Andrew Yang
How to Restore Our Culture of Achievement, Build a Path for Entrepreneurs, and Create New Jobs in America
दो लफ्ज़ों में
ये बुक समरी “Smart People Should Build Things” किताब के ऊपर है. इस किताब में लेखक ने स्टूडेंट्स के करियर चॉइस के ऊपर बात की है. साथ ही साथ बताया है कि आखिर बच्चे क्यों नौकरी के पीछे ज्यादा भाग रहे हैं? और क्यों Entrepreneur बनने से डर रहे हैं? इसी के साथ practical solutions भी बताया है कि कैसे स्टूडेंट्स के अंदर entrepreneurial attitude को पैदा किया जा सकता है? अगर आप भी चाहते हैं कि entrepreneurial स्किल को सीखना तो इस समरी को आपके लिए ही तैयार किया गया है.
ये बुक समरी किसके लिए है?
-किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए
-ऐसा कोई भी जिसके अंदर entrepreneurial spirit हो
-ऐसा कोई भी जिसे करियर काउन्सलिंग की ज़रूरत हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन ‘Andrew Yang’ ने किया है. ये अमेरिका की एक a national non-profit organization के फाउंडर भी हैं. जिसका नाम “Venture for America” है. इन्होंने खुद लगातार 12 सालों तक कई स्टार्ट-अप्स के साथ काम किया था. इन्होने अपने कई सालों के अनुभव का सार इस किताब में शब्दों के माध्यम से उतार दिया है.
इस समरी में ये भी सीखने को मिलेगा
-सही करियर का सेलेक्शन कैसे किया जाता है?
- entrepreneurial spirit क्यों ज़रूरी है?
क्यों ज्यादातर स्टूडेंट्स ‘Predictable careers’ की तरफ रुख करने लगे हैं
किसी भी फील्ड का स्टूडेंट हो, करियर के किसी ना किसी पड़ाव पर उसे नौकरी या बिजनेस के बारे में सोचना ही पड़ता है. वो खुद से सवाल भी करने लगता है कि मुझे कहाँ से स्टार्ट करना चाहिए? या फिर मेरी फर्स्ट जॉब कैसी होगी?
Elite universities जैसे कि Ivy League की, वहां पर स्टूडेंट्स को एक डायरेक्शन बता दिया जाता है कि उन्हें इस कोर्स के बाद किस तरफ बढ़ना है? वहां ज्यादातर स्टूडेंट्स prestigious professional service companies की तरफ जॉब के लिए देखने लगते हैं. वहां के ज्यादातर स्टूडेंट्स बैंकिंग या फिर लॉ की फील्ड में करियर की तलाश करने लगते हैं.
ऐसा ऑथर अपने मन से नहीं कह रहे हैं बल्कि नम्बर्स कुछ इसी तरफ ईशारा करते हैं. रिसर्च डेटा बताता है कि 40 परसेंट Princeton graduates अपना करियर finance और consulting की तरफ बनाने निकल जाते हैं. वहीं 13 परसेंट लॉ की तरफ बढ़ जाते हैं. डेटा ये भी बताता है कि हार्वर्ड से पढ़े 29 परसेंट बच्चे finance या फिर consulting की तरफ चले जाते हैं. और बाकी बचे लॉ की फील्ड में करियर बनाते हैं.
यहाँ सवाल ये भी उठता है कि आखिर elite universities से पढ़े बच्चे professional service companies की तरफ क्यों भाग रहे हैं? इसका सबसे बड़ा कारण पैसा है और दूसरा रीज़न ये है कि कम्पनियों में उन्हें शुरूआती दौर में ही challenging work environment मिल जाता है.
इसी के साथ एक रीज़न ये भी है कि elite universities में भी बच्चों को खुद के स्टार्ट-अप्स के बारे में बताया ही नहीं जा रहा है. वहां ज्यादातर लोग प्लेसमेंट के लिए दौड़ रहे हैं. जिनको देखकर नए एडमीशन भी influence हो जाते हैं. मतलब साफ़ है कि भेड़ चाल तो हर जगह चल रही है. भले ही वो कॉलेज इंडिया के हों या फिर अमेरिका के.. आज के स्टूडेंट्स भेड़ चाल का हिस्सा बनने से पीछे नहीं हट रहे हैं.
