Salt, Fat, Acid, Heat

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Salt, Fat, Acid, Heat

Samin Nosrat
कुकिंग के बेसिक्स

दो लफ्जों में
साल 2017 में आई ये किताब दूसरी कुक बुक्स की तरह नहीं है जिसमें आपको बस तरह-तरह की रेसिपी बता दी जाएं। ये किताब आपको कुकिंग के बारे में कुछ ऐसी बेसिक बातों की जानकारी देती है जिनकी मदद से आप बिना कोई रेसिपी फॉलो किए साधारण से खाने को भी स्वादिष्ट बना सकते हैं। 

ये किताब किनको पढ़नी चाहिए 
- कुक और ऐसे लोग जो खाना पकाना सीख रहे हैं
- जिनको कुकिंग का शौक है
- जिनको अच्छा खाने का शौक है 

लेखिका के बारे में
सैमिन नसरत एक जानीमानी शेफ और लेखिका हैं। उन्होंने कैलिफोर्निया के फेमस Chez Panisse रेस्टोरेंट में कई सालों तक काम किया है। सही ingredients को सही तकनीक से इस्तेमाल करना उनकी खास स्किल है जिसके बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स और सैन फ्रांसिस्को क्रॉनिकल में भी लिखा जा चुका है। वो अब बर्कले में अपने घर से ही काम करती हैं। 

ये किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए? 
ताकि आप अच्छी कुकिंग की बुनियादी बातें समझ सकें।
कई लोगों के लिए खाना बनाने का मतलब है बस एक रेसिपी को फॉलो करना। यानि आपको कहीं कोई रेसिपी मिल गई और आपने हूबहू उसे कॉपी करते हुए कुछ बना दिया। एक्सपर्ट ने आपको बता दिया कि इन चीजों को मिलाकर इस तरह से ये डिश बना लीजिए। पर उन खास चीजों या तकनीक का ही इस्तेमाल क्यों किया गया ये आपको कोई नहीं बताएगा। आपको बस आंखें बंद करके उनकी बात माननी है। लेकिन रेसिपी जितनी मुश्किल होती है उसे बनाना भी उतना ही मुश्किल हो जाता है। आपको जितना नयापन मिलता है उतना ही आप उसमें उलझ जाते हैं क्योंकि आपको तो बस अच्छे से अच्छा स्वाद चाहिए। इस वजह से खुद की क्रिएटिविटी गायब हो जाती है और इन सबमें खाना बनाने का मजा ही खत्म हो जाता है। अच्छी बात ये है कि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे खाना बनाना तो आसान हो ही जाएगा और आपको ये भी समझ आने लगेगा कि कोई खास चीज किसी रेसिपी में क्यों डाली जाती है। आपकी क्रिएटिविटी बढ़ेगी और आपकी कुकिंग स्किल बेहतर से बेहतरीन होती जाएगी। आपको ज्यादा नहीं बस चार बेसिक चीजों को अच्छी तरह समझना है। वो हैं नमक, फैट, एसिड (खटाई) और हीट। 

इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे
• वो कौन सी चीज है जो कुकीज के फ्लेवर को अलग लेवल पर ले जाती है
• गोल्डीलॉक्स की कहानी का आपकी कुकिंग से क्या लेना देना है
• अच्छा टमाटर सूप कैसे बनता है और अगर ये बिगड़ने लगे तो इसे सही कैसे करना है नमक का सही मात्रा में और सही तरीके से इस्तेमाल करिए।

जाने माने अमेरिकन शेफ जेम्स बियर्ड ने एक बार पूछा था, "अगर कुकिंग से नमक हटा दिया जाए तो शेफ कहां जाएंगे?" अगर आप खाने में नमक का महत्व समझते हैं तो आपको इसका जवाब पता होगा। यानि नमक नहीं तो खाने में स्वाद भी नहीं। इसलिए आपको नमक की ताकत को अच्छी तरह काम में लाना सीखना चाहिए। मान लीजिए कि बीन्स उबालते समय आप उसमें नमक डालते हैं। अगर पानी में नमक कम है तो पानी का मिनरल लेवल, बीन्स के मिनरल लेवल से कम होगा। इसको बैलेंस करने के लिए कुछ मिनरल्स बीन्स से निकलकर पानी में आ जाएंगे। इस वजह से बीन्स नरम पड़ जाएंगी। अगर पानी में नमक ज्यादा डाल दिया तो कुछ मिनरल्स पानी से निकलकर बीन्स में चले जाएंगे। अब बीन्स तेजी से पक जाएंगी। ये नमक, बीन्स को हरा बनाने वाली क्लोरोफिल सेल्स में मैग्नीशियम को टिकाकर रखने में मदद करेगा। इस तरह बीन्स अपनी रंगत नहीं खोएंगी। लेकिन इस बात का ये मतलब भी नहीं बनता कि आप हर जगह ज्यादा नमक डालने लगें। अलग-अलग भोजन में अलग-अलग मात्रा में नमक की जरूरत होती है। आपको खाना बनाते हुए कितने नमक की जरूरत है इसके आधार पर आपके पास नमक मिलाने के भी तीन अलग-अलग तरीके हैं। 

