Matthew Dixon and Brent Adamson
जानिए चैलेंजर सेलिंग मॉडल के बारे में
दो लफ्जों में
बदलते जमाने ने सेलिंग थ्योरीज को भी बदला है। आज कंपनियां "फिट फॉर ऑल" की जगह "इंडीविजुअल" और "कस्टमाइज" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करती हैं। सेल्स पर्सन इसके लिए "चैलेंजर" सेल्स मॉडल फॉलो करते हैं। ये किताब आपको बताती है कि ये मॉडल क्या है और ये आपके सेल्स फिगर को नई ऊंचाई पर कैसे ले जा सकता है।
ये किताब किनको पढ़नी चाहिए
• सेल्स की फील्ड से जुड़े लोग जो अपनी स्किल्स निखारना चाहते हैं
• ऐसे बिजनेसमैन जो अपने प्रोडक्ट को ग्राहकों के सामने बेहतरीन तरीके से लॉन्च करना चाहते हैं
• ऐसे बिजनेसमैन जो सेल्स के नए तरीके सीखकर अपडेटेड रहना चाहते हैं
लेखकों के बारे में
मैथ्यू डिक्सन को दुनिया के बेहतरीन सेल्स और कस्टमर सर्विस एक्सपर्ट्स में गिना जाता है। वे Tethr कंपनी में चीफ प्रोडक्ट एंड रिसर्च ऑफिसर हैं। ब्रेंट एडमसन एक जाने माने स्पीकर हैं जिनको मज़ा र्केटिंग और मैनेजमेंट में 30 साल का अनुभव है। वे Forbes और Bloomberg Businessweek जैसे नामी बिजनेस पब्लिकेशन के लिए लिखते हैं।
ये किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
अगर आपने फिल्म Glengarry Glen Ross देखी है तो आपको उसकी एक लाइन "ABC: Always Be Closing" जरूर याद होगी। ये इस फिल्म की एक बेहतरीन लाइन है। लेकिन फिल्म क्या कहती है ये एक अलग बात है क्योंकि ये लाइन सेल्स फील्ड के लिए आइडियल नहीं है। अब वो दिन पुराने हो चुके हैं जब कोई सेल्समैन चकाचक सूट पहनकर और बातों में चाशनी घोलकर अपनी चीजें बेच दिया करता था। आज की तारीख में इस काम के तरीके बदल चुके हैं।
आगे आप लेखकों की उस रिसर्च के बारे में जानेंगे जो किसी को एक सफल सेल्सपर्सन बना सकती है। मैथ्यू और ब्रेंट ने इनको चैलेंजर कहा है। चैलेंजर वो इंसान है जो अपने काम में माहिर है। वो आगे आने और कंट्रोल लेने से नहीं डरता और अपने टार्गेट लोगों के दिल जीतकर पूरे करता है न कि टिपिकल सेल्सपर्सन की तरह उनके पीछे पड़कर। ये तरीका सेल्स की फील्ड में आया एक बहुत बड़ा बदलाव है। आप ये भी सीखेंगे कि चैलेंजर मॉडल इतना प्रभावशाली क्यों है और किस तरह आप या आपका सेल्स स्टाफ चैलेंजर बन सकते हैं। इस समरी को पढ़कर आप जानेंगे कि एक चैलेंजर में किस तरह की कुआलिटीस होती है, बिना सेल्स पिच के कैसे अपना प्रोडक्ट बेचें और जरूरी नहीं कि एक बेस्ट सेल्सपर्सन चैलेंजर भी हो!एक अच्छा सेलर, ग्राहक को ये एहसास दिला देता है जैसे वो प्रोडक्ट बस उसी के लिए बना हो।
