Creativity, Inc......... ____

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Creativity, Inc.

Ed Catmull with Amy Wallace
उन अनदेखी ताकतों पर जीत हासिल कीजिए जो नए आइडियाज़ को लाने में रुकावट पैदा करती हैं।

दो लफ्जों में 
क्रीएटिविटी, इंक (Creativity, Inc.) में हम देखेंगे का किस तरह से आप अपने कर्मचारियों को प्रेरित कर के उनसे अच्छे से काम करवा सकते हैं। यह किताब हमें पिक्सर की कामयाबी के राज़ बताती है कि किस तरह से वहाँ पर कर्मचारियों से काम करवाया जाता है और किस तरह से वे नए नए आइडियाज़ पैदा कर पाते हैं।

यह किसके लिए है 
-वे जो पिक्सर की कामयाबी का राज़ जानना चाहते हैं।
-वे जो नए आइडियाज़ पैदा करने के तरीकों के बारे में जानना चाहते हैं।
-वे जो अपनी कंपनी को कामयाब बनाना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
एड कैटमुल ( Ed Catmull ) अमेरिका के एक कंप्यूटर साइंटिस्ट थे। वे पिक्सर एण्ड डिस्नी एनिमेशन के प्रेसिडेंट रह चुके हैं। उन्होंने कंप्यूटर ग्राफिक्स में बहुत से योगदान दिए हैं।
एमी वैलेस ( Amy Wallace ) अमेरिका की एक लेखिका थी। उन्होंने बहुत सारी बेस्ट सेलिंग किताबें लिखीं हैं। अगस्त , 2013 में उनकी मौत हुई थी।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
हर कोई चाहता है कि उनके कर्मचारी अच्छे से काम करें और बेहतर नतीजे पैदा करें, ताकि वे अपनी कंपनी को कामयाब बना सकें। हर बिजनेसमैन अपनी कंपनी को ऊपर तक लेकर जाना चाहता है। कुछ लोगों का मानना है कि उनके पास कामयाब होने के लिए दुनिया के सबसे काबिल लोग होने चाहिए। लेकिन क्या कुछ खास तरीके अपना कर हम अपने कर्मचारियों को बेहतर बना सकते हैं?

कैटमुल के हिसाब से जवाब हाँ है। इस किताब में वे बताते हैं कि किस तरह से वे अपने कर्मचारियों से बेहतर तरीके से काम करवा पाते हैं और किस तरह से उन्हें खुश रख पाते हैं। यह किताब हमें बताती है कि पिक्सर कंपनी किस तरह से इतनी शानदार और कामयाब फिल्में बना पाती है।

 

-कर्मचारियों को प्रेरित करने के तरीके क्या है।

-गलतियों से भी किस तरह से आपका फायदा हो सकता है।

-नए आइडियाज़ किस तरह से पैदा किए जा सकते हैं।

एक कंपनी के कर्मचारियों को काम के लिए प्रेरित रखने के लिए उनसे फीडबैक लेना बहुत जरूरी है।
बहुत सी कंपनियों के कर्मचारी अपने बॅास से सीधा बात नहीं कर पाते। कई जगहों पर अगर उन्हें कोई संदेश ऊपर तक भेजना होता है तो वे अपने मैनेजर से या अपने सुपीरियर से कहते हैं और वो उनके संदेश ऊपर तक ले जाता है। इसके अलावा बहुत से लोग अपने बॅास से बात करने में डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बॅास उनकी बात की इज्जत नहीं करेंगे। इससे बहुत सी समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।

सबसे पहला तो यह कि एक कंपनी को सही फीडबैक नहीं मिल पाता। जब एक ही बात 5 लोगों से होकर 6ठें व्यक्ति के पास पहुंचती है तो या तो उनका मतलब बदल जाता है या फिर खो जाता है। दूसरा यह कि जब कर्मचारियों की बात नहीं सुनी जाती तो उन्हें लगता है कि इस कंपनी में उनका कोई महत्व ही नहीं है।

इससे निपटने के लिए एक एनिमेशन कंपनी, पिक्सर ने 2013 में नोट्स डे रखा था। इस दिन कंपनी का कोई भी कर्मचारी कंपनी से संबंधित कोई भी सुझाव दे सकता था। इस दिन स्टाफ के लोग आपस में खुल कर बात कर रहे थे और उन्हें हर दिन कंपनी में जो समस्या आती थी उसके बारे में सबसे बता रहे थे। 

