Do I Make Myself Clear

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Do I Make Myself Clear

Harold Evans
लिखने की कला को सुधारिए।

दो लफ्ज़ों में
डू आई मेक माइसेल्फ क्लीयर (Do I Make Myself Clear) में हम देखेंगे कि किस तरह से आप अपने लिखने की कला को सुधार कर एक अच्छे लेखक बन सकते हैं। हम लिखते वक्त होने वाली गलतियों के बारे में जानेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि पढ़ने वाले पर उन गलतियों का क्या असर पड़ता है। इस किताब के जरिए हम जानने की कोशिश करेंगे कि अच्छे तरीके लिखना क्यों जरूरी है।

यह किसके लिए है 
- वे जो एक सफल लेखक बनना चाहते हैं।
- वे जो अपने लिखने की कला को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
- वे जो गलत शब्दों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में जानना चाहते हैं।

लेखक के बारे में
हैरॅाल्ड इवेन्स (Harold Evans) एक पत्रकार और एक लेखक हैं जो इंगलैंड में पले बढ़े। वे द संडे टाइम्स मैगज़ीन के इडिटर थे। उन्होंने 14 साल तक संडे टाइम्स के लिए काम किया। इसके अलावा वे रैन्डम हाउस के पब्लिशर और प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।

लिखने की कला को सुधारिए।
हमारे दिमाग में अक्सर बहुत से खयाल आते रहते हैं। हम अपने इन विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए भाषा का इस्तेमाल करते हैं। हम बोल कर या लिख कर अपनी बात को दूसरों तक पहुंचाते हैं। लिखना अपनी बात को दूसरों तक पहुंचाने का एक बहुत अच्छा रास्ता है। इसकी मदद से आप अपनी बात को लाखों लोगों तक पहुंचा सकते हैं।

लिखते वक्त यह जरूरी है कि आप अपनी बात को साफ और आसान शब्दों में कहें ताकि पढ़ने वाले को आपकी बात आसानी से समझ में आए। अगर उसे आपका लिखा हुआ समझ में नहीं आता तो आपका लिखना व्यर्थ हो जाएगा। तो आप अपने लिखने की कला को कैसे सुधार सकते हैं?

इस किताब की मदद से हम इस सवाल का जवाब पाने की कोशिश करेंगे। हम देखेंगे कि किस तरह से हम अपने लिखने की स्टाइल को बेहतर और आकर्षित बना सकते हैं। हम कुछ गलतियों के बारे में भी जानेंगे जो हम अब अनजाने में करते आए हैं और उसे सुधारने की कोशिश करेंगे।

 

- किस तरह आप अपने लिखने के तरीके में सुधार कर सकते हैं।

- लिखते आपको किन बातों पर सावधानी बरतनी चाहिए।

- नेता और बैंक किस तरह से शब्दों का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

लिखना एक कला है जिसे प्रैक्टिस के जरिए सुधारा जा सकता है।
पहले के समय में जब इंटरनेट नहीं हुआ करता था तब लोगों के समाचार का सहारा न्यूज़पेपर था। न्यूज़पेपर के लेखकों के पास लिखने के लिए एक सीमित और कम जगह हुआ करती थी। ऐसे में वे कोशिश करते थे उनकी वे अपनी बात को कम से कम शब्दों में लोगों तक पहुँचा सकें। वे कोशिश करते थे कि उनका लिखा हुआ लोगों को पसंद आए भले ही वह कितना भी छोटा क्यों न हो।

लेकिन इंटरनेट के आ जाने से जमाना बदल गया। बदलते जमाने के साथ ही लिखने की वो पुरानी कला गायब हुई जा रही है। इंटरनेट पर जगह की कोई कमी नहीं है। लोग ज्यादा से ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल कर के भी अपनी बात को साफ साफ नहीं कह पा रहे हैं। अगर वे साफ साफ अपनी बात कह भी दें तो भी वे पढ़ने वाले का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींच पा रहे हैं। 

आज इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइट और न्यूज चैनल में हमें खराब लिखने के तरीकों के बहुत सारे उदाहरण मिल जाते हैं। लेकिन क्या इसे सुधारा जा सकता है? इसका जवाब हाँ है। हर चीज को पहले से बेहतर बनाया जा सकता है।

