Ryan Holiday
ग्रोथ हैकिंग की मदद से कम खर्च में अपना बिजनेस बढ़ाना सीखो
दो लफ्जों में
ये किताब मार्केटिंग की दुनिया में हुए बदलाव आपके सामने लाती है। पहले चलन में रही ट्रेडिशनल मार्केटिंग जगह आज यूजर डेटा और प्रोडक्ट डिजाइन को स्मार्ट बनाने जैसे तरीकों ने ले ली है। ड्रॉपबॉक्स और इन्स्टाग्राम जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने इन्हीं तरीकों का इस्तेमाल करके अपना कस्टमर बेस मजबूत किया है।
ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
- जो व्यक्ति बिजनेस करना चाहते हैं
- एड या मार्केटिंग फील्ड में काम करने वाले लोग
- जो लोग बिजनेस में नई तकनीकों का फायदा उठाना चाहते हैं
लेखक के बारे में
रयान एक क्रिएटिव मार्केटिंग कंपनी StoryArk में पार्टनर हैं। वे अमेरिकन अपैरल में मार्केटिंग डायरेक्टर के पद पर भी काम कर चुके हैं।
ग्रोथ हैकिंग, मार्केटिंग का एक नया और कम खर्चीला तरीका है।
आज बिजनेस की दुनिया हर नई मार्केटिंग तकनीक के पीछे भाग रही है। बिग डेटा और सोशल मीडिया पर वायरल होने जैसे हर हथकंडे अपना रही है। लेकिन इन सबमें जो सबसे जरूरी बात है उसी को नजरअंदाज कर दिया जाता है। वो बात है ग्राहकों की संख्या बढ़ाने का तरीका। आखिर बिजनेस की तरक्की सबसे ज्यादा ग्राहकों पर ही तो निर्भर करती है। उदाहरण के लिए कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट को "वायरल" करना चाहती है पर इसके लिए पुराने तरीकों की ही मदद लेती है तो कोई फायदा नहीं होगा। सच तो ये है कि अगर आप चाहते हैं कि ज्यादा ग्राहक आपसे जुड़ें तो आपको अपने बिजनेस के हर पहलू को नए तरीके में ढालना होगा। सिर्फ मार्केटिंग का तरीका बदलने से कुछ खास फायदा नहीं होगा। इसे ही ग्रोथ हैकर मार्केटिंग कहा गया है। आज के दौर में मार्केटिंग को असरदार बनाने के लिए आपको ये समझने की जरूरत है कि नए ग्राहकों को लुभाने का सबसे अच्छा तरीका आपका प्रोडक्ट ही है। इसे आधार बनाते हुए इस किताब में बताया गया है कि कैसे ड्रॉपबॉक्स, इंस्टाग्राम, ट्विटर और ग्रुपॉन जैसी कंपनियों ने तरक्की के लिए सस्ती और आसान ग्रोथ हैकिंग तकनीकों का फायदा उठाया। इस समरी में आप जानेंगे कि ड्रॉपबॉक्स ने बिना किसी तामझाम के कैसे मार्केट में अपनी जगह बनाई? हर ग्राहक के पीछे क्यों नहीं भागना चाहिए? और लेखक ने इस किताब की सेल बढ़ाने के लिए किस तरह ग्रोथ हैकिंग का सहारा लिया?
तो चलिए शुरू करते हैं!
