The Power of a Positive Team

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The Power of a Positive Team

Jon Gordon
वो सिद्धांत और तरीके जो महान टीमों को महान बनाती है।

दो लफ्जों में
द पावर आफ अ पासिटिव टीम (The Power of a Positive Team) में हम देखेंगे कि एक पासिटिव टीम के होने के क्या फायदे होते हैं। यह किताब बताती है कि किस तरह से आप अपनी टीम के लोगों के बीच के रिश्ते को पहले से बेहतर बना सकते हैं। इस किताब की मदद से आप अपनी टीम को पहले से ज्यादा पासिटिव बनाकर उसके काम करने की क्षमता को बढ़ा पाएंगे।

यह किसके लिए है?
-वे जो एक टीम के लीडर हैं।
-वे जो अपनी कंपनी के कल्चर को पहले से बेहतर बनाना चाहते हैं।
-वे जो एक मैनेजर या कोच हैं।

लेखक के बारे में
जॅान गार्डन (Jon Gordon) अमेरिका के एक लेखक और स्पीकर हैं। वे आन्त्रप्रिन्योर्स को लीडरशिप, कल्चर, सेल्स और टीमवर्क से संबंधित टापिक्स पर लेक्चर देते हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
एक अच्छी टीम का महत्व हर लीडर समझता है। कहते हैं कि अगर टीम अच्छी हो तो वो एक औसत आइडिया को भी कामयाब बना सकती है और अगर टीम खराब हो तो वो अरबों डॉलर के आइडिया का भी सत्यानाश कर सकती है। हर महान लीडर को एक अच्छी टीम की जरूरत पड़ती है, लेकिन सवाल यह है कि - अच्छी टीम बनाई कैसे जाए?

यह किताब इसी सवाल का जवाब देती है। यह किताब बताती है कि किस तरह से आप अपनी टीम को पासिटिव बना सकते हैं, किस तरह से आप उन्हें पहले से बेहतर बनने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और किस तरह से टीम के लोगों के बीच के रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं। इस किताब की मदद से आप अपनी कंपनी के कल्चर को पहले से बेहतर बना पाएंगे।

 

- एक कंपनी का कल्चर अच्छा होना क्यों जरूरी है।

- किस तरह से आप अपनी टीम को पहले से बेहतर बना सकते हैं।

- टीम के लोगों के बीच में गलतफहमी क्यों पैदा होती है और उसे खत्म करने के लिए आपको क्या करना चाहिए।

पासिटिव सोच रखने वाली टीम से कंपनी के साथ साथ लीडर का भी फायदा होता है।
आज के वक्त में हमें उन लोगों की सख्त जरूरत है जो नए आइडियाज़ पैदा कर के उन्हें हकीकत में बदलने का काम कर सकें। अपने विज़न को पूरा करने के लिए हर लीडर को ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो उसके विज़न पर यकीन करें और मन लगाकर कर उसपर काम कर सकें। इसलिए आज हर लीडर और हर कंपनी को एक पाजिटिव टीम की जरूरत है।

पाजिटिव टीम के होने के बहुत से फायदे होते हैं। सबसे पहला तो यह कि पाजिटिव सोचने वाली टीम के कामयाब होने की संभावना ज्यादा होती है। वे अक्सर यह सोचते हैं कि वे अपने काम में जरूर कामयाब होंगे। इससे उन्हें काम करने का हौसला मिलता है। यह हौसला उन्हें सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत देता है। 

ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में यह पाया गया कि पासिटिव सोचने वाले लोगों के स्पोर्ट्स, बिजनेस, पालिटिक्स और दूसरे सभी क्षेत्रों में कामयाब होने की संभावना ज्यादा होती है। यहाँ तक कि पासिटिव सोचने वाले लोगों के रिश्ते भी नेगेटिव सोचने वालों के मुकाबले बेहतर और खुशहाल होते हैं।

सिर्फ टीम के लोग ही नहीं, लीडर्स के भी पासिटिव होने के बहुत से फायदे होते हैं। वेन बेकर आर्गनाइज़ेशनल एक्सपर्ट मानें जाते हैं। उनके रीसर्च की मानें तो एक पासिटिव एनर्जी रखने वाला लीडर दूसरे पासिटिव लोगों को अपनी तरफ खींच लेता है। इस तरह से वो एक ऐसी टीम आसानी से बना सकता है जिसमें सारे लोग पासिटिव सोचते हों। 

इसके साथ ही एक पासिटिव एनर्जी रखने वाला लीडर होनहार कर्मचारियों को और पार्टनर्स को भी अपनी तरफ आकर्षित करता है। इससे उसे जरूरी जानकारी आसानी से मिल जाती है और उनके कामयाब होने की संभावना बढ़ जाती है।

