Beth Kempton
एक परफेक्टली इंपरफेक्ट लाइफ के लिए जापानी विजडम
दो लफ्जों में
वाबी साबी 2018 में लिखी गई एक किताब है। इस किताब में बताया गया है कि किस तरह जापान का एक कंसेप्ट वाबी साबी हमारी लाइफ को बेहतर बना सकता है। यह एक बहुत ही सिंपल कंसेप्ट है जो हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी और कंज्यूमैरिज्म के लिए एक दवाई की तरह काम करता है।
किनको यह किताब पढ़नी चाहिए?
- उन लोगों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए जो अपनी जिंदगी में प्रायोरिटीज को सही करना चाहते हैं।
- उन लोगों को जिन्हें जापानी विजडम में इंटरेस्ट हो।
- यह किताब उन लोगों को पढ़नी चाहिए जो नेचुरल दुनिया को समझना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
बेथ केंपटन डू बट यू लव कंपनी की फाउंडर है। यह एक ऐसी कंपनी है जो उन लोगों को लाइफ चेंजींग लेसन देते हैं जो अपने जीने के ढंग को बदलना चाहते हैं। लेखिका के काम को 24 लैंग्वेज में ट्रांसलेट भी किया गया है। वह एक अवॉर्ड विनिंग उद्यमी भी रह चुकी हैं। उनके दो बेटियां भी है। वह अपने पति और बेटियों के साथ इंग्लैंड के साउथर्न में रहती है।
वाबी साबी के कंसेप्ट को दोनों शब्दों को अलग-अलग कंसीडर करके समझा जा सकता है
क्या आप एक ऐसी जॉब कर रहे हैं जिसे आप बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं? इस वजह से आपकी पूरी एनर्जी भी उस जॉब में लग जाती है। आपको यह टेंशन हो रही है कि अभी तक आपने कुछ भी अचीव नहीं किया है। आप अपनी फैमिली और दोस्तों से बहुत दूर रहते हैं। आप शहर के एक ऐसे बिजी इलाके में रहते हैं आप जिसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। आपके पास ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके बारे में पता ही नहीं है कि क्या वह चीजें जरूरी है या नहीं? बस कुछ ना कुछ करके बिना पसंद के ही जिंदगी चली जा रही है। वाबी साबी जापानी कंसेप्ट सेम इस तरह की लाइफ को अच्छा बनाने के लिए अप्लाई किया जा सकता है। यह कंसेप्ट हमें सिखाता है कि किस तरह सिंपलीसिटी का यूज करके हमारी गलतियों और इम्परफेक्शन को स्वीकार करके चीजों को एक नए नजरिए से देखा जा सकता है। यह हमें बताता है कि किस तरह चीजों को आसान बनाया जाए और उन्हें प्रायोरिटीज दी जाए। साथ ही साथ यह सब चेंज करते हुए हम अपने ऊपर ज्यादा हावी ना हो जाए यह कंसेप्ट इस बात का भी ध्यान रखता है। यह हमें बताता है कि हमारे पास जो भी है वह काफी है और हमारी रोज की जिंदगी में कुछ जादू है। हमें सिर्फ और सिर्फ इसे यूज करना आना चाहिए। इसके अलावा आप जानेंगे कि जापानी चाय सेरिमनी सिंपलीसिटी को क्यों बढ़ावा देती है? मौसम हमें हमारे इमोशन के बारे में क्या सिखाते हैं? और कैसे एक लौंग डिस्टैंस स्विमर हमारे फेलियर के बारे में दोबारा से सोचने में हेल्प कर सकता है?
अगर आप जापान में अपनी पूरी जिंदगी भी बिताते हैं तब भी किसी के मुंह से वाबी साबी के शब्द को नहीं सुनेंगे। जापान के सबसे ज्यादा अथॉरिटेटिव डिक्शनरी में भी इसके बारे में कुछ नहीं लिखा गया है। क्योंकि यह वाबी और साबी दो अलग-अलग शब्दों से बना है। दोनों को जोड कर कोई भी नया शब्द नहीं बनाया जा सकता है।
जबकि वाबी साबी का मतलब एक ऐसी फिलॉसफी पर बेस्ड है जिसमें इनविजिबल धागे की तरह जापानी लाइफ और कल्चर को जिया जाता है। लेकिन इसका मतलब क्या है?
