Unfinished Business

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Unfinished Business

Anne-Marie Slaughter
महिलायें, पुरुष, काम और परिवार

दो लफ्जों में
अनफिनिश्ड बिज़नेस (2015) हमारे एक बहुत बड़े सवाल का जवाब देती है। क्या हमारी मॉडर्न सोसाइटी में  महिलाओं और पुरुषों के लिए सब कुछ पाना मुमकिन है? क्या हम एक अच्छा पारिवारिक जीवन और शानदार करियर की उम्मीद एक साथ कर सकते हैं? जैसे जैसे हम इस किताब की समरी को पढ़ेंगे, हम पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करना सीखेंगे। ये करना मुमकिन भी है और जितना आप सोचते है उससे कही ज्यादा आसान भी है। यह किसके लिए है
- महिलाएं जो एक सक्सेसफुल करियर और एक खुशहाल परिवार चाहती हैं। 
- सीईओ जो एक माँ के अनुकूल वर्कप्लेस बनाना चाहते हैं। 
- पुरुष जो रिलेशनशिप में इक़्वालिटी के बारे में और जानना चाहते हैं। 
लेखक के बारे में
ऐनी मैरी स्लॉटर नॉनपार्टिसन थिंक टैंक न्यू अमेरिका की प्रेसीडेंट और सीईओ हैं। अंतर्राष्ट्रीय कानून में उनके शानदार अकादमिक कैरियर के कारण उनके आर्टिकल्स को कई प्रकाशकों ने छापा है, और वह अमेरिका स्टेट डिपार्टमेंट में पॉलिसी प्लानिंग की डायरेक्टर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं।यह किताब आप को क्यों पढ़नी चाहिए
पुराने दिनों में, एक महिला के पास सक्सेसफुल करियर होने की संभावना बहुत कम होती थी। जुनून और प्रतिभाओं के बावजूद, महिलाओं से उम्मीद की जाती थी कि वो घर पर रहें और बच्चों की देखभाल करें। अच्छा है कि लोगो की सोच बदली है, और अब महिलाएं सब कुछ पा सकती हैं- एक साथी, बच्चे, और एक कैरियर भी।

लेकिन अगर ये सच है तो बहुत सारी कामयाब महिलाएं सिंगल क्यों हैं? और बहुत सारी शादी शुदा महिलाओं का करियर बच्चों के पैदा होने के बाद ख़तम क्यों हो जाता है?

अनफिनिश्ड बिज़नेस किताब की इस समरी में आप उन कई गलत चीजों के बारे में जानेंगे, जिनका सामना आज भी महिलाएं करती हैं - और किस तरह आप भी उनकी इस हालत के लिए जिम्मेदार हैं। जब आप समझ जाएंगे की महिलाओं को कामयाब होने से क्या चीज़ रोक रही है, तो आप बदलाव के लिए अच्छी तरह से काम करेंगे। 

 

- सुपरवूमन बनने की कोशिश आपको कमजोर बना सकती है;

- आपके देश में सभी महिलाओं पर आपके बोलने के तरीके से क्या असर पड़ता है; और 

- और क्यों परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने का मतलब अपने काम से हाथ धोना होता है।

आज भी, यह आमतौर पर महिला होती है जो परिवार के लिए अपना करियर छोड़ देती है।
पुरुषों के लिए एक सक्सेसफुल करियर और खुशहाल परिवार होना आम बात है, लेकिन अगर आप एक महिला हैं तो आपके लिए ये दोनों चीज़ें आपको एक साथ हो पाना बहुत मुश्किल है।  

किसी भी क्षेत्र में कामयाब होने के लिए आपको अपने काम पर बहुत सारा टाइम और एनर्जी देनी पड़ती है। लेकिन अगर एक कपल के बच्चे हैं, तो पुरुष के लिए काम करना आसान हो जाता है। 

ऐसा इसलिए होता है क्यों कि ज्यादातर लोग ट्रेडिशनल जेंडर रोल्स का पालन करते हैं जहां पर पुरुष घर चलाने के लिए पैसे कमाता है और महिला से उम्मीद की जाती है कि वह घर पर रहकर बच्चों की परवरिश करे।  

इसका परिणाम ये है कि ज्यादातर महिलाएं अपने पति के फैसले का समर्थन करती हैं, और अपने काम का समय अपने परिवार को दे देती हैं।

