Jack Canfield, Mark Victor Hansen, and Les Hewitt
How to Hit Your Business, Personal and Financial Targets with Absolute Confidence and Certainty
दो लफ्ज़ों में
क्या आपको भी लाइफ में पर्पस की तलाश है? क्या आप भी अपने टारगेट को फोकस के साथ अचीव करना चाहते हैं? सरल शब्दों में कहें तो क्या आप लाइफ में सक्सेसफुल होना चाहते हैं? अगर इन सब फैक्टर्स के बारे में आपको जानना है. तो फिर साल 2011 में रिलीज़ हुई किताब “The Power of Focus” निश्चित तौर पर आपके लिए उपयोगी साबित होगी. इस किताब की मदद से आपको कई प्रैक्टिकल टूल्स के बारे में भी पता चलेगा. जिनकी मदद से आप प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बेहतर से बेहतर प्रोग्रेस करने के काबिल बन सकते हैं. इस किताब के चैप्टर्स में लेखक ने बताया है कि सक्सेसफुल हैबिट की आदत कैसे डाली जाती है? इसी के साथ लेखक ने विन-विन सिचुएशन के बारे में भी बताया है.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसे बिजनेसमैन जिन्हें इंडस्ट्री का लीडर बनना हो
- जिन्हें लाइफ में प्रैक्टिकल गाइडेंस की ज़रूरत हो
- ऐसा कोई भी जिसे ज्यादा प्रो-एक्टिव बनना हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब को ‘Jack Canfield, Mark Victor Hansen, और Les Hewitt’ ने मिलकर लिखा है. ‘Jack Canfield’ के बारे में बात करें तो ये अवॉर्ड विनिंग स्पीकर होने के साथ-साथ बेस्ट सेलिंग किताबों के लेखक भी हैं. इनकी एक पर्सनालिटी में कई सक्सेसफुल चरित्र छुपे हुए हैं. ये 150 से ज्यादा किताबों के लेखक और सह-लेखक रह चुके हैं. अपनी लाइफ के विराट अनुभव को इन्होने इस किताब के माध्यम से पाठकों के सामने उतारा है.
Mark Victor Hansen भी लेखक होने के साथ-साथ फेमस पब्लिक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं. इनकी लिखी गई कई किताबें बेस्ट सेलिंग में शामिल हैं.
‘Les Hewitt’ स्पीकर, प्रोफेशनल कोच और राइटर हैं. ये ‘The Power of Focus Leadership Training Program’ के फाउंडर भी हैं. जिसकी मदद से मैनेजर्स और सेल्स पर्सन के लिए 900 से ज्यादा वर्क शॉप कंडक्ट हो चुके हैं.
सक्सेसफुल हैबिट्स की मदद से आप ज्यादा प्रोडक्टिव बन सकते हैं
ऐसे कई सारे लोग होते हैं. जिनके कुछ छोटे और कुछ बड़े सपने होते हैं. आम तौर पर हर इंसान के लाइफ की गाड़ी सपनों के बीच में ही चलती रहती है. लेकिन अधिकत्तर इंसान किसी ना किसी वजह से अपने सपनों का पीछा करना छोड़ देता है. उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उनकी स्किल्स में ही कोई कमी है. कई बार तो लोगों को ऐसा भी लगता है कि वो इस सपनें या टारगेट के लिए बने ही नहीं है.