सबसे पहले वाबी से शुरुआत करते हैं। मॉडर्न लाइफ में इसका मतलब है साधारण। जबकि इस शब्द को गरीबी, अक्षमता और उतावले होने के साथ भी कंपेयर किया जा सकता है।
इस शब्द के पूरे मतलब को समझने के लिए हमें जापान की पुरानी चाय सेरेमनी के बारे में जानना होगा जो जापानी कल्चर और लाइफ का एक इंपॉर्टेंट हिस्सा है। 16th सेंचुरी में जापान फ्यूडल लॉर्ड जिसे डेम्यो भी कहा जाता था, के द्वारा चलाया जाता था। डेम्यो के समुराई योद्धाओं ने रात में चाय पीना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से वह पूरी रात जागे रहते थे और महल की रक्षा करते थे। चाय सेरेमनी के दौरान वह अपने अशांति भरे जिंदगी में कुछ पल शांति के बिताते थे।
कुछ ही समय में चाय पीना लोगों के लग्जरी लाइफ का हिस्सा हो गया था। लोगों ने अलग टी रूम बनाना शुरू कर दिया था और चाय पीने के लिए महंगे बर्तन खरीदना शुरू किया था। लोग यह भूल गए थे कि चाय सेरेमनी को शांति के लिए मनाया जाता था।
टी मास्टर सेन रो रिक्यू ने क्रांति लाने का फैसला किया। उन्होंने लग्जरी टी सेरेमनी को अस्वीकार कर दिया और इसके बदले छोटे टी रूम में बैठकर सिंपल बर्तनों में चाय पी। उनका मानना था कि चाय सेरेमनी के दौरान अपना पैसा दिखाने की बजाय शांति और नेचुरल ब्यूटी को सेलिब्रेट करना चाहिए। रिक्यू स्टाइल टी सेरेमनी को बाद में वाबी टी या "वाबी-चा"का नाम दे दिया गया। उस समय वाबी एक ऐसे माइंडसेट को बोला जाता था जिसमें सिंपलीसिटी और इंसानियत भरी होती थी।
आइए अब साबी के बारे में बात करते हैं। इस शब्द को अगर इंग्लिश में ट्रांसलेट किया जाए तो इसका मतलब होगा पुराना लुक या फिर खूबसूरत सिंपलीसिटी। समय के साथ इस शब्द को ऐसी ब्यूटी के साथ जोड़ा गया जो टाइम और एक्सपीरियंस के साथ आती है। प्रेज ऑफ़ शैडो (Praise of Shadows) में जयूनीचिरो टानीजाकी (Jun'ichirō Tanizaki) ने इसे ज्यादा अच्छे से एक्सप्लेन किया है। जब वह जापानी लोगों की तरफ से बोलते हैं कि "हम हर चमकने वाली चीज से नफरत नहीं करते हैं लेकिन हम एक आम चीज़ में चमक देखना पसंद करते हैं।"
दोनों शब्दों को कंबाइन करके एक ऐसा शब्द बनता है जो सिंपल नेचुरल ब्यूटी और हमारी इंपरफेक्शंस को निहारता हो। इसे वेस्टर्न दुनिया में परफेक्शन, मैटेरियलिज्म और समय का सामना करने से भी जोड़ा गया है। हमारी तेजी से दौड़ने वाली लाइफ में वाबी साबी से हम ज्ञान ले सकते हैं।
एक वाबी साबी घर बहुत ही शांति भरा और सिंपल होता है
आप अपने लिविंग रूम में रिलैक्स करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब लग रहा है कि इस कमरे या फिर इस घर की कुछ चीजें सही नहीं है। आपने सुंदर फर्नीचर, महंगा टीवी, स्पीकर सेटअप सब कुछ लगाया हुआ है लेकिन फिर भी कुछ कमी है। क्योंकि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें आप पसंद नहीं करते हैं लेकिन फिर भी अपने घर में रखते हैं। ड्रौर और अलमारियों में ऐसी बहुत सी छोटी-छोटी चीजें हैं जिनकी वजह से आप परेशान होते हैं।
अगर आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो वाबी साबी के कंसेप्ट से इसको सॉल्व किया जा सकता है।
इसके पीछे का मैसेज यह है कि वाबी साबी घर बहुत ही शांति भरा और सिंपल होता है।