अगर आप चाहें तो अपने लिखने की कला को सुधार सकते हैं। आपको अपनी यह कला सुधारने के लिए थोड़ी मेहनत करनी होगी और इसे थोड़ा समय देना होगा। अगर आप किसी भी बड़े लेखक की कुछ किताबें पढ़ें तो आप देखेंगे कि शुरुआत में उन्होंने जो किताबें लिखी थीं वे उतनी अच्छी नहीं थी। लेकिन जैसे जैसे वे किताब लिखते चले गए उनके लिखने की कला बेहतर होती चली गई।

उदाहरण के लिए आप शेक्सपीयर को ले लीजिए। वे अब तक के सबसे बड़े नाटक के लेखक माने जाते हैं। उनके नाटक में आप यह साफ देख सकते हैं कि उन्होंने जो नाटक बाद में लिखे वे पहले के मुकाबले बहुत अच्छे थे।

 

लेखन कला को सुधारने के लिए आप बहुत से कदम उठा सकते हैं।
अक्सर देखा जाता है कि जब हम कोई बात आसान शब्दों में कहने ला लिखने की कोशिश करते हैं तो वह पढ़ने में बोरिंग लगने लगता है और पढ़ने वाले को नींद आने लगती है। इसके अलावा कभी कभी हम यह भी देखते हैं कि कुछ लोग लिखते वक्त बहुत सारे ऐसे वाक्य लिखते हैं जो आसान शब्दों में नहीं लिखे होते जिसकी वजह से उन्हें समझ पाना मुश्किल हो जाता है। 

इस समस्या से निपटने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं। सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि आसान शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल करना गलत नहीं है। किसी भी वाक्य का काम होता है किसी बात को इस तरह से कहना कि सुनने वाले को वह बात समझ में आ जाए। स्कूल में आपको जिस तरह से लिखना सिखाया जाता है उससे आपको यह पता चलता है कि आपका सब्जेक्ट, वर्ब और आब्जेक्ट सही जगह पर है या नहीं। 

लेकिन अगर आप एक ही तरह की वाक्य संरचना का इस्तेमाल बार बार करेंगे तो पढ़ने वाला ऊब जाएगा। इसलिए आप हर वाक्य में कुछ बदलाव कीजिए। लेकिन एक बात का ध्यान हमेशा रखिए कि आपका वाक्य पढ़ने वाले को समझ में आना चाहिए। इसके लिए आप अपने वाक्य में से वे सारे शब्द निकाल दीजिए जिनका कोई काम नहीं।

आप लिखने की कला को सुधारने के लिए इंडेक्स का सहारा ले सकते हैं। इंडेक्स ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से आप अपने आर्टिकल को मार्क्स देते हैं और उसके हिसाब से उसे और सुधारने की कोशिश करते हैं। आइए कुछ इंडेक्स के बारे में जानें।

- फ्लेश्ड रीडिंग ईस इंडेक्स आपको बताता है कि आपका आर्टिकल समझने में कितना आसान है। अगर इस इंडेक्स आपको कम मार्क्स मिलते हैं तो आपको अपने आर्टिकल को आसान शब्दों में लिखने की जरूरत है।

- फ्लेश्ड किन्केड ग्रेड लेवल आपको बताता है कि आपके आर्टिकल को समझने के लिए किसी को कितना पढ़ा लिखा होना चाहिए।

- डेल चैल फार्म्यूला बताता है कि आपके आर्टिकल में कितने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है जिन्हें समझना मुश्किल है।

 

अपने वाक्य की जरूरी बात को हमेशा आगे लिखने की कोशिश कीजिए।
लिखते वक्त यह जरूरी है कि आप अपने वाक्य की जरूरी बात पर ज्यादा ध्यान दें। इसके लिए सबसे पहले आप पैसिव वाइस का इस्तेमाल छोड़ दीजिए। पैसिव वाइस आपके वाक्य में ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल करता है जिससे उसे समझने में परेशानी होती है। आइए कुछ उदाहरण देखें।

अगर आप कोई कहानी लिख रहे हैं जिसमें यह वाक्य आए- "राजा ने शेर को अपनी तलवार से मार गिराया।" यह वाक्य समझने में आसान है। लेकिन अगर आप इसे पैसिव वाइस में लिखें तो यह हो जाएगा- "शेर राजा के द्वारा उनकी तलवार से मारा गया।" यह वाक्य समझने में आसान नहीं है।

