Anthony Gustin, Chris Irvin
कीटो डाइट से जुड़े कन्फ्यूजन दूर करती किताब
दो लफ्जों में
साल 2019 में आई ये किताब कीटो डाइट को लेकर आपके सवालों के जवाब देती है। कीटोजेनिक डाइट काफी चलन में है। इससे परेशानी ये हुई है कि हर दूसरा आदमी खुद को इसका एक्सपर्ट बताते हुए तरह-तरह की सलाह देने लगता है। ऐसे में आपकी उलझन बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन ये किताब कीटो डाइट से जुड़े साइंस को सामने रखकर आपकी हर उलझन को सुलझा देती है। इससे आपको अपने लिए सही और खास तरह से कीटो डाइट प्लान करने में मदद मिलती है।
ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?•
जो लोग कीटो डाइट लेना चाहते हैं पर उन्हें इसकी सही जानकारी नहीं है
• जो लोग कीटो डाइट पर रह चुके हैं पर उनको फायदा नहीं हुआ
• जो लोग अपनी सेहत को लेकर जागरुक हैं और खुद को फिट रखना चाहते हैं
लेखकों के बारे में
डॉ. एंथोनी गस्टिन और क्रिस इरविन, कीटो एक्सपर्ट्स हैं। डॉ. एंथोनी, प्रेक्टिस करने के साथ-साथ परफेक्ट कीटो नाम की न्यूट्रीशन कंपनी के फाउंडर भी हैं। क्रिस, न्यूट्रीशन साइंस रिसर्चर और लेखक हैं। ये दोनों खुद भी कीटोजेनिक डाइट अपनाकर उसके फायदे देख चुके हैं।
ये किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
ताकि आप एक सही डाइट अपनाकर हेल्दी लाइफ जी सकें।
कीटो डाइट से आपकी एनर्जी बढ़ती है, दिमाग तेज होता है और शरीर फिट रहता है। इसे सुनकर पहले तो मन में ये ख्याल आता है कि ये बातें सच भी हैं या नहीं। लेकिन अगर सही तरह से प्लान किया जाए तो कीटो डाइट सच में चमत्कार कर सकती है। कीटो डाइट से आप शरीर में स्टोर फैट अच्छी तरह बर्न कर सकते हैं, दिमाग को ज्यादा एनर्जी सप्लाई कर सकते हैं और यहां तक कि अपने हार्मोन भी सही रख सकते हैं जो आपको इमोशनल रूप से स्टेबल रखने में बहुत मदद करते हैं। लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि कीटो डाइट में गल्तियां होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ज्यादातर लोग इंटरनेट पर दी गई जानकारी पढ़कर कन्फ्यूज हो जाते हैं। कुछ लोग जोश में आकर शुरुआत तो कर लेते हैं पर कुछ ही दिनों में इसे छोड़ भी देते हैं। इससे फायदे से ज्यादा नुकसान हो जाता है। कुछ लोग गलत तरीके से कीटो डाइट लेते ही रहते हैं पर उनको कोई नतीजा नहीं दिखता। अगर आपको ये डाइट फॉलो करने का मन है तो इस किताब से जुड़े रहिए और इसकी सलाह पर अमल करके फायदे देखिए। इस किताब को पढ़कर आप जानेंगे
• कीटो डाइट, दूसरी लो कार्ब डाइट से अलग कैसे है
• आप कीटो डाइट लेते हुए कितने कार्ब खा सकते हैं
• अगर आप कभी तला या मीठा खाना खाकर अपने डाइट प्लान में गड़बड़ कर भी देते हैं तो परेशान होने की जरूरत क्यों नहीं हैदो लफ्जों में
साल 2019 में आई ये किताब कीटो डाइट को लेकर आपके सवालों के जवाब देती है। कीटोजेनिक डाइट काफी चलन में है। इससे परेशानी ये हुई है कि हर दूसरा आदमी खुद को इसका एक्सपर्ट बताते हुए तरह-तरह की सलाह देने लगता है। ऐसे में आपकी उलझन बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन ये किताब कीटो डाइट से जुड़े साइंस को सामने रखकर आपकी हर उलझन को सुलझा देती है। इससे आपको अपने लिए सही और खास तरह से कीटो डाइट प्लान करने में मदद मिलती है।