जब कभी हम सेल्स के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में अपना प्रोडक्ट बेच रहे एक स्मार्ट और बातूनी सेल्सपर्सन की इमेज उभर आती है। लेकिन हम हमेशा सेल्सपर्सन के बारे में ही क्यों सोचते हैं किसी को ग्राहक का ख्याल क्यों नहीं आता है? जबकि सेल्स में ये दोनों ही इन्वॉल्व होते हैं। बल्कि सेल्स का अच्छा तरीका वही है जिसमें ग्राहक को आगे रखा जाता है। "सॉल्यूशन सेलिंग" ऐसा ही एक तरीका है। इसमें फिट फॉर ऑल की जगह हर ग्राहक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए स्पेसिफिक प्रोडक्ट या सर्विस डिजाइन किए जाते हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए। एक गाड़ी बनाने वाली कंपनी है। अगर उनका सेल्सपर्सन किसी बेकरी में अपना प्रोडक्ट बेचना चाहता है तो वो कोई भी रैंडम कार का मॉडल बेचने नहीं चल देगा। वो बेकरी को एक ऐसी गाड़ी का मॉडल दिखाएगा जिसमें ब्रेड देर तक गर्म और ताजी रह सके। यानि उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि भले ही कार आज बहुत से लोगों की जरूरत हो सकती है पर किसी बेकरी के लिए सबसे जरूरी चीज होगी ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ब्रेड की क्वालिटी बनाए रखना और वो बेकरी को इसी समस्या का हल देगा। इसे ही सॉल्यूशन सेलिंग कहा गया है। लेकिन ऐसा नजरिया होना इतना जरूरी क्यों है? असल में यही बात आपको मार्केट में घूम रहे दूसरे ढेरों कॉम्पिटीटर्स से अलग करती है। इस तरह आप अपनी चीजों को दूसरों से अच्छे दाम पर बेच भी सकते हैं। यानि न तो कंपनी को इस बात की चिंता करने की जरूरत है कि मार्केट में और लोग भी ऐसी ही गाड़ी बेच रहे हैं और न ही उनको गाड़ी की कीमत कम करने की जरूरत है। आखिर ग्राहक को भी तो बिल्कुल वही चीज मिल रही है जो उसे चाहिए। अब उसकी सही कीमत तो देनी ही होगी। इस तरह की सेलिंग के अपने फायदे हैं लेकिन इसमें भी काफी चैलेंज आते हैं। जब ग्राहक आपको मुंहमांगी कीमत देता है तो बदले में ढेर सारी डिमांड भी रखता है। ऐसे में सेल्सपर्सन को भी ग्राहक को कन्विंस करने के तरीके ढूंढने पड़ते हैं। आखिर एक सॉल्यूशन सेलर का काम भी तो यही है कि वो ग्राहक की जरूरत के हिसाब से चीज बनाकर दे न कि उसे कोई बनी बनाई चीज थमा दे। यहां टिपिकल सेल्स पिच काम नहीं आती। ग्राहक की जरूरत को पूरी तरह समझना पड़ता है और हर छोटी-छोटी बात का ध्यान रखकर सॉल्यूशन के तौर पर अपना प्रोडक्ट ऑफर करना होता है।
एक चैलेंजर ही अच्छी तरह सॉल्यूशन सेलिंग कर सकता है।
सेल्स की फील्ड में सॉल्यूशन सेलिंग आज सबसे बढ़िया तरीका बनकर उभर रहा है क्योंकि इसमें ग्राहक और सेल्सपर्सन अच्छी तरह एक दूसरे की बात समझ सकते हैं। लेकिन ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि इस तरह से आप हर चीज नहीं बेच सकते। लेखकों ने दुनियाभर की 90 कंपनियों की स्टडी करने के बाद सेल्सपर्सन के पांच टाइप बताए हैं। पहले होते हैं हार्ड वर्क करने वाले। ये लोग अपनी टीम के बाकी लोगों से दुगनी मेहनत करते हैं। दूसरा टाइप है रिलेशनशिप बिल्डर। ये अपने ग्राहकों और कलीग की मदद करने को हमेशा तैयार रहते हैं। उनकी सफलता की वजह भी यही होती है कि वे सबसे अच्छी तरह बनाकर रखते हैं। तीसरे को लेखक लोन वोल्फ कहते हैं। इनको आप bad guy