Dr. Nicole LePera
The Workbook for Self-Discovery
दो लफ्ज़ों में
साल 2022 में रिलीज़ हुई किताब “How to Meet Your Self” सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि एक सफर है. जिसके साथ चलने पर आपकी मुलाक़ात खुद के मन से होगी. आपको पता चलेगा कि खुद के मन को समझना कितना ज़रूरी है? बिना अपने आपको समझे इंसान इस ज़िन्दगी को नहीं समझ सकता है.
ये बुक समरी किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे सेल्फ हेल्प की ज़रूरत हो
- ऐसा कोई भी जो परेशान हो
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए
- ऐसा कोई भी जिसे कुछ नया सीखना हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन “Nicole LePera” ने किया है. ये लेखन के साथ-साथ ‘clinical psychologist’ भी हैं. इसी के साथ इन्होने बेस्ट सेलिंग बुक ‘How to Do the Work’ का भी लेखन किया है.
आपको conscious बनने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए
क्या आपको ऐसा लगता है कि आपकी लाइफ में कुछ बदलाव की ज़रूरत है? लेकिन आपको मालुम नहीं है कि आखिर वो बदलाव किस चीज़ में करना है?
अगर कुछ ऐसा ही आपके साथ हो रहा है. तो इस बुक समरी का सफर आपके लिए काफी फायदेमंद होने वाला है.
आपको इस बुक समरी में ये जानने को मिलेगा
- अपनी लाइफ को बेहतर कैसे किया जा सकता है?
- लाइफ चेंजिंग टिप्स एंड ट्रिक्स
- मेंटल हेल्थ के बारे में बहुत कुछ
चलिए इस सफर की शुरुआत करते हैं.
ऑथर Nicole LePera अपनी लाइफ के कुछ सालों पहले का किस्सा बता रही हैं. वो कहती हैं कि कुछ सालों पहले लाइफ में वो फंस चुकी थीं. उन्हें ऐसा लगने लगा था जैसे उनकी लाइफ autopilot मोड में चल रही हो. मंडे की सुबह वो उठ नहीं पाती थीं और जबरदस्ती किसी तरह काम की तरफ जाने की कोशिश करती थीं. फिर पूरा हफ्ता ऑफ डे का इंतज़ार करती थीं. उनके मन में ये ख्याल आने लगा था कि वो अपने काम के साथ जस्टिस नहीं कर पा रही हैं.
पूरे हफ्ते वो exhausted रहती.. मतलब साफ़ था कि वो अपनी ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दे पा रहीं थीं.
क्या आपको भी ऐसा सुनकर कुछ अपना सा लग रहा है? मतलब Does this sound familiar?
हमें पता नहीं चलता है कि लेकिन हमारी लाइफ भी कुछ इसी तरह की हो गई है. हम भी ऑटो मोड में चले जा रहे हैं. ना ही हम बहुत पैसे कमा पा रहे हैं और ना ही हम अपनी लाइफ को सुकून दे पा रहे हैं?
ऑथर कहती हैं कि हमें समझना चाहिए कि हम लोगों ने गलत “habit self,” पाल कर रख ली है. जिसकी वजह से हमारी लाइफ में कुछ भी इंट्रेस्टिंग चीज़ बची ही नहीं है.
इसलिए आपको समझना होगा कि आपकी आदतें ही आपकी रियल पर्सनालिटी नहीं है. अब समय आ गया है कि हम इन आदतों को छोड़ने की शुरुआत कर दें.
सबसे पहले हमें पूरी तरह से conscious बनना होगा.. हमें पता होना चाहिए कि हम लोगों ने कौन-कौन सी आदतें पाल कर रख ली हैं? मतलब साफ़ है कि खुद को बदलने के लिए खुद की आदतों को बदलना बहुत ज़रूरी है.
