The Carreer Playbook....... ____🎓📝

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The Career Playbook

James M. Citrin
करियर की तलाश कर रहे लोगों के लिए सलाह

दो लफ्जों में
साल 2015 में आई ये किताब अपनी फील्ड के दिग्गज लोगों के इंटरव्यू और हजारों युवा लोगों पर किए सर्वे पर आधारित है। ये आपको अपने लिए एक अच्छा करियर बनाने में मदद करती है। इसमें स्किल बनाने, नेटवर्क बढ़ाने और खुद को प्रेजेंट करने के ऐसे बढ़िया तरीके बताए गए हैं जिनकी मदद से आप बहुत जल्द अपनी मंजिल पा सकते हैं।

ये किताब किनको पढ़नी चाहिए
-जो लोग अपना करियर बनाने की तैयारी कर रहे हैं
-जो लोग कुछ नया सीखना चाहते हैं
-जो लोग जॉब मार्केट में दूसरों से अलग नजर आना चाहते हैं

लेखक के बारे में
जेम्स एक लीडरशिप, गवर्नेंस और प्रोफेशनल सक्सेस एक्सपर्ट हैं। वे दुनिया की जानी मानी एक्जीक्यूटिव सर्च फर्म, स्पेंसर स्टुअर्ट CEO प्रैक्टिस के चीफ भी हैं। अपनी नॉलेज की वजह से वो अब तक लगभग 5,000 बड़े इंटरव्यूज में नजर आ चुके हैं।

करियर ट्राएंगल के तीन बिंदुओं में संतुलन बनाकर अपने सपनों की तरफ आगे बढ़ें।
आपने हाल ही में कॉलेज खत्म किया है और काम शुरू करने के लिए तैयार हैं। आप एक ऐसी जॉब चाहते हैं जो आपके पैशन और करियर दोनों के लिहाज से बढ़िया हो और अच्छी सैलरी भी मिल जाए। फिर भी अक्सर आप जैसी नौकरी चाहते हैं वो नहीं मिल पाती। ये बात आपको निराश कर देती है। आज जो लोग अपको ऊंचे पदों पर दिखाई दे रहे हैं वो भी शुरुआत में इस दौर से गुजर चुके हैं। ये किताब आपको इसकी वजह बताएगी। आप सीखेंगे कि करियर की राह कैसी होती है और आप किस तरह इस राह पर समझदारी दिखाते हुए आगे बढ़ सकते हैं। ये कदम भले ही आज की तारीख में आपको बड़ी सफलता की तरह न लगे पर आने वाले कल में आपको बुलंदी पर पहुंचा देगा। इस समरी को पढ़कर आप जानेंगे कि जॉन एफ कैनेडी का जीवन आपके करियर से किस तरह जुड़ा हुआ है? आपको इंटरव्यू के दौरान कौन से शब्द कहने से बचना चाहिए और  जिस नौकरी के लिए जरूरी अनुभव आपके पास नहीं है उसे कैसे हासिल करें ?

तो चलिए शुरू करते हैं!

जॉब सेटिस्फेक्शन, अच्छी सैलरी और लाइफस्टाइल से मिलकर करियर ट्राएंगल बनता है। आप सबने उस खतरनाक बरमूडा ट्राएंगल के बारे में जरूर सुना होगा।  अटलांटिक में मीलों तक फैली ऐसी जगह जिसमें सदियों से न जाने कितने हवाई और पानी के जहाज गायब होते रहे हैं। करियर ट्राएंगल भले ही इतना खतरनाक न लगे पर इसको पार करना उतना ही मुश्किल है। क्योंकि अपने करियर के शुरुआती दौर में आपको इसके तीनों बिंदुओं में संतुलन बनाने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

