Got Your Attention?

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Got Your Attention?

Sam Horn
इंटरेस्ट कैसे क्रिएट करें और किसी के साथ भी कनेक्शन बनाएं

दो लफ्जों में
Got your attention? (2015) इस तेजी से दौड़ती जिंदगी में लोगों का अटेंशन ग्रैब करने के लिए आपको गाइड करती है. आप जानेंगे कि कैसे अपने आप को एक अट्रैक्टिव और इंगेजिंग स्पीकर बनाने के लिए अपनी ऑडियंस की बेसब्री और डिस्ट्रक्शन को दूर किया जाए.

किनके लिये है
● कोई भी जो डिस्ट्रैक्टेड लोगों का अटेंशन ग्रैब करना चाहता है
● जॉब ढूंढने वाले लोग, जो अलग दिखने के लिये टिप्स चाहते हैं
● ऐसे लोग जो अपनी जिंदगी में मीनिंगफुल कनेक्शन बनाना चाहते हैं.

लेखक के बारे में
"Intrigue Expert" के नाम से जाने जाने वाले सैम हॉर्न एक मैसेजिंग और ब्रांडिंग स्ट्रैटेजिस्ट हैं,  जिन्होंने इंटेल, बोइंग, नासा जैसी कंपनियों के साथ काम किया है और इस फील्ड में 20 साल का एक्सपीरियंस है. उन्होंने हजारों एंटरप्रेन्योर्स और एक्ज्युटिव की बुक, कीनोट स्पीचेस और टेड टॉक तैयार करने में मदद की है.

अगर आप चाहते हैं ऑडियंस आपकी हर बात पर ध्यान दे, तो उनकी क्यूरिऑसिटी को बढ़ाइये और इमैजिनेशन को पूरा कीजिए
आप किसी की अटेंशन चाहते हैं. ऐसा कैसे करेंगे? क्या आप चिल्लाएंगे और लोगों की तरफ हाथ हिलाते हुए कहेंगे "देखो मैं इधर हूं, मुझे कुछ कहना है!"इस तरीके से आपको टैक्सी जरूर मिल जाएगी, लेकिन अपनी लाइफ और करियर में अटेंशन नहीं.आज की तेजी से दौड़ती जिंदगी में हर कोई अटेंशन पाने के लिए लड़ रहा है, चाहे वह करियर हो, जॉब हो, कॉन्फ्रेंस हो या एंटरप्रेन्योरल प्रोजेक्ट. जिनका आपकी तरफ ध्यान देना जरूरी है, उनकी अटेंशन पाने के लिए आपको तेजी से बोलने या चिल्लाने से बेहतर स्ट्रेटजी अपनानी पड़ेगी.इस समरी में आप अटेंशन ग्रैब करने के लिये टिप्स और ट्रिक जानेंगे, चाहे वह अपनी मनपसंद जॉब पानी हो, कलीग्स के बीच अलग दिखना हो या फिर इन्वेस्टर्स को इस बात का यकीन दिलाना हो कि आपका आईडिया, इन्वेस्ट किए जाने के काबिल है.

तो चलिए शुरू करते हैं! 

आज के जमाने में लोग बहुत बेसब्र हो गए हैं जैसे ही आप अपना मुंह खोलते हैं वह इस बात का फैसला कर लेते हैं कि आप किस तरह के इंसान हैं और उनके लिए क्या कर सकते हैं.अगर आप उन्हें कुछ एक्साइटिंग डिलीवर नहीं करेंगे, उनका मन फौरन उचट जाएगा और किसी और चीज पर ध्यान देने लगेंगे.ऐसा ना हो इसके लिए आप क्या कर सकते हैं?आपको अपनी नॉलेज और आप क्या ऑफर कर सकते हैं इसको लेकर अपनी ऑडियंस की क्युरियोसिटी को पिंच करते रहना होगा.सवाल बहुत इंपॉर्टेंट रोल निभाते हैं. अपनी ऑडियंस को ऐसी तीन बातें बताइए जो उन्हें मालूम ना हो और जानने के लिए बेताब हों.यह करना आसान है बस, "क्या आपको पता था" से शुरू होने वाले तीन सवाल तैयार कीजिए. यह सवाल आपकी उस प्रॉब्लम के बारे में हो सकते हैं जिसे आप को सॉल्व करना है, आपके काम के बारे में, आप की फील्ड में आए अचानक बदलाव के बारे में, या मार्केट की उन जरूरतों के बारे में बात करिये, जिसे आप पूरा कर सकते हैं.चलिए मान लेते हैं कि आप उस किताब के बारे में बात कर रहे हैं जो आज की मर्केट में जॉब हासिल करने के तरीकों पर बेस्ड है, तो आप के तीन सवाल कुछ ऐसे हो सकते हैं-