ज्यादातर लो कार्ब डाइट का फोकस वजन कम करने पर रहता है लेकिन कीटो डाइट में कीटोसिस का फायदा भी जुड़ा होता है।
लो कार्ब डाइट की बात करें तो इको एटकिन्स से लेकर स्लो कार्ब तक दर्जनों नाम सुनने को मिल जाते हैं। लेकिन कीटो इन सबसे अलग है। इसकी क्या वजह है? कीटोजेनिक डाइट में लो कार्ब, हाई प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल होती हैं। लेकिन हाई प्रोटीन और फैट का मतलब बहुत ज्यादा प्रोटीन और फैट भी नहीं होता। पर ये सब तो एटकिन्स और पैलियो डाइट में भी होता है। लेकिन यहां एक बहुत खास फर्क है। कीटो डाइट ऐसी इकलौती डाइट है जिससे शरीर कीटोसिस वाली स्टेट में जा सकता है। अब जरा कीटोसिस को समझते हैं। हमारा भोजन पहले ग्लूकोज में बदलता है और खून में मिलकर शरीर को एनर्जी देता है। लेकिन जब शरीर के पास जरूरत के मुताबिक ग्लूकोज न हो तो पैनक्रियाज, ग्लूकागॉन नाम का हार्मोन रिलीज करता है जो शरीर में स्टोर फैट को खून में मिला देता है और इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। इस प्रोसेस को कीटोसिस कहा जाता है। इस वजह से कीटो डाइट पर रहने वाले ज्यादातर लोगों में वजन घटता है।
अब यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ग्लूकागॉन शरीर तक तो एनर्जी पहुंचा देता है पर दिमाग तक नहीं। लो कार्ब डाइट पर रहने वाले ज्यादातर लोगों को इसी वजह से "brain fog" महसूस होता है। इसका हल है कीटोन्स। जब शरीर कीटोसिस वाली स्टेज में पहुंच जाता है तो लिवर कुछ जरूरी केमिकल्स बनाने लगता है जो खून में एनर्जी देने वाले एसिड के रूप में बहने लगते हैं। इनको कीटोन्स कहा जाता है। ये दिमाग को भी एनर्जी पहुंचाते हैं। कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट इनटेक पर ही ध्यान दिया जाए ऐसा नहीं है। इसमें दूसरे प्लान्स की तरह हेल्दी फैट और हाई प्रोटीन डाइट पर भी फोकस किया जाता है। यहां फैट ही सबसे जरूरी और खास हैं। इनकी वजह से ही लिवर, कीटोन्स बना पाता है ताकि शरीर में कीटोसिस हो सके। कीटोसिस से वजन कम करने में मदद मिलती है। पर बाकी डाइट भी तो यही करती हैं। कीटो डाइट की खासियत ये है कि इसमें सेहत से जुड़े दूसरे फायदे भी हैं। आगे हम इनके बारे में जानेंगे।
वजन कम करने के अलावा कीटो डाइट के और भी फायदे हैं।
अगर आपने कभी डाइटिंग की है तो एक बात जरूर महसूस की होगी। पहले एक दो हफ्ते तो आपका वजन घटने लगता है। अब ऐसे में आपको चुस्त दुरुस्त महसूस होना चाहिए पर ऐसा होता नहीं है। आपका दिमाग भटकता रहता है, चिड़चिड़ापन होने लगता है और आपको हमेशा भूख सताती रहती है। जब आप डाइटिंग छोड़ देते हैं तब जाकर आपको आराम आता है। जबकि कीटो डाइट में ऐसा नहीं होता। आप जितने लंबे समय तक इस पर टिके रहते हैं उतना ही बेहतर महसूस करते जाते हैं। क्योंकि इसके और भी फायदे होते हैं। असल में कीटो डाइट को कभी भी सिर्फ वजन कम करने के तरीके की तरह शुरू नहीं किया गया था। साल 1920 में डॉ. रसेल मोर्स विल्डर ने मेयो क्लीनिक में मॉडर्न कीटो डाइट को इन्सुलिन रेजिस्टेंस के इलाज के तौर पर दुनिया के सामने रखा था।