आज ड्रॉपबॉक्स और ग्रुपॉन जैसी टॉप इंटरनेट कंपनियों का नाम बच्चा बच्चा जानता है जबकि इनकी शुरुआत हुए ज्यादा समय भी नहीं हुआ है। अब सवाल ये आता है कि इन्होंने इतनी जल्दी इतना नाम कैसे कमा लिया? इन कंपनियों ने मार्केटिंग के पुराने तरीके जैसे बड़े होर्डिंग लगाना और अखबार में बड़े बड़े एड देने की जगह ग्रोथ हैकर मार्केटिंग का इस्तेमाल किया। एक कम बजट वाला तरीका जो टिपिकल मार्केटिंग से अलग है। उदाहरण के लिए जितनी देर में टिपिकल मार्केटिंग ये सोचती रहती है कि बिजनेस के लिए ज्यादा से ज्यादा ग्राहक कैसे लाए जाएं ग्रोथ हैकिंग, टेक्नीक का इस्तेमाल करके इसका जवाब सामने रख देती है। वे ग्राहक या यूजर की जरूरत को ट्रैक करते हैं, उनके ग्रुप बनाते हैं और अपने प्रोडक्ट्स को उन ग्रुप्स के हिसाब से ढाल भी देते हैं।
इन नए तरीकों के लिए, प्रोडक्ट्स को यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए, टार्गेट कस्टमर तक जल्द से जल्द पंहुचाने के लिए ग्रोथ हैकर्स की जरूरत होती है। इस तरह मार्केटिंग की एक नई परिभाषा जन्म ले लेती है। आज कोई स्टार्ट-अप, बड़े बजट की मार्केटिंग का मोहताज नहीं रह गया है। इस तरह बड़ी कंपनियां जरूर एक या दो प्रतिशत की ग्रोथ कर लेती होंगी। आज कम बजट में इस तरह की मार्केटिंग की जाती है जिससे एक छोटे से स्टार्टअप को अगला बड़ा ब्रांड बनने में मदद मिल सके।
वैसे भी ज्यादातर स्टार्टअप, महंगी मार्केटिंग अफोर्ड नहीं कर सकते। इसलिए ढेर सारे कस्टमर्स को जोड़ने करने के लिए उनको अलग और नए ढंग से सोचना होगा। यही वजह है कि इंस्टाग्राम, ड्रॉपबॉक्स और ट्विटर ने लाखों यूजर्स तक पहुंचने के लिए ग्रोथ हैकिंग का इस्तेमाल किया है। यह समझना भी जरूरी है कि ग्रोथ हैकिंग सिर्फ शुरुआती दौर की मार्केटिंग या एक टार्गेट को पूरा करने तक ही नहीं होती। इसका एक पहलू ये भी है कि मार्केट और ग्राहकों की जरूरतों में हो रहे बदलावों पर नजर रखकर अपने प्रोडक्ट को लगातार अपडेट किया जाए। इस तरह कंपनी की ग्रोथ अच्छी रफ्तार पकड़ लेती है। लेकिन मार्केटिंग के पुराने तरीकों में ऐसा नहीं होता है। यहां सबसे जरूरी होता है किसी प्रोडक्ट के लाॅन्च होने से पहले का वक्त। इसमें टार्गेट ये रखा जाता है कि किस तरह मार्केट में उस प्रोडक्ट को ज्यादा से ज्यादा चर्चा में लाया जाए।
लेकिन ग्रोथ हैकर्स को बड़ी पार्टी देकर या मशहूर लोगों से प्रोडक्ट लॉन्च कराने की जरूरत नहीं होती है। उनका काम लाॅन्च के बाद शुरु होता है। इसमें हर वो काम शामिल है जो प्रोडक्ट की सेल या ग्राहकों तक उसकी रीच बढ़ा दे। यानि एड पर क्लिक करने से लेकर फेसबुक पर मिलने वाले लाइक या सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर हो रहे मूवमेंट पर नजर रखना, उसे एनालाइज करना और इसके जो भी नतीजे हैं उनको इस तरह इस्तेमाल करना कि कंपनी या प्रोडक्ट को ऊंचाइयां दे। इस तरह के स्टार्ट-अप घरेलू इस्तेमाल की चीजें जैसे साबुन और तेल तो बनाते नहीं हैं कि पहले दिन से प्रोडक्ट को बेहतरीन बनाकर पेश किया जाए। इनके प्रोडक्ट्स समय के साथ बेहतर से बेहतरीन बनाए जा सकते हैं। अगर आप भी अपने लिए ग्रोथ हैकिंग सीखना चाहते हैं तो किताब से जुड़े रहिए। आगे उन चार बातों के बारे में बताया जाएगा जिनकी मदद से आप अपने प्रोडक्ट को ग्रो करा सकते हैं।
