Shapers..... ___

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Shapers

Jonas Altman
Reinvent the Way You Work and Change the Future (काम करने का तरीका बदलिए, आपका फ्यूचर बदल जाएगा..)

दो लफ्ज़ों में 
साल 2020 में रिलीज़ हुई किताब ‘Shapers’ बताती है कि किस तरह से टेकनोलॉजी के आ जाने से वर्क प्लेस में बदलाव आ रहे हैं? इस किताब में technological  औरorganizational shifts में दिख रहे बदलावों के बारे में बारीकी से चर्चा की गई है. इसी के साथ इस बात पर भी चर्चा की गई है कि अगर आपको मॉडर्न वर्क कल्चर का सिकंदर बनना है. तो कौन सी स्किल्स को डेवलप करने की ज़रूरत है?

ये बुक समरी किसके लिए है?
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
-ऐसे लोग जो कुछ नया सीखना चाहते हों
-Entrepreneurs के लिए 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें इस किताब का लेखन Jonas Altman ने किया है. ये पेशे से speaker, writer, और entrepreneur रहे हैं. इन्होने अपने सालों के एक्सपीरियंस का सार इस किताब में शब्दों की मदद से उतार दिया है. 
आपको इस बुक समरी में ये जानने को मिलेगा 
-कैपासिटी ऑफ़ लर्निंग को क्यों बढ़ाते रहना चाहिए? 
-मॉडर्न वर्क प्लेस के बारे में सब कुछ 
-कम्पटीशन से आगे निकलने की कला

  वर्क प्लेस के बारे में ये बात पता होनी बहुत ज़रूरी है
कई लोगों को ऐसा बताया जाता है कि सफल करियर के लिए वर्कप्लेस में सर झुकाकर काम करना पड़ता है? लेकिन क्या ये बात पूरी तरह से सच है? इस बात का पता तो इस बुक समरी के सफर में चल ही जाएगा. लेकिन अभी ये बात जानना ज़रूरी है कि आज के समय में सफल करियर के सभी मापदंड बदल चुके हैं. 

आज के समय में देखा जा रहा है कि ज्यादातर कर्मचारी काम के प्रति डीमोटिवेटेड होते जा रहे हैं. हाल ही में ग्लोबल फर्म Gallup study ने एक सर्वे करवाया था. उसमें पता चला कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों के 85 percent employees अपने काम से पक चुके हैं. उनका मन अपने वर्क प्लेस में नहीं लगता है. उन्हें काम करने का मन भी नहीं करता है. ऐसा कोविड महामारी के बाद से ज्यादा देखने को मिल रहा है. 

इसलिए ऑथर ये भी कहते हैं कि “हर कंपनी में प्रत्येक कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. उनकी क्षमता और विशेषज्ञता किसी भी व्यवसाय, कंपनी की सफलता के लिए दो सबसे अहम विशेषताएं हैं. हालांकि वर्क प्लेसपर आपका रवैया भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर आपका व्यवहार अच्छा है तो इसका असर भी काम पर अच्छा पड़ता है. वहीं काम के लिए शांतिपूर्ण वातावरण बना रहता है तो काम अच्छी तरह होता है.”

आगे ऑथर कहते हैं कि अपने फ्रेंडली एटीट्यूड की वजह से आप प्रोफेशनल लाइफ में भी सफल होते हैं. ऐसे में अपने को-वर्कर्स के साथ अच्छा व्यवहार करें, उनके साथ फ्रेंडली रहें. आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते. यह एक सच्चाई है, लेकिन लोगों के साथ व्यवहार करने के बारे में जो महत्वपूर्ण है, वह यह है कि आपको अपनी सीमाएं तय करनी होगी. स्टाफ के प्रत्येक सदस्य आपसे बेहतर व्यवहार की उम्मीद करता है. ऐसे में अपने और आने वाले हर व्यक्ति के साथ सम्मानपूर्वक बातचीत करें.

इसी के साथ ऑथर कहते हैं कि वर्क प्लेस पर आपका काम के प्रति उत्साह सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है. ऐसे में अन्य लोग भी काम पूरे उत्साह के साथ करते हैं. वे नई तकनीकों, विचारों को सीखते हैं और उन सभी को अमल में लाते हैं. काम में हर बार कुछ नया करना, सीखना आपके काम को सर्वश्रेष्ठ बनाता है. हर किसी को हर स्थिति से निपटने के लिए सिखाएं यह एक चुनौती के रूप में सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है और साथ ही एक अवसर भी..