इन्सुलिन, पेनक्रियाज से निकलने वाला हार्मोन है। जब ग्लूकोज, खून में मिलता है तो इन्सुलिन इसे ब्लड शुगर में बदलने में मदद करता है। इन्सुलिन, ब्लड शुगर को सही जगह भेजने में भी मदद करता है। ये सेल्स को इस बात की जानकारी देता है कि वो ब्लड शुगर सोख लें ताकि इसे एनर्जी के लिए इस्तेमाल किया जा सके। शुगर ज्यादा हो तो इन्सुलिन इसे फैट के रूप में जमा करवा देता है। जब आपके शरीर में इन्सुलिन का लेवल बढ़ जाता है तो आपको इन्सुलिन रेजिस्टेंस हो सकती है यानि अब शरीर इन्सुलिन को रिस्पांस देना कम कर देता है। इसकी वजह से डायबिटीज और क्रॉनिक इन्फ्लामेशन हो सकते हैं। इसके अलावा शरीर अब कार्बोहाइड्रेट की ग्लूकोज को सही तरह प्रोसेस भी नहीं कर पाता है। इस वजह से ब्लड शुगर एकदम से कम ज्यादा होती रहती है। जब ये कम हो जाए तो बहुत तेज भूख लगती है। ऊपर से ऐसे में हम अक्सर ज्यादा कार्ब या मीठा ही खा लेते हैं जिससे परेशानी और बढ़ जाती है।
जबकि कीटो डाइट करते हुए आप खून में शुगर का सही लेवल बनाए रखते हैं और इस तरह इन्सुलिन के लिए रिस्पांस ठीक बना रहता है। कार्बोहाइड्रेट से उलट, कीटो डाइट हमारे शरीर में एनर्जी धीरे-धीरे और स्टेबल तरीके से रिलीज करती है। कीटोसिस में आपका शरीर स्टोर की हुई फैट की मदद से एनर्जी लेता है न कि आपको बार-बार खाने का सिग्नल भेजता है। इस वजह से कीटो डाइट लेने पर आपको भूख कम लगते हुए भी एनर्जी ज्यादा महसूस होती है। आपकी मेंटल एनर्जी भी बढ़ती है। लिवर में बन रहे कीटोन आपके दिमाग के लिए एनर्जी का एक परफेक्ट सोर्स हैं। लेकिन ये तभी बनते हैं जब शरीर कीटोसिस वाली स्टेज में जाता है। कीटो डाइट का एक और फायदा आपके मूड पर होता है। दूसरी कोई डाइट इन्फ्लामेशन पैदा करके गट को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन इससे मूड का क्या लेना देना? असल में जो न्यूरोट्रांसमीटर मूड पर असर डालते हैं वो ज्यादातर गट से ही रिलीज होते है। आपकी गट की सेहत सही रखकर कीटो डाइट आपका मूड भी सही रखती है। इसके फायदों की लिस्ट लंबी है। ये आपके इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाती है, हार्मोन का फंक्शन सही रखती है और नींद की क्वालिटी भी बढ़िया करती है। अब अगर आप इस डाइट को फॉलो करने का मन बना चुके हैं तो आगे पढ़िए इसकी शुरुआत कैसे करनी है।
सबसे पहले ये समझिए कि कौन सा भोजन लेना है और कौन सा नहीं।
इससे पहले कि आप एक एक कैलोरी या कार्ब गिनने लगें ये समझ लीजिए कि कीटो डाइट में आपको क्या खाना है और किस चीज से दूरी बनानी है। कीटो डाइट में प्रोटीन ज्यादा होती है। लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं कि आप रोज मीट या पनीर खाना शुरू कर दें। आपको प्रोटीन की भी अलग-अलग वेरायटी की जरूरत होगी क्योंकि सबका अपना महत्व है। जैसे स्टेक में आयरन ज्यादा होती है तो सामन में ओमेगा 3 अमीनो एसिड। अपने भोजन में हर तरह का मीट जैसे चिकन, फिश, बीफ, सी फूड और ऑफाल जैसी चीजें शामिल करें। फैट भी उतनी ही जरूरी है। फैट का सबसे अच्छा सोर्स होते हैं ऑयल जिनमें आप प्रोटीन वाली चीजें पका सकते हैं। कीटो डाइट को कॉम्प्लीमेंट करने वाले ऑयल ऐसे होते हैं जिनमें फैटी एसिड ज्यादा हों जैसे नारियल, ऐवोकेडो और ऑलिव ऑयल। लेकिन तेल को कभी भी उसके स्मोकिंग पाइंट से ज्यादा गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि धुआं उठने के बाद इनके एसिड खत्म हो जाते हैं और न्यूट्रीशनल वेल्यू जीरो रह जाती है। जहां तक सब्जियों की बात है तो पत्तेदार सब्जियों में जितना गहरा हरा रंग हो उतना अच्छा। दूसरी सब्जियों की बात करें तो आपको पहले इनमें छिपे कार्ब का पता लगाना है। हैरानी की बात है कि ज्यादातर सब्जियों में अच्छा खासा कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें टमाटर और प्याज भी शामिल हैं। इसलिए इनको कम खाना चाहिए। नट्स पर भी ध्यान दें। ब्राजील नट्स और बादाम में कार्ब कम होते हैं जबकि दूसरे नट्स में कार्ब ज्यादा होते हैं।
आप कीटो डाइट में जो भी शामिल कर लें एकदम से कार्ब कम कर देना और फैट और प्रोटीन बढ़ा देना इतना आसान नहीं होता। ऐसी डाइट आपको कोई खास फायदा भी नहीं करेगी। आपको क्वालिटी पर भी ध्यान देना होगा। किसी भी भोजन का सबसे ज्यादा फायदा तब मिलता है जब वो ताजा होता है। इसलिए जितना हो सके मौसमी और ताजी चीजें खरीदें। वैसे तो कीटो फूड की बहुत वेरायटी है पर आपको कुछ चीजों से दूर रहना चाहिए। सबसे पहले तो कार्ब और प्रोसेस्ड शुगर का नाम आता है। इसके बाद आते हैं ऐसे वेजिटेबल ऑयल जो इन्फ्लामेशन की वजह बनते हैं जैसे कैनोला। आपको फल भी कम खाने चाहिए क्योंकि इनमें फ्रक्टोज बहुत होता है जिसे सिर्फ लिवर ही प्रोसेस कर सकता है। अगर वो फ्रक्टोज पर ही काम करता रहेगा तो कीटोन कब बनाएगा? यानि ज्यादा फल खाकर आप कीटोसिस बंद कर देंगे। डेयरी प्रोडक्ट्स में आपको दही और केफिर जैसी फर्मेंट की हुई चीजें लेनी चाहिए। अब आपने अपना फ्रिज और किचन तैयार कर लिया है। काम की चीजें भर ली हैं और बेकार चीजें हटा दी हैं। तो कीटो डाइट के लिए कमर कस लें। आइए देखते हैं इसके पहले कुछ हफ्ते कैसे रहते हैं।
पहले से प्लानिंग और तैयारी कर ली जाए तो अच्छे नतीजे मिलते हैं।
कीटो डाइट फायदेमंद है पर ये रातोंरात कोई जादू नहीं कर सकती। आपके लिए शुरुआत के कुछ हफ्ते थोड़े मुश्किल हो सकते हैं। कीटो डाइट वाली शॉपिंग करते हुए तो आपको बड़ा मजा आएगा। लेकिन जब इनको खाने की बारी आती है तो चैलेंज सामने आ जाता है। इसलिए जो नजर आया वो खरीद लिया की जगह पहले प्लान करके लिस्ट बनाएं और फिर चीजें खरीदें। ये कोई मुश्किल काम नहीं है। अपनी आंखों के सामने एक प्लेट की तस्वीर बनाइए। इसका 40% अच्छी क्वालिटी की प्रोटीन से भरा होना चाहिए। दसवां हिस्सा होना चाहिए फैट। बाकी हिस्से में सलाद और लो कार्ब सब्जियां होनी चाहिए। ध्यान दीजिए कि आपको लो कार्ब लेना है न कि नो कार्ब। दिन के 20 से 30 ग्राम कार्बोहाइड्रेट बिल्कुल लिए जा सकते हैं। कोशिश करिए कि आप इससे ज्यादा कार्ब न लें वरना शरीर कीटोसिस वाले फेज में नहीं जाएगा। आपके शरीर को कीटो डाइट अडॉप्ट करने में तीन स्टेज आएंगी। पहली कीटोजेनेसिस या ग्लूकोज विड्राॅल। ये आपको शुरुआती दो से तीन घंटे में ही नजर आ सकती है। ग्लूकोज विड्रॉल के साथ आपको थकान, ब्रेन फॉग और डिहाइड्रेशन महसूस हो सकता है। आपको ये सब दो से चार दिन बाद भी महसूस हो सकता है जब आपका शरीर कीटोसिस स्टेज में पहुंच जाए। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि ये सब थोड़े समय के लिए ही रहता है। इसकी वजह ये है कि आपके शरीर में इन्सुलिन का लेवल घटने लगता है और किडनी से कम पानी निकलता है। पर इसके साथ आपको कीटोसिस के फायदे भी मिलने लगते हैं। मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है। शरीर अब स्टोर की हुई फैट से एनर्जी लेने लगता है और लिवर, कीटोन्स बनाने लगता है।