ग्रोथ हैकिंग का पहला कदम है ये पता लगाना कि लोग प्रोडक्ट से क्या एक्स्पेक्ट करते हैं।
क्या आप अपने बिजनेस में ग्रोथ हैकिंग का फायदा लेना चाहते हैं? ग्रोथ हैकिंग का पहला कदम है एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार करना जो लोग चाहते हैं। क्योंकि भले ही आपका प्रोडक्ट सबसे अच्छा हो पर अगर वो यूजर फ्रेंडली या ग्राहक की जरूरत को पूरा नहीं करता हो तो उसे कौन लेना चाहेगा? यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ऐसा नहीं सोचा जाता था। उनको लगता था कि थोड़ी चालाकी दिखाकर हम उन चीजों को भी बेच सकते हैं जिनकी लोगों को जरूरत नहीं है। लेकिन ग्रोथ हैकर्स अलग तरह से सोचते हैं। वे एक ऐसा प्रोडक्ट बनाने पर ध्यान देते हैं जो किसी खास ग्रुप की जरूरतों को पूरा करता है जैसे बच्चे, महिलाएं या बुजुर्ग। इसके पीछे ये सोच है कि अगर ग्राहक आपके प्रोडक्ट या सर्विस से खुश होंगे तो अपनी तरफ से जमकर उसको प्रमोट करेंगे। इस तरह आप एड पर होने वाला खर्च बचा लेंगे। ये समझने के लिए कि आपका प्रोडक्ट "मार्केट फिट" है अपने आप से पूछें कि ये लोगों की जरूरतों के पर खरा उतरता है या नहीं? क्या ये उनके काम का है? क्या ये लोगों को कोई ऐसा फायदा देता है जो दूसरे प्रोडक्ट्स नहीं दे पा रहे?
उदाहरण के लिए जब इंस्टाग्राम लॉन्च हुआ था तो ये बस एक ऐसे सोशल नेटवर्क की तरह था जहां थोड़ी बहुत फोटोज शेयर कर ली जाती थीं। इसे बनाने वालों ने महसूस किया कि लोगों को इसका फिल्टर इन्हैंस फोटो फीचर बहुत अच्छा लगता था। उन्होंने इस बात पर फोकस किया। इस तरह अपने प्रोडक्ट को मार्केट फिट बनाया। ये तरकीब इतनी कारगर हुई कि फेसबुक ने इसे $1 बिलियन में खरीद लिया। मार्केट फिट शब्द सुनने में भारी भरकम लग सकता है लेकिन ये आपकी सोच से कहीं ज्यादा आसान है। आपको बस इस बात पर ध्यान देना है कि लोग क्या चाहते हैं। जैसे कि कुछ लेखक पुस्तक लिखने से पहले रीडर्स से ऑनलाइन या सोशल मीडिया से जुड़ते हैं। वे ये समझते हैं कि लोग किस तरह की किताब पढ़ना चाह रहे हैं। इसके आधार पर वे अपनी किताब का सब्जेक्ट तय करते हैं और जब किताब मार्केट में आ जाती है तो हाथों हाथ बिक जाती है। क्योंकि पढ़ने वालों को वो मिल जाता है जो वो पढ़ना चाह रहे होते हैं। इसके अलावा लेखक, पाठकों से बुक के कवर और नाम पर भी बातचीत कर लेते हैं। इस तरह उनको अपने काम को और बेहतर और एक्सेप्टेबल बनाने में मदद मिल जाती है। लोगों को भी किताब आने से पहले ही उससे एक जुड़ाव बन जाता है।