सबसे पहले वाबी साबी घर में कमियों को सेलिब्रेट किया जाता है। हम ऐसे कमरों में नहीं रह सकते हैं जिनमें भारी-भरकम सामान रखा गया हो और जो इंस्टाग्राम फीड में अच्छे लगते हैं। सबसे बढ़कर घर में हमें शांति चाहिए होती है। घर एक ऐसी जगह है जहां हम सबसे ज्यादा कंफर्टेबल होते हैं। इसका मतलब यह है कि हमें वह अनइवन और मेसी चिजें भी एक्सेप्ट करनी होती हैं जिन्हें इंसान अपने रहने वाली जगह पर रखता है।
इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप घर में सिर्फ और सिर्फ नेचुरल चीजें लाएं। जैसे कि ऐसी चीजें जो लकड़ी और पत्थर से बनी हो। इन चीजों में सुंदर कमियाँ होती है जैसे कि लकड़ी में बंधी एक गाँठ या फिर पत्थर पर निशान। इन चीजों से हमें यह याद रहता है कि दुनिया भी हमारी तरह परफेक्टली इंपरफेक्ट है।
अगर आप अपने घर को अपनी तरह बनाना चाहते हैं तो उसे डेकोरेट करते टाइम थोड़ा इमोशनल होकर सोचें। आप अपने घर के छोटे से कॉर्नर को कुछ चीजों का यूज़ करके अपनी फीलिंग या फिर क्लोज मेमोरी के अकॉर्डिंग सजा सकते हो। यह चीजें कुछ पत्थर के टुकड़े या फिर लकड़ी के टुकड़े भी हो सकते हैं।
छोटी-छोटी स्पेशल चीजें जगह को ट्रांसफार्म कर सकती है। वाबी साबी कंसेप्ट में चिजें कम करने की वैल्यू है। सही तरीके से चीजों को घटाकर इस बात पर फोकस किया जा सकता है कि आपके घर में क्या इंपॉर्टेंट हैं? कुछ ऐसी स्पेशल चीजें जो आपके अंदर की खुशी को बाहर लाएं या फिर आपके कमरे में एक अलग ही चमक लाएं।
इस तरह से टी सेरेमनी को यूज में लाया जा सकता। इस कंसेप्ट में हम सिर्फ उन्हीं चीजों पर फोकस करते हैं जिनकी सच में जरूरत होती है। जैसे कि हमारी लोगों के साथ रिलेशनशिप, हमारी यादें और सुकून के कुछ पल। इस तरह से एक वाबी साबी घर हमें इंपरफेक्ट बनने के लिए कहता है। लेकिन हमारी जिंदगी में सिंपलीसिटी और शांति को भी लाता है। ऐसा करने से हम उस चीज के ज्यादा पास आ जाते हैं जिसे करने से हमें खुशी मिलती है।
जब आप जापानी भाषा सीखेंगे तो आपको यह रिलाइज होगा कि यह भाषा नेचर के कितने करीब है। इस भाषा में ऐसे बहुत से शब्द हैं जो असल में नेचर की आवाज है। बहुत से शब्द सिर्फ किसी साउंड से एसोसिएटेड है। एग्जांपल के लिए जापानी शब्द कोपोकोपो एक ऐसी साउंड है जो पानी के बबल में से आती है। जबकि ह्यूह्यू हवा चलने की साउंड है।
जापानी भाषा की तरह वाबी साबी भी नेचुरल दुनिया के साथ एक क्लोज कनेक्शन बनाने के लिए उकसाता है।
जब हम नेचर के बारे में फोकस होकर पड़ते हैं तो हमें यह पता लगता है कि पूरी दुनिया में कुछ जादू है। हम एक पल में और भी ज्यादा प्रेसेंट बन जाते हैं। ओल्ड मास्टर मत्सयूओ बासो और कोबयासी इसा के द्वारा लिखी गई हयाकू पोइटरी में यह अच्छे से बताया गया है। नेचर से सिंपल इमेज बनाती है। बासों हयाकू की सबसे फेमस पोइम के बारे में पढ़ते हैं। पोइम में लिखा गया है:
द ओल्ड पोंड
अ फ्रॉग जम्प्स इन
साउंड ऑफ़ वाटर
यहां हम सिर्फ नेचूरल जादू पर फोकस करते हैं।
यह कंसेप्ट जापान के सीजन में भी देखा जा सकता है। बाकी देशों की तरह 4 सीजन ना होकर जापानी कैलेंडर में 24 छोटे-छोटे सीजन बताए गए हैं जिन्हें सेकी कहा जाता है। साथ ही साथ इन 24 सीजन में 72 माइक्रो सीजन भी है जिन्हें "को"कहा जाता है। यह माइक्रो सीजन दुनिया के पर्यावरण और अपीयरेंस में हो रहे बदलावों पर फोकस करते हैं। इनके नाम भी हाइबरनेट किए गए कीड़ों के जगने पर रखे गए हैं।
