Julie Zhuo
तब क्या करें जब सबकी उम्मीदें आप पर टिकी हों?
दो लफ्जों में
द मेकिंग आफ अ मैनेजर ( The Making of a Manager ) में हम देखेंगे कि एक अच्छे मैनेजर की क्या पहचान होती है। यह किताब बताती है कि किस तरह से आप खुद को एक बेहतर मैनेजर में बदल सकते हैं।
यह किसके लिए है
-वे जो एक मैनेजर हैं और खुद को बेहतर बनाना चाहते हैं।
-वे जो किसी दूसरे को अपने टीम की जिम्मेदारी देना चाहते हैं और एक काबिल व्यक्ति को खोज रहे हैं।
-वे जो अपने लोगों को सही तरह से फीडबैक देना सीखना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
जूली ज़ूओ ( Julie Zhuo ) एक चाइनीज़- अमेरिकन बिजनेसवुमैन और एक कंप्यूटर साइंटिस्ट हैं। वे फेसबुक के प्रोडक्ट डिजाइन फर्म की वाइस प्रेसिडेंट हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
मैनेजर बनना कोई आसान काम नहीं है। यहाँ पर हर किसी की उम्मीद आप से लगी होती है और आप ही हर काम के लिए जिम्मेदार होते हैं। आपको बहुत से लोगों को मैनेज करना होता है और साथ ही उनके बीच के रिश्तों को मजबूत बनाने पर, उन्हें बेहतर बनाने पर और खुद को बेहतर बनाने पर भी काम करना होता है।
यह किताब बताती है कि किस तरह से आप बेहतर मैनेजर बन सकते हैं। यह किताब हमें फीडबैक देना और टीम को मैनेज करना सिखाती है। साथ ही यह हमें नए लोगों को हायर करने और टीम को बढ़ाने को सही तरीकों के बारे में भी बताती है।
-एक अच्छे मैनेजर की सबसे खास बात क्या होती है।
-किस तरह से आप अपनी कमियों को पहचान सकते हैं।
-किसी को काम पर रखने से पहले आपको किन बातों का खयाल रखना चाहिए।
एक अच्छा मैनेजर वो होता है जिसकी टीम के नतीजे अच्छे आते हैं।
जूली को 25 साल की उम्र में फेसबुक की डिजाइन टीम को मैनेज करने का काम मिला था। यह वो वक्त था जब उन्होंने खुद से पूछा - एक मैनेजर को आखिर करना क्या होता है? मैं क्या करूँ जो एक अच्छी मैनेजर बन सकूँ?
सबसे पहले उनका मानना था कि एक मैनेजर का काम होता है अपनी टीम के लोगों को बेहतर बनाना। इसलिए वो लगातार मीटिंग्स बुलाती थीं और उन्हें फीडबैक देती थीं। वे यह तय करतीं थीं कि किसे प्रमोट करना है और किसे काम से निकालना है। लेकिन ऐसा करना उनके लिए लम्बे समय में फायदेमंद नहीं था। ऐसा करने से वो हर रोज के कामों में तो अपने लोगों को बेहतर बना पा रहीं थीं, लेकिन लम्बे समय में वे कहाँ जा रहे हैं, इसका उन्हें कोई आइडिया नहीं मिल पाता था।
इसलिए कुछ समय के बाद, वे लम्बे समय के कामों पर ध्यान देने लगीं। वे अपने टीम के लोगों के बीच के कनेक्शन को मजबूत बनाने में लग गईं। वे टीम के लोगों की मदद करने लगीं ताकि वे लम्बे समय तक के गोल्स को हासिल कर सकें।
लेकिन कुछ समय के बाद, जूली को लगा कि उनका यह तरीका भी कुछ खास कारगर नहीं है। अब जब उन्हें 10 साल का अनुभव मिल गया है, वे इस बात को समझ गईं हैं कि एक मैनेजर चाहे जो भी करे, बस उसकी टीम के नतीजे अच्छे आने चाहिए।
नतीजे ही बताते हैं कि कौन सा मैनेजर अच्छा है और कौन सा खराब। जूली डिजाइन टीम की मैनेजर थीं और उनकी टीम का डिजइन जितना ज्यादा अच्छा और कामयाब होगा, जूली उतनी अच्छी मैनेजर कही जाएंगी।