लेकिन कभी कभी पैसिव वाइस का इस्तेमाल करना ठीक होता है। जैसा कि कहा गया कि आप अपने वाक्य के जरूरी भाग पर ध्यान दीजिए। ऐसे में अगर आपकी कहानी का हीरो राजू है तो आप लिख सकते हैं - "राजू को राजा द्वारा ईनाम दिया गया।"

पैसिव वाइस का काम होता है आब्जेक्ट पर ध्यान देना। दूसरे शब्दों में यह काम करने वाले पर ध्यान ना देकर उस पर ध्यान देता है जिसके लिए या जिस पर काम किया जा रहा है। इस उदाहरण में राजा ने ईनाम देने का काम किया पर ध्यान राजू पर दिया जा रहा है।

इसके अलावा आप अपने वाक्य के जरूरी भाग को सबसे आगे लिखिए। अगर आप बहुत सारी बातें लिखने बाद अपनी जरूरी बात पर आते हैं तो पढ़ने वाले के दिमाग में इसकी एक धुँधली इमेज बनती है। वह इसे समझ नहीं पाता।

उदाहरण के लिए आप यह वाक्य लीजिए- "दो जंगल और तीन नदियाँ पार कर के, रास्ते की सभी मुश्किलों से निपटते हुए और अपने कुछ साथियों को खोने के बाद राजकुमार शैतानी महल तक पहुँच गया।" 

इस उदाहरण में वाक्य का मुख्य भाग है- "राजकुमार शैतानी महल तक पहुँच गया।" लेकिन उससे पहले अगर आप बहुत सी बाते लिख देंगे तो इससे पहले पढ़ने वाले को यह पता लगे कि बात क्या है, उसे उन सभी समस्याओं को अपने दिमाग में रखना होगा। कभी कभी ऐसे वाक्य बहुत मुश्किल से समझ में आते हैं।

 

अपने वाक्य में से बिना मतलब के शब्दों को निकाल दीजिए।
स्कूल के दिनों में लिखते वक्त हर कोई मुश्किल से मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश करता था जिससे यह दिख सके कि वह बहुत समझदार है। लेकिन असल में मुश्किल शब्दों के इस्तेमाल से पढ़ने वाला भ्रमित हो जाता है। अगर उसे आपकी बात समझ में ना आए तो आपके लिखने का कोई मतलब नहीं बनता।

देश में जब भी कोई नया कानून लागू होता है तो नेता उसे मुश्किल से मुश्किल शब्दों में लिखवा कर लोगों तक पहुंचाते हैं जिससे वह कानून उनके समझ में ना आए और वे उसे बिना समझे स्वीकार कर लें। अगर आप चाहते हैं कि पढ़ने वाले को आपकी बात समझ में आए तो आप उसमें से एडवर्ब, प्रीपोसीशन, एडजेक्टिव और एब्सट्रैक्ट नाउन निकाल दीजिए। आइए इनके इस्तेमाल से होने वाली परेशानियों पर एक नजर डालें।

कभी कभी हम बिना किसी वजह के ही एडवर्ब का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए -"वह बहुत ज्यादा ऊँची आवाज में बात कर रहा था।" इसकी जगह पर अगर आप लिख दें -"वह ऊँची आवाज में बात कर रहा था।" तो भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। 

एक लेखक का काम होता है कि वह अपनी बात को पढ़ने वाले को आसानी से समझा सके। इसलिए आप कोशिश कीजिए कि आपका लिखा हुआ पढ़ने के बाद किसी के मन में कोई शंका न रह जाए। उदाहरण के लिए आप यह मत कहिये कि "वह बहुत खुश था" ,बल्कि बताइए कि वह खुश क्यों था।

इसके अलावा आप प्रीपोज़ीशन और एब्सट्रैक्ट नाउन के इस्तेमाल से भी बचिए। अगर आप किसी चीज का भाव नहीं समझ पा रहे हैं और आपको उनके लिए कोई सही शब्द नहीं मिल रहा तो आप उसके लिए किसी शब्द का इस्तेमाल मत कीजिए।

 