क्या आपको पता था, कि 2012 में 3.6 मिलियन अवेलेबल जॉब में से 80% के लिये एडवार्टाइज़मेंट नहीं किया गया था? क्या आपको पता था, कि एवरेज तौर पर अप्लाई करने वालों में सिर्फ 20% को ही इंटरव्यू के लिये बुलाया जाता है? क्या आपको पता था, कि 2013 में 25 साल से कम उम्र वाले 53.6% अमेरिकन ग्रेजुएट या तो अनएम्प्लायड थे या अंडरएम्प्लायड थे?

लोगों को क्यूरियस बनाना आधा काम है, अब इसके बाद आपको उनकी इमैजिनेशन फुलफिल करके उनकी क्यूरॉसिटी को बढ़ाना होगा मतलब सल्यूशन प्रोवाइड करना होगा.चलिए उसी किताब का एग्जांपल ले लेते हैं, आपका सल्यूशन कुछ इस तरह हो सकता है। इमैजिन कीजिए इस किताब को पढ़कर आप अपनी ड्रीम जॉब के लिये ओपनिंग हासिल करने के चांसेस में 40% की बढ़ोत्तरी कर लेंगे या इंटरव्यू पाने के चांसेस 30% बढ़ जाएंगे.जब आप इस तरह की बातें कहते हैं, तो यह तकनीक कारगर होती है. इससे आप अपने ऑडियंस को यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर आप कह क्या रहे हैं.

जो प्रॉब्लम आपको सॉल्व करनी है उसे दिखाइये और लोगों से उसके बारे में सवाल कीजिए, बचा हुआ काम आपकी ऑडियंस कर देगी
क्या आपने कभी सुना है, "If you are advertising fire extingusher, open with fire,"  मतलब अपनी प्रॉब्लम इतना लाउडली जाहिर कीजिए इन प्रॉब्लम का असर लोगों तक हो.इससे एक अच्छी चीज पता चलती है लोगों को तब तक यह नहीं पता होता कि उन्हें क्या चाहिए जब तक कि आप उन्हें दिखाते नहीं है.कैरी कर्टर ऐसी शुरुआत की इंपॉर्टेंस जानती हैं. जब वह अपना प्रोडक्ट कॉन्सेप्ट 'पर्स को टांगने के लिए एक कार हुक' पेश कर रहीं थीं तो उन्होंने इन्वेस्टर्स की अटेंशन ग्रैब करने के लिए उन्हें हेलो करने से पहले ही रूम के सामने फुल साइज ड्राइवर की कार सीट टांग दी थी.उसके बाद वह कार चलाने की मिमिक्री करने लगी और फिर अपना सवाल किया-"क्या आपको कभी अचानक से गाड़ी चलाते हुए रोकनी पड़ी क्योंकि आपका पर्स और फोन पैसेंजर सीट से नीचे गिर गया था? इसी जगह एक हुक इमैजिन कीजिये.."

इससे पहले कि वह आगे बढ़ती, ऑडियंस में से एक आदमी बोला, "मैं दो लूंगा एक अपनी वाइफ के लिए और एक अपनी बेटी के लिए"

कार्टर की कामयाबी सिंपल है, उन्होंने ना सिर्फ अपना आईडिया लोगों के सामने पेश किया बल्कि इसकी जरूरत पर जोर दिया, यही यहां फायर है, और ऐसा करके उन्होंने इन्वेस्टर्स को सल्यूशन जानने के लिए क्यूरियस कर दिया था.लेकिन हम सब कार की सीटें नहीं टांग सकते इसलिए प्रॉब्लम ज़ाहिर करने का सबसे आसान तरीका 'बताना' नहीं बल्कि 'दिखाना और पूछना' है.  सल्यूशन को दिखाना या बताना कन्फ्यूजिंग हो सकता है खासतौर पर तब जब आप का प्रोडक्ट "Receipt Aggregator" की तरह कोई अजीब चीज़ हो. इससे सिर्फ एक ही सवाल उठता है "क्या?" 

