Daymond John with Daniel Paisner
How Empty Pockets, a Tight Budget, and a Hunger for Success Can Become Your Greatest Competitive Advantage
दो लफ्जों में
द पावर ऑफ ब्रोक (2016) बेसिकली इस बात पर बात करती है कि अगर आप कम बजट में अपना बिजनेस स्टार्ट करते हैं तो यह कोई डिसएडवांटेज नहीं है. अगर नजरिया ठीक रखा जाए तो इंसान की कंगाली उसके क्रिएटिव होने की वजह बन सकती है. अगर आप अपना माइंड सेट पॉजिटिव रखते हैं तो एंटरप्रेन्योरशिप में पैसा बैरियर नहीं बनेगा, क्योंकि सच यही है कि कोई भी जिसके पास बेहतर आइडिया और आई कैन डू इट वाला एटीट्यूड हो वह बिजनेस शुरू कर सकता है. अगर आप में यह दो खासियत है तो आप भी अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं.
किसके लिए है
- छोटे बिजनेस मैनेजर्स और एंटरप्रेन्योर्स के लिए
- बड़ी कंपनियों के एग्जीक्यूटिव और सीईओ के लिए
- उस शख्स के लिए जिसके पास मार्केट को लेकर एक इनोवेटिव आइडिया है
लेखक के बारे में
Daymond John एक एंटरप्रेन्योर, इन्वेस्टर और शार्क टैंक नामी टेलीविजन शो के पैनलिस्ट हैं. Daymond हिप-हॉप इंस्पायर्ड क्लोथिंग लाइन FUBU के फाउंडर भी हैं.
Daniel paisner पब्लिशिंग वर्ल्ड के एक जाने-माने कोलैबोरेटर हैं. उन्होंने सेलिब्रिटीज, एथलीट और पॉलीटिशियंस के साथ किताबें लिखी हैं. ऑबिट समेत कई नॉवेल्स के ऑथर भी रहे हैं.
आपकी कंगाली, कामयाबी के दो इंपॉर्टेंट पहलू, इनोवेशन और ऑथेंटिसिटी के लिए रास्ता बन सकती है
हम सब ने ऐसे लोगों की कहानियां बहुत सुनी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी को शून्य से शिखर तक पहुंचाया है, मतलब बिना किसी बड़े रिसोर्स के, अपनी मेहनत से कंगाल से कामयाब बने हैं. मिसाल के तौर पर, Dr. Dre को ही ले लीजिए जिन्होंने लॉस एंजेलस के साउथ डिस्ट्रिक्ट से एक डीजे के तौर पर शुरुआत की, उसके बाद एक सक्सेसफुल प्रड्यूसर से लेकर, हेडफोन एंपायर के मालिक बनने और एप्पल म्यूजिक के high-ranking एग्जीक्यूटिव तक का सफर तय किया.इस तरह की कहानियां बहुत इंस्पायरिंग लगती हैं लेकिन इन्हें पढ़कर ऐसा भी एहसास होता है कि यह कामयाबी उन्हीं चंद लोगों को हाथ लगती है जो बहुत ज्यादा टैलेंटेड और टाइम पर पकड़ रखने वाले होते हैं. लेकिन एक और कैटेगरी है जिसमें आने वाले लोग अक्सर कामयाब होते हैं और वह कैटेगरी है कंगाल होने की.इस समरी में, सेल्फ मेड लोगो के एक्सपीरियंस के आधार पर आप जानेंगे कि कैसे कंगाल हो ना अपनी जिंदगी में सक्सेस की पीक तक पहुंचने के लिए हेल्पफुल हो सकता है.इस समरी में आप जानेंगे, किकैसे एक इमीग्रेंट ने आइसक्रीम ट्रक को रेस्टोरेंट में बदल दिया? नए कस्टमर तक पहुंचने की कोशिश में डेमोग्राफिक्स पर ध्यान देना अच्छा आईडिया नहीं है, और ऐसी कौन सा सक्सेसफुल कंप्यूटर कंपनी था जिसकी शुरुआत उस शक्स ने की, जिसे कंप्यूटर चलाना ही नहीं आता था.
