Melissa Mohr
स्वेयर वर्ड्स यानि अपशब्दों का इतिहास
यह समरी पढ़ने से पहले हम अपने रीडर्स को वार्न करना चाहेंगे कि इस समरी में ऑफेंसिव लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया है
दो लफ्जों में
होली शिट(2013) अपशब्दों की एक हिस्टोरिकल जर्नी है. एशिएंट रोम से आज तक, यह समरी अलग-अलग टाइम पीरियड और कल्चर में इस्तेमाल किए जाने वाले अपशब्दों और वल्गैरिटी के डिवलप्मेंट को पेश करती है.
किनके लिए है
- लैग्वेज लवर्स के लिये
- हिस्टोरियन एंथ्रोपॉलजिस्ट और कल्चरल स्टडीज़ के स्टूडेंट्स के लिए
- उन लोगों के लिए है, जो गाली गलोज वाले वर्ड्स के लिये थोड़े रिफाइंड शब्दों का इस्तेमाल करना चाहते हैं
लेखक के बारे में
मलीसा मोहर एक राइटर हैं जिनके पास इंग्लिश लिटरेचर में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की पीएचडी है. इन्हें मिडीवल और रिनैन्सेन्स लिटरेचर में स्पेशलाइजेशन हासिल है.
रोमन्स मल्लाह की तरह गालियां देते थे, लेकिन उनकी वजहें मॉडर्न वजहों से अलग थीं
हम सब ने किसी ना किसी को मूवी या टीवी पर आने वाली रूड लैंग्वेज को लेकर शिकायत करते देखा है, और हमें जिन शब्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता वह दूसरों के लिए ऑफेंसिव हो सकते हैं, जानिए जो वर्ड्स आपके कानों में चुभते हैं वह दरअसल हमारे पुरखों द्वारा आम बोलचाल में इस्तेमाल किए जाते थे.स्वेयर वर्ड्स की हिस्ट्री में आपका स्वागत है!
गाली गलौज, बुरे शब्द और कसम यह चीज़ें हिस्ट्री में कोई नयी डेवलपमेंट नहीं है, इस तरह के वर्ड्स हमारे बीच हमेशा से रहे हैं, बस ऑफेंसिव वर्ड्स वक्त के साथ बदलते रहे हैं. बिल्कुल म्यूजिक के ट्रेंड की तरह, कुछ वक्त के साथ वापस लौटे और कुछ हमेशा के लिए भुला दिए गए. यह समरी उन वर्ड्स को लेकर आपकी क्यूरॉसिटी का जवाब देंगी और बताएंगी कि आखिर हम अपशब्दों का इस्तेमाल करते ही क्यों हैं.यह समरी पढ़ने से पहले हम अपने रीडर्स को वार्न करना चाहेंगे, क्योंकि जैसा कि आप समझ गए होंगे इस समरी में ऑफेंसिव लैंग्वेज का इस्तेमाल है. इस समरी में आप जानेंगे कि, कैसे विक्टोरिया ने "leg" शब्द को रिक्रिएट किया? ऐसा कौन सा शब्द है जो मॉडर्न ज़माने का स्वेयर वर्ड है लेकिन मिडिल एज में यह रोजमर्रा की बातों का हिस्सा था? और "fuck" शब्द 20 वीं सेंचुरी के पहले आधे हिस्से में क्यों पॉपुलर हुआ?
तो चलिए शुरू करते हैं!