ऑथर ने कहा भी था कि एक स्टूडेंट्स ने उनसे चिंता व्यक्त की थी कि “It seems like everybody around you is doing banking interviews all the time. This has an effect on you after a while.” अब ये सुनने के बाद तो ऑथर भी सोच में पड़ गए थे कि आखिर एक नया ग्रेजुएट करे भी तो क्या करे?
किस तरह professional service firms स्टूडेंट्स को अट्रैक्ट करती हैं?
केवल स्टूडेंट्स ही एक दूसरे का ध्यान नहीं खींचते हैं. या फिर यूं कहें कि एक दूसरे को influence करते हैं. बल्कि कई बड़े professional service firms का इंटरेस्ट भी नए बच्चों को recruit करने में होता है.
इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि बड़ी कम्पनियां भी स्टूडेंट्स की चॉइस को influence करती हैं. हर साल सैकड़ों यूनिवर्सिटीज़ में फ्रेशर टैलेंट के प्लेसमेंट की रेस लगी हुई है. बेस्ट स्टूडेंट्स के लिए professional service companies एक दूसरे से कम्पीट कर रही हैं. टैलेंट को अपने घर का मज़दूर बनाने के लिए एक virtual arms race चल रही है. और हैरत की बात तो ये है कि कम्पनियां ऐसा दिखाती हैं कि वो तो फ्रेशर्स के ऊपर एहसान कर रही हैं. लेकिन फ्रेशर टैलेंट को समझना चाहिए कि अगर उन्हें जॉब की ज़रूरत है तो कंपनी को भी टैलेंट की ज़रूरत है. इसलिए कभी भी किसी कंपनी की एच.आर पालिसी के आगे दब नहीं जाना है.
इसी के साथ आपको पता होना चाहिए कि professional service companies बच्चों की प्लेसमेंट के लिए कई करोड़ों रूपए खर्च भी कर रही हैं. Columbia University की बात करें तो वहां एक बच्चे के ऊपर $50,000 per recruit खर्च होता है. अगर इस फिगर के हिसाब से overall recruitment expenditures निकाला जाये तो कई मिलियन डॉलर आएगा.
अब आप खुद सोचिए कि क्या कम्पनियां बिना फायदे के hundreds of millions खर्च कर रही हैं. एलीट यूनिवर्सिटी के लिए कम्पनियां ऐसा इसलिए करती हैं क्योंकि टैलेंट सीमित नंबर में हैं. और कम्पनियों को एक दूसरे से कम्पीट करना है कि टैलेंट किसके पास जाता है?
इसी के साथ कम्पनियां मार्केटिंग इतना बढ़िया करती हैं कि कोई भी स्टूडेंट entrepreneurial spirit सीखने की कोशिश ही नहीं करता है. कम्पनियां पहले ही बता देती हैं कि आप हमारे साथ दो साल काम करके देखिए, आपकी पूरी लाइफ चेंज हो जाएगी. आप इस फील्ड के मास्टर बन जाएंगे. इसी के साथ आपको पैसों की भी कोई कमी नहीं आएगी.
कम्पनियां स्टूडेंट्स को “high-quality work” सीखाने का लालच भी देती हैं. इसी के साथ स्टूडेंट्स उस दौर में अपने करियर को लेकर इनसेक्योर भी रहते हैं. तो उन्हें लगता है कि जॉब से ही करियर की शुरुआत करना अच्छा होगा और अधिकत्तर स्टूडेंट्स जॉब को ज्वाइन कर लेते हैं.
प्रोफेशनल कम्पनीज़ की जॉब छोड़ना मुश्किल हो जाता है
जब भी कोई स्टूडेंट्स कहीं जॉब के लिए अप्लाई करता है, उसे उस कंपनी के बारे में कुछ-कुछ बातें पता होती हैं. उसे tasks, culture, और expectations के बारे में भी काफी कुछ जानकारी होती है. लेकिन उसे बाद में पता चलता है कि उसे जो कुछ भी पता था उसका रियलिटी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.
जब कोई लंबे समय तक के लिए professional service companies में काम कर लेता है. तो उसे पता चल जाता है कि यहाँ वर्क लाइफ बैलेंस काफी मुश्किल हो चुका है. जिसकी वजह से stress और unhappiness का रेशियो भी बढ़ने लगता है.