तो चलिए शुरू करते हैं!
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको डिनर के लिए कुछ पकाना है, और आपके पास 2, 3 इनग्रेडिएंट ही हैं? अगर ऐसा हुआ है तो आपको यह भी याद होगा कि इस तरह की लिमिटेशन अक्सर सबसे टेस्टी खाना बनाने में की-रोल अदा करती हैं.यह पुरानी कहावत का सिर्फ एक एग्जांपल भर है कि नेसेसिटी इज द मदर ऑफ इन्वेंशन.दूसरी तरह कहा जाए तो जब आपके पास रिसोर्स कम होते हैं तो आप के अंदर क्रिएटिव होने की पोस्ट ब्यूटी बढ़ जाती है जो कि दूसरी कंडीशन में नहीं हो पाता.अगर आपके पास कोई बिजनेस स्टार्ट करने के लिए million-dollar है तो यह इस बात की गारंटी नहीं है कि आपका बिजनेस सक्सेसफुल होगा. साथ ही जब आप पहले से रिच होते हैं तो आपके अंदर काम करने की वह लगन नहीं रहती, जिसकी एक कामयाब बिजनेस में सख्त जरूरत होती है.
लेकिन जब आपके पास कुछ नहीं होता तो इकलौता रास्ता क्रिएटिव होना और मेहनत करना ही रह जाता है.यह सिचुएशन एकदम उस बास्केटबॉल प्लेयर की तरह है जिसके पास गेम जीतने के लिए सिर्फ एक शॉट, और घड़ी में 1 सेकंड का वक्त बचा है. ऐसे में सामने सिर्फ एक ऑप्शन बचता है अपने आप बेस्ट परफॉर्म करना और एक बेहतरीन शॉट मारना.यह भी समझना बहुत जरूरी है कि इनोवेशन के लिए सिंगुलर विजन की जरूरत होती है और यह बॉटम से टॉप की तरफ जाता है ना कि टॉप से बॉटम की तरफ.फैशन, टेक्नोलॉजी, इंटरटेनमेंट, फील्ड कोई भी हो आईडिया धीरे धीरे डेवलप होता है यह किसी एग्जीक्यूटिव द्वारा किसी प्रोजेक्ट पर बहुत सारे पैसे लगाने से नहीं आता.
जब कोई आईडिया कामयाब होता है तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग ऑथेंटिक और रियल चीजों के लिए बहुत इंथोज़िएज्टिकली रिएक्ट करते हैं.स्विजरलैंड, हॉन्ग कोंग और मियामी बीच पर लगने वाले दुनिया के 1 बड़े आर्ट फेयर, Art Basel का एग्जांपल लीजिए. इसमें बहुत सारे फेमस आर्टिस्ट होते ही हैं लेकिन जब अनफंडेड स्ट्रीट आर्टिस्ट्स इसमें हिस्सा लेते हैं तो यह लोगों को जेनुइन लगता है, लोग और अट्रैक्ट होते हैं.
ऑथर Daymond John के FUBU की कामयाबी के पीछे भी यही आईडिया था जिसका मतलब है, For us, by us. यह क्लॉथिंग लाइन आम लोगों के पहनने के तरीके यानी स्ट्रीट डिजाइन द्वारा इंस्पायर थी ना कि किसी डिजाइनर स्टूडियो द्वारा.आप अपने ब्रांड को अपने और अपने कस्टमर के बीच के रिश्ते की तौर पर देख सकते हैं. किसी भी अच्छे रिश्ते की तरह इसका भी एक मजबूत बुनियाद पर होना बहुत जरूरी है. इसलिए अपने साथ ईमानदार रहिये वरना यह रिश्ता नाकाम हो सकता है.
कामयाब होने के लिए, आपके अंदर कामयाबी की भूख और शार्क की सोच होनी चाहिए
अगर आपको रॉकी मूवी के बारे में मालूम है तो आप यह भी जानते होंगे कि जब रॉकी की कामयाबी उसके सर पर चढ़ने लगती है तो वह पैसे बर्बाद करने लगता है और उसकी जिंदगी पूरी तरीके से बिखर जाती है. बाद में उसे एहसास हुआ कि दोबारा टॉप पर पहुंचने के लिए उसे अपने अंदर पैशन और जीत की भूख पैदा करनी होगी.