एक अच्छे कल्चर का होना एक अच्छी स्ट्रैटेजी के होने से ज्यादा जरूरी है।
पीटर थील ने अपनी किताब "ज़ीरो टु वन" में कहा - आपकी कंपनी का कल्चर नहीं होता। आपकी कंपनी खुद एक कल्चर होती है।

इसका मतलब यह है कि एक कंपनी उसके कल्चर के बिना कुछ भी नहीं है। खराब कल्चर वाली कंपनी कभी कामयाब नहीं हो सकती क्योंकि वहाँ के कर्मचारी कभी एक दूसरे के साथ मिलजुल कर काम नहीं कर पाएंगे। आपके कर्मचारी जिस तरह से एक दूसरे से बात कर रहे हैं, जिस लगन से काम कर रहे हैं, जिन उसूलों के हिसाब से काम कर रहे हैं, यह सभी आपकी कंपनी के कल्चर का एक हिस्सा है।

एप्पल के फाउंडर्स स्टीव जाब्स और स्टीव वोज़निएक पहले दिन से ही अपनी कंपनी के कल्चर को बनाए रखने पर काम कर रहे थे। उनके काम करने के कुछ उसूल थे और वे उन उसूलों को हर जगह पर अपना रहे थे। प्रोडक्ट को डिजाइन करने, उसकी मार्केटिंग करने से लेकर कर्मचारियों को काम पर रखने तक, वे हर काम में अपने कल्चर की छाप छोड़ने की कोशिश कर रहे थे।

उसका नतीजा यह है कि आज स्टीव जाब्स के मरने के 12 साल के बाद भी उनकी कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। इस तरह से एप्पल ने यह साबित कर के दिखाया कि सही कल्चर की अहमियत सही स्ट्रैटेजी से ज्यादा होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि स्ट्रैटेजी जरूरी नहीं होती। इसका मतलब यह है कि अगर एक कंपनी का कल्चर अच्छा होगा, तो उसकी टीम बहतरीन स्ट्रैटेजी बना लेगी। लेकिन अगर उसका कल्चर खराब होगा, तो वो एक बेहतरीन स्ट्रैटेजी के होते हुए भी कुछ नहीं कर पाएगी।

एक कंपनी के कल्चर को बनाना सिर्फ उसके लीडर का काम नहीं है। कंपनी का हर कर्मचारी कंपनी के कल्चर को बनाने के लिए जिम्मेदार है। एक खराब मछली पूरे तालाब को गंदा कर सकती है। हर्ट मैथ इंस्टिट्यूट की मानें, तो लोग एक दूसरे की भावनाओं को 10 फुट दूर से ही महसूस कर सकते हैं। मतलब अगर एक व्यक्ति नेगेटिव या उदास है, तो वो अपने आस पास के सारे लोगों को उदास कर सकता है।

इसलिए यह जरूरी है कि आप सिर्फ पासिटिव लोगों को काम पर रखिए ताकि वे एक दूसरे की पाजिटिव एनर्जी देखकर उत्साहित हो सकें।

एक पासिटिव टीम खुद को पासिटिव बनाए रखने पर हमेशा काम करती रहती है।
एक पासिटिव व्यक्ति वो नहीं होता जो हर वक्त अच्छा सोचता है और बुरी बातों पर ध्यान नहीं देता। बुरी बातें हर जगह मौजूद होती हैं। जब आप उनपर ध्यान देकर उन्हें खत्म करने पर काम नहीं करते, तो वे बुरी बातें बढ़ने लगती हैं और आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप उन सभी चीजों को पर ध्यान दीजिए जो नेगेटिव हैं और उन्हें खत्म करने की कोशिश कीजिए। इस तरह से आप अपनी टीम को पासिटिव बनाए रख पाएंगे।

ड्वाइट कूपर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ हैं। उन्होंने अपनी कंपनी के लोगों पर एक नियम लागू कर के रखा है। अगर किसी कर्मचारी के पास एक समस्या को सुलझाने का समाधान नहीं है तो वो उस समस्या की शिकायत नहीं करेगा। इस तरह से कूपर अपने कर्मचारियों को किसी समस्या पर बैठकर रोने से बचाते हैं और उन्हें समस्या को सुलझाने के लिए प्रेरित करते हैं।

आप अपनी टीम को कुछ इस तरह से ट्रेन कीजिए कि वो नेगेटिविटी की वजह से अपना मन छोटा ना करे। उन्हें नेगेटिविटी को खत्म करने के लिए प्रेरित कीजिए। अपनी टीम को कुछ ऐसा माहौल बनाकर दीजिए कि उसमें नेगेटिविटी पनप ही ना सके।

एक्साम्पल के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ जार्जिया की फुटबाल टीम के कोच को ले लीजिए। कई बार मैच हार जाने के बाद उस टीम के कोच ने अपनी टीम में पासिटिविटी बनाए रखने के लिए एक बहुत अच्छा कदम उठाया।