भी कह सकते हैं। ऐसे सेल्सपर्सन कभी किसी नियम का पालन नहीं करते। रिपोर्ट नहीं बनाते और कभी टीम स्पिरिट नहीं दिखाते। ये कंपनी में सिर्फ इसलिए टिके रहते हैं क्योंकि ये बहुत अच्छे रिजल्ट देते हैं वरना इनको कोई हायर न करे। चौथे हैं प्राब्लम सॉल्वर। इस तरह के एम्प्लॉयीज अपनी सेलिंग से ज्यादा कस्टमर सेटिस्फेक्शन पर ध्यान देते हैं। लेकिन ये रिलेशनशिप बिल्डर्स की तुलना में कम गर्मजोशी दिखाते हैं। पांचवा और आखिरी टाइप है चैलेंजर। ये ग्राहक को अच्छी तरह समझते हैं। इनको उसकी जरूरत की सटीक जानकारी होती है। इन्हें ग्राहकों के साथ देर तक प्रोडक्ट डिस्कशन करना अच्छा लगता है और नए आइडियाज के साथ अपनी बात कहना जानते हैं। सॉल्यूशन सेलिंग के लिए इन पांच में से निश्चित रूप से चैलेंजर सबसे सही चॉइस होते हैं। हालांकि इन पांचों टाइप में भी आपको एवरेज परफार्म करने वाले लोग मिल सकते हैं। फिर भी अगर टॉप सेलर्स की लिस्ट बनाई जाए तो इसमें लगभग 40 परसेंट लोग चैलेंजर्स ही होंगे और अगर आप सिर्फ सॉल्यूशन सेलिंग की लिस्ट बनाएं तो ये परसेंट 50 से ऊपर तक पहुंच जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब ग्राहक को सॉल्यूशन देने की बात आती है वहां चैलेंजर ही सबसे अच्छा सेल्सपर्सन हो सकता है। चलिए अब ये समझते हैं कि वो कौन सी बात है जो चैलेंजर्स को सबसे अलग बनाती है।
चैलेंजर्स किसी टीचर की तरह होते हैं। यानि वो आपके सामने परेशानियों का हल रखते हैं।
ऐसी क्या बात है कि सॉल्यूशन सेलिंग में चैलेंजर्स का दबदबा है? इसकी बड़ी वजह है टीचिंग एप्टीट्यूड का होना। पर ये क्वालिटी इतना मायने क्यों रखती है? इसके लिए ग्राहक की सोच तक पहुंचना होगा। बाजार में एक ही प्रोडक्ट के ढेरों ब्रांड मिलते हैं। एक आम ग्राहक इन सबके बीच फर्क नहीं कर पाता है। लेकिन बहुत सी कंपनियों को इस बात का एहसास ही नहीं होता है। इसलिए सेल्स एक्सपीरियंस अक्सर ग्राहक को फैसला लेने में बड़ा रोल प्ले करते हैं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। हो सकता है आप एक ऐसी कार बेच रहे हों जो दूसरी कारों से एक परसेंट कम फ्यूल खर्च करती हो। आपके हिसाब से तो ये फीचर बहुत अच्छा है। पर हो सकता है कि ग्राहक को इस बात से कोई खास फर्क न पड़ता हो। हो सकता है कि वो ग्राहक सेल्स एक्सपीरियंस को ज्यादा महत्व देता हो। लेखकों को पांच हजार से ज्यादा ग्राहकों की स्टडी करने के बाद इसका एहसास हुआ। इस स्टडी से पता चला कि अगर सेल्स एक्सपीरियंस अच्छा रहे 53 परसेंट तक ग्राहक कंपनी से हमेशा के लिए जुड़े रहते हैं। ये नंबर काफी बड़ा है। जब सेल्स एक्सपीरियंस इतना महत्वपूर्ण है तो आप किस तरह इसे बेहतर बना सकते हैं? कई सेल्सपर्सन सोचते हैं कि अपने ग्राहक के काम को अच्छी तरह से जान लेना काफी है या सबसे जरूरी है। ये बात जरूरी तो है पर अगर आप ग्राहक को सॉल्यूशन डिलीवर करना चाहते हैं तो आपको इससे एक कदम आगे जाना होगा। आपको