Julia Cameron
क्रिएटिविटी को बढाने का एक आसान तरीका
दो लफ़्ज़ों में
हर किसी के अन्दर कोई न कोई कला जरुर छुपी होती है, आप में से कोई भी एक अच्छा आर्टिस्ट बन सकता है. यहाँ, सवाल ये उठता है कि फिर हम बन क्यूँ नहीं पाते. कभी हमारा सेल्फ- डाउट, कभी आस-पास के लोग तो कभी हमारा पास्ट हमारे सामने आकर हमें क्रिएटिविटी से दूर ले जाता है. 1994 में आई ‘द आर्टिस्ट्स वे’ नाम की ये किताब क्रिएटिविटी से जुड़े आपके सारे सवालों के जवाब देगी और अपके अन्दर छुपे कलाकार को बाहर लाने में आपकी मदद करेगी.
ये किताब किसके लिए है?
- एक आर्टिस्ट या क्रिएटिव व्यक्ति के लिए.
- उन लोगों के लिए जिन्हें अपने क्रिएटिव सपनों को पूरा करने का मौका नहीं मिल सका.
- जो लोग अपने अन्दर छुपे क्रिएटिव पहलु को बाहर लाना चाहते हैं.
लेखक के बारे में
लेखिका जूलिया कैमरन एक कवि, ड्रामा राइटर, फिक्शन राइटर और अवार्ड विनिंग जर्नलिस्ट हैं. वह बेस्ट सेलिंग किताब द वीन ऑफ गोल्ड की लेखिका भी हैं.अपने
क्रिएटिव साइड से कनेक्ट होने के लिए नयी चीज़ें एक्स्प्लोर करना और लिखना शुरू करें.
याद हैं बचपन के वो दिन जब हम घंटों तक गुनगुनाया करते थे या कभी कागज पकड़ उस पर अपनी सारी कल्पनाएँ उतारने की कोशिश किया करते थे? वो रात में तारों में किसी की तस्वीर को ढूँढना, ऐसा लगता है सब कहीं खो सा गया है. आज हमारी ज़िन्दगी दुनिया की भाग दौड़ और बोरिंग से ऑफिस की चार दिवारी में कैद होकर रह गयी है . हमारे अन्दर का वो कलाकार बाहर आने को तड़प रहा है लेकिन हम फाइलों के ढेर तले दबे हुए हैं.
हो सकता है आपमें से कुछ भाग्यशाली लोगों को अपने आर्ट को ही अपना प्रोफेशन बनाने का मौका तो मिल गया हो लेकिन कम्पटीशन और क्रिएटिव ब्लाक जैसी समस्याओं के कारण आप अभी तक अपना मास्टर पीस नहीं बना पाएं हों. चाहे जिसनें भी आपके अन्दर छुपे कलाकार को बांध रखा हो इस किताब के अध्याय उसे आजाद कर आपको आपके क्रिएटिव पहलु से मिलवायेंगे और उसे निखारने के तरीके सिखायेंगे.
इस समरी में दिए गए सुझाव एक 12-वीक प्रोग्राम पर आधारित हैं. अगर आप इन सुझावों को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाने की सोच रहे हैं तो एक हफ्ते में एक सुझाव पर काम करें.
अगर आप अपनी क्रिएटिविटी को फिर से जगाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप लिखना शुरू करें. आपको कोई बहुत लम्बी-चौड़ी कथा लिखने की कोई जरुरत नहीं आप बस सुबह उठ कर अपनी सुबह के बारे में ही कुछ लाइन्स लिख सकते हैं. सुबह के वक़्त लिखने से उठते ही आपके दिमाग में क्रिएटिविटी का फ्लो शुरू हो जायेगा. आपको कुछ बहुत ब्रिलियंट और एकदम सटीक लिखने की जरुरत नहीं है. बस खुद को सुबह की ठंडी धुप को महसूस करते हुए खो जाने दें और जो आपके मन में आये उसे कागज पर उतार दें. कुछ देर के लिए अपने दिमाग के लॉजिकल हिस्से को बंद कर अपने क्रिएटिव हिस्से को उसपर हावी होने दें.
बहुत कोशिशों के बाद भी अगर आप कुछ न लिख पाएं तो, ना लिख पाने के कारणों के बारे में हीं लिख दें. आपको किसी खास भाषा या सही ग्रामर की परवाह करने की कोई जरुरत नहीं. गलतियों की चिंता ना करें और खुद के ऊपर कुछ बहुत बेहतरीन लिखने का प्रेशर ना डालें. यही एक सही आर्टिस्ट की पहचान है.