बिजनेस पर भी यही लागू होता है जीत की भूख आपको फोकस रहने में हेल्पफुल तो होती ही है साथ ही आपको यह भी पता होता है कि क्या चीज़ें आपकी पहुंच में है.कैपिटल वन बैंक के स्माल बिज़नेसे स्कोर को ही देखिए. यह स्कोर बिजनेस के हायरिंग प्लान, फ्यूचर आउटलुक और इकोनामिक सिचुएशन के सवालों की तादाद से डिटरमाइंड किया जाता है.और इस स्कोर से पता चलता है कि 2008 की मंदी के बाद कॉन्फिडेंस हाईएस्ट रैंक पर है. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्मॉल बिजनेस को मालूम होता है कि कैसे अपने पलान पर टिके रहा जाए और छोटे-छोटे स्टेप्स का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया जाए.हंगरी और सक्सेसफुल रहने का तरीका यह है कि शार्क की तरह सोचा जाए जो अपने टारगेट पर फोकस्ड तो रहती ही है लेकिन साथ ही उसे पानी के बारे में भी मालूम होता है.
शार्क टैंक नाम के टीवी रियलिटी शो पर एंटरप्रेन्योर इन्वेस्टर्स के सामने अपने आइडियाज पिच करते हैं. यह शो सिखाने की कोशिश करता है कि इन्वेस्टर सिर्फ यही जानना चाहते हैं कि एंटरप्रेन्योर्स को अपने मार्केट और अपने गोल की बेहतर समझ है या नहीं.इस शो में एक बार इन्वेस्टर ने फोरम नाम के अफॉर्डेबल एथलेटिक्स शूज़ कंपनी को इसलिए रिजेक्ट कर दिया क्योंकि एंटरप्रेन्योर अपने ही टारगेट मार्केट के बाहर एक्सपैंड करना चाहता था. इसलिए एक ऐसे ब्रांड में इन्वेस्टमेंट करना जो गलत डेमोग्राफिक पर फोकस कर रहा हो पते की बात नहीं है.इसलिए जो एंटरप्रेन्योर्स चीप प्रोडक्ट्स बेचने के लिए अपनी कार के ट्रंक का इस्तेमाल करते हैं इन्वेस्टर्स के सामने उनकी पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है. अगर वह 5 मिनट में 50 यूनिट भेज सकते हैं तो इससे जाहिर होता है कि उन्हें अपने मार्केट की बेहतर समझ है.
किसी भी तरह का डिसएडवांटेज आपको ऐसे रिसोर्स तक पहुंचा सकता है जो किसी और के जेहन में नहीं आ सकता।
कुछ लोगों के पास बाय बर्थ कुछ एडवांटेजेस होते हैं वहीं दूसरों की जिंदगी में कुछ खामियां लेकिन अगर आपको दूसरों के बराबर आने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़े तो इससे डिसकरेज नहीं होना चाहिए. दरअसल जिंदगी में कुछ खामियां और डिसएडवांटेज होना सक्सेस के लिए अच्छा साबित हुआ है.यूनाइटेड स्टेट के सिटिज़ेन के मुकाबले वहां आने वाले इमीग्रांट्स द्वारा अपना बिजनेस खड़ा करने की तादाद दोगुनी है.Rocky Aoki 1960 में जापान से अमेरिका आए थे अपनी होटल मैनेजमेंट क्लासेस की फीस अदा करने के लिए उन्होंने एक आइसक्रीम ट्रक किराए पर ली और न्यूयॉर्क सिटी में यहां-वहां आइसक्रीम बेचा करते थे. धीरे-धीरे उन्होंने $10000 सेव कर लिए जिसके चलते वह अपने फादर को अपने बिज़नेस में इन्वेस्ट करने के लिए कन्वेंस कर सके, जो बाद में Bihana नाम से जापान की एक पॉपुलर रेस्टोरेंट चेन बना.