बहुत से लोग अच्छे मैनेजर को चुनते वक्त उनकी खासियत देखते हैं। उनके हिसाब से जो मैनेजर मेहनत से काम करता है, जिसे लोग पसंद करते हैं और जो अच्छा बोलता है, वो ही एक अच्छा मैनेजर होता है। लेकिन अगर आप एक कंपनी के मालिक हैं, तो आपको इन सभी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आपको सिर्फ एक चीज़ से फर्क पड़ना चाहिए - नतीजे। अगर उस मैनेजर की टीम अच्छे नतीजे पैदा कर रही है, तो वो अच्छा मैनेजर है।
हर तरह के मैनेजमेंट पाथ के अपने फायदे और नुकसान हैं।
जूली जब भी अपनी कंपनी के दूसरे मैनेजर्स से मिलतीं हैं, तो वे उनसे पूछती हैं कि उन्हें अपने काम का कौन सा हिस्सा आसान लगता है और कौन सा मुश्किल। उन्होंने यह देखा कि मैनेजर बनने से पहले लोग एक मैनेजर के काम के बारे में जो सोचते थे, उन्हें वो काम आसान लगता है और बाकी सब मुश्किल। अगर कोई नौकरी पाने से पहले यह सोचता था कि एक मैनेजर का काम लोगों से अच्छे से काम करवाना होता है, तो वो लोगों से अच्छे से काम करवा लेता था, लेकिन दूसरे काम करने में उसे परेशानी होती थीं।
एक मैनेजर बनने के बहुत से तरीके हो सकते हैं। उन सभी तरीकों से मैनेजर बनने के अपने फायदे और नुकसान हैं। एक बार आपको यह समझ में आ जाए कि आप किस तरह से मैनेजर बने थे और आप में क्या कमियां हैं, तो आप उनपर काम कर के खुद को बेहतर बना सकते हैं।
सबसे पहले आता है एप्रेन्टाइस पाथ, जिसमें एक व्यक्ति एक टीम में काम कर रहा होता है और जब समय के साथ वो टीम बड़ी हो जाती है, तो उस टीम का बॅास उस व्यक्ति को एक टीम का एक हिस्सा मैनेज करने के लिए दे देता है। जूली इसी तरह से मैनेजर बनीं थीं। इस तरह से मैनेजर बनने का फायदा यह है कि शुरुआत में आपके पास एक व्यक्ति होता है जो कि आपको सही गलत के बारे में बताता है। आपके बॅास ही आपके गुरु बन जाते हैं और आपको सीखने के लिए काफी कुछ मिल जाता है।
लेकिन इस तरह से मैनेजर बनने का नुकसान यह है कि आपको उन लोगों को मैनेज करना होगा जो कि एक समय में आपके साथ काम करते थे। वो लोग आपको सीनियर की तरह नहीं देखते हैं और इसलिए आपको उनके साथ बात करने में परेशानी हो सकती है।
इसे बाद दूसरा तरीका होता है पायोनीर पाथ, जिसमें की आप खुद की एक नई टीम बनाते हैं और उसके हर काम के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसमें आप किसी दूसरे की टीम को मैनेज करने नहीं जा रहे , बल्कि खुद की टीम बना रहे हैं और इसलिए आप यह चुन सकते हैं कि कौन आपके साथ काम करेगा और कौन नहीं करेगा। लेकिन इसका नुकसान यह है कि आपको गाइड करने के लिए कोई भी नहीं होगा। साथ ही आप अपनी टीम की जिम्मेदारी किसी और को नहीं दे सकते क्योंकि उसे आप से बेहतर कोई नहीं समझ पाएगा।
इसके बाद आता है न्यू बॅास पाथ, जिसमें आपको कोई दूसरा व्यक्ति अपनी कंपनी में बुलाकर अपनी टीम को मैनेज करने की जिम्मेदारी देता है। इसका फायदा यह है कि शुरुआती कुछ दिनों में आपकी गलतियों को लोग माफ कर देंगे क्योंकि आप वहां पर अभी नए हैं। इस समय का इस्तेमाल आप सीखने के लिए कर सकते हैं। लेकिन इसका नुकसान यह है कि आप यहाँ के लोगों के लिए नए हैं और उनसे रिश्ते बनाने के लिए आपको काम करना होगा। साथ ही, कुछ समय के बाद अगर आपके नतीजे अच्छे नहीं आते हैं, तो यह आपकी इमेज खराब कर सकता है।
अपनी टीम की पर्फार्मेंस को लेकर उन्हें फीडबैक दीजिए ताकि दे खुद को बेहतर बना सकें।
