Edward de Bono
ग्रुप में काम करते वक़्त ज्यादा से ज्यादा फायदा पाने का एक बेहतरीन तरीका
दो लफ़्ज़ों में
सिक्स थिंकिंग हैट्स नाम की ये किताब ग्रुप डिस्कशन और डिसिशन मेकिंग के लिए जरुरी कुछ बातों की ओर हमारा ध्यान खींचती है. ये किताब हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने ग्रुप की सोच को अलग-अलग कम्पार्टमेंटों में बाँट कर अपने और अपने ग्रुप के दिमाग का इस्तेमाल ज्यादा डिटेल्ड और इफेक्टिव तरीके से कर सकते हैं.
ये किताब किसके लिए है
- कोई भी व्यक्ति जो एक लीडर बनने चाहता है.
- अपनी टीम में कम्युनिकेशन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के लिए.
- जो कोई भी अच्छे डिसिशन लेना चाहता है और अपनी सोच को बेहतर बनाना चाहता है.
लेखक के बारे में
एडवर्ड डी बोनो ऑक्सफोर्ड में रोड्स स्कॉलर थे और उन्होंने ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, लंदन और हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटीज के फैकल्टी अपॉइंटमेंट में हिस्सा लिया है. अपने अकैडमिक कैरियर के अलावा, उन्होंने कई मल्टीनेशनल कंपनियों को कंसल्टेशन दिया है, जिनमें आईबीएम, प्रॉक्टर एंड गैम्बल और शैल एंड फोर्ड जैसी बड़ी कंपनीयाँ भी शामिल हैं. उनकी बेस्ट सेलिंग किताबों में लेटरल थिंकिंग, डी बोनो थिंकिंग कोर्स और टीच योर चाइल्ड हाउ टू थिंक शामिल हैं.
सिक्स हैट्स मेथड एक ऐसा टूल है जो हमारी सोचने की शक्ति बेहतर बनाते हुए हमें नए आइडियाज देता है.
हम में से कई लोग ये महसूस करते हैं कि हमारे मन में आने वाले थॉट्स काफी उलझे हुए होते है, मानों वो बिना किसी वजह के या बिना किसी तुक के हमारे पास आ रहे हों. इमोशन में लिपटे ये विचार कभी भविष्य की चिंता के साथ तो कभी पुरानी यादों का बोझ लिए आते हैं और एक ऐसा जाल बुनते हैं जिसके कारण हम कुछ भी साफ़-साफ़ सोच नहीं पाते. और ऐसा खासतौर पर तब होता है जब हमें कोई बड़ा डिसिशन लेना हों.
लेकिन बाकी चीज़ों की तरह थिंकिंग भी एक आर्ट है, और हम चाहें तो इसे सुधार सकते हैं. इस किताब के जरिये आप विचारों के मायाजाल को तोड़ कर सही डिसिशन लेना और सही दिशा में सोचना सीख सकते हैं.
लेखक द्वारा बताया गया सिक्स हैट्स थिंकिंग मेथड से हम अपनी सोच के हर एक सिरे को ढूँढ कर उसे अलग कम्पार्टमेंट में रख सकते है, ताकि जो थॉट जिस लायक है उसे उतना टाइम दें और आगे बढें. इससे ये थॉट हमारी सोचने और डिसिशन लेने की शक्ति पर असर नहीं डाल पाएंगे.
किसी भी टॉपिक पर साफ़ –साफ़ सोच पाने के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा क्या है? इसका जवाब है, कंफ्यूजन.
जब भी हम किसी इनफार्मेशन को अपने दिमाग में प्रोसेस करते हैं तो हमारे अन्दर एक साथ कई थॉट्स आने लगते है, कुछ इमोशनल, कुछ लॉजिकल, कुछ क्रिएटिव तो कुछ फ्यूचर के बारे इन सभी विचारों को साथ लेकर सोच पाना बहुत सी गेंदों के साथ करतब दिखाने जितना मुश्किल है.लेखक के पास इस प्रॉब्लम का एक हल है और वो है ‘द सिक्स हैट्स मेथड’.
इस मेथड में हर एक ‘हैट’ का अपना आसान, याद रखने वाला रंग है जैसे सफेद, लाल, काला, पीला, हरा और नीला – हर रंग एक खास विचार को दर्शाता हैं.