अब दो से आठ हफ्तों के बीच आपके शरीर को इसकी आदत पड़ जाती है। इसके बाद आपको किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती बल्कि सिर्फ अच्छे रिजल्ट ही दिखते हैं। इस स्टेज तक पहुंचने का इंतजार करना मुश्किल है लेकिन आपको बस एक बात याद रखनी है "डटे रहिए।" कुछ तरीके अपनाकर आप इस मुश्किल को कम कर सकते हैं। सबसे पहले तो भरपूर नींद लीजिए। इससे आपकी थकान दूर हो जाएगी। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खूब पानी पिएं। इसके साथ पोटैशियम और मैग्नीशियम भी लें ताकि इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बना रहे। आप कुछ हफ्ते कीटोन्स के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं ताकि खून में कीटोन का लेवल बना रहे। इससे आपको एनर्जी भी मिलती लहेगी।
कीटो डाइट के साथ फास्टिंग जोड़कर आप और भी बेहतर नतीजे पा सकते हैं।
आजकल हम रीमेक और रेट्रो जैसे शब्द बहुत सुनते हैं और ऐसा लगता है जैसे पुरानी चीजें ही नई होती जा रही हैं। कीटोजेनिक डाइट पर तो ये बात बिल्कुल खरी उतरती है। लेकिन ये कोई ऐसा ट्रेंड नहीं है जो कभी आता और कभी जाता रहा है। इंसान अपने आदिकाल से ऐसी डाइट खाते रहे हैं वो भी तब जबकि उस दौर के खाने में ग्लूकोज कम हुआ करता था। कीटो डाइट के साथ पुराने दौर से चले आ रहे फास्टिंग के ट्रेडिशन को जोड़कर और ज्यादा फायदा लिया जा सकता है। फास्टिंग का सीधा मतलब निकलता है कि कुछ समय के लिए भोजन से दूर रहा जाए। पुराने दौर में फास्टिंग इसलिए की जाती थी क्योंकि भोजन की कमी होती थी। फास्ट रखकर उस दौर के लोगों के शरीर एनर्जी के लिए ग्लूकोज के अलावा दूसरे तरीकों जैसे स्टोर फैट का इस्तेमाल करने के आदी हो जाते थे। इस समय हम उनकी तरह शिकार या भोजन ढूंढने पर तो निर्भर नहीं हैं। हम तो जो चाहें जब चाहें ऑर्डर कर सकते हैं। फिर भी बहुत से लोग फास्ट रखते हैं। इससे शरीर एक हल्का स्ट्रेस महसूस करते हुए हमेशा एक्टिव मोड में रहता है। इसे hormesis कहा जाता है। ये तनाव शरीर के लिए अच्छा होता है। असल में जब आप शरीर को उसकी जरूरत से थोड़ा कम फ्यूल देते हैं तो वो अपनी जरूरत पूरी करने के लिए दूसरे तरीके ढूंढता है और एनर्जी एफिशिएंट मोड में आ जाता है। Hormesis में स्टोर की हुई एनर्जी इस्तेमाल होती है, शरीर का पूरा फंक्शन बेहतर ढंग से चलने लगता है और पुरानी सेल्स रीसाइकल हो जाती हैं। फास्टिंग और कीटो डाइट के फायदे लगभग एक से हैं क्योंकि दोनों में आपका शरीर एक ही तरह के मेटाबॉलिज्म से गुजरता है। दोनों ही तरीकों में स्टोर की हुई फैट बर्न होती है, खून में इन्सुलिन का लेवल गिरता है और लिवर में कीटोन्स बनने लगते हैं। फर्क बस इतना है कि आप लंबे समय तक कीटोन डाइट पर तो रह सकते हैं पर फास्ट करते हुए नहीं।