कभी-कभी आप अपने आर्टिस्टिक पहलु के साथ डेट पर भी जा सकते हैं, जहाँ आप दोनों के बीच कोई न आये और दोनों घंटों चीज़ों को निहारते रहे. हर हफ्ते कम से कम कुछ घंटे अपने अन्दर के आर्टिस्ट के लिए जरुर निकलें. आप चाहें तो किसी बीच पर लहरों की आवाज़ सुन सकते हैं या अकेले कोई पुरानी फिल्म देख सकते हैं, या बस यूँ हीं एक लम्बी वाल्क पर जा सकते हैं. इस डेट का मकसद बस इतना है कि आप खुद को बाहरी दुनिया के प्रेशर से रिलैक्स कर अपने दिमाग को उड़ने का मौका दें.
आप देखेंगे कि जितना आप खुद को और अपनी आस-पास की दुनिया को समझने की कोशिश करेंगे उतना ही आप अपने अन्दर की क्रिएटिविटी से कनेक्ट हो पाएंगे. इसलिए दुनिया के हर कोने में छुपी सुन्दरता को एक नए नज़रिए से देखना शुरू करें. नयी जगह, नए स्वाद, नयी खुशबू और नए एहसासों को ढूढने की कोशिश करते रहें.
इसके लिए आपको अलग से टाइम निकालने की जरुरत नहीं है, आप चाहें तो किसी दिन ऑफिस से घर जाते समय कोई नया रास्ता ले सकते हैं ताकि आप शहर के नए कोनों को देख सकें, कभी रास्ते में रुक कर ढलती हुई शाम में आसमान का नज़ारा ले सकते हैं, रास्ते में मिलने वाले उन खूबसूरत फूलों को निहार सकते हैं. हमारे आस-पास इतना कुछ है कि आप जब भी चाहें किसी न किसी नयी चीज़ की खोज कर सकते हैं.
खुद पर डाउट करना छोड़ दें और अपने कॉन्फिडेंस को बढाएं.
मुश्किलों से लड़ना भला किसको पसंद है? लेकिन, अपने अन्दर की क्रिएटिविटी को निखारने के लिए आपको कुछ मुश्किल रास्तों से भी होकर गुजरना होगा और हर तकलीफ का सामना करना सीखना होगा.
क्रिएटिव लोगों को अपनी ज़िन्दगी में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अक्सर माँ-बाप ही अपने टैलेंटेड बच्चे को आर्ट्स के रास्ते पर नहीं चलने देते क्यूंकि उन्हें डर होता है कि ऐसा करने से वो पैसे नहीं कमा पायेगा और उसकी फाइनेंशीयल हालत खस्ता हो जाएगी.
ऐसे लोगों को अपनी कला को अपने मन में ही दबाना पड़ता हैं. ऐसे लोग पैसों के मामले में सक्सेसफुल बन भी जायें तो भी इनके क्रिएटिव सपने अन्दर ही अन्दर इन्हें डराते रहते हैं. अंत में इनमें से ज्यादातर लोग एक निराशा भरी ज़िन्दगी जीते हैं और कुछ फिर से अपने सपनों की राह पर चलने की हिम्मत दिखाते हैं. मास्टर शेफ पंकज भदौरिया का ही उदाहरण ले लीजिये स्कूल टीचर के रूप में अच्छी-खासी जॉब छोड़कर उन्होंने कुकिंग को अपना करियर चुना और एक सेलेब्रिटी बन गयीं.
तो अगर आपको भी आपकी कला से ये कहकर दूर किया गया है कि इसमें कुछ नहीं रखा तो आप दुनिया की इस गलतफ़हमी को बदल दें. आपको अक्सर लोगों नें कहा होगा कि कलाकार थोड़े पागल से होते हैं लेकिन असल में कलाकार दूसरों से कहीं अधिक अकलमंद और खुश होते हैं.
अपना इरादा पक्का करने के बाद आपको बैठ कर ये सोचना है कि आखिर वो कौनसी चीज़ है जिसनें कला की ओर बढ़ते हुए आपके क़दमों को रोक रखा है. हो सकता कि खुद को लेकर आपका डाउट ही आपका सबसे बड़ा दुश्मन हो. जैसे, अगर आप एक लेखक है और खुद की काबिलियत पर शक की वजह से आपने अपनी बेहतरीन रचना किसी को आज तक पढाई ही ना हो. अक्सर हम अपने हीं विचारों में कैद होकर रह जाते हैं.
ऐसे में आपके आस-पास के कुछ लोग आपको और नीचे गिरा सकते हैं. ऐसे लोगों को लेखिका नें ‘क्रेजी मेकर’ यानी पागल बनाने वाले लोग कहा है. इन लोगों का काम है ऐसे कलाकारों को ढूँढना जिन्हें खुद पर विश्वास ना हो और उनकी कला को अपना बना कर बेचना.