अपने करियर के पहले कुछ सालों में आपको इतनी आजादी नहीं होगी कि आप मनचाही जॉब या सैलरी पर काम करें। इस दौरान आपको बस एक्सपीरियंस गेन करने और खुद को जॉब में टिकाए रखने पर ध्यान देना होता है। आपको वही काम करना पड़ता है जो आपके सामने आ रहा है न कि वो जो आप करना चाहते हैं। आसान भाषा में बोलें तो एक फ्रेशर के पास नेगोसिएशन की कोई खास पावर नहीं रहती। आपके ऊपर ये दबाव भी रहता है कि पहले कुछ सालों में पैसा जोड़ लिया जाए। सपने पूरे करने के लिए तो उम्र पड़ी है। जो सैलरी ज्यादा पैसे देगी उसमें कहीं न कहीं आपके सपने दब जाएंगे। इसलिए ये उम्मीद मत रखिए कि एकदम से आपको अपनी ड्रीम जॉब मिल सकती है। आपके सामने अच्छी सैलरी या फिर जॉब सेटिस्फेक्शन और  लाइफस्टाइल में से एक चुनने की नौबत आ ही जाती है। आपका दिल तो ये कहता है कि सब कुछ छोड़कर वो करें जो आपका जुनून है। लेकिन ये एक अच्छा कदम नहीं है। जाने माने करियर कोच मार्टी नेम्को ने साइकोलॉजी टुडे में इसके नुकसान बताए हैं। 

मार्टी ने लिखा है कि ज्यादातर लोगों के लिए ट्रैवल, मनोरंजन, फैशन या शिक्षा और पर्यावरण जैसे सामाजिक मुद्दे ही उनका पैशन होते हैं। इस वजह से इन जगहों पर जॉब मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। आखिर कॉम्पिटीशन जो बढ़ जाता है। ऊपर से एम्प्लॉयर, सैलरी भी मार्केट स्टैंडर्ड से कम देते हैं। क्योंकि उनको ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कम पैसों या फिर फ्री में भी काम कर सकते हैं। जैसे मान लीजिए आप फैशन इंडस्ट्री में जाना चाहते हैं तो वहां पहले ही इतने लोग हैं कि आपको एन्ट्री करने के लिए अपनी सर्विस की कीमत घटानी पड़ेगी। 

अच्छे नेटवर्क की मदद से आप एक अच्छी जॉब पा सकते हैं।

कुछ लोग बहुत ज्यादा स्किल्ड न होते हुए भी ऊंचे पदों पर पहुंच जाते हैं। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि उनका नेटवर्क मजबूत होता है। जेम्स ने एक सर्वे किया। इसमें आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि उनको अपने नेटवर्क की वजह से जॉब मिली है। या तो वो एम्प्लॉयर को जानते थे या उनके वहां काम करने वाले किसी एम्प्लॉयी को जिसने उनकी सिफारिश की। लेकिन जब आप नौकरी ढूंढ रहे हों तो सिर्फ अपनी जान पहचान वालों के भरोसे न बैठें। हो सकता है इनसे ज्यादा मदद न मिल पाए। ऐसे दोस्त जिनसे आप सालों से न मिले हों वो अक्सर उन दोस्तों से ज्यादा मददगार साबित होते हैं जिनसे आपकी मुलाकात होती रहती है। व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर एडम ग्रांट इनको कमजोर संबंध कहते हैं। आपके लिए अक्सर यही दोस्त फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये आपसे अलग सर्कल में उठते बैठते हैं। इसलिए इनके पास आपसे ज्यादा बड़ा और अलग तरह का नेटवर्क हो सकता है।

आप भी ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करके अपना नेटवर्क बड़ा करते जाएं। जब आप किसी की मदद करते हैं तो वो भी भविष्य में आपकी मदद करना पसंद करेंगे। जॉन एफ कैनेडी ने एक बार कहा था, "ये मत पूछिए कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है। ये पूछिए कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं।"आपके दोस्तों, कलीग और जान पहचान वालों पर भी ये बात खरी उतरती है। अगर आप अपने दोस्त को एक अच्छी नौकरी लगाने में मदद करते हैं तो वो भी आगे चलकर आपकी मदद कर पाएगा।

पर आपको उन लोगों को ढूंढना होगा जो दूसरों की मदद करने को तैयार हैं। वरना आपका नेटवर्क कुछ खास काम नहीं आने वाला। आप सुपर कनेक्टर्स पर ध्यान लगाइए। यानि ऐसे लोग जिन्होंने आपकी मदद बाकी लोगों से ज्यादा की है। एक कॉन्टेक्ट लिस्ट बनाकर देखिए कि आपकी उन सबसे मुलाकात कैसे हुई और इनमें से कितने हैं जो आपके काम आ सकते हैं। अगर वही एक नाम आपके सामने आता रहता है तो यकीनन आपको उससे जुड़े रहना चाहिए।

