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Tien Tzuo and Gabe Weisert
क्यों सब्सक्रिप्शन मॉडल आपके कंपनी का भविष्य है और आप इस बारे में क्या कर सकते हैं?

दो लफ़्ज़ों में
सब्सक्राइब्ड उस बिजनेस मॉडल के बारे में जानकारी देती है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है: सब्सक्रिप्शन. चाहे वो Netflix हो, Spotify हो, या Uber, इन कंपनियों ने ये साबित किया है कि आज-कल ग्राहक चीजें खरीदने से ज्यादा दिलचस्पी उन चीजों से मिल रही सर्विस में रखते हैं। अगर आप आजकल के मार्केट में कुछ करना चाहते हैं तो, ये किताब आपको उस बारे में जानकारी देगी।

ये किसके लिए है?
- आन्त्रप्रिन्योर के लिए, जो नए आइडियाज चाहते हैं
- वो लोग जो ये जानना चाहते हैं कि Amazon और Uber  जैसी कंपनियां इतनी सफल कैसे हुई। 
- वो जो ये जानना चाहते हैं कि जो सर्विस उन्हें मिल रही है, वो किस तरह काम करती है।

लेखक के बारे में
Tien Tzue, जुआरा (Zuora) के को-फाउंडर और CEO हैं। ये उन कंपनियों में से है जो सब्सक्रिप्शन मॉडल पर आधारित हैं। Zuora सेट करने से पहले, Tzue सेल्स फ़ोर्स में चीफ मार्केटिंग ऑफिसर थे। ये ग्लोबल सब्सक्राइब्ड कॉन्फ्रेंस (Global Subscribed Conference) के होस्ट भी हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
बिजनेस रेवोल्यूशन ने पहले भी दुनिया में काफी बदलाव किए हैं। और हम आज फिर से एक बदलाव की तरफ बढ़ रहे हैं। भविष्य में बिजनेस मॉडल कैसा होगा? अपने ब्राउज़र हिस्ट्री या ऐप्स को देखिए। आप वहाँ पर Amazon, Spotify और Netflix का नाम पाएंगे। इन कंपनियों के पास एक नया बिजनेस करने का तरीका है जिसका नाम है  - सब्सक्रिप्शन मॉडल।

 इस बिजनेस मॉडल का आधार क्या है? आजकल लोग चीजें खरीदने पर कम ध्यान देते हैं। उन्हें सिर्फ उन चीजों की सर्विस से मतलब होता है। ऑथर कहते हैं कि, लोग गाय खरीदने में रुचि नहीं रखते। उन्हें सिर्फ दूध से मतलब होता है। 

ये सब्सक्रिप्शन की सर्विस आपका खाने, घूमने, खरीदारी करने और मूवी देखने के तरीके बदल रही है। इसलिए जो लोग अपना बिजनेस सफल बनाना चाहते हैं, उन्हें इस बारे में जानकारी होनी चहिए।

 

- इस ज़माने में कामयाब होने के लिए आपको किन पुराने तरीकों को छोड़ना होगा।

- बिजनेस की दुनिया में कौन से बदलाव आए हैं जिनके बारे में हर आन्त्रप्रिन्योर को जानना चाहिए।

- आप कैसे अपनी कंपनी को सब्सक्रिप्शन मॉडल में बदलना शुरू कर सकते हैं।

कई कंपनियां अपने ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए सब्सक्रिप्शन मॉडल (Subscription Model) अपना रही हैं।
2015 में Tien Tzuo ने फार्च्यून मैगज़ीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था। उस आर्टिकल में उन्होंने कहा कि बिजनेस स्कूल समय की बर्बादी होते हैं। उनका तर्क ये था कि वहाँ लोग बिजनेस करने का केवल एक तरीका सीखते हैं, और वह तरीका होता है कि एक अच्छा प्रोडक्ट बनाएं और उसे बेचें।

उनका कहना था कि दुनिया के साथ ग्राहकों की जरूरतें भी बदल गयी हैं। सब्सक्रिप्शन मॉडल इसका सबसे ज्यादा अच्छा उदाहरण है।

सब्सक्रिप्शन मॉडल की दो अच्छी बाते हैं - आसानी से मिल जाना और अच्छी सर्विस देना।

आजकल लोग चीजों को खरीदने में कम दिलचस्पी लेते हैं। असल में, उनकी दिलचस्पी सिर्फ उन चीजों की सर्विस का इस्तेमाल करने में होती है। मॉडर्न कंपनियां सीडी या कार नहीं बेचती। बल्कि वो लोगों को संगीत या ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं देती हैं। 

