Get Better

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Get Better

Todd Davis
15 तरीके जिससे आप अपने काम के साथ बेहतर संबंधबना सकते हैं।

दो लफ्जों में 
गेट बेटर (Get Better) में हम देखेंगे कि किस तरह से आप काम के साथ अपने रिश्ते को सुधार सकते हैं। यह किताब हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने आफिस में साथ काम करने वाले लोगों के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बना सकते हैं और किस तरह से अपने काम में ज्यादा सुकून पा सकते हैं।

यह किसके लिए है 
-वे जो अपने काम से नाखुश हैं।
-वे जो अपने कर्मचारियों के साथ बेहतर रिश्ते बनाना चाहते हैं।
-वे जो अपनी कंपनी में एक बेहतर कल्चर बनाना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
टॅाड डेविस (Todd Davis) वाल स्ट्रीट जर्नल की बेस्ट सेलिंग किताब गेट बेटर के लेखक हैं। वे पिछले 20 सालों से फ्रैक्लिनकोवे के लिए काम कर रहे हैं और अब वे उसके चीफ पीपल आफिसर और एक्सेक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट हैं। फ्रैक्लिनकोवे अब 160 से ज्यादा देशों में फैल चुकी है।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
ऑफिस का काम शायद किसी को नहीं पसंद। वो लोग जो आपके बगल में बैठकर फोन पर बातें करते हैं, वो लोग जो आपकी बात ना सुनकर सिर्फ अपनी बात कहे जाते हैं, वो क्लाइंट जिन्हें आप हाँ नहीं बोल पाते और अंत में आपके बॅास, जो शायद कभी आपके काम से खुश नहीं रहते। 

यह सारे ही लोग ऑफिस में हमारे मूड को खराब करने के लिए जिम्मेदार होते हैं और यहां पर हम यह देखेंगे कि किस तरह से हम इन लोगों के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बना सकते हैं। चाहे आप एक बॅास हों, एक मैनेजर हों या फिर एक आम कर्मचारी, यह किताब आपको बताएगी कि किस तरह से आप अपने काम पर बेहतर रिश्ते बना सकते हैं और इस तरह से बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। 

 

-किस तरह से आप अपनी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं।

-रिश्ते बनाने के लिए सबसे जरूरी चीज़ क्या है।

-मनचाहे नतीजे ना मिलने पर कैसे काम करना चाहिए।

सच सिर्फ वही नहीं होता जो आप मानते हैं।
बहुत बार हमारे साथ होता है कि हमें लगता है हम किसी चीज़ को या फिर किसी व्यक्ति को बहुत अच्छे से समझते हैं, लेकिन एक वक्त आता है जब हमारा यह भ्रम टूट जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सभी दुनिया को अपने नजरिए से देखते हैं और यह मानते हैं कि हमारा नजरिया सही है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप जो मानते हैं वो सही हो।

बहुत बार हम लोगों के बारे में राय बना लेते हैं - वो व्यक्ति बहुत आलसी है, यह व्यक्ति बहुत जिद्दी है। हमारे दिमाग में जो भी बात पहले आती है हम उसे मान लेते हैं, बिना कुछ सवाल किए। लेकिन यहां पर बेहतर माइंडसेट होगा कि आप इस तरह के छोटे नजरिए को, चाहे वो आपका हो या किसी और का, सच ना मानें। यह मानना छोड़ दीजिए कि आप या कोई भी व्यक्ति अगर किसी के बारे में बुरा सोचता है तो वो बुरा ही है।

बेहतर रास्ता यह है कि आप अपने लिए, लोगों के लिए और दुनिया के लिए एक खुला दिमाग रखिए और अपनी नेगेटिव सोच को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए। आप जो बातें मानते हैं वो आपके अंदर किसी दूसरे व्यक्ति ने डाली है, और यह जरूरी नहीं है कि वो सच हो।