आईये देखें ये आपकी मदद कैसे कर सकता है?
मान लीजिये आप किसी कंपनी में मेनेजर हैं और आप किसी बात पर अपनी टीम का इमोशनल रिएक्शन जानना चाहते हैं. लेकिन अक्सर ये जानना बहुत मुश्किल होता है क्यूंकि लोग अपने असली इमोशन को ज़ाहिर करने से डरते हैं कि कहीं कोई उन्हें जज न करे.ऐसे में आप इस मेथड का इस्तेमाल करके उनसे सीधा ये पूछ सकते हैं कि ‘रेड हैट के बारे में सबका क्या ख्याल है’. अब चूँकि सबको ये पता है कि रेड हैट का क्या मतलब है, तो आपकी टीम का हर व्यक्ति अब उस रंग की समानता के कारण बिना डरे अपनी फीलिंग्स ज़ाहिर कर पायेगा. इसलिए इन हैट्स को उनके रंगों के नाम से बुलाया जाता है उनके काम से नहीं.
साथ में ये तकनीक पूरी टीम को एक हीं दिशा में सोचने का मौका देती है. जैसे मान लें आप किसी समारोह में गए वहाँ कुछ लोग घर के आगे खड़े हैं, कुछ पीछे कुछ, ऊपर और कुछ घर के दोनों तरफ ऐसे में हर व्यक्ति उस घर को अपने एंगल और नजरिये के हिसाब से देखेगा. हो सकता है आगे से घर बड़ा लग रहा है तो साइड से थोडा छोटा कहीं से सुन्दर तो कहीं से कुछ कमी नज़र आ रही होगी. अगर आपको भी घर को उस नज़रिए से देखना है तो आपको उसी जगह पर खड़े होकर देखना होगा. ठीक इसी तरह आप जिस नज़रिए से सोचना चाहते हैं उसी की हैट पहनकर सोचना होगा ताकि आप बात के हर पहलु को समझ पाएं.
इसलिए सिक्स हैट्स थिंकिंग की ये तकनीक आपकी पूरी टीम को एक ही दिशा में सोचने का मौका देकर आपकी डिसिशन मेकिंग को बेहतर बना सकती है.
सिक्स हैट्स तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले कुछ रूल्स अपने दिमाग में जरुर फिट कर लें.
इन हैट्स को इस्तेमाल करने के दो तरीके हो सकते हैं या तो आप पूरे डिस्कशन में एक ही हैट का इस्तेमाल करें जैसे जब आप अपनी समस्या के किसी खास पहलु पर ध्यान देना चाहते हैं तब आप केवल उसी से जुडी भावनाओं वाले हैट का इस्तेमाल कर सकते हैं. या फिर आप चाहें तो एक-एक कर के सभी हैट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं यानी अपने टॉपिक के सभी पहलुओं पर विचार कर सकते हैं. इनके इस्तेमाल का तरीका पूरी तरह से आपकी जरुरत पर डिपेंड करता है.
आप इन हैट्स का इस्तेमाल चाहे जैसे करना चाहते हों लेकिन, उससे पहले आपको आपकी टीम को इसके इस्तेमाल का तरीका सिखाना पड़ेगा और साथ-साथ डिसिप्लिन और टाइमिंग की भी ट्रेनिंग देनी होगी. बिना डिसिप्लिन और सही टाइमिंग के आपकी टीम सही दिशा में नहीं सोच पाएगी. ग्रुप के लोगों में डिसिप्लिन का होना इसलिए जरुरी है ताकि सब लोग एक ही दिशा में सोचें और केवल उसी हैट का इस्तेमाल करें जिसकी जरुरत है. हैट को बदलने की पॉवर केवल चेयरपर्सन, ग्रुप लीडर या फैसिलिटेटर में ही हो.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर अपनी टीम में ये डिसिप्लिन कैसे लायें? तो ये बहुत आसान है, आपको बस इतना करना है कि आप और आपकी टीम इस मेथड के इस्तेमाल की लगातार प्रैक्टिस करें. डिसिप्लिन के साथ-साथ सिक्स हैट थिंकिंग तकनीक का इस्तेमाल करते वक़्त समय का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी है ताकि आपकी टीम का फोकस बना रहे ओर और टॉपिक से भटक कर इधर-उधर की बातें न कर पाएं. इसके लिए आपको हैट के इस्तेमाल का टाइम फिक्स करना पड़ेगा, जैसे अगर आपकी टीम में चार लोग हैं तो एक हैट के लिए हर मेम्बर को एक मिनट मिलेगा इस हिसाब से आप हर हैट के ऊपर विचार करने के लिए अपनी टीम को कुल चार मिनट का समय दे सकते हैं. अब जब आप इस तकनीक का इस्तेमाल और इसके फायेदे समझ गए हैं, तो आईये अब हर रंग के हैट को थोडा और डिटेल में समझते हैं.