अपने करियर के दौरान हर व्यक्ति इन तीन चरणों से गुजरता है- एस्पिरेशन, प्रॉमिस और मोमेंटम।
जरा एक डॉक्टर और मेकेनिकल इंजीनियर के करियर के बारे में सोचकर देखिए। राहें तो अलग हैं पर दोनों ही एक तरह की परिस्थितियों से गुजरते हैं। यानि एस्पिरेशन, प्रॉमिस और मोमेंटम का फेज। पहला चरण आपके कॉलेज के दिनों में शुरू होता है और नौकरी के शुरुआती सालों तक जारी रहता है। ये खुद को जानने, समझने, अपनी ताकत और कमजोरियों का अंदाजा लगाने का दौर होता है। जॉब मार्केट में आपकी पहचान आपके पोटेंशियल से ही होती है। इस दौर में जितना हो सके अलग-अलग मौके आजमाते रहें। इससे आपको अपनी ताकत, कमजोरियों और रुचियों को समझने में मदद मिलेगी। आप खुद की मार्केटिंग करना सीखेंगे। जैसे एक मैकेनिकल इंजीनियर, तरह-तरह की इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप जॉइन कर सकता है। इससे ये समझने में आसानी होती है कि वो प्रोडक्ट डेवलपमेंट में ज्यादा रुचि लेता है या प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में टीम वर्क करने में। प्रॉमिस फेज की शुरुआत आपकी पहली या दूसरी नौकरी से होती है। इस स्टेज में आप अपना एक्सपीरियंस तो बढ़ाते ही रहेंगे पर किसी खास तरह की स्किल में महारत हासिल करने और ऑफिस में बड़ी भूमिका निभाने में भी जुट जाएंगे। यानि ऐसा मेकेनिकल इंजीनियर जो प्रोडक्ट डेवलपमेंट में रूचि रखता है वो किसी खास तरह के इंजन का एक्सपर्ट बन सकता है। इस तरह प्रॉमिस फेज का मतलब हुआ कि आप अपनी पूरी पोटेंशियल का इस्तेमाल करने लग जाएं। मोमेंटम फेज आपकी उम्र के तीसवें दशक से लेकर चालीस के दशक तक चलता है। इस फेज में आपने अब तक जो भी सीखा है और जितने कनेक्शन बनाए हैं उनकी मदद से आप काम के दौरान आने वाली मुसीबतों से निपटने में निखरते जाते हैं। आप अपनी कंपनी में एक महत्वपूर्ण जगह बना लेते हैं और एक साथ बहुत से सेक्टर संभाल पाते हैं। यानि ऐसा मेकेनिकल इंजीनियर जो गाड़ी के इंजन का एक्सपर्ट था अब हवाई जहाज के इंजन तक पहुंच जाता है।

अच्छी जगह पर इंटरव्यू देने का इंतजार करें और खुद को अच्छी तरह पेश करें।

एक बार जब आप ये समझ जाते हैं कि करियर ट्राएंगल क्या है तो अगला कदम होता है इसका बैलेंस बनाना। सबसे पहला कदम होना चाहिए अपनी फील्ड में खुद को नोटिसेबल बनाना। बहुत से लोग लिंक्डइन पर एक अच्छी प्रोफाइल बना लेते हैं। लेकिन वहां तो पहले से ढेरों लोग हैं जो आपसे ज्यादा एक्सपर्ट हैं। आप खुद को अलग कैसे दिखाएंगे? अपनी प्रोफाइल को बेहतर बनाने के लिए बहुत से टिप्स हैं। सबसे पहले याद रखिए कि आपके कनेक्शन की संख्या से आपका लेवल ऊंचा नहीं हो जाता। आमतौर पर उन लोगों से कनेक्ट होना सबसे अच्छा होता है जिन्हें आप व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। इस नियम को बस उन लोगों के लिए बदलिए जो खुद ऐसे लोगों से कनेक्टेड हैं जिनके नेटवर्क में आप शामिल होना चाहते हैं। लिंक्डइन की एक स्टडी में पाया गया कि 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने किसी दूसरे के माध्यम से अच्छे कनेक्शन बनाए।