आज की लाइफ में हम बाहरी दुनिया में हो रहे छोटे छोटे चेंज को नोटिस करना ही भूल गए हैं। अनफॉर्चूनेटली यही चीज हम अपनी जिंदगी के साथ भी करते हैं। मॉडर्न लाइफ ने हमारे दिमाग और शरीर के बीच के सिग्नल को रोक दिया है क्योंकि हम हर समय या तो काम करते हैं या फिर स्क्रीन के सामने टाइम वेस्ट करते हैं। अगर हम नेचुरल वर्ल्ड में हो रहे छोटे-छोटे चेंज को नोट करना सीख जाते हैं तो हम बहुत एक्टिव हो जाएंगे । हमें यह पता लगेगा कि हमें कब रेस्ट करना है, कब एक्सरसाइज करना है, कब उजाले में जाना है, कब अंधेरे में जाना है या फिर कब ट्रैवल करना है।
जब हम नेचर को अच्छे से नोट करते हैं तो हमें पता चलता है कि वह वाबी साबी का ही एक कंसेप्ट है। सुंदर चेरी ब्लॉसम होना, मेफ्लाई का मरना और पहाड़ों में से बर्फ का पिघलना, यह सब हमें खुद के अस्थायी होने की याद दिलाते हैं और बताते हैं कि इससे पहले देर हो जाए हमें सिर्फ और सिर्फ उन चीजों पर फोकस करना है जो सच में जरूरी है।
वाबी साबी हमें चीज़ों को स्वीकार करने के लिए कहता है
सब लोग यह मानते हैं कि जिंदगी कभी-कभी बहुत ज्यादा चैलेंजिंग हो जाती है। लेकिन चैलेंज स्वीकार ना करके हम चीजों को अपने लिए और भी ज्यादा मुश्किल कर देते हैं। जब हम चीजों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं तब हम आगे बढ़ कर उन्हें जाने देते हैं। जब भी जिंदगी आपको कोई चैलेंज देती है तब उस चैलेंज को एक्सेप्ट करने की पावर रखिए।
सबसे पहले हमें चीजों को एक्सेप्ट करने के लिए तैयार होना चाहिए। इस दुनिया में कोई भी चीज परमानेंट नहीं है। इसलिए हमें अडॉप्ट करने की आदत होनी चाहिए।
यह हम नेचर से सीख सकते हैं। एग्जांपल के लिए ऐसे क्लाइमेट के बारे में सोचिए जिनमें बांस के पेड़ उगते हो। उस क्लाइमेट में जोरदार बारिश भी होती होगी और तेज तूफान भी आते होंगे लेकिन बांस के पेड़ गिरने और टूटने की बजाए हवा के साथ मुड़ जाते हैं। इन पेड़ों से हमें भी सीखना चाहिए कि मुसीबतें आने और समय बदलने पर पर गिरने और टूटने की बजाय फ्लैक्सिबल होकर मुड़ें और आगे बढ़ते रहें।
इसकी जगह आप जापान की बिल्डिंग को भी मान सकते हैं। उन बिल्डिंग को कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि वह भूकंप का सामना कर सके। जब भूकंप से जमीन कांपने लगती है तब सिर्फ वही इमारतें खड़ी रहती है जिनमें भूकंप के साथ हिलने की पावर होती है। जब कि कड़क इमारतें मिट्टी में मिल जाती है।
यही चीजें हमारी जिंदगी में भी होती है। कभी-कभी लाइफ में कुछ चेंज हमारे जीने के तरीके को बदल देते हैं। हमारे रिश्ते, करियर, हेल्थ सब कुछ एक पल में बदल जाता है। लेकिन जितना जल्दी हम बदलाव को एक्सेप्ट करेंगे हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा। इससे हम स्वयं को नई रियलिटी के लिए बदल सकते हैं। फिर चाहे जॉब को खोना हो या फिर आपका पार्टनर चीट कर रहा हो। जब भी जिंदगी में तूफान आता दिखे तो खड़े होकर उसका सामना करें।
साथ ही साथ हमें खुद को भी एक्सेप्ट करना चाहिए। हमें हमारी अस्त व्यस्त और अधूरी लाइफ को एक्सेप्ट करना चाहिए। हमेशा सपनों की जिंदगी हमें नहीं मिलती है। सब की लाइफ इंपरफेक्ट है और अगर हम इस फैक्ट को एक्सेप्ट कर लेते हैं तब हम समझेंगे कि हम भी हमारी लाइफ की तरह ही है ”परफैक्टली इंपरफैक्ट"।