रॉकी चाहते थे कि उनका बेटा, जो कि एक इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूज़िशियन था अपने फादर के पैसे पर डिपेंडेंट हुए बिना अपनी सक्सेस स्टोरी लिखे. इसलिए जब स्टीव 19 साल के हुए तो उन्होंने अपने पास मौजूद $400 से अपने एक दोस्त के साथ Dim Mak Records नाम का म्यूजिक लेबल शुरू किया. उनका अपना अपार्टमेंट ही उनका ऑफिस था जिसमें लगभग 13 इंटर्न्स रेगुलरली काम करते थे.स्टीव और उनके दोस्त मिलकर seven-inch single बनाते और उसे स्टीव डीजे गिग्स के नाम से बेचते, जब तक कि वह दूसरा बनाने के लिए पैसा न इकट्ठा कर लेते.हालांकि इस टीम ने दस अलग-अलग क्रेडिट कार्ड की लिमिट क्रॉस कर दी थी लेकिन आज वह एक पॉपुलर म्युजिशियन हैं साथ ही उनका लेबल और लाइफस्टाइल ब्रांड भी सक्सेसफुल है.
जैसा कि Aoki's की स्टोरी से हमें पता चलता है कि कभी-कभी हमारी सोच से भी ज्यादा हमारे पास रिसोर्स होते हैं.अगर आप होम ओनर है तो मुमकिन है आपके पास कोई ऐसी इक्विटी हो जिसे आप इंवेस्ट कर सकते हैं लेकिन अगर आपने घर के लिए लोन ले रखा है तो अपने बिजनेस के कमाई शुरू करने से पहले आपके पास कुछ एक्स्ट्रा पैसे रहने चाहिए ताकि आप उसकी पेमेंट कर सकें.आप छोटी छोटी गैरजरूरी चीजों से भी एक्स्ट्रा पैसे निकाल सकते हैं.अगर आपकी कार गैराज में ही पड़ी रहती है तो आप इसे बेच सकते हैं जैसा कि स्टीव जॉब्स ने किया था स्टीव जॉब्स ने पहले एप्पल कंप्यूटर के कंपोनेंट खरीदने के लिए अपनी कार बेच दी थी.
अगर आप ऑथेंटिक रहते हैं तो यह अपने टारगेट ऑडियंस पर फोकस करने में हेल्पफुल होगा
हो सकता है हर कोई आपकी ऑथेंटिसिटी को नोटिस और अप्रिशिएट ना करे, लेकिन अपनी ऑथेंटिसिटी पर बने रहना बहुत जरूरी है.मिसाल के तौर पर, Acacia Brinley अपने ट्रेंडसेटिंग टंबलर पेज के लिए जानी जाती थीं लेकिन उन्हें पोस्ट के फीडबैक में निगेटिव कमेंट भी मिलते थे. लेकिन सोशल मीडिया की सेल्फी क्वीन ने इससे डरकर खुद को रोका नहीं.आपको हर किसी को इंप्रेस करने की जरूरत नहीं है सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट यह है कि आप खुद के साथ ईमानदार रहें.जब आप कोई काम शुरू करने के लिए उतना फाइनेंसियल रिसोर्सफुल नहीं होते तो बस आपको चीजों को फैंसी लुक ना दे पाने का ही नुकसान होता है. दरअसल इसका फायदा यह है कि आप एक ऐसी सिचुएशन में है, जहां हार नहीं सकते इस तरह आपकी पर्सनैलिटी उभर कर बाहर आयेगी.जब Daymond John ने FUBU स्टार्ट किया था तो उन्हें पता था कि उन्हें दूसरी क्लॉथिंग लाइन के बीच अपने लिए जगह बनाने की जंग लड़नी होगी. लेकिन अपनी ब्रांड के जरिए वह यह दिखा सकते थे कि उनके लिए उनकी कम्युनिटी और उनका कपड़े पहनने का स्टाइल कितना मैटर करता है.इसके लिए एक्सट्रा पैसे की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी. दरअसल पैसों की कमी ने ही उन्हें ज्यादा क्रिएटिव होने और ब्लैक कम्युनिटी की तरफ अपनी ऑथेंटिसिटी प्रूफ करने का आईडिया दिया.