लिखते वक्त 'नहीं' शब्द का इस्तेमाल मत कीजिए।
लिखते वक्त आप पढ़ने वाले को यह बताइए कि क्या हो रहा है। आप उस पर फोकस मत कीजिए जो नहीं हो रहा। 'नहीं' का इस्तेमाल दिमाग में भ्रम पैदा करता है। इसलिए आप पाजिटिव वाक्य का इस्तेमाल कीजिए।

उदाहरण के लिए आप यह वाक्य लीजिए -"मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे कहने पर वह यह काम नहीं करेगा।" इसके अलावा आप लिख सकते हैं -"तुम्हारे कहने पर वो यह काम जरूर करेगा।" यह सुनने में अच्छा और समझने में आसान लगता है।

इसके अलावा आप अपनी भाषा पर भी ध्यान दीजिए। अगर आप कोई लम्बी कहानी लिख रहे हैं तो आप नहीं चाहेंगे कि पढ़ने वाला ऊब जाए। आपके लिखने की स्टाइल ऐसी होनी चाहिए जो पढ़ने वाले के अन्दर एक लहर दौड़ने के एहसास को जगाए। अगर आप बोरिंग स्टाइल में लिखते हैं तो शायद वो उसे पूरा ना पढ़े।

उदाहरण के लिए इस वाक्य को लीजिए- "अपने पति के मौत की खबर सुनकर वह चौंक गई।" यह वाक्य सुनने में बहुत सिंपल लग रहा है। पढ़ने वाले वाले के अन्दर एहसास जगाने के लिए आप इसे कुछ ऐसे लिख सकते हैं - "पति के मौत की खबर सुनते ही उसके हाथ से सामान छूट गया, उसकी आँखें बड़ी हो गई और धड़कन तेज हो गई। उसकी आँखों के सामने अन्धेरा छा गया। किसी तरह उसने होश संभाल कर कहा- कह दो यह खबर झूठी है।"

इसके अलावा आप बहुत सारे भाव को मिला कर एक अलग वाक्य बना सकते हैं। इसके लिए आप बीच में सवाल कर सकते हैं या फिर पढ़ने वाले के लिए कुछ संदेश भेज सकते हैं। जैसे अगर आप एक भूत की कहानी लिख रहे हैं तो आप लिख सकते हैं - कमजोर दिल वाले आगे ना पढ़ें।

अलग अलग वाक्यों का इस्तेमाल भी अच्छा होता है। वाक्य तीन तरह के होते हैं। लूज़ वाक्य जो दो लोगों के बीच की बातचीत को दिखाते हैं। पिरियोडिक वाक्य जो किसी खास बात को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत करते हैं और बैलेंस्ड वाक्य जो एक सही आर्डर में लिखे गए होते हैं और अपने मतलब को समझाते हैं।

 

ज़ोम्बी नाउन और फ्लेश ईटर से सावधान रहिए।
यूनिवर्सिटी ऑफ एकलैंड के प्रोफेसर हेलेन स्वॅार्ड ने ज़ोंबी नाउन शब्द का इस्तेमाल पहली बार किया था। यह शब्द उस नाउन के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो शुरू में वर्ब थे लेकिन बाद में नाउन की तरह इस्तेमाल किए जाने लगे। ये शब्द आपके वाक्य को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।

इसके बहुत से उदाहरण हैं। इम्प्लेमेंटेशन (इम्प्लीमेंट वर्ब का नाउन) , डाक्यूमेंटेशन (डाक्यूमेंट वर्ब का नाउन) जैसे दूसरे शब्द इसके अच्छे उदाहरण हैं। जहाँ तक हो सके आप इन शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए। आप जब भी किसी शब्द के अंत में “-ation,” “-ance,” “-mant,” “-ment,” “-ence” और “-sion" जैसे शब्द देखें तो उसे हटा कर आप उसकी जगह किसी और शब्द का इस्तेमाल कीजिए जो जॅाम्बी नाउन ना हो।

फ्लेश ईटर वे शब्द होते हैं जो किसी वाक्य के अर्थ को खा जाते हैं। कभी कभी वे उस वाक्य के अर्थ की हत्या भी कर देते हैं। ये वो लम्बे लम्बे शब्द या कुछ शब्दों का एक समूह होते हैं जो वाक्य की लम्बाई बढ़ाते हैं और उसके अर्थ को कम करते हैं। 