लेकिन सच्चाई इससे उलटी है. सच्चाई ये है कि टारगेट तक ना पहुँच पाने का एक ही मुख्य रीज़न होता है. वो होता है लैक ऑफ़ फोकस, जी हाँ, आपने सही सुना फोकस की कमी के कारण ही इंसान अपने लक्ष्य को नहीं पा पाता है. अधिकत्तर लोगों को तो ये पता ही नहीं होता है कि किसी भी टारगेट को पाने के लिए सही ट्रैक का चुनाव कैसे करते हैं? जब लोग उस ट्रैक का चुनाव कर भी लेते हैं. तब भी उनको ये पता नहीं होता है कि उस ट्रैक के ऊपर चलना कैसे है? यही वजह है कि वो अपने लक्ष्य से पीछे हट जाते हैं. इस किताब के चैप्टर्स में प्रैक्टिकल तरीके से समझाया गया है कि फोकस की मदद से आप हर उस चीज़ को कैसे अचीव कर सकते हैं? जिसे आप पाना चाहते हैं. इसलिए लेखक कहते हैं कि ये किताब हर उस इंसान के लिए उपयोगी है. जो अपनी लाइफ में पॉजिटिव चेंज लाना चाहता है. इस किताब की समरी की मदद से आपके पास वो टूल्स होंगे जिनकी मदद से आप अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में मस्त और खुश रह सकेंगे. इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता चलेगा कि कौन-कौन सी गलतियाँ नहीं करनी चाहिए. तो फिर देर किस बात की है, चलिए शुरू करते हैं.
हर सुबह आप उठते हैं. ब्रश करने के बाद नहाने जाते हैं. इसके बाद ब्रेक फ़ास्ट की टेबल पर जाते हैं. फिर अपने काम की तरफ निकलते हैं. इन आदतों के लिए आपको मेहनत नहीं करनी पड़ती है. क्यों नहीं करनी पड़ती है?
अब ये आदत आपकी रूटीन में शामिल हो चुकी हैं. जिस वजह से ये अपने आप होती रहती हैं. ये बिहेवियर आपकी आदत हैं और इनको करने के लिए आपको अलग से एफर्ट्स भी नहीं करने पड़ते हैं. आपके पास दूसरें कामों पर फोकस करने का समय रहता है. वहीं दूसरी तरफ कई बुरी आदतें भी होती हैं. जिनकी वजह से आपके गोल्स में परेशानी आती है. जैसे कि बहुत ज्यादा खाने की आदत, कार की चाभी बार-बार भूल जाने की बुरी आदत, अपने टाइम को वेस्ट करने की आदत.
कुछ बुरी आदतों के इफ़ेक्ट तुरंत देखने को मिलते हैं. वहीं कुछ आदतों के इफ़ेक्ट काफी टाइम बाद में देखने को मिलते हैं. इसलिए किताब की शुरुआत में ही लेखक ने बता दिया है कि इंसान गलतियों का पुतला होता है. लेकिन अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी गलत आदतों को सही कैसे करते हैं?
आपको याद रखना चाहिए कि आज आपकी जो भी आदत है. वही आपके कल का फैसला कर रही है.
ये मैटर ही नहीं करता है कि आप कौन हैं? अच्छी आदतें हमेशा ही आपकी मदद करेंगी. जितनी सक्सेसफुल हैबिट्स आपके पास होंगी. उतने ही ज्यादा प्रोडक्टिव आप नज़र आएंगे.
अच्छी आदत डालने से पहले आपको ये पता लगाना होगा कि कौन-कौन सी बैड हैबिट्स आपके अंदर हैं. इसको पता लगाने के लिए आप दूसरों से फीडबैक भी ले सकते हैं. हो सकता है कि आप मीटिंग्स के लिए अधिकत्तर लेट हो जाते हों, या फिर ये हो सकता है कि आप लोगों के मेल्स का जवाब टाइम से ना देते हों. अगर ऐसी कोई भी आदत आपके अंदर हैं. तो सबसे पहले उसमे सुधार करने की कोशिश करिए.
मान लेते हैं कि आपके अंदर एक बुरी आदत है कि आप जल्दी पैसा कमाने के लिए फर्जी इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं. इस समय आपको ये सोचना है कि इससे फ्यूचर में क्या-क्या हो सकता है? शायद, इससे आप पूरी तरह से बर्बाद हो जाएँ, या फिर आप जेल भी जा सकते हैं. इससे आपके घर के माहौल में स्ट्रेस भी हो सकता है.