ऐसे मामलों में दिखाना और पूछना ज़्यादा बेहतर है। इसलिए अपने प्रोडक्ट का इंट्रोडक्शन देने के बजाय अपनी ऑडियंस से ऐसे किसी मुद्दे पर सवाल कीजिए जिसमें प्रोडक्ट की जरूरत हो. मिसाल के तौर पर, "क्या कभी बिज़नेस ट्रिप से वापस आने के बाद आपके सामने रिसिप्ट को ट्रैक करने का ना मुमकिन काम आया है?"

आपका सवाल आपकी ऑडियंस को इमेजिन करने के लिए मजबूर कर देगा क्योंकि हर इंसान प्रॉब्लम के सलूशन को पिक्चराइज करता है. हो सकता है वह एक छोटे बॉक्स के बारे में सोचें जिसमें रिसिप्ट ऑर्डर से रखी जाए.यह आपके काम को आसान कर देगा, क्योंकि आपको प्रॉब्लम और सल्यूशन डिटेल में एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है, आपकी ऑडियंस दोनों इमेजिन कर लेगी.

हालांकि लोगों के साथ रिस्पेक्टफुल रहना इंसान की खूबी है, लेकिन जरूरत से ज़्यादा रिस्पेक्टफुल होना आप की सबसे बड़ी कमजोरी बन सकता है, खासतौर पर तब जब आप अपने बॉस या किसी दूसरी अथॉरिटी की अटेंशन ड्रॉ करना चाहें.इनफैक्ट, इंपोर्टेंट लोगों की अटेंशन हासिल करने के लिए बराबरी से कंप्पटीट करना आपके कॉम्पिटेटिव एडवांटेज को दिखाता है.अगर आप कोई नौकरी चाहते हैं तो आपको बताना होगा आप अपने कंप्टीटर्स से कैसे बेहतर हैं. अपनी कामयाबियों के बारे में बताना शेखी बघारना नहीं है, हो सकता है यही वह वजह हो जिसके चलते आप अपने आप को लोगों से बेहतर साबित कर सकें और इंटरव्यू हासिल कर सकें.लेकिन लोगों को अपनी एडवांटेज प्रूफ करने का सबसे बेहतर तरीका क्या है?

आपको कोई ऐसी चीज बतानी होगी जो आप उस कंपनी के लिए अचीव कर सकते हैं. यह आपके सभी दावों को एग्जांपल के साथ बैकअप करने जैसा है कि कैसे आपने अपने इंवेस्टर्स, स्पॉसर और इंप्लॉयर्स को पैसे बनाने में मदद की.लेकिन अगर आप की खूबियां क्लीयरली पता चल रही हैं, तो?

तो अपनी उन खूबियों को मेंशन कीजिए जो कम ज़ाहिर हो रही हैं. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो हो सकता है आप नोटिस ना किए जाएं.यह आमतौर पर तब सही साबित होता है जब कॉप्टीटर की खूबियां आप की खूबियों से मिलती-जुलती होती हैं. ऐसी  सिचुएशन में हेड-टु-हेड कॉम्पिटीशन चुनने के बजाय अपनी सीक्रेट स्ट्रेन्थ जानना आपके के लिये चीज़ें आसान बना सकता है.मान लीजिए कि आपके सामने नासा में होने वाले जॉब इंटरव्यू का कंपटीशन है, वहां आने वाले सभी लोग बहुत ब्राइट और जानी-मानी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं, उन्होंने हमेशा बेहतरीन जीपीए हासिल किए हैं.इसके बजाय आप अपनी कुछ अलग खूबियां बता सकते हैं जैसे कि आप 'मार्श के लिये मैन्ड मिशन' कंपटीशन जीत चुके हैं. इस तरीके से आप अपने आप को स्टैंड आउट करने में और जॉब हासिल करने में कामयाब हो सकेंगे.