फीडबैक देना एक मुश्किल काम हो सकता है। बहुत बार हम लोगों की भावनाओं की परवाह इतनी ज्यादा करते हैं कि हम उनकी कमियां निकालने से कतराने लगते हैं और कभी कभी हम उनकी भावनाओं की परवाह बिल्कुल भी नहीं करते और ऐसा फीडबैक दे देते हैं जिससे उन्हें तकलीफ होती है। लेकिन फीडबैक देना एक बहुत जरूरी काम है। इसे देने का सही तरीका आपको सीखना चाहिए।
सबसे पहले तो आप व्यक्ति की नहीं बल्कि उसके काम की तारीफ या बुराई कीजिए। जब भी आपकी टीम का एक व्यक्ति किसी काम को पूरा कर ले, उसे उसके तुरंत बाद ही फीडबैक दे दीजिए। उस व्यक्ति ने अभी अभी वो काम किया है और उसके दिमाग में वो काम फ्रेश है। आप चाहे तो उसे एक ईमेल कर के भी फीडबैक दे सकते हैं।
आपके फीडबैक हमेशा काम के बारे में होने चाहिए। कभी भी एक व्यक्ति के कैरेक्टर की बुराई मत कीजिए। उसे बताइए कि उसने कौन सा काम अच्छे से किया और किस काम को वो बेहतर तरीके से कर सकता था। इस तरह से आप उस व्यक्ति की भावनाओं का खयाल रखते हुए उसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा आप चाहें तो अपनी टीम के दूसरे लोगों से भी उस व्यक्ति की पर्फार्मेंस के बारे में राय ले सकते हैं। ऐसा कर के आप सिर्फ अपने नजरिए तक सीमित नहीं हैं बल्कि आप दूसरों के भी खयालों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आप चाहें तो हर किसी से राय लेकर उन सबकी राय को एक ईमेल में लिखकर उसे भेज सकते हैं। यह करना ज्यादा बेहतर होता है।
अपनी मीटिंग्स को बेहतर बनाने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि मीटिंग से आप क्या हासिल करना चाहते हैं।
मीटिंग्स हर किसी को बोरिंग लगती हैं। यहाँ पर टीम का एक व्यक्ति खड़ा होकर अपनी समस्या के बारे में बताता है और सारे लोग उसपर ध्यान नहीं देते हैं। 2 घंटे तक बहस करने के बाद भी यह पता नहीं लगता कि वो सब लोग आखिर बैठे किस बात को लेकर थे।
लेखिका ने जब शुरुआत में मीटिंग्स रखना शुरू किया, तो उन्हें लगता था कि अगर उनके पास मीटिंग करने की एक खास वजह होगी तो वे उसे बेहतर बना पाएंगी। लेकिन समय के साथ उन्हें लगा कि यह करना भी कारगर नहीं है। वे लोगों को अलग अलग प्रोजेक्ट के ऊपर बात करने के लिए बुलातीं थीं, लेकिन उसका कोई भी फायदा उन्हें देखने को नहीं मिला। उनकी टीम के एक व्यक्ति ने कहा कि जो काम वो लोग यहां बैठकर कर रहे हैं, वो तो वे ईमेल के जरिए भी कर सकते हैं। बस जिसे जो भी कहना है, वो उसे एक ईमिल में लिखकर हर किसी को भेज सकता है।
इस समस्या को देखने के बाद लेखिका ने फैसला किया कि सिर्फ एक वजह होना काफी नहीं है। हमें यह भी पता होना चाहिए कि हम उस मीटिंग की मदद से क्या हासिल करना चाहते हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए, आप अपनी टीम के लोगों को यह बता सकते हैं कि इस मीटिंग के अंत में उन्हें एक फैसला लेना है। या आप उनसे कह सकते हैं कि इस मीटिंग के अंत तक उन्हें 3 आइडियाज़ निकाल कर लाने है जिससे वे बेहतर नतीजे हासिल कर सकते हैं।
एक बार आपको यह पता हो जाता है कि आपको हासिल क्या करना है, तो आपको यह भी पता लग जाता है कि आपको किन चीजों के बारे में बात करनी है। अगर आप एक फैसला लेने वाले हैं, तो आपको हर उस व्यक्ति को मीटिंग में लेना होगा जिसपर उस फैसले का असर होगा। इस तरह से आप ज्यादा से ज्यादा लोगों की राय लेकर उस फैसले को बेहतर बना सकते हैं।