अब खुद से सवाल करिए कि आपको इस आदत की क्या ही ज़रूरत है? थोड़ा कम पैसा होगा लेकिन सम्मान तो होगा ही, इसलिए अब आपको इस आदत को छोड़कर प्रोडक्टिव आदत डालने की ज़रूरत है. इसके लिए आप सक्सेसफुल लोगों के बारे में भी पढ़ सकते हैं. तब आप मोटिवेट होंगें कि सक्सेसफुल लोगों के पास प्रोडक्टिव आदतें हुआ करती हैं. गलत इन्वेस्टमेंट से बचने के लिए आप ये सोच सकते हैं कि अब बिना प्रोफेशनल के सलाह के मैं कोई भी इन्वेस्टमेंट नहीं करूँगा. अब से मुझे किसी भी लालच में नहीं फंसना है.
अपनी कमजोरियों की लिस्ट बनाइए, उसके बाद उन कमजोरियों के ऊपर काम करने की शुरुआत कर दीजिए.
इसी के साथ अपने फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए आप 3 स्टेप का प्लान भी बना सकते हैं. फर्स्ट स्टेप में आपको एक फाइनेंशियल एक्सपर्ट को मेंटर के तौर पर हायर करना है. इसके बाद एक प्लान बनाना है. उसके बाद ये फैसला करना है कि कमाई का 10 परसेंट सेविंग करूँगा.
अपनी काबिलियत के ऊपर फोकस करिए, हर चीज़ के ऊपर हाँथ मारना बंद कर दीजिए
आपने खुद को समझाया है कि आप ग्रीटिंग कार्ड बेच सकते हैं. इसके बाद आप उसकी दूकान खोल लेते हैं. मतलब साफ़ है कि आप एक छोटा सा व्यापार शुरू कर चुके हैं. एक छोटे से बिजनेस को चलाना बहुत कठिन होता है. आपको हर काम को खुद ही करना होता है. इसमें सेल्स से लेकर मार्केटिंग तक सभी काम शामिल होते हैं. लेकिन धीरे-धीरे एक समय ऐसा भी आएगा जब आपको रोड ब्लाक मिलेंगी. आप बाकी कामों में इतना बिज़ी रहेंगे कि ग्रोथ के अवसर छूट जाएंगे. इसलिए लेखक कहते हैं कि कई टोपियों को पहनने का नुकसान भी आपको ही उठाना पड़ेगा. ना ही आप सेल्स एक्सपर्ट थे और ना ही मार्केटिंग एक्सपर्ट. फिर आप वो सब काम कर रहे थे. जब आप अपनी वीकनेस के ऊपर काम करने लगते हैं और अपनी स्ट्रेंथ को नहीं देखते हैं. तो कई बार ऐसा होता है कि आप अपनी स्ट्रेंथ को भी कमजोर बना लेते हैं. ऐसा अक्सर उन बिजनेसमैन या मैनेजर्स के साथ होता है. जो बिजनेस के हर पहलू को कब्ज़े में करने की कोशिश करते हैं. वो चाहते हैं कि वो सुपरमैन बनकर सारा काम खुद ही कर लें. लेकिन ऐसा हो नहीं सकता है. इसलिए कहा भी जाता है कि “अपनी ताकत के ऊपर ध्यान देना सबसे ज़रूरी होता है.”
अगर ऐसा वो करते रहते हैं तो इससे काम की क्वालिटी काफी ज्यादा कम हो जाती है. जिसका असर उनके कस्टमर में देखने को मिलता है. कई बार तो इन्ही गलतियों की वजह से बिजनेस बंद भी हो जाता है. इसलिए आपको 4डी फार्मूला को सीखने की ज़रूरत है. ये वही है कि अपनी ताकत को मज़बूत करने की कोशिश करिए. नेचुरल टैलेंट के ऊपर काम करते रहिए. बाकी चीज़ों को इग्नोर करिए. किसी भी काम को शुरू करने से पहले खुद को समय देने की कोशिश करिए. सवाल करिए कि क्या आपके अंदर इस काम को लेकर पैशन है? अगर जवाब हाँ है, तो फिर उस काम के साथ आगे का सफर तय करिए.