जैसे Spotify, Netflix या Uber का उदाहरण ले लीजिए।  यहाँ ग्राहक असल में एल्बम, वीडियो या गाड़ी नहीं खरीदते हैं। बल्कि, जब भी उन्हें जरूरत होती है, वो सब्सक्रिप्शन फीस भर के इन चीजों का इस्तेमाल कर लेते हैं। 

आजकल लोग प्रोडक्ट से ज्यादा उससे मिलने वाली सर्विस की क़दर करते हैं। 

जब कंपनियां इस बात पर ध्यान देती हैं कि उनके ग्राहकों की जरूरत क्या है, उन्हें क्या चीजें चाहिए, तब वो अपने प्रोडक्ट्स को ज़्यादा लोगों को बेच पाती हैं और लोगों को अच्छी सर्विस दे पाती हैं।

फार्च्यून 500 लिस्ट यूनाइटेड स्टेट्स की 500 सबसे ज्यादा फायदा कमाने वाली कंपनियों की लिस्ट है। 1955 में जितनी कंपनियां उस लिस्ट में थीं, आज सिर्फ उसकी 12% कंपनियां लिस्ट में हैं। जो कंपनियां बची हुई हैं, उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल है। इसकी वजह कुछ बड़े बदलाव हैं, जो उन कंपनियों ने किए थे।

जैसे,  जेनरल इलेक्ट्रिक्स (General Electrics) को 1955 में चौथे और 2017 में तेरहवें स्थान पर रखा गया था। बीसवीं शताब्दी में, ये बिजली के बल्ब और फिक्सचर बनाते थे। आज इनकी ज्यादातर कमाई डिजिटल सब्सक्रिप्शन से होती है, जैसे डेटा सर्विसेज।

ऐसा ही कुछ IBM के साथ भी हुआ। यह कंपनी 1955 में 62 रैंक से 2017 में 32 रैंक पर आ गयी। इनकी सफलता का राज़ क्या था? ये कमर्शियल स्केल और नापने के इक्विपमेंट बेचने से हट कर आई टी कंपनियों को बिजनेस सब्सक्रिप्शन सर्विस देने लगे। 

तो, बाकी की 88% कंपनी का क्या हुआ जो न्यू फार्च्यून 500 लिस्ट को पूरा नहीं कर सकीं? , वो अपने सर्विस को लोगों की जरूरतों के हिसाब से बदलने में सफल नहीं हो सकीं।

वीडियो, म्यूजिक और रिटेल इंडस्ट्रीज- सबने सब्सक्रिप्शन सर्विस को अपना लिया है।
Netflix, Spotify और Amazon जैसी कंपनियां आज हर जगह हैं। आपका भी इन सबमें से किसी एक पर एकाउंट होगा। तो इन कंपनियों की सफलता की वजह क्या है?

पिछले कुछ सालों में सब्सक्रिप्शन से म्यूजिक और वीडियो बहुत से ग्राहकों तक पहुंच पा रही है। इंटरनेट और फ़ाइल शेयरिंग साइट जैसे नैपस्टर (Napster) के आ जाने की वजह से इन कंपनियों को सफल होने में मदद मिली। 

जब सब्सक्रिप्शन बेस्ड कंपनी सफल होने लगी तो बड़े फ़िल्म स्टूडियोज और रिकॉर्ड लेबल्स के लिए ये मुश्किल समय था। परेशान होकर उन्होंने अपने प्रतियोगी कंपनियों को बंद करवाने की हर कोशिश की, लेकिन इस नई मार्केटिंग की ताकत को नहीं समझ पाए।

सब्सक्रिप्शन बेस्ड कंपनियों की शुरुआत काफी अच्छी रही। उन्होंने ये देखा कि अगर उन्हें एक बार इस मार्केट में आने का तरीका मिल गया तो वो कई बड़ी कंपनियों पर भी भारी पड़ सकते हैं।

Netflix ने फ़िल्म की स्ट्रीमिंग 2007 में करना शुरू किया था। 10 सालों के अंदर उसके 10 करोड़ सब्सक्राइबर्स हो गए। आज सभी लगभग दो तिहाई अमेरिकन्स के पास Netflix  का सब्सक्रिप्शन है।

Spotify के पास भी 9 सालों के अंदर करीब 50 करोड़ सब्सक्राइबर्स हो गए । आज पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री की लगभग 20% इनकम Spotify के पास है।

सब्सक्रिप्शन सर्विस ने लोगों के खरीदारी करने का भी तरीका बदल दिया है। E-Commerce एक और ऐसा मार्केट है जो बहुत ज्यादा तरक्की कर रहा है। इसका वार्षिक विस्तार लगभग 15% है और अब E-Commerce के पास पूरे रिटेल मार्केट का 13% है। 