अपने ग्राहक को उसके काम से जुड़ी कोई बात सिखानी या समझानी होगी। कुछ ऐसा जो वो खुद भी नहीं रियलाइज कर पाया हो। किसी भी ग्राहक के लिए यही सबसे अच्छा सेल्स एक्सपीरियंस होगा। आपका ग्राहक इस बात को जरूर मानेगा कि आप उसकी परेशानी को अच्छी तरह समझ रहे हैं लेकिन उसके लिए इस बात का कोई ज्यादा महत्व नहीं होगा। क्योंकि आपके एम्पैथी दिखाने से भला ग्राहक का क्या फायदा होगा? लेकिन अगर आप उनके काम को पूरा समझ लें तो जरूर उनको कोई नया रास्ता दिखा सकते हैं। या यूं कहें कि कोई नई बात सिखा सकते हैं। यही बात है जो किसी चैलेंजर को सफल बनाती है। अगर हम उस बेकरी के उदाहरण पर वापस जाएं तो उस पर ये बात बहुत असर करेगी कि आप उसके प्रोडक्ट क्वालिटी की परवाह भी करते हैं और उसके सुबह जल्दी उठकर काम करने की भी। लेकिन इन सबसे ऊपर जो बात होगी वो ये है कि आप उसे ये समझा पाएं कि आखिर क्यों थोड़ी ब्रेड तो एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हुए टूटेगी ही और आपकी गाड़ी इसे किस तरह रोक सकती है।
चैलेंजर हमेशा कन्वर्सेशन को लीड करता है और ग्राहक को होशियारी से सॉल्यूशन ऑफर करता है। जैसा आपने अभी पढ़ा कि चैलेंजर की सफलता का राज ये है कि वो ग्राहक को उसके बिजनेस के बारे में कुछ नया सिखा जाता है। अगर आप सोच रहे हैं कि ये बहुत मुश्किल है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसके लिए बस आपको पूरी तैयारी के साथ एक अच्छा कन्वर्सेशन प्लान बनाना पड़ता है। इसमें महारत हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका है कमर्शियल टीचिंग यानि ऐसा तरीका जिसमें आपको अपनी कंपनी की ताकत से जुड़ी सारी चीजें सिखाई जाती हैं। मान लीजिए ऑफिस फर्नीचर बनाने वाली किसी कंपनी का सेल्सपर्सन एक ऐसी कंपनी को अप्रोच करता है जिसने हाल ही में अपनी नई ऑफिस बिल्डिंग बनाई है। इन दोनों के बीच एक अच्छा सेल्स कन्वर्सेशन 6 बातों पर बेस्ड होगा।
सबसे पहले तो आप ग्राहक के सामने अपनी क्रेडिबिलिटी बनाएंगे। आप उनको ये यकीन दिलाएंगे कि आप उनके बिजनेस मॉडल को पूरी तरह समझते हैं। आप इस बात पर ध्यान दिला सकते हैं कि बहुत से नए ऑफिसों के डिजाइन कोलैबोरेशन के कांसेप्ट को इग्नोर करके बनाए जाते हैं। अब आप उसकी परेशानी या जरूरत को किसी नए या अलग नजरिये से उसके सामने रखेंगे। आप कहेंगे कि तीन से चार लोगों के छोटे समूहों में काम करने पर अच्छी तरह कोलैबोरेशन होता है। फिर भी आपके नए कांफ्रेंस रूम आठ लोगों के हिसाब से डिजाइन कर दिए गए थे।
इसके बाद आप उसे समझाएंगे कि असल में ये परेशानी उसकी सोच से ज्यादा बड़ी क्यों है। आप उसे कुछ डेटा देंगे, केस स्टडीज बताएंगे जिससे ये साबित हो कि बड़े कांफ्रेंस रूम लोगों के सोचने और नए आइडियाज लाने की ताकत को कम कर देते हैं। फिर आप ये बताएंगे कि इस वजह से ग्राहक के बिजनेस पर किस तरह बुरा असर पड़ता है। यानि जब एम्प्लॉयीज एक दूसरे के साथ कोलैबोरेट नहीं कर पाते तो कंपनी भी तरक्की नहीं कर पाती।