ऐसे लोगों से हमेशा सावधान रहे इन्हें खुद का फायेदा न उठाने दें और याद रखें की अपकी कला और क्रिएटिविटी का केवल इंसान ही हक़दार है और वो आप खुद हो.
अगर आपने बहुत समय से कुछ क्रिएटिव नहीं किया तो अपने अन्दर के कलाकार को जगाना आपके लिए थोडा मुश्किल हो सकता है. लेकिन टेंशन न लें, एक बार आपने अपने अन्दर झाँक कर अपने क्रिएटिव पहलु से जुड़ना शुरू कर दिया तो आपका सामना रोमांच से भरे ख्यालों से होने लगेगा. ये सब शुरुयात में आपको थोडा अजीब लग सकता है पर बाद में आपको इसमें मजा आने लगेगा.
जैसे कि गुस्सा एक बुरा एहसास है लेकिन आप इससे भाग नहीं सकते. कभी-कभी यही गुस्सा आपको सही राह भी दिखा सकता है, जैसे मान लें आपने कोई फिल्म देखी और आपके अन्दर से आवाज़ आई कि उन एक्टरों से बेहतर काम तो आप कर सकते थे. अगर ये आवाज़ आपके अन्दर बार-बार आती है तो ऐसे में इसे गंभीरता से लें.
आर्ट और क्रिएटिविटी में कई बार आप कुछ ऐसे विषयों में भी घुस जाते हैं जो आपके या ऑडियंस के दिलों को छू जाता है. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि लोग आपको बुरा-भला कहें क्यूंकि आपने उनको उनके कम्फर्ट जोन से बहार निकल कर उन्हें सच का आईना दिखा दिया. ऐसा खासतौर पर राजनीती या धर्म से जुड़े विषयों में होता है क्यूंकि दोनों ही बहुत संवेदनशील हैं.
जैसे-जैसे आप खुद को गहरायी से समझने लगते हैं आप अपनी नयी-नयी कमजोरियों और ताकतों के बारे में जान पाते हैं. करीब एक दर्ज़न से ज्यादा नॉवेल लिखने के बाद भी लेखक खाली पन्नों से डरते हैं. अगर आप भी ऐसे ही खुद को बंधा हुआ महसूस कर रहे हैं तो अपने आस-पास की चीज़ों या लोगों को ध्यान से देखिये शायद आप किसी से इंसपायर हो जायें. हो सकता है जब आपको कोई टॉपिक बता दे तब आप ज्यादा आसानी से लिख पाएं.किसी से राय लेने में कोई बुराई नहीं है.
गुस्सा, नेगेटिविटी, दिमाग का ब्लाक होना अगर आपके साथ भी ये सब हो रहा है तो समझ जायें कि आप सही रास्ते पर चल रहे हैं. इन सब कमजोरियों से अगर आपका सामना हो रहा है तो इसका मतलब है आपकी रिकवरी प्रोसेस सही चल रहा है. अपना पेशेंस बनाये रखें और ठन्डे दिमाग से अपने मॉर्निंग पेजेस लिखते रहे. ये चीज़ें आपको अपने क्रिएटिव पहलु से जोड़ कर रखेंगी.
आइडियाज बनाने की जरुरत नहीं पड़ती बल्कि इस यूनिवर्स में आइडियाज भरे पड़े हैं, आपको बस उन्हें महसूस करना है.
जब माइकल एंजेलो ने अपनी मशहूर डेविड की मूर्ति बनाई, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने डेविड को पाया है उसे बनाया नहीं है. कई महान कलाकारों की तरह, माइकल खुद को एक जरिये के रूप में मानते थे जो इस बड़े से यूनिवर्स की बातों को लोगों तक पहुंचाते थे.
असल में कलाकार आईडिया बनाते नहीं हैं बल्कि अपने नज़रिए से इस यूनिवर्स में छुपे आइडियाज को ढूँढ निकालते हैं. जिस दिन आपको ये बात समझ में आ गयी उस दिन से आप कभी क्रिएटिव ब्लाक का सामना नहीं करेंगे.
एक बहुत शानदार आईडिया को ढूँढने का प्रेशर कभी-कभी बहुत ज्यादा हो जाता है. पर बात दरसल ये है कि जैसे आप एक पेड़ को बना नहीं सकते बस उसे बीज से निकल कर बड़ा होते हुए देख सकते हैं, ठीक वैसे ही आप आईडिया को बना नहीं सकते बस एक छोटी सी इन्स्पिरेशन से बड़ी क्रिएटिविटी के रूप में बढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं.