फिजिकल स्टोर्स के साथ कुछ उल्टा हो रहा है। उन्हें साल भर में केवल 3% फायदा हुआ और 2017 में अमेरिका की 7000 दुकाने बंद हो गयी।  

आजकल ज्यादातर बिजनेस ऑनलाइन किया जा रहा है।  अमेज़न जैसी कंपनीयों के पास डेटा रिटेंशन (Data Retention) जैसे कुछ फायदे होते हैं, जो इन्हें सफल होने में मदद करते हैं। क्योंकि इन्हें पता होता है कि ग्राहकों की जरूरतें क्या हैं और उन्हें कौन से प्रोडक्ट्स पसंद आएंगे, वे उस जरूरत को आसानी से पूरा कर पाते हैं और अच्छे फायदे कमा पाते हैं।

लोगों के सफर करने और जानकारी हासिल करने के तरीके बदल चुके हैं।
आज के वक्त में लोग जानकारी पाने के लिए या फिर एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। ट्रांसपोर्ट में बदलाव का सबसे अच्छा उदाहरण है राइड शेयरिंग कंपनियां (Ride Sharing Companies) जैसे Uber और Lyft.

ये पहले से ही लगभग ६ करोड़ लोगों को अपनी सर्विस दे रहे हैं। इनके आने के बाद अमेरिका में लोगों को गाड़ी खरीदने की जरूरत महसूस ही नहीं होती है।

1983 में अमेरिका में 20-24 साल के लोगों में से 92% लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस था, जो 2014 में कम होकर में 77% हो गया। 

Surf Air भी हमारे सफर करने के तरीकों में बदलाव ला रहे हैं । इसमें महीने की फीस देकर, लोग प्राइवेट जेट में अनगिनत फ्लाइट ले सकते हैं। ये सिर्फ आरामदायक ही नहीं है, बल्कि ये आपका एयरपोर्ट पर बर्बाद होने वाला समय भी बचाता है। 

Surf Air के नजरिए से देखा जाए तो यह उनके लिए और भी अच्छा है। ज्यादातर एयरलाइनों को नहीं पता होता कि अगले महीने कितने लोग उनकी फ्लाइट बुक करेंगे। लेकिन क्योंकि Surf Air के लोग पहले से जानते हैं कि वे एक महीने में कितने पैसे कमाएंगे जिससे वे और अच्छी शेड्यूलिंग कर पाते हैं।

अब न्यूज़पेपर के बारे में जानते हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी से ये पता चला है कि अमेरिका में आज भी करीब १७ करोड़ लोग (लगभग 70% आबादी) हर महीने न्यूज़पेपर पढ़ते हैं। 

युवाओं में भी ऑनलाइन न्यूज़ सर्विस को सब्सक्राइब करने की संभावना बढ़ रही है। 2016 में 20-24 साल के अमेरिकन सब्सक्राइबर्स केवल 4% ही थे। लेकिन 2017 में यह संख्या 18% तक पहुंच चुकी थी। इस डिजिटल दुनिया में भी लोग न्यूज़पेपर पढ़ना पसंद करते हैं, क्योंकि उसमें उन्हें डिजिटल दुनिया के बकवास ऐड्स नहीं देखने को मिलते हैं। 

न्यूज़पेपर ने अपने शुरुआती दिनों में ही सब्सक्रिप्शन मॉडल को बनाया था। उस समय जो सच था, आज भी सच है; लोग घटिया मुफ्त के प्रोडक्ट्स के बजाए अच्छी चीजों को खरीदना चुनेगें। इसलिए वे आज भी डिजिटल न्यूज़ के बजाय न्यूज़ पेपर पढ़ना पसंद करते हैं।

सब्सक्रिप्शन मॉडल अपनाने के बाद टेक कंपनियों ने खूब फायदा कमाया, लेकिन अब मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के फायदा कमाने का समय है।
सब्सक्रिप्शन मॉडल को अपनाना फ़ायदेमंद है, लेकिन इसका इनाम तुरंत नहीं मिलता। बल्कि ये बहुत  कठिन हो सकता है। इससे निकलने के लिए कंपनियां अक्सर अडोब (Adobe) का तरीका अपनाती हैं। ये वो साल था जब अडोब ने सॉफ्टवेयर को फिजिकल प्रोडक्ट की तरह बेचना छोड़कर उसे ऑनलाइन "Software-as-a-Service" या "SaaS model" की तरह बेचने का फैसला लिया था।