सही लोगों या ग्राहकों को टार्गेट करना एक स्टार्ट-अप की तरक्की के लिए लिए सबसे जरूरी है। ग्रोथ हैकिंग का अगला कदम है कि आपके प्रोडक्ट के बारे में लोगों तक जानकारी पंहुचे। दुनिया का बेस्ट प्रोडक्ट भी किसी मतलब का नहीं होगा अगर लोगों को उसके बारे में पता ही न हो। Reddit का उदाहरण ले लीजिए। इसके को फाउंडर आरोन स्वार्ट्ज़ ने इसे लॉन्च करने से पहले एक एन्साइक्लोपीडिया और WatchDog.net जैसी वेबसाइट्स बनाई। हालांकि दोनों आइडियाज बढ़िया थे पर कामयाब नहीं हुए। क्योंकि वे लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच नहीं पाए। जबकि इनसे मिलते जुलते विकीपीडिया और Change.org बाद में आने पर भी अच्छा परफार्म कर रहे हैं। आपके प्रोडक्ट का ये हाल न हो इसलिए ग्रोथ हैकर्स सेल्स और ग्रोथ को बेहतर बनाने पर अपना पूरा जोर लगाते हैं। लेकिन वे पुराने तरीकों की जगह नई और क्रिएटिव तरकीब निकालते हैं। इसका एक इग्ज़ैम्पल है कि अपने प्रोडक्ट के प्रचार के लिए invite-only feature बनाना। ड्रॉपबॉक्स ने लॉन्च के समय बिल्कुल यही किया था। अब इस प्रोडक्ट में यूजर्स को invite की जरूरत थी तो इस फीचर ने एक अलग ही रंग जमा दिया। इसकी वेटिंग लिस्ट में जल्द ही 5,000 से 75,000 लोग हो गए। आज कोई इस पर काम कर सकता है। आज ड्रॉपबॉक्स बड़े ही गर्व से कहता है कि उससे लगभग 30 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। अगर आप भी यही सफलता दोहराना चाहते हैं तो एक बात हमेशा याद रखिए। सिर्फ सही टार्गेट के पीछे भागें न कि हर किसी के पीछे। कोई भी प्रोडक्ट सबके लिए जरूरी हो ही नहीं सकता। इसलिए सबको चेस करने या अपने प्रोडक्ट के तरफ खींचने की कोशिश से समय और पैसों की बर्बादी ही होगी।
यही वजह है कि ग्रोथ हैकर्स "हर किसी" के पीछे भागने के बजाए उन लोगों पर मेहनत करते हैं जो इन प्रोडक्ट्स को जल्द से जल्द अपना सकते है या फिर ऐसे लोग जो नई तकनीकों को इस्तेमाल करने के लिए बेचैन रहते हैं। क्योंकि जब इस तरह के लोग आपके फैन बन जाते हैं तो इस बात की पूरी संभावना होती है कि वे आपके प्रोडक्ट के बारे में अपने दोस्तों और हर जानने वाले को बताएंगे। इस तरह आपके ब्रांड को और अच्छी तरह से बढ़ने में मदद मिलती है। इसके लिए उबर ने साउथ बाय साउथवेस्ट (SXSW) 2013 के दौरान फ्री राइड दी। इसमें बड़ी पोस्ट पर काम करने वाले, टेक्निकल फील्ड से जुड़े लोग और मिलेनियल्स यानि हर ऐसा ग्रुप शामिल था जिसे इस सर्विस की जरूरत थी। कंपनी ने पैसे देकर विज्ञापन करने की जगह इस तरह के प्रचार के लिए एक साल इंतजार किया। क्योंकि विज्ञापन भले ही ढेरों लोगों तक पहुंच सकते थे लेकिन उन तक नहीं जो इस सर्विस को जल्द से जल्द अपनाने वाले थे।
ग्रोथ हैकिंग का तीसरा कदम है अपने प्रोडक्ट को वायरल करना।
अगर पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा कोई शब्द इस्तेमाल हुआ होगा तो वो है वायरल। हालांकि बहुत से लोग अभी भी ये मानते हैं कि कोई चीज अपने आप ही वायरल हो जाती है जैसे इसके पीछे कोई जादू हो। यानि कोई भी प्रोडक्ट वायरल हो सकता है। जबकि ग्रोथ हैकर्स वो वजह जानते हैं जिससे कुछ चीजें वायरल हो जाती हैं और कुछ नहीं। अब वो कौन सी चाबी है जिससे वायरालिटी नाम के ताले को खोला जा सकता है? ग्रोथ हैकर्स इसके लिए कुछ आसान सवालों का जवाब ढूंढते हैं। जैसे कि आखिर ग्राहक इस प्रोडक्ट को दूसरों से शेयर क्यूं करेंगे? शेयर करने के कौन से ऑप्शन हैं और क्या ये ऑप्शन आसान हैं? क्या