अब बात करते हैं वाइट हैट की, यानी किसी कंप्यूटर की तरह सोचना जिसमें आपको केवल डाटा और इनफार्मेशन पर ध्यान देना है. मान लीजिये कि आप एक कंप्यूटर हैं, तो आप क्या करेंगे आप बस कैलकुलेशन करेंगे और फैक्ट्स को जैसे का तैसा यानी एक न्यूट्रल तरीके से पेश करेंगे उसमें फीलिंग्स का तड़का नहीं होगा. आप किसी भी फैक्ट का मतलब जानने की या उसका इंटरप्रिटेशन करने की कोशिश नहीं करेंगे क्यूंकि आपके अन्दर वो सॉफ्टवेर डाला ही नहीं गया, आपको बस फैक्ट्स के बारे में बताना है. वाइट हैट पहन कर आपको भी कुछ इसी तरीके से सोचना है. वाइट हैट की जरुरत तब होती है जब आपको ये पता करना हो की अभी जो इनफार्मेशन हमारे पास है उससे क्या-क्या फैक्ट्स निकल कर आ रहे है और अपने गोल को प्राप्त करने के लिए अभी कौन-कौन सी इनफार्मेशन और जुटानी होगी. इस हैट को पहन कर आप अपनी राय के बारे नहीं बल्कि सिर्फ फैक्ट्स और फिगर के बारे में सोचते हैं. इसका मतलब, वाइट हैट में किसी बहस की कोई गुंजाईश नहीं होती अगर दो बातें एक दुसरे से बिलकुल अलग है तो भी आप दोनों को बराबर महत्व देंगे.
तो आईये देखते हैं कि वाइट हैट की जरुरत एक टीम को कब पड़ती है.
ज्यादातर वाइट हैट का इस्तेमाल या तो डिस्कशन से पहले किया जाता है ताकि जो इनफार्मेशन हमारे पास है उससे क्या-क्या बातें निकल कर आ रही हैं ये पता चल सके. यही बातें आगे के सेशन का बेस बनायेंगी. या तो इसका इस्तेमाल डिस्कशन के बाद ब्रीफिंग के लिए भी किया जा सकता है, ताकि पूरे सेशन में जो नयी इनफार्मेशन मिली है उसे पुरानी के साथ जोड़ कर फैक्ट्स का पता लगाया जा सके.
उदाहरण के तौर पर मान लीजिये आपकी कंपनी की मार्केटिंग हेड अपनी मौजूदा स्ट्रेटेजी की जाँच करना चाहती है. तो वो मीटिंग में अपनी टीम को वाइट हैट पहन कर बस अपनी स्ट्रेटेजी के नंबर्स यानी उसका स्कोप और बजट जैसी चीजों के बारे में सोचने का बोल सकती हैं.
वाइट हैट का इस्तेमाल आप तब भी कर सकते हैं जब नए प्रपोजल पुरानी आपकी स्ट्रेटेजी से बिलकुल उल्टे हों और आप कुछ नया और बड़ा करने जा रहे हों. ऐसे में आपकी हेड मीटिंग लेकर सारी जरुरी इनफार्मेशन इक्कठा कर सकती हैं, जैसे नए प्रपोजल का बजट, एम्प्लाइज का वर्किंग ऑवर और उसका स्कोप. वाइट रंग यानी जिसमें कोई रंग नहीं वो अपने आप में न्यूट्रल रहने का प्रतीक है. इसलिए, वाइट हैट को पहनते समय इस बात का ख़ास ध्यान रहे कि आपको बस फैक्ट बताना है उसमें अगर-मगर का कोई रोल नहीं है. कभी भी वाइट हैट थिंकिंग का इस्तेमाल उन बातों के साथ न शुरू करें जो आप सोचते हैं कि सही है, आप बस किसी कंप्यूटर की तरह नंबर्स पर हीं अपना फोकस बनाएं रखें.