वाबी साबी हमें सिखाता है कि किस तरह से लर्निंग और फेलीयर का सही तरीके से सामना करें।
एग्जाम में खराब नंबर आना, पब्लिशर से रिजेक्शन मिलना, फेल ड्राइविंग टेस्ट हम सबकी जिंदगी इसी तरह चल रही है। सीखना और फेल होना कभी-कभी दुख दे सकते हैं। लेकिन अगर हम इन दोनों चीजों को वाबी साबी के नजरिए से देखें तो यह हमें हर्ट नहीं कर सकती हैं।
चैप्टर का मैसेज यह है कि वाबी साबी हमें सिखाता है कि लर्निंग और फेलियर का हेल्दी तरीके से कैसे सामना करें।
सीखने का टाइम कभी खत्म नहीं होता है। कंप्लीट और परफेक्ट लर्निंग नाम की चीज नहीं होती है। इसके लिए हम लेखिका की स्टोरी का एग्जांपल ले सकते हैं। शुरुआत में उन्हें यूके के दुरहाम यूनिवर्सिटी में जापानी सीखने में बहुत मुश्किलें होती थी। उनके सफर के हर एक मोड़ पर अपने एक्सपीरियंस से वह और भी ज्यादा कॉन्फिडेंट हुई हैं। स्टडीज में सबसे पीछे छूटने से लेकर एक अच्छा इंटरप्रेन्योर बनने तक उनकी जिंदगी में ऐसे बहुत से मोड़ आए जब उन्हें एकदम नकारा महसूस होता था या फिर कभी-कभी सबसे इंटेलिजेंट महसूस होता था।
सच्चाई यह है कि हमें अपने दिमाग में यह लाना होगा कि लर्निंग कभी भी कंप्लीट नहीं हो सकती है। जब भी हम कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं चाहे वह भाषा हो, गाना बजाना हो या कुछ और हमें हमेशा यह सोचना चाहिए कि लर्निंग की कोई भी फाइनल डेस्टिनेशन नहीं है। लर्निंग में उतार और चढ़ाव दोनों आएंगे लेकिन यह कभी खत्म नहीं होगी।
अगर यह चीज आपके दिमाग में बैठ जाती है तो आपको पता लगेगा कि लर्निंग के सफर में पीछे बहुत से रास्ते छूट गए हैं और आगे अभी बहुत से रास्ते कवर करने हैं। स्वयं को दूसरों से कंपेयर ना करें, सिर्फ और सिर्फ अपनी खुद की इंडिविजुअल जर्नी पर फोकस करें।
जैसे कि लर्निंग कभी ना खत्म होने वाली प्रोसेस है इसीलिए फेलियर भी इसका इंपॉर्टेंट हिस्सा है। फेल होना सिर्फ डिजास्टर नहीं होता है बल्कि यह अपॉर्चुनिटी से भरा हो सकता है। इसके लिए हम लॉन्ग डिस्टैंस स्विमर केन लगारसी की स्टोरी का एग्जांपल ले सकते हैं। वह हाई स्कूल से ही स्विमिंग किया करते थे। लेकिन 30 की उम्र तक पहुंचते हुए स्विमिंग, काम और फैमिली की वजह से छूटने लग गई। एक दिन उन्होंने इंग्लिश चैनल में 15 घंटे तक तैरने का फैसला लिया। जैसे ही उन्होंने स्विमिंग स्टार्ट कि उन्हें रियलाइज होने लगा कि स्लीपिंग पिल्स और व्हिस्की का बॉडी पर कितना बुरा असर पड़ा है और वह पीछे छूटते गए। दुख की बात यह है कि उनसे अपना गोल पूरा नहीं हो पाया लेकिन वह अपनी डेस्टिनेशन तक 15 घंटों की बजाय 16 घंटों में पहुंच गए।
गोल पूरा ना करने का दुख मनाने की बजाय उन्होंने इस बात की खुशी मनाई कि वह अपनी डेस्टिनेशन तक पहुंच गए। उन्होंने अपने फेलियर को पीछे छोड़कर इससे कुछ पावरफुल सीख ली। इसके बाद वह पहले ऐसे जापानी स्विमर बने जिन्होंने जापान से कोरिया तक स्विम किया हो। साथ ही साथ पहले ऐसे व्यक्ति जिन्होंने रशिया में लेक बेकाल तक स्विम किया हो।
हमें उनसे यह सीखना चाहिए कि किस तरह से हम अपने फेलियर से पॉजिटिव चीजें सीख सकते हैं। फेलियर का मतलब अंत नहीं होता है बल्कि इसके पीछे एक यूजफुल लाइफ लेसन छिपा होता है। हर एक फेलियर के बाद हम उसमें से ऐसी चीजें डिस्कवर कर सकते हैं जिनके बारे में हमें कुछ पता ना हो।