John पहले डिजाइनर थे जिन्होंने अपने कपड़े hip-hop आर्टिस्ट को दिए थे बदले में उन आर्टिस्ट के जरिए FUBU फैशन वर्ल्ड में प्रमोट हुआ.उसके बाद John ने यूएस में ब्लैक कम्युनिटी को प्रमोट करने वाले ब्लैक इंटरटेनमेंट टेलीविजन पर फोकस किया.इस तरीके से John अपने टारगेट ऑडियंस तक बहुत आसानी से और बहुत कम कीमत पर पहुंच सकते थे. जब John ने अपना एडवर्टाइजमेंट BET के जरिए शुरू किया तब उसकी रेटिंग बहुत कम थी और व्युवर्स भी कम थे इसलिए जॉन को कम पैसे खर्च करने पड़े.यह FUBU के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ क्योंकि बहुत कम कीमत में ब्रांड अपने टारगेट ऑडियंस तक आसानी से पहुंच गया था.जब सिचुएशन डिसएप्वाइंट करती हों, तो आपको ऐसी ही अपॉर्चुनिटीज़ की तलाश करनी चाहिए क्योंकि ऐसी डिसएप्वाइंटमेंट आपको मार्केट में बने रहने और ऑथेंटिक रहने में हेल्पफुल साबित होती हैं.
फंडिंग या कर्ज की वजह से अपने विजन के साथ कंप्रोमाइज मत कीजिए
कंपनियों को बिजनेस करने के लिए दूसरों के पैसे का इस्तेमाल करने की आदत पड़ गई है. हलांकि, फंडिंग एक अच्छी चीज है लेकिन यह जरूरत से ज्यादा हेल्प हो जाती है.जब आप इन्वेस्टर की तलाश कर रहे हो तो यह इंश्योर कीजिए कि आपका अपने बिजनेस पर से कंट्रोल ना चला जाए.बिजनेस में इन्वेस्टर होने का मतलब है कि आपको अपने बिजनेस का कुछ परसेंटेज शेयर करना पड़ सकता है. इसके नतीजे में आपको अपने छोटे से प्रॉफिट में इन्वेस्टर को भी हिस्सा देना पड़ सकता है या फिर आप इतनी तेज ग्रो करने लगें कि आप हैंडल ही ना कर सकें.सबसे बेहतर ग्रोथ वह है जो स्लो, प्रॉफिटेबल और कंट्रोल में हो. अपने बिजनेस में किसी से पैसे इन्वेस्ट कराने का यह भी नतीजा हो सकता है कि आपको अपना बिजनेस प्लान दुबारा से बनाना पड़े और आप अपने बजट पर से कंट्रोल भी खो सकते हैं.
इसके बजाय Gigi Butler की तरह बनिए और चाहे आप को फंडिंग मिले या ना मिले लेकिन अपने विजन पर टिके रहिए.Butler ने Nashville में कप केक शॉप खोलने का फैसला किया बैंक को लगा कि वह पागल हो गई हैं और बैंक ने उनकी मदद करने से इंकार कर दिया. इससे पहले Butler Nashville के अपर क्रस्ट में क्लीनिंग लेडी के तौर पर काम करती थी, इसलिए कोई भी उनके ड्रीम को फंड नहीं करना चाहता था.अपने क्रेडिट कार्ड को इसके लिए लिमिट तक इस्तेमाल करके और बैंक में सिर्फ $30 छोड़कर Gigi ने कपकेक रेस्टोरेंट खोलने का अपना सपना पूरा कर लिया. और जल्द ही कस्टमर्स की लाइन लग गई.