प्रपोज़ल रखने से पहले, अपने आप से पूछिए कोई आपको ना क्यों कहेगा, और फिर उस पर काम कीजिए
क्या आपने कभी बोलने से पहले ही ऐसा महसूस किया है कि सामने वाला आपको सुन नहीं रहा है.अगर सामने वाले ने आप को लेकर पहले से ही कोई सोच बना रखी है तो  उसका यही रिएक्शन होगा. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपके कुछ बोलने से पहले ही वह अपने मन में आपको "ना" बोल चुका होता है.इस सिचुएशन से कैसे बचा जा सकता है?अपने आप से सवाल कीजिए कि सामने वाला आपको "ना" क्यों कहेगा? आपके मन में पहला जो खयाल आए, उसके खिलाफ ऑरगुमेंट्स तैयार कीजिए.यह टेक्नीक काम करती है, क्योंकि जब लोग आपके ऑरगुमेंट को सुने बगैर ही ना कहने का मन बना लें तो आप उनके "ना" को आउटडेटेड करार देकर ओपिनियन बदल सकते हैं.

13 साल की उम्र में, कैसेंड्रा लिन ने बिजनेस इनोवेशन फैक्ट्री कॉफ्रेंस में एक आईडिया रखा. वह ऑडियंस की तरफ झुकी और कहा, "मुझे पता है आप लोग क्या सोच रहे हैं, एक 13 साल की बच्ची हमें इनोवेशन के बारे में क्या सिखाएगी"

चंद सेकेंड के अंदर ही इस 13 साल की बच्ची ने पूरी ऑडियंस को अपने फेवर में कर लिया, क्योंकि उसे पहले से मालूम था कि उसकी उम्र को लेकर लोग उस पर यकीन करने से कतराएंगे.लेकिन अगर कुछ कहने से पहले ही "ना" का सामना करना पड़ जाए, तो?तो यह आपका काम है कि ऐसे ऑरगुमेंट्स पेश किए जाएं जो सामने वाले को अपना डिसीजन बदलने के लिए मजबूर कर दे. मिसाल के तौर पर, लोकल बुक स्टोर का ओनर बॉएज़ सॉकर टीम को स्पॉन्सर करने से मना कर देता है, क्योंकि उसका मानना है जर्सी पर स्टोर का लोगो लगाने से बिज़नेस इंप्रूव नहीं होगा.एक लड़के के फादर ने कहा "मुझे लगता है कि आपसे बार-बार डोनेशन मांगा जाता है हमारे कोच आप के चुने हुए दिन पर आपकी बेस्ट सेलिंग किताब पर सिग्नेचर कर सकते हैं" सिर्फ इतना ही नहीं उन लड़कों में से एक के पेरेन्ट सोशल मीडिया जीनियस है, वह इस सिग्नेचर इवेंट की स्पॉन्सरशिप के बारे में ट्वीट और ब्लॉक क्रिएट कर सकते हैं, जिससे इसको पॉपुलैरिटी मिलेगी.दोनों ही फादर्स के सल्यूशन ने बुक स्टोर के मालिक को दिखाया कि कैसे यह स्पॉन्सरशिप उनके बिजनेस को बढ़ा सकती है, और उन्होंने ओनर को मना भी लिया.

क्या आप कभी किसी प्रोजेक्ट को लेकर बहुत ज्यादा एक्साइटेड हुए हैं और आपने उसे पेश करने के लिए अपने किसी फ्रेंड को कहा? आपको लगा कि वह भी एक्साइटेड होगा, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि आप गलत थे.इसके पीछे की वजह अपने दोस्त के साथ यूज़ की गई लैंग्वेज हो सकती है. जब दूसरों को कन्वेंस करने की कोशिश कर रहे हो तो ध्यान रखिए कि ऐसे ही शब्द का इस्तेमाल किया जाए जो वह रेगुलर बेसिस पर यूज करते हैं.डिसिजन मेकर्स को कंवेंस करने के लिए जरूरी लैंग्वेज सीखने का एक तरीका उनकी वेबसाइट विजिट करना है ताकि आप उनके द्वारा रेगुलर बेसिस पर इस्तेमाल किये जाने वाले टर्म्स को जान सकें.मिसाल के तौर पर, एक बार लेखक ने एक प्रेस क्लब इवेंट अटेन किया, जहां स्पेसएक्स के विजनरी फाउंडर, एलॉन मस्क सवालों के जवाब दे रहे थे.लेखक के बेटे ने उनसे सवाल किया आप स्पेसएक्स में हायरिंग कैसे करते हैं, एलॉन मस्क ने जवाब दिया, "मुझे यह मत बताइए कि आपने किस-किस पोजीशन पर काम किया है मुझे यह बताइए कि आपने कौन-कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व की है."