लेकिन अगर दोनों के एक ही फायदे हैं तो कीटो डाइट के साथ फास्टिंग क्यों जोड़नी चाहिए? फास्टिंग, कीटो डाइट के साथ बूस्टर का काम करती है। कीटोसिस की तेज शुरुआत करने के लिए ओकेजनल फास्टिंग बहुत मदद करती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से शुरुआत कीजिए जिसमें 8 घंटे की ईटिंग विंडो हो और 16 घंटे की फास्टिंग विंडो। इसमें भी आप पानी और इलेक्ट्रोलाइट ही लें। वैसे तो एक दिन का फास्ट भी रख सकते हैं यानि 24 घंटे न खाना। जिन लोगों को इसकी पहले से आदत है वो इसे थोड़ा सख्त बनाते हुए ये कर सकते हैं कि लगातार कुछ दिन तक सिर्फ एक समय खाना खाएं जिससे उनको अपनी कैलोरी की कुल जरूरत का एक चौथाई हिस्सा ही मिले। लेकिन 18 साल से कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और प्रेग्नेंट महिलाओं को फास्टिंग नहीं करनी चाहिए। बाकी लोगों के लिए भी फास्टिंग कोई जरूरी नहीं है। आप अपनी कीटो डाइट पर ही टिके रह सकते हैं। फास्टिंग के अलावा और भी तरीके हैं जो कीटो डाइट का असर बढ़ा देते हैं। आगे हम इन पर बात करेंगे।
जैसे एक ही जूता सब नहीं पहन सकते बिल्कुल वैसे ही कीटो डाइट में फिट फॉर ऑल जैसी कोई बात नहीं होती।
आप डाइट प्लान को अपनी जरूरत के मुताबिक बदल सकते हैं। अपने शरीर और सेहत को ध्यान में रखते हुए अगर आप कीटो डाइट लें तो इसका बहुत फायदा मिलता है। आप इसमें थोड़े बदलाव करके इसे और बेहतर बना सकते हैं। अगर आप रोजाना कसरत करते हैं तो साइक्लिक कीटो डाइट ठीक रहेगी। इसमें आप हफ्ते में 5 से 6 दिन कीटो डाइट पर रहते हैं। बाकी के एक या दो दिन आप कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट पर वापस आ जाते हैं। बॉडी बिल्डिंग या परफार्मेंस बढ़ाने में कार्बोहाइड्रेट कोई खास मदद नहीं करते पर इन दोनों जरूरतों में इंस्टेंट फायदा जरूर कर देते हैं। साइक्लिक कीटो लंबे समय की जरूरत को ध्यान में रखकर की जाती है जबकि टारगेटेड कीटो में थोड़े समय की जरूरत पर फोकस किया जाता है। यहां आप किसी खास मौके के लिए कार्बोहाइड्रेट खाते हैं जैसे किसी स्पोर्ट्स इवेंट या कॉम्पिटिशन के आसपास। अगर सावधानी से खाया जाए तो कार्बोहाइड्रेट आपकी परफार्मेंस को बढ़ाते हैं और इसके बाद लगने वाले रिकवरी टाइम को कम कर देते हैं। लेकिन इसका ये नुकसान होता है कि कीटोसिस बंद हो जाता है।
दोनों ही तरह की कीटो डाइट में आपको कार्बोहाइड्रेट इनटेक पर ध्यान देना है। अगर कोई दिन नॉन कीटो डाइट का है तो इसका ये मतलब नहीं कि आप पूरा पिज्जा या ढेर सारा पास्ता खा लें। आप इस तरह के कार्ब लें जिनसे आपको न्यूट्रीशन मिल सके जैसे केला या शकरकंद। अब अगर कार्बोहाइड्रेट इतने ही अच्छे हैं तो ऐसे कीटो प्लान को लंबे समय तक फॉलो करना चाहिए। लेकिन साइक्लिक हो या टारगेटेड, दोनों तरह के अपने कुछ नुकसान हैं। नॉन कीटो डाइट वाले दिनों में आपका शरीर कीटोसिस बंद कर देता है। इस वजह से कीटो डाइट वाले दिनों में आपके शरीर को फिर से अपनी आदत बदलनी पड़ती है। यहां अच्छी बात ये है कि जितने लंबे समय तक आप कीटो अडॉप्टेड रहें आपको कीटोसिस को ऑन और ऑफ करने में उतना कम समय लगेगा। जब आपको कीटो डाइट करते हुए अच्छा खासा समय हो जाता है तो आप आसानी से साइक्लिक, टारगेटेड और क्लासिक कीटो डाइट में अदला बदली कर सकते हैं।
