Zig Ziglar
अब कामयाबी आपके कदम चूमेगी
दो लफ्ज़ों मे
साल 1975 में रिलीज़ हुई किताब जिसका नाम ‘See You at the Top’है. ये किताब आपको पर्सनल सक्सेस की तरफ लेकर जाने का काम करेगी. इस किताब के चैप्टर्स से आप साइकोलॉजिकल और बिहेवियर टूल सीखेंगे. आपको जिससे गोल सेट करने में काफी मदद मिलेगी. इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता चलेगा कि एक साथ सोशल, पर्सनल, प्रोफेशनल और अध्यात्मिक लाइफ को बेहतर कैसे कर सकते हैं?
ये किताब किसके लिए है
- ऐसे लोग जिन्हें अपने करियर में मदद चाहिए
- बिजनेसमैन और फ्रीलांसर
- ऐसे लोग जिन्हें सेल्फ हेल्प की ज़रूरत हो
- अलग-अलग फील्ड के स्टूडेंट्स
लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक ‘Zig Ziglar’ थे. ये लेखक होने के साथ-साथ मोटिवेशनल स्पीकर और सेल्स मैन भी रह चुके थे. इन्होने 30 से भी ज्यादा किताबों का लेखन किया था. जिनमे से कई सारी किताबें अपनी टाइम की सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाली किताबें थीं.
सेल्फ इमेज को बेहतर बनाने की कोशिश करिए, अगर ये बेहतर नहीं हुई तो फिर लाइफ बेहतर कैसे होगी?
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि सक्सेस उन्हीं को मिलती है. जिनके पास बहुत टैलेंट होता है. वो लोग ऐसा भी सोचते हैं कि उन्हें सक्सेस इसलिए नहीं मिली है क्योंकि उनके पास स्किल्स की कमी थी. इसको लेखक लूज़र लिम्प भी कहते हैं. ये उस तरह का बहाना होता है जिसे लोग अपनी असफलता को छुपाने के लिए बनाते हैं.
अगर कभी आपके मन में इस तरह से ख्याल आए तो आपको पता होना चाहिए कि आपके पास सब कुछ है. आपको जिसकी मदद से सफलता मिल सकती है. इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता होना चाहिए कि “सक्सेस के लिए सिचुएशन को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.” भले ही सिचुएशन कैसी भी हो? समय कैसा भी हो? आप अपना माइंड सेट बदल सकते हैं. किसी की भी सफलता उसके माइंड सेट पर डिपेंड करता है.
इस किताब की चैप्टर में आपको पता चलेगा कि लाइफ में अचीवर बनने के लिए आपको 6 स्टेप उठाने चाहिए.
तो चलिए शुरू करते हैं!
ल्फ इमेज को बेहतर बनाने की कोशिश करिए, अगर ये बेहतर नहीं हुई तो फिर लाइफ बेहतर कैसे होगी?
अब आपको इस फैसले पर पहुँच जाना चाहिए कि बदलाव का समय आ गया है. जब चेंज का टाइम आ गया है. तो इसकी शुरुआत भी होनी चाहिए. लेकिन इसकी शुरुआत कैसे होगी?
इसका पहला स्टेप ये है कि आपको अपनी सफलता की सीढ़ी पर सेल्फ इमेज को नापना पड़ेगा. आपको ये खुद से पता करना पड़ेगा कि आप खुद को कैसे देखते हैं? सक्सेस की राह में सेल्फ इमेज की भूमिका काफी ज्यादा बढ़ जाती है. यही बताएगा कि आप परफॉर्म कैसे कर रहे हैं?
आपको पता होना चाहिए कि आपकी परफॉरमेंस की समीक्षा सेल्फ इमेज ही करेगी. इसलिए सेल्फ इमेज के बारे में पता होना बहुत ज़रूरी है. कई लोगों की सेल्फ इमेज को समझने के लिए उनके बचपन की तरफ जाया जा सकता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपका बच्चा कोई प्लेट गिरा देता है. उसके गिराने से वो प्लेट टूट जाती है. फिर आप उस पर कमेन्ट करते हैं कि ये बच्चा अनाड़ी है. ये लाइफ में कोई काम ढ़ंग से नहीं कर सकता है.