उदाहरण के लिए यह वाक्य ले लीजिए- "भ्रष्टाचार के मुद्दे को ले कर प्रधान मंत्री आज भाषण देंगे।" यहाँ "के मुद्दे को ले कर" एक फ्लेश ईटर है। इसकी जगह आप लिख सकते हैं - "प्रधान मंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देंगे।" फ्लेश ईटर का इस्तेमाल अक्सर कानूनी कागजों में होता है। इसलिए लोग कानूनी कागज पढ़ते वक्त पूरी तरह से ऊब जाते हैं। 

इसके अलावा हम अपनी रोज़मर्रा की जिन्दगी में कुछ ऐसे शब्द बार बार इस्तेमाल करते रहते हैं जो बहुत पुराने हो चुके हैं। इन्हें स्टेल वाक्य कहा जाता है। स्टेल का मतलब "बासी" होता है। कभी कभी इनके इस्तेमाल से बच पाना मुश्किल होता है लेकिन आप कोशिश कीजिए कि ऐसे वाक्य आप इस्तेमाल ना करें। इससे आप का लिखा हुआ सबसे अलग और नया लगेगा।

 

शब्दों के सही इस्तेमाल से हम उनके मतलब को जिन्दा रख सकते हैं।
अक्सर नेता शब्दों का मतलब बदल दिया करते हैं। यह काम वे अनजाने में नहीं करते। रोजर कोहेन ने कहा था- शब्दों का मतलब बदलने से लोकतंत्र पर खतरा छा सकता है। वे डोनैल्ड ट्रम्प के ऊपर कमेंट कर रहे थे जिन्होंने जल्दी में ही कहा था कि मीडिया के लोग दुनिया के सबसे झूठे लोग होते हैं।

डोनैल्ड ट्रम्प ने यह बात अपने इलेक्शन जीत जाने पर कही थी। उन्होंने इसके लिए लैंडस्लाइड शब्द का इस्तेमाल किया था। वे इसमें अकेले नहीं हैं। उनके जैसे दूसरे नेता भी शब्दों का मतलब बदल कर बातें करते हैं जिससे समय के साथ शब्द का कुछ और ही अर्थ बनता चला जा रहा है।

स्कॅाटी नेल ह्यूग्स टी पार्टी की प्रतिनिधि हैं। उन्होंने डाइना रीम शो पर कहा था- लोगों को जो सच लगता है वह असल में सच होता नहीं है।

हन्नाह एरेंड्ट और जोनाथन स्विफ्ट जैसे लेखकों ने पॅालिटिकल झूठ के खतरों के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि किसी समस्या से बचने के लिए झूठ बोलने में और किसी सच की ताकत को कम करने के लिए झूठ बोलने में बहुत अंतर होता है।

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अच्छे से लिखें और इन शब्दों के सही मतलब को जिन्दा रखें। इसके लिए हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि किस शब्द का क्या मतलब है और वह कहाँ इस्तेमाल हो रहा है। उदाहरण के लिए आपको पता होना चाहिए कि कहाँ पर ‘’effect” इस्तेमाल करना है या “affect,” का। इसके अलावा “continual” और “continuous,” “loan” और “lend” , “reign” और “rein.” के साथ भी आपको यही सावधानी बरतनी होगी।

 

कुल मिला कर
लिखना एक कला है जिसकी मदद से हम अपनी बात लोगों तक पहुंचाते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम लिखते वक्त आसान शब्दों का इस्तेमाल करें और पैसिव वाइस के इस्तेमाल से बचें। हमें अपने वाक्य के जरूरी भाग पर खास ध्यान देना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे सबसे पहले लिखा जाए। इन सभी बातों का खयाल रख कर हम अपने लिखने की कला को बेहतर बना सकते हैं।

प्लीओनैज़्म के इस्तेमाल से बचें।

प्लीओनैज़्म ऐसे शब्द होते हैं जिनका इस्तेमाल करना बिल्कुल भी जरूरी नहीं होता। इसके उदाहरण हैं -

- अनजान अजनबी- एक अजनबी हमेशा अनजान ही होता है। यहाँ अनजान शब्द की जरूरत नहीं है।

- नई शुरुआत - शुरुआत हमेशा नई होती है। यहाँ नई शब्द की जरूरत नहीं है।

- गोल आकार - यहाँ आकार शब्द की जरूरत नहीं है।

इस तरह के दूसरे शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए।

 

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