एक्ज़ाम्पल के लिए मान लीजिए कि आपको लगता है कि आपके घर वाले आपको अपने सपनों के पीछे जाने से रोक रहे हैं और इससे आप यह मान सकते हैं कि वो लोग आपको खुश नहीं देखना चाहते। लेकिन अगर आप अंदर तक जाने की कोशिश करेंगे तो आपको पता लगेगा कि उन्हें आपकी चिंता है और इसलिए वो आपको हारता हुआ नहीं देखना चाहते। वे आपको अपने सपनों के पीछे जाने से इसलिए रोक रहे हैं क्योंकि उन्हें डर लग रहा है कि कहीं आप नाकाम ना हो जाएं। उन लोग आपके लिए अच्छा ही सोचते हैं, लेकिन क्योंकि आप ने सच जानने की कोशिश नहीं की, आपको लगता है कि आप जो मानते हैं वही सच है और वे लोग आप से प्यार नहीं करते।

किसी चीज़ के बारे में सोचकर परेशान होने की बजाय कुछ देर रुक कर उसके समाधान के बारे में सोचिए।
बहुत बार कुछ ऐसा होता है कि हम बाहर के हालात को अपनी भावनाओं को काबू करने देते हैं और खुद उनके आगे घुटने टेक देते हैं। कभी कभी जब कोई व्यक्ति हम पर गुस्सा करता है तो हम भी उसके ऊपर गुस्सा करने लगते हैं हम अपना आपा खो देते हैं। या फिर जब कोई व्यक्ति हम से आगे निकलने लगता है तो हम उससे जलने लगते हैं। इस तरह से हमारी भावनाएं हमारे काबू में नहीं होती हैं।

ऐसे हालात में रुकना बहुत फायदेमंद होता है। जब आप कुछ देर तक रुक कर अपनी भावनाओं के बारे में और अपने हालात के बारे में सोचते हैं, तो आप अपने हालात को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उससे निकलने का समाधान खोज पाते हैं। इससे आप यह समझ पाते हैं कि आप इस तरह से अपना आपा क्यों खो रहे हैं और किस तरह से आप उसे वापस पा सकते हैं।

एक्ज़ाम्पल के लिए मान लीजिए कि आप ने मजाक में अपने दोस्त से कुछ कहा और वो आपके ऊपर गुस्सा करने लगा। वो आपको आपकी दो साल पुरानी गलतियां याद दिलाने लगा और आपको बुरा भला कहने लगा। ऐसे में बहुत से लोग भी अपना आपा खो कर उसके साथ लड़ने लगते। लेकिन यह समझदारी की बात नहीं होती।

यहाँ पर आप कुछ देर तक रखकर खुद से सवाल कीजिए कि क्यों आपका दोस्त आप से इस तरह से बात कर रहा था। हो सकता है वो किसी दूसरी बात से परेशान था और उसने अपना गुस्सा आप पर निकाल दिया हो? हो सकता है वो आपके काम से कुछ दिनों से खुश ना हो और काफी दिनों से आप से कुछ कहना चाहता हो? अगर आप कुछ देर तक रुक कर सोचेंगे, तो आपको एहसास होगा कुछ उससे जाकर एक बार बात कर लेने से आप अपने बीच की गलतफहमी को दूर कर सकते हैं। इन सबकी शुरुआत होती है कुछ देर तक रुक कर हालात को समझने से।

बेहतर रिश्ते बनाने के लिए सबसे पहले लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश कीजिए।
कामयाब होने के लिए आपको सबसे पहले अच्छे रिश्ते बनाने होंगे। रिश्ते बनाने के लिए सबसे पहले आपको सामने वाले का भरोसा जीतना होगा। इसके लिए आपको यह दिखाना होगा कि आपके पास अच्छी वैल्यूस हैं और आप जो काम करते हैं उसमें माहिर भी हैं। अगर इन दो में से कोई भी एक चीज़ आपको पास नहीं होगी तो लोग आपके ऊपर भरोसा नहीं करेंगे।

