Gay Hendricks
डर को पीछे छोड़िये, जिंदगी खुली बाहों से आपका स्वागत कर रही है
दो लफ्जों में
साल 2009 में रिलीज हुई किताब “The Big Leap” इंसान के अंदर छुपे हुए डर को लेकर है. ये किताब बताती है कि कैसे आप अपने अंदर के डर का सामना कर सकते हैं.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसे लोग जो अपनी जिंदगी में संघर्ष कर रहे हों
- साइकोलॉजी के स्टूडेंट्स
- ऐसे लोग जिन्हें लाइफ में काफी कुछ हासिल करना हो
लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक ‘Gay Hendricks’हैं. लेखन के साथ ही साथ “Gay Hendricks”एक जाने माने साइकोलॉजिस्ट भी हैं.
हैप्पीनेस का रास्ता आखिर कहाँ से गुज़रता है?
अगर आपको भी सुकून पसंद जिंदगी पसंद है. अगर आपको भी अपने दिमाग में ज्यादा बोझ रखकर जीना अच्छा नहीं लगता है. तो फिर ये किताब आपके लिए ही है. ये किताब बताती है कि कैसे इंसान अपनी जिंदगी खुद ही कठिन बनाता है. फिर एक ऐसा समय आ जाता है. जब उसकी जिंदगी किसी बड़ी मुश्किल में फंस जाती है.
वो मुश्किल होती है साइकोलॉजिकल प्रेशर की, जिसके कारण कई तरह की बीमारियों से भी उसे रूबरू होना पड़ता है.
अगर आपको भी जानना है कि आखिर इंसानी दिमाग काम कैसे करता है? कैसे इंसान खुद ही डिप्रेशन को बुला लेता है?
इन सबके अलावा अगर आपको खुशियों के दरवाज़े की चाभी के बारे में भी जानना हो तो ये किताब आपको ज़रूर पढ़नी चाहिए.
आज हम सिर्फ आज के दौर की नहीं बल्कि पुराने दौर की जिंदगी की भी बात करेंगे. किसी भी समय की लाइफ को आप देख लीजिये. वो कभी भी आपको आसान नहीं मिलेगी. अगर कोई बोले कि जिंदगी आसान है तो फिर कुछ सवाल उससे आप ज़रूर पूछ लीजियेगा.
लेकिन सबसे पहले कुछ सवाल आप खुद से पूछिए क्या आप हैप्पीनेस के लिए तैयार हैं? क्या आपका कभी पूरा दिन बिना किसी कम्प्लेन के बीता है?
इस बात को जितनी जल्दी आप समझ लेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा होगा. वो बात ये है कि हर इंसान कि अपनी एक अलग इनर हैप्पीनेस है. देर बस इस बात की है कि वो उस हैप्पीनेस तक का सफर कितने दिनों में पूरा करता है?
आज के समय में लोग शांति में रहने के बजाए एक दौड़ में शामिल हो चुके हैं. ये दौड़ है हैप्पीनेस की, एक ऐसी दौड़ जिसकी मंजिल ही किसी को नहीं पता है.
बचपन से ही हम पढ़ाई लिखाई करने लगते हैं. इसके लिए हम स्कूल भी जाते हैं. जहाँ पर हमें बहुत सी चीज़ें सिखाई जाती हैं. लेकिन ऐसी एक भी स्कूल नहीं है. जहाँ ये बताया जाता हो कि सक्सेस और हैप्पीनेस से डील कैसे करना है?
अब यहाँ एक सवाल और उठता है कि आप हैप्पीनेस को आने से क्यों रोकते हैं? इसका जवाब है ‘डर’. किस बात का डर? डर इस बात का है कि अगर आप हैप्पीनेस को रोकेंगे नहीं तो आपको फुल पोटेंशिअल से काम करना ही पड़ेगा. जब आप पूरी शक्ति से काम करेंगे तो फिर आपके पास कोई बहाना ही नहीं बचेगा कि आप अपने सपनो को पूरा क्यों नहीं कर रहे हैं.