एलॉन की सलाह मानकर लेखक के बेटे और उसके दोस्तों ने अपने रिज्यूमे में कुछ बदलाव किए, और उसमें उन सभी प्रॉब्लम को मेंशन किया जिसका सल्यूशन कभी उन्होंने निकाला था. ऐसा करने के बाद उनके लिए जॉब इंटरव्यू कॉल में तेजी आई. क्योंकि उन्होंने फाउंडर के हायरिंग कराइटेरिया को अपनी लैग्वेज और पर्सपेक्टिव में शामिल किया था.लेकिन सिर्फ सही लैंग्वेज का इस्तेमाल काफी नहीं है. आपको अपनी ऑडियंस को यह भी जाहिर करना है कि आप मैसेज को समझ चुके हैं! कनेक्शन बनाने के लिए सुनना भी बहुत इंपॉर्टेंट है.यूनाइटेड स्टेट की डिपार्टमेंट ऑफ लेबर स्टैटिक्स की एक स्टडी बताती है कि 46%  एंप्लॉयज़ ने बताया उन्होंने इसलिए जॉब छोड़ी क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था की उनको सुना नहीं जाता. और वह अनअप्रिशिएटिड महसूस करते हैं.इसलिए अगर आपको लगता है कि आपको सुना जाना चाहिए तो पहले आपको खुद सुनना चाहिए. मतलब जब कोई बोल रहा हो तो उसके बातों में दखलअंदाजी ना की जाए और उसके बोलते वक्त इधर-उधर नहीं देखना चाहिए.यह लास्ट पॉइंट इंपॉर्टेंट है, क्योंकि जब आपकी नजरें भटकती हैं तो आपका मन भी भटक जाता है.

मौजूदा वक्त में रहिए, अगर आप चाहते हैं कि आपकी बातें इंटरेस्टिंग हो तो कोई पूरानी कहानी मत सुनाइए
हम सब ऐसी सिचुएशन मे पड़े हैं, जहां कोई बुजुर्ग अपने पास्ट की कहानी सुनाता है और वह खत्म ही नहीं होती. चाहे वह कोई पुराना मूवी स्टार हो या वह किताबें हों जो अब प्रिंट नहीं होतीं, ऐसा क्यों है कि पुरानी चीजें इतनी बोरिंग होती हैं.अक्सर जब मौजुदा वक्त से पहले की बात की जाती है तो लोग नहीं सुनते ऐसा इसलिये नहीं होता कि वह रूड होते हैं, बल्कि इसलिए है क्योंकि जो बातें बताई जा रही है उससे वह रिलेट नहीं कर पाते.सोचिए कोई स्पीकर ग्लोबल यंग एंटरप्रेन्योर्स कॉन्फ्रेंस में, 1940 के दौर में दो ट्रिपल क्रॉउन जीतने वाले फेमस जॉकी ऐडी आरकारो की कहानी सुनाने लगता है. उसके बाद वह वर्ल्ड वॉर 2 के वाक्ये बताने लगता है, साफ तौर पर कोई ध्यान नहीं देता.यहां पर ऐसा क्या हो गया?

स्पीकर जो रिफरेंस दे रहा था, वह उसकी ऑडियंस के लिए बहुत ज्यादा आउटडेटेड हो चुके थे. अगर उसने अपने ऑडियंस के बारे में थोड़ी सी रिसर्च की होती तो उसे मालूम होता की वह लोग अपने 20's में थे, इसलिये वर्ल्ड वॉर 2 की कहानियां उनका अटेंशन डिस्ट्रैक्ट कर देती हैं, स्पीकर के एडवरटाइजिंग लेजेंट होने के बावजूद.यहां पर इंपॉर्टेंट चीज यह है कि लोग हर बार सेम इंफॉर्मेशन नहीं सुनना चाहते. अगर आप कोई पुरानी कहानियां सुनाएंगे तो हो सकता है ऑडियंस ने इस बारे में पहले सुन रखा हो, ऐसे में वह आपको आउटडेटेड समझेंगे और सोचेंगे आप बहुत बोरिंग हैं.चलिए मान लेते हैं कि आप एक एक्सक्यूटिव हैं जिसने लीडरशिप पर किताब लिखी है और अपनी हर चैप्टर की शुरुआत एक इंस्पायरिंग कोट से की है. प्रॉब्लम यह है कि यह सारे कोट्स अल्बर्ट आइंस्टाइन, एरिस्टॉल और थॉमस एडिशन जैसे पुराने फिलॉसफर, राइटर और साइंटिस्ट्स के ही होते हैं. यकीनन वह ग्रेट थिंकर रहे हैं, लेकिन आज के नौजवानों के लिए आउटडेटेड हो चुके हैं.इन कोट्स की जगह रिचर्ड ब्रैंसन, स्टीव जॉब्स जैसे मौजूदा दौर के इन्नोवेटर्स के वर्ड्स रखना आपकी किताब को, लीडरशिप में इंट्रेस्टेड यंग लोगों के बीच ज्यादा अपीलिंग बनाएगा.