लेकिन भले ही वे अपने जॉब को बहुत सीरियसली लें, और अपने जीवन के हर कदम पर अच्छे से प्लानिंग करते हों, फिर भी महिलाएं अपने करियर और परिवार को एक साथ मैनेज नहीं कर पाती हैं।

फेसबुक के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सैंडबर्ग को लगता है कि अगर आप अपने करियर पर फोकस करते हैं तो कुछ भी संभव है। लेकिन अगर आपके 2 बच्चें है और आपका वर्क स्केडुल फ्लेक्सिबल नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने काम को लेकर कितना फोकस्ड है; क्योकि आपका फोकस ना चाहते हुए भी आपके काम से हटकर आपके परिवार कि तरफ चला जाएगा। 

कुछ महिलाओं को लगता है कि एक अच्छा पति घर की जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से बांटेगा - इस तरह उन्हें अपने करियर को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह कभी कभार ही हो पाता है।

सच्चाई ये है कि, ज्यादातर पुरुष अपने करियर को कभी छोड़ना नहीं चाहते हैं। उदाहरण के लिए, एक महिला, जिससे लेखक एक कांफ्रेंस में मिली थीं, ने बताया कि उसकी सारी सहेलियां जो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से ग्रदुएटेड थी अपने करियर को लेकर बहुत ज्यादा पैशनेट थी। उन सबने उन लोगों से शादी की जिन्होंने बोला था कि वो हर काम में इक़्वालिटी दिखाएंगे। एक बार जब उन्होंने परिवार शुरू कर दिया, तो पुरुष परिवार के लिए अपना करियर छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए महिलाओं ने अपना करियर छोड़कर बच्चे को सँभालने को प्राथमिकता दी।

एक पिता का घर में रहना बहुत जरुरी है, लेकिन अगर पुरुष परिवार के साथ समय बिताता है तो उसे ये बहुत महंगा पड़ता है।
सिर्फ महिलाएं ही नहीं है जो करियर और परिवार को एक साथ पाने के लिए स्ट्रगल करती हैं। सच्चाई ये है कि कई पुरुष अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं, लेकिन वो चाह कर भी अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं।

काम और जिंदगी के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए पुरुष भी स्ट्रगल करते हैं। और कई पुरुष अपने परिवार के साथ समय ना बिता पाने से बहुत दुखी रहते हैं।

पॉलिएटिव केयर में काम करते हुए, लेखक ब्रॉनी वेयर ने पाया कि जैसे-जैसे लोग (पुरुष) मौत के करीब पहुंचते हैं, उन्हें अफसोस होता है कि वे अपने बच्चों के साथ नहीं थे जब वे बड़े हो रहे थे, और उन्होंने अपने जीवनसाथी के साथ भी ज्यादा समय नहीं बिताया।

इस अफसोस के बावजूद भी, यदि वो एक फ्लेक्सिबल जॉब करते हैं या अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने के लिए अपना करियर छोड़ देते हैं तो पुरुषों को डरपोक माना जाता है।

युवा वकील रेयान पार्क ने यही किया था। अपनी बेटी के साथ घर पर रहने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। आस पास के सभी लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी जॉब छोड़ी है। लोगों को लगता था कि रेयान अपने प्रोफेशनल लाइफ में फेल हो गए हैं।

यह बहुत बुरी बात हैं कि माँ का प्यार इतना ज्यादा पॉपुलर हैं लेकिन लोग ये नहीं समझते कि बच्चों को अपने पिता की भी उतनी ही जरुरत होती है जितनी उन्हें अपनी माँ की जरुरत होती है।

बच्चों को माँ की जरूरत होती है, ये सच हैं लेकिन उन्हें पिता, दादा-दादी, भाई-बहन आदि की भी जरूरत होती हैं। एक बच्चे को माँ कि जरुरत सिर्फ तभी होती हैं जब वो माँ के पेट में होता हैं और जब उसे ब्रेस्टफीड कि जरुरत होती है। इसके अलावा, बच्चे की देखभाल माँ करे या बाप इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है।

यह कई स्टडीज से वेरीफाई किया गया है कि गे पेरेंट्स द्वारा पाले गए बच्चें स्ट्रैट पेरेंट्स द्वारा पाले गए बच्चों के तुलना में बहुत वेल-अडजस्टेड होते हैं। बच्चों को प्यार, स्टेबिलिटी, देखभाल, पोषण और कंसिस्टेंसी की जरुरत होती है; यह जरूरी नहीं कि उन्हें सिर्फ माँ का प्यार मिले।