वाबी साबी की टी सेरेमनी हमें पर्सनल रिश्ते सुधारने में हेल्प कर सकती है
जापान में टी सेरेमनी को बहुत शांतिप्रिय सेरेमनी माना जाता है। इस सेरेमनी के दौरान लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और एक दूसरे के प्रति अपनी केयर दिखाते हैं।
यह चार मेन प्रिंसिपल पर बेस्ड है- वा, की, से, जाकू। इनका अर्थ है एकता, इज्ज़त, शुद्धता और शांति। लेकिन यह चारों शब्द सिर्फ टी सेरेमनी से ही हासिल नहीं किए जा सकते हैं। इन चारों शब्दों को हम अपनी लाइफ में भी उतार सकते हैं।
सबसे पहले वा का मतलब है एकता। आप अपने रिश्तो में ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे उनमें एकता आए। मान लेते हैं कि किसी इंसान के पास अलग तरह की एनर्जी है यानी कि वह एक बहुत ज्यादा चिंतित या उत्सुक रहने वाला इंसान है। उस व्यक्ति से एकता का रिश्ता बनाने के लिए आपको उसके दिमाग को शांत करना होगा। अगर उसे आप कोई खबर सुना रहे हो तो बहुत शांति से सुनानी होगी। यह एक सिंपल जैस्चर हो सकता है।
की का मतलब है रिस्पेक्ट। किसी इंसान कि किन चीजों को आप रिस्पेक्ट देते हैं और उन्हें बताते भी हैं। यह कुछ ऐसा हो सकता है जो किसी के नोटिस में ना आए। हो सकता है कि आपका दोस्त आपको हमेशा सच बताता हो। वह आपको अनकंफरटेबल सिचुएशन में भी सच बताता है। आप उसकी इस बात को बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट देते हैं और यह उसे बताने में वह हर्ट नहीं होगी।
से का मतलब है शुद्धता। टी सेरेमनी के संदर्भ में इसका मतलब यह है कि मेहमान रूम के अंदर आते ही अपने हाथ धोएं। इससे वह बाकी लोगों के प्रति अपनी केयर और रिस्पेक्ट बताते हैं। इसके साथ-साथ यह दिल की शुद्धता के बारे में भी बताता है। यह बताता है कि हमें हमेशा एक दूसरे के अंदर से वेस्ट निकालना चाहिए।
जब आप किसी इंसान के अच्छी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप क्या देखते हैं? चाहे आपकी उनसे बनती भी ना हो लेकिन फिर भी उनकी अच्छी चीजों के बारे में बात करते हैं। अब क्या अलग होगा? इसके लिए हम लेखिका का एक एग्जांपल ले सकते हैं वह नोटिस करती है कि उनके पति किचन में गीला तोलिया रख कर चले गए। इससे लेखिका को बहुत ज्यादा गुस्सा आया लेकिन जब लेखिका को यह रियलाइज हुआ कि उन्होंने वह तोलिया वहां डिनर बनाने के बाद, बर्तन मांजने के बाद, बच्चों को सुलाने के बाद और लेखिका को गले लगाने के बाद रखा था तो उनका गुस्सा गायब हो गया।
जाकू का मतलब होता है शांति। जब आप दूसरों के साथ कनेक्ट होते हैं तो आपको शांति और स्पेस दोनों चाहिए होता है। आपको अपने पार्टनर के साथ बिताने के लिए थोड़ा टाइम चाहिए होता है। यह एक साथ बहुत लंबी वॉक या फिर शांति भरे कैफे कॉर्नर की कॉफी हो सकती है। आप कुछ भी प्रेफर कर सकते हैं जिससे आपके और आपके पार्टनर को टाइम और शांति एक साथ मिले।
वाबी साबी का विजडम आपके करियर में हेल्प कर सकता है। आपने अभी-अभी ऑफिस की एक गौसिप सुनी है कि कोई प्रमोट होने वाला है। यह सुनकर आपको धक्का लगा है। ऐसा नहीं है कि आप उस व्यक्ति को पसंद नहीं करते हो लेकिन आप भी एक प्रमोशन डिजर्व करते हो। आप खुद से कुछ सवाल पूछने लग जाते हैं, प्रमोट हुए व्यक्ति में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है? मैं और लोगों की तरह सक्सेसफुल क्यों नहीं हूं?