इमेजिन कीजिए कि आप इटली के पॉम्पी कॉलम लाइन वॉकवेज़ पर टहल रहे हैं, एक ऐसा शहर जो 2,000 साल पहले जैसा ही प्रिजर्व किया गया है. जैसे-जैसे आप रोमन के आर्किटेक्चरल व्यू को देख रहे हैं और इसकी हिस्ट्री को समझने की कोशिश कर रहे हैं, अचानक से आपकी नज़र एक ऑफेंसिव ग्राफिटी पर जाती है.बिल्कुल, रोम के लोग बुरे शब्दों से अनजान नहीं थे, हालांकि उनका तरीका आज के मुकाबले थोड़ा अलग था. एशिएंट रोम में कौन सा वर्ड कितना ऑफेंसिव होगा यह उस वक्त, सेक्स और जेंडर को लेकर लोगों की क्या सोच थी इस पर डिपेंड था.आज की तरह सेक्शुएलिटी को लेकर हेट्रोसेक्सुअल और होमोसेक्सुअल का नजरिया रखने के बजाय रोमन्स के लिए सेक्स एक्टिव या पैसिव एक्ट था. सेक्स के दौरान एक्टिव रोल निभाना मैस्कुलैनिटी था, इसलिए जब कोई मेल पैसिव एक्ट करता तो यह जमाने में बहुत ऑफेंसिव माना जाता था. रोमन के सेक्सुअल नॉर्म्स के तहत एक एक्टिव आदमी में पेनेट्रेशन की ख्वाहिश होनी चाहिए, चाहे वह ख्वाहिश मर्दों के लिये हो, औरतों के लिये या लड़कों के लिये, यह बिल्कुल इर्रिलिवेंट था.इसलिए इस कल्चर के तहत रोम में किसी आदमी को ह्युमिलिएट करना हो तो उसके लिए "cunnum lingere" शब्द का इस्तेमाल होता था, जिसे आज हम "cunnilingus" कहते हैं. नतीजतन पॉम्पी के उस ग्राफिटी में "corus cunnum lingit" लिखा था जिसे अंग्रेजी में "corus lick cunt" कहा जाता है. आज के जमाने में ऐसे किसी भी वर्ड को पढ़ना शॉकिंग हो सकता है, रोमन के ज़माने में भी यह वर्ड इतना ही वल्गर था.Cunnilingus को लेकर इस तरह की रोक उस वक्त के रोमन कल्चर के बारे में बताती है कि किसी को पेनेट्रेट करने की ख्वाहिश अच्छी है, लेकिन किसी के द्वारा पनेटरेट किए जाना फेमिनिटी का सिम्बल है. इसलिए कोई भी ऐसा आदमी जो पेनेट्रेशन की काबिलियत रखने के बावजूद पेनेट्रेट किये जाना चुनता करता था, उसके लिए यह शर्म और ना मर्दानगी की बात थी.
एक रोमन एपिग्राम जो इस फैक्ट को हाइलाइट करता है, वह कुछ इस तरह है, "Zoilus, you spoil the bathtub washing your arse. To make it filthier, Zoilus, stick your head in it" इसका हिंदी मतलब है, चुंकि ज़ोलियस ने cunnilingus यानि ओरल सेक्स किया था, इस लिये कोई उसे कह रहा है कि तुम्हारा मुंह मेरे पिछले हिस्से से भी गंदा है.
पुराने एविडेंस रिलीजियस स्वेयरिंग के सबूत पेश करते हैं
तो, एशिएंट रोमन्स लोगों को बेइज्जत करने के लिए उसके ओरल सेक्स करने का दावा करते थे. पुराने डॉक्यूमेंट से अलग तरह की स्वेयरिंग यानि कसम का पता चलता है. यहां पर स्वेयरिंग का इस्तेमाल लोगों को ऑफेंड करने के लिए नहीं बल्कि दावों पर सच की मोहर लगाने के लिए किया जाता था.दूसरी तरह कहा जाए, तो पुराने सबूत इस बात का दावा करते हैं कि लोग भगवान की कसम खाते थे, क्योंकि यह सोसाइटी के स्मूथली चलने के लिए जरूरी था.कसम भगवान के सामने किया गया वादा होता था इसका मतलब है अगर कोई भगवान की कसम खाकर कुछ कहता है, तो शख्स वो काम जरूर करेगा. भगवान की कसम खाने का मतलब ऊपर वाले को, कहने वाले की बातों का गवाह बनाना था. कुछ इस तरीके से ऊपरवाला किसी भी एग्रीमेंट और डील की शर्तों का गवाह होता था ताकि कोई भी एग्रीमेंट और डील आसानी से किया जा सके.यकीकन, अगर भगवान की कसम खायी जाती थी, तो इसका मतलब है कि वह इस चीज को बहुत सीरियसली लेते थे. इसलिए जब भी कोई इंसान कसम खाता था तो उसकी बातों को सच मान लिया जाता था. झूठी कसम खाने को गुनाह और बर्बादी की वजह समझा जाता था.यहां पर लॉजिक यह था की झूठी कसम में भगवान को उस काम का गवाह बनाया जाता जो कभी होने वाला ही नहीं है, ऐसे में यह ऊपर वाले का डिसऑनर है. मिसाल के तौर पर "by God" और By God hand" जैसे सेंटेंस बाद में एक कसम बन गए.इस तरह ऐसे फ्रेज़ेज़ ऊपर वाले को किए गए वादे के बजाय, इंटेंसिफायर मतलब किसी बात पर ज़ोर देने वाले बन गये. बाइबल के तीसरे कमांडमेंट के मुताबिक, ऐसे शब्दों का बिना वजह इस्तेमाल, ऊपर वाले की तोहीन है.