वर्किंग मदर्स की सहायता करने के बजाय, समाज उनसे असंभव उम्मीदें रख कर उन पर बोझ डाल देता है।
यदि माँ बनने के बाद किसी महिला का करियर रुक जाता है, तो शायद यह उसी की गलती है: उसमे जरूर जुनून की कमी है। या हो सकता है कि ये काम उसके बस का नहीं है, या वो करियर और परिवार को एक साथ संभाल नहीं सकती है।

जाहिर है, यह बातें बकवास है। फिर भी, लोगों का यही मानना है। 

हालाँकि यहाँ समस्या क्षमता या जुनून की कमी नहीं है। बल्कि, एम्प्लॉयर्स वर्किंग मदर्स की सहायता करने में नाकाम होते हैं। 

ज्यादातर वर्कप्लेसेस में फ्लेक्सिबल स्केडुल से काम कर पाना मुश्किल होता है। जिसके कारण मदर्स अपनी योग्यता के स्तर से बहुत नीचे की नौकरियों करनी शुरू कर देती हैं, जहां वे अपने समय के हिसाब से काम कर सकती हैं। इस तरह के काम उनके लिए अच्छे होते है जहां पर वो तेजी से काम करके बचे हुए समय में बच्चों की देख रेख कर सकती हैं। 

इसके अलावा, वर्किंग मदर्स को न केवल पुरुषों की तुलना में कम सैलरी मिलती है, बल्कि सिंगल महिलाओं की तुलना में भी कम सैलरी मिलती है। उदाहरण के लिए, 2013 में, सिंगल महिलाएं पुरुष की तुलना में 96 परसेंट की कमाई करती थी; जबकि मांएं पुरुष की तुलना में सिर्फ 76 परसेंट की कमाई करती थी।

और, समाज वर्किंग मदर्स से उम्मीद रखता है कि वो एक परफेक्ट माँ और परफेक्ट एम्प्लोयी बनें। इस सामाजिक दबाव से साफ़ दिखता है कि महिलाएं खुद से क्या उम्मीद करती हैं।

उदाहरण के लिए, एक फिजिशियन ने लेखक को बताया था कि वह 80 घंटे के वर्क वीक के कारण एक अच्छी माँ नहीं बन पायी और अपने दोनों बच्चों के लिए उन्हें हमेशा बुरा लगता है। लेकिन साथ ही उन्हें इस बात के लिए भी बुरा लगता है कि वो अपने काम पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाती हैं। 

अगर आप एक वर्किंग मदर हैं तो आप को भी बुरा लगता होगा ये देखकर कि आपके कुलीग काम करते हैं और आप नहीं। लेकिन इसमें बुरा लगने कि कोई वजह नहीं है। क्योंकि ज्यादा काम करने से आपकी अच्छे तरह से काम करने की क्षमता कम हो जाती है। 

रिसर्च बताते हैं कि ज्यादा देर तक काम करने से हमारी एफिशिएंसी और फोकस पर बुरा असर पड़ता है, जबकि थोड़ी देर ब्रेक लेने से हम अच्छी तरह से काम कर पाते हैं।

लेखक ने ये एक लॉ फर्म में काम करते हुए एक्सपीरियंस किया। वह रात को सिर्फ 5 घंटे सोती थीं, जिसकी वजह से वो हमेशा नर्वस रहने लगीं और चीजें भूलने लगीं। ये इतना बुरा हो गया था कि वो अपने रिसर्च असिस्टेंट के साथ बात करते करते बीच में ही भूल गयी कि बात क्या थी।

जिस इंसान को किसी की देखभाल करनी होती है, उसे कुछ नुकसान का सामना करना पड़ता है।
आज की दुनिया में, मदर टेरेसा को शायद ऑफिस में काम करने से ज्यादा इज्जत मिलेगी ना कि बीमार लोगों कि सेवा करने से। 

सारे पेरेंट्स मदर टेरेसा तो नहीं बनना चाहते, फिर भी उन्हें अपने बच्चों का ख्याल तो रखना होता है। और जिस किसी को भी किसी देखभाल करनी होती है, चाहे एक दिन के लिए या सालों के लिए, उन्हें उनकी नौकरी में बहुत नुकसान होता है।