हम सभी को ऐसी सिचुएशन का सामना करना पड़ता है। लेकिन अंत में कैरियर के प्रेशर से किसी का भी भला नहीं हुआ है।
जैसा कि हमें पता है वाबी साबी परफेक्शन के बिलकुल खिलाफ है। यही चीज हमारे करियर में भी लागू होती है। इसका मतलब यह है कि हमें खुद को बाकी लोगों से कंपेयर करना बंद करना होगा। सबके अपने इंडिविजुअल करियर हैं। हम सब को अप्स और डाउन का सामना करना पड़ता है। जिस व्यक्ति को अभी-अभी प्रमोशन मिली है हो सकता है उसने पहले बहुत मुसीबतों का सामना किया हो। जिस नोबलिस्ट को अभी-अभी लिटरेरी प्राइज मिला है उसने पास्ट में बहुत सी रिजेक्शन का सामना किया है।
परफेक्ट करियर जैसी कोई चीज नहीं होती है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने मनचाहे करियर तक ट्विस्ट भरे रास्तों से पहुंच जाते हैं। रियलिटी में टविस्ट भरे रास्तों को फॉलो करके ही हम अपनी जॉब, गोल या फिर मनचाही मंजिल तक पहुंचते हैं।
समय की कदर करने वाला कंसेप्ट वाबी साबी हमें सिखाता है कि मंजिल से ज्यादा खूबसूरत सफर होता है। जापानी भाषा में डू नाम का अक्षर है, इस अक्षर को जब दुसरे अक्षरों के साथ मिलाया जाता है तो इसका मतलब होता है: द वे। इस वर्ड को कंबाइन करके जूडो बोला जाए तो इसका मतलब है द वे ऑफ जैंटलनेस। साडो का मतलब है द वे ऑफ टी, कराटीडो का मतलब है द वे ऑफ एम्प्टी हैंड। इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि किसी भी मंजिल की तरफ का रास्ता लाइफ लेसन से भरा होता है। और यह रस्ता हमारे एंड गोल से भी ज्यादा इंपॉर्टेंट होता है।
यही चीज हमारे करियर में भी अप्लाई होती है। पश्चिमी देशों में तरफ परफेक्शन और कंप्लीशन की डिमांड है। हम खुद को डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए फोर्स करते हैं लेकिन कभी-कभी जब चीजें हमारे अकॉर्डिंग नहीं होती है तब हमें डिसअपॉइंटमेंट का सामना भी करना पड़ता है।
इसके बदले हमें अपने करियर तक पहुंचने के लिए पेशेंस के साथ लंबा रास्ता तय करना चाहिए। हमें जूडोका की तरह पेशेंस होनी चाहिए, जूडोका ऐसे जूडो मास्टर को कहते हैं जो मानते हैं कि फाइनल मंजिल नाम की कोई चीज नहीं है। बल्कि हमारे जर्नी में आने वाले लेसन सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट होते हैं।
वाबी साबी की हेल्प से हम एजिंग की टर्म तक पहुंच सकते हैं और इस दुनिया में बिताए गए हर एक पल को इंजॉय कर सकते हैं
शमशानघाट में जलती हुई चिताएं, कब्रिस्तान में कबरों की लंबी लाइन, लोकल अखबार में मेमोरियल सर्विस की लिस्ट, किसी बड़े सेलिब्रिटी की मौत की खबर, यह सब खबरें हमें मौत की याद दिलाती रहती है।
सच्चाई यह है कि हमें बूढ़े होने से डर लगता है। हम हर कीमत पर इससे दूर भागने की कोशिश करते हैं। इस वजह से टीवी में एंटी एजिंग क्रीम और लोशन की बहुत सारी एड दिखाई जाती हैं।