कंपनी के प्रत्येक कर्मचारी की प्रतिबद्धता जरूरी होती है. हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों के अनुरूप काम करने के प्रति दृढ़ संकल्प होता है. यही चीजें कंपनी की बेहतरी और उन्नति में योगदान देती हैं. किसी लक्ष्य के लिए एक साथ मिल कर पूरी ईमानदारी से काम करने वाले लोगों की वजह से न केवल कंपनी को सफलता मिलती है, बल्कि यह सभी के लिए बेहतर रहता है.

किसी व्यक्ति के हाव भाव के जरिये उसके व्यक्तित्व की झलक दिखती है. आपके बात करने का तरीका, हाथ मिलाने का ढंग आपकी पर्सनैलिटी का हिस्सा हैं. इसलिए आपकी बॉडी लैंग्वेज से यह शो नहीं होना चाहिए कि आप किसी काम को भारी मन से कर रहे हैं. वर्कप्लेस पर आप जितने कान्फिडेंट नजर आएंगे इसका अच्छा असर लोगों पर पड़ेगा और आप लोगों को इम्प्रेस कर सकेंगे.

कम्पनीज़ की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो employees का इंगेजमेंट बढ़ाएं
अगर आप प्रभावशाली लीडर्स को याद करेंगे, तो आपकी आँखों के सामने कई चेहरे आएंगे. लेकिन एक छोटे कद की महिला, मुस्कुराती हुई, गरीबों की मदद करने वाली, जिनका नाम मदर टेरेसा था. वो क्षितिज की तरह आकाश में मुस्कुराते हुए दिखेंगी. 

मदर टेरेसा का व्यक्तित्व कोई बहुत विशाल नहीं था. जिसे देखकर लोग डरें और उनको फॉलो करें. बल्कि उनके व्यक्तित्व में तो भरपूर प्यार था. जिसकी वजह से लोग उनसे INFLUENCE  होते थे. और उनकी बातें माना करते थे. 

इस बारे में ऑथर कहते हैं कि “लीडर बनने के लिए आपकी बॉडी का स्ट्रक्चर मैटर नहीं करता है. बल्कि आप कितने INFLUENCIAL  यानि प्रभावशाली हैं,वो मैटर करता है. इसलिए खुद को लोगों से जोड़ने की कोशिश करिए और प्रभावशाली बनिए. अगर आप दूसरों को INFLUENCE  नहीं कर पाएंगे. तो आप कभी उन्हें लीड भी नहीं कर पाएंगे.”

यहाँ पर बहुत बड़ा रोल आज के समय की कम्पनियों का भी आता है. कम्पनियों को अपने यहाँ के वर्क प्लेस को इंगेजिंग बनाने की कोशिश करनी चाहिए. वर्किंग कम्पनीज की ये ज़िम्मेदारी है कि वो अपने यहाँ काम करने वालों को काम के प्रति मोटिवेट करके रखें. 

दुनियाभर में हुई कई रिसर्च में ये बात निकलकर सामने आई है कि Employees अपने वर्क में मीनिंग की तलाश कर रहे हैं. उन्हें मीनिंगफुल वर्क की तलाश है. लेकिन कम्पनियां आज भी उनसे नफ़ा-नुकसान का ही काम करवाना चाहती हैं. इसलिए अब वक्त आ गया है कि कम्पनीज अपनी वैल्यू सिस्टम पर काम करने की शुरुआत कर दें.

क्या Hierarchical management structures इन-इफेक्टिव हो चुका है?”
इस बुक समरी को सुन रहे अधिकत्तर लोगों को मूवीज़ के “bad boss” के बारे में कुछ ना कुछ जानकारी तो होगी ही.. जिन्हें नहीं है. उन्हें बता दें कि फिल्मों में दिखाए जाने वाले “bad boss” का नेचर authoritarian,moody, और वो हमेशा अपने नीचे काम करने वालों के ऊपर रौब दिखाता रहता है. लेकिन आपको ये सुनकर बिल्कुल हैरानी नहीं होगी कि आज के दौर में रियल्टी में भी ऐसे बॉस हैं. जो अपने आपको भगवान से कम नहीं समझते हैं. 

इसी ख़राब से कांसेप्ट को traditional structure of the workplace कहा जाता है. ये सिर्फ और सिर्फ Hierarchical management सिस्टम की वजह से पैदा हुआ है. इस सिस्टम की वजह से डीसीजन मेकिंग प्रोसेस में अधिकत्तर पॉवर मैनेजर को दे दी गई है. जिसकी वजह से वो बाकी काम करने वालों को अपने घर का नौकर समझ लेता है. 