सभी फिल्मों, गानों, पेंटिंग और सभी क्रिएटिव कामों का बीज इसी यूनिवर्स में कहीं मौजूद होता है आपको बस उसे ढूँढ कर उसे बड़ा बनाना है. जब आपको ऐसा कोई आईडिया मिल जाए तो उसका ख्याल रखें और उसपर ध्यान दें ताकि वो बड़ा बन सके. सभी बड़े कलाकार ऐसा ही करते हैं.
जब आप अपने क्रिएटिव पहलु के लिए पैशनेट हो जायेंगे तब आपको ये महसूस होगा कि मौके खुद ब खुद आपके दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं. ये कायनात खुद आपकी मदद करने लगेगी. हो सकता है आपको एक्टिंग का ऑफर मिल जाये या आपकी कहानी किसी पब्लिशर को पसंद आ जाये.
अगर आप कोशिश करेंगे तो भगवान भी आपकी मदद जरुर करेगा, लेकिन कोशिश तो आपको खुद ही करनी होगी. अपने क्रिएटिव पहलु को दुनिया के सामने लाने का सबसे पहला जरिया आप खुद ही हैं.
परफेक्शन की चाह, जरुरत से ज्यादा कम्पटीशन और काम की लत आपको क्रिएटिव ब्लाक की स्थिति में डाल सकती है.
डर किसी भी कलाकार का सबसे बड़ा दुश्मन है. एक बार आप डर गए तो आपको खुद पर डाउट होने लगेगा और सबकुछ अच्छा चलते हुए भी आप ब्लाक हो जायेंगे.
ज्यादातर डर बचपन की किसी घटना से जुड़े होते हैं. जैसे सपोर्ट न करने वाले माता-पिता या आपकी वो टीचर जिसे आप हमेशा से नालायक लगते थे, या आपका वो दोस्त जिसनें आपका मजाक उड़ाया था, ऐसी कई छोटी-छोटी बातें हमारे मन में हमेशा के लिए डर बैठा देती हैं.
लेकिन कभी-कभी अपने डर के लिए हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं. अब आप पूछेंगे कि कैसे? इसका जवाब है कि खुद से जरुरत से ज्यादा उमीदें लगा कर.
अनरीयलिस्टिक गोल्स हमारे लिए बहुत खतरनाक हो सकते हैं. क्यूंकि, जब आप इन्हें पूरा नहीं पायेंगे तो आप खुद को दोष देने लगेंगे. दुःख, पछतावे और गुस्से के कारण आपका क्रिएटिव फ्लो बिलकुल बिगड़ जायेगा. ऐसे में आपको और बुरा लगने लगेगा कि आप कुछ नहीं कर पा रहे. ये सब तब तक चलता जायेगा जब तक कि आपका सेल्फ-कॉन्फिडेंस इतना कम हो जाए कि आप किसी भी नए प्रोजेक्ट को शुरू करने से डरने लगें और अंत में अपनी कला का साथ छोड़ दें.
सुनने में कितना डरावना लगता है, है ना?
इससे पहले कि आप अपने डर को आपने ऊपर हावी होने दें, आपको ऐसी दो और आदतें के बारे में बता दें जिनसे आपको बच कर रहने की जरुरत है.
एक है वर्कहोलिज्म यानी काम का नशा. कुछ लोगों के मन में जब क्रिएटिव फीलिंग्स आती है तो वो जरुरत से ज्यादा ही काम करने लगते हैं. लेकिन असल में काम का नशा हमारी क्रिएटिविटी को नुक्सान पहुँचाता है. क्यूंकि, काम के नशे में चूर होकर हम यूनिवर्स की एनर्जी को अपने अन्दर से फ्लो होता हुआ महसूस ही नहीं कर पाते. इसलिए बेहतर यही है कि अपने शांत दिमाग में आइडियाज को खुद ही आने दें उसे जबरदस्ती लाने की कोशिश ना करें.
दूसरी आदत है जरुरत से ज्यादा कम्पटीशन जो कि फिर से हमारी क्रिएटिविटी के लिए अच्छा नहीं है. ये आपका ध्यान अपने काम से भटका सकता है और आपके मन में गलत सवाल आने लगते हैं जैसे, ‘उसकी फिल्म आ गयी मेरी क्यूँ नहीं?’ इसकी जगह आप खुद से पॉजिटिव सवाल पूछने की कोशिश करें जैसे कि ‘क्या आज मैंने आपने स्क्रीनप्ले पर काम किया?’