इसका मतलब साफ़ है कि अगर आपको रियल हैप्पीनेस चाहिए तो फिर आपको इस डर से पीछे हटना ही पड़ेगा.
अब आखिर ऐसा कौन सा तरीका है? जिसकी मदद से आप डर को हराकर रिस्क लेना सीख सकते हैं.
इस चीज़ के लिए एक टेकनिक आपकी पूरी मदद कर सकती है. उस टेकनिक का नाम है ‘डीप ब्रीदिंग’.
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि उनकी किस्मत में बस थोड़ी सी ही खुशियाँ लिखी हुई हैं
ऐसे कई सपने होंगे जिन्हें आपने पीछे छोड़ दिया है. उन्हें आपने पीछे क्यों छोड़ा है? इसका कारण है कि आप सोचते हैं कि उन सपनो को हासिल करना नामुमकिन है. इस सोच को अपर लिमिट माइंड सेट कहते हैं. अब आपके सामने अगली कठिनाई यही है. इस से आपको बाहर आना है.
अब आप सोचते होंगे कि ये अपर लिमिट माइंडसेट होता क्या है? आपको बता दें कि ये माइंड सेट आपको बताता रहता है कि आप सिर्फ थोड़ी सी खुशियों के लिए ही बने हुए हैं. जब आपके पास इस तरह का माइंड सेट होता है. तो फिर भले ही आप कितनी भी सक्सेस अचीव कर लें. लेकिन आप कभी खुश नहीं रह सकते हैं. उसमे आपकी गलती से ज्यादा दोष आपके माइंड सेट का होता है. काफी ज्यादा सक्सेस पा लेने के बाद भी जब आप खुश नहीं होते हैं. तो फिर आपको चीज़ों को नार्मल करने के लिए फिर से कई सारा ड्रामा क्रिएट करना पड़ता है.
उन्ही ड्रामा के कारण आपकी जिंदगी में उथल पुथल मची रहती है.
एक बात ध्यान देने वाली बात होती है. वो ये है कि अपर लिमिट माइंड सेट तभी प्रॉब्लम क्रिएट करता है. जब आपकी लाइफ के किसी हिस्से में खुशि आती हैं. उदाहरण के लिए लेखिका बताती हैं कि अगर आपकी लव लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. तब आपके दिमाग में आपकी फाइनेंसियल लाइफ को लेकर टेंशन होने लगेगी. अगर आपकी फाइनेंशियल लाइफ बहुत बढ़िया चल रही है. तो फिर आपकी लव लाइफ को लेकर प्रॉब्लम क्रिएट होने लगेंगी.
कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि ये सब प्रॉब्लम हाइपोथेटीकल होती हैं. इसका मतलब साफ़ है कि अपर लिमिट माइंड सेट आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है. इस दिक्कत को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.
अगर ऐसा आपके साथ भी होता हो तो सबसे पहले खुद के दिमाग की साइकोलॉजी को समझने की कोशिश करिए. लाइफ में घबराने से कुछ भी हासिल नहीं होता है. ऐसे कई सारे केस आये हैं. जिन लोगों ने खुद को इस दिक्कत से मुक्ति दिलवाई है.
आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में इंसान जिंदगी जीने से ज्यादा बेकार की दिक्कतों को ढ़ोने में लगा हुआ है. कई लोग तो ऐसी-ऐसी दिक्कतों से परेशान रहते हैं. जो असल में कोई दिक्कत ही नहीं है.
आज के समय में हमारे चारों तरफ कई तरह के डिस्ट्रेकशन हैं. तब ये बेहद ज़रूरी हो जाता है कि हम अपने लक्ष्य की तरफ सावधानी से बढ़ें. सावधानी उतनी ही होनी चाहिए. जितनी ज़रूरत है. अब इसका पता कौन लगाएगा कि हमें कितनी सावधानी की ज़रूरत है?