ये एक बहुत अच्छा मूव था, जिसने नया डिजिटल मार्केट खोला। लेकिन यहाँ एक दिक्कत थी। जब आप सब्सक्रिप्शन मॉडल को अपनाते हैं, तो रेवेन्यू पाने के लिए आपको कम से कम एक साल का इंतजार करना पड़ता है।

इसे ही फिश (Fish) कहा जाता है। ये एक ऐसा समय होता है जब दाम बढ़ जाते हैं और आय काम हो जाती है।

जैसे अडोब ने सोचा था, वैसा ही हुआ। शुरू में स्टॉक की कीमत कुछ कम हो गई। हालांकि, लॉन्ग टर्म में उन्हें बहुत प्रॉफिट हुआ। 2014 तक अडोब क्लाउड पूरी तरह बदल गया। पहले जो प्रोडक्ट फिजिकल फॉर्म में बिकते थे, वो पूरी तरह सब्सक्रिप्शन फॉर्म में बिकने लगे।

उस समय भी कंपनी की बैलेंस शीट बुरी नहीं थी। अडोब के स्टॉक 2011 में $25 के थे। और जब यह किताब लिखी जा रही थी, उस समय उसके स्टॉक $195 पर थे, और हर साल वो 25% बढ़ रहे हैं। 

टेक कंपनियां ने नए बिजनेस मॉडल लाए। अब मैन्युफैक्चरिंग की बारी है। मैनुफैक्चरिंग एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। अगर अमेरिका की मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री एक देश होती तो वह दुनिया की नौंवी सबसे बड़ी इकोनॉमी होती। इस क्षेत्र में आने वाला बदलाव कैसा दिखेगा?

यहाँ पर हम इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of things) या शार्ट में IoT की बात करते हैं। आज बहुत से मैनुफैक्चरर अपने प्रोडक्ट्स में सेंसर और कनेक्टिविटी लगा कर उसे इंटरनेट से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2020 तक हमारी दुनिया में बहुत सी स्मार्ट कार, स्मार्ट घड़ियाँ और स्मार्ट कपड़े होंगे जो हमारी पर्फार्मेंस और हरकतों पर नजर रख पाएंगे और जानकारी को हम तक पहुंचा पाएंगे।

जब ऐसा हो जाएगा, तो हम ग्राहकों को इन चीजों में उनकी जरूरतों के हिसाब से सर्विस देने के लिए उनसे फीस चार्ज कर सकते हैं। इस तरह से मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री में भी बहुत बदलाव आने वाले हैं।

अब इनोवेशन का मतलब नए प्रोडक्ट्स बनाना नहीं, बल्कि ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से उन्हें सर्विस देना है।
अभी तक हमने उन तरीकों को बारे में जाना जिससे लोग मार्केट में सब्सक्रिप्शन सर्विस को अपना रहे हैं। अब इस अध्याय में हम देखेंगे कि यह बिजनेस मॉडल कंपनियों पर कैसे असर डालता है।

इनोवेशन से शुरू करते हैं। इनोवेशन एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें हम ग्राहक की किसी जरूरत को खोजते हैं, फिर उसकी डिज़ाइनिंग करते हैं और फिर उसकी मैन्यूफैक्चरिंग होती है।

इस मॉडल में, प्रोडक्ट मैनेजर, मैन्युफैक्चरर, डिज़ाइनर, इंजीनियर , सबकी एक ही जिम्मेदारी होती है - नए प्रोडक्ट बनाना और उन्हें मार्केट में उतारना। अगर वो सफल रहा, तो वो बिकता है, और नहीं सफल हुआ तो कंपनी उसे बनाना बंद कर देती है।

सब्सक्रिप्शन मॉडल में ऐसा नहीं होता। यहाँ इनोवेशन का मतलब है - लगतार विकास करना।  यहाँ प्रोडक्ट को हमेशा ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से सुधारा जाता है।

इंडस्ट्री के लोग इसे एजाइल डेवलपमेंट (Agile Development) कहते हैं।

ये कांसेप्ट 2001 में तब आया था जब एक डेवेलपेर्स के ग्रुप ने मैनिफेस्टो फ़ॉर एजाइल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Menifesto For Agile Software Development) के ऊपर एक पेपर पब्लिश किया था।

इस कांसेप्ट का ये कहना था कि प्रोडक्ट को ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से बदलना चाहिए।

सब्सक्रिप्शन मॉडल से हमें ग्राहकों के बारे में लगातार जानकारी मिलती रहती है जिससे हम उनकी जरूरतों को अच्छे से समझ पाते हैं और उसके हिसाब से प्रोडक्ट में बदलाव कर पाते हैं। 