भले ही आपकी नियत अच्छी हो, लेकिन कई बार इस तरह के कमेन्ट बच्चों के ऊपर गलत असर कर जाते हैं. ऐसा देखा गया है कि टीचर और पैरेंट्स के नेगेटिव कमेन्ट का बच्चों के दिमाग पर काफी गहरा असर होता है. जिसकी वजह से वो सोचने लगते हैं कि उनसे लाइफ में कुछ भी नहीं हो पाएगा. इस तरह के कमेन्ट से बच्चों के अंदर हीन भावना का जन्म हो जाता है. उनका कॉन्फिडेंस बहुत कम हो जाता है. यहीं से उनकी सेल्फ इमेज भी खराब होने लगती है.
अब सोचिए कि आपको एक फोन कॉल आता है. आप वो कॉल रिसीव करते हैं. तभी सामने वाला शख्स आपको बोलता है कि “साहब, आप तो कमाल के इंसान हैं. आप से अच्छा प्रोफेशनल तो मैंने देखा नहीं है” इस बात को सुनकर आपको कैसा लगेगा? इस बात को सुनकर आपको बहुत अच्छा लगेगा. इसके अलावा आपका कॉन्फिडेंस भी काफी हाई हो जाएगा. भले ही आप प्रोफेशनल तौर पर कोई भी काम करते हों, लेकिन जब कोई इंसान आपके काम की तारीफ़ करता है. तो फिर आपको उस काम को और अच्छे से करने का मन करता है. इसके पीछे का रीज़न साफ़ है. वो ये है कि तब आपका आत्म विश्वास काफी ऊपर रहता है. आत्म विश्वास के दम पर इंसान कोई भी जंग जीत सकता है. लेकिन ये भी सच है कि सेल्फ इमेज अच्छा बनाना इतना आसान नहीं है. वो भी ख़ासकर बच्चों के लिए, जिन्हें पैरेंट्स-टीचर के अलावा सोसाइटी की तरफ से भी प्रेशर झेलना पड़ता है. कई बच्चों को तो उनके अपीयरेंस के बारे में भी काफी कुछ सुनना पड़ता है. ये सेल्फ इमेज के लिए बहुत घातक चीज़ है. कई सर्वे में ये बात निकलकर सामने आ चुकी है कि 95 प्रतीशत अमेरिकन्स की ग्रोथ इसी वजह से रुक जाती है क्योंकि उन्हें बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ता है. बच्चों के लिए ये सिचुएशन बहुत खराब है. अगर आपकी सेल्फ इमेज अच्छी नहीं है. तो फिर आपकी प्रोफेशनल लाइफ भी अच्छी नहीं हो सकती है.
इसके लिए आप किसी भी सेल्स मैन का एग्जाम्पल ले सकते हैं. जिसकी सेल्फ इमेज खुद की ही नज़र में अच्छी ना हो. उसे हमेशा रिजेक्ट होने का डर लगा रहता है. उसे ये भी डर रहता है कि उसकी टीम उसे अच्छा नहीं समझती है. अब आप सोचिए कि कोई सेल्स मैन इतने कम आत्म विश्वास के साथ क्या ही प्रोडक्ट बेच पाएगा? जब तक कोई भी इंसान खुद को एक्सेप्ट नहीं कर सकता है. तो फिर दूसरे उसे कैसे एक्सेप्ट करेंगे?
इसलिए सफलता को छूने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप अपनी सेल्फ इमेज को बेहतर से बेहतर करने की कोशिश करें. यहीं से आपकी सफलता की जर्नी शुरू होती है.
अच्छा पहनावा और दूसरों की मदद करने से भी आपकी सेल्फ इमेज बेहतर होगी
क्या आप कभी नेगेटिव सेल्फ इमेज से परेशान हुए हैं? अच्छी खबर ये है कि इसे कई मेथड की मदद से ठीक किया जा सकता है. याद रखिए कि “आपकी सेल्फ इमेज की ज़िम्मेदारी आपकी ही है” दूसरा कोई भी इसे इफ़ेक्ट तब तक नहीं कर सकता है. जब तक आप उसे परमिशन ना दें. इसलिए खुद के प्रति सजग रहिए. आपको ऐसा नहीं लगता होगा. लेकिन अगर आप ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आप बहुत स्पेशल हैं. आखिरकार आप खुद में बस एक ही तो हैं. कभी ऐसा सोचकर देखिए “अच्छा लगेगा”।
इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि सेल्फ इमेज में अपीयरेंस का रोल काफी अधिक रहता है. इसलिए इसको सुधारने की शुरुआत भी यहीं से कर सकते हैं. आपको पता होना चाहिए कि अच्छा हेयर कट भी आपकी सेल्फ इमेज को बेहतर कर सकता है. सेल्फ इमेज से जेंडर का कोई लेना देना नहीं होता है. इसलिए आप किसी भी जेंडर के हों अपने अपीयरेंस पर काम करने की शुरुआत कर दीजिए.
