Annie F. Downs
The Joys of Being an Amateur, the Power of Falling in Love, and Why You Need a Hobby
दो लफ्ज़ों में
साल 2021 में रिलीज़ हुई किताब ‘That Sounds Fun’ बताती है कि हम कैसे अपनी डेली लाइफ को खूबसूरत और ख़ुशहाल बना सकते हैं? इस किताब की मदद से आपको अल्हड़ इश्क़ के बारे में पता चलेगा. आपको पता चलेगा कि कैसे एक निहत्था इंसान अपनी लाइफ से इश्क़ कर सकता है? और उससे ख़ूबसूरत कुछ नहीं होता है.
ये किताब किसके लिए है?
-फिलॉसफी को पसंद करने वालों के लिए
-किसी भी फ़ील्ड के स्टूडेंट्स के लिए
-ऐसा कोई भी जिसे ख़ुश रहना हो
-ऐसा कोई भी जिसे कनेक्शन चाहिए हो
लेखिका के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Annie F. Downs ने किया है. ये लेखिका होने के साथ-साथ पॉपुलर पॉडकास्टर और स्पीकर भी हैं. इस किताब के साथ इन्होने कई बेस्ट सेलिंग नॉवेल्स का लेखन किया है.
लाइफ की मुश्किलों के बीच भी ख़ुश रहा जा सकता है
हमें पता होना चाहिए कि जीत और हार के पैमानों के बीच में फंस गई इस ज़िन्दगी में ख़ुशियों की चाभी कहीं और ही है? उसकी तलाश करने के लिए हमें खुद को जानना होगा. खुद को जानने के लिए हमें लाइफ के प्रति बेबाक होना होगा, विचार हों या लाइफ हमें किसी भी तरह की मिलावट से बचना होगा. मिलावट से बचने के लिए हमें अपने दिमाग का डिटॉक्सिफिकेशन करना होगा.
“इश्क़ और प्रेम किस चिड़िया का नाम है? क्या आपने ये सवाल कभी खुद से किया है? इसका जवाब बड़े बुज़ुर्ग बताते हैं कि ये तो सही वक्त आने पर सबको खुद-ब-खुद पता लग जाता है. बचपन के पार होते ही भीतर ही भीतर चुपके से कुछ रसायन सक्रिय होते हैं और मन में प्रेम हिलोर लेने लगता है और ये रोग तब आक्रमण करता है जब आप एकदम निहत्थे होते हैं...आपको वैसा ही निहत्था इश्क अपने आप से करना होगा. क्या आप उसके लिए तैयार हैं?”
इस समरी में आपको ये भी सीखने को मिलेगा
-gratification के महत्त्व के बारे में
-वेकेशन के महत्व के बारे में
तो चलिए शुरू करते हैं!
लेखिका एक वीकली पॉडकास्ट को होस्ट करती हैं.. उस पॉडकास्ट में आने वाले मेहमानों से वो एक सवाल ज़रूर करती हैं. वो सवाल ये रहता है कि आखिर उनकी नज़रों में फन का असली मतलब क्या होता है?
इस सवाल का उन्हें अलग-अलग जवाब मिलता है. बहुत सारे लोग अपनी वैकेशन की बातें करने लगते हैं. कई लोग फन का मतलब बहुत सी छोटी-छोटी चीज़ों को भी बताते हैं.
इसके आगे बात करते हुए ऑथर कहती हैं कि कोविड 19 की शुरुआत से ही हम लोगों को अपनी लाइफ को सीमित करना पड़ा था. जिन चीज़ों को हम फम में एड करते हैं, हमें उनमें से कुछ भी एक्सपीरियंस करने को नहीं मिल पा रहा था.
कोविड 19 महामारी ने हमें सीखा दिया है कि फन का मतलब महंगे शौक को पूरा करना नहीं है. फन का प्योर फॉर्म सिम्पल रहना है. या फिर सिम्प्लिसिटी को भी फन कहा जा सकता है.
चिंता से मुक्त क्लियर दिमाग भी एक फन ही है. इसलिए आज के समय में बहुत ज़रूरी है कि हम खुद को टेंशन फ्री रखने की कोशिश शुरू कर दें.