Gigi न सिर्फ अपने क्रेडिट कार्ड का कर्ज चुकाने में कामयाब हो गई बल्कि अपने बिजनेस और प्रोफिट पर टोटल कंट्रोल रखा. आज लगभग 24 जगहों पर उनका रेस्टोरेंट है, जिसमें 35 मिलीयन डॉलर की एनुअल सेल होती है.कभी कभी कर्जस्न से बाहर निकल पाना नामुमकिन हो जाता है इसलिए इसे अपने विजन के बीच ना आने दें.जब आपको फायदा होने लगे तो बिजनेस में रिइन्वेस्ट करने या अच्छी लाइफ स्टाइल जीने का मन करता है, लेकिन सबसे बेहतर है कि अपना कर्ज अदा किया जाए ताकि सब कुछ इंटरेस्ट में ही ना चला जाए और आपका बैंक अकाउंट प्रॉस्परस होने लगे.बहुत सारे बिजनेस इसलिए बर्बाद हो गए, क्योंकि उनका कर्ज उनके कंट्रोल से बाहर चला गया इसलिए खुद पर कर्ज का बोझ ना लगने दें.
अभी तक हमने जाना कि कैसे कंगाली फोकस्ड एंटरप्रेन्योर्स को आगे बढ़ा सकती है लेकिन इन प्रिंसिपल का इस्तेमाल बड़े प्लेयर्स द्वारा भी किया जा सकता है.आखिरकार हर बड़ी कॉर्पोरेशन ने छोटी शुरुआत ही की थी और वह आज भी उनकी स्ट्रैटेजीज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके इस्तेमाल से वह वहां पहुंचे हैं जहां आज हैं.फिर भी जब कंपनियां अमीर हो जाती हैं तो वह प्रॉब्लम्स को क्रिएटिविटी की मदद से नहीं बल्कि पैसों के जरिए सॉल्व करने की कोशिश करने लगती हैं.मार्केटिंग को ही ले लीजिए बड़ी कंपनियां ऐड पर करोड़ों खर्च कर देती हैं जबकि सोशल मीडिया जैसे फ्री रिसोर्स को नजरअंदाज कर दिये जाते हैं.
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्यों टॉप 500 कंपनियों में से 38% कंपनियों के पास एक्टिव ट्विटर अकाउंट नहीं है.चलिए सोशल मीडिया की शुरुआत से पहले किए गए एक छोटे से कैंपेन पर नजर डालते हैं-
Generals Mills नाम की कंपनी है जिसके पास मार्केटिंग के लिए एक मोटा बजट था, वह अपना ग्रेनोला बार दोबारा इंट्रोड्यूज करना चाहती थी.हालांकि वह ऐड में करोड़ों खर्च कर सकते थे लेकिन उन्होंने रिसॉर्ट्स और आउटडोर गियर शॉप जैसे यंग क्लाइंट्स वाले टारगेटेड प्लेस पर फोकस रखा. तब से Nature Valley General Mills का टॉप सेलिंग ब्रांड बना हुआ है.ब्रोक की पावर पूरी इंडस्ट्री पर अप्लाई की जा सकती है.
1970 की शुरुआत में टीवी, मैगजीन, रेडियो, बिलबोर्ड हर जगह सिगरेट एडवर्टाइजमेंट था, जिसमें Marlboro Man और Joe camel जैसे लोग फीचर किए जाते थे.हालांकि उसके बाद के साल में अमेरिकन गवर्नमेंट ने सुबह को के एडवर्टाइजमेंट पर शक्ति लगाने का इरादा कर लिया था, उसी दौरान चाइनीस सिगरेट कंपनियां अमेरिकन मार्केट में कदम रखने की तैयारी कर रही थीं.इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए करोड़ों लगाने के बजाय अमेरिकन टोबैको कंपनियों को इसमें एक अपॉर्चुनिटी दिखी और उन्होंने गवर्नमेंट की सख्तियां मंजूर कर लीं. अमेरिकन ब्रैंड्स को पता था कि पहले से उनका कस्टमर बेस बन चुका है और बिना बिलबोर्ड और मैगजीन जैसी जगहों पर एडवर्टाइजमेंट के फॉरेन ब्रैंड्स मार्केट में अपनी जगह बना ही नहीं पाएंगे.