ये प्रोडक्ट ऐसा है जिसके बारे में लोग बात करेंगे? इसे इस तरह से समझा जाता है जैसे लोग आपका प्रोडक्ट शेयर करके आप पर एहसान कर रहे हों। इसलिए अगर आप इन सब सवालों का जवाब हां में चाहते हैं तो ग्राहक को बिल्कुल वही देना होगा जो उनको चाहिए। इसके दो बड़े आसान तरीके हैं। सबसे पहले अपने प्रोडक्ट को ऐसा बनाएं जिसे शेयर किया जा सके। जैसे कि ग्रुपॉन ने एक "रेफर ए फ्रेंड" प्लान शुरू किया था। कोई ग्राहक किसी दूसरे को प्रोडक्ट रेफर करता। अगर दूसरा ग्राहक कुछ खरीदता तो रेफर करने वाले को एक बार 10 डॉलर का क्रेडिट मिलता। इस वजह से लोग ग्रुपॉन के बारे में शेयरिंग करते ही थे। इस तरह के फायदे देने के अलावा पब्लिसिटी भी किसी चीज को वायरल करने में बड़ी मदद कर सकती है। वायरालिटी विशेषज्ञ जोना बर्जर ने कहा है कि अगर लोग किसी प्रोडक्ट को नोटिस करने लगते हैं तो उसके वायरल होने की संभावना बढ़ने लगती है। म्यूजिक स्ट्रीमिंग से जुड़े Spotify के मामले में बिल्कुल यही हुआ था। इसने फेसबुक के साथ खुद को जोड़ा और लाखों, करोड़ों फेसबुक यूजर्स को अपनी तरफ खींचने में कामयाब रहा। ये आइडिया काम कर गया। क्योंकि एक बार जब लोगों ने देखा कि उनके दोस्त Spotify सुन रहे हैं तो उनको भी इसे सुनने का मन हुआ। एप्पल ने भी इसी तरह फ्री पब्लिसिटी के लिए ग्राहकों की बढ़िया तरीके से मदद ली। जैसे कि काले रंग की जगह सफेद रंग के आइपॉड हेडफोन केबल बनाए। अब लोग देखते ही पहचान जाते थे कि सामने वाले व्यक्ति के पास एप्पल की केबल है। इसमें एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ। ग्रोथ हैकिंग भी इसी बुनियाद पर काम करती है।
ग्रोथ हैकिंग का चौथा कदम है कि अपने प्रोडक्ट को लगातार बेहतर बनाते रहें ताकि ग्राहक उससे जुड़े रहें। अक्सर ये होता है कि प्रोडक्ट की जोर शोर से मार्केटिंग करके उसे लॉन्च कर दिया जाता है और मार्केटर सोचते हैं कि काम हो गया। ये बात सही है कि शुरुआत में बहुत से ग्राहक आपसे जुड़ जाते हैं। लेकिन समय के साथ उनमें से कुछ आपके प्रोडक्ट या सर्विस से नाखुश भी होते हैं। अगर मार्केटर की यही मानसिकता रहती है कि हमारा काम तो हो गया अब हमें ग्राहक की नाराजगी से क्या मतलब, तो जल्द ही ग्राहक दूर भी जाने लगते हैं। अगर आप लगातार ग्रो करते रहना चाहते हैं तो आपको ग्राहकों के जुड़ने के बाद इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि वे टिके रहें। इसके लिए आपको सही आंकड़ों की जरूरत होती है। यानि अगर आप बच्चों से जुड़ा कोई प्रोडक्ट बनाते हैं तो ये जानना जरूरी होगा कि जहां आपका प्रोडक्ट सप्लाई हो रहा है वहां कितने बच्चे हैं जिनको इसकी जरूरत है? आपके कॉम्पिटीटर कितने हैं? आपके प्रोडक्ट के बारे में लोग क्या सोचते हैं? क्या बदलाव चाहते हैं? अब ऐसे बहुत से तरीके हैं जो इन सवालों को चुटकियों में हल कर देते हैं। इन सबमें एक शब्द निकलकर आता है कन्वर्जन रेट। यानि अगर 100 लोग आपके प्रोडक्ट की जानकारी ले रहे हैं तो उनमें से कितने उसे इस्तेमाल कर रहे हैं? बीस, पचास या अस्सी। इसकी वजह से न सिर्फ इन कस्टमर्स को बनाए रखना आसान हो जाता है बल्कि ऐसे रास्ते भी मिल जाते हैं जो बाकी बचे लोगों को आपसे जोड़ दें। यानि बीस, पचास या अस्सी को ज्यादा से ज्यादा करते जाना। हर बिजनेस में कन्वर्जन रेट निकालने का तरीका अलग हो सकता है। लेकिन जब आप अपने बिजनेस की कन्वर्जन रेट जान लेते हैं तो इसे बेहतर बनाना आसान हो जाता है।