कोई भी महिला अपने करियर में कितनी भी सफल क्यों न हो, एक बार वह अपने बच्चों के साथ घर पर रहने के लिए अगर अपनी नौकरी छोड़ देती है, सभी एम्प्लॉयर्स उस महिला के कामों और अचीवमेंट्स को भूल जाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि एक होनहार महिला वकील पार्ट टाइम काम करने का फैसला करती है या अपने बच्चों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ देती है, तो उसका करियर ख़तम हो जाता है।

यह सिंगल मदर्स के लिए और भी बुरा है, जो आमतौर पर अपने बच्चों के साथ घर पर रहने के लिए नौकरी छोड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकती हैं। यही रोड आइलैंड की एक सिंगल मदर मारिया के केस में हुआ, जो एक कारखाने में साड़े सात डॉलर प्रति घंटे के लिए काम करती थीं। जब उनकी शिफ्ट एक दिन छूट गई क्योंकि उनका बेटा बीमार था, तो उन्हें दो सप्ताह के लिए ससपेंड कर दिया गया था, और बाद में उनकी सैलरी भी कम कर दी गई थी।

अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं के लिए यह और भी बुरा है। कई पीढ़ियों तक, अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए घर पर रहना अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं के लिए एक सपने जैसा था। अपने बच्चों के लिए चीजें जुटाने का एकमात्र तरीका उन्हें घर पर अकेला छोड़ना और दूसरे लोगों के बच्चों की देखभाल करना था।

और दूसरों के बच्चों की देखभाल करना कई मायनों में फायदेमंद था। लेकिन यह ऐसा काम है जिसको लोग अच्छा नहीं मानते हैं। हम केयर-गिविंग काम को कितना महत्व देते हैं, यह पता लगाने का सबसे आसान तरीका है ये देखना कि हम इस काम को करने के लिए कितना पैसा देते हैं। और जैसा कि यह पता चला है, केयर गिवर्स को उनके काम के लिए भारत में बहुत कम पैसे मिलते हैं।

इसके बाद, हम देखेंगे कि हम महिलाओं और पुरुषों के लिए चीजों को कैसे बेहतर बना सकते हैं।

जेंडर इक़्वालिटी की तरफ पहला कदम बढ़ाने के लिए हमें अपनी रूढ़िवादी धारणाओं को छोड़ देना चाहिए।
जब हम पुरानी मैगजीन्स या टीवी शो देखते हैं, तो सभी बेतुकी जेंडर धारणाओं को देखकर हसतें है। लेकिन आज भी, कई तरह से, ये धारणाएं हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं।

जेंडर धारणाएं और रोल एक्सपेक्टेशंस महिलाओं (और पुरुषों) के कामों को सीमित करते हैं, इसलिए उन धारणाओं पर रोजमर्रा की जिंदगी में सवाल उठाना एक अच्छा आईडिया है। धारणाएँ और अपेक्षाएँ हमारे बिहेवियर को प्रभावित कर सकती हैं, जिसके कारण कभी कभी हम खुद ही कोई काम करने से डरते हैं।

उदाहरण के लिए, कई महिलाएं यह मानती हैं कि वह अपने साथी की तुलना में केयर गिविंग ज्यादा अच्छे से कर सकती हैं क्योंकि समाज ने उन्हें ये बताया है। इसी कि वजह से वो केयर गिविंग का काम करना ज्यादा पसंद करती हैं। हो सकता हैं कि उनके अपने आप को लेकर ये अनुमान गलत हों। 

जब तक महिलाओं का ये मानना ​​है कि वें बच्चों की परवरिश या गृहकार्य करने में बेहतर हैं, वे अपने साथी के पालन-पोषण के स्टाइल को कंट्रोल और क्रिटिसाइज करेंगी। लेकिन कोई भी पार्टनर इस तरह कि निगरानी में काम करना पसंद नहीं करता है, और क्रिटिसिज़्म को झेलने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है।

और अगर किसी आदमी को बार-बार बताया जाता है कि वह किस तरह अपने बच्चों की देखभाल के लिए अनफिट है, तो वह इस पर विश्वास करना शुरू कर देता है। परिणामस्वरूप, वह बच्चों के साथ समय बिताने से बचते हैं और बच्चों को पालने का हुनर भी नहीं सीख पाते हैं।

इन रूढ़िवादी धारणाओं को छोड़ने के लिए, आपको सुपरवुमन की छवि को छोड़ना होगा। कई महिलाओं को लगता है कि वो हर काम में परफेक्ट हो सकती हैं, और उन्हें बस कड़ी मेहनत करना है, कम सोना है, और चेहरे पर मुस्कराहट रखनी है।