सक्सेस के चार स्टेप्स को पार करने के लिए सब्र की बहुत जरूरत होती है
Coca Cola इतनी पुरानी कंपनी है कि शायद ही किसी को मालूम हो कि यह हमेशा से कामयाब नहीं रही है. किसी दूसरे ब्रांड की तरह इसे भी कहीं ना कहीं से शुरुआत करनी ही थी.अपने ब्रांड को ग्लोबल ब्रांड के तौर पर देखने से पहले चार ऐसे स्टेप हैं जिनसे आपको गुजरना होगा.पहला स्टेज है आपका प्रोडक्ट, बिना किसी लेबल, बिना किसी नाम, बिना किसी एडवर्टाइजमेंट के यह प्रोडक्ट जरूरत को पूरा करने के काबिल होना चाहिए. आपके पास कोई ऐसा कॉफी मेकर भी हो सकता है जिसके ऊपर कोई ब्रांड नेम या लोगों ना लगा हो.दूसरा स्टेज है लेबल, यह ऐसा स्टेज है जिसमें आप अपने प्रोडक्ट को एक नाम देते हैं जो उसे अलग और मेमोरेबल बनाता है. इस तरीके से पहली बार प्रोडक्ट को देखने के बाद कस्टमर को पता होगा कि नेक्स्ट टाइम मार्केट में इसे किस नाम से ढूंढना है.
तीसरा स्टेज है ब्रांड, जिसके तहत आप बेहतर रिकमेंडेशन के लिए 1 लोगो तैयार करते हैं. यह स्टेज इंश्योर करता है कि कंजूमर प्रोडक्ट्स के भीड़ में भी आपके प्रोडक्ट को पहचान लेगा.
चौथा और आखिरी स्टेज है लाइफस्टाइल चौथे स्टेज पर आते आते आपका ब्रांड इतना ग्रो कर चुका होता है कि कस्टमर उससे एक खास तरीके की क्वालिटी और एक्सपीरियंस एक्सपेक्ट करने लगते हैं. इस स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते प्रोडक्ट लाइफस्टाइल और स्टेटस का सिंबल बन जाता है जैसे कि Nike, Apple और FUBU.
इन सभी स्टेजेस पर ब्रोक होने की पावर का इस्तेमाल करके आखिरी स्टेज तक पहुंचा जा सकता है.
जैसे-जैसे एक के बाद एक स्टेज आपका प्रोडक्ट पार करता जाता है आप कुछ क्राइसिस का सामना भी कर सकते हैं लेकिन उस दौरान आपको सब्र रखने की जरूरत होगी.हावर्ड बिजनेस रिव्यू इस बात को कंफर्म करता है कि जो भी बिजनेस मंदी की क्राइसिस से पार कर पाते हैं वह दरअसल ऐसा कॉस्ट में कमी करके और अपनी ग्रोथ में लगातार इन्वेस्ट करके करते हैं. यह काम आप अपने रिसर्च और डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की फंडिंग बढ़ाकर कर सकते हैं. इस तरीके से आप बुरे वक्त से भी डील कर सकेंगे.ऑफिस सप्लाई चेन Staples ने 2000 की मंदी का सामना अपने अंडरपरफॉर्मिंग स्टोर्स को बंद करके और वर्क फोर्स में 10 परसेंट की बढ़ोतरी करके किया था. जब मंदी खत्म हुई तो कंपनी को इतना मुनाफा हुआ जितना उसे पहले कभी नहीं हुआ था.
आज के दौर में हर रोज़ कोई न कोई नयी टेक्नोलॉजिकल फैसिलिटी लॉच हो रही है. यह स्मॉल बिज़नेसेस के लिए सबसे फेवरेबल दौर है. क्योंकि इस दौर में अपने ज़रूरत की फंडिंग हासिल कर पाना बहुत आसान हो गया.टेक्नोलॉजी की कीमत भी काफी कम हो गयी है.