यहां एक चैलेंजर खुद को टिपिकल सेल्सपर्सन से अलग करता है। आप कुछ बेच नहीं रहे बल्कि ग्राहक को सॉल्यूशन दे रहे हैं। उसकी समस्या सुलझाकर उसके हालात बेहतर कर रहे हैं। आप ये सुझाव दे सकते हैं कि वो एक बड़े कांफ्रेंस रूम को दो छोटे रूम में बदल सकता है। अब भले ही आपके पास पहले से इस बदलाव तरीका है पर आप ग्राहक के सामने इसे सबसे आखिर में रखते हैं। क्योंकि इस समय तक ग्राहक ऑफिस में बदलाव का मन बना चुका है लेकिन उसे इसका तरीका नहीं मालुम। पर आप तो वही प्रोडक्ट बेच रहे हैं जो उसके काम आएगा यानि "मूवेबल वॉल्स।"
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सिर्फ प्रोडक्ट पिचिंग, सेल्स का अच्छा तरीका नहीं होता। बल्कि यहां तो आपने कोई पिचिंग की ही नहीं। सेल्स का अच्छा तरीका वही है जिसमें आपके ग्राहक को कुछ सिखाकर उसका नजरिया बदलना भी शामिल हो।
ग्राहक के अलावा अगर डिसीजन मेकिंग में कोई और भी शामिल हो तो उस पर भी ध्यान देना जरूरी है।
सॉल्यूशन सेलिंग में ग्राहक की इन्वॉल्वमेंट सेलिंग के बाकी तरीकों से कहीं ज्यादा होती है। चैलेंजर्स को ये काम अच्छी तरह आता है। उनको पता होता है कि ग्राहक तक अपनी बात कैसे रखनी है। जब आपके सामने सिर्फ एक ग्राहक हो तो काम फिर भी थोड़ा आसान होता है। पर जहां आपको एक ही वक्त में बहुत से लोगों के सामने अपनी बात रखनी हो तो मुश्किल आ सकती है। क्योंकि लोगों की राय अलग-अलग होगी। कोई आपकी बात से सहमत होगा और कोई इसके खिलाफ रहेगा। लेखकों को स्टडी में ये पता चला है कि डिसीजन मेकर्स (जैसे सीनियर लेवल के एम्प्लॉयीज जिनको डील क्लोज करने की अथॉरिटी होती है) वो डील फाइनल करते हुए ज्यादातर इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी टीम के दूसरे लोग भी इस डील का फेवर करते हैं या नहीं। जबकि टीम के लोगों का ध्यान इस बात पर रहता है कि उनको इस डील से ज्यादा से ज्यादा नॉलेज मिले। यानि आप बॉस को अपने प्रोडक्ट के फायदे गिनाने में समय बर्बाद करने की जगह टीम के लोगों पर फोकस कीजिए। उनको बताइए कि बॉस का हां कहना टीम के लिए कितना फायदेमंद है। यानि आपके लिए बाकी लोगों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। इसे अचीव करने के लिए आप ऐसा कन्वर्सेशन तैयार कीजिए जो इन लोगों को आसानी से समझ आ जाए। और साफ शब्दों में कहा जाए तो आप अपने प्रोडक्ट के माध्यम से ऐसा सॉल्यूशन ऑफर कीजिए जो सामने वाले की जरूरत, उसकी इंडस्ट्री और उसकी कंपनी को सबसे अच्छी तरह सूट करता हो। क्योंकि एक ही पिच सब लोगों पर एक सा असर नहीं डाल सकती। अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी बात पर खुश होकर हामी भरें तो ये सोचते हुए कदम बढ़ाइए कि उनको कौन सी चीज सबसे ज्यादा प्रभावित करती है? उनके लिए सबसे जरूरी क्या है? उनका फाइनेंशियल गोल क्या है और वो आगे चलकर क्या हासिल करना चाहते हैं?