इसके अलावा आपकी मीटिंग इतनी लम्बी होनी चाहिए जिससे हर किसी को बोलने का मौका मिले। इससे किसी को यह नहीं लगेगा कि वो अपनी बात को कह नहीं पाया और अंत में जो भी फैसला लिया जाएगा उससे हर कोई सहमत होगा। अगर कोई नहीं बोल रहा है, तो आप उसका नाम लेकर उसे बुलाइए और उससे कुछ बोलने के लिए कहिए।
यह भी हो सकता है कि आप सिर्फ जानकारी बाँटने के लिए मीटिंग रख रहे हों। ऐसे में आप अपनी बात को दिलचस्प तरीके से कहकर या कहानियों की मदद से कहकर लोगों को ध्यान खींच सकते हैं।
नए लोगों को काम पर रखने से पहले आप अपने एक साल की प्लानिंग कीजिए।
एक मैनेजर का सबसे जरूरी काम होता है जरूरत के हिसाब से नए लोगों को अपनी टीम में लेकर आना। एक गलत आदमी आपके कल्चर को खराब कर सकता है और आपका समय बरबाद कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि किसी को हायर करने से पहले आप एक अच्छी प्लानिंग करें।
सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आपको उस नए व्यक्ति से क्या चाहिए। आपको उसकी काबिलियत के बारे में पता होना चाहिए। बहुत से लोग जब भी किसी कमी को देखते हैं, वे उसे भरने में लग जाते हैं। लेकिन इससे पहले आप वैकेंसी निकालें, आपको यह पता होना चाहिए कि आप किस तरह की काबिलियत, कितने अनुभव और किस खूबी वाले व्यक्ति को खोज रहे हैं।
लेखिका हर साल की शुरुआत में अपने कैलेंडर में अपनी टीम के लिए हर महीने के गोल्स लिखती हैं। इस तरह से वे यह पता करती हैं कि उनके टीम में कहाँ पर कमियां हैं। उन्हें यह पता लगता है कि अपने गोल्स को हासिल करने के लिए आपको किस तरह के बदलाव करने होंगे। इन जरूरतों के हिसाब से वे नए लोगों को अपनी टीम में लेकर आती हैं।
ठीक इसी तरह से आप भी अपने गोल्स को और अपने बजट को देखिए। यह देखिए कि इस साल आपको सबसे जरूरी काम कौन से करने हैं। फिर खुद से पूछिए कि इन गोल्स को पूरा करने के लिए आप अपने बजट पर कितने लोगों को काम पर रख सकते हैं। फिर यह पूछिए कि उस नए व्यक्ति के पास कितना अनुभव होना चाहिए। इसके बाद यह सोचिए कि आपकी टीम में क्या कमियां हैं और उन कमियों को पूरा करने के लिए आपको किन खूबियों वाले व्यक्ति की जरूरत होगी। आपको यह भी देख लेना चाहिए कि आपकी टीम किस काम को बहुत अच्छे तरीके से कर लेती है, ताकि अगर आपका नया कर्मचारी उस काम को ना भी कर पाए तो भी आपको उससे कोई परेशानी ना हो।
इस तरह से पूरे साल का प्लान बनाकर आप सही लोगों को अपनी टीम में ला सकते हैं।
जब समय के साथ आपकी टीम बढ़ने लगेगी तो आपको अपने काम करने के तरीकों में बदलाव लाना होगा।
एक छोटी टीम को मैनेज करना एक बड़ी टीम को मैनेज करने से काफी अलग होता है। जब आप सिर्फ कुछ लोगों को मैनेज कर रहे होते हैं, तो आप उनके साथ अच्छे रिश्ते बना सकते हैं। आप यह देख पाते हैं कि हर व्यक्ति को क्या पसंद है, क्या नहीं पसंद है। आप यह देख सकते हैं कि वे किस तरह से काम कर रहे हैं और कहाँ पर उन्हें सुधार करने की जरूरत है। आप हर किसी से बात कर सकते हैं।
लेकिन जब आपकी टीम बढ़ने लगती है, तो यह संभव नहीं हो पाता। आप हर किसी से नहीं मिल पाते। इसलिए आपको अपनी टीम को छोटे छोटे हिस्सों में बाँट कर दूसरे मैनेजर्स को काम पर रखना होता है। इस तरह से आप उन मैनेजर्स को मैनेज करते हैं जो कर्मचारियों को मैनेज करते हैं।