अगर आपके मन में सवाल आ रहा हो कि सिम्पलिसिटी कैसे फन हो सकती है? तो आप अपने बचपन के दिनों को याद कर सकते हैं. आपको बहुत सी सिम्पल-सिम्पल सी यादें याद आ जाएंगी. जिससे आपको बहुत ज्यादा ख़ुशी मिला करती थी.
ऑथर को भी बचपन में अपनी दादी और मम्मी के साथ बगीचे में बैठना बहुत पसंद था. वहां बैठकर तीन जनरेशन के लोग आपस में बातें किया करते थे. साथ ही साथ कुछ सिम्पल-सिम्पल टास्क भी खत्म किया करते थे. ऑथर उस ख़ुशी की तुलना आज के पब कल्चर से बिल्कुल नहीं हो सकती है.
अगर आप भी बचपन के गलियारों को याद करने बैठेंगे.. तो आपको आँखें भी नम हो जाएंगी. और आपको लगेगा कि सिम्पल ज़िन्दगी ही खूबसूरत होती है.
खुद को अंदर से जानने की कोशिश करिए
आपको कैसा लगेगा अगर आप किसी काम को पूरी शिद्दत से करने की कोशिश करें और कोई आपके एफर्ट्स को लड़कपन या गैरज़रूरी बोल दे? हो सकता है कि आपको इन्सल्ट सा महसूस हो.
लड़कपन हरकतों को लोग इन्सल्ट की तरह ले लेते हैं. लेकिन हमें पता होना चाहिए कि अगर हमारे अंदर बच्चा छुपा है. तो ये हमारी ताकत भी बन सकता है.
एक मिनट के लिए आप खुद सोचने की कोशिश करिए कि एक बच्चा या बचपना क्या होता है? वो इंसान जो किसी भी एक्टिविटी को प्लेज़र के लिए करता हो ना कि उससे मिलने वाले प्रॉफिट को दिमाग में रखकर..
तो फिर अब सवाल ये उठता है कि हम बचपने को खराब क्यों समझने लगे हैं. इसे हम अच्छा भी समझ सकते हैं. हो सकता है कि हम किसी काम को शौकिया करें.. लेकिन वो एक मास्टरपीस बन जाए. तो इस बात में बुराई क्या है?
फ्यूचर का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, इसलिए प्रेजेंट को गिफ्ट की तरह लेने की कोशिश करें
अभी इस पल में आप कितनी ज़िन्दादिल से ज़िन्दगी जी रहे हैं? आपको ये सवाल अजीब लग सकता है. आप ऐसा भी सोच सकते हैं कि अभी ज़िन्दा है तभी ना ये सवाल सुन रहे हैं?
लेकिन क्या आप वाकई प्रेजेंट को एन्जॉय कर रहे हैं? या फिर आप लाइफ में अच्छे समय के आने का इंतज़ार कर रहे हैं?
इस बारे में लेखिका कहती हैं कि “जिस फ्यूचर का कोई पता नहीं है और जिसके बारे में हम केवल अंदाज़ा ही लगा सकते हैं. उसके बारे में अभी से चिंता करना बिल्कुल सही बात नहीं है. इसलिए फ्यूचर के लिए हमें अपनी आज की ख़ुशी को दांव में नहीं लगाना चाहिए.
इस बारे में बात करते हुए ऑथर कहती हैं कि हैप्पी रहने वाले लोग ज्यादा प्रोडक्टिव और क्रिएटिव होते हैं. सकारात्मक अनुभव करने वाले सभी लोगों तक यह प्रभाव फैलता है. खुश रहकर करने वाले कार्य में क्रिएटिविटी ज्यादा रहती है.
इसी के साथ हमें ये समझना चाहिए कि खुशी यानी हैप्पीनेस (Happiness) ऐसी चीज है जो हर इंसान में अलग-अलग होती है. इसके अलावा खुशी को एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता है. व्यक्ति दर व्यक्ति हैप्पीनेस की परिभाषा भी बदल जाती है.
आपकी खुशी किसी दूसरे की खुशी से अलग हो सकती है. वास्तव में, हमारे जीवन (Life) में खुशी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और यह हमारे जीवन जीने के तरीके पर बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकती है.