खुद का ख्याल रखने से आपका आत्मविश्वास बहुत बढ़ेगा. इसी के साथ आपको ये भी पता होना चाहिए कि सेल्फ इमेज बस खुद का ख्याल रखने से ही नहीं बढ़ती है. इसको बढ़ाने का एक और तरीका है? वो क्या है? वो ये है कि आप दूसरों का कैसे ख्याल रखते हैं.
ऐसा कई रिसर्च रिपोर्ट में निकलकर सामने आया है कि जो लोग दूसरी मदद करते हैं उनका कॉन्फिडेंस बहुत ऊपर रहता है. जब किसी का कॉन्फिडेंस हाई रहेगा तो इसका मतलब है कि उसकी सेल्फ इमेज भी बेहतर रहेगी.
बेहतर सेल्फ इमेज वाले लोग लाइफ में बेहतर से भी बेहतर करते हैं. अगर आपको इस बारे में और जानना है. तो फिर ऐसे सफल लोगों की जीवनी पढ़िए जिन्होंने अपनी जिंदगी से दूसरों की लाइफ में बदलाव लाया हो.
ऐसे बहुत से लोग हैं जैसे कि आपको ‘ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम’ और ‘महात्मा गांधी’ की जीवनी ज़रूर पढ़नी चाहिए.
इनके अलावा ‘Mamie McCullough’और ‘John Maxwell’ जैसे मोटिवेशनल स्पीकर के कामों के बारे में भी पढ़ सकते हैं. लेखक का वादा है कि इनको पढ़ने के बाद आपकी पूरी अप्रोच ही बदल जाएगी.
दूसरों की मदद करने से आपकी सेल्फ इमेज बेहतर हो जाएगी? लेकिन अब बारी आती है उनकी जिनको आप सबसे ज्यादा मानते हैं. सेल्फ इमेज को सुधारने के लिए रिलेशनशिप का भी बेहतर होना बहुत ज़रूरी होता है.
सक्सेस की जर्नी में आगे बढ़ने के लिए रिलेशनशिप को बेहतर करना ही पड़ेगा. इसके लिए क्या एफर्ट्स लेने चाहिए?
लेखक के अनुसार आप सबकुछ पा और कर सकते हैं. जो भी आप दिल से करना चाहते हैं. इसलिए सबसे पहले जो लोग आपको चाहते हैं. उनकी फीलिंग्स की कद्र करने की शुरुआत कर दीजिए. ऐसा आपको अपनी प्रेमिका या पत्नी के साथ भी करना है.
भले ही वो यकीन करें या ना करें आपको उनकी कद्र करनी ही है.
इसको आप इस एग्जाम्पल से भी समझ सकते हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में Dr. Robert Rosenthal ने एक एक्सपेरिमेंट किया था. उन्होंने दो एवरेज स्टूडेंट्स के ग्रुप को दो अलग-अलग टीचर्स के हवाले छोड़ दिया था. पहले टीचर को ये बताया गया था कि आपके पास एवरेज दिमाग वाले स्टूडेंट हैं. वहीँ दूसरे टीचर से ये कह दिया गया था कि आपके पास जीनियस स्टूडेंट का ग्रुप है. इसके एक साल बाद ये देखने को मिला था कि जिन स्टूडेंट्स को जीनियस बोला गया था. उनको ट्रीट भी जीनियस बच्चों की तरह किया गया था. रिज़ल्ट भी ऐसे ही थे. उन बच्चों के रिज़ल्ट यूनिवर्सिटी में बाकी सभी ग्रुप्स से बेहतर थे. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उन्हें ट्रीट बहुत अच्छे से किया गया था. यही बात किसी भी रिश्ते में भी लागु होती है. आप वही काटते हैं जो कि आप बोते हैं. इसलिए रिश्ते का ख्याल अपने खेतों की फसल की तरह ही करना पड़ता है.