जैसे एक CEO के लिए कॉस्ट सेविंग सबसे जरूरी हो सकती है। जबकि HR हेड के लिए ये बात मायने रखती है कि कंपनी के एम्प्लॉयी खुश होकर और पूरे मन से काम करें। भले ही डील CEO को फाइनल करनी हो फिर भी हो सकता है कि आपको HR को भी कन्विंस करने की जरूरत पड़े। इसलिए CEO वाली पिच HR को नहीं सुनाई जा सकती। उसके लिए वही पिच काम आएगी जो एम्प्लॉयी सेटिस्फेक्शन को टार्गेट करती हो। यानि अब आप मूवेबल वॉल्स के फंक्शन की तारीफों के पुल बांधकर अपना काम नहीं बना सकते। आप उसे ये कह सकते हैं कि छोटे समूहों में लोग अच्छी तरह मिलजुलकर काम कर सकते हैं। इन मूवेबल वॉल्स की मदद से बड़े कांफ्रेंस रूम को छोटा किया जा सकता है और कोलैबोरेशन बढ़ाया जा सकता है। यानि जब लोग मिलजुलकर काम करेंगे तो उनको तनाव कम होगा और वो खुश रहेंगे।
चैलेंजर हमेशा कंट्रोल अपने हाथ में रखता है। आप भी इस जिम्मेदारी से भागिए मत। एक चैलेंजर, सेल के दौरान शुरुआत से आखिर तक अपना कंट्रोल बनाए रखता है। यानि वो अपनी बात पर मजबूती से कायम रहता है और ग्राहक को इस बात का एहसास दिलाता है कि उसे दिया जा रहा सॉल्यूशन कितने काम का है। ये एटीट्यूड बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आम तौर पर सेल्सपर्सन, कन्वर्सेशन को कंट्रोल करने में हिचकिचाते हैं। सच तो ये है कि इनमें से ज्यादातर अपने ग्राहक को पैसे खर्च करने या डील फाइनल करने जैसी बातें बोलना पसंद नही करते हैं। आप सोचेंगे कि इस तरह की बात करते हुए झिझकना तो बड़ी कॉमन सी बात है। पर यही इसकी इकलौती वजह नहीं है। बेग्रुप इंटरनेशनल ने एक स्टडी की है। इसमें 75 परसेंट सेल्सपर्सन ने ये माना कि procurement departments यानि जो डिपार्टमेंट कंपनी के लिए प्रोडक्ट या सर्विस खरीदने का काम देखता है उसके पास मोलभाव करने की ज्यादा पावर होती है। पर मजे की बात ये है इसी डिपार्टमेंट के लोगों ने सेल्सपर्सन को ज्यादा पावरफुल माना।
अब जब आप ये बात जान चुके हैं तो आपके लिए शुरुआत से ही सेल्स पर अपना कंट्रोल बना लेना आसान हो जाएगा। इस बात का इंतजार मत कीजिए कि पैसों की बात तो बाद में हो जाएगी। इस पर भी बात करते रहें। आप ग्राहक से उसका इंट्रेस्ट पूछते रहें। यानि अगर आप इतना मन लगाकर अपनी बात रख रहे हैं तो सामने वाला भी उसका सही रिस्पांस दे। खास तौर से कोई सीनियर लेवल का स्टाफ। इस तरह के एक्शन से आपके ग्राहक के लिए किसी कॉम्पिटीटर से डील करने के चांस कम हो जाएंगे। वरना लोग अक्सर पहले से मन बना लेते हैं कि उनको क्या करना है। ऐसा होने पर आपको जूनियर लेवल के स्टाफ के साथ ही बिठा दिया जाएगा। जहां कंपनी का मकसद बस इतना ही होगा कि वो आपसे मार्केट की अपडेट ले सके न कि कुछ खरीदे। इसलिए ऐसे किसी मौके पर समय और पैसा बर्बाद करने से अच्छा होगा कि आप सीधा ये पूछ लें कि किसी बड़े अधिकारी से आपकी मुलाकात कब हो सकती है। अगर आपको कोई साफ जवाब न दे तो आप वो वक्त और रिसोर्स नया ग्राहक ढूंढने में लगाएं। अगर आपको लगता है कि ऐसा करने से आपका काम बिगड़ सकता है या इसके लिए तो बहुत हिम्मत चाहिए या नया क्लाइंट बनाना जादू से कम नहीं तो आगे के भाग में आप ये पढ़ेंगे कि कैसे सबसे शाइ सेल्सपर्सन को भी चैलेंजर बनाया जा सकता है।