हमें समझना होगा कि किसी भी employee के लिए इस तरह का सिस्टम बहुत खराब है. कोई भी इंसान ऐसे सिस्टम में काम नहीं करना चाहेगा.. जहाँ उसको सम्मान तक ना मिल सके. अब वक्त आ चुका है कि इस बारे में कम्पनीज़ भी सोचें? कि अगर आपके यहाँ काम करने वाले ज्यादातर लोग दूसरे के आर्डर का वेट करेंगे? तो आपके काम की प्रोडक्टिविटी का लेवल क्या ही हो सकता है? 

आज के दौर की कम्पनियों को और मैनेजर्स को .. जो अपने आपको भगवान समझ चुके हैं.. उन्हें कॉस्टको कंपनी के सी.ई.ओ और को-फाउंडर सिनेगल के जीवन पर लिखी किताबों को पढ़ना चाहिए और उससे कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए.. जहाँ आज के दौर में छोटे से राजनेता या फिर कोई सी.ई.ओ अपने आपको लग्ज़री का दूसरा नाम समझ लेते हैं. उस दौर में सिनेगल किसी अपवाद यानि एक्ससेपशन से कम नहीं हैं. 

हम सिनेगल को अपवाद इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनका रवैया बिल्कुल आम से एग्जीक्यूटिव की तरह है. वो ऑफिस मिलने आने वाले को खुद रिसीव करने जाते हैं. उन्होंने अपनी सफलता को सर पर चढ़ने नहीं दिया, उन्होंने खुद को हमेशा जड़ों से जोड़े रखा. 

जहाँ एक आम सा सी.ई.ओ भी झोला भरकर सैलरी लेता है. वहां सिनेगल की सलाना सैलरी 3 लाख 50 हज़ार डॉलर है. जो कि किसी भी सी.ई.ओ रैंक के अफ़सर के हिसाब से काफी कम है. सिनेगल की एक खूबी उन्हें बाकियों से अलग खड़ा करती है. वो ये है कि सिनेगल अपने कर्मचारियों से बहुत अच्छी तरह से पेश आते हैं. उन्हें मालुम है कि सामने वाले को कैसे इज्ज़त देनी है?

सिनेगल की कंपनी अपने कर्मचारियों को ज्यादा पेमेंट देने में विश्वास रखती है.  

सिनेगल कहते हैं कि “अगर आप लोगों को अच्छा पैसा देंगे. तो वो मन से काम करेंगे. इससे काम की प्रोडक्टिविटी बेहतर होगी. इससे कर्मचारियों की आपकी कंपनी के प्रति ईमानदारी भी बढ़ेगी. ”

सिनेगल का मानना है कि “एक अच्छा लीडर वही बन सकता है. जिसके अंदर दूसरों के लिए दया हो, जिसको खुद से आगे भी कुछ नज़र आता हो. बिना दूसरों के बारे में सोचे हुए और उनकी मदद किए बिना, आप बेहतर लीडर नहीं बन सकते हैं.”

ऑथर बताते हैं कि “शायद यही वजह है कि सिनेगल की लीडरशिप स्टाइल सबसे अलग है. वो अपने वर्कर्स के हितों के लिए खुद की कंपनी की पॉलिसीस से भी भिड़ जाते हैं. उनकी कोशिश रहती है कि वो हमेशा दूसरों की लाइफ में कुछ वैल्यू एड ऑन कर सकें.”

यही वजह है कि कर्मचारियों के बीच में सिनेगल की लोकप्रियता किसी सितारे से कम नहीं है. कॉर्पोरेट में काम करने वाले लोग सिनेगल नाम की कसमें खाया करते हैं.

इन छोटी-छोटी कहानियों से आप समझ सकते हैं कि लाइफ में तरक्की करते वक्त किन बातों का ख्याल रखना है. जब आप मैनेजर बनें या किसी कंपनी के सी.ई.ओ बनें तो सिनेगल के एग्जाम्पल को याद रखिएगा. और ये भी याद रखिएगा कि Hierarchical management सिस्टम की वजह से लोगों के अंदर काम के प्रति उदासीनता पैदा हो रही है. इसलिए अगर हम नए वर्क प्लेस का निर्माण कर रहे हैं. तो हमें अपनी सोच को भी काफी नया करना होगा.

Adaptability एक स्किल है, जिसे मॉडर्न वर्कर को सीखना चाहिए
ऑथर सलाह देते हैं कि मॉडर्न शेपर्स को musician Miles Davis की तरह improvising तकनीक को सीख लेना चाहिए. मतलब साफ़ है कि अगर आपसे कोई गलती भी हो गई? तो देखिए कि आप उस गलती को improviseकरके क्या नया बना सकते हैं? 