आपने पहले किसी एम्प्लॉयी के साथ कनेक्ट किया और फिर उसके सर्कल से होकर हायरिंग मैनेजर तक पहुंचे। अब आप ये टार्गेट रखिए कि आपको अपनी स्किल उस तक पहुंचानी है। ताकि उस पर आपका अच्छा इम्प्रेशन जमे। आपको एक अच्छे रिज्यूमे की भी जरूरत है। इसे अपडेटेड रखें और इस तरह से बनाएं कि पढ़ने पर आंखों को भी अच्छा लगे। तरह-तरह के font या डिजाइन बनाकर कलाकारी करने की जरूरत नहीं है। वरना पढ़ने वाले का ध्यान रिज्यूमे को देखने पर होगा न कि पढ़ने पर। हां अगर आप क्रिएटिव या डिजाइनिंग फील्ड से ही जुड़े हों तो अलग बात है। एचआर हर रिज्यूमे पर इतना टाइम नहीं दे सकता। बहुत नपे तुले शब्दों में अपनी बात रखिए। कोई जानकारी देने के लिए दो या तीन बुलेट पॉइंट इस्तेमाल करें। आपने क्या अचीव किया है और क्या रोल निभाए हैं इनको खास तौर पर लिखें। जितना हो सके नंबरों के साथ जानकारी दें। इनसे लंबे वाक्यों के बिना आसानी से बात साफ हो जाती है।

पहली नौकरी ढूंढते हुए अपनी क्रेडिबिलिटी बनाएं और अपनी छिपी हुई स्किल बाहर लाएं।
जब आप अपनी पहली नौकरी की तलाश में होते हैं तो आपके सामने सबसे पहली रुकावट क्या आती है? ऐसी नौकरी का विज्ञापन जिसमें अनुभव मांगा गया हो। अब बिना नौकरी किए भला अनुभव कहां से आएगा? इसे permission paradox कहा गया है। इसे दूर करने के कई तरीकों में से एक है अपनी क्रेडिबिलिटी बनाना। कोई ऑनलाइन या ट्रेनिंग प्रोग्राम जॉइन कर लें। ताकि आप कोई स्किल सीख सकें। Coursera और Khan Academy जैसी वेबसाइटों पर बहुत सारे फ्री ऑनलाइन कोर्स मिल जाते हैं। इसके अलावा आप अपने खाली समय में कुछ वोकेशनल कोर्स भी कर सकते हैं। कई कॉलेज बिजनेस, फाइनेंस, हेल्थ या एविएशन जैसे बहुत से सेक्टरों में छह हफ्ते के समर कोर्स कराते हैं। कभी-कभी आपके पास पहले से क्रेडिबिलिटी होती है पर आपको उसका अंदाजा नहीं होता क्योंकि वो आपके हालिया नहीं बल्कि पिछले अनुभव होते हैं। इसलिए अगला तरीका है अपने वर्तमान अनुभवों का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना।

जेम्स ने एक फूड कंपनी में एंट्री लेवल जॉब पाने के लिए यही किया। उन्होंने भूगोल में बीए किया था। नौकरी के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का एक्सपीरियंस चाहिए था जो कि उनके पास नहीं था। पर उनको ये महसूस हुआ कि वो एक अलग तरह का एक्सपीरियंस रखते हैं। उन्होंने पहले कभी अपने दोस्तों के साथ पूर्वी यूरोप में तीन सप्ताह की ट्रेकिंग की प्लानिंग की थी। यानि उनको एक ग्रुप के साथ ट्रेवल मैनेजमेंट का अनुभव था। इस बात को जेम्स ने अपने कवर लेटर में लिखा। साथ में ये भी बताया कि उन्होंने किस तरह छोटे रूट और कम से कम किराए वाले तरीके ढूंढने पर स्टडी की। इस तरह वो ये दिखाने में कामयाब रहे कि उनके पास मैनेजमेंट का अनुभव है और उन्हें नौकरी मिल गई।