एक्ज़ाम्पल के लिए क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को काम पर रखेंगे जो बहुत अच्छे से बात करता हो, ईमानदार हो, लेकिन अपने काम को अच्छे से ना कर पाता हो? नहीं रखेंगे। साथ ही क्या आप किसी ऐसा व्यक्ति को काम पर रखेंगे जो अपना काम तो अच्छे से करता हो लेकिन बहुत घमंडी हो और अपनी ही मनमानी करता हो? नहीं रखेंगे। इसलिए काम में बेहतर होना और एक अच्छा इंसान होना, यह दोनों ही किसी का भरोसा जीतने के लिए जरूरी हैं।

लेकिन यहाँ पर एक बात आपको ध्यान में रखनी चाहिए कि आप खुद के बारे में बहुत बढ़ा चढ़ा कर किसी को मत बताइए। किसी से रिश्ते बनाते वक्त लम्बे समय तक का सोचिए और छोटे वक्त में किसी व्यक्ति का फायदा उठाने के बारे में मत सोचिए।

साथ ही किसी से मिलते ही अपने फायदे की बात मत कीजिए। बल्कि उससे रिश्ते बनाने की बात कीजिए ताकि उसे भी लगे कि आप लम्बे समय तक उसके साथ काम करने के बारे में सोच रहे हैं और वो इस तरह से आप पर भरोसा करने लगेगा।

जब आप किसी भी कामयाब व्यक्ति के पास मदद माँगने के लिए जाएंगे, तो ऐसा बहुत कम होगा कि वो आपकी मदद कर दे। आपको शुरुआत में उसके लिए कुछ अच्छा काम करना होगा और उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाना होगा, ताकि वो आप पर भरोसा कर सके। ऐसे में अगर आपको तुरंत कुछ फायदा नहीं मिलता तो परेशान मत होइए।

साथ ही आप खुद को नए हालात में ढ़ालने की कोशिश कीजिए। बहुत बार आपको कुछ अलग तरह के मैनेजर्स के साथ काम करना होगा जो कि आपको माइक्रोमैनेज करेंगे। आपको कभी कभी बड़े खराब क्लाइंट मिल सकते हैं। ऐसे हालात में आपको खुद को ढ़ालना होगा ताकि आप अपनी एक अच्छी इमेज बना सकें।

हम एक साथ बहुत से काम कर रहे होते हैं और हमें उन सभी कामों के बीच में एक बैलेंस खोजना होगा।
हम अपनी जिन्दगी में बहुत से रोल निभाते हैं। हम किसी के दोस्त, किसी के कर्मचारी, किसी के पैरेंट और किसी के पार्टनर हैं। हम यह सारे काम एक साथ इसलिए कर पाते हैं क्योंकि हम इनमें एक बैलेंस बना पाते हैं। जब यह बैलेंस बिगड़ता है तो हम अपने काम को अच्छे से नहीं कर पाते जिससे हमारी जिन्दगी खराब होने लगती है।

लेकिन सवाल यहाँ पर यह है कि यह बैलेंस बिगड़ता क्यों है? यह इसलिए क्योंकि कभी कभी हम एक रोल को बहुत ज्यादा अहमियत देने लगते हैं और दूसरों पर ध्यान देना बंद कर देते हैं।

इससे बचने के लिए सबसे पहले आपको अपने रोल को पहचानना होगा और यह तय करना होगा कि आप अपनी जिन्दगी में कितने लोगों को या कामों को समय देना चाहेंगे। एक बार यह लिस्ट तैयार हो जाए तो यह जानने की कोशिश कीजिए कि इसमें से सबसे जरूरी काम या लोग कौन से हैं। यह सारे काम आपको अपनी वैल्यूस के हिसाब से करना होगा, ना कि किसी को खुश करने के लिए। 

इसके बाद यह फैसला करने कीजिए कि आप कितना समय या एनर्जी इन सारे लोगों को या कामों को देना चाहेंगे। यह आपका वादा होगा कि आप किसे कितना समय देंगे। एक्ज़ाम्पल के लिए आप अपने काम के लिए कमिटमेंट कर सकते हैं कि जब तक आप एक साल में 20 लाख रुपए नहीं कमाने लगेंगे तब तक आप उसे ज्यादा अहमियत देंगे। या फिर अगर आपके बच्चे हैं तो आप यह कमिटमेंट कर सकते हैं कि जब तक वे 18 साल तक नहीं होंगे तब तक आप उन्हें हर सुविधा देंगे ताकि वे अपने कैरियर में आगे जा सकें।