अपने क्रिएटिव पहलु को खुल कर सबके सामने लाने की पूरी कोशिश करें.
हर कलाकार के लिए सेल्फ-कॉन्फिडेंस का होना बहुत जरुरी है. तो, अगर आप में भी इसकी कमी है तो जरा अपने पास्ट में झांक कर देखिये कि ऐसा क्या हुआ जिसनें आपके सेल्फ-कॉन्फिडेंस को कम कर दिया और आप उसे दुबारा हासिल करने के लिय क्या कर सकते हैं?
पुरानी यादों में झांकें और ऐसी तीन बातें ढूँढ कर लायें जिसनें आपका खुद पर विश्वास कम कर दिया. हर याद और हर बात बहुत जरुरी है जैसे अगर आपके किसी दोस्त नें तीसरी क्लास में आपकी बनाई ड्राइंग का मजाक उड़ाया था तो उसको भी इस लिस्ट में जगह मिल सकती है.
जब किसी नें आपका दिल दुखाया था और आपके कॉन्फिडेंस की धज्जियाँ उड़ाई थी, उन पलों को याद करके उनके बारे में विचार करके ही आप उनसे पीछा छुड़ा सकते हैं. केवल यही एक तरीका है खुद को उस दर्द से बाहर लाने का.
आप इमेजिनेशन एक्सरसाइजेज की मदद से भी अपने कॉन्फिडेंस को दोबारा पा सकते हैं. आप अकेले में बैठ कर शांत दिमाग से सोचें कि जो आपका परफेक्ट क्रिएटिव दिन होगा वो कैसा होगा, उस दिन आप सुबह उठते ही क्या-क्या करेंगे और दिन के आखरी में आप क्या हासिल करेंगे.
खुद को हर चैलेंज से जीतता हुआ महसूस करें और हमेशा याद रखें कि आप कर सकते हैं.
दृढ़-निश्चय भी आपने अन्दर की क्रिएटिविटी को निखारने का एक बहुत अच्छा तरीका है. आप कुछ 3-4 वाक्य सोच लें जिन्हें दोहरा कर आप खुद को जोश से भर सकते हों जैसे,’ मैं भगवन का दिया हुआ एक तोहफा हूँ’, ‘मुझमें क्रिएटिविटी भरी हुयी है’, ‘मैं ये कर सकता हूँ’. आपको कौनसी बात कहनी है वो आप पर डिपेंड करती है.
लेखिका ने कुछ अच्छी आदतों के बारे में बताया है जिनका इस्तेमाल आप उस समय कर सकते हैं जब आप निराश महसूस कर रहे हों. हो सकता है किसी दिन आप वो सब हासिल न कर पाएं जैसा आपने प्लान किया था लेकिन ऐसे में भी आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है बस थोडा रुकें खुद को शांत करें और गहरी साँस लें, सोचें अभी जो समय बचा है उसमें आप क्या-क्या कर सकते हैं.
अपने आस-पास छोटी-छोटी खुशियाँ इक्कठा करें जैसे घर में भीनी सी खुशबू बिखरा दें, कभी बिना किसी कारण के अपनी पसंदीदा ड्रेस पहन कर तैयार हों और घर में ये लिख कर रिमाइंडर चिपका दें कि आप बहुत कीमती हैं और आपको खुद का ख्याल रखना है.
बस इन बातों को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना लें और आप देखेंगे कि बहुत हीं आसानी से आप अपनी क्रिएटिविटी को हासिल कर लेंगे.
कुल मिलाकर
अपने क्रिएटिव पोटेंशियल को हासिल कर पाना मुश्किल जरुर है लेकिन अगर कोई चाहे तो इसे हासिल कर सकता है. अगर आपको ये करना नामुमकिन सा लग रहा है तो कुछ आदतों और सुझावों को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना कर देखें, मॉर्निंग पेजेज लिखना शुरू करें, नए-नए टॉपिक्स के बारे में जानना शुरू करें, कभी-कभी खुद के साथ डेट पर जायें और फिर देखें. जब आप अपने अन्दर झाँक कर खुद में छुपे कलाकार को समझने की कोशिश करेंगे तो आप अपने क्रिएटिव पहलु से फिर से मिल पाएंगे.
बस मज़े करें
क्रिएटिव प्रोसेस हमेशा मजेदार होनी चाहिए. बास्केट बॉल खेलें, बाइक राइड पर जायें, रॉक क्लाइम्बिंग करें या फिर बस घर बैठे कोई फिल्म हीं देख लें क्यूंकि कभी-कभी कुछ नया और बड़ा करने से पहले थोडा रिलैक्स होना भी जरुरी है.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे The Artist's Way By Julia Cameron
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