क्या होती है प्रॉब्लम सॉल्वर मेथड? इस मेथड की मदद से आपको काफी ज्यादा फायदा होगा।
जब भी आप शब्द ‘सेट-बैक’ सुनते हैं. तो सबसे पहले आपके दिमाग में क्या आता है? शायद आपके दिमाग में फाइनेंशियल दिक्कत के बारे में आता होगा. आपको ऐसा भी लग सकता है कि कहीं स्टॉक्स के भाव फिर से बहुत कम तो नहीं हो गए हैं. या फिर आपको पर्सनल दिक्कतों का ख्याल भी आ सकता है. आपको किसी फिजिकल इंजरी का ख्याल भी आ सकता है. या फिर आपके दिमाग में कुछ ऐसा आएगा जिसका फैसला आपके पक्ष में नहीं गया होगा. ये मैटर नहीं करता है कि आपको क्या याद आया है. मैटर ये करता है कि वो सिचुएशन आपके लिए अच्छी नहीं थी. लेकिन एक यथार्थ सच भी है. वो क्या है? रिज़ल्ट आपकी अप्रोच के आधार पर ही आता है. आपको याद रखना चाहिए कि रेगिस्तान में मुंडी नीचे गाड़ लेने से तूफ़ान निकल नहीं जाता है. इसलिए सिचुएशन कैसी भी हो? आपको रियेक्ट तो करना ही पड़ेगा. इसलिए किसी भी समस्या से निकलने के लिए आपको प्रॉब्लम सॉल्वर बनना पड़ेगा. सेट-बैक से पीछा छुराने का कोई भी फ़ास्ट रूल नहीं है. ये एक पूरी प्रोसेस होती है. जो कि आपको विनर बनाती है. अगली बार आप किसी भी दिक्कत में हों तो उसे प्रॉब्लम सॉल्वर बनकर सॉल्व करिएगा. ये सवालों की सीरीज होती है, जिसकी मदद से आप किसी भी सिचुएशन को बेहतर डील कर सकते हैं.
सबसे पहले आपकी दिक्कत क्या है? उसके हिसाब से एक छोटा सा विवरण तैयार करिए. उसे तरीके से नोट डाउन करिए. इसके बाद आप क्या रिज़ल्ट चाहते हैं उसकी डिटेल भी लिखिए. जैसे कि अगर ये बिजनेस को लेकर है. तो फिर अगला सेल्स नंबर क्या होना चाहिए? पिछला टारगेट क्या था? इस रिज़ल्ट से कर्मचारियों को क्या फायदा होगा? क्या ये रिज़ल्ट सभी के लिए अच्छा है? ऐसे कुछ सवालों के जवाब आपको लिखने चाहिए.
अब उन जानकारियों को इकट्ठा करिए जिससे आपको मदद मिले. इससे आप अपने रिज़ल्ट के पास तक पहुँच सकते हैं. इसके अलावा आपको ये भी पता होना चाहिए कि जब बाकी कम्पनियां इस तरह की दिक्कतों का सामना कर रही थीं. तो वो इससे बाहर कैसे आईं थीं?
इसके बाद रिसर्च करिए कि आज के समय में कस्टमर क्या चाहता है. लोगों से थोड़ा फीड बैक इकठ्ठा करने की कोशिश करिए. अगर कोई कस्टमर आपकी टच में है. तो उससे भी अपनी कम्पनी के प्रोडक्ट के बारे में बात करने की कोशिश करिए. हो सके तो खुद को एक बार कस्टमर की जगह में रखकर सोचने की कोशिश करिए. ऐसा करने से आपके अंदर एक अलग तरह के नज़रिए का जन्म होगा. इस नज़रिए से आपको अपनी दिक्कत की रूपरेखा ही अलग नज़र आने लगेगी. ऐसा भी हो सकता है कि आपको रिज़ल्ट भी कई तरह के मिलने लगेंगे.