पहला है मुट्ठियों की मदद से। यानि डिब्बे में हाथ डाला, मुट्ठी भरी और खाने में नमक छोड़ दिया। पास्ता और सब्जियां उबालते हुए यही तरीका काम आता है। यहां आपका मकसद होता है कि उबालने में इस्तेमाल हो रहे पानी को अच्छी तरह नमकीन बनाया जाए। इसलिए ये कहा जा सकता है कि आप दिल खोलकर नमक डालें। रोस्टेड वेजिटेबल या मीट की ट्रे तैयार करने के लिए आपका मकसद होता है कि हर जगह बराबर मात्रा में नमक डाला जाए। इसलिए यहां आपको नमक छिड़ककर डालते जाना है। इससे ट्रे में हर जगह नमक सही तरह से मिल जाएगा। अगर आप एक बड़ी ट्रे की जगह कोई छोटा बर्तन लेते हैं या कम भोजन तैयार कर रहे हैं तो आपको चुटकी से नमक डालना है। ये आपका तीसरा तरीका है। बस दोनों उंगलियों के बीच थोड़ा नमक लें और खाने पर डाल दें। 

नमक का इस्तेमाल तो मीठी चीजों में भी होता है पर मिर्च इतनी पॉप्युलर नहीं है।

नमक और चीनी दो अपोजिट पोल की तरह हैं। लेकिन इतने अलग होते हुए भी वो एक दूसरे के साथ बढ़िया तरीके से मिल जाते हैं। नमक को तो कुकिंग का बादशाह कह सकते हैं। ये मीठी चीजों का स्वाद भी बढ़ा देता है। यही नमक की सुपर पावर है। आप इसे खुद आजमा सकते हैं। अगली बार कुकीज बनाएं तो नमक मिलाकर देखिए। कुकी के आटे के दो हिस्से कर लीजिए। एक में नमक डालिए और एक बिना नमक के रहने दीजिए। जब दोनों पक जाएं तो चखकर देखिए। नमक वाली कुकीज में एक बटरी और कैरामेल जैसा फ्लेवर मिलेगा। बिना नमक वाली कुकीज इसके आगे कुछ नहीं लगेंगी। 

आप सोचेंगे जरा से नमक ने इतना कमाल कैसे कर दिया? सोचिए कि लगभग हर मीठी चीज में हम क्या इस्तेमाल करते हैं? अंडा, मक्खन और क्रीम। ये सभी चीजें बिल्कुल फीकी और बेस्वाद होती हैं। यहां नमक आपकी मदद करता है। आपने पढ़ा है कि नमक चीजों का फ्लेवर बढ़ाता है। इसलिए इन चीजों में मिलते ही वो इनका स्वाद बदल देता है। लेकिन याद रखिए कि यहां मुट्ठी भर नहीं बस चुटकी भर नमक की जरूरत है। अब बात करते हैं नमक की जोड़ीदार मिर्च की। इसे और सावधानी से इस्तेमाल करना पड़ता है। नमक तो लगभग हर चीज में डल जाएगा पर मिर्च को आप हर चीज में नहीं डाल सकते। जैसे आप इटालियन या फ्रेंच फूड में तो अच्छी खासी मिर्च डाल सकते हैं पर मोरक्कन फूड में डाल दिया मतलब गड़बड़ कर दी। मोरक्कन फूड में इसे न तो किसी मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाता है और न ही उसमें इस्तेमाल हो रही चीजों के साथ इसका कोई मेल होता है। यहां लोग जीरे का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। टर्की में मिर्च पाउडर चलता है तो मिडिल ईस्ट में अजवाइन, तिल और ऑरीगेनो मिलाकर बनाया za’atar. ये तो ऐसे उदाहरण थे जहां मिर्च की जगह कोई दूसरी चीज इस्तेमाल होती है। पर जहां कहीं खाने में तेज मिर्च डाली जाती है वहां भी आप बहुत से बदलाव कर सकते हैं। जैसे कोई भी मिर्च लेने की जगह कोई खास मिर्च ले लीजिए। कहीं लाल मिर्च अच्छी रहेगी तो कहीं हरी या काली। मिर्च को इस्तेमाल के ठीक पहले काटिए या पीसिए। इससे खाने में मिर्च अपना फ्रेश फ्लेवर और ऑयल देती है। इससे स्वाद बहुत अच्छा हो जाता है।