लोगों के अंदर झाँक कर उनकी छिपी हुई ताकत को पहचानने की कोशिश कीजिए।
बहुत बार ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति को बिल्कुल नालायक समझते हैं लेकिन वो आगे चलकर बहुत कामयाब बन जाता है। इसका मतलब यह है कि हम कभी कभी लोगों की असल ताकत को नहीं पहचान पाते। अगर हम एक व्यक्ति की ताकत को पहचान कर उसे सहारा दें, तो वो आगे चलकर बहुत कामयाब हो सकता है। 

हर कामयाब व्यक्ति कामयाब पैदा नहीं होता। वो भी एक वक्त में नाकाम रहता है और सबकी तरह आगे निकलने की कोशिश करता रहता है। आपको इस तरह के लोगों को पहचान कर इनकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि आज जो आपको देखने में एक बीज लग रहा है, वो कल को एक बहुत बड़ा पेड़ बन सकता है।

किसी की मदद करने से आप उसका आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं और उसे यह यकीन दिला सकते हैं कि वो जितना अपने बारे में सोचता है, उससे कहीं ज्यादा काबिल है। इस तरह से आप दुनिया को एक बेहतर इंसान दे सकते हैं।

इसके बाद आप अपने काम के बीच में आने वाली चीजों को हटाइए। आप उसपर ध्यान दीजिए जो जरूरी है, ना कि वे जो अर्जेंट है। काम के बीच में आने वाले फोन और ईमेल आपका बहुत समय खा सकते हैं और यह ऐसे काम हैं जिन्हें करने के बाद आपको लगेगा कि आप ने काम किया, पर असल में आप कहीं नहीं जाएंगे। इस तरह से आप काम तो करेंगे, लेकिन आपको नतीजे नहीं मिलेंगे।

इसके लिए अपने कामों की लिस्ट बनाइए और यह देखने की कोशिश कीजिए कि आप हर रोज उसमें बेहतर बनने के लिए क्या कर सकते हैं।

आप अपने जरूरी कामों के लिए गोल सेट कीजिए और उन्हें हासिल करने की कोशिश कीजिए। यह देखिए कि आपको इस हफ्ते क्या करना है, इस महीने क्या करना है, इसके बाद उन कामों को अपनी लिस्ट से निकालिए जो सिर्फ आपका समय खाती हैं। इस तरह से आप अपना ध्यान जरूरी कामों को दे पाएंगे।

दूसरों से प्रतियोगिता करने की बजाय उनके साथ मिलकर काम करने की कोशिश कीजिए।
बहुत से लोगों का मानना है कि दुनिया में सिर्फ कुछ लोग ही कामयाब हो सकते हैं क्योंकि यहाँ पर सबके लिए साधन नहीं है। इसलिए वे प्रतियोगिता करने के बारे में सोचते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपके कामयाब होने के लिए किसी दूसरे को हारना हो। अगर आप साथ मिलकर काम करने के बारे में सोचें, तो आप बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं और साथ में कामयाब हो सकते हैं। यहाँ पर हर किसी के कामयाब होने की संभावना है।

चाहे यह आपका काम हो या आपकी जिन्दगी, यह मत सोचिए कि आपको किसी से आगे निकल कर ही कामयाबी मिल सकती है। किसी दूसरे की काबिलियत को देखकर परेशान होने की बजाय आप यह सोचने की कोशिश कीजिए कि किस तरह से आप उनके साथ मिलकर काम कर के बेहतर नतीजे पा सकते हैं।

इस तरह से साथ काम कर के आप उन्हें भी कुछ सिखा सकते हैं और खुद भी कुछ सीख सकते हैं जिससे दोनों का ही फायदा होगा। लेकिन किसी के साथ काम करने पर मतभेद ना हो, इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, जैसे हिम्मत दिखाना और सामने वाले की बात सुनना।