गूगल के जीमेल का उदाहरण लीजिए। वे 5 साल तक Gmail के बीटा वर्जन को टेस्ट कर के उसे बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे। उन्होंने एक प्रोडक्ट बना कर उपे मार्केट में उतार कर उसे बेचने की कोशिश नहीं की। बल्कि वे ग्राहकों से मिलने वाले फीडबैक की मदद से उसपर लगातार काम कर के उसे बेहतर बनाते गए।

सब्सक्रिप्शन मॉडल ने आज मार्केटिंग के तरीकों को बदल कर रख दिया है।
जब पहले के वक्त में कंपनियों को मार्केटिंग करनी होती थी, तो वो "Four Ps" और "Push and Pull" तरीकों का इस्तेमाल करती थीं। लेकिन आज के वक्त में सब्सक्रिप्शन मॉडल के आ जाने से, यह तरीके बदल गए हैं। इससे पहले हम यह जानें कि वो तरीके कैसे बदल गए हैं, आइए पहले "Four Ps" और "Push and Pull" तरीकों को समझते हैं।

Four Ps का मतलब प्रोडक्ट, प्राइस, प्रमोशन और प्लेस से है। इसमें आप एक ऐसा प्रोडक्ट बनाते हैं जिसकी लोगों को जरूरत हो, उसकी ऐसी प्राइस रखते हैं जो लोग दे सकें और जिससे आप फायदा भी कमा सकें, उसका अच्छे से प्रमोशन करते हैं ताकि लोगों को उसके बारे में पता लगे और उसे सही प्लेस (जैसे दुकान, शापिंग मॅाल आदि) पर लेकर जाते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर आपका ग्राहक आसानी से उसे खरीद सके। इस तरह से आप अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग किया करते थे।

इसके बाद आते हैं "Push and Pull" तरीके। Push में आप अपने प्रोडक्ट को किसी शापिंग मॅाल में उस जगह पर रखवाते थे, जिससे ग्राहक की निगाह आपके प्रोडक्ट पर पहले पड़े और वो उसे खरीदे। Pull में आप अपने प्रोडक्ट का ऐड कुछ इस तरह से करते थे कि ग्राहक आपकी तरफ खिंचा चला आए। इसमें आप इस तरह से ऐड करने की कोशिश करते थे जिससे भले ही आपके ग्राहक को शापिंग मॅाल में आपका प्रोडक्ट सबसे पहले ना दिखे, लेकिन वो आपके प्रोडक्ट को पीछे से खोज निकाले और उसे खरीदे। 

लेकिन सब्सक्रिप्शन मॉडल के आ जाने से यह सारे तरीके बदल गए हैं। आज सब्सक्रिप्शन मॉडल पर आधारित कंपनियां अपने प्रोडक्ट को शापिंग मॅाल में नहीं बेचती हैं, जिससे Push and Pull" के तरीके बेकार हो गए हैं। और ना ही आज हम पुराने तरीकों से इन प्रोडक्ट्स का ऐड करते हैं। आज हम कहानियाँ सुना कर अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाते हैं।

साथ ही अगर हम प्राइस की बात करें, तो हम अब प्रोडक्ट को बनाने के खर्चे को कम कर के उससे ज्यादा फायदा कमाने की कोशिश नहीं करते हैं। बल्कि हम ग्राहकों को अलग अलग सर्विस के लेवेल देते हैं। अगर वे नीचे के लेवेल की सर्विस चुनते हैं, तो हम उनसे कम पैसे लेते हैं और अगर वे प्रीमियम सर्विस चुनते हैं तो हम उनसे ज्यादा पैसे चार्ज करते हैं। इस तरह से सब्सक्रिप्शन मॉडल के आ जाने से मार्केटिंग करने के तरीकों में बदलाव आ रहा है।

ग्राहकों को सामान बेचने से ज्यादा उनसे अच्छे रिश्ते बनाने पर ध्यान दीजिए।
ग्राहकों के अनुभव के चिंता किए बिना सिर्फ उन्हें प्रोडक्ट बेचने की कोशिश करने से सेल्स टीम पर कई बार बुरा प्रभाव पड़ता है। इस वजह से कई परेशानियां भी आ जाती हैं। जब कभी ग्रहकों को खराब सामान मिलता है और वे उसे लौटाना चाहते हैं तो उन्हें इसका कोई आसान तरीका नहीं मिलता है। सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंपनियां दूसरे तरीके अपनाती हैं। वो अपने सब्सक्राइबर्स के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करती हैं।

ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है अपनी कंपनी के भविष्य के बारे में बताना। उन्हें यह बताइए कि आप अपनी सर्विस को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर आप बिजनेस करना चाहते हैं तो, आपको अपने ग्राहकों को खुश रखना होगा।

Zuora ने कुछ ऐसे तरीके निकाले हैं, जिनसे आपको अपने सब्सक्राइबर्स के साथ लम्बे रिश्ते बनाने में मदद मिलेगी। ये तरीका शुरुआती ग्राहक पाने, चर्न रेट (Churn Rate) घटाने, अपसेल्लिंग और क्रॉस सेल्लिंग कर के वैल्यू बढ़ाने और देश-विदेश में अपने प्रोडक्ट को ले जाने पर फोकस करता है।

चलिए इन तरीकों को और अच्छे से समझें।

आपके शुरुआती ग्राहक बहुत जरूरी हैं क्योंकि इनके जरिए ही आपके भविष्य के सब्सक्राइबर्स आपको जज करेंगे। शुरआत में सही ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश कीजिए। इससे आपके लिए मार्केट में जीतना थोड़ा आसान हो जाएगा।

आप जिस रफ्तार से अपने ग्राहक खो रहे हैं, वही आपकी कंपनी का चर्न रेट (Churn Rate) है। इसको कम रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि सही यूज़र्स को चुनिए और उन लोगों से कान्ट्रैक्ट मत रखिए करिए जिन्हें आपकी सर्विस की जरूरत नहीं है।

अपसेल्लिंग (Upselling) अपनी सबसे महँगी सर्विस बेचने का तरीका है और क्रॉस सेल्लिंग (Cross Selling) मौजूद ग्राहकों को बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ अच्छे आफर देने के बारे में है।

देश-विदेश में अपने प्रोडक्ट को ले जाने का मतलब आप समझ ही रहे हैं। ये आपके लिए जरूरी है। अगर आप नए मार्केट में नहीं जाएंगे तो दूसरी कंपनियां आपसे आगे निकल जाएंगी।

बिल्कुल, आप ये सारे तरीके एक साथ नहीं अपना सकते। लेकिन एक अच्छी कंपनी इनमें से दो या तीन तरीकों पर हमेशा काम करती रहेगी, ताकि वो अच्छे से विकास कर सके।

पुराना हिसाब-किताब करने का तरीका सब्सक्रिप्शन सर्विस के लिए अच्छा विकल्प नहीं है।
ऑथर ने जुआरा (Zuora) के शुरुआती दिनों में एक एनुअल ग्रोथ प्रेजेंटेशन (Annual Growth Presentation) दिया था। लोगों को उनका प्रेजेंटेशन पसंद नहीं आया था और उन्होंने कहा कि उनके बताए गए तरीके उनके लिए काम नहीं करेंगे। लेकिन ये दिक्कत कंपनी की नहीं थी। परेशानी हिसाब करने वाले पुराने तरीकों में थी। 

ये पुराना हिसाब करने का तरीका क्रेडिट (Credit) और डेबिट (Debit) को बैलेंस करता है। लेकिन इसकी मदद से हम भविष्य में आने वाले रेवेन्यु को नहीं देख पाते हैं।

इस पुराने तरीके को डबल एंट्री बुक कीपिंग (Double-entry Bookkeeping) कहा जाता है। ये तरीका यह सुनिश्चित करता है कि डेबिट और क्रेडिट बराबर रहे। अगर आप इस तरीके को लम्बे समय तक इस्तेमाल करते रहे, तो आपके बैंक में बहुत कम पैसा बचेगा।

इन तरीकों का इस्तेमाल हम सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंपनियों में नहीं कर सकते हैं। सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंपनियां अपना ज्यादातर फायदा भविष्य में मिलने वाली सब्सक्रिप्शन फीस से कमाती हैं। हमें एक ऐसा हिसाब-किताब करने का तरीका चाहिए जिससे हम इस समय होने वाले फायदे को नहीं, बल्कि भविष्य में होने वाले फायदों का हिसाब-किताब रख सकें।

ऑथर ने इसके लिए एक दूसरा तरीका बनाया जिसका नाम एनुवल रिकरिंग रेवेन्यू यानी एआरआर है। इसमें आप सबसे पहले यह पता करते हैं कि आपकी कंपनी को सब्सक्रिप्शन से हर साल कितना रेवेन्यू आता है। इसके बाद आप अपनी कंपनी का चर्न रेट निकालते हैं। फिर आप रेवेन्यू में से चर्न रेट से होने वाले नुकसान को निकाल देते हैं। आपको जो मिलता है वही आपका एनुवल रिकरिंग रेवेन्यू है।