लेकिन ऐसा करने के अपने नुकसान है। सबसे पहला नुकसान तो यह है कि अब आपकी टीम के हर रोज के छोटे फैसले कोई और लेगा। शुरुआत में इससे कुछ परेशानी हो सकती है लेकिन समय के साथ यह ठीक हो जाएगा।
इसके अलावा दूसरी समस्या यह आती है कि जब आप अपने कर्मचारियों से एक लेवेल ऊपर चले जाते हैं, तो वे आप से डरकर रहने लगते हैं। वे आपके सामने अपने मन की बात नहीं कह पाते और ना ही अपनी परेशानियों को खुलकर आपके सामने रख पाते हैं। उनका बर्ताव अचानक से बदल जाएगा और वे आप से उस तरह से बात नहीं करेंगे जिस तरह से वे किया करते थे।
साथ ही, जब आप सीनियर मैनेजर बन जाते हैं तो आम कर्मचारी का आप तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। यह सारी बातें आपके कर्मचारियों को आप से दूर ले जा सकती हैं। इस परेशानी को सुलझाने के लिए आपको सबसे पहले उन लोगों को इनाम देना शुरू करना होगा जो आपके फैसले पर सवाल उठाते हैं। आपको लोगों से सहानुभूति जतानी होगी, ताकि आप उनके साथ के रिश्तों को बेहतर बना सकें।
कुल मिलाकर
एक अच्छा मैनेजर वो होता है जिसकी टीम अच्छे नतीजे पैदा करती है। अच्छा मैनेजर बनने के लिए आपको सबसे पहले यह देखना होगा कि आपकी कमियां क्या हैं। आपको अपनी टीम को सही फीडबैक देना सीखना होगा। नए लोगों को काम करन रखने से पहले आपको अच्छे से प्लानिंग करनी चाहिए। साथ ही, एक अच्छा मैनेजर अपनी टीम के साथ बेहतर रिश्ते बनाकर रखने की कोशिश करता है।
क्या करें ?
जिम्मेदारी देने से नतीजे मिलते हैं।
बहुत बार जब आप एक टीम को यह जिम्मेदारी देते हैं, तो उनमें से कोई भी आपको नतीजे नहीं दे पाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप ने जिम्मेदारी पूरी टीम को दी है, ना कि एक व्यक्ति को। ऐसे हालात में हर कोई इस बात पर बहस करता रह जाता है कि किसके आइडियाज़ बेहतर हैं और कोई किसी की बात नहीं सुनता। इसलिए आपको हमेशा टीम के किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदारी देनी चाहिए, ना कि पूरी टीम को। वो एक आदमी ही इस बात का फैसला करेगा कि किसके आइडियाज़ सबसे बेहतर हैं और वही आने वाले नतीजों के लिए जिम्मेदार होगा।कुल मिलाकर
एक अच्छा मैनेजर वो होता है जिसकी टीम अच्छे नतीजे पैदा करती है। अच्छा मैनेजर बनने के लिए आपको सबसे पहले यह देखना होगा कि आपकी कमियां क्या हैं। आपको अपनी टीम को सही फीडबैक देना सीखना होगा। नए लोगों को काम करन रखने से पहले आपको अच्छे से प्लानिंग करनी चाहिए। साथ ही, एक अच्छा मैनेजर अपनी टीम के साथ बेहतर रिश्ते बनाकर रखने की कोशिश करता है।
जिम्मेदारी देने से नतीजे मिलते हैं।
बहुत बार जब आप एक टीम को यह जिम्मेदारी देते हैं, तो उनमें से कोई भी आपको नतीजे नहीं दे पाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप ने जिम्मेदारी पूरी टीम को दी है, ना कि एक व्यक्ति को। ऐसे हालात में हर कोई इस बात पर बहस करता रह जाता है कि किसके आइडियाज़ बेहतर हैं और कोई किसी की बात नहीं सुनता। इसलिए आपको हमेशा टीम के किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदारी देनी चाहिए, ना कि पूरी टीम को। वो एक आदमी ही इस बात का फैसला करेगा कि किसके आइडियाज़ सबसे बेहतर हैं और वही आने वाले नतीजों के लिए जिम्मेदार होगा।