हर गुज़रते दिन के साथ वेबसाइट मेनटेन कर पाना या डेटा को ऑनलाइन स्टोर करना आसान होता जा रहा है, जिसकी वजह से प्रॉफिट के चांसेज़ बढ़ जाते हैं और रिस्क भी कम हो जाता है.आज के दौर में स्मॉल बिज़नेस के लिए दूसरा बैनिफीशियल पहलू Kickstarter और Indiegogo जैसे क्राउडफंडिंग प्लैटफॉर्म हैं, जहां पर एंटरप्रेन्योर्स अपने बिज़नेस पर कंट्रोल बरकरार रखते हुये भी पैसे इकट्ठा कर सकते हैं.क्राउडफंडिंग सक्सेस का एक बड़ा एक्ज़ाम्पल Honey Flow है. कम्पनी ने मधुमक्खी पालने और शहद निकालने के इनोवेटिव आइडिया का पांच मिनट का वीडियो indiegogo पर पोस्ट किया. उन्हें लेबल फेज़ तक पहुँचने के लिए 70 हज़ार डॉलर की ज़रूरत थी, लेकिन indiegogo का सबसे सक्सेसफुल कैम्पेन बन कम्पनी ने 12 मिलियन डॉलर की अमाउंट इकट्ठा कर लिया.
आज अपनी क्रिएटिविटी को सक्सेस में तब्दील कर पाना बहुत आसान हो गया है, चाहे आपके पास पर्टिकुलर स्किल हो या न.John न कपड़े डिसाइन कर सकते थे न सिलाई कर सकते थे लेकिन तब भी वह फूबू नाम की क्लोथिंग लाइन स्टार्ट करने में कामयाब रहे.अपनी स्पीड और एलिजिटी का इस्तेमाल कर शॉर्ट बास्केट बॉल प्लेयर लम्बे प्लेयर के मुकाबले बेहतर करियर अचीव कर सकते हैं, या अगर वह स्पोर्ट्स को लेकर ज़्यादा पैशनेट हैं तो कोचिंग भी कर सकते हैं.
लेकिन कामयाब होने का सबसे बेहतर रास्ता उनकी प्रॉब्लम का क्रिएटिव सल्यूशन ढूँढ़ना है जिन्हें कोई काम पूरा करने में आपकी मदद चाहिए.मिशेल डेल कोई कम्प्यूटर जीनियस नहीं थे लेकिन यूज़र फ्रेंडली कम्प्यूटर बनाने का मकसद के साथ आखिरकार उन्होंने डेल कम्प्यूटर बना लिया.एक कामयाब एंटरप्रेन्योर बनने के लिए आपका अमीर और जीनियस होना ज़रूरी नहीं. इसके लिए आप अपने ब्रोक होने की पावर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, बस आपको सही आइडिया डेवलप करना है और आपमें रास्ते में आने वाले चैलेंजेस का सामना करने की लगन होनी चाहीए.इन खुबियों के साथ आगे बढ़ना आसान है और कामयाबी की कोई लिमिट नहीं है.
कुल मिलाकर
कोई भी बिजनेस स्टार्ट करने के लिए आपके पास बहुत सारा पैसा होना जरूरी नहीं है इंफैक्ट अगर आपके पास पैसे कम है तो आप अपनी प्रॉब्लम का क्रिएटिव और इनोवेटिव सलूशन ढूंढने की कोशिश करेंगे. ऐसे सलूशन जो पैसों की मौजूदगी में शायद नजर ही ना आएं. बिजनेस वर्ल्ड में हमेशा चैलेंज आते रहते हैं लेकिन इन चैलेंजेस के लिए खुद को तैयार करने और इन से पार पाने के लिए आप अपने ब्रोक होने की पावर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या करें
Daymond John द्वारा दिए शार्क पॉइंट ऑफ सक्सेस का इस्तेमाल कीजिए
- अपने गोल्स डिसाइड कीजिए ताकि आपको यह अंदाज़ा हो कि आप आगे बढ़ रहे हैं.
- अपने कंपटीशन को समझिए.
- आप जो भी कर रहे हैं, सब्र रखिए
- आप खुद एक ब्रांड है इसलिए खुद को बेहतर तरीके से कैरी कीजिए
- स्टडीज़ बनाते रहिए और आगे बढ़ते रहिए किसी भी कंपटीशन का सामना करने के लिए हर वक्त तैयार रहिये
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