इस बात को हम छोटे से उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. वो ये है कि अगर आप अपनी कार भी चला रहें हैं. तो आपको सड़क की तरफ ध्यान से देखना पड़ता है. अगर आपकी नजर सडक की तरफ नहीं रहेगी तो एक्सीडेंट तो हो ही जायेगा. तो फिर ये तो आपकी जिंदगी की गाड़ी है. अपनी गाड़ी के ड्राईवर भी बनिए और उसका लाइसेंस भी रखिये.
जब कभी आप सक्सेस की तरफ बढ़ रहे हों, और अपर लिमिट की वजह से चिंता होने लगे. तो सबसे पहले खुद से सवाल करते हुए उस चिंता की वजह की तरफ देखने की कोशिश करिए.
फिर पूछिए खुद से, कि क्या ये दिक्कत इतनी बड़ी है कि हम इसके बारे में सोचते रहें? अगर आज ये दिक्कत हमें बड़ी लग रही हैं. तो कुछ महीनों बाद ये कैसी लगेगी? याद रखिये कि बड़े से बड़े इमोशनल ब्रेक डाउन के ऊपर कुछ महीनो बाद इंसान हंसता ही है.
तो फिर सिम्पल सी बात है कि कल अगर हंसना ही है. तो फिर इसकी शुरुआत आज से ही कर देते हैं.
जब आप अपनी चिंताओं से सवाल करने की शुरुआत कर देंगे तो आपको पता चलेगा कि उनमे से रियल प्रॉब्लम क्या है? असल समस्या आखिर है क्या?
इन सबका एक मिलियन डॉलर जवाब ये भी है कि अपनी छोटी सी छोटी दिक्कत का समाधान आज ही करिए. अगर आज आपने इसे हल नहीं किया तो भले ही आप कितने भी सक्सेसफुल हो जाएँ. वो दिक्कत वहीँ नासूर बन जाती है. किसी भी छोटी से प्रॉब्लम को बड़ा होने से पहले की अपनी जिंदगी से निकालकर बाहर फेंक दीजिये.
आज ही पहचानिए कि क्या करने में आपको सबसे ज्यादा मजा आता है
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिरी बार आप बहुत ज्यादा खुश कब हुए थे? कब आपने ऐसा कुछ किया था. जिसके लिए आप बने हो. थोड़ा सा खुद को इस कॉर्पोरेट कल्चर से अलग करने की कोशिश करिए. खुद को समय दीजिये और सवाल करिए कि क्या आपको खुद के लिए समय निकालने की ज़रूरत नहीं है?
बचपन से कोई तो ऐसी चीज़ होगी जिसे आपको बड़े होकर करना ही होगा? आखिर कहाँ खो गया वो सपना? और क्यों खो गया वो सपना? क्या उस सपने का मर जाना ज़रूरी था?
याद रखियेगा कि महान लेखक पाश ने लिखा है कि “सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना”
अब समय आ गया है कि आप अपने उसी सपने को फिर से याद करें. उस सपने की तरफ बढ़ने के लिए पहला कदम उठाइए. ज़रूरी नहीं है कि उस सपने से आपको कुछ पैसे ही मिलेंगे. लेकिन एक चीज़ ज़रूर मिलेगी. वो है हैप्पीनेस.
आखिर रोज़ ऑफिस का चक्कर आप क्यों लगाते हैं? पैसों के अलावा अगर आप कुछ ढूंढ रहे हैं. तो वो है हैप्पीनेस.
एक बार अगर आपने पता लगा लिया कि क्या करने में आपको सबसे ज्यादा मजा आता है. तो विश्वास रखिये कि आप अपने काम में एक दम डूब जायेंगे. इसके लिए आपको खुद का एक जीनियस ज़ोन बनाना पड़ेगा. इस ज़ोन में आपके अलावा किसी और की एंट्री नहीं होगी. यहाँ वही होगा.जिससे आपको ख़ुशी मिलती है.