अपने हॉबीज़ से जुड़े रहने की कोशिश करिए
लंबी उम्र तक स्वस्थ रहने का बेहद आसान नुस्खा है खुश रहना. खुश रहने से मानसिक परेशानियां दूर होती हैं. आप तनाव, एंग्जायटी, डिप्रेशन से बची रह सकती हैं. इन तमाम समस्याओं से बचे रहने के लिए हमें छोटी-छोटी चीजों में खुशियां तलाशनी चाहिए, लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल इतनी भागदौड़ वाली हो गई है कि दो पल की खुशी भी ठीक से नसीब नहीं होती है.
बात करें महिलाओं की फिर चाहे वे हाउस वाइफ हों या वर्किंग वूमेन, उनके पास खुद के प्रति ध्यान देने के लिए भी समय नहीं बचता. लेकिन, आप खुद पर ध्यान नहीं देंगी, हर वक्त सभी की चिंता करती रहेंगी, सारा दिन घर-ऑफिस के काम में व्यस्त रहेंगी, तो इससे मेंटल और फिजिकल स्ट्रेस बढ़ सकता है.
एक बात याद रखें, किसी भी इंसान की खुशी उसकी उम्र, वजन, शरीर के आकार, आंखों या बालों के रंग पर आधारित नहीं होती है.
आप अपनी उन हॉबीज को फॉलो करें, जिसे आप स्कूल या कॉलेज के दिनों में पूरा नहीं कर पाए थे. ऐसी एक्टिविटीज में खुद को शामिल करें, जिसे करना आपको बेहद पसंद है. पेंटिंग करें, डांस में भाग लें, कविताएं लिखें, गाना गाएं, सिलाई, बुनाई करें. फिर देखें कैसे आपकी जिंदगी में खुशियां शामिल होती हैं.
हमें समझना चाहिए कि हमारी लाइफ में Hobbies का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है. Hobbies की वजह से हमारी लाइफ में फन तो बना ही रहता है. साथ ही साथ इनकी वजह से हम अपने परिवार या दोस्तों से भी कनेक्ट रहते हैं.
Hobbies की वजह से ही ऑथर और उनके पिता के बीच बांड काफी मज़बूत बन गया था. वो दोनों रोज़ शाम को साथ में बैठकर चेस खेलते थे. और आपस में बातचीत भी करते थे.
ऑथर कहती हैं कि Hobbies की वजह से मुश्किल समय को काटना भी आसान हो जाता है. इसलिए हमेशा खुद के लिए कुछ Hobbies को चूज़ करके रखना चाहिए. लेकिन उनके चुनाव के समय ध्यान रखें कि Hobbies आपके पसंद की होनी चाहिए.. कभी भी Hobbies को इसलिए सेलेक्ट ना करें कि दुनिया उसे कूल समझती है. जिस चीज़ में आपको इंटरेस्ट हो .. उसी चीज़ को अपनी Hobbies की लिस्ट में शामिल करिएगा.
अपनी लाइफ में इस बात को याद रखिएगा कि कोई दूसरा आपके लिए तय नहीं कर सकता है कि आपको किस काम में मज़ा आएगा? ये तय किसी और को नहीं बल्कि आपको ही करना है कि आपको किस काम में मज़ा आता है? इसलिए अपने काम को और अपनी Hobbies को खुद के पसंद के हिसाब से ही चुनना चाहिए.
ईट्स ओके नॉट टू बी ओके
ये बात बिल्कुल सच है कि कभी-कभी ठीक नहीं होना भी ठीक ही होता है. इसलिए कभी भी अपनी लाइफ को दूसरे को इम्प्रेस करने के लिए डिज़ाइन नहीं करिएगा. याद रखिएगा कि आपकी लाइफ के ड्राइवर आप ही हैं.
इसलिए ज़िन्दगी में बहुत ज्यादा सीधा बनकर भी नहीं रहना चाहिए. ऐसा केवल इस बुक में ही नहीं बल्कि आचार्य चाणक्य ने भी कहा है.
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि जिन लोगों का स्वभाव बहुत ज्यादा सीधा-साधा है, उन्हें ऐसे नहीं रहना चाहिए, यह उनके के लिए अच्छा नहीं है.