लेकिन फिर भी किसी के लिए भी बड़ी कंपनी से छोटी कंपनी में स्विच करना बिल्कुल आसान नहीं होता है. भले ही कैंडिडेट्स को छोटी कम्पनीज से अच्छे ऑफर आ रहे हों, लेकिन वो अपनी बड़ी एम्.एन.सी को छोड़कर कहीं जा नहीं पाते हैं.
US economy के लिए स्टार्ट-अप क्यों ज़रूरी हैं?
स्टार्टअप ऐसी कंपनियां या बिजनेस हैं जो किसी एक प्रोडक्ट या सेवा पर केंद्रित होते हैं. इन कंपनियों के पास आमतौर पर पूरी तरह से विकसित बिजनेस मॉडल नहीं होता है. इससे भी बड़ी बात यह है की STARTUP शुरू करने के लिए बहुत बड़े इन्वेस्टमेंट की जरुरत नहीं होती है. वही ज़्यादातर स्टार्टअप्स को शुरू में उनके फाउंडर्स द्वारा ही FUND किया जाता है.
अभी तक हम लोगों ने individual’s perspective के हिसाब से professional service companies को समझने की कोशिश की है. लेकिन अभी तक हम लोगों ने नहीं समझा है कि इनका असर इकॉनमी पर क्या पड़ता है? हमें पता होना चाहिए कि किसी भी देश की अच्छी इकॉनमी कई चीज़ों को मिलाकर बनती है.
ऑथर कहते हैं कि अगर यूएस को अपनी इकॉनमी को बेहतर करना है. तो उसे स्टार्ट-अप कल्चर को बढ़ावा देना पड़ेगा. इकॉनमी के लिए स्टार्ट-अप अच्छे हैं ना कि professional service companies. स्टार्ट-अप की वजह से national economic development को भी बढ़ावा मिलता है.
Kauffman Foundation की एक स्टडी ने इस बात को बताया भी है कि United States में1997 से 2005 के बीच में नई कम्पनियों की वजह से net job growth देखने को मिली थी.
इस बात से साबित होता है कि यूएस को स्टार्ट-अप की वजह से ज्यादा फायदा हो सकता है. और साथ ही साथ आज के बच्चों को भी आंत्रप्रेन्योर की फील्ड से ज्यादा फायदा हो सकता है. इसको आप इस एग्जाम्पल से भी समझ सकते हैं.
अगर Goldman Sachs’ के 2022 के revenue पर नज़र डालेंगे तो पता चलेगा कि इसका ज्यादातर प्रॉफिट ट्रेडिंग से आता है. और शेयर ट्रेडिंग से किसी भी देश की इकॉनमी को ज्यादा बूम नहीं मिलती है. क्योंकि इस ट्रेडिंग में एक पार्टी पैसा कमाती है तो दूसरी पार्टी को पैसा गवाना भी पड़ता है. इसलिए कहा भी जाता है कि national economic development के इनोवेशन से बेहतर रास्ता कोई नहीं है. इसलिए हमारी सरकार को भी स्टूडेंट्स को इनोवेशन की तरफ लेकर जाना चाहिए.
इसलिए ऑथर कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि अमेरिकन इकॉनमी का डेवलपमेंट पूरी तरह से गलत दिशा में हो रहा है.
अगर हम भारत की बात करें तो भारत को भी स्टार्ट-अप कल्चर पर जोड़ देना चाहिए. नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) के आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका में स्टार्टअप के तौर पर काम करने वाली 66 कंपनियों भारतीय मूल के लोगो द्वारा चलाई जा रही है. ये कहना गलत नहीं होगा की US स्टार्टअप UNICORNS के TOP चार्ट में भारत सबसे ऊपर है.US की इकॉनमी का 1 बिलियन डॉलर या उससे अधिक मूल्य की 582 स्टार्टअप कंपनियों में अप्रवासियों का कब्जा है. US के सभी STARTUPS में से 319 में लगभग एक फॉउंडर मेंबर विदेशी मूल का है.
इतना ही नहीं USA के स्टार्टअप में लगभग 133 कंपनियों ऐसी है जिनमें कम से कम एक अप्रवासी लीड रोले में है. जैसे कि सीईओ, सीटीओ या इंजीनियरिंग के वीपी की पोस्ट पर हैं .