इसके बाद आप अपने एनुवल रिकरिंग रेवेन्यू में से बिजनेस के कुछ दूसरे खर्चे जैसे एम्प्लाइज की सैलरी को मानइस कर दीजिए। अब जो आपको मिलेगा वो आपके एनुवल रिकरिंग प्राफिट होगा।

अब आपके सेल्स और मार्केटिंग के खर्च इसी एनुवल रिकरिंग प्राफिट से निकल कर आते हैं। यही पैसा फिर से कंपनी को बड़ा करने में लगाया जाता है, जिससे भविष्य में आपके कंपनी का रेवेन्यू बढ़ जाता है। इस तरह से यह हिसाब-किताब करने का तरीका भविष्य में मिलने वाले फायदों के बारे में बताता है।

अब आप यह सोच रहे होंगे कि अगर हम अपना सारा एनुवल रिकरिंग प्राफिट सेल्स और मार्केटिंग में लगा देंगे, तो हमें क्या मिलेगा? सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंपनियों की खास बात यह होती है कि जब ये बड़ी होती हैं, तो इन्हें चलाने के खर्चे ज्यादा नहीं बढ़ते। इस तरह से आज इसमें लगाया गया पैसा कल आपको बहुत फायदा कमा कर दे सकता है। इसमें शुरुआत में फायदा भले ना हो, लेकिन समय के बाद यह बिजनेस मॉडल दूसरों पर हावी पड़ता है।

पुराने आईटी तरीके पहले काम आते थे पर अब इस सब्सक्रिप्शन सर्विस के जमाने में ये खराब विकल्प हैं।
कई सारे बिजनेस अपने आईटी डिपार्टमेंट को इंजन रूम की तरह रखते हैं। ये वो जगह होती है जो सुनिश्चित करती है कि सारे काम अच्छे से और आराम से हो जाएँ।

लेकिन अब समय बदल गया है। ये पुराने तरीके आज कल काम नहीं आते हैं। काफी वक्त तक आईटी डिपार्टमेंट कंपनियों का सारा काम करते थे। वे यह देखते थे कि कंपनी के कितने प्रोडक्ट बिके और कितने और बेचने होंगे। वे एक हद तक मैनेजमेंट का भी काम किया करते थे। लेकिन वे तब काम करते थे जब कंपनी एक ही तरह का प्रोडक्ट हर ग्राहक को बेचती थी।

आज के वक्त में हमें ग्राहकों के बर्ताव के हिसाब से उन्हें सर्विस देनी होती है। सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंपनियों में हर ग्राहक अलग तरह से उस प्रोडक्ट को इस्तेमाल करता है और कंपनी को उस ग्राहक को उसके बर्ताव के हिसाब से सर्विस देनी होती है।

इसके अलावा कंपनी में हर वक्त नए ग्राहक जुड़ते रहते हैं और पुराने ग्राहक उसे छोड़कर जा रहे होते हैं। कुछ ग्राहक अपनी सर्विस को अपग्रेड करते हैं तो कुछ उसे डाउनग्रेड कर रहे होते हैं। हमें इन सभी को ट्रेक करना होता है और इसके हिसाब से ग्राहकों को सर्विस देनी होती है।

इसलिए आज के वक्त में हमें एक नया मैनेजमेंट सिस्टम चाहिए। आज हम अलग अलग साफ्टवेयर या क्लाउड-बेस्ड सर्विस का इस्तेमाल कर के अपनी कंपनी को नहीं चला सकते।

इसके अलावा आज हमारे ग्राहक देश-विदेश में फैले हुए हैं। हमें उनके देश के हिसाब से अपने प्रोडक्ट को ढ़ालना होगा ताकि हम उन्हें बेहतर सर्विस दे सकें। आज के वक्त में हमें प्रोडक्ट को बेचना नहीं है, बल्कि ग्राहकों को बर्ताव को देखते हुए उन्हें सर्विस देना है। इसलिए IT डिपार्टमेंट के पुराने तरीके अब काम नहीं आने वाले हैं।

PADRE (पाडरे) सिस्टम का इस्तेमाल कर के अपने बिजनेस को एक ग्राहक के लिए की जाने वाली सफल सर्विस में बदलिए।
आप सोच रहे होंगे कि कैसे आप अपने बिजनेस को एक ग्रहक के लिए सफल सब्सक्रिप्शन सर्विस में बदलना शुरू करेंगे? इसकी सलाह के लिए एक अच्छी जगह है जुआरा (Zuora) जब कंपनी को ये बात समझ आई कि ये बदलाव लागू करना आसान नहीं है, तब उन्होंने इसे मैनेज करने के लिए एक सिस्टम बनाया; PADRE. (Pipeline, Acquire, Deploy, Run, and Expand)