अपनी पूरी सेल्स टीम के साथ नॉलेज और सॉल्यूशन शेयर करते रहिए ताकि आप सब सफलता के हकदार बनें।
एक सेल्स मैनेजर को ये ख्याल जरूर आएगा कि वो अपनी टीम के सेल्सपर्सन्स को चैलेंजर कैसे बना सकता है? कुछ लोग समय के साथ खुद ब खुद चैलेंजर बनने की तरफ आगे बढ़ जाते हैं और कुछ को ट्रेनिंग देनी पड़ती है। किसी ऑर्गनाइजेशन में सेल्सपर्सन्स को चैलेंजर मॉडल सिखाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। आइए तीन तरीकों की बात करते हैं। सबसे पहले ये तय कीजिए कि आपके सेल्सपर्सन्स के पास ग्राहकों, कंपनियों और इंडस्ट्री की ज्यादा से ज्यादा जानकारी हो। इस तरह टीचिंग कन्वर्सेशन सीखने में बहुत मदद मिलती है। आप उनको रेडीमेड सॉल्यूशन भी सिखा सकते हैं। आप बड़ी आसानी से एक "चीट शीट" बना सकते हैं जिसमें किसी खास इंडस्ट्री में अलग-अलग पोस्ट पर काम कर रहे लोगों के ऑब्जेक्टिव लिखे हों। इसके बारे में हमने ऊपर CEO और HR हेड के उदाहरण में पढ़ा था। इससे खास तौर पर उन युवा और कम अनुभवी लोगों को बहुत फायदा होगा जो शायद HR और CEO से बात करने के अलग-अलग तरीके पहले से नहीं समझते हों। इस तरह आप उनको चैलेंजर की सबसे बड़ी क्वालिटी यानि बातचीत पर कंट्रोल लेना सिखा सकते हैं। हो सकता है कुछ सेल्सपर्सन थोड़े पैसिव नेचर के हों। वो ग्राहक से अपनी बात मनवाने की जगह उसकी मर्जी के हिसाब से काम कर देते हैं ताकि बस किसी तरह डील क्लोज हो जाए। पर आप उनकी ये आदत बदल सकते हैं। जैसे आप उनको ये सिखा सकते हैं कि एक समय के बाद भी अगर कोई सीनियर ऑफिसर बातचीत में शामिल नहीं हो रहा हे तो वे किस तरह अपना रास्ता बदल सकते हैं। जितनी अच्छी तरह एक कंपनी अपने एम्प्लॉयी को चैलेंजर बनना सिखा सकती है दूसरा कोई नहीं सिखा सकता। क्योंकि इतने समय तक कंपनी के पास सेल्स के ढेरों अनुभव और डेटा इकट्ठे हो जाते हैं। इस खजाने की चाबियां आपके हाथ में है। इसलिए आप ये तय कर सकते हैं कि कौन सी चाबी कौन सा ताला खोलती है। यानि किस ग्राहक पर कौन सीअप्रोच काम करती है और कौन सी नहीं।
हो सकता है कि फर्नीचर बनाने वाली कंपनी के सेल्सपर्सन ने हमेशा टेक्नॉलॉजी स्टोर से ही डील की है। अब अगर उसे किसी बुटीक भेज दिया जाए तो वो कैसे मैनेज कर पाएगा? लेकिन कंपनी के पास तो सेल्स डेटा तैयार रहता है। बड़ी आसानी से इसे सेल्सपर्सन से शेयर किया जा सकता है। यानि इससे उसे बुटीक को अप्रोच करने का सही तरीका मिल जाएगा। दूसरे शब्दों में ये कह सकते हैं कि अगर आपके पास पहले से ही सारे जवाब हैं तो ये तय करें कि आपके सेल्सपर्सन्स को भी वो जवाब पता हों।
अगर आप अपनी कंपनी को चैलेंजर बनाना चाहते हैं तो अपने मैनेजर्स को साथ लेकर चलना होगा।