पुराने जमाने में बातों पर मुहर लगाने के लिए या सामने वाले को अपनी बात का पाबंद बनाने के लिए कसमें खाई जाती थी, लेकिन नए लॉजऑब्सीन लैंग्वेज पर फोकस करते है, खासतौर पर इसके रेगुलेशन पर, ऐसा करने के लिए स्पीच रूल्स बनाए गए हैं, इन रुल्स में वल्गर लैंग्वेज या यूफिज्म, मतलब कहने की नियत कुछ और हो उसे घुमा फिरा कर किसी और तरह कहा जाये, की पाबंदी है.
मिसाल के तौर पर, पुराने लॉज यूफिज्म से भरे पड़े हैं जैसे कि सॉग ऑफ सॉग नाम की किताब में एक पैसेज कुछ इस तरह है, "My beloved thrust his hand into opening, and my inmost being yearned for him" यहां पर hand शब्द का मतलब जेनिटल से है हालांकि कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि किसी एक राइटिंग पीस का सेक्स से कोई लेना देना नहीं है यह इसराइल के लिए ऊपर वाले के प्यार पर लिखा गया है.नये टेस्टामेंट में जीसस खुद यूफिज्म से रोकते हैं, और कहते हैं कि "मरने के बाद हर किसी को अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए हर शब्द का हिसाब देना होगा," जीसस के मुताबिक, झूठ, वल्गर लैंग्वेज और दूसरों को तकलीफ देने वाली बातों से बचना काफी नहीं है, ऐसी कोई भी बात जिसका अच्छा असर ना हो बेकार है.हालांकि नया टेस्टामेंट लोगों को किसी भी तरह की वल्गर लैंग्वेज का इस्तेमाल करने से रोकता है लेकिन इसमें उतना वज़न नहीं जितना वल्गर लैंग्वेज में किसी से बुरा काम करवाने की ताकत है. इन वल्गर लैंग्वेज की अपनी अलग कैटेगरी होती है और क्रिश्चियन मिशनरीज़ के मुताबिक गलत लैंग्वेज का इस्तेमाल दिमाग में गलत ख्याल ले आता है जिसके चलते इंसान गलत काम करता है.
मिसाल के तौर पर, यीफेज़ियन को लिखे लेटर में लिखा था कि दो गैरशादीशुदा के बीच सेक्सुअल रिलेशन और इंप्योरिटी रिफर नहीं की जानी चाहिए. खास तौर पर कहा गया है कि क्रिश्चियन्स को ना सिर्फ गलत काम से बचना चाहिए बल्कि ऐसे किसी शब्द के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए जो सामने वाले के मन में गलत ख्याल ला सकता है चाहे वह सेक्सुअल हो या स्कैटोलोजिकल.