अगले फुटबाल सीज़न में कोच ने टीम के मीटिंग रूम में एक राक्षस की पेंटिंग बना दी जिसका नाम रखा गया - नेगेटिव एनर्जी वाला राक्षस। इसके बाद से जब भी टीम का एक व्यक्ति कोई नेगेटिव बात करता था, तो उसकी फोटो उस राक्षस के सिर की जगह लगा दी जाती थी।

टीम पर इसका इतना अच्छा असर पड़ा कि वे लगातार 10 मैच जीतकर वापस आए। उन्होंने हर तरह के हालात में पासिटिव रहना सीख लिया था।

टीम के लोगों में अच्छे से बातचीत होना बहुत जरूरी है, वरना लोगों में नेगेटिविटी फैल सकती है।
जब लोगों में काफी समय से बातचीत नहीं होती है, तो उनके अंदर एक दूसरे को लेकर एक खोखलापन पैदा होने लगता है। इस खोखलेपन को भरने के लिए वे तरह तरह की बातें सोचने लगते हैं और खुद से ही दूसरे व्यक्ति के बारे में कहानियाँ बनाने लगते हैं। साथ ही अगर कोई अफवाह फैलती है, तो लोग उसपर आसानी से यकीन कर लेते हैं। इस तरह से टीम के बीच में नेगेटिविटी पनपने लगती है।

आज के वक्त में हमारे पास बात करने के बहुत से साधन हैं। हम चैट के जरिए, ईमेल के जरिए या फिर वीडियो काल के जरिए एक दूसरे से बात कर सकते हैं। लेकिन इन तरीकों का इस्तेमाल कर के बात करने से हमारी बातों की अहमियत कम हो जाती है। ईमेल में सिर्फ शब्द लिखे होते हैं, उसमें हम बात करने वाले के हावभाव नहीं देख पाते। इस वजह से हम उसके मजाक में लिखी गई बात को सीरियसली ले सकते हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि एक लीडर अपने लोगों से समय समय पर मिलकर बात करता रहे और उनके सवालों का जवाब देता रहे। अगर वो उनके सवालों का जवाब नहीं देगा, तो उसके कर्मचारी खुद से जवाब खोजने लगेंगे और इस तरह से 10 लोग 10 अलग तरह की बात सोचेंगे। उनमें अफवाहें और नेगेटिविटी फैलने लगेंगी और जल्द ही वे इन अफवाहों पर यकीन कर के उसके हिसाब से काम भी करने लगेंगे। 

इसलिए आपको अपनी टीम से हर रोज बात करने की आदत बनानी चाहिए। लेखक अपनी सेल्स टीम से हर रोज कान्फ्रेंस काल के जरिए बात करते हैं और उनकी समस्याओं, कामयाबियों, रास्ते की रुकावटों और दूसरी चीजों के बारे में बात करते हैं।

अगर आपकी टीम के बहुत से लोग दूर रहकर अपने घरों से काम करते हैं, तो आप उनसे हफ्ते में एक बार वीडियो काल कर के बात कीजिए। लंच टाइम भी लोगों से बात करने का एक अच्छा मौका होता है। इस वक्त आप उनकी जिन्दगी के बारे में बहुत सी बातें जान सकते हैं और उनके दिमाग में चल रहे कुछ दूसरे सवालों का जवाब भी दे सकते हैं।

अपनी टीम के हर एक व्यक्ति का खयाल रखिए।
बहुत बार हम सिर्फ काम को अंजाम देने वाले व्यक्ति को देखते हैं। हम यह नहीं देखते कि उस व्यक्ति की वहाँ तक पहुंचने में किसने मदद की थी। किसी भी काम को पूरा करने में बहुत से लोगों का हाथ होता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप हर एक व्यक्ति का खयाल रखें, ना कि सिर्फ जरूरी लोगों का।

जब बहुत से काबिल लोग एक साथ आते हैं, तो वे कुछ ऐसा कर के दिखाते हैं जो कि कोई एक व्यक्ति अकेला नहीं कर पाता। साथ मिलने पर वे एक दूसरे को हौसला दे पाते हैं, एक दूसरे को ऊपर उठा पाते हैं और मुश्किलों से लड़ने के अलग अलग तरीके खोज पाते हैं।

निक हेस एक बिजनेस कोच हैं जो अपने पिछले दिनों में एक नेवी आफिसर हुआ करते थे। वे अपने नेवी के ट्रेनिंग के दिनों के बारे में बताते हैं। सिलेक्शन की प्रक्रिया का सबसे खतरनाक दौर होता था - हेल वीक। इस एक हफ्ते में सारे नए जवानों को 200 मील तक भागना होता था और वो भी पानी में पूरी तरह से भीग कर। रात में उन्हें सोने के लिए सिर्फ 4 घंटे दिए जाते थे।