अब आपने एक नॉर्मल सेल्स टीम को चैलेंजर टीम में बदलने के बारे में काफी कुछ सीख लिया है। आखिर में आपके लिए बस यही सलाह है कि आपके मैनेजर्स को इन्वॉल्व करना जरूरी है। जब तक आपको इनका सहयोग नहीं मिलेगा आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। एक कंपनी के लीडर होने के नाते आप अपनी मनमर्जी से जितने चाहे उतने डिसीजन ले सकते हैं लेकिन उनको सही तरीके से इम्प्लीमेंट कर पाना आपके हाथ में नहीं होता। एक CEO या सेल्स हेड के लिए ये संभव नहीं होता कि वो हर एक सेल्सपर्सन पर ध्यान दे और उसे चैलेंजर बनना सिखाए। न ही वो हर सेल्सपर्सन के सेलिंग मेथड को मॉनीटर कर सकता है। यानि वो ये नही देख सकते के सेल्सपर्सन्स चैलेंजर मॉडल फॉलो कर रहे हैं या नहीं। लेकिन इस काम को मैनेजर्स बहुत अच्छी तरह कर सकते हैं। उनको ये जिम्मेदारी देनी भी चाहिए।
इसलिए जब तक आप अपने मैनेजर्स को चैलेंजर मॉडल के फायदे नहीं समझा सकते तब तक आप इसे अपनी कंपनी में इम्प्लीमेंट नहीं करवा पाएंगे। यानि वो जाने अनजाने आपकी कोशिशों को कमजोर भी कर सकते हैं। आप सेल्सपर्सन को सिखाने में चाहे जितना टाइम लगा दें आपको कोई फायदा नहीं होगा। मैनेजर को ये लग सकता है कि सेल्सपर्सन, ग्राहकों की डीटेल स्टडी करने में बहुत समय खराब कर रहे हैं।
ये तो तय है कि आपकी सफलता के लिए मैनेजर्स का सपोर्ट बहुत जरूरी है। लेकिन इन मैनेजर्स का चुनाव कैसे किया जाए जो चैलेंजर मॉडल को समझेंगे और इसे एक्सेप्ट करेंगे? अपनी कंपनी में ऐसे मैनेजर्स को ढूंढिए जो स्टाफ के साथ फ्रेंडली और भरोसेमंद हों साथ ही जिनको सेल्स की अच्छी समझ हो। इनको चैलेंजर मॉडल का अच्छा खासा अनुभव होना जरूरी नहीं है। ये मैनेजर्स ऐसे होने चाहिए जो चैलेंजर्स को सपोर्ट करें न कि उनके रास्ते में रुकावट बनें। और जब आपके पास ऐसे मैनेजर्स की टीम बन जाती है तो आप अपनी कंपनी के सेल्स प्लान में बदलाव कर सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बनाना शुरू कर सकते हैं।
कुल मिलाकर
आज की तारीख में सेलिंग का मतलब बस अपनी चीज बेचना नहीं रह गया है। आज हर ग्राहक की जरूरत को अलग नजरिये से देख और समझकर एक खास प्रोडक्ट या सर्विस तैयार करके उसे ऑफर किया जाता है। यानि उसे एक सॉल्यूशन दिया जाता है। इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप ग्राहक की इंडस्ट्री के बारे में पूरी और सही जानकारी रखें, डिसीजन मेकिंग में शामिल हर व्यक्ति के हिसाब से तैयारी करें और शुरुआत से आखिर तक बातचीत का कंट्रोल बनाए रखें। यानि एक चैलेंजर की तरह काम करें।
क्या करें
टीचिंग कन्वर्सेशन की तैयारी करते समय आपको अपने प्रोडक्ट की उन खास बातों पर फोकस करना चाहिए जिनको बाकी लोग ज्यादा नहीं समझते हैं न कि उन बातों पर जो उसे अट्रैक्टिव या फैंसी बनाती हैं। क्योंकि टिपिकल सेलिंग में यही बातें हाइलाइट की जाती हैं। जबकि चैलेंजर सेलिंग में आप कोई ऐसा यूनीक फीचर हाइलाइट करते हैं जिस पर लोगों का ध्यान कम जाता है। आपको ये पता लगाना है कि आपकी तरह आखिर बाकी लोगों तक ये बात क्यों नहीं पहुंच रही। खुद से सवाल करिए कि ऐसा कौन सा तरीका है जिससे आप ग्राहक को ये क्वालिटी दिखा और समझा सकते हैं।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे The Challenger Sale By Matthew Dixon and Brent Adamson.
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.
