कि आपकी लाइफ में ऐसे बहुत सारे मोमेंट्स आए जब आपको खुशी का एहसास हो तो ये जरूरी है कि आप आलस का साथ छोड़ कर अपने आप को एक्टिव रखें और किसी ना किसी काम को करते रहे जिससे कि आपके दिमाग में ना स्ट्रेस रहे और ना ही आपका दिमाग किसी गलत चीज को सोचने में वेस्ट हो।

अगर आपकी लाइफ में डिसिप्लिन नहीं है तो फिर आप अपनी समस्याओं से कभी दूर नहीं हो सकते। इस संसार में सफल व्यक्ति वही होते हैं जो कि अपनी लाइफ में डिसिप्लिन फॉलो करते हैं। एक अच्छा रूटीन और डिसिप्लिन के साथ ही व्यक्ति अपनी समस्याओं से खुद को दूर कर सकता है। इंसान के जीवन में डिसिप्लिन का होना इस बात की गारंटी देता है कि अगर उसकी लाइफ में कोई समस्या आती भी है तो वो समस्या के साथ अच्छी तरह से डील कर पाएगा और जल्द से जल्द उस समस्या से खुद को दूर कर सकता है।

अगर आप इस बुक में बताए गए लेशन को फॉलो करेंगे तो आपको इस बात का एहसास हो जाएगा कि दुनिया को अपनी नजरों से देखने का नतीजा क्या हो सकता है। हम सभी बहुत सारे भ्रम में जी रहे हैं। बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में हमें नॉलेज ही नहीं है। हमें जितना उनके बारे में पता है हम उसे ज्यादा न जानने की कोशिश करते हैं ना कोई हमें बताना चाहता है। लेकिन अगर आप अपनी लाइफ में डिसिप्लिन फॉलो करते है और आपको अपनी लाइफ का मोटिव पता है तो आप अपनी लाइफ में काफी तेजी से ग्रो कर सकते हैं।

इंसान के लिए अपनी लाइफ की रियलिटी को एक्सेप्ट करना बहुत ज्यादा जरूरी है। अगर इंसान अपनी लाइफ की सच्चाई से दूर भागता है तो फिर वो ऐसा करके खुद को ही नुकसान पहुंचा रहा है। क्योंकि जब तक हम अपने जीवन की सच्चाई एक्सेप्ट नहीं करेंगे तब तक हम अपने गोल तक नहीं पहुंच पाएंगे। अगर हम भ्रम में ही जीते रहेंगे तो हमारे जीवन में समस्याओं का आना निश्चित है। हम लगातार किसी नई समस्या में पडते रहेंगे और उससे निकलने का रास्ता भी हमको नहीं समझ में आएगा। अगर आप लाइफ की रियलिटी को एक्सेप्ट करते हैं तो आपको समझ में आ जाएगा कि आपके जीवन में जो समस्याएं हो रही हैं उनका असल कारण क्या है। और करना जानने के बाद आपको समस्या से निकलने का रास्ता भी नजर आने लगेगा। 

और सबसे जरूरी बात जो इस बुक समरी में हमने जानी है वोये कि समस्याओं को टालना नहीं चाहिए। कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि जो प्रॉब्लम है हमारी लाइफ में आई है उसमें कुछ दिनों बाद सॉल्व कर लेंगे या फिर जब हम फ्री होंगे तब इस पर ध्यान देंगे। ऐसा करने से धीरे-धीरे वो समस्या आपके जीवन में बढ़ती चली जाएगी और आपको तंग करने लगेगी।

इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि जब समस्या आपको समझ में आए और जब उसके बारे में आपको जानकारी मिले तभी तुरंत आपका सॉल्यूशन फाइंड करने की कोशिश करें। क्योंकि जितनी जल्दी आप उस समस्या से खुद को दूर कर लेंगे उतना ज्यादा आपके लिए फायदेमंद होगा। और फिर आप दूसरे काम पर भी अपना पूरा फोकस कर पाएंगे। अगर आपके जीवन में समस्या लगातार बनी रहेगी तो आप उसी के बारे में सोचते रहेंगे और दूसरे काम पर आपका पूरा फोकस नहीं हो पाएगा जिससे आपके दूसरे काम भी खराब हो सकते हैं।

कुल मिलाकर
इस बुक समरी में हमने समझा कि आलस इंसान को किस तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।अगर आपने ये समरी पूरी ध्यान से सुनी होगी तब आपको समझ में आया होगा कि आलस ही इंसान का सबसे बडा दुश्मन है। आज के टाइम में इंसान दूसरों पर इतना डिपेंड हो गया है कि वो अपने कोई भी काम खुद नहीं करना चाहता है और ऐसे में उसका आलस बढ़ता ही चला जा रहा है। आलस बढ़ने की वजह से इंसान की बॉडी भी खराब होती जा रही है और साथ ही साथ उसकी मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ रहा है।

अगर आप चाहते हैं कि आप अपनी मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ दोनों को साथ में अच्छी तरह से ग्रो कर सके तो उसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आज ही आप अपने आलस पन का साथ छोड़ कर खुद को एक्टिव रखना सीखे और जो भी काम आपके पास उसे तुरंत करें। काम को डालने से इंसान धीरे-धीरे आलसी बनता चला जाता है। आलसी होना इंसान के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल तब हो जाता है जब वो आलस पन का साथ नहीं छोड़ पाता है क्योंकि एक बार जब आपने वो राह पकड़ ली तब उस राह से हटना आपके लिए बहुत मुश्किल का काम हो सकता है। इसलिए अभी समय है कि आप अपनी गलतियों को एनालाइज करें और सोचे कि किस तरह से आप अपने आलस से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि अगर आपने अपने आलस को पीछे छोड़ दिया तो फिर आपको लाइफ में सक्सेस होने से कोई नहीं रोक सकता। अगर आप लगातार हार्ड वर्क करते रहेंगे और बिना इस बात पर ध्यान दिए कि आपको तो कोई आराम मिल ही नहीं रहा है,तबतक आप अपनी लाइफ में आगे बढ़ते रहेंगे।आज नहीं तो कल एक समय ऐसा जरूर आएगा जब आपको ये एहसास होगा कि आपने लाइफ में आलस को छोड़ने का जो डिसीजन लिया था वो आपकी लाइफ का सबसे बेस्ट डिसीजन था।

 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे The Psychology of Laziness by Mohammad Shakeel.

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