अमर होने के चक्कर में हम उस पॉजिटिविटी को इग्नोर कर देते हैं जो बूढ़ा होने के साथ आती है। जैसे कि विजडम और विचार जो कि एक्सपीरियंस के फल है। वाबी साबी के कंसेप्ट के अकॉर्डिंग इन चीजों को बिल्कुल उसी तरह सराहा जाना चाहिए जैसे कि हम पुरानी चीजों की फीकी पड़ी सुन्दरता को सराहते हैं।
वाबी साबी हमें एजिंग को सराहने करने के लिए कहता है और हमारी जिंदगी के पतझड़ के समय रिलैक्स होने को कहता है। जैसे ही हम एजिंग के टाइम पर रिलैक्स होते हैं हम वह वाबी साबी के एक और कंसेप्ट को समझते हैं: कुछ भी परमानेंट नहीं है। लेकिन यह भी सही है, जैसे ही हमें यह पता लगता है कि इस दुनिया में हमारा टाइम बहुत लिमिटेड है हम इससे और भी ज्यादा वैल्यू और मीनिंग निकालते हैं। हम अपने से करीब लोगों के साथ प्यारे लम्हों को बिताते हैं और वह चीजें करते हैं जिनमें सबसे ज्यादा मजा आता है।
और अगर आप बूढ़े भी नहीं हैं तब भी यह कंसेप्ट आपके दिमाग को अधूरापन को समझने के लिए फोकस करता है। आप ऐसी क्या चीजें करेंगे जब यह पता चलेगा कि इस धरती पर आप सिर्फ 10 साल जिंदा रह सकते हैं या फिर 1 साल! चीज़ों को ऐसे देखने से आप अपनी लाइफ की प्रायोरिटी को सही आर्डर में ला सकते हैं।
इस तरह से आपको पता चलेगा कि पर्फेक्ट लाइफ के पीछे भागने से कुछ नहीं होगा बल्कि रोज के मैजिक को ढूंढना ही रियल परफेक्शन है। किसी दोस्त से गले मिलना, गार्डन में पक्षियों के बीच बैठकर काम करना, कॉफी की महक को इंजॉय करना यही हमारे रोज के जादू है।
कभी-कभी यही चिजें आपको लिखने में भी हेल्प कर सकती है। इसलिए इनकी सराहना करना ना भूले। 11 वीं सदी की लेखिका सी शोनागन (Sei Shōnagon) ने अपनी कुछ फेवरेट चीजों को थिंग्स टू क्विकन द हार्ड और थिंग्स दैट अराउस अ फोंड मेमोरी ऑफ द पास्ट में लिख दिया।
सी की तरह हमें अपने आसपास ही सिंपल और प्रोफाउंड ब्यूटी को तब तक ढूंढना चाहिए जब तक हमारे पास टाइम है।
कुल मिलाकर
वाबी साबी एक ऐसा कंसेप्ट है जिसने जापान में अव्यवस्था को लाया। यह सिंपलीसिटी को अधूरापन के साथ प्रमोट करता है। इसकी फिलॉसफी से हम बहुत सारी चीजें सीख सकते हैं चाहे वह अपने रिलेशनशिप को ठीक करना हो, अपने करियर को सही करना हो, फेलीयर की तरफ अपरोच हो या फिर अपने घर को डेकोरेट करना हो। परफेक्शन के पीछे भागने से डिप्रेशन को लेने की बजाय वाबी साबी परफेक्टली इंपरफेक्ट के कंसेप्ट को एंकरेज करता है।
पंछियों को नोटिस करना सीखें।
अगली बार जब भी बाहर घूमने जाएं, देखें कि क्या आप किसी पक्षी को सुन या देख सकते हैं? वह किस तरह के दिखते हैं? कैसी साउंड निकालते हैं? आपके फेवरेट पंछी कौन से हैं? जब आप घर वापस आएंगे तो इंटरनेट से उन पंछियों को मिलाएं और देखें कि आप कितने पंछियों को पहचान पाते हैं और अपनी डायरी में उनका एक नोट बनाएं।
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