लेकिन यह जरूरी तो नहीं है कि आप हर किसी की राय लें और उसे लागू करें। बहुत बार ऐसा संभव भी नहीं होता कि आप सबके हिसाब से काम करें। इसलिए कर्मचारियों को खुद से जिम्मेदारी उठाने का मौका दीजिए। उन्हें कुछ पावर्स दीजिए ताकि वे भी कंपनी के कुछ फैसले ले सकें। उन्हें काम करने की कुछ आजादी दीजिए।

1940 के दशक में जापान की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को इस तरह से काम करने की जिम्मेदारी दी। उन्होंने उनसे कहा कि अगर उन्हें फैक्टरी के असेंब्ली लाइन में कुछ समस्या दिखती है तो वे उसे एक पुलर खींच कर रोक सकते हैं। इससे पहले यह जिम्मेदारी सिर्फ सीनियर मैनेजर के पास होती थी। लेकिन जब कर्मचारी खुद किसी समस्या को देखकर उसे रोकने लगे, तो उन्हें लगने लगा कि उन्होंने कुछ अच्छा काम किया है। इस तरह से वे अपने काम में मन लगाने लगे।

अंत में, अपने कर्मचारियों को प्रेरित रखने के लिए उनकी बातों को सुनिए। जब कर्मचारी अपनी समस्या को अपने बॅास से नहीं बता पाते, तो उन्हें लगता है कि वे सिर्फ एक कठपुतली हैं जिसे कंपनी अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रही है। इसलिए अपने कर्मचारियों को खुद से बात करने का मौका दीजिए।

हारने के डर से बहुत लोग बदलाव को नहीं अपनाना चाहते।
बदलाव किसी को नहीं पसंद है। जब लोगों के सामने कुछ नया आ जाता है तो उन्हें डर लगने लगता है कि उस नए माहौल में वे ज्यादा गलतियां करने लगेंगे और उन्हें गलतियां करना नहीं पसंद है। जब किसी कंपनी में कोई नया कंप्यूटर लगा दिया जाता है तो लोग अक्सर शिकायत करने लगते हैं कि पुराना वाला अच्छा था। पुराना वाला इसलिए अच्छा था क्योंकि वे उसे अच्छे से इस्तेमाल कर ले रहे थे और इस नए वाले को इस्तेमाल करना सीखने में वे कुछ गलतियां कर देंगे। इसलिए लोगों को बदलते माहौल नहीं पसंद।

अगर आपको अपने बिजनेस को नए लेवेल पर लेकर जाना है तो आपको अपने कर्मचारियों को गलती करने के लिए उकसाना होगा। उन्हें यह यकीन दिलाइए कि गलतियां करना गलत नहीं है, ताकि वे हारने के डर से बाहर निकल कर कुछ नया करने की कोशिश कर सकें।

शुरुवात में जब हालात बदलते हैं तो लोगों को कुछ परेशानी होती है, लेकिन समय के साथ वे उस नए हालात में खुद को ढ़ाल लेते हैं। अब क्योंकि हालात तो हमेशा बदलते रहते हैं, आपको अपने तरीकों को भी हमेशा बदलते रहना होगा। तो कभी भी एक तरीका बनाने की कोशिश मत कीजिए जिससे आप आने वाले सभी हालात से लड़ सकें।

जब आपके कुछ निश्चित तरीके नहीं होते तो उन्हें बदलने में आसानी होती है जिससे आने वाले वक्त में आपको परेशानी नहीं होती। इसलिए कभी अपनी कंपनी को एक ही तरीके से जिन्दगी भर चलाने की कोशिश मत कीजिए। जब डिस्नी और पिक्सर आपस में मिल रहे थे तो डिस्नी के एच आर पिक्सर के प्रेसिडेंट कैटमुल पास आए और उन्होंने उनके सामने 2 साल का प्लान और उसके साथ काम करने के तरीके रखे। उन्होंने कहा कि अगले दो साल तक हम इस तरह से काम करेंगे। लेकिन कैटमुल ने इसके लिए मना कर दिया। उन्होंने कहा कि प्लान या गोल से उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन काम करने के तरीकों को फिक्स करना अच्छा आइडिया नहीं होगा।