अप्रवासियों द्वारा स्थापित 55% अमेरिकी यूनिकॉर्न में भारतीय टॉप पर है. वहीं अमेरिका आधे से अधिक STARTUPS फाउंडर मूल रूप से भारतीय हैं. UNICORNS के टॉप चार्ट में 66 कंपनियां भारतीय लोगों की है. इसके बाद इज़राईली 54 कम्पनिया के साथ टॉप चार्ट में दूसरे स्थान पर है.
अमेरिकन स्टार्टअप की ग्रोथ में 78% यानी 582 बिलियन डॉलर के स्टार्टअप्स में अप्रवासियों का बहुत बड़ा योगदान है. इसके अलावा स्टार्टअप में UNICORNS कम्पनियां देश में सालाना लगभग 859 नौकरियां पैदा कर रही हैं. एक तरह से देखा जाए तो किसी भी देश के लिए स्टार्टअप आज के समय में डिमांड के मुताबिक सप्लाई प्रोवाइड कराने का आसान जरिया है. ये कहना गलत नहीं होगा की अप्रवासियों द्वारा स्थापित अमेरिकी UNICORNS 1.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है या ये कहें की यह ब्राजील जैसे देश के स्टॉक एक्सचेंज (925 अरब डॉलर) जैसे प्रमुख शेयर बाजारों में लिस्टेड कंपनियों से कही ज़्यादा है.
क्या आपको पता है कि कैसे कोई छोटी सी आईडिया से शुरू हुई कंपनी आज के दिन में अरबों डॉलर का बिज़नेस कर रही है? और इनको यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्यों कहा जाता है? दरअसल, कोई भी प्राइवेट कंपनी जिसका वैल्यूएशन एक बिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाता है उन कंपनी को फाइनेंशियल दुनिया में यूनिकोर्न स्टार्टअप कहते हैं. इसे सबसे पहले वेंचर कैपिटलिस्ट "ऐलीन ली" द्वारा 2013 में इस्तेमाल किया गया था.
ऑथर कहते हैं कि चलिए एक नज़र इन फैक्ट्स पर भी डाल लेते हैं.
साल 1982 में ऐसी कम्पनियां जिन्हें बिजनेस करते हुए 5 साल से कम हुआ था. यूएस में उनकी संख्या कुल कम्पनियों के मुकाबले आधी थीं. मतलब साफ़ है कि स्टार्ट-अप का कुछ तो कल्चर था ही. लेकिन साल 2011 आते-आते ये आंकड़ा घटकर केवल 1 परसेंट में पहुँच गया.
ऐसा नहीं है कि इस ट्रेंड का कोई बुरा असर नहीं पड़ने वाला है. सरकार और यूनिवर्सिटीज़ के द्वारा जब इकॉनमी के प्रोडक्टिव एरिया को साइड लाइन किया जाएगा तो इकॉनमी पर तो बुरा असर पड़ेगा ही.. Bloomberg Businessweek की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में कुछ सालों में 176,000 से ज्यादा unemployed or underemployed law school graduates हो जाएंगे. ये फिगर काफी डराने वाला है.
अब तक आपको काफी कुछ इकॉनमी के बारे में पता चल चुका है, साथ ही साथ importance of innovation के बारे में भी पता चल चुका है. अब अगले कुछ चैप्टर्स में हम एक्शन प्लान के बारे में बात करेंगे.
अपनी तैयारी को मज़बूत करिए, आगे स्ट्रगल बड़ा आने वाला है
मान लेते हैं कि आप लोगों ने इनोवेशन की तरफ बढ़ने का फैसला किया है. अब सवाल उठता है कि कौन से कदम आपको सफलता की तरफ लेकर जायेंगे.
अगर आपको किसी भी तरह की कंपनी शुरू करनी है तो आपकी तैयारी बढ़ियां होनी चाहिए. याद रखिएगा कि कई महीनों तक आपको thankless work, ruined sleep, और frustration इन सबका सामना करना पड़ेगा.
इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि आप अपनी जॉब छोड़ने से पहले खुद को अच्छी तरह से तैयार कर लें. इसके लिए कुछ स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं.
Research your idea: अपनी फील्ड के बारे में अच्छे से रिसर्च कर लें, आपको पता होना चाहिए कि मार्केट की साइज़ क्या है? अपने competitors के बारे में भी रिसर्च पक्की रखिए.