तेल भी खाने के फ्लेवर को बढ़ाता है। इसलिए कुकिंग ऑयल चुनते समय ध्यान देना जरूरी है।
लोग फैट या तेल को अच्छा नहीं समझते और इससे बचना चाहते हैं। पर जरा सोचिए तेल के बगैर पकाया हुआ खाना कैसा लगता है। बिना ड्रेसिंग का सलाद, बिना तेल की उबली सब्जियां या फिर बिना तेल का हलवा कौन शौक से खा सकता है? जवाब बिल्कुल आसान है। फैट भी नमक की तरह स्वाद को बढ़ाता है। हालांकि दोनों के तरीके अलग हैं। नमक से स्वाद बढ़ता है और फैट की वजह से आप स्वाद को अच्छी तरह महसूस कर पाते हैं। जब आप तेल या किसी दूसरी फैट में खाना पकाते हैं तो उसमें मिलाए गए मसालों की खुश्बू और इस्तेमाल की गई चीजों का फ्लेवर तेल में मिल जाता है। इस तरह तेल में सारे स्वाद आ जाते हैं। जब आप खाना खाते हैं तो यही तेल आपकी जीभ पर स्वाद बिखेर देता है। तेल वाला खाना, बिना तेल के खाने की तुलना में टेस्ट बड्स को ज्यादा देर तक एक्टिव रखता है। लहसुन की दो कलियों से ही ये बात साबित हो जाएगी। एक को तेल में पकाएं और एक को पानी में। अब दोनों के रस को चखकर देखें। तेल वाले रस का स्वाद पानी वाले रस तुलना में बहुत ज्यादा होता है। तेल किसी चीज के फ्लेवर को बहुत अच्छी तरह एब्जॉर्ब कर लेता है। इसलिए आपको खाना पकाते समय तेल में हमेशा खुश्बूदार और अच्छे फ्लेवर वाली चीजें मिलानी चाहिए। कुछ बेक करते समय मक्खन या अंडे में दूसरी चीजें मिलाने से पहले दालचीनी या वेनिला मिला लें। इस तरह आप फैट की ज्यादा से ज्यादा मदद ले पाएंगे। और भी अच्छे रिजल्ट चाहिए तो कुकिंग ऑयल या फैट चुनते समय अच्छे से ध्यान दें। क्योंकि वही तो आपके भोजन को एक अलग लेवल पर ले जाते हैं। तेल की वजह से ही अलग-अलग जगहों के व्यंजन अपना खास असर छोड़ते हैं। जैसे बंगाल के भोजन में सरसों का तेल और दक्षिण भारत के भोजन में नारियल तेल। 

ग्लोबल लेवल पर बात करें तो ऑलिव ऑयल, Mediterranean और मिडिल ईस्ट के भोजन में रंग जमा देता है। लेकिन ऑलिव ऑयल की भी वेरायटी होती है और एक ही वेरायटी हर जगह काम नहीं आ सकती। कुछ ऑलिव ऑयल दूसरों से बहुत बढ़िया होते हैं। तेल की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी खाने का स्वाद उतना ही बेहतर होगा। जाहिर है आप कंजूसी में हल्की क्वालिटी वाले तेल का इस्तेमाल करके खाने का स्वाद बिगाड़ना नहीं चाहेंगे। अब सवाल आता है कि ये हाई क्वालिटी ऑलिव ऑयल क्या है? वाइन की तरह तेल की क्वालिटी पता करने का बस एक ही तरीका है कि इसे सूंघकर और चखकर देखा जाए। अगर तेल से भीनी-भीनी खुश्बू आती है और इसका स्वाद मीठा लगता है तो इसकी क्वालिटी अच्छी है। अगर इसमें से खराब गंध आती है और स्वाद कसैला है तो ये खराब हो चुका है। 