एग्जाम्पल के लिए अगर आपने काम को कल में टालने की आदत पाल रखी है. तो आप कभी भी प्रोफेशनल फील्ड में कामयाब नहीं हो पाएंगे. आपके लिए बहुत ज़रूरी है कि आप “Consciousness” के कांसेप्ट को समझने की कोशिश करें. ये सिम्पल सा कांसेप्ट है, इसका मतलब है कि आपको पता होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं? और क्यों कर रहे हैं? आपको पता होना चाहिए कि आप किन गलतियों की वजह से लाइफ में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं?
इसलिए याद रखिएगा कि अगर कोई सांप जहरीला ना भी हो फिर भी उसे दिखाना चाहिए कि उसमें जहर है. आमतौर पर जो ताक़तवर होते हैं, वह हमेशा कमजोर पर अपनी ताकत दिखाते हैं. इससे हमें एक सीख मिलती है. कमजोर होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अपनी कमज़ोरी किसी के सामने आने मत दें...क्योंकि अगर किसी को जरा सी भी आपकी कमज़ोरी की भनक लग जाए तो वह आपको नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा. . . .
इसलिये भले ही आप कमजोर हो, लेकिन अगर कोई आपको नीचा दिखाये या अपनी ताकत ताकत दिखाये तो पूरे साहस के साथ उसका विरोध करे. इससे सामनेवाले का मनोबल टुट जायेगा, और ऐसा भी हो सकता है कि अगली बार वह आपसे कभी उलझे ही ना..
अपनी बॉडी को सुनिए और समझने की कोशिश करिए
जैसे-जैसे आप conscious होते जाएंगे, वैसे-वैसे ही आपको आपकी बॉडी के बारे में भी बहुत कुछ पता चलता जाएगा. आपको अपनी physical sensations और ज़रूरतों के बारे में भी बहुत कुछ पता चल जाएगा.
वहीं अगर आप autopilot मोड में ही लाइफ को जीते रहेंगे तो आपको कभी भी लाइफ की खुशियों के बारे में पता ही नहीं चल पाएगा. ना ही आपको उन सिग्नल्स के बारे में पता चलेगा.. जो आपकी बॉडी आपको भेज रही है.
ऑथर कहती हैं कि आपको अपने nervous system पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए. और साथ ही साथ अपने आप से कुछ सवाल भी करने चाहिए..
आपको अपने आपसे पूछना चाहिए कि क्या आप exhausted रहते हैं? क्या आप रिलैक्स नहीं कर पा रहे हैं? क्या आपको कंसंट्रेशन में दिक्कत आ रही है? अगर इन सवालों के जवाब हाँ, में है. तो इसका मतलब साफ़ है कि आपको dysregulated nervous system की दिक्कत है.
ऐसा तब होता है जब इंसान किसी stress या trauma से गुज़रा होता है या फिर उसका सामना कर रहा होता है. लॉन्ग टर्म में यही दिक्कतें social anxiety, feeling numb या फिर depressed का कारण बनती हैं.
इस बारे में आगे बात करते हुए ऑथर कहती हैं कि आजकल वक्त के साथ चलने के लिए कई तरह की चीजें एक साथ करनी पड़ती हैं. खुद को अपडेट रखने के लिए हम लौपटॉप, मोबाइल और कई तरह के गैजेट्स से हर वक्त घिरे रहते हैं. यहां तक की फिट रहने और रिलेक्सेशन के लिए भी हम कई तरह के गैजेट्स का ही इस्तेमाल करतें हैं.
लेकिन हर समय गैजेट्स से घिरे रहना हमें बीमार, बहुत बीमार बनाता है. इन गैजेट्स से निकलने वाली वेव्स हमें तनाव ग्रस्त करती हैं. ऐसे में तनाव से छुटकारा पाने के लिए हमें एक कारगर उपाय की जरूरत है, जिससे तनाव दूर होने के साथ-साथ हमें कई तरह के हेल्थ बेनिफिट्स भी मिल सकें. तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं. लेकिन इससे मुक्ति पाने का सबसे अच्छा तरीका है मेडिटेशन. इससे खुशी का अनुभव और मन को शांति मिलती है..