Grab a web URL, कंपनी की वेब साईट तैयार करिए और सही नाम का चयन करिए.
co-founders, staff, investors, और adviser’s का बड़ी सावधानी के साथ चयन करिए. कई स्टार्ट-अप्स बस गलत को-फाउंडर की वजह से बंद हो जाते हैं.
इन सब पॉइंट्स का ध्यान रखने के बाद ही आपकी preparation पूरी होगी. लेकिन इसके बाद भी मुश्किलें कम नहीं होंगी.
किसी भी entrepreneurs के लिए सबसे बड़ी मुश्किल शुरूआती फंड्स की व्यवस्था करने में होती है. इसी के साथ सही तरीके से product development करना भी एक कठिन काम होता है. लेकिन वो entrepreneur ही क्या? जो कठिनाइयों से ना गुज़रा हो.. इसलिए खुद को कठिन से कठिन सिचुएशन में डालते रहिए.
नेटवर्क और लोकेशन का महत्व बहुत ज्यादा होता है
अगर entrepreneurship को lone wolf की तरह अप्रोच करेंगे तो सफल होना मुश्किल हो जाएगा. दुनिया के जितने भी सफलतम entrepreneurs हुए हैं. उन्होंने इस जर्नी की शुरुआत एक टीम के साथ की थी.
जब बात इनिशियल पैसे और potential employees की आती हैं तो शुरूआती समय में आप अपने नेटवर्क का सहारा ले सकते हैं. जब ऑथर ने Venture for America (VFA) की शुरुआत की थी तो उनकी काफी ज्यादा मदद उनके दोस्तों ने की थी. तो बिजनेस के शुरूआती दौर में अपने दोस्तों से मदद लेने में कोई बुराई नहीं है.
इसी के साथ potential employees के लिए आप टैलेंटेड स्टूडेंट्स की मदद ले सकते हैं. उन्हें भी स्टार्ट-अप के साथ काम करने का एक्सपीरियंस हो जाएगा.
लेकिन एक सफल स्टार्ट-अप की जर्नी केवल सही लोगों के साथ शुरू नहीं होती है . बल्कि उसके लिए सही लोकेशन की भी ज़रूरत पड़ती है. इसलिए याद रखिएगा कि किसी भी बिजनेस के लिए सही समय और सही लोकेशन होना बहुत ज़रूरी है. अगर आपको सही लोकेशन मिल जाए तो आपकी सफलता का काफी चांस बढ़ जाता है.
करियर की शुरुआत के लिए स्टार्ट-अप को ज्वाइन करना कोई बुरी बात नहीं है
जब गूगल की शुरुआत हुई थी तो कई लोगों ने डर-डरकर उससे अपने करियर की शुरुआत की थी. इसी तरह लोग शुरूआती दौर में फेसबुक को ज्वाइन करने से भी डर रहे थे. लेकिन आज ये कम्पनियां कहाँ पहुँच चुकीं हैं.
सिम्पल सी यही बात है कि स्टार्टअप से करियर की शुरुआत करने में कोई बुरी बात नहीं है. कई बार स्टार्टअप में वो सीखने को मिल जाता है. जो कि आपको बड़ी से बड़ी कंपनी में कभी सीखने को नहीं मिलेगा. इसलिए फ्रेश ग्रेजुएट को अपने करियर की शुरुआत स्टार्टअप से ज़रूर करनी चाहिए.
याद रखिए कि स्टार्टअप का वर्किंग कल्चर कूल तो रहता ही, साथ ही साथ ये आपको काफी ज्यादा अमीर भी बना सकता है. इसलिए कूल जगह काम सीखिए और अमीर बनिए. लेकिन धयान रखिएगा कि आप विज़नरी स्टार्टअप के साथ जुड़ें, नहीं तो कई स्टार्टअप के मालिक अपने काम को किसी दूकान की तरह चलाते हैं. वो आपको पैसे भी कम से कम देंगे और अपने आपको ईश्वर समझ लेंगे. कई स्टार्टअप के मालिक तो अपने साथ काम करने वालों का फोन भी रिसीव करने में अपनी बेईज्ज़ती समझते हैं. और कॉल बैक की तो उम्मीद आप कर ही नहीं सकते हैं. ऐसे घटिया स्टार्टअप्स और फाउंडर के साथ काम करने से बचिएगा.