इंटरव्यू की पक्की तैयारी करके खुद को अच्छी तरह से पेश करें।

अगर आपको जॉब इंटरव्यू के बारे में सोचकर घबराहट होती है तो यकीन मानिए आप ऐसे अकेले इंसान नहीं हैं। हम में से ज्यादातर लोगों के लिए इंटरव्यू एक आफत ही है। पर अब चिंता भूल जाइए। इंटरव्यू के दौरान खुद को एक अच्छा कैंडीडेट बनाकर पेश करने का एक आसान तरीका है। पहले तो आप इंटरव्यू लेने वाले से बिल्कुल बराबरी वाले की तरह बात करें न कि उसके जूनियर की तरह। कुछ लोग अपने दोस्तों के साथ बहुत अच्छी तरह बातचीत कर लेते हैं पर इंटरव्यू में अटक जाते हैं। वे आई कॉन्टेक्ट न बनाने और पैरों को हिलाते रहने जैसी गलत बॉडी लैंग्वेज पकड़ लेते हैं। इसके अलावा "यू नो"या "मेरे कहने का मतलब है"जैसे फिलर्स का ज्यादा इस्तेमाल करने लग जाते हैं। आप किसी दोस्त के साथ मॉक इंटरव्यू की तैयारी करके इन कमियों को दूर कर सकते हैं। इस इंटरव्यू का वीडियो बनाकर अच्छी तरह देखें। क्या आपकी बॉडी लैंग्वेज आपके शब्दों से मेल खा रही है? क्या आप घबरा रहे हैं या इधर-उधर देख रहे हैं? आप दोस्तों के साथ जितनी ज्यादा तैयारी करेंगे असली इंटरव्यू के दौरान आप उतने ही आराम से जवाब दे पाएंगे।

सिर्फ सवालों के जवाब देते रहने की जगह अपने बारे में कोई घटना या किस्सा बताते रहें। कहानियां, सुनने वाले पर गहरा असर छोड़ जाती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इंटरव्यू ले रहे व्यक्ति की बात ध्यान से सुनी जाए और उसके बात पूरी करने के बाद सवाल के हिसाब से सटीक जवाब दिए जाएं। असल में ज्यादातर इंटरव्यू इसी सवाल जवाब के पैटर्न पर ही होते हैं। इसलिए इंटरव्यू भी किसी एग्जाम की तरह बन जाता है। जवाब तो आपको भी देने हैं पर उनको एक दूसरे के साथ कनेक्ट करते जाइए जिससे इंटरव्यू ले रहे व्यक्ति को समझ आता जाए कि आप कौन हैं, क्या हैं और और कंपनी के कितने काम आ सकते हैं।

अपने पहले इम्प्रेशन पर ध्यान दें।
मान लीजिए आप किसी से पहली बार मिल रहे हैं। आपने उसे एक जोक सुनाकर माहौल बनाने की कोशिश की मगर वो हँसा नहीं। अगली बार वो इंसान आपसे मिलने से बचेगा। यानि पहला इम्प्रेशन बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए जरूरी है कि आप सामने वाले से गर्मजोशी से मिलें और पॉजिटिव एटीट्यूड बनाए रखें। लोग समय के साथ ऊंची पोजीशन पर पहुंच जाते हैं पर उनको अपने शुरुआती दिन याद रहते हैं। जब वो आपमें अपने उसी दौर की झलक देखेंगे तो आपसे कनेक्टेड फील करेंगे। आप अच्छे मूड में होंगे तो आपके साथ काम कर रहे लोग भी आपके आस-पास रहना पसंद करेंगे। कुछ नया सीखने के रास्ते ढूंढना बंद मत करिए। जब भी आपको कोई नया काम या रोल मिले तो उसे कुछ सीखने का मौका समझें। इस तरह आप लोगों की नजरों में खुद को एक ऐसे इंसान के तौर पर सामने रखेंगे जो हमेशा इम्प्रूव और ग्रो करना चाहता है। आप अपने सुपरवाइजर की गुड बुक्स में आ जाएंगे।