जंगल में हम देख सकते हैं, जो भी पेड़ सीधे होते हैं, सबसे पहले काटने के लिए उन्हें ही चुना जाता है.इस बात में एक गहरा अर्थ छिपा है.
चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का स्वभाव जरूरत से ज्यादा सीधा, सरल और सहज होता हैं, उन्हें समाज में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चालक और चतुर लोग इनके सीधे स्वभाव का गलत फायदा उठाते हैं.
इसलिए लोगों को इम्प्रेस करने के लिए अपने स्वभाव को बदलना बंद कर दीजिए. अगर आप ओके नहीं हैं .. तो बताइए कि आप ओके नहीं हैं.
इस बारे में आगे चर्चा करते हुए ऑथर कहती हैं कि कई बार हम फन का केवल नाटक करते हैं. लेकिन वो नाटक बिल्कुल भी सही नहीं है. अगर हमें किसी सिचुएशन या इवेंट में अच्छा नहीं लग रहा है. तो ठीक है .. हमें अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट करना चाहिए. लेकिन कभी भी लाइफ को किसी तरह के नाटक के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए.
इसी के साथ ऑथर ये भी बताती हैं कि ये ज़रूरी नहीं है कि हमारी लाइफ में हमेशा ही फन चलता रहे. इसलिए अगर कभी बुरा फेज़ भी चल रहा है. तो हमें उस फेज़ को एक्सेप्ट करना चाहिए और कहना चाहिए कि we’re not okay. ये कहने में कोई बुराई नहीं है. इतनी छोटी सी बात एक्सेप्ट कर लेने से हमारे दिमाग से बहुत बड़ा बोझ खत्म हो जाता है.
इसलिए ज़िन्दगी में ज्यादा बोझ लेने की ज़रूरत नहीं है. ये छोटी सी लाइफ है और इसे छोटी-छोटी खुशियों से बेहतर बनाया जा सकता है. ये पूरी तरह से हमारे ऊपर निर्भर करता है कि क्या हम उन छोटी ख़ुशियों को देख पा रहे हैं? अगर हाँ .. तो आज नहीं तो कल हमारी लाइफ बेहतरीन ज़रूर हो जाएगी.
एक और ज़रूरी बात है, वो ये है कि we’re not okay एक्सेप्ट करने से हमारे सामने हमारी ही रियल तस्वीर ओपन हो जाती है. हमें पता चल जाता है कि आखिर हम वाकई क्या चाहते हैं? इसी के साथ बता दें कि आपको आपकी पर्सनालिटी के बारे में पता होना बहुत ज़रूरी है. अगर अभी तक आपको नहीं पता है कि आप किस तरह के इंसान हैं? तो अब समय आ चुका है कि आप खुद का आंकलन करिए और पता करिए कि आपकी पर्सनालिटी कैसी है?
अपने दिमाग और पर्सनालिटी को मज़बूत बनाने की कोशिश करिए क्योंकि ये दुनिया इतनी भी सरल और आसान नहीं है. जितनी नज़र आती है.. लोग हमेशा आपके लिए अच्छे नहीं रहेंगे.. इसलिए अगर कभी आपको अच्छा नहीं लग रहा है.. तो कोई बड़ी बात नहीं है.. याद रखिए कि “It’s okay not to be okay.”
कुल मिलाकर
“दूसरों की गलतियों से सीखो, अगर अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने की कोशिश करोगे तो सारी उम्र भी कम पड़ जाएगी...” यही बात ऑथर ने भी ‘That Sounds Fun’ की बुक समरी से समझाने की कोशिश की है. इस बुक समरी में हम लोगों ने कई स्ट्रेटजीज़ के बारे में चर्चा की है. जिनकी मदद से आप अपने दिमाग पर कंट्रोल करने के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को भी समझ सकते हैं. साथ ही साथ खुद के दिमाग की जादुई शक्ति को जानकर, सफलता के मुकाम को हासिल कर सकते हैं. साथ ही साथ याद रखिएगा कि लाइफ में ख़ुश रहना ही सबसे ज़रूरी चीज़ है. इसके लिए कुछ बहुत बड़ा हासिल करने की ज़रूरत नहीं है. बस, अपने आपको समझिए और अपने आप से प्यार करिए.
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