ऐसा देखा जाता है कि कई लोग स्ट्रेंजर्स से बहुत प्यार से बात करते हैं. लेकिन अपने पार्टनर से प्यार नहीं दिखाते हैं. इसकी वजह से कई रिश्ते खराब हो जाते हैं. आज के समय शादियों के टूटने के पीछे भी लैक ऑफ़ कम्युनिकेशन ही है. जब आपकी रिलेशनशिप अच्छी नहीं होगी तो फिर आपका माइंड भी शांत नहीं रहेगा. जिसका सीधा असर आपके काम पर पड़ेगा. इसलिए इस चैप्टर के माध्यम से लेखक कहते हैं कि सक्सेस की तरफ वाली राह में रिलेशनशिप का अच्छा होना बहुत ज़रूरी है. रिलेशनशिप को बेहतर करने के लिए ज़रूरी है कि आप अपने माइंड सेट को बदलने की कोशिश करिए.
लाइफ के गोल्स स्पेसिफिक और क्लियर होने चाहिए
लाइफ को सक्सेसफुल रोड की तरफ ले जाने के लिए गोल्स का होना बहुत ज़रूरी है. लेकिन लोगों के सामने सवाल यही रहता है कि आखिर गोल्स को सेट कैसे करना है? याद रखिए कि अगर आपके पास क्लियर गोल रहेगा तो फिर आपकी लाइफ भी स्पेसिफिक और क्लियर रहेगी. गोल्स को पूरा करने के लिए हार्ड वर्क और कंसंट्रेशन की ज़रूरत पड़ती है. गोल कैसे सेट किए जा सकते हैं?
गोल को सेट करते समय पहली चीज़ आपको याद रखनी है कि ये स्पेसिफिक होने चाहिए? जितना स्पेसिफिक हो सके. मान लीजिए कि आपका एक साल का गोल वजन कम करना है. तो फिर आपको इसे स्पेसिफिक बनाने के लिए पता होना चाहिए कि कितना वजन कम करना है.
दूसरा स्टेप होता है कि आपको पता होना चाहिए कि आपके पास टाइम कितना है? किसी भी गोल को अचीव करने के लिए खुद के लिए एक समय सीमा तय करनी चाहिए. कोशिश करिए कि हर बड़े गोल के लिए कम से कम एक साल का समय तो तय करिए.
इन दो स्टेप के साथ अपने गोल्स को लिखने की शुरुआत कर दीजिए. भले ही गोल फाइनेंशियल, करियर, अध्यात्मिक, पारिवारिक जैसा भी हो. उसको पूरा करने के लिए आपके पास रोड मैप तैयार रहना चाहिए.
अपने बड़े लक्ष्य को पाने के लिए उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने की आदत डाल लीजिए. ऐसा ही कुछ इस किताब के लेखक ने भी अपने गोल्स को अचीव करने के लिए किया था. उन्हें साल भर में वजन कम करना था. जिसे उन्होंने हर महीने के कोटे के हिसाब से बाँट लिया था. इसके बाद हर महीने के टारगेट को उन्होंने पूरा करने की कोशिश की थी. धीरे-धीरे उन्हें पता ही नहीं चला था कि उन्होंने अपने टारगेट को कब और कैसे पूरा कर लिया था.
कई लोग कहेंगे कि गोल की तरफ बढ़ने के लिए एफर्ट्स करने पड़ते हैं. लेकिन एफर्ट्स करने के बाद भी सफलता मिलने में मुश्किल हो सकती है. इसके पीछे क्या कारण होते हैं?
इसके पीछे के कारण ये होते हैं कि जिंदगी के पास दिमाग आपके दिमाग से ज्यादा होता है. वो आपके सामने मुश्किलें भी भेजती रहती है. क्या आप हर मुश्किल से तुरंत जीत जाएंगे? ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. फिर क्या कर सकते हैं? लेकिन आप उन मुश्किलों के सामने रियेक्ट करने से खुद को कंट्रोल कर सकते हैं. खुद के ऊपर काबु रखना आपको सीखना ही पड़ेगा. इसे सेल्फ कंट्रोल कहा जाता है. इसके लिए आपको पॉजिटिव एटीटयूड को अपनाना पड़ेगा. यही सक्सेस की तरफ बढ़ने के चौथा स्टेप भी हैं. सक्सेस वाली सीढ़ी में ये कदम आपको बहुत ऊपर तक लेकर जा सकता है. सेल्फ इमेज में आप खुद की इमेज बनाते हैं. इस एटीटयूड की मदद से आप दूसरों को देख पाएंगे. सिंपल बात ये है कि इससे आपके पास नज़रिए का जन्म होगा. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि 85 परसेंट काम बस एटीटयूड की मदद से हो सकते हैं. उनमे सिर्फ 15 परसेंट ही तकनीकी क्वालिटी की मदद लगती है.