खाने को कुरकुरा बनाने के लिए फैट बहुत जरूरी है। पर इसके लिए आपको बहुत प्रेक्टिस की जरूरत पड़ती है।

अमेरिकन शेफ मारियो बटाली का मानना है कि भोजन के विज्ञापनों में "कुरकुरा" यानि क्रिस्पी शब्द जोड़ देने से उनका असर बहुत बढ़ जाता है। क्यों? क्योंकि लोग कुरकुरा भोजन पसंद करते हैं। लेकिन आप भोजन को क्रिस्पी कैसे बनाते हैं? इसका छोटा सा जवाब है फैट की मदद से। लेकिन जवाब की तरह इसका तरीका इतना आसान नहीं है। आपको इसके पीछे छिपी साइंस समझनी होगी। भोजन को कुरकुरा बनाने का मतलब है इसकी सरफेस से पानी को खत्म करना। इसके लिए पूरी सरफेस को 212° फैरेनहाइट से ज्यादा तापमान पर गर्म करना पड़ता है। लेकिन बर्तनों की तली और खाने की सरफेस पूरी तरह एकसार नहीं होती। आप आलू काटें, कोई दूसरी सब्जी काटें या पैटी भी बनाएं तो उसकी सतह एक समान नहीं हो पाती। जब आप इसे किसी पैन में डालकर सेकेंगे तो पैन की तली और इन चीजों के बीच थोड़ी बहुत जगह रह जाती है और कुकिंग ईवन नहीं हो पाती। इस जगह को भरने के लिए आपको किसी चीज की जरूरत पड़ेगी। वो चीज है फैट। जब हम तेल को गर्म करते हैं तो धुआं छोड़ने से पहले ही वो 348° फैरेनहाइट तक पहुंच सकता है। तेल की वजह से गर्माहट बनी रहती है और जब हम कोई चीज इसमें डालते हैं तो वो बर्तन से चिपके बिना क्रिस्पी बनकर बाहर निकल आती है। ये सब पढ़ने में बड़ा आसान लगा होगा। पर खाने को क्रिस्पी बनाना भी एक आर्ट है और इसके लिए बहुत प्रेक्टिस की जरूरत होती है। 

इस पूरे काम को तीन भागों में बांटा जा सकता है। पहला है आप बर्तन और तेल को इतना गर्म करें कि वो सही तापमान पकड़ ले। इसके लिए सबसे पहले बर्तन को आंच पर कुछ देर रहने दें ताकि वो थोड़ा गर्म हो जाए। इसके बाद तेल डालें। अब कोई भी चीज तभी डालें जब तेल अच्छी तरह गर्म हो चुका हो। दूसरी बात है बर्तन और तेल को पूरी जगह देना। सही तरीका तो ये है कि कभी भी बर्तन में खाने की एक से ज्यादा लेयर नहीं होनी चाहिए। ज्यादा सामान डालने या लेयर लगाने से तेल का तापमान कम हो जाता है और चीजों से भाप या नमी पूरी तरह निकल नहीं पाती। इससे चीजें नरम ही रह जाएंगी। तीसरी बात है गोल्डीलॉक्स का तापमान। यानि न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा। बिल्कुल उतना जितना होना चाहिए। ये बात मछली और मीट पर खास तौर से लागू होती है। अगर आप मछली को ठंडे तेल में तलते हैं तो इसे पकने में ज्यादा समय लगता है और ये नरम पड़ जाती है। अगर मीट को ठंडे तेल में डाल दिया तो इसे बाहर से करारा होने में समय लगेगा और इतनी देर में अंदर का हिस्सा ज्यादा पक जाएगा। तेल बहुत गर्म हो तो बाहरी परत जल जाएगी और अंदर का हिस्सा अधपका रह जाएगा। इस तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए एक थंब रूल है। तेल गर्म हो पर कड़कने न लगे। लेकिन हर बर्तन में इसके लिए अलग-अलग समय लगता है। इसे समझने के लिए आपके पास बस एक ही रास्ता है प्रेक्टिस।