इसके बाद आपको पता चल जाएगा कि कंपनी में क्या चेंज करने की ज़रूरत है? अगर आप वो चेंज खुद कर सकें तो बेहतर है. अगर नहीं कर सकते हैं तो उसके लिए किसी प्रोफेशनल को हायर करिए. उससे आपको काफी ज्यादा मदद मिलेगी. लास्ट में खेल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा आता है. इसे गेम प्लान कहते हैं. अपने गेम प्लान को तैयार करिए. इससे आपको टारगेट तक पहुँचने में मदद मिलेगी. इस गेम प्लान में सभी पहलुओं को देखकर पॉइंट्स बनाने हैं. अच्छी टीम के साथ अपने टारगेट को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने की शुरुआत कर दीजिए. देखते-देखते ही आप अपने लक्ष्य के पास पहुँच जाएंगे.
सक्सेस के लिए अच्छी रिलेशनशिप बनाने और निभाने की कला आनी ही चाहिए
मान लीजिए कि आप एक इंजीयरिंग कंपनी के ऑनर हैं. आप क्लाइंट्स के आईडिया के ऊपर बेहतर प्रोडक्ट बनाने का काम करते हैं. आप और आपकी कंपनी की अच्छी इमेज बन चुकी है. आपके पास लॉयल कस्टमर बेस भी है. इसका मतलब साफ़ है कि आपका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा है. पिछले साल एक युवा बिजनेस मैन ने आपको गाइडेंस के लिए अप्रोच किया था. आप भी उसे प्रोटोटाइप बनाने में गाइड किए थे. उस प्रोजेक्ट से आपको कई आईडिया भी मिले थे. बाद में उसी फाइनल प्रोटोटाइप की मदद से क्लाइंट को मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट भी मिल गया था. फाइनली, प्रोडक्ट काफी ज्यादा सक्सेसफुल हो चुका था.
तभी एक दिन सुबह होती है. आप चाय की चुस्कियां ले रहे होते हैं. तभी आपको एक कॉल आता है. वो कॉल उसी यंग बिजनेसमैन का था. आपके फोन उठाते ही वो आपको ‘थैंक यू’ कहता है. लेकिन बात बस ‘थैंक यू’ तक के लिए ही नहीं थी. वो आपको फ्यूचर के प्रॉफिट में 10 प्रतीशत का हिस्सा देने की बात भी करता है. ये आपको सपने की तरह लग रहा है. लेकिन ऐसी विन-विन सिचुएशन बनती है. जब बिजनेस में रिलेशनशिप बनते हैं.
ये पॉवर होती है रिलेशनशिप की? क्या आपको इसका अंदाजा था? अधिकांश प्रोफेशनल रिलेशनशिप में दोनों साइड के लिए विन-विन सिचुएशन ही रहती है. लेकिन कई बार ऐसा नहीं भी होता है. तो फिर आप इस बात की पुष्टि कैसे करेंगे कि आपकी रिलेशनशिप क्लाइंट के साथ विन-विन ही हो? इसके लिए आप डबल स्पाइरल टास्क टेकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले अपनी पिछली रिलेशनशिप के बारे में सोचिए. ये पसर्नल या प्रोफेशनल कोई भी हो सकती है. जो फेल रही हो, उसके कारण के बारे में सोचिए कि वो रिलेशनशिप क्यों फेल हो गई थी? उस रिश्ते से आपको क्या सीखने को मिला है? ऐसी कौन सी गलतियाँ हैं जिसे आपको दोहराना नहीं है?