लेकिन हम खुद को अन प्रोडक्टिव थिंकिंग में जकड़ लेते हैं. जिसे लेखक ‘stinkinthinkin’ भी कहते हैं. इसी थिंकिग की प्रॉब्लम साल 1930 में San Antonio नाम की बेसबॉल टीम के अंदर भी हुई थी. उस दौर में उस टीम ने बहुत हार देखी थी. टीम ने गलती ये की थी कि वो साथ में एकता के साथ खेल नहीं रही थी. वो बस ब्लेम गेम खेल रही थी. जिसकी वजह से टीम के प्लेयर्स की स्किल्स में कोई बढ़ोतरी देखने को नहीं मिल रही थी. अब आपको समझ में आ रहा होगा कि गलत अप्रोच रखने से क्या-क्या हो सकता है? इसलिए लेखक कहते हैं कि लाइफ में हमेशा पॉजिटिव अप्रोच रखना चाहिए. इस अप्रोच के दम पर आप किसी भी दिक्कत का अच्छे से सामना कर सकते हैं. इस अप्रोच के दम पर आप अपनी लाइफ में बहुत अच्छा कर सकते हैं. गेम विनिंग एटीटयूड को अपने अंदर लेकर आइए. इसके लिए किसी भी मोटिवेशनल स्पीकर की ज़रूरत नहीं है. इस काम के लिए आप ही काफी हैं. दिन की शुरुआत पॉजिटिव माइंड सेट से किया करिए.
काम करते रहिए और आगे बढ़ते रहिए, साथ ही जानिए वर्क एथिक्स का महत्व
क्या आपको कभी किसी ऐसे सक्सेसफुल प्रोफेशनल के बारे में पता चला है. जिसे काम से घर जाने की हमेशा जल्दी रहती हो? ऐसा नहीं हो सकता है. उसके पीछे का रीज़न ये है कि सक्सेस के लिए बहुत ज्यादा हार्ड वर्क की ज़रूरत होती है. कहा भी जाता है कि “मेहनत का कोई आप्शन नहीं हो सकता है.”
ऐसा भी होता है लेकिन वो मज़ाकिया ही है कि किसी को बिना मेहनत के ही सफलता मिल जाए. फिल्म इंडस्ट्री में आप स्टार्स के बच्चों के साथ ऐसा देख भी सकते हैं. लेकिन वो असलियत में मज़ाक ही है. वैसी सफलता की कद्र दुनिया में कोई नहीं करता है.
इसलिए आपको अपनी सफलता की कहानी मेहनत के दम पर ही लिखनी चाहिए. तभी आप दुनिया के आकाश में सितारे की तरह चमकेंगे. कहा भी जाता है कि “आप किसी को मछली देकर एक दिन के लिए खुश कर सकते हैं. लेकिन किसी को मछली पकड़ना सिखाकर उसे लाइफ टाइम के लिए खुश कर सकते हैं.” इसका मतलब यही है कि आपको अपनी स्किल्स के ऊपर लगातार काम करना चाहिए. आपकी स्किल्स ही आपको मार्केट में सबसे अलग खड़ा कर सकती हैं. इसलिए अपनी स्किल्स के ऊपर काम करते रहिए.सक्सेसफुल लोगों को पता है कि टॉप पर रहने के लिए फ्री का लंच नहीं करना होता है. आपके पास इतना टाइम ही नहीं रहना चाहिए कि आप फ्री के आइटम का इंतज़ार कर सकें. सक्सेसफुल लोगों के लिए टाइम का महत्व बहुत अधिक होता है.