मिडिवल एरा में तरह तरह की कसमें खाई जाती थी लेकिन धार्मिक कसमों को सबसे ज्यादा वैल्यू दी जाती थी
बहुत सारे लोगों को लगता है कि bollock, cunt और whore आज के जमाने के शब्द हैं मेडिवल एरा में इन शब्दों पर बहुत कैज़ुअली बात की जाती थी. फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त बॉडी के इन हिस्सों के बारे में बात करना ऑब्सीन नहीं समझा जाता था.मिसाल के तौर पर, cunt और arse जैसे शब्द पर्टिकुलर बॉडी पार्ट्स को बताने के लिए इस्तेमाल होते थे अक्सर यह बच्चों को लैटिन सिखाने के लिए उनकी किताबों में पाए जाते थे. यहां तक कि "तुम से बदबू आ रही है," "तुम्हारे मुंह में गंध," और "वह सबसे बड़ा बुजदिल है" जैसे फ्रेज़ेज़ बच्चों की किताब में होते थे.सिर्फ इतना ही नहीं ह्यूमन एक्सक्रेशन से रिलेटेड शब्दों का भी खूब इस्तेमाल होता था प्राइवेसी जैसी कोई चीज नहीं थी और किसी ह्यूमन फंक्शन से रिलेटेड शब्दों के इस्तेमाल पर रोक नहीं थी. इरास्मस को ही लीजिए, सोलहवीं सेंचुरी के एक स्कॉलर, जिन्होंने पूरे यूरोप में ट्रैवल किया और पढ़ाया भी. उनकी डिक्लेरेशन है कि "लोगों को एक्सक्रेट करते वक्त ग्रीट करना अच्छा नहीं समझा जाता" 1530 के आसपास यह प्रैक्टिस आम थी.
लेकिन मिडिवल एरा में जो चीज ऑफेंसिव थी वह बिना वजह भगवान का नाम लेना था. उस वक्त अगर कोई गलत तरीके से भगवान का नाम लेता था मतलब भगवान की झूठी कसमें खाता था तो इससे लोग शॉक्ड और ऑफेंड दोनों होते थे. इस तरह का एक डोमिनेंट फ्रेज़ "बाय गॉड्स बोन्स" है जो किसी भी स्टेटमेंट को इम्फसाइज करने के लिए इस्तेमाल होता था.बिना वजह भगवान का नाम लेने के साथ ही भगवान की झूठी कसम खाना भी बहुत ऑफेंसिव था. मिडिवल एरा में पॉलिटिकल रिलेशनशिप और लीगल सिस्टम सच्ची कसमो पर ही चलता था.नतीजतन, इंसान की बेगुनाही और गलती कसम के जरिए ही डिसाइड की जाती थी, मतलब अगर कुछ लोग ऐसे मिल जाए जो उस शख्स की बेगुनाही की कसमें खा ले तो कम्प्रगेशन यानि उस वक्त के कानून के हिसाब से उसे रिहा कर दिया जाता था. कसम की इतनी ताकत होने से ही पता चलता है कि झूठी कसम क्यों बहुत बड़ा गुनाह समझा जाता था.
रिनैन्सेन्स यानि पुनर्जागरण के वक्त एक्सक्रेमेशन से जुड़ी ऑब्सिनिटी दोबारा वजूद में आई।यूरोप में 16वीं सेंचुरी के रिफॉर्मेशन के दौरान कसमों का उहदा खत्म हो गया था अब लोग झूठी कसम से ना शॉक होते और ना यह चीज़ें उन्हें ऑफेंड करती थीं. कसमें अब कोई पाक चीज़ नहीं रह गई थी और ऑब्सिनिटी फिर से शुरू हो गई थी.प्रोटेस्टेंट का मानना था कि भगवान का कोई फिजिकल रूप नहीं होता इसलिए उन्हें टच नहीं किया जा सकता. नतीजतन, लोग यह मानने लगे कि कसमे भगवान तक डायरेक्टली नहीं पहुंच सकती और धीरे-धीरे कसमों का उहदा कम होने लगा. साथ ही लोग, इतनी बड़ी तादाद में कसमें खाने लगे कि भगवान की कसम की इंपॉर्टेंस कम खत्म हो गयी.इसी दौरान फ्यूडलिज्म का खात्मा और कैपिटलिज्म का आगाज़ इस कल्चरल बदलाव को और भी कंप्लेक्स बना रहा था. आखिरकार अब नेटवर्क बनाने के लिये कसम खाने की कोई जरूरत नहीं रह गई थी और बाजार अपने आप रेगुलेट होता था. मिसाल के तौर पर अच्छी रिपोटेशन बनाना इकोनॉमिकली फायदेमंद होने लगा इसी दौरान वादों और एग्रीमेंट को कसमों पर तरजीह दी जाने लगी.