इस तरह की ट्रेनिंग में जो लोग सबसे पहले हार मान लेते थे, वे वही लोग होते थे जो सिर्फ खुद के बारे में सोचते थे और अकेले काम करते थे। जो लोग टीम के साथ मिलकर काम करते थे, वे एक दूसरे को हौसला देते थे और उस हफ्ते को जैसे-तैसे कर के बिता लेते थे। वे एक दूसरे की ताकत बनते थे। अपने साथियों की नजर में वे कहीं गिर ना जाएं यह सोचकर वे सारी समस्याओं से लड़ते थे और जीतकर बाहर आते थे।

इस हफ्ते को बिताने के बाद उन लोगों के बीच के रिश्ते और ज्यादा मजबूत हो जाते थे और वे मिलजुल कर काम करना सीख जाते थे। एक बार जब वे एक दूसरे से जुड़ जाते थे, तो वे साथ मिलकर बड़े बड़े काम को भी अंजाम दे पाते थे।

इसके अलावा आपकी टीम में कुछ नैतिकता भी होनी चाहिए। नैतिकता होने से वे खुद कभी रास्ता नहीं भटकेंगे और अगर भटकेंगे तो उनके साथी उन्हें वापस रास्ते पर ले आएंगे। यही नैतिकता एक टीम को एक मजबूत नींव देती है जिसके दम पर वे आगे के काम को अंजाम दे पाते हैं।

एक काबिल टीम वो होती है जिसके लोग खुद को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश करते रहें।
अब तक हमने बात की कि किस तरह से एक अच्छी टीम के लोग एक दूसरे को हौसला देते हैं। एक अच्छी टीम की एक और खास बात यह है कि वो हमेशा खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती रहती है। टीम का हर व्यक्ति नए नए तरीके खोजकर खुद को और अपने साथ के लोगों को प्रेरित करता है।

अच्छी टीम के लोग हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। वे खुद को अपने आराम के घोसले से बाहर निकालते हैं और अपने डर का सामना करते हैं। वे हमेशा अपना ध्यान अपनी मंजिल पर रखते हैं और वहाँ तक पहुंचने के रास्ते खोज निकालते हैं। वे कभी भी औसत नतीजों से खुश नहीं होते।

अपनी टीम को पहले से बेहतर बनाने के लिए आप 1% नियम का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह नियम कहता है कि बड़े काम करने के लिए आपको खुद में बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं है। अगर आप खुद को हर दिन सिर्फ 1% बेहतर बनाएँ, तो आप कोई भी काम आसानी से कर सकते हैं।

हर रोज अपने काम को 1% ज्यादा लगन और 1% ज्यादा एनर्जी के साथ कीजिए। हर रोज कल के मुकाबले 1% ज्यादा काम करने की कोशिश कीजिए। हालांकि लम्बे समय तक 1% नियम को अपना पाना असंभव होगा, क्योंकि आप एक दिन में सिर्फ 24 घंटे ही काम कर सकते हैं। लेकिन फिर भी, अगर आप इस नियम को अपनाने की कोशिश करेंगे तो आपको अपनी जिन्दगी में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

काबिल टीम के लोग इस तरह से खुद को हमेशा कल के मुकाबले बेहतर बनने के लिए धक्का देते रहते हैं। 

कुल मिलाकर
एक पासिटिव सोचने वाली टीम ना सिर्फ काम करने के अलग अलग तरीके खोजकर निकालती है, बल्कि कंपनी के कल्चर को भी बेहतर बनाती है। पासिटिव टीम के लोग एक दूसरे को हौसला देते हैं जिससे वे मुश्किल वक्त का सामना कर पाते हैं। वे खुद को पहले से बेहतर बनाते हैं जिससे कंपनी भी पहले के मुकाबले बेहतर काम कर पाती है। एक लीडर को हर वक्त अपनी टीम को पासिटिव बनाए रखने पर और उसमें से नेगेटिविटी बाहर निकालने पर काम करते रहना चाहिए।

 

लोगों की परवाह करना सीखिए और उसके बाद उन्हें फीडबैक दीजिए।

एक अच्छी टीम वो होती है जिसके लोग एक दूसरे को फीडबैक दे सकें और उन्हें उनकी गलतियों के बारे में बता सकें। लेकिन जब आपकी गलती आपको कोई ऐसा व्यक्ति बताता है जिसे आपकी कोई परवाह नहीं है, तो आपको उसका बुरा लग सकता है। इसलिए आप किसी के काम पर उसे फीडबैक देने से पहले यह दिखाइए कि आप दिल से उसकी परवाह करते हैं। इससे आप एक ऐसा माहौल बना पाएंगे जहाँ पर कोई भी किसी की गलतियों के बारे में उसे बताने से नहीं डरेगा।


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