जब रेड हैट पहने तो अपनी भावनाओं के लिए ईमानदार रहें.
न्यूट्रल रहना और केवल डाटा के बारे में सोचने का उल्टा क्या हो सकता है? इसका जवाब है रेड हैट. तो इमोशनल होने के लिए तैयार हो जायें क्यूंकि रेड हैट यानी भावनाओं की गर्माहट को महसूस करना. रेड हैट थिंकिंग आपके टीम मेम्बर्स को बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी फीलिंग्स ज़ाहिर करने का मौका देती है. आपके अंदाज़े और अनुमान भी एक्सपीरियंस से ही बनते हैं तो कभी-कभी ‘मुझे ये टैक्टिक तोड़ी रिस्की लग रही है’ जैसी बातें भी काफी काम आ जाती हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखना भी जरुरी है कि अनुमान हमेशा सही नहीं होते इसलिए इसका इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर करना चाहिए.
रेड हैट में आप अपनी किसी भी फीलिंग को ज़ाहिर कर सकते हैं चाहे वो आपका उत्साह हो जिसमें आप कहें कि मुझे ये आईडिया बहुत पसंद आया, या आपको कोई संदेह हो जिसमें आप कहें मुझे ये आईडिया कुछ समझ नहीं आया, या फिर आपके अन्दर असंतोष हो और आप कहें की मुझे ये बिलकुल पसंद नहीं आया.
कभी-कभी अपनी फीलिंग को किसी केटेगरी में डालना मुश्किल हो जाता है और लोग कहते हैं कि उन्हें मिक्सड फीलिंग आ रही है, ऐसे में उन्हें समझना थोडा ट्रिकी हो जाता है. मजे की बता ये है कि अलग-अलग कल्चर में फीलिंग्स को ज़ाहिर करने का तरीका भी अलग होता है जैसे यूनाइटेड स्टेट्स में लोग सीधा बोल देते हैं कि ‘क्या वाहियात आईडिया है’ लेकिन जापान में इसी बात को लहजे में बोला जाता है कि ‘मैं इसके बारे में सोचूंगा’.
दूसरी जरुर बात ये है कि रेड हैट को पहनते समय लीडर को ये ध्यान रखना है की वो अपने किसी भी टीम मेम्बर को उनकी फीलिंग का कारण पूछ कर उसे साबित करने को नहीं कहेगा क्यूंकि ऐसे में लोग अपनी असली भावनाओं को छुपा कर केवल उन्हीं भावनाओं को बताते हैं जिसे साबित करना आसान हो.
रेड हैट थिंकिंग में पूरी टीम का हिस्सा लेना बहुत जरुरी है किसी को भी ‘पास’ बोलने की आज़ादी ना हो. इसके लिए जरुरी है कि सबकी फीलिंग्स को ध्यान से सुना जाए ताकि उन्हें लगे कि उनकी फीलिंग्स भी इस डिस्कशन के लिए मायने रखती है. साथ ही आपको इस बात का भी ख्याल रखना है कि अगर किसी एक की फीलिंग बाकियों से अलग है तो इसका ये मतलब नहीं की उसे नज़रंदाज़ कर दिया जाए या उस व्यक्ति को किसी प्रकार की कोई सजा मिले. यानी जब भी आपने रेड हैट पहनी है तो आप उस टॉपिक के बारे में अपने मन की बात कह सकते हैं.
अब बात करेनेग ब्लैक हैट की, यह आपको आने वाले खतरों और बुरे नतीजों से आगाह करती है. आप खुद को किसी जज की तरह इमेजिन करें कि आप अपना काला कोट पहन कर किसी मर्डर केस का फैसला कर रहे है ऐसे में आपको हर तथ्य और सबूतों को ध्यान से देखना होगा क्यूंकि किसी की जान का सवाल है.