और इस बदलाव के साथ ही ऑब्सनिटी मिडिल एज से ज्यादा पॉपुलर हो गई. 16वीं सेंचुरी में प्रिवी का आगाज हुआ एक ऐसी जगह जहां लोग प्राइवेसी इंजॉय कर सकते थे. प्रिवी अमूमन कमरे होते थे जहां लोग गाली गलौज वाले शब्दों के लिए दूसरे शब्द इस्तेमाल करते थे.फिजिकल प्राइवेसी की वजह से लोगों के बीच एक तरह की दीवार खड़ी हो गई और अब वह बॉडी फंक्शन से जुड़े किसी भी शब्द का इस्तेमाल करने में एंबेरेसमेंट का एहसास करते थे, एक ऐसा एहसास जिसका मिडिल एज में नामोनिशान नहीं था.हैरत वाली बात यह है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ तभी एंबेरेसमेंट का एहसास कराता था जब इनमें बराबर या ऊंचे लोगों की इंवॉल्मेंट हो, मतलब आप इन शब्दों के बारे में ऐसे लोगों से डिसकस कर सकते थे जो आपसे क्लास में छोटे हों.
विक्टोरियन इतने सप्रेस्ड कि leg शब्द का इस्तेमाल भी पब्लिकली रोक दिया गया
जैसे-जैसे वेस्टर्न वर्ल्ड में इंडस्ट्रिलाइजेशन ने जोर पकड़ा ब्रिटेन के विक्टोरिया लोगो ने कसम खाने के लिए एक दूसरा ऑप्शन ढूंढ लिया प्राइवेसी सिर्फ अमीरों की लग्जरी नहीं रह गई थी, मिडिल और लोअर क्लास भी प्राइवेसी अफॉर्ड कर सकते थे इसलिए ह्यूमन फंक्शन से जुड़े शब्द चाहे वह एक्स्क्रेशन हो या सेक्सुअल, शर्मनाक बन गए.नतीजतन, ह्यूमन फंक्शन से जुड़े वह शब्द जो पहले कैजुअली इस्तेमाल किए जाते थे अब उनका इस्तेमाल हिडेन तौर पर होने लगा और ऐसे फंक्शन बंद दरवाजे के पीछे ही किए जाने लगे, क्योंकि अब लोग कमरा अफॉर्ड कर सकते थे. इस तरीके से बाथरुम टाइम लोगों के जेहन से ओझल हो गया और इसी वजह से खुलकर इन चीजों पर बात करने पर रोक लगा दी जाए.इंसान के शरीर से निकलने वाले फ्लूड या किसी और चीज के लिए shit और spit जैसे शब्दों की जगह defecate और expectorate जैसे लैटिन शब्द इस्तेमाल होने लगे. लोग ऐसे लैंग्वेज को ज्यादा रिफाइंड और वेल एजुकेटेड लोगों की भाषा समझते थे.लेकिन जैसे-जैसे स्पीच का संबंध क्लास से होने लगा, बॉडी के नॉर्मल पार्ट्स को भी मेंशन करने से लोग बचने लगे.
विक्टोरियन सोसाइटी में क्लास डिफरेंस था और अपर क्लास के लोग ही रिफाइंड लैंग्वेज का इस्तेमाल करते थे, वही ज्यादा डायरेक्ट लैंग्वेज का इस्तेमाल अनएजुकेटेड और लोअर क्लास का काम समझा जाता था.नतीजतन, कसम खाने को इग्नोरेंस से कनेक्ट किया जाने लगा, माना जाने लगा कि जो लोग कसम खाते हैं उनमें खुद को अच्छे से रिप्रेज़ेंट करने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल नहीं होती. इसकी वजह से मिडिल क्लास ने ऐसे शब्दों से दूरी बना ली जिन पर रोक थी, ताकि वह लोअर क्लास से डिफरेंस बरकरार रख सके.यहां तक कि पोलाइट कंवर्जेशन में किसी भी तरह की बॉडी पार्ट्स की तरफ हिंट करना भी बहुत बड़ी कम्युनिकेशन मिस्टेक समझा जाता था. मिसाल के तौर पर उस वक्त trouser शब्द का इस्तेमाल पूरी तरीके से मना था क्योंकि जब आप पोलाइट कन्वर्सेशन में trouser शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो इससे टांगों के बिना कपड़ों का ख्याल आता है जिसके चलते दिमाग में शरीर का दूसरा हिस्सा भी आ सकता है.कुछ इसी तरह leg शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता था इसकी जगह limb शब्द को तरजीह दी गई. एक वक्त पर limb शब्द भी ऑब्सीन समझा जाने लगा क्योंकि यह lower extremity के लिए यूफिज्म था.