साथ काम करने में बहुत बार ऐसा होगा कि सामने वाला कुछ और कहेगा और आपका कुछ और मानना होगा। ऐसे हालात में अगर आप यह सोच रहे हैं कि आपके तरीके से कुछ अच्छे नतीजे मिल सकते हैं , तो हिम्मत दिखाइए और उसे सबके सामने रखिए। 

ठीक इसी तरह से अगर सामने वाला कुछ कहना चाहता है तो आप उसकी बात को एक खुले दिमाग के साथ सुनिए और यह फैसला करने की कोशिश कीजिए कि किसका तरीका बेहतर है, या फिर किससे आपको अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।

अपने भावनाओं के बैंक अकाउंट पर नजर रखिए और अपने इरादों को नेक रखिए।
अगर आप चाहते हैं कि आप अपनी भावनाओं को अच्छे से काबू कर पाएं, तो उसे एक बैंक अकाउंट की तरह देखना शुरू कर दीजिए। जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में आप पैसे डालते या निकालते हैं और जिस तरह से आपके अकाउंट में ज्यादा पैसे होने से आपकी फाइनैंशियल जिन्दगी सेहतमंद हो सकती है, उसी तरह से आपको अपनी भावनाओं के अकाउंट में भरोसा, लोगों के साथ मिलकर काम करना और आत्मविश्वास डालना या निकालना होगा और यह चीजें आपके पास जितनी ज्यादा मात्रा में होगी, आपके रिश्ते उतने सेहतमंद होंगे।

अपने इस अकाउंट को भरा रखने के लिए आपको कुछ बातें माननी होगी। सबसे पहले तो इसमें से भरोसा तभी मत निकालिए जब आपको निकालना चाहिए। किसी व्यक्ति की मदद तभी मत कीजिए जब वो बदले में आपकी मदद कर सके। अगर आप एक बैंक की तरह किसी पर भरोसा करने से पहले अपना फायदा देखेंगे, तो आपके रिश्ते कभी मजबूत नहीं बनेंगे। 

इसके लिए अपने इरादों को साफ रखिए। जब आप किसी से अपना फायदा निकालने के लिए उसपर भरोसा करने की कोशिश करेंगे, या उसकी मदद करेंगे, तो आपके रिश्ते कमजोर होने लगेंगे।

दूसरा यह कि दूसरों को इज्जत दीजिए और उनके काम की तारीफ कीजिए। अगर आप किसी व्यक्ति की शिकायत करेंगे, या फिर किसी दूसरे के काम का क्रेडिट लेंगे, तो आपके रिश्ते कमजोर होने लगेंगे। आप हमेशा वो काम कीजिए जिससे सबका फायदा हो।

एक्ज़ाम्पल के लिए अगर आप कंपनी के सीईओ हैं तो अपने कर्मचारियों के काम का क्रेडिट मत लीजिए। अगर आप उन्हें उनके काम का क्रेडिट देंगे तो अगली बार वे और अच्छे से काम करने की कोशिश करेंगे और आपकी कंपनी इससे आगे जाएगी।

दूसरों को सुनने के बहुत से फायदे हैं और उन्हें ना सुनने के उतने नुकसान भी हैं।
आप ने शायद अब तक बहुत सी ऐसी किताबें देखी होंगी जो यह बताती हैं कि किस तरह से आप अच्छे से बात कर सकते हैं, लेकिन शायद बहुत कम किताबें देखी होंगी जो यह बताती हैं कि किस तरह से आप लोगों को अच्छे से सुन सकते हैं। बात दो तरफ से होती है, और इस ताल मेल को बनाए रखने के लिए अपको सामने वाले की बात को सुनना होगा। 

सुनने का मतलब सिर्फ सिर हिलाना नहीं होता। इसका मतलब होता है सामने वाली की बात को दिल से समझने के लिए सुनना। बहुत से लोग इसलिए सुनते हैं ताकि वे सुनकर बोल सकें, ना कि इसलिए ताकि वे उसकी बात को समझ सकें। दूसरे की बात को अच्छे से समझने के लिए आपको उससे वो सवाल पूछने होंगे जिससे यह बात साफ हो सके कि आप वही समझ रहे हैं जो सामन वाला बोलना चाह रहा है। आप उसकी बात पर विचार करने की कोशिश कीजिए।