हम कभी कभी वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते हैं।
क्या आप ने कन्फर्मेशन बाएस का नाम सुना है? इसका मतलब यह है कि आप जो पहले से मानते हैं, उसी से संबंधित न्यूज़ चैनल देखते हैं, उसी से संबंधित वेबसाइट पर जाते हैं और अगर कोई ऐसी चीज़ आपके सामने आती है जो कि उस बात को गलत कहती है जो आप पहले से मानते हैं, तो आप उसे झूठ कहते हैं। दूसरे शब्दों में आप नहीं चाहते कि कोई आपको गलत ठहराए, इसलिए आप अनजाने में सिर्फ उन लोगों से राय लेते हैं जो कि आपकी तरह सोचते हैं या फिर आपके विचार से सहमती रखते हैं।

इससे बहुत बार हम से गलतियां हो जाती हैं क्योंकि हम दूसरे की बात सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं। हमें लगता है कि जो हम बोल रहे हैं वही सच है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि हमारे पास सामने वाले की बात को काटने की कोई वजह नहीं होती, लेकिन फिर भी हम उसे अपना नहीं पाते। हम बस अपनी ही बात किए जाते हैं।

एक्साम्पल के लिए मान लीजिए कि आप लोगों से कहते हैं कि आप एक बोट पर पार्टी करने का प्लान बना रहे हैं और आपको लगता है कि यह बहुत अच्छा आइडिया है। लेकिन आपके कुछ दोस्त बताते हैं कि नदी में अगर शराब मिल गई तो उससे पानी को बहुत नुकसान होगा। तीन लोगों ने आप से यह बात कही, लेकिन एक ने कहा कि उसे आपका आइडिया अच्छा लग रहा है। ऐसे हालात में संभावना है कि आप उस एक की बात को सुनेंगे और बाकी के लोगों को नजरअंदाज कर देंगे।

अगर आपको इस तरह के हालात से अपनी कंपनी को बचाना हो तो अपने कर्मचारियों की बात पर ध्यान देना सीखिए। यह सोचिए कि उन्हें भी आइडियाज़ पैदा करना आता है और समस्याओं को सुलझाना आता है। पिक्सर ने इस तरह का एक तरीका अपनाया था जिससे उनका काफी समय और पैसा बच गया।

पहले यह होता था कि एनिमेटर्स शुरू से लेकर अंत तक काम करते थे , लेकिन जब बीच भी में प्लान को कुछ बदलना होता था, तो उन्हें फिर से उस एनिमेशन को सुधारना पड़ता था। इसलिए एक कर्मचारी ने कहा कि क्यों ना वे लोग एनिमेशन का काम सबसे अंत के लिए रख दें। जब सारे प्लान बना लिए जाएं, तो अंत में एनिमेशन किया जाए। जब इस तरीके को अपना लिया गया तो इसका नतीजा बहुत अच्छा मिला।

कर्मचारियों को अगर बता दिया जाए कि वे काम किस लिए कर रहे हैं, तो वे ज्यादा मन से काम करते हैं।
बहुत से मैनेजर्स अपने कर्मचारियों को यह बताना जरूरी नहीं समझते कि वे किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और उसे करने का फायदा क्या होगा। वे बस अपने कर्मचारियों को काम दे देते हैं और उनसे यह नहीं बताते कि उस काम को करने से क्या होगा। इस तरह से वो कर्मचारी काम के महत्व को नहीं समझता और बिना मन के काम करने लगता है।

ऐसा ही कुछ स्कूल के बच्चों के साथ होता है। वे सारे सब्जेक्ट पढ़ते तो हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं  होता कि वे उन सब्जेक्ट को इस्तेमाल कहाँ पर करेंगे। उन्हें यह नहीं पता लगता कि उन सारे सब्जेक्ट्स को पढ़ने का फायदा क्या होगा और इसलिए ज्यादातर बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता।