लेखिका सलाह देती हैं कि भले ही आप कोई ऐसा काम कर रहे हो जिससे आपको ख़ुशी तो नहीं लेकिन पैसे मिलते हैं. एक बार उस काम की तलाश करके देखिये. जिससे आपको ख़ुशी मिलती है. हो सकता है कि उस काम से शुरुआत में आपको कुछ कम आमदनी हो. लेकिन जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेगे. आपको पता चलेगा कि आपका काम ही आपकी हैप्पीनेस का दरवाज़ा है.
खुशियों के दरवाज़े को सभी ढूंढते रहते हैं. लेकिन कोई भी अपने काम की ज़मीन को नहीं देखता हैं. कोई भी खुद को सवालों के बीच में खड़ा नहीं करना चाहता है. लेकिन अगर आपको उस दरवाजे की कुंजी चाहिए तो सवालों से तो गुज़रना ही पड़ेगा.
इसलिए हमेशा कहा गया है कि बड़ी सावधानी के साथ अपने काम का चुनाव करना चाहिए. जब तक आप सही काम की तलाश नहीं कर लेते तब तक आप खुशियों के नज़दीक भी नहीं पहुँच पाएंगे.
जब आप अपने ज़ोन ऑफ़ सक्सेस की तलाश कर लेंगे तो फिर आपकी गाड़ी सही रास्ते में चलने लगेगी. अब वहां पर मैटर ये करता है कि आप अपनी गाड़ी को कितनी देर तक सही रास्ते में लेकर चल सकते हैं?
हमेशा कोशिश करिए कि अपने फोकस और एनर्जी को खुद की आत्मा से और कर्म से कनेक्ट करके रखें. मेडिटेशन करते रहें और खुद को ये याद दिलाते रहें कि हैप्पीनेस का रास्ता सही कर्म से होकर ही गुज़रता है.
क्या आप जानते हैं कि आपका काम आपके लिए क्यों ज़रूरी है? भले ही आप इसका सटीक उत्तर जानते हों, या फिर आपने कभी इसके बारे में ना सोचा हो, लेकिन जो भी आपका जवाब होगा वही बतायेगा कि आपका काम आपके लिए कितना ज़रूरी है.
आम तौर पर देखा गया है कि लोग अपने काम को तीन पहलु से देखते हैं. पहला- कई सारे लोग तो काम बस इसलिए करते हैं कि उन्हें पैसा मिल सके, उन पैसों से वो अपने बिल्स का भुगतान करते हैं. मतलब, वो काम को सिर्फ एक जॉब की तरह मानते हैं.
दूसरे नंबर में उस तरह के लोग आते हैं जो अपने काम को करियर की तरह लेते हैं. उनका उद्देश्य ये होता है कि काम में प्रोग्रेस होना चाहिए. अधिकतर देखा गया है कि करियर माइंडेड लोग प्रमोशन के लिए काम करते हैं.
तीसरे तरह के लोग थोड़े अलग दिमाग के होते हैं. वो काम को ख़ुशी से जोड़ते हैं और देखते हैं कि उनके काम से सोसाइटी में क्या पॉजिटिव चेंज आ रहा है.
अब आते हैं मेन मुद्दे पर, आपने भी अपने चारों तरफ बहुत से ऐसे लोगों को देखा होगा जो इन कैटेगरी में फिट होते हैं. लेकिन क्या आपने ओब्सर्व किया कि इनमे से आप किस कैटेगरी में फिट होते हैं? खैर इस सवाल का जवाब तो आपको मिल ही जाएगा.
समय का सही इस्तेमाल करना सीखिए और कम्प्लेन करना बंद कर दीजिये
अब हम एक रिसर्च को भी समझ लेते हैं. अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट ने एक रिसर्च की, इस रिसर्च में उन्होंने ये जानने की कोशिश की किस तरह के लोग ख़ुशी के ज्यादा नज़दीक हैं. इस अध्ययन में उन्होंने कई काम काजी लोगों से बात भी की, रिजल्ट में ये निकलकर सामने आया कि जिन लोगों के काम से दूसरों की जिंदगी में पॉजिटिव बदलाव आ रहे हैं. वो लोग अपने काम से ज्यादा खुश भी हैं. ऐसे लोगों को जिंदगी की समझ भी बेहतर है.