इसके एक सक्सेसफुल रिलेशनशिप के लिए उस सीख से नींव को तैयार करिए. कोशिश करिए कि ये प्रोफेशनल रिलेशनशिप लॉन्ग टर्म चलने वाली हो, इससे आप दोनों को फायदा ही होगा. अपने प्रोडक्ट और बिजनेस में ज़रूरत से ज्यादा ध्यान दीजिए. कोशिश करिए कि ये रिश्ता दोनों ही पार्टी के लिए विन-विन सिचुएशन क्रिएट कर सकें. इससे आप दोनों को ही फायदा होगा. क्लाइंट के साथ अच्छी रिलेशनशिप बनाना भी एक कला है. आपको इस कला में माहिर बनना पड़ेगा. अगर आप इस कला को सीख लेते हैं तो फिर सक्सेस को पाना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा.
सही सवालों से आप अपने बिजनेस को काफी ऊपर तक लेकर जा सकते हैं।
‘Lisa Petrelli’ की कहानी आपको जाननी ही चाहिए . डॉक्टर्स ने उनसे कह दिया था कि उनकी किडनी खराब हो रही हैं . उन्हें भी समझ में आ गया था कि डायलिसिस में रहना कोई समाधान नहीं है. उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की ही ज़रूरत है. लेकिन दुःख की बात थी कि उन्हें 6 सालों तक इंतज़ार करना पड़ गया था. उन्होंने अपने परिवार में कई लोगों से बात की थी. लेकिन बात नहीं बन पाई थी. उनके परिवार वालों का ब्लड ग्रुप ही मैच नहीं कर रहा था. जब उन्हें लाइफ का खतरा महसूस होने लगा तो उन्होंने अंजान लोगों से भी मदद मांगी थी. लेकिन बात नहीं बन पा रही थी. उन्होंने एड बोर्ड का भी सहारा लिया था. लेकिन फिर एक दिन उन्हें एक अंजान लेडी का कॉल आया, जो उन्हें किडनी डोनेट करना चाहती थी. इस वाकया से ‘Lisa Petrelli’ ने एक बात सीख ली थी कि सही सवाल करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. किसी से कुछ भी मांगने या पूछने में कोई बुराई नहीं होती है. इससे कई बार आपकी लाइफ तक बच सकती है. इसी सीख को उन्होंने अपने बिजनेस में भी अप्लाई किया था. उन्होंने कभी भी क्लाइंट से बिजनेस मांगने में संकोच नहीं दिखाया था. अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर किस तरह के सवालों से आपके बिजनेस को मदद मिल सकती है? पहला इन्फोर्मेशन के लिए सवाल करिए, नए क्लाइंट से पूछिए कि उनकी क्या-क्या ज़रूरतें हैं. इससे आप नए क्लाइंट्स को जीत सकते हैं. क्लाइंट को प्रेजेंटेशन देने के बाद उनसे बिजनेस के बारे में भी पूछिए. हो सके तो डिमांड या रिक्वेस्ट भी कर सकते हैं. रिसर्च बताती है कि 40 परसेंट सेल्स मैन सही सवाल ही नहीं कर पाते हैं.
काम को टालना बंद कर दीजिए, बेहतर फैसला लेने की काबिलियत सीखने की कोशिश करिए
एक दिन आप ऑफिस पहुँचते हैं. आपको एक टास्क मिलता है. जिसके लिए रिपोर्ट महीने के लास्ट में जमा करनी होती है. अभी आपके पास समय बहुत है. इसे आराम से प्लान से साथ किया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं होगा. आप लास्ट डे तक इंतज़ार करेंगे. आप शुरुआत में भी रिपोर्ट के ऊपर काम करने की शुरुआत नहीं करेंगे. ये इंसानी फितरत हो गई है. हमें काम को कल के ऊपर टालने की बुरी आदत लग जाती है. इससे किसी और का नहीं बल्कि हमारा ही नुकसान होता है. टाल-मटोल करने की बुरी आदत हमें लग चुकी है. अब समय आ गया है कि इस आदत को भी बाय-बाय बोल दिया जाए. ये आदत 4 वजहों से लगती है- बोरियत, बहुत ज्यादा काम, एन्जॉय ना कर पाना और आलस. अगर आप बोर हो रहे हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि आप अपने टैलेंट के ऊपर काम नहीं कर रहे हैं. आपको अपनी ताकत के ऊपर काम करना चाहिए. खुद से सवाल करिए कि कहीं आप गलत काम का चुनाव तो नहीं कर लिए हैं?