इस तकनीक की मदद से आप अपने वर्क प्लेस में एक नए नज़रिए के रूप में पहचाने जाएंगे. 

इसी के साथ हमें समझना चाहिए कि Adaptability एक स्किल है, मॉडर्न वर्क प्लेस में इसकी ज़रूरत हमें हर जगह पड़ने वाली है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी इसे सीखने की कोशिश शुरू कर दें. 

आर्गेनाईजेशन को सलाह देते हुए ऑथर कहते हैं कि कहते हैं कि “कोई भी आर्गेनाईजेशन तभी सफल हो सकता है. जब उसकी सफलता का क्रेडिट सभी को दिया जाए. ये मुमकिन ही नहीं है कि किसी सफल आर्गेनाईजेशन के पीछे बस एक इंसान का हाँथ हो. इसलिए सिर्फ एक ऊचें पद में बैठे इंसान को क्रेडिट देना सही नहीं है.”

इसी के साथ इस बात का ख्याल रखें कि जब भी लीडरशिप की बात होती है तो एटीट्यूड की भी बात होती है. खुद को विनम्र बनाने की कोशिश करिए. किसी के लिए कुछ कर देने से आप उसके नौकर नहीं बन जाएंगे. इसलिए खुद को हर काम के लिए तैयार रखिए. याद रखिए कि लीडर का मतलब ‘हिटलर’ बन जाना नहीं होता है. 

खुद से सवाल करिए कि आप अपने आस पास के लोगों के जीवन में कितनी वैल्यू एड कर रहे हैं. अपनी इस क्वालिटी के लिए अपने आपको रेटिंग भी दीजिए. अगर रेटिंग कम आए तो समझ जाइए कि अभी आपके अंदर ये खूबी नहीं आई है. 

इसी के साथ तीन शब्द याद रखिएगा .. क्षमता, कनेक्शन और कैरक्टर. इसको और आसान भाषा में समझें तो आपके अंदर लोगों से बात करने की काबिलियत होनी चाहिए कि आप उनसे कनेक्शन बिल्ड कर सकें. याद रखिएगा कि इंसान अपनी बोली के दम पर इज्ज़त भी पाता है और बेईज्ज़त भी हो सकता है. इसलिए बोलने की कला को बेहतर से बेहतरीन बनाने का काम शुरू कर दीजिए. लोगों से कनेक्शन बनने के बाद उन्हें आपके कैरक्टर में दम नज़र आना चाहिए. उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि ये इंसान फॉलो करने लायक नहीं है.

मॉडर्न वर्कर्स को अपनी वर्किंग हैबिट्स पर भी काम करना चाहिए
कई रिसर्च में ये बताया गया है कि आज के समय में लोग सुबह से लेकर शाम तक ज्यादातर समय फोन के साथ बिताते हैं. 

हफ्ते भर में 60 परसेंट टाइम लोग इंटरनेट पर मेल चेक करने में बिता देते हैं. कई स्टडीज़ इस बात का दावा करती हैं कि गलत वर्किंग स्टाइल की वजह से लोगों की प्रोडक्टिविटी कम हो रही है. इसमें बड़ा योगदान स्मार्टफोन्स का भी है. 

इसलिए ऑथर कहते हैं कि लोगों को अपनी वर्किंग हैबिट्स पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है. आप कभी भी मॉडर्न वर्क कल्चर में बेस्ट नहीं बन पाएंगे अगर आपकी वर्किंग स्टाइल बेस्ट नहीं होगी? 

इसलिए खुद से सवाल करिए कि क्या आपकी वर्किंग स्टाइल बेस्ट है? क्या आप अपने ऊपर वाकई काम कर रहे हैं? 

इस बात का मतलब ये नहीं है कि आपको तकनीक से दूर रहना है. इस बात का सिम्पल सा मतलब यही है कि आपको “best use oftechnology” के बारे में पढ़ना है और उसे सीखना है. 

Technology का ये मतलब नहीं है कि आप हफ्ते में 50 घंटे उसी में लगे रहें. आपको समझना होगा कि टाइम मैनेजमेंट भी एक कला है. इस कला के माहिर ही आज की दुनिया पर राज़ कर सकते हैं. 

कभी भी technology को अपने समय को किल मत करने दीजिए? अगर आप technology को अपने हित के लिए यूज़ करेंगे तो वो आपका काम आसान बनाएगी. नहीं तो बहुत जल्द technology आपको अपना गुलाम बना लेगी. इसलिए सावधानी के साथ काम करने की कोशिश करें.