आपको पता ही है कि बीसवीं सदी की शुरुआत में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने रीलेटीविटी के सिद्धांत के साथ इतिहास बनाया था. जिसमें बताया गया था कि समय और स्थान एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं? ठीक है, आप सभी को जानने की जरूरत है. आइंस्टीन के कानूनों का विवरण ताकि समय का आप अपने हिसाब से यूज कर सकें.
ये बात बिल्कुल सही है कि आपको सबसे पहले समय के ऊपर कंट्रोल करना चाहिए. इसकी शुरुआत तभी हो सकती है. जब आप उसकी ज़िम्मेदारी को अपने ऊपर लेने की शुरुआत करें.
अब आप याद करिए उस सलाह को, जिसे चिंता और डर के ऊपर आपको दी गयी थी. उस सलाह के हिसाब से उस चिंता को छोड़ देना ही बेहतर है. जिसको लेकर आप कुछ कर नहीं सकते हैं. लाइफ कई बार ऐसी सिचुएशन आती है कि चीज़ें हमारे हांथो में नहीं होती हैं. जैसे कि किसी करीबी का इस दुनिया को अलविदा कह देना. तब हमें समझना चाहिए कि इस दुःख को अपने ऊपर लेने से कोई फायदा नहीं है.
ऐसा इस अध्याय में इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जन्म लेना और मृत्यु किसी के हाँथ में नहीं होती है. इसी के साथ अगर आपके पार्टनर ने आपको छोड़ दिया है और किसी और के साथ आगे बढ़ गया हैं. तो आपको उसके पीछे नहीं जाना चाहिए. इसी के साथ ही साथ उसके लिए आपको रोना भी नहीं चाहिए.
इसके पीछे का तर्क ये है कि संबंध दो लोगों की मर्जी से बनाये और निभाये जाते हैं. लेकिन जब सामने वाले को आपके साथ रहना ही नहीं था. तो अब उसका दुःख मनाने से कुछ होने वाला नहीं है. ये सब चीज़ें हमारे हांथों में नहीं होती हैं. इसलिए ऐसी चिंता को हमें छोड़ देना चाहिए.
अगर आप फैसला करते हैं कि आप दुःख को पकड़े रहेंगे. तो उससे क्या होगा? होगा ये कि आप अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटेंगे? जब आप अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटेंगे तो आपकी जिंदगी में बहुत सारी दिक्कतों की शुरुआत हो जायेगी.
अपने समय के ऊपर कंट्रोल करने का एक तरीका और भी है. ये तरीका है. कम्प्लेन बॉक्स को बंद कर दीजिये. मतलब साफ़ है कि सोचिये कि आप दिन भर में कितनी बातों से नाराज़ होते हैं? या फिर कम्प्लेन करते रहते हैं?
पहला काम यही करिए कि कम्प्लेन करना बंद कर दीजिये. जब आप ये कर देंगे तो आपका ध्यान आपके समय के ऊपर जायेगा.
अपनी जिंदगी में एक कला को और सीख लीजिये. ये कला है समय की बचत करना. इंसान अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा खराब समय को ही करता है. आपको पता होना चाहिए कि आपका समय बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए सबसे पहले इसे बर्बाद करना बंद कर दीजिये. जिस दिन आप इस कला को समझ जायेंगे. जीवन के रस को भी समझ लेंगे.
खुशियों का असली रास्ता तो समय से ही होकर गुज़रता है. इसलिए हमेशा उस रास्ते को याद रखिये. कभी भी उसे बर्बाद मत करिए.