ना सुनने के नुकसान यह हैं कि इससे आपके रिश्ते बिगड़ सकते हैं। अगर आप अपने क्लाइंट से बात कर रहे हैं और उसकी बात ना सुनकर सिर्फ अपनी बात किए जा रहे हैं, तो वो अपको ना कह सकता है। अगर आप अपने कर्मचारियों की बात ना सुनकर सिर्फ उन्हें आर्डर दिए जार रहे हैं तो उनका मन उनके काम से उठ सकता है।

जब आप दूसरे की बात को सुनते हैं तो उसे लगता है कि आपको उसकी परवाह है। उसे लगता है कि उसकी बात सुनी जा रही है और इसलिए उसकी जरूरतें पूरी होंगी।

दूसरों पर भरोसा करना सीखिए और हमेशा अपनी बात को लागू करने की कोशिश मत कीजिए।
बहुत से लोग हर किसी पर अपने काम करने के तरीके को थोपने लगते हैं। वे कुछ काम बहुत अच्छे से कर पाते हैं और इसलिए, वे चाहते हैं कि हर कोई उस काम को उसी तरह से करे जिस तरह से वे उसे करते हैं। इस तरह से काम करने से आपके लोगों के साथ आपके रिश्ते बहुत जल्दी बिगड़ सकते हैं।

जब आप दूसरों को अपने तरीके से काम करने के लिए कहते हैं, तो आप उन्हें खुद के तरीके खोजने से रोक देते हैं जिससे कि नए आइडियाज़ दबकर रह जाते हैं। आप यह कभी नहीं होने देना चाहेंगे। साथ ही जब लोग आपके साथ काम करने पर दबा हुआ महसूस करते हैं तो वे आप पर कम भरोसा करते हैं , जिससे रिश्ते और कमजोर हो जाते हैं।

इसलिए आप लोगों पर भरोसा कीजिए कि वे अपना काम अच्छे से कर सकते हैं और आपको उन्हें हर बात बताने की जरूरत नहीं है। 

जब आप अपने कर्मचारियों को उनका काम उनके हिसाब से करने देते हैं, तो इससे उन्हें यह लगता है कि आप उन्हें काबिल समझते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपना काम इसलिए अच्छे से कर सकते हैं क्योंकि आप बीच उन्हें काट नहीं रहे हैं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपना काम अच्छे से कर पाते हैं।

लेकिन आप इसी तरह से सभी के ऊपर भरोसा भी तो नहीं कर सकते। क्या हो अगर गलतियों की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़े? इसलिए आप किसी पर भरोसा करने से पहले यह देखिए कि वे कितने काबिल हैं। अगर नुकसान की संभावना बहुत ज्यादा है, तो यह काम उनका नहीं है जिसपर आप कम भरोसा करते हैं।

खुद में सुधार करने के लिए लोगों से फीडबैक लेना बहुत जरूरी है।
बहुत बार हमने यह देखा है कि कुछ लोगों की जब कमियां बताई जाती है तो वे चिढ़ जाते हैं और गुस्सा करने लगते हैं। बहुत से लोगों को लगता है कि अगर सामने वाला उन्हें खुद में सुधार करने के लिए कह रहा है , तो वो उसे कमजोर समझ रहा है। उसे लगता है कि वो उसे काबिल नहीं समझता। इसलिए बहुत से लोग इस तरह की बातों को नहीं सुनते।

लेकिन अगर आपको आगे बढ़ना है , तो आपको खुद में सुधार करना होगा और अगर आपको खुद में सुधार करना है, तो आपको दूसरों से फीडबैक लेना होगा। चाहे आप सीनियर मैनजर के पद पर हों या फिर सीईओ के, अपने कर्मचारियों से या फिर अपने से छोटे पद पर काम करने वाले लोगों से फीडबैक लेने से आपका फायदा ही होगा।