विक्टोरियन एरा में ऑब्सिनिटी स्वेयर वर्ड बन गई थी क्योंकि लोग इसका इस्तेमाल मेटाफोरिकली करने लगे थे। यहां पर विक्टोरियन एरा में लैंग्वेज को लेकर बहुत ज्यादा सप्रेशन था और उसी वजह से मॉडर्न स्वेयर वर्ड्स का आगाज़ हुआ. इन नॉन लिटरल तरीके से इस्तेमाल की जाने वाली ऑब्सिनिटीज़ को लेकर इमोशनल पावर के दावे किए गए.
मिसाल के तौर पर bugger वह शब्द है जिसकी शुरुआत ही एनल इंटरकोर्स के दौरान पेनिट्रेटिंग पार्टी के लिए हुआ था, वक्त के साथ इसका असल मतलब धूमिल हो गया और धीरे-धीरे यह एक स्वेयर वर्ड बन गया. आज के जमाने में जब कोई bugger over जैसे फ्रेज़ का इस्तेमाल करता है तो इसका मतलब "मेस्डअप" होता है, जो कि इसके असल मायने से बहुत दूर है.बहुत पहले के वक्त में इस शब्द के इस्तेमाल के सबूत भी मिलते हैं, क्योंकि प्रिंट में bugger शब्द को पूरी तरह नहीं बल्कि b-gg-r की तरह प्रजेंट करने की परमिशन थी, उस दौरान 4/5 ब्रिटिश की आबादी रेगुलर बेसिस पर इस शब्द का इस्तेमाल करती थी. कुल मिलाकर, इसके नॉन लिटरल मतलब की वजह से यह fuck कहने का कम ऑफेंसिव तरीका बन गया था, जिसे fuck की तरह भी प्रिंट करने की इजाजत नहीं थी.
bugger उन तमाम स्वेयर वर्ड्स में से एक था जिसका इस्तेमाल इस वक्त के दौरान तेजी से बढ़ा था. दूसरा शब्द था, bloody जो पहली बार इंटेंसफायर के तौर पर इस्तेमाल हुआ जिसने इसके असल मायने को धूमिल कर दिया. यहीं से अपशब्दों का इस्तेमाल मॉडर्न सोसाइटी के लिए ज्यादा फैमिलियर हो गया, इस शब्द का इस्तेमाल उन शब्दों को इम्फसाइज़ करने के लिए किया जाता था जो इन के बाद बोले जाते थे.
फॉर एग्ज़ाम्पल, 1836 में मैरी हैमिल्टन ने औरतों के ग्रुप के लिए bloody whore शब्द का इस्तेमाल किया इसका मतलब यह नहीं था कि वह खून में लथपथ थी, बल्कि वह यहां पर उन औरतों के लिये whore शब्द को एंपासाइज कर रही थी.जिसके चलते, मॉडर्न जमाने में fuck शब्द का इस्तेमाल होने लगा. 1789 में वर्जीनिया के एक जज जॉर्ज टकर ने एक पोयम लिखी जिसमें एक बेटे और पिता के बीच में ऑरगुमेंट होती है जिसे पिता कहता है, "God damn your books," " I dont give - for all you read" अगर दूसरा सेंटेंस आज के जमाने में इस्तेमाल हो तो डायरेक्टली कहा जा सकता है, "i dont give a fuck." रिकॉर्ड के मुताबिक fuck शब्द का इस्तेमाल पहली बार इसी पोयम में हुआ था.