जब कभी आप किसी रिश्ते में होते हैं. तो आप खुद को बहुत खास समझने लगते हैं. किसी के लिए आप बहुत अच्छे हो जाते हैं. उस समय आपको समय भी बड़ा सच्चा लगने लगता है. लेकिन कई लोगों को इन सब चीज़ों की कद्र धीरे-धीरे खत्म हो जाती है. वो बाहर की चीज़ों को अपने रिश्ते में लाने लगते हैं. ये सब करने से सिचुएशन इतनी खराब हो जाती है कि उनका रिश्ता ही खत्म होने की कगार में पहुँच जाता है.
एक खुशहाल जीवन के लिए जिम्मेदारियां और रिश्ते दोनों ही बहुत ज़रूरी हैं. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि अपनी जिम्मेदारियों को अलग रखिये और रिश्ते को अलग.
भले ही आप अपने करियर में कितने भी सक्सेसफुल क्यों ना होंगे? लेकिन रिलेशनशिप की ज़िम्मेदारी अलग ही होती है. सबसे पहले याद रखिये कि अच्छी रिलेशनशिप बड़े किस्मत वालों को मिलती है. अगर आप उतने किस्मती हैं तो फिर उसकी कद्र करिए.
अगर आज आप कद्र नहीं करेंगे तो कल आपको ही इसका खामियाज़ा उठाना पड़ेगा.
अगर आप भी अपने रिश्ते में दर्द का एहसास कर रहें हैं. तो जल्द से जल्द उस दर्द का ईलाज करिए. इसका एक आसान और सटीक तरीका ये भी है कि अपने रिश्ते के बीच में कभी भी किसी तीसरे को ना आने दें. अगर आप ऐसा करने में कामयाब हो गये तो फिर आधी दिक्कत तो आपकी खत्म हो ही जायेगी.
एक रिश्ते की शुरुआत किसी बीज की तरह होती है. इसका ध्यान रखना पड़ता है. जितना आप इसका ध्यान रखेंगे. उतना ही अच्छा फल आपको मिलेगा. जिस प्रकार पेड़ के बीज को अगर पानी ना मिले तो वो सूख जाता है. उसी प्रकार अगर आप अपने रिश्ते को सही से कैरी नहीं करेंगे तो वो भी मुर्झा सा जायेगा.
दोनों पार्टनर्स को ये समझना चाहिए कि वो एक इंडिविजुअल भी हैं. उनकी खुद के प्रति भी एक ज़िम्मेदारी है. इसलिए किसी भी बहस या लड़ाई को एक दूसरे के ऊपर डालने की कोशिश ना करें. एक-दूसरे के ऊपर इल्जाम लगाने से कुछ भी नहीं मिलेगा. बस आपका रिश्ता ही खराब हो जायेगा. इसलिए एक दूसरे के ऊपर अटूट भरोसा रखिये.
कुल मिलाकर
कई लोग अपना पूरा जीवन यही सोचने में गुज़ार देते हैं कि वो बस इतनी ही ख़ुशी के हकदार थे. लेकिन ये बिल्कुल गलत है. याद रखिये जिंदगी के पास कोई तराजू नहीं है कि वो आपकी ख़ुशी तय करके बैठी है. उसके पास असीमित ख़ुशी है. ये आपके ऊपर है कि आप कितनी खुशियाँ अपने झोली में डालते हैं. झोली बड़ी करने की कोशिश करिए. खुशियाँ भी बड़ी हो जायेंगी.
ऐसे लोगों से दूरी बना लीजिये जो आपकी ख़ुशी के बीच में आ रहे हैं. सक्सेस की तरफ बढ़ने के लिए एक रोड मैप बनाइए. उसी रोड मैप में चलने की कोशिश करिए. ध्यान और योग को अपना साथी बनाइए. अपने परिवार और जिम्मेदारियों का ख्याल रखने की कोशिश करिए. आगे बढिए, सामने देखिये और खुशियों का खुली बाहों से स्वागत करिए.
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