कुछ समय के लिए कीटो डाइट पूरी तरह बंद कर देना भी फायदेमंद रहता है। कीटो डाइट के दौरान वजन कम होता है पर कभी कभार इसमें ठहराव भी आ जाता है। अगर आपको तेजी लानी है तो आप मॉडीफाइड एटकिन्स यानि लो कार्ब और हाई क्वालिटी प्रोटीन डाइट पर आ सकते हैं। मॉडीफाइड एटकिन्स डाइट में आप कीटो डाइट से बहुत कम फैट खाते हैं जिससे शरीर और तेजी से फैट बर्न करता है। थोड़े समय का प्लान हो तो ये डाइट बहुत बढ़िया रहती है लेकिन लंबे समय तक करने पर इसके कीटो जैसे फायदे नहीं मिलते। इसलिए आप अपना तय वजन कम कर लेने के बाद वापस कीटो डाइट पर आ जाएं।
कीटो डाइट सब पर असर करती है पर महिला और पुरुषों में इसके अलग नतीजे नजर आते हैं।
असल में दोनों का शरीर अलग होता है इसलिए एक जैसी डाइट इन पर अलग असर डालती है। ये तो तय है कि दोनों को इससे फायदा ही होगा। हां, टाइम लाइन अलग हो सकती है। कीटो डाइट के उस फायदे से शुरू करते हैं जो सबसे ज्यादा नजर आता है यानि वजन घटना। कीटो डाइट की शुरुआत करते हुए आदमियों का वजन काफी तेजी से घटने लगता है जबकि महिलाओं का वजन धीरे-धीरे घटता है। पहले फैज में वजन घटने की वजह होती है शरीर से पानी और ग्लाइकोजन कम होना क्योंकि अभी शरीर खुद को लो ब्लड शुगर के लिए तैयार कर रहा होता है। अब आम तौर पर पुरुष महिलाओं से ज्यादा मस्कुलर होते हैं तो उनके शरीर में पानी और ग्लाइकोजन भी ज्यादा होता है। इसलिए शुरुआत में उनका वजन भी तेजी से घटता है। हालांकि आगे जाकर दोनों ही लगभग बराबर वजन घटा लेते हैं और फैट भी लगभग एक जैसी बर्न करते हैं।
कीटो डाइट से महिलाओं को कुछ खास फायदे भी होते हैं। महिलाओं में पीरियड्स, मीनोपॉज और दूसरी कई वजहों से हार्मोन का बदलाव पुरुषों से ज्यादा तेजी से होता है। अब याद करिए कि कीटोसिस में लिवर जो कीटोन्स बनाता है वो सीधा दिमाग को एनर्जी देते हैं। लेकिन इनके दूसरे फायदे भी हैं। ये हार्मोन का प्रोडक्शन भी रेग्युलेट करते हैं। इसलिए ये कोई हैरानी की बात नहीं है कि कीटो डाइट पर आने के बाद महिलाओं में Pre Menstrual Syndrome कम होने लगते हैं और पीरियड्स भी पहले से ज्यादा रेग्युलर हो जाते हैं।
कीटो डाइट Polycystic Ovary Syndrome या PCOS से गुजर रही महिलाओं के लिए भी राहत देती है। PCOS वो कंडीशन है जब हमारा शरीर जरूरत से ज्यादा luteinizing hormone बनाने लगता है। इसकि वजह से वजन बढ़ना, बाल झड़ना, पीरियड्स की गड़बड़ और इनफर्टिलिटी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। साल 2005 में ड्यूक यूनिवर्सिटी में एक स्टडी हुई जिसमें PCOS से परेशान महिलाओं को 24 हफ्तों के लिए कीटो डाइट पर रखा गया। इनका luteinizing hormone लेवल लगभग 36% कम हो गया। जो महिलाएं बच्चा चाहती हैं उनके लिए कीटो डाइट बहुत मददगार साबित हो सकती है। इसके लिए सेक्स हार्मोन और बच्चेदानी दोनों का सही रहना जरूरी है और इन दोनों को ठीक रखने के लिए सैचुरेटेड फैट काम आती हैं। एक अच्छी कीटो डाइट में सैचुरेटेड फैट की अच्छी खासी मात्रा होती है।
कीटो बस एक डाइट नहीं है ये लाइफ स्टाइल है।