अब फिर से सही young start-ups की दुनिया में लौटते हैं. स्टार्टअप के साथ करियर की शुरुआत करने में हो सकता है कि शुरूआती दौर में ही आपको real responsibility और अच्छी पोजीशन मिल जाए. ऐसा आपके करियर के लिए काफी अच्छा होगा. इसलिए कंपनी के small pool of contributors में शामिल हो जाईये और उसे बड़ा बनाने में अपना योगदान दीजिए. जैसे-जैसे कंपनी बड़ी होती जाएगी, वैसे-वैसे ही आपका करियर ग्रोथ बेहतर होता जाएगा.
यूएस की आज जानी मानी कंपनी yogurt producer “Chobani” को ही देख लीजिए. साल 2005 में ये शुरू हुई थी और धीरे-धीरे $1 billion से ज्यादा का कारोबार करने लगी.. आज कंपनी के हज़ार से भी ज्यादा कर्मचारी हैं. लेकिन पूरा फायदा और ग्लोरी early decision makers को मिल गया.
इसलिए आज से ही एक ऐसे स्टार्टअप की तलाश शुरू कर दीजिए, जिसकी ग्रोथ में आप अपना अच्छा ख़ासा योगदान दे सकते हों.
अगर आप किसी स्टार्टअप में नौकरी करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले स्टार्टअप जॉइन करने का कारण खुद से पूछें. अगर आप सिर्फ अच्छी सैलरी की वजह से स्टार्टअप में नौकरी करने की सोच रहे हैं तो एक बार फिर से सोच लें. हो सकता है कि आपको पैसा अच्छा मिल जाए लेकिन क्या आप वहां की दूसरी चीजों को पसंद कर पाएंगे? अगर ऐसा नहीं हुआ तो जाहिर है आपको दूसरी नौकरी बहुत जल्द ढूंढनी पड़ जाएगी.
जब भी कोई स्टार्टअप शुरू होता है तो शुरुआत में उसके पास फंड कम होता है. ऐसे में वह कंपनी अपने यहां काम करने वाले एंप्लॉयी से अपेक्षा रखती है कि वे अधिक जिम्मेदारी निभाएं. कई बार ऐसे भी मौके आते हैं जब एंप्लॉयी को ऐसी भी जिम्मेदारी दे दी जाती है कि जिसके बारे में उसने कभी सोचा नहीं था. ऐसे में बेहतर है कि किसी भी स्टार्टअप को जॉइन करने से पहले कंपनी के एचआर या सीईओ से अपने रोल के बारे में खुलकर बात करें.
स्टार्टअप काफी अच्छी सैलरी दिखाकर एंप्लॉयी को अपने यहां रखते हैं. लेकिन यह सैलरी पैकेज अधिकतर हाथी के दांत जैसा होता है.
दरअसल स्टार्टअप टैलंट को अट्रैक्ट करने के लिए एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शंस (ESOPs) का सहारा लेते हैं. ये कंपनी में शेयर खरीदने से जुड़ा होता है.
अगर स्टार्टअप बंद हो गया तो ESOPs किसी काम का नहीं रह जाता.
इसलिए स्टार्टअप्स को जॉइन करने का कारण ESOPs नहीं होना चाहिए. आपको अपने सैलरी पैकेज को समझना चहिए और आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो उसमें बदलाव करने के लिए कहना चाहिए. आप स्टार्टअप्स से ESOPs के बजाए फिक्स पे बढ़ाने को कह सकते हैं.
साथ ही सैलरी पैकेज में जुड़े अन्य रीइंबर्समेंट के बारे में भी पूरी जानकारी ले लें. बाद में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
किसी भी देश में आंत्रप्रेन्योर को बढ़ावा मिलना चाहिए
अभी तक हम लोगों ने समझा है कि टॉप स्टूडेंट्स करियर के शुरुआती दौर में ट्रैप में फंस जाते हैं. उन्हें कम्पनियां जॉब करने के लिए खींचकर ले जाती हैं. हाँ, सिचुएशन अलग-अलग हो सकते हैं कि लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट्स जॉब की तरफ रुख करते हैं.