आज के जमाने में रेशियल स्लर सबसे ऑफेंसिव होता है
पहले और दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान गाली गलौज करना इतनी आम बात थी, कि fuck शब्द का इस्तेमाल करने पर मुश्किल से ही किसी का जवाब मिलता था. पहले वर्ल्ड वार में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ स्वेयर वर्ड्स का कलेक्शन शायद आपको बेहतर तरीके से बता सके कि उस वक्त किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल होता था. उस वक्त fucking शब्द का सीधा सा मतलब यह था कि खतरा है या अटैक होने वाला है.यहां तक कि इस तरह के शब्द इतने ज्यादा आम थे कि अपनी राइफल उठाओ ज़्यादा अर्जेंसी जाहिर करता था बजाय इसके कि इस सेंटेंस में fucking शब्द का इस्तेमाल कर दिया जाए. इससे पता चलता है कि कितनी तेजी से स्वेयरिंग का असर कम हो सकता है और ऐसा ही सेक्सुअल स्वेयरिंग के साथ भी है.मिसाल के तौर पर बीसवीं सदी की शुरुआत में ही सेक्सुअल कंटेंट वाली मैगजीन, किताब, वेबसाइट और हर तरह की मीडिया पब्लिकली अवेलेबल होने लगी अब इन पर किसी भी तरह की रोक नहीं थी.और इसी वजह से लोग सेक्स के बारे में किसी भी वक्त बात कर सकते हैं चाहे वह पर्सनली हो, टेलीविजन पर हो या पॉर्नोग्राफिक मटेरियल के जरिए हो. यहां तक कि आमतौर पर इस तरह के कंटेंट वाली मैगजीन न्यूज़ स्टैंड से खुलेआम बेची जा रही हैं. हालांकि यह बताना भी जरूरी है कि हर तरह के शब्दों के साथ ऐसा नहीं है आज भी cunt शब्द उतना ही ऑफेंसिव समझा जाता है.
धीरे धीरे टिपिकल स्वेयर वर्ड्स अपना वेट खोते गए और इनकी जगह रेशियल स्लर ने ले ली और यह इतना ज्यादा ऑफेंसिव होते हैं कि इनकी वजह से वायलेंस भी हो सकती है. मिसाल के तौर पर, 1574 तक nigger शब्द का इस्तेमाल अफ्रीका से आने वाले डार्क स्किन के लोगों के लिए किया जाता था. लेकिन पिछले 60 सालों में यह शब्द हर तरह की एथेनिक आईडेंटिटी वालों के लिए ऑफेंसिव हो गया है.और इस तरीके से nigger एक लड़ाई पैदा करने वाला शब्द बन गया, इसके इस्तेमाल से लोगों को तकलीफ होती है और उन्हें गुस्सा आता है और कभी-कभी तो लोग फिजिकल रीटेलियेशन भी करते हैं. मिसाल के तौर पर, नॉर्थ कैरोलिना के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, jerry spivey को इसलिए उनके जॉब से निकाल दिया गया क्योंकि उन्हें एक बार में "उधर उस nigger की तरफ देखो वह मेरी वाइफ में इंटरेस्टेड है" कहते हुए सुना गया था. इसके लिए किसी भी तरह का एक्सप्लेनेशन एक्सेप्ट नहीं किया गया क्योंकि उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया वर्ड वायलेंस क्रिएट कर सकता था.हमारे पास डेविड का भी एग्ज़ाम्पल है, जिसने अपने कलीग से बजट को लेकर niggeradly रहने के लिए कहा था क्योंकि उनके पास पैसे कम थे. असल में यह शब्द niggard से आता है जोकि रेशियल स्लर nigger से लगभग 200 साल पहले एक्जिस्टेंस में आया और जिस का असल मतलब केयरफुल या सेविंग होता है.
कुल मिलाकर
स्वेयर वर्ड्स जिन्हें हम अपशब्द भी कहते हैं इनकइनकी हिस्ट्री काफी रिच और वैरायटी भरी है. जिन शब्दों को आज के जमाने में हम ऑफेंसिव समझ लेते हैं वह शब्द दरअसल सदियों पहले उस वक्त के सोशल, कल्चरल और रिलीजियस रीति-रिवाजों की वजह से वजूद में आये और शब्द के रूप में शेप लिया.
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