इसके अलावा आलस और काम को एन्जॉय ना कर पाना भी काम को टालने की वजह होती हैं. इन दोनों समस्या से भी आपको खुद ही बाहर आना पड़ेगा. इसलिए लेखक कहते हैं कि खुद के लिए एक ऐसे काम की तलाश करिए जिसके जुनून में आप खो जाएँ.अगर आपको खुद के काम से इश्क हो जाएगा. तो फिर आप कभी भी टाल मटोल करने का रास्ता नहीं अपनाएंगे.बेहतर फैसला लेने की काबिलियत को अपने अंदर शामिल करिए. ऐसा करने से आपके अंदर का आलस अपने आप ही भाग जाएगा. इस काबिलियत को अपने अंदर लाने के लिए आप सक्सेसफुल लोगों की किताब भी पढ़ सकते हैं. उनसे आपको काफी ज्यादा प्रेरणा मिलेगी.
अब तक आप सक्सेस के लिए कई कदम चल चुके हैं. आपको कई टूल्स के बारे में भी पता चल चुका है. आपको ये भी पता है कि दूसरों की जिंदगी से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है. इसलिए अब आपको पता चल जाना चाहिए कि सक्सेस के लिए पर्पस का होना बहुत ज़रूरी होता है. बिना गोल के सक्सेसफुल होना बहुत मुश्किल है. इसलिए एक तगड़े गोल का निर्माण करिए. आपको पता होना चाहिए कि आपकी लाइफ का पर्पस क्या है?
आपको खुश क्या कर सकता है? वो है फोकस, इसकी मदद से आपको पर्पस भी पता चल सकता है. इसलिए लेखक कहते हैं कि लाइफ में फोकस रहना बहुत ज़रूरी है. क्लियर आईडिया के साथ मोटिवेट रहते हुए फोकस रहना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि आपका गोल आपके टैलेंट के हिसाब से हो. अपने टैलेंट का सही से इस्तेमाल करते हुए आप बाकियों से काफी बेहतर कर सकते हैं.
यही सब टूल्स हैं जो आपको दूसरों से अलग बना सकते हैं. इसलिए कहा जाता है कि अपनी काबिलियत पर फोकस करिए, इससे गोल भी मिलेगा और सक्सेस भी मिल जाएगी. अपने आपको ओब्सर्व करिए और खुद से सवाल करिए कि क्या आप अपने टैलेंट का सही से इस्तेमाल कर रहे हैं? कहीं आप अपने टैलेंट को खराब तो नहीं कर रहे हैं? इसके लिए आप प्रोफेशनल की भी मदद ले सकते हैं. खुद के टैलेंट की पहचान करिए और उसे कम्प्लीट करने की कोशिश करिए. क्रिटिक की तरह खुद की लाइफ का आंकलन करिए. अगर आप खुश नहीं हैं तो आज ही अपने गोल को बदल दीजिए. सिम्पल सी बात है अच्छे से पर्पस के साथ लाइफ को एन्जॉय करिए.
कुल मिलाकर
बिजनेस में या लाइफ में आगे बढ़ने के लिए सही जगह एफर्ट्स को इन्वेस्ट करिए. इसके लिए कई रास्ते हैं. जिनका पता आपको चल चुका है. इंतज़ार बंद करिए और अच्छी आदतों को अपनी पर्सनालिटी में एड ऑन करिए. सक्सेस आपका इंतज़ार कर रही है.
क्या करें?
बड़े गोल्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने की कोशिश करिए. नई-नई स्किल्स को सीखने की कोशिश करते रहिये. टाइम के साथ चलने की कोशिश करिए. लाइफ में आपके जो भी प्लान्स हों, उन्हें फ़ॉलो करते रहिए.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे The Power of Focus by Jack Canfield, Mark Victor Hansen, and Les Hewitt
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