PADRE की मदद से आप ग्रहकों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए बिजनेस करते हैं। चलिए इसके हर शब्द को अच्छे से समझते हैं।

पाइपलाइन (Pipeline) पहला स्टेप है। इसकी मदद से आप अपनी सर्विस के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताते हैं ताकि मार्केट में आपकी सर्विस की मांग बढ़ सके। 

अगला स्टेप है एक्वायर (Acquire)। इस स्टेप पर आप अपने ग्राहकों की जरूरतों को समझने की कोशिश करते हैं ताकि आप उन्हें यह बता सकें कि किस तरह से आप उनकी जरूरत को पूरा कर सकते हैं। इस स्टेप आप ग्राहकों को अपनी सर्विस बेचते हैं।

फिर आता है डिप्लॉय (Deploy)। इस स्टेप पर आप इस बात का ध्यान देते हैं कि आप अपने ग्राहक की जरूरत को जल्दी से जल्दी पूरा करें। अगर आप उन्हें अच्छी सर्विस नहीं देंगे तो वे आपको छोड़कर चले जाएंगे। 

अगला आता है रन (Run)। इस स्टेप पर आप अपने ग्राहक को अपनी कंपनी के साथ बाँध कर रखने की कोशिश करते हैं। आप अपने सब्सक्राइबर्स की बदलती जरूरतों को तुरंत पूरा करने पर फोकस करते हैं।

अंत में आता है एक्सपैंड (Expand)। ये उन तरीकों पर फोकस करता है, जिससे आप अपने सब्सक्राइबर्स बढ़ा सकते हैं। 

PADRE के साथ तीन और चीजें है जिन्हें आपको ध्यान में रखने की जरूरत है। People यानी लोग, Product यानी आपकी सर्विस और Money यानी पैसा।

तरक्की करने के लिए आपको अपने ग्राहकों को संतुष्ट रखना होगा। इसके लिए आपको अपनी कंपनी में अच्छा स्टाफ चाहिए होगा, जो उन्हें अच्छी सर्विस दे सके।

आपके प्रोडक्ट समय के साथ सुधारे जाने चाहिए, ताकि वो ग्राहकों की बदलती जरूरतों को अच्छे से पूरा कर सकें। किसी भी दूसरे बिजनेस की तरह, आपको अपने पैसों को अच्छे तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपकी कंपनी ग्रो कर सके। 

PADRE को पूरी तरह से लागू करने के लिए लोगों में कोऑर्डिनेशन होना जरूरी है। इसका मतलब ये है कि आपकी कंपनी में सबको साथ मिलकर काम करना होगा। 

किसी एक डिपार्टमेंट की परेशानी को दूसरे डिपार्टमेंट्स मिलकर सुलझा सकते हैं। लेकिन अगर वो डिपार्टमेंट्स साथ मिलकर काम नहीं करेंगे, तो यह संभव नहीं हो पाएगा।

कुल मिलाकर
लोग जिस तरह से कंपनी से जुड़ते हैं और उनके प्रोडक्ट्स को खरीदते हैं, इन चीजों में इंटरनेट के आने के बाद से बदलाव आए हैं। सब्सक्रिप्शन पर आधारित बिजनेस मॉडल हर इंडस्ट्री अपना रही है। अगर आप भी सब्सक्रिप्शन मॉडल अपनाने की सोच रहे हैं तो, अच्छा होगा कि आप पहले ट्रेडिशनल इन्नोवेशन, मार्केटिंग सेल्स, फाइनेंस, और आई टी की स्ट्रेटेजीज की कमियों को अच्छे से समझ लें। लेखक की कंपनी में अपनाए हुए सिस्टम से सीख कर, आप अपनी कंपनी को भी सफल बना सकते हैं।

 

ग्राहकों के साथ काम शुरु कीजिए।

अपने ग्राहकों की जरूरत को समझते हुए अपनी सर्विस को डिज़ाइन कीजिए। अपने ग्राहकों को अच्छे से समझने के लिए आपको उनके साथ मिलकर काम करना होगा। कभी भी अपनी टीम के साथ बैठकर यह अंदाजा लगाने की कोशिश मत कीजिए कि आपके ग्राहकों की जरूरत क्या होगी। बल्कि अपने ग्राहकों के साथ काम कर के उनकी जरूरतों को पहचानने की कोशिश कीजिए।

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