ब्लैक हैट को पहनना भी कुछ ऐसा हीं है, जहाँ आप कानून के दायरे में रह कर टॉपिक के हर पहलु पर विचार करते हैं और अपनी वैल्यूज और एथिक्स को ध्यान में रखते हुए क्या-क्या परेशानियाँ आ सकती है इस बात का पता लगाते हैं. ब्लैक हैट असल में सतर्कता के बारे में है, जो कि आपको उन चीज़ों को करने से रोकता है जो आगे चलकर आपको नुक्सान पहुँचा सकती है जैसे कोई भी गैरकानूनी, खतरनाक या घाटे का काम.
हम अपने इम्पोर्टेन्ट फैसलों को अपने एक्सपीरियंस के अनुसार लेते हैं जो कि एक नेचुरल मैकेनिज्म के जरिये हमारे अन्दर फिट है जिसे मिसमैच मैकेनिज्म कहते हैं. ये वही मैकेनिज्म है जिसका इस्तेमाल कर के जानवर ये समझ जाते हैं की कौनसे फल ज़हरीले हैं. इसी तरह हमारी कंपनी का फ्यूचर भी इसी बात पर डिपेंड करता है कि वो कौनसे फलों को चखने का निर्णय लेती है.
ब्लैक हैट थिंकिंग से आप बहुत सी गलतियों से बच सकते हैं. ये आपको अपने फैसले के जरुरी पहलुओं जैसी स्ट्रेटेजी, पालिसी और एथिक्स पर विचार करने का मौका देती हैं. बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि कहीं ब्लैक हैट आपको जरुरत से ज्यादा न डरा दे और आप घबराहट में इस हैट के बारे में सोचते हुए गलतियाँ निकालने में ही सारा समय लगा दें. जिस तरह खाना हमारी लिए जरुरी है लेकिन जरुरत से ज्यादा खाने से हम बीमार भी पड़ सकते हैं, ठीक वैसे ही ब्लैक हैट सावधानी के लिए जरुरी है लेकिन इसका जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल हमें कोई भी नया बदलाव करने से रोक सकता है.
ऐसे में आप दुसरे अध्याय की बात याद कर सकते हैं जिसके हिसाब से आपको हर हैट के लिए एक फिक्स टाइम देना है ताकि आप ब्लैक हैट के अन्दर ज्यादा समय बिताने से बच जाएँ.
येलो हैट पहन कर आप एक ऑप्टिमिस्ट यानी आशावादी की भूमीका निभा सकते हैं.
क्या आपकी ज़िन्दगी में कभी ऐसा पल आया है जब सबकुछ एकदम सही लग रहा हो मानो दुनिया की हर चीज़ पर एक सुनहरी चादर सी चढ़ गयी हो और सबकुछ खूबसूरत लगने लगा हो. येलो हैट पहन कर आपको भी कुछ ऐसा ही सोचना है. आपको आशावादी बने रहते हुए केवल प्रोजेक्ट से होने वाले फायेदों के बारे में सोचना है.
हैरानी की बात ये है कि येलो हैट पर मास्टरी करना ब्लैक हैट से भी मुश्किल है क्यूंकि हमारा दिमाग हर चीज़ की बुरी और नेगेटिव बातों को जल्दी और आसानी से सोचता है और अक्सर उसके अच्छे पहलुओं को नज़रंदाज़ कर देता है.
पॉजिटिव बने रहने के लिए हमें सेंसिटिव बनना होगा और खुद को ये याद दिलाना होगा, कि एक वाहियात आईडिया में भी कुछ न कुछ अच्छा जरुर होता है. चाहे कोई आईडिया सुनने में कितना भी बेकार लग रहा हो लेकिन उसमें भी कुछ फायेदा छुपा हो सकता है.
येलो हैट की थिंकिंग अपने आप में बहुत जरुरी है क्यूंकि कई बार हमें किसी नए प्लान या आईडिया से होने वाला फायेदा साफ़-साफ़ नहीं दिखता और बिना फायेदा जाने किसी आईडिया का इस्तेमाल करना बेवकूफी है. जब तक नया प्लान पुराने प्लान से बेहतर न हो या ज्यादा फायेदेमंद न हो तो उसके इस्तेमाल का कोई तुक नहीं बनता.
उदाहरण के तौर पर मान लें अगर आप नया मार्केटिंग प्लान लांच कर रहे हैं तो आपको ये सोचना होगा कि ये पहले वाले प्लान से ज्यादा कस्टमरों का ध्यान खींचेगा क्या, इसका खर्चा पहले से ज्यादा होगा या कम और ऐसे ही कई पहलुओं पर विचार करते हुए आप उस प्लान की उपयोगिता को परख सकते हैं.