ऐसा भी नहीं है कि स्टूडेंट्स को entrepreneurship की तरफ कोई इंटरेस्ट नहीं है. उन्हें काफी इंटरेस्ट है, तो अब ये सवाल देश की सरकार को खुद से करना चाहिए कि बच्चों को entrepreneurship की तरफ कैसे मोड़ा जा सकता है?
इसको कई तरीकों से किया जा सकता है लेकिन सबसे पहले रोल मॉडल्स को आगे आना होगा. universities, media companies, और public figures को साथ मिलकर देश में आंत्रप्रेन्योर की लहर को पैदा करना होगा. स्टूडेंट्स को समझाना होगा कि entrepreneurship भी अच्छी चीज़ है. इससे आप खुद के साथ-साथ देश की इकॉनमी का भी भला कर सकते हैं.
देश की हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में हफ्ते में “entrepreneurial hour,” की शुरुआत करनी होगी. जैसा कि University of Michigan करती है. यहाँ हर हफ्ते experienced entrepreneurs को बुलाया जाता है और वो अपने एक्सपीरियंस को बच्चों के साथ शेयर करते हैं. उन्हें बताते हैं कि entrepreneurship की जर्नी कैसी होती है? इसमें कौन-कौन सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है और फिर कैसे-कैसे रिवार्ड्स मिलते हैं?
इसी के साथ बताते हैं कि योजना के बिना सफलता मिलने की उम्मीद कम हो जाती है. किसी भी विचार से जुड़ा महत्वपूर्ण शोध करने के बाद संबंधित सारी जानकारी को लिखना ज़रूरी है. इसी के ठीक बाद बनता है स्टार्टअप मॉडल. स्टार्टअप मॉडल में बुनियादी तौर पर ये तय किया जाता है कि बिजनेस को किस तरह से आगे बढ़ाना है.
एक अच्छे स्टार्टअप मॉडल में सेवाएं कौन-कौन-सी देंगे, किस क्षेत्र में काम रहेगा, टारगेट ऑडियंस कौन होगी, रणनीति क्या रहेगी, कितने लोगों की टीम होगी आदि बातें शामिल होती हैं.
एक अच्छा स्टार्टअप मॉडल छोटा, कट-टू-कट और समझने में आसान होना चाहिए. अगर ये चार्ट के रूप में भी हो, तो और बेहतर होगा.
स्टार्टअप मॉडल पर जब काम करने की बारी आती है तब पहला सवाल फंड का होता है. औसत निवेश कितना करना है उसके बारे में शोध करें. कितने संसाधन लगेंगे, कितना ख़र्चा होगा, ऋण लेना है या नहीं आदि बातों को ध्यान में रखकर शोध करें और अंदाज़न ख़र्च निकालें. कोई भी निवेश अंधाधुंध नहीं होना चाहिए. पहले वहां निवेश करें जहां ज़रूरी है.
ऑथर सलाह देते हैं कि कोई भी आंत्रप्रेन्योर बन सकता है. और अगर हम सफल आंत्रप्रेन्योर बनना चाहते हैं तो हमें entrepreneur से mentor के तौर पर ज्ञान लेना चाहिए. हमें उन्हें अपने गुरु की तरह ट्रीट करना चाहिए. इसी के साथ याद रखिएगा कि “Smart People Should Build Things”.
कुल मिलाकर
Successful entrepreneurship program एक्शन ओरिएंटेड होना चाहिए. इस फील्ड में थके हुए लोगों की कोई जगह नहीं है. इसलिए खुद को विज़नरी इंसान बनाने की कोशिश करिए. देश की सरकार को भी समझना होगा कि स्टार्टअप ही जॉब क्रिएशन और इनोवेशन का इंजन है. दुनिया का जो भी देश इस इंजन को मज़बूत कर लेगा. उसे इस शताब्दी में कोई पीछे नहीं कर पाएगा. यदि स्टार्टअप की यात्रा में आपको किसी पार्टनर की तलाश है तो ऐसे को-फाउंडर का चुनाव करें, जो आपके स्टार्टअप को उतनी ही दिलचस्पी के साथ समझे जितना की आप समझते हैं. को-फाउंडर की समझ और प्रवृति ऐसी होनी चाहिए, जिससे स्टार्टअप में लाभ हो.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Smart People Should Build Things By Andrew Yang
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे. अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं. और गूगल प्ले स्टोर पर 5 स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.