आपने कीटो डाइट के फायदे देख लिए कि इससे फैट बर्न होती है, आपको ज्यादा एनर्जी महसूस होती है, दिमाग तेज होता है, हार्मोन सही काम करते हैं और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है। लेकिन आपको कीटो डाइट की जरूरत नहीं है। असल में कीटो कोई डाइट नहीं है बल्कि अपने आप में एक लाइफस्टाइल है। अगर आपको इसका भरपूर फायदा उठाना है तो लंबे समय का कमिटमेंट करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए आपको ये पता होना चाहिए कि अपनी लाइफस्टाइल में कीटो कैसे शामिल करना है और ये भी समझना चाहिए कि आपके सामने मुश्किलें भी आएंगी। जैसे आप घर पर हैं तो कीटो फूड खाना आसान है पर अगर आप कहीं ट्रैवल कर रहे हैं तो परेशानी हो सकती है। हो सके तो छुट्टियां बिताने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां आप खाना पका सकें। अपने साथ कुछ कीटो फ्रेंडली स्नैक्स ले जाएं। आप सफर के दौरान फास्टिंग मोड में भी रह सकते हैं। इसके बाकी फायदे तो मिलेंगे पर जेट लैग भी कम होगा।
लेकिन कभी अपने पार्टनर के साथ डेट पर जाना हो या दोस्तों के साथ पार्टी करनी हो तब क्या करें? ऐसे में थोड़ी सी प्लानिंग करके आप काम बना सकते हैं। ऐसे रेस्टोरेंट में चले जाइए जहां ऑर्गेनिक या फार्म टू टेबल फूड जैसी चीजें मिलें। ऐसी जगहों पर अक्सर बढ़िया कीटो फूड मिल जाता है। आप कार्ब की जगह सब्जियां या सलाद खा सकते हैं। सलाद ड्रेसिंग के लिए ऑयल का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि इसमें वेजिटेबल ऑयल न हों ताकि इन्फ्लामेशन से बचाव रहे। हां ये भी याद रखिए कि कभी कभार चीटिंग भी की जा सकती है। इससे आपको लंबे समय तक अपने प्लान पर डटे रहने की वजह भी मिल जाती है। अगर कुछ मीठा खाने का मन है तो खा लीजिए ताकि फिर से कीटो पर आ सकें न कि उस समय मन मारकर कुछ समय बाद कीटो से पूरी तरह दूरी बन जाए। आप कुछ दिन का ब्रेक भी प्लान कर सकते हैं। कोई शादी या पार्टी हो या कहीं बाहर जाना हो तो कुछ दिन का आराम कर लीजिए। फैशनेबल डाइट ये दावे करती हैं कि बिना कुछ खास मेहनत किए आपको चमत्कार मिल जाएगा जबकि इनमें से कोई भी तरीका इतना हेल्दी नहीं है जितना कीटो हो सकता है। लेकिन इसके लिए आपको लाइफस्टाइल में बदलाव करने का कमिटमेंट रखना होगा। एक बार जब आप इसके फायदे देख लेते हैं तो खुद ब खुद इसको अपने जीवन में उतार लेते हैं।
कुल मिलाकर
आपके पास डाइटिंग करने के लिए ढेरों लो-कार्ब, हाई प्रोटीन उपाय हैं लेकिन अगर आप शरीर में पूरी तरह से बदलाव देखना चाहते हैं यानि बनावट से लेकर फंक्शन तक तो कीटो से बेहतर कुछ नहीं है। यही एक ऐसा तरीका है जहां शरीर कीटोसिस स्टेज में जा सकता है। और तो और इसके फायदे सिर्फ वजन घटाने तक सीमित नहीं हैं। कीटो अपनाने और शरीर को कीटो अडॉप्टिव रखने के लिए मेहनत और डिसिप्लिन की जरूरत होती है लेकिन इसके फायदे देखते हुए इतना करना कोई बड़ी बात नहीं है।
क्या करें?
मन करे तो मिठाई खा लें।
कार्ब्स कम करने का मतलब केक, मिठाई या आइस्क्रीम को अलविदा कहना नहीं है। रेसिपी में कुछ बदलाव करके आप अपने पसंदीदा मीठी चीजों का मजा ले सकते हैं। आटे की जगह नारियल का चूरा या बादाम का आटा और चीनी की जगह स्टेविया का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह स्वाद भी आ जाता है और कीटो-फ्रेंडली खाना भी मिल जाता है जो आपको शायद आम कार्बोहाइड्रेट वाले खाने से भी अच्छा लगे।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Keto Answers By Anthony Gustin, and Chris Irvin.
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