अपने कर्मचारियों को काम करने की एक वजह दे दीजिए। वो वजह बहुत सिंपल सी हो सकती है, जैसे "सबसे बेहतर बनने के लिए काम करना"। पिक्सर के फाउंडर ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे सबसे बेहतर बनने के लिए काम करें। इससे वे खुद को उस मंजिल की तरफ ढ़केलने का काम करते रहते थे।

एक्साम्पल के लिए जब वे टॅाय स्टोरी 2 के लिए काम कर रहे थे, तो बहुत सी ऐसी समस्याएं आई जिससे उन्हें यह लगने लगा कि यह मूवी फ्लाप हो जाएगी या फिर रीलीज़ होने तक पहुंच ही नहीं पाएगी। लेकिन उन सारी समस्याओं को पिक्सर के कर्मचारियों ने मिलकर काम कर के सुलझाया क्योंकि उनकी मंजिल थी सबसे बेहतर बनने के लिए काम करना। इसका नतीजा यह हुआ कि उस मूवी ने 500 मिलियन डॉलर की कमाई की।

इसके अलावा जब एक कर्मचारी अपने काम को दूसरी नजर से देखता है और जब उसे लगता है कि उसक काम फाइनल प्रोजेक्ट का एक खास हिस्सा है तो वो मन लगाकर काम करता है। जब पिक्सर अपने पहले प्रोजेक्ट टॅाय स्टोरी पर काम कर रही थी तो उसके प्रोडक्शन मैनेजर को लोग एक आर्टिस्ट या टेक्नीशियन की नजर से देखते थे, लेकिन प्रोडक्शन मैनेजर्स को पता था कि वे इस मूवी से इतिहास रच रहे हैं। वे लोग अपने काम को अलग नजर से देखते थे और इसलिए वे उसे एक बेहतर तरीके से कर पाए।

आइडियाज़ से ज्यादा महत्व अपने लोगों को दीजिए।
आपका आइडिया कितना भी अच्छा क्यों न हो, लेकिन अगर आपकी टीम अच्छी नहीं है तो वे लोग उस अच्छे आइडिया को भी बेकार बना देंगे। लेकिन अगर आपके पास अच्छे और काबिल लोग हैं, तो वे आपके एक सिंपल से आइडिया को भी बहुत बेहतर तरीके से अंजाम तक लेकर जा सकते हैं।

बिजनेस किसी आइडिया से कामयाब नहीं होता। वो कामयाब होता है उन लोगों की काबिलियत की वजह से जो उस आइडिया पर काम कर रहे होते हैं। दुनिया के किसी भी कामयाब प्रोडक्ट को ले लीजिए, उनके आइडिया से ज्यादा बेहतर उनके लोग होते हैं जो कि एक साथ मिलकर उसे पूरा करते हैं। एप्पल अपने आईफोन्स बनाता है और उसके साथ साथ बहुत सी कंपनियां हैं जो कि अपने मोबाइल फोन्स बनाते हैं। इसका मतलब एप्पल के पास कोई नायाब आइडिया नहीं है। लेकिन उसके पास काबिल लोग हैं जिन्होंने उसे कामयाब बनाया।

एक टीम अच्छे नतीजे तब पैदा कर पाती है जब उसमें काम करने वाले लोगों का दिमाग अलग अलग तरह का हो। उनके सोचने का तरीका अलग हो और काम करने का तरीका भी अलग हो। जब एक ही दिमाग के चार लोग एक साथ काम करते हैं तो उसे टीम नहीं कहा जाता।

एक्साम्पल के लिए 1960 के दशक में कैटमुल यूनिवर्सिटी ऑफ उताह में गए थे जहां पर बहुत सारे अलग अलग इंट्रेस्ट रखने वाले बच्चों को कंप्यूटर पर काम करने के लिए कहा गया। उन्हें किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करने की आजादी दी गई थी। क्योंकि वे सारे बच्चे अलग अलग चीज़ों में दिलचस्पी रखते थे, वे एक से बेहतर एक आइडिया लेकर आ रहे थे और इसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने इंटरनेट का एक हिस्सा बना दिया। बाद में 1990 में उसके जैसे बहुत से नेटवर्क्स को मिलाकर इंटरनेट बनाया गया।