मेडिटेशन यानि की ध्यान, ध्यान के जरिए आप अपने अशांत मन को शांत कर सकते हैं. मेडिटेशन किसी वस्तु पर अपने विचारों का केन्द्रित करना नहीं है बल्कि ये विचार रहित होने की प्रक्रिया है. इसमें अपनी आंखों को बंद करके बैठना होता है, जिससे धीरे-धीरे हम रिलेक्स फील करने लगते हैं. शुरुआत में इस प्रक्रिया को करते समय काफी कठिनाई होती है लेकिन धीरे-धीरे हम ध्यान लगाना सीख जाते हैं.
मेडिटेशन विज्ञान से भी जुड़ा है... कई शोधों में पाया गया है कि नियमित ध्यान लगाने से दिमाग स्वस्थ होता है और साथ ही आपकी मेमोरी शार्प होती है... इसका उपयोग काफी समय से होता आ रहा है हालांकि आज इसका क्रेज ज्यादा देखने को मिल रहा है... ये तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाता है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इसे डेली रूटीन में शामिल करना बहुत जरूरी हो गया है.
ध्यान लगाने से पहले खाना न खाएं या फिर हल्का भोजन लें. मेडिटेशन से पहले ज्यादा खाना खाने से नींद आने लगती है और आप ठीक तरह बैठ भी नहीं पाते.. ऐसे में खाली पेट इस प्रक्रिया को करना बेहतर होगा. नहाने के बाद मेडिटेशन प्रक्रिया शुरू करें. इससे आप तरो-ताजा अनुभव करते हैं.मेडिटेशन करने से पहले अपना मनपसंद काम करें जैसे कि म्यूजिक सुनना या फिर वॉक करना..इससे आप रिलैक्स महसूस करेंगे.
इसी के साथ आपको बता दें कि ध्यान की मदद से दिमागी सिस्टम बेहतर होगा जिससे आप लाइफ के प्रति ज्यादा conscious हो जाएंगे.
इमोशन्स को समझने की कोशिश करें
शायद, आपको ऐसा लग रहा हो कि आप अपनी बॉडी से पूरी तरह से डिटैच हो चुके हैं? अगर आपको ऐसा लग रहा है तो आपको इमोशन्स के पास जाना चाहिए.. अब समय आ गया है कि आप खुद से मिलने की कोशिश शुरू करें.. अपने इमोशन्स को बेहतर ढ़ंग से जानना ही खुद से मुलाक़ात करना है.
ज़िन्दगी की असली ख़ुशी तो अपने आपको बेहतर ढ़ंग से जानने में ही है. जब तक आप अपने आपको नहीं जान पाएंगे तो आप इस दुनिया को क्या ही जानेंगे?
इसलिए आज से ही अपने इमोशन्स से दोस्ती करने की शुरुआत करिए.. आपको पता होना चाहिए कि आपको किन बातों से फर्क पड़ता है? आपको ये भी पता होना चाहिए कि किन चीज़ों से आपको ख़ुशी या दुःख होता है?
अपने बारे में जानना ही अपने इमोशन्स के बारे में जानना है.
हम सभी ने इस बात का अनुभव किया है कि इंसान तमाम तरह के जज़्बात महसूस करता है. प्यार, ग़ुस्सा, नफ़रत, फ़िक्र. हर जज़्बे के हिसाब से हमारे शरीर में बदलाव आते हैं. ख़ुश होने पर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. ग़ुस्सा होने पर त्योरियां चढ़ जाती हैं.
कई बार हमारे शरीर के लक्षण ऐसे संकेत देते हैं कि हम जज़्बातों को लेकर धोखा खा जाते हैं. एक से एक तजुर्बेकार लोग समझ नहीं पाते कि आख़िर उनका दिमाग़ क्या महसूस कर रहा है.