लेकिन जब तक आप अपनी थकावट को छिपाते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बिना किसी शिकायत के निभाते हैं, तब तक आपके साथी को कभी पता नहीं चलेगा कि आपको मदद की ज़रूरत है।

सुपरवुमन के लिए सब कुछ कंट्रोल करना आसान हो सकता है, लेकिन आप सुपरवुमन नहीं हैं - और न ही आपको होना चाहिए। यदि आप वास्तव में चाहती हैं कि आपका साथी घर पर बराबरी दिखाए, तो उन्हें आपकी मदद करने दें।

वर्किंग मदर्स की स्थिति में सुधार के लिए आप अपने एक्शन और रिएक्शन में बदलाव लाएं।
हमारे शब्द बहुत शक्तिशाली होते हैं।

दरअसल, हम किस बारे में और कैसी बात करते हैं, यह जेंडर रोल एक्सपेक्टेशंस को बहुत प्रभावित करता है। हम जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और जिन विषयों पर चर्चा करते हैं, वे हमारे ऐटिटूड को दर्शाते हैं, और बाकि लोगों के जजमेंट्स को भी प्रभावित करते हैं।

उदाहरण के लिए, वर्किंग मदर्स से हमेशा पूछा जाता है कि वे किस तरह से काम और परिवार को संभालती हैं। लेकिन ऐसा लगता है, उस सवाल में ये कहा गया है कि बच्चों की देखभाल करना एक महिला की जिम्मेदारी है। बता दें कि, पुरुषों से शायद ही ये सवाल पूछा जाता है।

आपके पास इस धारणा को पलटने की शक्ति है। अगर आप किसी व्यक्ति का नौकरी के लिए इंटरव्यू ले रहे हैं, तो उससे पूछें कि वह घर पर अपनी जिम्मेदारियों को और ऑफिस के कामों को एक टाइम पर कैसे मैनेज करेगा। 

अगर वो ऐसे एक्प्रेशन देता है जैसे, "ऑफिस छोड़ दूंगा परिवार के साथ समय बिताने के लिए"तो जाहिर है आप उसे नौकरी नहीं देना चाहेंगे। लेकिन ये दिखता है कि वो अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चुनते हैं।

इन सब के अलावा, कुछ प्रैक्टिकल चीजें हैं जो आपको काम और परिवार के बीच सही संतुलन बनाने में मदद कर सकती है।

सबसे पहले, जब आप एक परिवार शुरू करते हैं तो यह तय करना बहुत जरुरी है कि आप अपनी नौकरी रखना चाहते हैं या नहीं।

बच्चों की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, कई महिलाओं को लगता है कि वापस नौकरी कर पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए, यदि आप अपने करियर को बनाए रखने का सोचते हैं, तो आपको स्ट्रैटेजीकली अपने करियर पर काम करने की जरुरत है, जैसे कि, अपने करियर नेटवर्क के बारे में अप-टू-डेट रहें।

यदि आपका काम मुश्किल और इन्फ़्लेक्सिबल है, तो आपको स्थिति को सुधारने के लिए बात करने की जरुरत है। एक तरीका यह हो सकता है कि आप अपने कामकाज़ी माहौल के बारे में रिसर्च करें कि किस तरह महिलाओं ने काम किया है और इसे अपने बॉस को दिखाएँ।

कुल मिलाकर
यह बहुत बुरी बात है कि वोर्किंग पेरेंट्स को वर्कप्लेस पर अनुचित भेदभाव और अन्याय का सामना करना पड़ता हैं। करियर और परिवार दोनों पाने के लिए, हमें अपनी संस्कृति को बदलने की जरुरत है और साथ ही ऐसा जीवन साथी चुनने की जरुरत है जो इक़्वालिटी को समझें।

 

काम को कम्पीटीशन ना बनने दें।

अगली बार जब कोई आपको गर्व से बताने लगे कि उसने पिछले सप्ताह कितने घंटे काम किया है, तो उसे अन्य चीजों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि वह अपना खाली समय कैसे बिताना पसंद करते हैं, या हाल ही में उसने कौन सी अच्छी फिल्में देखी है। यह तकनीक लोगों को यह याद दिलाने का एक शानदार तरीका है कि एक अच्छी लाइफ सिर्फ ऑफिस में मजदूरी करना नहीं है।


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