एसिड यानि खटाई मिलाने से खाना बहुत स्वादिष्ट लगता है पर इसे दूसरे फ्लेवर्स के साथ अच्छी तरह बैलेंस करना चाहिए।
स्वादिष्ट खाने की बात कभी भी "मुँह में पानी आ गया" वाली लाइन के बिना पूरी नहीं होती। ये बात कोई मुहावरा नहीं बल्कि सच है। हम किसी खाने का पूरा मजा तभी ले पाते हैं जब वो हमारे मुँह में पानी मतलब सलाइवा ले आता है। खटाई से ज्यादा सलाइवा और कोई चीज नहीं ला सकती। लेकिन खटाई की इस क्वालिटी को अपने फेवर में करने के लिए इसे दूसरे फ्लेवर्स के साथ बैलेंस करना पड़ता है। क्योंकि खटाई में भी वन मैन आर्मी नहीं बल्कि नमक की तरह एक टीम प्लेयर वाली बात होती है। यानि ये दूसरी चीजों के साथ मिलकर सबसे अच्छा रंग जमा सकती है। भले ही इनके अपने स्वाद आपको कसैले लगें पर इनको दूसरी चीजों का स्वाद बढ़ाने में महारत हासिल है। हालांकि इनका ज्यादा इस्तेमाल किसी चीज को खाने लायक नहीं छोड़ता। किसी चीज में नमक ज्यादा हो जाए तो उसमें पानी या दूसरा कोई ingredient बढ़ाना पड़ जाता है। इस तरह आप नमक का concentration कम कर देते हैं। 

जबकि खटाई को दूसरे तरीकों से बैलेंस किया जा सकता है। जैसे अगर आप नींबू के रस में पानी मिला दें तो भी इसे पीना मुश्किल होगा पर अगर चीनी मिला दी तो स्वादिष्ट नींबू पानी बन जाता है। आपके काम की बात ये है कि आप मीठे, कड़वे या मसालेदार स्वाद मिलाकर खटाई को अच्छी तरह बैलेंस कर सकते हैं। इस तरह अपनी प्लेट का स्वाद बदल सकते हैं। लेकिन आपको ये ध्यान देना होगा कि खटाई चीजों को सख्त बना देती है। यानि इनको पकने में ज्यादा समय लग जाता है। तो इसे ध्यान से इस्तेमाल करें। जैसे आप सब्जी या दाल किसी खट्टी चीज के साथ पका रहे हैं तो इनको थोड़ी ज्यादा देर पकाना होगा। अगर आप सिरका या नींबू का रस मिलाकर सलाद के लिए बीन्स को पका रहे हैं तो आपको इसे थोड़ी ज्यादा देर तक पकाना होगा ताकि बीन्स नरम हो जाए। 

खाना बनाने की शुरुआत में कुकिंग एसिड और आखिर में गार्निशिंग एसिड का इस्तेमाल करें।

खाना तभी अच्छा बनता है जब चीजों का अनुपात सही रहे। चाहे नमक हो या खटाई ये नियम सब पर लागू होता है। आपको खटाई यानि एसिड के दो प्रकार समझने होंगे। एक है कुकिंग एसिड और दूसरा गार्निशिंग एसिड। इनको आप कुकिंग के दो तरीकों की तरह इस्तेमाल करते हैं। शुरुआत होगी कुकिंग एसिड से। अपने नाम की तरह इनका इस्तेमाल खाने को पकाते समय होता है। ये एसिड किसी सीजनिंग की तरह काम करते हैं। जैसे स्पेगेटी सॉस में टमाटर डालना, अचार में सिरका डालना, मैरीनेड में राइस वाइन डालना या रिसोट्टो में व्हाइट वाइन डालना। इस तरह के एसिड थोड़े कम खट्टे होते हैं। कुकिंग के दौरान ये धीरे-धीरे खाने में घुलते मिलते रहते हैं। कई बार तो इनका स्वाद इतना हल्का होता है कि आप इनको नोटिस भी नहीं कर पाते। जैसे फ्रेंच बीफ स्ट्यू, boeuf bourguignon को ही ले लीजिए। इसे रेड वाइन के साथ पकाया जाता है। आपको ऐसे तो इसमें रेड वाइन का कोई स्वाद नहीं आएगा पर जब इसे बिना रेड वाइन के पकाएंगे तो ऐसा लगेगा जैसे इसके स्वाद में कुछ कमी रह गई है। 