येलो हैट के साथ आपको एक बात का ध्यान रखना है कि आपकी पाजिटिविटी लॉजिक पर आधारित हो किसी फेंटेसी पर नहीं. यूँ तो येलो हैट हर आईडिया की उपयोगिता और फायेदा देखने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम खुद को झूठी उम्मीदों से धोखा दें. येलो हैट हमें हमारे सपनों और विज़न को ज़ाहिर करने का मौका तो देता है पर हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि ये हैट फेंटेसी से ज्यादा असल फैक्ट्स को जरुरी मानता है. इसलिए आपके सपने और आपका विज़न एक रीयलिस्टिक एप्रोच पर टिका होना चाहिए किसी झूठी उम्मीद पर नहीं.
इसका मतलब है कि जब आप येलो हैट पहने तब आप ये ना सोचें कि आपका नया मार्केटिंग प्लान कैसे आपकी कंपनी को बचाकर आपको रातों-रात अरबपति बना देगा बल्कि उससे असल में होने वाले छोटे-छोटे फयेदों के बारे में सोचें. येलो हैट थिंकिंग में आपके मन में कुछ ऐसे सवाल आयेंगे जैसे, इस आईडिया की वैल्यू क्या हो सकती है? इससे किस-किस का फायेदा हो सकता है? किन परिस्थितियों में फायेदा हो सकता है? इस आईडिया से कौन-कौन से काम आसान हो सकते हैं? यानी उस आईडिया से जुड़े सभी फयेदों को हम येलो हैट पहन कर समझ सकते हैं.
अगर आईडिया सही और लॉजिकल है, तो येलो हैट आपकी टीम को इसे सच करने की ओर कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकती है.
अब हम बात करेंगे ग्रीन हैट की, यह हैट नए और अनोखे आइडियाज को पनपने की जगह देती है. अब समय है थोडा क्रिएटिव होने का, और ग्रीन हैट आपको ये मौका देती है. ग्रीन हैट यानी नए आइडियाज और विकल्प कई बार तो विकल्पों के भी विकल्प.
ग्रीन हैट पहले से चल रही गतिविधियों के विकल्प और नए फ्रेश आइडियाज दोनों के बारे में सोचने का मौका देती है. ग्रीन हैट पहनने का मतलब है कि आपका दिमाग आपकी परिस्थिति में किसी भी मुमकिन बदलाव के लिए खुला है साथ ही आप अनोखे और पागलपन से लगने वाले आइडियाज को सुनने और समझने के लिए भी तैयार हैं.
इसके साथ-साथ ग्रीन हैट थिंकिंग हमें किसी भी काम के मुमकिन नतीजों के बारे में भी बताती है. ग्रीन हैट थिंकिंग इसलिए भी जरुरी है क्यूंकि अपने फ्यूचर के बारे में क्रिएटिव विज़न रखे बिना आपकी प्रोग्रेस रुक जाएगी.
आज से दो हज़ार साल पहले चाईनीज टेक्नोलॉजी वेस्टर्न टेक्नोलॉजी से कहीं ज्यादा एडवांस थी लेकिन आज इतने सालों बाद वेस्टर्न टेक्नोलॉजी उससे बहुत आगे निकल गयी है क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यूँ हुआ?
इस सवाल का जवाब है कि चाइनीज अपनी सफलता से इतने संतुष्ट थे कि उन्हें उनके फ्यूचर के बारे में कोई खास फेंटेसी नहीं थी जिसके कारण कुछ नया बनाने और नया खोजने की उनकी इच्छा कम हो गयी और उनकी प्रोग्रेस रुक गई.
दूसरी मजे की बात ये है कि ग्रीन हैट का इस्तेमाल हम ब्लैक हैट थिंकिंग के दौरान सामने आई मुश्किलों का हल निकलने के लिए भी कर सकते हैं. जहाँ ब्लैक हैट आपको अपने नए प्रोजेक्ट में आने वाले खतरों के बारे में बताता है वहीँ ग्रीन हैट आपको उन खतरों से बचने के रास्ते ढूंढने में या किसी नए प्रोजेक्ट का आईडिया सोचने में काम आता है.