अपनी स्पीड माहौल के हिसाब से रखिए, ऐसा कोई मुद्दा चुनिए जिसे आप अपनी ऑडियंस को बांधने में इस्तेमाल कर सकें। इमैजिन कीजिए कि आप अपने रिसर्च के रिजल्ट की प्रेजेंटेशन दे रहे हैं. आप अपनी कैलकुलेशन के स्टैटिक्स से शुरू करते हैं, कुछ ही पलों के बाद आपको सुनने वाले बोर हो जाते हैं. ऐसा क्या हो गया?लोगों के साथ कनेक्ट करने के लिए आपको सिर्फ थ्योरी प्रेसेंट करने से कुछ ज्यादा करना होगा. बहुत सारे लोगों के लिए आपका हाइपोथेटिकल सेनैरियो जानना काफी नहीं है. वह यह भी जानना चाहते हैं कि नॉलेज का प्रैक्टिकल लाइफ में कैसे इस्तेमाल किया जाए.

चलिए ऑटिज्म पर क्योरमार्क के सीईओ डॉक्टर फैलन के टेड टॉक पर नज़र डालते हैं. बीमारी को लेकर बढ़ती फिक्र को समझकर डॉक्टर ने अपनी बातों के लिये प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाया, इसके लिए उन्होंने ऑडियंस से ऑटिज्म पर सवाल किया कि "आप में से कितने लोग ऑटिज्म के बारे में और ऑटिस्टिक चिल्ड्रन की फैमिली द्वारा झेले जा रहे चैलेंजेज के बारे में जानते थे?"

इस क्विक सर्वे ने स्पीकर द्वारा रखी जा रही बात को ऑडियंस से रिलेट कर दिया. उसके बाद ही फैलन ने अपनी स्पीच शुरू की, और कहा पिछले 10 सालों में ऑटिज्म के इंटेंसेज़ 80% बढ़ गए हैं.

थोड़ी देर में फैलन ने अपने टॉपिक को रियल और वहां मौजूद ऑडियंस से रिलेवेंट बना लिया था.रिलेवेंट थीम इम्पॉर्टेंट है लेकिन अगर आप प्रपोज्ड सल्यूशन ऑफर नहीं कर पा रहे हैं तब भी लोग आपको नहीं सुनेंगे. मिसाल के तौर पर एक पॉलीटिकल रैली में कैंडिडेट ने अपना पूरा 20 मिनट का वक्त अमेरिकन स्कूल की खस्ता हालत और टीचर्स की कम सैलरी गिनाने में खत्म कर दिया.

लोगों ने उसकी बातों में हामी भरी लेकिन वह समझ गए थे कि कैंडिडेट एक काउंटी इलेक्टेड पॉलीटिशियन है, और अमेरिकन एजुकेशन बजट बदलने की अथॉरिटी उसके हाथ में नहीं है.नतीजतन, भीड़ बेसब्र हो गई, क्योंकि पॉलीटिशियन प्रॉब्लम्स को गिना रहा था जिसका सल्यूशन उसके पास नहीं था. इसके बजाय वह कह सकता था, "आप सोच रहे होंगे मैं इस मुद्दे पर क्या कर सकता हूं, मैंने पहले ही 3 एजुकेशन बोर्ड मेंबर से मुलाकात कर प्लान बनाने के लिए कह दिया है जिसके तहत.. फला फला काम होगा.."