अब थोड़े तेज स्वाद वाले एसिड जैसे नींबू का रस और सिरके की बात करते हैं। प्याज को macerate करने के लिए ये बहुत अच्छी तरह काम करते हैं। आपको बस कच्चा प्याज लेना है और उसे पकाने से पहले या फिर सॉस या सलाद में डालने से पहले 15 से 20 मिनट के लिए सिरके से कोट करना है। इतनी देर में प्याज थोड़ा नर्म हो जाता है और इसकी महक भी कम हो जाती है। जब आपकी डिश पक जाती है तो गार्निशिंग एसिड के जादू चलाने का वक्त आ जाता है। अगर डिश उतनी चटाकेदार नहीं बनी जितनी आपको उम्मीद थी तो यहां गार्निशिंग एसिड आपको बचा लेता है। आपको ये पता होना चाहिए कि कौन से एसिड में क्या क्वालिटी है। जैसे नींबू के रस पर हवा लगे तो ये कड़वा होने लगता है और धीरे-धीरे उड़ भी जाता है। इसलिए आपको डिश परोसने से ठीक पहले इसमें नींबू का रस डालना चाहिए। इस तरह आपको इसका ज्यादा से ज्यादा स्वाद मिल पाएगा।

प्रोटीन को पकाने के लिए आंच का बहुत ध्यान रखना पड़ता है।
जो रोल फोटो सिंथेसिस में सूरज की रोशनी का होता है वही रोल खाना बनाने में आंच या गर्माहट का होता है। हीट की वजह से ही कच्चा खाना पकता है। इसलिए इसके महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हालांकि कुछ जगहों पर हीट का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। प्रोटीन इनमें से एक है। आप ये मान लीजिए कि प्रोटीन, पानी में तैरते हुए धागे की एक गेंद की तरह है। अगर आप पानी को गर्म करते हैं तो धागे ढीले होकर फैलने लगेंगे। लेकिन अगर आप पानी गर्म करना जारी रखेंगे तो धागे करीब आकर आपस में उलझने लगेंगे और उनके बीच से पानी निकल जाएगा। जब आप अंडे को देर तक पकाते हैं तो उसकी प्रोटीन ओवरकुक होकर ऐसे ही खराब हो जाती है। ऐसा न हो इसका उपाय है। इससे आपको समझ आ जाएगा कि हीट के इस्तेमाल में सावधानी रखना कितना जरूरी है। 

सबसे पहले अंडे फेंट लें। अब इसमें एक चुटकी नमक और थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। अपने सॉस पैन को बहुत कम आंच पर रखकर इसमें थोड़ा मक्खन पिघलाएं। फिर अंडे डालें। जैसे ही वे पकने लगें उन्हें लगातार चम्मच या कांटे से हिलाते रहें। अब धीरे-धीरे और मक्खन मिलाते रहें। जैसे ही अंडे पकें पैन को आंच से उतार लें। आपको और हीट की जरूरत नहीं है क्योंकि पैन कुछ देर गर्म ही रहेगा और अंडे पकते रहेंगे। खाना बनाते हुए हीट कितनी रखनी है इसके बारे में आप खाना बनाने से पहले ही तय कर लें तो अच्छा रहेगा। क्योंकि थोड़ी भी कम-ज्यादा आंच पूरी मेहनत खराब कर सकती है। इस बात का सार ये है कि अगर आप फ्रिज से कुछ निकालकर सीधे ओवन में रख देते हैं तो खाने का स्वाद अलग होगा। वहीं अगर आप पहले इसे कुछ देर बाहर रहने दें जिससे ये रूम टेम्प्रेचर पर आ जाए और फिर गर्म करें या पकाएं तो स्वाद अलग होगा। जैसे कि आपने फ्रिज से चिकन निकालकर ओवन में रख दिया। अब जब तक लेग पीस पकेगा, बाकी का हिस्सा ओवरकुक हो जाएगा। अगर आप चिकन को ओवन में डालने से पहले कुछ देर बाहर रख देते हैं तो इसके ओवरकुक होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। 