ग्रीन हैट पहनकर आपको ये एहसास होगा कि आजकल क्रिएटिविटी केवल किसी खास इंसान का काम नहीं रह गई, टीम के बाकी लोग भी इस हैट को पहनकर अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा सकते हैं.
अगर आप चाहते हैं कि आपके ग्रुप का हर व्यक्ति क्रिएटिव बने तो आपको अपनी एक्सपेक्टेशन को थोडा सा बढ़ाना होगा, क्यूंकि नौकरी में आम तौर पर हर व्यक्ति केवल उतना हीं काम करता है जितना उससे एक्स्पेक्ट किया जाता है न ज्यादा न कम. जब आप अपनी टीम के हर व्यक्ति को ग्रीन हैट पहना कर उनसे किसी नए आईडिया की उम्मीद करेंगे तो हो सकता है कोई ऐसा व्यक्ति कोई बेहतरीन प्रोजेक्ट लेकर आये जिससे आपको सबसे कम उम्मीद थी.
जैसे-जैसे आपकी टीम का आत्मविश्वास बढ़ता जायेगा आपके पास नए-नए आइडियाज आते रहेंगे.
ब्लू हैट आपको पुरे प्रोसेस को कंट्रोल करने का नजरिया देगा.
ब्लू हैट सोच के बारे में सोचने का हैट है जिसे लेखक नें ‘थिंकिंग अबाउट थिंकिंग’ का नाम दिया है. जैसे एक चील आसमान में ऊँचे से ऊँचा उड़ कर क्षेत्र का ज़येज़ा लेती है ठीक उसी तरह ब्लू हैट को पहन कर हम हर पहलु से पुरे डिस्कशन का कन्क्लुशन निकाल सकते हैं.
ब्लू हैट का इस्तेमाल सेशन से पहले, सेशन के दौरान या सेशन के बाद में यानी किसी भी परिस्थियों में किया जा सकता है. सेशन के पहले ब्लू हैट का इस्तेमाल करके आप इस सेशन के टॉपिक और प्रॉब्लम के बारे में समझ सकते हैं. इसके साथ-साथ इस बात का भी निर्णय ले सकते हैं कि इस सेशन के दौरान किस-किस हैट के इस्तेमाल की जरुरत पड़ेगी, हो सकता है आपकी समस्या में वाइट और ब्लैक की जरुरत ज्यादा हो या फिर कई बार रेड और ग्रीन की जरुरत ज्यादा होती है.
आमतौर पर इस हैट को फैसिलिटेटर, लीडर या हेड पहनते हैं ताकि वो पूरी टीम की थिंकिंग को समझ सकें. ये लोग पुरे सेशन में ब्लू हैट को ही पहकर रखते हैं क्यूंकि ये एक पेर्मनेट रोल है. वो चाहें तो बीच में टीम के बाकी लोगों को भी ये हैट पहनाकर उन्हें सुझाव देने का मौका दे सकते हैं.
सेशन के दौरान ब्लू हैट के इस्तेमाल से टीम का डिसिप्लिन कायम रहता है साथ-ही साथ लीडर ये फैसला ले सकता है कि कब टीम को कौनसी हैट पहनानी है और कितनी देर तक पहनानी है. साथ हीं साथ फैसिलिटेटर इस बात का भी ध्यान रख सकता है कि सबने सही हैट पहनी है या नहीं.
सेशन के आखिर में ब्लू हैट के जरिये ही हम पुरे सेशन का निष्कर्ष निकाल सकते हैं. ये निष्कर्ष किसी समरी, कनक्लूजन, डिसिशन या सलूशन के रूप में हो सकता है. आज के सेशन के बाद अगला कदम कौनसा उठाना है इस फैसले में भी ब्लू हैट हमारी मदद कर सकता है. जैसे अब नए प्रोजेक्ट का कौनसा काम शुरू करना है या अगली मीटिंग कब रखनी है और किस टॉपिक पर रखनी है इन सबका जवाब भी हमें ब्लू हैट पहनकर ही मिलता है.
अब आप सारे हैट्स के बारे में जान चुके हैं और कौनसा हैट कब इस्तेमाल किया जाता है इसे भी समझ चुके हैं, तो आईये हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि हमें ये सिक्स हैट थिंकिंग मेथड का इस्तेमाल क्यूँ करना चाहिए.