जब ट्विटर की शुरुआत हुई थी तो ये रातों रात हिट हो गया था। बहुत से लोगों ने अपने अकाउंट बनाए। लेकिन इनमें से कुछ लोग ही थे जो एक्टिव रह पाए। यानि कन्वर्जन रेट घटने लगा। इसकी वजह जानने के लिए ट्विटर ने ग्रोथ हैकर्स को काम पर लगाया। इन्होंने ये पता लगाया कि जो लोग ट्विटर पर आकर पहले दिन से ही अपनी मर्जी के अकाउंट्स फॉलो करते हैं वे लंबे समय तक इससे जुड़े भी रहते हैं।
इसलिए पहले जहां ट्विटर हर नए यूजर को फॉलो करने के लिए 20 अकाउंट्स की लिस्ट सजेस्ट करता था, उसने अपना प्लान बदला। अब ये ऑप्शन दिया गया कि लोग अपनी मर्जी के दस लोगों को फॉलो कर सकें। इस मामूली से से बदलाव ने असर दिखाया। अब ट्विटर को पहले से ज्यादा एक्टिव यूजर्स मिलने लगे। ट्विटर का ये कदम ग्रोथ हैकिंग के एक बहुत इम्पॉर्टन्ट प्रिन्सपल और उसके फायदे को साबित करता है। वो ये है कि अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेहतर बनाइए और इनएक्टिव लोगों को एक्टिव करने के तरीके ढूंढिए। ये बहुत इम्पॉर्टन्ट प्रिन्सपल है। क्योंकि ग्राहक के टिके रहने पर ध्यान लगाना Maximum ROI यानि इन्वेस्टमेंट पर मैक्सिमम रिटर्न पाने का सबसे अच्छा तरीका है। कॉमर्स के हिसाब से इसकी परिभाषा ये बनती है कि आपने जितना पैसा लगाया उसके बदले में कितना पैसा कमाते हैं। नए यूजर्स को अट्रैक्ट करने की तुलना में अपने प्रोडक्ट में सुधार करके इनएक्टिव ग्राहकों को एक्टिव बना देना बहुत कम खर्चीला तरीका है।
मार्केट रिसर्च फर्म, मार्केट मेट्रिक्स के मुताबिक मौजूदा ग्राहक जो कुछ खरीदते हैं कंपनी को उससे 60 से 70 प्रतिशत फायदा होता है। वहीं किसी नए ग्राहक से ये फायदा पांच से बीस प्रतिशत तक होता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो मौजूदा ग्राहकों की तुलना में नए ग्राहकों से मिलने वाला प्रॉफिट मार्जिन और ROI कम है। अब आप ग्रोथ हैकर मार्केटिंग के बारे में जान चुके हैं। तो क्यों न एक सरप्राइज से पर्दा हटाया जाए। लेखक ने इसी मार्केटिंग का इस्तेमाल अपनी इस किताब को सफल बनाने के लिए भी किया है। आगे आप इसके बारे में पढ़ने वाले हैं।
लेखक ने अपनी किताब की पब्लिसिटी के लिए ग्रोथ हैकर मार्केटिंग का अच्छी तरह इस्तेमाल किया।
अगर आपको अब भी ग्रोथ हैकिंग की ताकत पर पूरा यकीन नहीं है तो पढ़िए कि रयान ने कैसे इसका फायदा उठाया। उन्होंने सबसे पहले इस बात को समझा कि ग्रोथ हैकिंग पर किताब लिखना कितना सही हो सकता है। इसलिए महीनों तक मेहनत करके बुक लॉन्च करने की जगह रयान ने बिजनेस मैगजीन, फास्ट कंपनी के लिए ग्रोथ हैकिंग पर एक आर्टिकल लिखा। पेंग्विन बुक्स ने इस टॉपिक पर अपना इंट्रेस्ट दिखाया और एक छोटी ईबुक तैयार की। इसमें कोई ज्यादा खर्च भी नहीं था और इससे