अगर आप अपनी कंपनी में एक सीनियर पोज़ीशन पर काम कर रहे हैं तो आपको एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जिसमें हर कर्मचारी किसी को भी फीडबैक दे सके। जब हर कोई दूसरों को सुधारने की कोशिश करेगा, तो किसी को यह नहीं लगेगा कि कंपनी में सारे इल्जाम उसी पर लगाए जा रहे हैं और सिर्फ उसे ही सुधार करने की जरूरत है।

फीडबैक लेने से हम खुद को भविष्य में आने वाली गलतियों से बचा पाते हैं और इसलिए यह आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी भी है। एक बार के लिए यह बुरा लग सकता है, लेकिन अगर आप यह सोचेंगे कि सामने वाले का इरादा सिर्फ आपको बेहतर बनाना है, तो यह कम खराब लगता है।

अगर आपको मनचाहे नतीजे नहीं मिल रहे हैं तो अपने काम को अच्छे से करने पर ध्यान दीजिए।
बहुत बार हमारे साथ यह होता है कि हमारा बिजनेस अच्छा नहीं चलता और हमें वो नतीजे नहीं मिलते जिसकी हम उम्मीद कर रहे थे। अगर ऐसा है तो आप नतीजे देखकर रोने की बजाय अपनी मेहनत को दोगुना कर दीजिए। 

इसके लिए सबसे पहले तो यह देखिए कि आपको किस तरह के नतीजे चाहिए। अगर आप एक सेल्समैन हैं और आपको ज्यादा सेल्स करना है, तो आप ज्यादा लोगों से मिलिए। अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आपको ज्यादा फायदे चाहिए, तो आपको अपने ऐड पर ज्यादा खर्च करना होगा, अपने प्रोडक्ट को बेहतर बनाना होगा या फिर अपने कर्मचारियों को ट्रेन करना होगा।

साथ ही आप उस नतीजे को पाने के बहुत से दूसरे तरीके भी अपना सकते हैं। बहुत बार यह भी होगा कि आप एक नया तरीका अपनाएंगे यह सोचकर कि उससे आपको बेहतर नतीजे देखने को मिल सकते हैं, लेकिन वो नतीजे आपको नहीं मिलेंगे। ऐसे हालात में आपको ज्यादा फीडबैक लेना होगा और कुछ दूसरे समाधान खोज कर निकालने होंगे।

अगर नतीजे खराब है, तो यह बहुत सही वक्त है लोगों से फीडबैक लेने का। अगर आप किसी तरह से अपने और अपने ग्राहक या क्लाइंट के बीच के रिश्ते को सुधार सकें, तो आप अपने बिजनेस को आगे तक लेकर जा सकते हैं। इसके लिए आपको विनम्रता को अपनाना होगा।

विनम्रता का मतलब है हमेशा दूसरों से यह ना पूछना कि आप ने जो किया वो सही किया या गलत। इसका मतलब होता है अपने ईगो को शांत करने के लिए काम ना करना। इसका मतलब होता है दूसरों की समस्या को सुनना, उनकी राय लेना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना। इस तरह से आप लोगों के साथ बेहतर रिश्ते बना सकते हैं और खुद को आगे लेकर जा सकते हैं।

कुल मिलाकर
अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाने के लिए आपको अपने साथ काम करने वालों के साथ बेहतर संबंध बनाना होगा। इसके लिए आपको उनपर भरोसा करना होगा कि वो अपना काम अच्छे से कर सकते हैं। आपको उनसे फीडबैक लेकर खुद को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही उनसे प्रतियोगिता ना कर के उनके साथ काम कीजिए और अपनी बात रखने के साथ साथ उनकी बात भी सुनिए।

 

दूसरों से फीडबैक माँगिए।

अगर आप एक ऐसा माहौल बना सकें जहाँ पर हर कोई किसी को फीडबैक दे, तो यह बहुत अच्छा होगा। लेकिन अगर कोई आपको फीडबैक नहीं दे रहा है तो आप जाकर उनसे फीडबैक माँगिए। शुरुआत में यह कर पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन आगे चलकर आपको यह एहसास होगा कि इससे आपका ही फायदा है।


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