अपने कर्मचारियों को काम करने की आजादी दीजिए ताकि वे अपनी काबिलियत का इस्तेमाल कर सकें।
बहुत से मैनेजर्स होते हैं जो अपने कर्मचारियों को माइक्रोमैनेज करने की कोशिश करते हैं। माइक्रोमैनेज करने का मतलब वे उनके हर काम पर ध्यान देकर उसे सुधारते रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनका कर्मचारी उनसे बेहतर काम नहीं कर सकता और इसलिए वे उसे हर स्टेप पर बताते रहते हैं कि उसे किस तरह से काम करना है। कर्मचारियों को इस तरह से काम करना बिल्कुल नहीं पसंद है, क्योंकि हर कोई आजादी से काम करना चाहता है।

सबसे पहले तो यह सोचिए कि आप ने अपने कर्मचारियों को काम पर क्यों रखा था। ताकि वे अपने दिमाग का इस्तेमाल कर के वो काम कर सकें जो आप नहीं कर पा रहे हैं। कर्मचारी अक्सर अपने काम को समझते हैं और उसे मैनेजर से ज्यादा अच्छे से करना जानते हैं। लेकिन जब मैनेजर उन्हें बताने लगता है कि किस तरह से कोई काम करना है, तो कर्मचारी को लगता है कि उसे कैद कर के रखा गया है। 

पिक्सर में एक ग्रुप है जिसका नाम ब्रेनट्रस्ट है। इस ग्रुप में वे लोग हैं जो अपने काम में एक्सपर्ट हैं और काफी समय से पिक्सर के लिए काम कर रहे हैं। वे फिल्म के बनते समय तरह तरह के फीडबैक या सुझाव देते हैं लेकिन उनकी सलाह मानी ही जाए, यह जरूरी नहीं है। फिल्म का डाइरेक्टर हमेशा ही इंचार्ज रहता है और इस तरह से वे अपने काम को अच्छे से मैनेज कर पाते हैं।

लेकिन यहां पर एक समस्या आती है। आप यह कैसे पता कर पाएंगे कि आपका काम अच्छे से पूरा हो पा रहा है या नहीं? आपको यह कैसे पता लगेगा कि आपके कर्मचारी आपके हिसाब से काम को अंजाम तक पहुंचा पा रहे हैं या नहीं? इसका एक तरीका है काबिल लोगों को काम पर रखना। जब स्मार्ट लोग काम करते हैं तो वे गलतियों को तुरंत सुधारने की काबिलियत रखते हैं। 

कैटमुल हमेशा उन लोगों को काम पर रखते हैं जो कि उनसे ज्यादा काबिल होते हैं। कभी कभी तो वे उन लोगों को भी काम पर रख लेते हैं जो उनका काम भी उनसे अच्छा करना जानते हैं। बहुत से लोग इस तरह के लोगों को काम पर नहीं रखते क्योंकि उन्हें लगता है कि से लोग उनकी पोजीशन के लिए खतरा बन सकते हैं, लेकिन कैटमुल को पता है कि इसी तरह वे अच्छे लोगों को पा कर उनसे बेहतर काम करवा सकते हैं।

गलतियों से सीखना ही उसका सबसे अच्छा इस्तेमाल होता है।
बिजनेस में अक्सर तरह तरह की समस्याएं आती रहती हैं। कुछ बिजनेस में तो बहुत सारी समस्याएं एक साथ आ जाती हैं। हम उन समस्याओं को आने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते, लेकिन उनके आने पर खुद को उससे निकालने के लिए तरीके जरूर खोज सकते हैं। पिक्सर में ऐसे प्लान नहीं बनाए जाते जिससे समस्याएं आए ही ना, बल्कि कुछ इस तरह के तरीके बनाए जाते हैं जिससे उनके आने पर वे उनसे बाहर निकल सकें।

पिक्सर में गलतियों को सुधारने की पूरी कोशिश की जाती है। उन्हें पता होता है कि वे गलतियां करने से खुद को रोक नहीं सकते, इसलिए वे उस काम को बार बार दोहरा कर उसे तब तक करते रहते हैं जब तक उन्हें वो नहीं मिल जाता जो वो चाह रहे थे। उनका मानना है कि अगर गलती होती है तो वो पूरी टीम की गलती है और उसे सुधारने का काम भी टीम का ही है। इसलिए वे हर गलती को मिलकर सुलझाते हैं।