पेंग्विन को ये पता लगाना भी आसान हो गया था कि रीडर्स इस पर कैसा रिस्पांस देते हैं। ईबुक को अच्छा रिस्पांस मिला। इसे देखते हुए रयान ने ईबुक को एक पेपर बुक की शक्ल दी। वो भले ही ये बात पहले से जानते थे कि इस टॉपिक पर लोग पढ़ना चाहते थे क्योंकि उन्होंने अपना होमवर्क तो कर ही लिया था। फिर भी उनके हिसाब से ग्रोथ हैकिंग प्लान का कुछ हिस्सा बाकी था। वे सही रीडर्स तक इसकी जानकारी पंहुचाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पुस्तक के कंटेंट को छोटे-छोटे आर्टिकल की शक्ल दी और उन्हें मार्केटवॉच, द हफिंगटन पोस्ट, हैकर न्यूज जैसी जानीमानी साइट्स पर पब्लिश कर दिया। इस तरह बैठे बिठाए और एक पैसा खर्च किए बिना भी वो अपने टार्गेट रीडर्स तक अपनी बात पंहुचाने में कामयाब रहे। लेखक ने सीन एलिस और एंड्रयू चेन जैसे जाने-माने ग्रोथ हैकर्स की सर्विस भी ली। उनसे कहा कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपने फॉलोअर्स तक इस किताब को पंहुचाएं। इसमें उन लोगों को तो टार्गेट किया ही गया था जो इस किताब को पढ़ना चाहते थे। साथ ही रयान ने अपने पुराने रीडर्स और फैन्स को भी इसकी जानकारी दी। उनको रिवॉर्ड दिए। इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि जब उन्होंने ईबुक पब्लिश की तो उसमें ये बात जोड़ी कि जो लोग इस टॉपिक पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं वो उनका न्यूजलेटर कैसे साइन अप करें।
उनके लगभग दस प्रतिशत रीडर्स ने न्यूजलेटर साइन अप किया। साइन अप करने वालों को इससे फायदा भी हुआ। उन्होंने रयान को फ्यूचर कम्युनिकेशन के लिए अपनी ईमेल आईडी सेव करने की इजाजत भी दी। रयान ने ऐसे लोगों की मेल आईडी की एक लिस्ट बना ली और इन मेल आईडी से अपनी किताब के पब्लिश होने की जानकारी बांटी। इस उम्मीद से कि ये लोग इस किताब को खरीदेंगे। लेखक के अनुभव से आप समझ गए होंगे कि मार्केटिंग कोई बहुत मंहगी या मुश्किल चीज नहीं है। इसे आसानी से और कम खर्च में किया जा सकता है।
कुल मिलाकर
ग्रोथ हैकिंग मार्केटर्स ने अब ऐसे नए और क्रिएटिव तरीके ढूंढ निकाले हैं जिससे कम खर्च में कंपनियों और स्टार्ट अप को तेजी से अच्छा फायदा मिल सकता है। ग्रोथ हैकिंग ने मार्केटिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट के बीच के फर्क को खत्म करके मार्केटिंग की एक नई परिभाषा बना दी है।
क्या करें
अपने प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे लोगों को रिवॉर्ड दें।ग्राहकों को ये पता होना बहुत जरूरी है कि आपके प्रोडक्ट को किस तरह इस्तेमाल करना है। अगर आपका प्रोडक्ट ऐसा है जो लोगों को समझ ही न आए या उनका दिमाग उलझा दे तो ग्राहक जल्द ही परेशान होकर या चिढ़कर उसकी तरफ देखना भी बंद कर देगा। यानि ग्राहक आपके हाथ से निकल जाएगा। इसका तरीका है कि आप खुद इसकी शुरुआत करें और लोगों को इसके लिए रिवॉर्ड दें। ड्रॉपबॉक्स ऐसा ही करता है। जब लोग उनकी सर्विस इस्तेमाल करने से जुड़ी जानकारी लेते हैं तो वो उनको एक्स्ट्रा स्टोरेज देता है।
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