इसके अलावा पहला इम्प्रेशन काफी हद तक आपकी बातचीत पर भी निर्भर करता है। इसलिए "like, umm"जैसे शब्दों से बचें। इससे सुनने वाला बोर होने लगता है और आपकी बातों को उतना महत्व नहीं देता। बातें खत्म करते हुए आवाज ऊंची न करें। इससे सामने वाले को लगता है कि आप अपनी बात को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं हैं। आपके हाव-भाव भी बहुत मायने रखते हैं। खड़े होते या बैठते समय कंधे और पीठ झुके न हों। बात करते हुए इधर-उधर न देखें। जेब में हाथ डालना और  बालों को संवारते रहने जैसी चीजें आपके खिलाफ चली जाती हैं। तो पहला इम्प्रेशन इतना अच्छा बनाएं जो आपको आगे ले जाने में मदद करे। 

हर बार स्टेप बाइ स्टेप चलना जरूरी नहीं है।

लोग CEO की पोस्ट तक कैसे पहुंचते हैं? ज्यादातर लोगों का सोचना है कि एक निचले पायदान से शुरुआत करके एक्सपीरियंस गेन करते हुए धीरे-धीरे किसी बड़ी पोस्ट पर पहुंचा जाता है। यानि एक सीधा रास्ता। पर हकीकत में ये रास्ता पूरी तरह सीधा भी नहीं है। सफल होने वाले ज्यादातर लोग थोड़ी बहुत पैंतरेबाजी भी कर लेते हैं। कभी दो-तीन सीढ़ियां एक साथ चढ़ लीं तो कभी लिफ्ट का इस्तेमाल कर लिया। यानि अगर आप एचआर डिपार्टमेंट में जूनियर मैनेजर लेवल पर हैं तो सीनियर पोस्ट पर जाने की जगह फाइनेंस में जूनियर मैनेजर बनना ज्यादा अच्छा रहेगा। क्योंकि इस तरह आपको ज्यादा स्किल और एक्सपीरियंस मिलेगा। ये बात आपको हायर लेवल की नौकरी में सबसे अलग बनाती है।

जरूरी नहीं कि आप एक ही कंपनी में ये काम करें। आप कंपनी बदल भी सकते हैं। आप शायद ये मानते हों कि एक बड़ी फर्म से निकलकर स्टार्ट अप में काम करना खुद को नीचे लेवल पर ले जाना है पर इस कदम से आपको सीखने के बहुत से मौके मिल सकते हैं। आपको सैलरी भले ही कम मिले पर करियर में फायदा जरूर मिल सकता है। आपको अगली कोई नौकरी ढूंढते समय सामने वाले को ये बात अच्छी तरह समझाना भी जरूरी है कि आपने ऐसे कदम क्यूं उठाए। वरना लोग आपकी सोच को पूरी तरह समझ नहीं पाएंगे और आपको महत्व नहीं देंगे। एक ही फील्ड में न अटके रहें। अलग-अलग स्किल डेवलप करें पर ये ध्यान रखते हुए कि आप जो भी कर रहे हैं वो आपके करियर से तालमेल बिठाता हो।

कुल मिलाकर
एक अच्छा करियर बनाने के लिए किसी बहुत बड़े कॉलेज से पढ़ना जरूरी नहीं है। अगर आप कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखें तो भी बहुत आगे जा सकते हैं। मेहनत से काम कीजिए और अपना नेटवर्क मजबूत कीजिए। अपनी स्किल्स की अच्छी तरह मार्केटिंग कीजिए और इस बात का हमेशा ख्याल रखिए कि आपका पहला इम्प्रेशन बहुत अच्छा बने।

 

क्या करें

अपने नेटवर्क का सही इस्तेमाल करें। अगर आप किसी से पहली बार मिलते हैं और वो इस पोजीशन पर है कि आपकी मदद कर सकता है तो उसके साथ कनेक्टेड रहें। उनसे मुलाकात खत्म होने पर ईमेल भेजकर धन्यवाद कहें। अपनी तरफ से कोई ढील न बरतें। भले ही सामने वाला तुरंत आपको जवाब न दे पाए लेकिन उसे आपकी कोशिश प्रभावित कर सकती है।

 

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