द सिक्स हैट्स मेथड से आप अपना समय और पैसा बचा सकते हैं और फ़िज़ूल की सिरदर्दी से भी बच सकते हैं.
अब जब आप ये समझ चुके हैं कि सिक्स हैट्स मेथड क्या है तो आपके मन में ये सवाल जरुर आ रहा होगा कि आपको इसका इस्तेमाल क्यूँ करना चहिये? तो इसकी तीन वजह है आईये इनके बारे में थोडा और जानते हैं.
पहली वजह है कि ये आपका काफी समय बचाता है.
इसे असल जिंदगी के एक उदाहरण से समझते हैं- जब सिक्स हैट्स तकनीक के बारे में एक छोटा सा आर्टिकल फाइनेंशियल टाइम्स में छपा तो उसके एक हफ्ते के अन्दर ही लेखक के पास एक ख़त आया. वो ख़त एक मिडिल क्लास आदमी का था जिसने लिखा था कि पिछले कुछ सालों से वो और उसकी पत्नी अक्सर बड़ा घर लेने के मुद्दे पर बहस करते आ रहे थे लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला. जब उसने सिक्स हैट्स तकनीक का इस्तेमाल कर इस मुद्दे को इमोशनल, लॉजिकल क्रिएटिव जैसे कम्पार्टमेंट में बाँट कर सोचा तो मात्र 10 मिनट में दोनों को अपने सारे सवालों के जवाब मिल गए.
इसी तरह ABB जैसी बड़ी कंपनीयों को अपने मल्टी-नेशनल प्रोजेक्ट्स शुरू करने से पहले कम से कम 20 दिनों का डिस्कशन करना पड़ता था जो इस तकनीक के इस्तेमाल से घट कर मात्र 2 दिन रह गया.
इस तकनीक के इस्तेमाल की दूसरी वजह है कि ये आपका पैसा भी बचाता है.
नोवेर्गिया की एक मल्टीनेशनल आयल और गैस कंपनी इसका एक जीता जागता उदाहरण है. कंपनी को एक बार आयल के क्षेत्र में किसी धोखाधड़ी की समस्या का सामना करना पड़ा जिसके कारण उनका रोज़ का लगभग एक लाख डॉलर्स का नुकसान हो रहा था. फिर उन्होंने एक प्रोफेशनल ट्रेनर को बुलाया जिसने सिक्स हैट्स मेथड का इस्तेमाल करके मात्र 12 मिनट उनकी समस्या हल कर दी. जरा सोचिये उनका कितना पैसा बर्बाद होने से बच गया.
और आखरी वजह है कि सिक्स हैट्स तकनीक आपको बेकार के चिडचिडेपन और सिरदर्दी से बचा कर आपको आपके टॉपिक के एक साफ़ निष्कर्ष तक पहुंचती है.
कल्पना कीजिये कि आप अपने दो दोस्तों के साथ कार में कहीं जा रहे हैं, और सबको लगता है कि उन्हें सबसे अच्छा और शॉर्टकट रास्ता पता है. ऐसे में क्या होगा? होगा ये कि सब लोग आपस में बहस करते रह जायेंगे कि किस रास्ते पर चलना है और जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जायेंगे ये बहस भी बढती जाएगी.
लेकिन जरा सोचिये कि अगर आपके हाथ में एक रोड मैप होता तो शायद इस बहस की जरुरत हीं नहीं पड़ती.सिक्स हैट्स थिंकिंग मेथड उसी रोड मैप की तरह है.
कुल मिलाकर
बाकी चीज़ों की ही तरह थिंकिग भी एक स्किल है और थोड़ी कोशिश और सही तरीके का इस्तेमाल कर के इसे सुधारा जा सकता है. सिक्स हैट्स थिंकिंग तकनीक का इस्तेमाल कर के आप बेहतर तरीके से सोच सकते हैं, अपनी समस्याओं का किफायती और आसान हल निकाल सकते हैं, क्रिएटिव आइडियाज की खोज कर सकते हैं और अपना समय बचाते हुए झंझट भरी और अस्त-व्यस्त सोच के जंजाल में फसने से बच सकते हैं.
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