ऑथर अपनी क़िताब में इस बात की पुरज़ोर वक़ालत करती है कि हमें अपने शरीर के संकेत समझने में ज़्यादा समझदारी दिखाने की ज़रूरत है. वो कुछ तरीक़े भी बताती हैं जिनसे जज़्बात पर क़ाबू पाया जा सकता है.
दिलचस्प बात ये है कि इंसानी भावनाओं पर ये ताज़ा रिसर्च पुरानी थ्योरी से बिल्कुल अलहदा है. उन्नीसवीं सदी में मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने जज़्बात पर भी एक क़िताब लिखी थी- 'द एक्सप्रेशन ऑफ़ इमोशन्स इन मैन ऐंड एनिमल.'
डार्विन की थ्योरी के मुताबिक़ हम कुछ ख़ास शारीरिक संकेतों से अपने जज़्बात का इज़हार करते हैं. जैसे चेहरे के हाव-भाव, दिल की धड़कन बढ़ना घटना या बदन में ऐंठन होना.
इसी चर्चा में थोड़ा ज्ञान भी ले लेते हैं.. आपको बता दें कि इतिहासकार कहते हैं प्राचीन रोमन साम्राज्य में लोग खुलकर मुस्कुराते तक नहीं थे. उनके अंदर मुस्कुराने की अदा थी ही नहीं. पर इसका ये मतलब नहीं कि वो ख़ुशी नहीं महसूस करते थे. मगर उस दौर में दांत साफ़ रखने का चलन नहीं था. सो गंदे दांत दिख न जाएं इसलिए लोग खुलकर हंसने-मुस्कुराने से कतराते थे.
इसलिए अगली बार अगर कोई सीरियस नज़र आए? तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो वाकई सीरियस है.. कई बार लोग अपने इमोशन्स को ज़ाहिर नहीं करते हैं. इसके पीछे कई रीज़न हो सकते हैं. लेकिन बहुत ज़रूरी है कि आप इमोशन्स के गणित को अच्छे से समझ लें.
ऑथर सलाह देती हैं कि हम लोगों को “daily feeling journal.” तैयार करने की हैबिट बना लेनी चाहिए. इस आदत की मदद से हम खुद को बेहतर ढ़ंग से समझ पाएंगे. आपको जैसा भी महसूस हो, बिना किसी फिल्टर के उसे प्राइवेट में डायरी में लिखने की आदत डालिए.. ऐसा करके आप खुद की ही मदद कर रहे होंगे.
अपने इमोशन्स को समझना authentic self से मिलने की सबसे अच्छी प्रक्रिया है. इसकी मदद से आप खुद के दिमाग को मज़बूत बना सकते हैं. और आपको तो पता ही होगा कि आज के दौर में दिमागी और शारीरिक तौर मज़बूत होना कितना ज़रूरी है? कमज़ोर लोगों के लिए सर्वाइव करना बहुत मुश्किल है. इसलिए खुद को मज़बूत बनाने के लिए दिन रात एक कर दीजिए.
आखिर आप क्यों परेशान हैं? खुद की खोज़ में निकलिए
गीतकार तनवीर गाज़ी ने क्या ख़ूब लिखा है कि तू खुद की खोज में निकल, तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की..समय को भी तलाश है...
हालाँकि, इन पंक्तियों को इस किताब की लेखिका ने तो नहीं लिखा है. लेकिन इनमें वो बात है.. जो लेखिका भी कहना चाहती हैं. लेखिका कहती हैं कि अब समय खुद के आत्मसम्मान को जगाने का आ गया है.. अब खुद पहचान बनाने की ज़रूरत है. इसलिए खुद के वज़ूद की तलाश शुरू कर दीजिए.
जो भी बेड़ियाँ आपकी सफलता को रोक रही हैं.. अभी इसी वक्त उन्हें पिघालने का काम शुरू कर दीजिए. ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि अपनी मुश्किलों को अपनी ताकत में बदल लें.