अब स्वादिष्ट टमाटो सॉस बनाने का तरीका जानिए।

आपने कुकिंग की चार बुनियादी बातें यानि सॉल्ट, फैट, एसिड और हीट के बारे में पढ़ा। अब एक ऐसी रेसिपी की बात करते हैं जहां ये चारों चीजें अपनी जगह बनाती हैं। ये है इटालियन कुकिंग का सेंटर पाइंट यानि टमाटो सॉस। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इन चारों चीजों का सही तालमेल जरूरी है। पहले तो बर्तन को हल्की से मध्यम आंच पर गर्म कीजिए। अब इसमें ऑलिव ऑयल डालिए। जब तेल चटकने लगे तो दो कटे प्याज और नमक डालें। अब आंच को धीमा करें और प्याज को लगभग 15 मिनट तक पकने दें। प्याज को सुनहरा होने तक पकाना है बस इससे ज्यादा नहीं। अब प्याज को बर्तन के एक किनारे करके बीच में थोड़ा सा तेल डालें और लहसुन की चार कलियां काटकर डालें। इनको बस 20 सेकेंड तक पकाएं। अब इसमें ताजे टमाटर काटकर डालें। टमाटर का रस निकल आए इसके लिए उन्हें चम्मच से क्रश करें। अब कुछ देर के लिए आंच तेज कर दें ताकि सॉस में उबाल आ जाए। अब आंच धीमी करके इसे पकने दें। स्वाद के लिए एक चुटकी नमक और बेसिल जैसी कुछ ताजी हर्ब्स मिलाएं। आपका सॉस लगभग तैयार है। आपका मन खुशी से नाच रहा होगा पर इस स्टेज पर सबसे ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है। वरना बना बनाया काम बिगड़ सकता है। यानि सॉस जल सकता है। 

इससे बचने और फाइनल टच देने के लिए एक आसान तरकीब है जो आपके सॉस को बेहतरीन बना देगी। आपको बस इतना ही करना है कि सॉस को लगातार चलाते रहें। वरना ये बर्तन से चिपकना और जलना शुरु कर सकता है। अगर सॉस चिपकने या जलने लगा है तो इसे चलाना बंद कर दें। आप अभी भी इसे बचा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको जले हुए सॉस को बाकी से तुरंत अलग करना होगा। सॉस को किसी दूसरे बर्तन मे निकाल लें। जो खराब हो गया उसे उसी बर्तन में छोड़ दें। अब जो सॉस अलग किया उसे नए पैन में डालकर आंच पर रखें और लगातार चलाते रहें ताकि ये फिर से चिपकने न लगे। जब सॉस लगभग 30 मिनट तक पक जाए तो फाइनल टच देने की बारी आती है। सॉस में थोड़ा ऑलिव ऑयल डालें और कुछ मिनटों के लिए मध्यम आंच पर उबलने दें। अब इसे आंच से उतार लें। सॉस तैयार है। इसका स्वाद खुद ब खुद अपनी कहानी कह देगा। बढ़िया खाना बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। आपको बस सॉल्ट, फैट, एसिड और हीट का ध्यान रखने की जरूरत है।

कुल मिलाकर
बढ़िया कुकिंग का मतलब ये नहीं है कि आप किसी रेसिपी को पूरा का पूरा फॉलो कर लें। आपको ये समझना होगा कि अलग-अलग चीजें एक दूसरे के साथ कैसे मिलाई जाती हैं और इनको मिलाकर किस तरह के स्वाद बनते हैं। आपको कुछ ट्रिक्स पता होनी चाहिए। जैसे कब नमक कम डालना है, कब ज्यादा डालना है। फैट का सही इस्तेमाल कैसे करना है। कौन सी खटाई कब काम आती है और आंच को कम-ज्यादा कब करना है। इस तरह आप जो भी बनाएंगे वो स्वादिष्ट और कुरकुरा बनेगा। 

 

क्या करें

जितना हो सके उतनी प्रेक्टिस करें। छोटी चीजें जैसे कि झींगे, आलू या कटी हुई सब्जियों के लिए आप एक ट्रिक काम में ला सकते हैं। आप हाथों को फुर्ती से चलाते हुए चीजों को पलटते रहें ताकि वे हर तरफ से एकसार पक जाएं। इस तरह से आप बर्तन में कम तेल डालकर भी काम शुरु कर सकते हैं। आगे जरूरत पड़े तो और तेल मिला लीजिए। इस तरह चीजें सुनहरी और कुरकुरी बनकर पकती हैं। आप भी रसोई में काम करते हुए किसी एक्सपर्ट की तरह नजर आते हैं। 

 

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