मीनिंगफुल वर्क को क्रिएट किया जा सकता है
एक सिम्पल सा सवाल है कि आप कैसा काम करना चाहते हैं? क्या आप ऐसा काम करना चाहते हैं कि आपके जीवन के बाद भी लोग आपके काम की वजह से आपको याद करें? 

अधिकत्तर लोग इसका जवाब हाँ, ही देंगे. लेकिन आखिर कितने लोग ऐसा काम कर रहे हैं? इसका जवाब किसी को नहीं मालुम है. 

सब से पहले ध्यान रखिए कि जॉब सैटिसफैक्शन के लिए ज़रूरी नहीं है कि आपको देश के लिए शहीद होने का मौका मिले. वो बहुत किस्मत वालों को मिलता है. लेकिन फिर  भी आपके पास जो मौके हैं. आप उन मौके से बेस्ट निकाल सकते हैं. 

आप अपने छोटे से काम से भी जॉब सैटिसफैक्शन पा सकते हैं. इसके लिए आपको job crafting के कांसेप्ट के बारे में पता होना चाहिए. 

एग्जाम्पल के लिए एक हॉस्पिटल में एक स्वीपर काम करती थी. उसकी 6 घंटे की ड्यूटी रहा करती थी. लेकिन कुछ समय बाद वो अपनी ड्यूटी के बाद हॉस्पिटल के पंखों की भी सफाई करने लगी, इसके बाद वो लोगों को पानी भी सर्व कर देती थी. कुछ समय बाद वो पेशंट्स के बेड भी साफ़ करने लगी. ये सब करने के उसे अलग से पैसे नहीं मिल रहे थे.. वो ये सब खुद की ख़ुशी के लिए करती थी. और ऐसा भी नहीं है कि उसने अपनी क्लीनिंग की ड्यूटी को छोड़ दिया था. पहले वो क्लीनिंग का काम करती थी और फिर पेशंट्स का ध्यान रखती थी. 

धीरे-धीरे समय बीतता गया और वो लेडी पेशंट्स के बीच काफी प्रचलित हो गई.. हॉस्पिटल के स्टाफ़ मेम्बर्स भी उसे पसंद करने लगे.. और समय के साथ उसे स्वीपर की बजाय केयरटेकर का काम दे दिया गया.. इसके लिए उसकी तनख्वाह भी काफी ज्यादा बढ़ा दी गई..

वो महिला स्वीपिंग के बाद पेशंट्स का ध्यान केवल इसलिए रखती थी क्योंकि ऐसा करने से उसे ख़ुशी मिलती थी. उसे अपने काम से प्यार करने की इच्छा होती थी.. उसे जॉब सैटिसफैक्शन मिलता था और लोग उसे उसके काम की वजह से याद करते थे. 

ये कहानी बताती है कि जॉब सैटिसफैक्शन के लिए किसी बड़े पद पर होने की ज़रूरत नहीं है. ये एक ऐसा कला है, जिसे आप ईमानदारी से काम करके अचीव कर सकते हैं. इसलिए ऑथर सलाह देते हैं कि आप जो भी कर रहे हों.. बड़ी ईमानदारी से करिए.,एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब लोग आपको आपके काम की वजह से याद करेंगे. 

इसलिए जहाँ भी हैं .. वहां मीनिंगफुल वर्क क्रिएट करने की कोशिश करिए.. हर बदलाव छोटी सी पहल से ही शुरू होता है.

कुल मिलाकर
अगर आप अपनी स्किल्स पर काम करते रहेंगे तो लोग भी आपकी छोटी- मोटी गलतियों को माफ़ कर देंगे. बस उन्हें नज़र आना चाहिए कि सामने वाला इंसान लीडर के तौर पर ग्रो कर रहा है. स्किल्स पर काम करने को लेकर ऑथर कहते हैं कि “लीडरशिप एक ऐसे सफ़र की तरह है. जिसका कोई शॉर्ट कट नहीं है. ये सफर कभी ना खत्म होने वाला है. इसलिए सफर का आनंद लेते रहिए और खुद के ऊपर काम करते रहिए.” इसी के साथ याद रखिएगा कि जो बोलें उसके ऊपर विश्वास दिखाएँ और वही करके भी दिखाएँ.”अगर आप ज़ुमलेबाज़ी पर भरोसा करते हैं. तो याद रखिएगा कि आपके ऊपर लोगों का विश्वास आज नहीं तो कल खत्म हो ही जाएगा. 

क्या करें? 

सुबह की शुरुआत फोन के साथ ना करें.. जितना हो सके फोन से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करें. आपकी लाइफ के सूत्रधार आप ही हैं. इसकी ज़िम्मेदारी जल्द से जल्द लेने की कोशिश करें. 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Shapers By Jonas Altman

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अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.

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