ऑथर कहती हैं कि हमें खुद के authentic self की तलाश करनी चाहिए.. हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम खुद की आत्मा को फिर से जगा सकें.. उसे बता सकें कि लाइफ को कुछ फेलियर्स खत्म नहीं कर सकते हैं. हमें अपनी ज़िन्दगी से प्यार करना शुरु करना होगा.
आज के समय की सबसे बड़ी दिक्कत ही यही है कि लोग अपने आप से प्यार करना छोड़ दिए हैं. उन्हें इस बात की परवाह ही नहीं है कि उनके शरीर को उनसे क्या चाहिए?
इसी वजह से ज्यादातर लोग कन्फ्यूज़ और दुखी रहते हैं. इसलिए आज ही अपने आप से सवाल करिए कि असल में आप कौन हैं?
जब आप खुद को समझने लगेंगे तो आपको नज़रिए के महत्व के बारे में भी पता चलेगा.. आपको पता चलेगा कि कहीं आप गलत नज़रिए की वजह से तो दुखी नहीं थे?
एग्जाम्पल के लिए सीटी का उदाहरण लेते हैं.. वैसे हमारे यहां कई इलाक़ों में सीटी बजाने को बहुत बुरा माना जाता है. मगर, दुनिया में बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जो सीटी के ज़रिए बातें करते हैं. सीटी भी इंसान के संवाद का एक ज़रिया है. कई इलाक़ों में सीटी तो एक ज़बान है. मसलन, दक्षिणी चीन में रहने वाले हमॉन्ग जनजाति के लोग ख़ास तरह की सीटी बजाकर एक दूसरे से बात करते हैं. दूर-दराज़ के खेतों में काम कर रहे हमॉन्ग किसान भी सीटी के ज़रिए एक दूसरे से बातें करते हैं.
लेकिन सीटी का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल तो मोहब्बत करने वाले जोड़े करते हैं. रात के अंधेरे में जब आशिक़ गांव की गलियों से गुज़रते हैं, तो सीटी बजाकर तो कोई नज़्म या कविता गाते हुए निकलते हैं.
अगर लड़की भी उसी अंदाज़ में जवाब देती है, तो फिर बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि ऐसे प्रेमी जोड़े सीटी की इस धुन पर भी ख़ुफ़िया ज़ुबान में बातें करते हैं.
अब आप खुद सोचिए कि जिस सीटी को कई जगह अभद्रता की निशानी माना जाता है. उसे दूसरे नज़रिए से देखें तो संवाद यानि कम्युनिकेशन का तरीका भी बन सकती है. इस दुनिया में अच्छा और बुरा का पूरा खेल ही नज़रिए पर टिका हुआ है. इसलिए हमें अपने नज़रिए को बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए. अगर हम अपने नज़रिए को बेहतर कर लें.. तो हम दुःख के आधे खेल को ही खत्म कर सकते हैं.
इसलिए आज से ही खुद की खोज़ में निकलिए और बेहतर बनने की कोशिश शुरू कर दीजिए.
कुल मिलाकर
याद रखिएगा कि बुरे लोग और काँटो से बचने के सिर्फ दो ही तरीके हैं या तो उनको पैरों तले कुचल दें या उनसे दूर रहें... इन दोनों का धर्म एक जैसा ही है.. जिस तरह काँटे आपके पैरों में चुभकर आपको चोट पहुंचा सकते हैं और आपको आगे जाने से रोक सकते हैं, उसी तरह बुरे या दुष्ट लोग आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं और आपके success के रस्ते में रुकावट बन सकते हैं. उनके पास रहोगे तो यह आपको हर हाल में नुकसान पहुंचाएंगे.. इसलिए कोई चीज या व्यक्ति अगर नुकसानदायक हैं और आप उनसे निपट नहीं सकते तो उनसे दूर रहना ही बेहतर है.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे How to Meet Your Self by Dr. Nicole LePera
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
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