उनके लिए टाइम की वैल्यू पैसों से भी ज्यादा होती है. इसलिए बड़ा बनने के लिए अपनी सोच को भी बड़ा करने की कोशिश करिए. इसलिए लेखक आपको सलाह देते हैं कि अगर आप कुछ बड़ा करना चाहते हैं. तो फिर नार्मल लोगों से ज्यादा काम करिए. आपको हफ्ते में 40 घंटों से ज्यादा काम करना चाहिए. उन घंटों में आपको देखना चाहिए कि आप प्रोडक्टिव कितने हैं? इतना ज्यादा काम करने के बाद भी तुरंत सफलता नहीं मिलेगी. जी हाँ, आप सही सुन रहे हैं. सफलता मेहनत के बाद भी नहीं मिलती है. खुद के पास पेशन्स रखिएगा क्योंकि मेहनत करने वाले भी असफल भी नहीं होते हैं. सक्सेस के लिए पैशन को पैदा करिए, एक दिन आप ज़रूर सफल होंगे.
क्या आपके पास बर्निंग डिजायर है? यही आपको सक्सेस के पास लेकर जाने का काम करेगी।
आप सोचते होंगे कि सक्सेसफुल लोगों को क्या मोटिवेट करता है? ऐसा कौन सा फैक्टर होता है. जिससे वो ओवर अचीवर बन जाते हैं. अभी तक आपको सेल्फ इमेज, पॉजिटिव अप्रोच, माइंड सेट का महत्व समझ में आ चुका है. लेकिन आपको छठवें स्टेप के बारे में पता होना ही चाहिए.
इस फाइनल टेप को ‘बर्निंग डिजायर’ यानी ‘प्रबल इच्छाशक्ति’ कहते हैं. इसके दम पर आप किसी भी सीनेरियो को बदल सकते हैं. आप इस दुनिया में कुछ भी अचीव कर सकते हैं. बस, आपको विश्वास होना चाहिए कि आप उसे दिल से चाहते हैं.
बर्निंग डिजायर के दम पर आप किसी भी सिचुएशन से डील करते हुए जीत हासिल कर सकते हैं.
इस तरह के इस दुनिया में हज़ारों विजेताओं की कहानी है. उन्ही में से एक अमेरिकन बॉक्सर Billy Miske भी हैं. साल 1923 था, बॉक्सर हॉस्पिटल में एडमिट हुए, उन्हें पता चला कि उनकी किडनी खराब हो चुकी हैं. इसी के साथ उन्हें एक ऐसी जानलेवा बिमारी हो चुकी थी कि उनके पास बस एक साल का ही समय और बचा था.
अब उन्हें अपने परिवार को फाइनेंशियल सेक्योर करना था. उन्होंने फिर से एक बार रिंग में उतरने का फैसला किया था. अपने मैनेजर को बोलकर फाइट की तारीख फिट करवाई थी. उनका शरीर कमजोर हो चुका था. लेकिन उनके बर्निंग डिजायर ने उन्हें शक्ति दी. हर कठिन सिचुएशन को हराते हुए उन्होंने खुद को तैयार किया. फिर वो फाइट रिंग में भी उतरे थे.
फाइट का रिज़ल्ट क्या था?
Billy Miske के सामने Brennen थे. ताकतवर बॉक्सर, दोनों में फाइट शुरू हुई और BillyMiske ने चारों राउंड जीतकर इतिहास रच दिया था. उन्होंने ये फाइट अपनी मौत के एक हफ्ते पहले जीती थी. अपने परिवार के लिए उन्होंने 2400 डॉलर से ज्यादा इक्कठा किए थे. ये सब मज़बूत इच्छाशक्ति की वजह से ही मुमकिन हो पाया था.
इसलिए सक्सेसफुल होने के लिए आपके अंदर बर्निंग डिज़ायर होनी ही चाहिए. इसकी मदद से आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं.
कुल मिलाकर
अब तक आपको पता चल चुका है कि सक्सेसफुल बनने के लिए 6 स्टेप को फॉलो करना ही चाहिए. किताब में आपको ये भी बता दिया गया है कि इसे कैसे फॉलो करना है? तो बस अब देर मत करिए, आगे बढ़िये और काम करिए.
क्या करें?
बुरी आदतों को छोड़ने की कोशिश करिए. इसके लिए आप आपको बर्निंग डिज़ायर की मदद लेनी चाहिए. समय बदल रहा है, खुद को भी बदलने की कोशिश करिए. सक्सेस आपका इतंज़ार कर रही है.
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