जब पिक्सर अपनी मूवी मॅान्सटर्स , इंक पर काम कर रही थी, तो बहुत सी समस्याएँ आ रही थी। लेकिन उन्होंने बार बार दोहरा कर उन सभी गलतियों को सुधारा। यह काम बहुत उबाऊ था, लेकिन अंत में उन्होंने एक कामयाब फिल्म बनाई। गलती का मतलब नाकामी नहीं होता। हार मानने का मतलब नाकामी है। इसलिए हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए ताकि हम वो फिर से ना दोहराएँ। जैसा कि पहले कहा गया कि हम खुद को गलतियां करने से रोक नहीं सकते। हम में से कोई भी पर्फेक्ट नहीं है। तो गलतियों का सबसे अच्छा इस्तेमाल होगा उनसे सीखकर आगे बढ़ना। उनके होने का अफसोस मनाने से कुछ भी नहीं होगा।

अच्छी क्रीएटिविटी को निकालने के लिज अपने काम करने की जगह को सुंदर बनाइए।
अक्सर होता है कि हम अपने आस पास की चीज़ों को देखकर उनसे सीखते हैं और उसका इस्तेमाल अपने काम में करते हैं। लेकिन अगर आप बहुत सी कंपनियों को देखें, तो उनके काम करने की जगह एकदम बोरिंग सी होती है। सभी को एक जैसे कमरे दिए जाते हैं और कर्मचारियों के पास कुछ भी खुद से चुनने के लिए नहीं होता। लेकिन पिक्सर में ऐसा नहीं है।

पिक्सर का मानना है कि जब आपकी कंपनी का माहौल अच्छा होगा और सुंदर होगा तो आप खुश रहेंगे, अच्छा सोच पाएंगे और अच्छा काम कर पाएंगे। लेकिन जब सब कुछ एक तरीके से होता है, तो लोग बोर हो जाते हैं। पिक्सर अपने कर्मचारियों को यह आजादी देता है कि वे लोग अपने काम करने की जगह को अपने हिसाब से सजा सकते हैं।

कैटमुल जब पहली बार डिस्नी एनिमेशन में आए थे तो उन्होंने देखा कि किसी का भी टेबल अच्छे से सजाया नहीं गया था। वे लोग हर रोज उसी एक जैसे दिखने वाली बोरिंग सी जगह पर काम करते रहते थे। उन्हें वही शेड्यूल मानने पड़ते थे। कैटमुल के हिसाब से इस तरह से काम करने पर काम करने की प्रेरणा खत्म हो जाती है। इसलिए उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपने टेबल्स को अपने हिसाब से सजा सकते हैं। 

इसके अलावा उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को वही एक शेड्यूल हर दिन फॅालो करने की जरूरत नहीं है। वे हर महीने में दो दिन का पर्सनल प्रोजेक्ट डे रखते हैं जिसमें कर्मचारी अपने पसंद की किसी भी समस्या पर काम कर सकते हैं। उन्हें अपने हिसाब से काम करने की आजादी दी जाती है जिससे वे अच्छा काम कर पाते हैं।

कुल मिलाकर
अपने कर्मचारियों को प्रेरित रखने के लिए उनसे फीडबैक लेते रहिए ताकि उन्हें यह लगे कि कंपनी में उनके विचारों की भी कदर की जाती है। उन्हें काम करने की और गलतियां करने की आजादी दीजिए ताकि वे उससे सीख सकें। उन्हें यह बताइए कि प्रोजेक्ट में उनकी अहमियत क्या है ताकि वे जिम्मेदारी लेकर काम करना सीख सकें।

 

कभी भी अपने प्लान को सख्त मत बनाइए।

 यह जरूरी नहीं है कि आप ने जैसा सोचा है वैसा ही हो। अगर हालात बिगड़ते हैं, तो अपने प्लान को उसके हिसाब से बदल सकते हैं। इसलिए कभी एक प्लान से काम काम करने की कोशिश मत कीजिए।

 

जब आप एक ही जगह पर काम करते रहते हैं तो आप ऊब जाते हैं और फिर अच्छे से काम नहीं कर पाते। इसलिए अपने काम करने की जगह को सजाते रहिए। समय समय पर उसके डिजाइन को अपने हिसाब से बदलते रहिए।


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