सिर्फ प्रॉब्लम नहीं बल्कि सल्यूशन प्रेज़ेंट कर आप ऑडियंस की अटेंशन ग्रैब कर सकते हैं.

अपना आइडिया रियल एग्जांपल के साथ समझाइये
खुद को दूसरों की जगह रख पाना मुश्किल है, लोगों से सिम्पथाइज़ करना और भी मुश्किल है. लोग किसी एक इंसान से रिलेट कर सकते हैं लेकिन एक ही वक्त पर बहुत सारों से नहीं.एक तरफ हम एक भूखे बच्चे के लिये अफसोस कर सकते हैं लेकिन दूसरी तरफ भूखे बच्चों से भरी कंट्री से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. साइकोलॉजी में सिचुएशन को एंपैथी टेलीस्कोप कहते हैं. जो कहता है कि एक इंसान के लिए कई लोगों के बजाय दूसरे एक इंसान की परवाह करना आसान होता है.एक ऑयल टैंकर के कैप्टन की शिप में हवाई कोस्ट पर आग लग गई थी, उसने उस आग में अपना कुत्ता खो दिया. उसके बाद उसने लोगों से बताया कि उसके क्रु के बच जाने को लेकर वह शुक्रगुजार  है, लेकिन अपने कुत्ते के बारे में भूल नहीं पा रहा है.उसकी स्टोरी वायरल हो गई लोगों ने कुत्ते को रेस्क्यू कराने के लिए डोनेशन देना शुरू कर दिया, यूएस आर्मी ने 250,000 डॉलर के डोनेशन से एक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जो सक्सेसफुल रहा. टेलीस्कोपिक एम्पैथी की वजह से लोग ऑयल टैंकर के कैप्टन का दर्द समझ सके और उसके लिए डोनेट किया.यह इंश्योर करने के लिए कि आप की ऑडियंस आपकी बातों से रिलेट करे, अपने आइडिया को रियल लाइफ एग्जांपल से समझाइये. ऐसा करने की वजह से लोग आपके आइडिया पर यकीन कर सकेंगे. ऐसा क्यों है?

बहुत सारे डिसीजन मेकर को लगता है कि बेहतर है कि स्टोरीज बेडटाइम और डिज्नी के लिए ही छोड़ दी जाए. उन्हें लगता है स्टोरीज बनाई जाती हैं.ऐसे स्टीरियोटाइप से बचने के लिए रियल लाइफ एग्जांपल दीजिए और जिसका एग्जामपल आपने उठाया है उसके बारे में कुछ फैक्ट्स भी दीजिए. कहानियां बहुत अट्रैक्टिव होती हैं, सिर्फ तब जब उनका ड्यूरेशन सिर्फ 60 सेकंड का हो. छोटी और रियल स्टोरी बताकर आप अपने आइडिया को ज़्यादा बिलीवेबल बनाते हैं.

कुल मिलाकर
हम ऐसी एपिडेमिक का सामना कर रहे हैं जिसका सिम्टम बेसब्री है. आजकल के लोग फोकस नहीं कर सकते, और लोगों की अटेंशन पाना और भी मुश्किल काम है. नतीजतन लोगों के साथ कनेक्ट कर पाना आसान नहीं होता. लेकिन इसका सलूशन है लोगों को  अटेंशन देकर और उन्हें यह बता कर कि आपकी बातें क्यों मैटर करती हैं, आप लोगों का  अटेंशन ग्रैब कर सकते हैं.

 

क्या करें

लोगों का अटेंशन ग्रैब करने के लिए कॉन्फिडेंट पोस्चर अपनाइए

 

क्या आपको मालूम था कि आपके खड़े होने का तरीका अटेंशन ग्रैब करने में बहुत इंपॉर्टेंट रोल अदा करता है? आप तीन सिंपल स्टेप में अटेंशन ग्रैबिंग पोस्चर बना सकते हैं. अपने सर और दाढ़ी को सीधा रखिए और अपनी आंखें सामने की तरफ. उसके बाद अपने दोनों पांव के बीच कंधे जितना फास्ला रखिए और जमीन पर अच्छे से खड़े होइए. फिर अपने हाथ का पोस्टर ऐसे बनाइए जैसे आपने हाथ में बकेट ले रखी हो. बस, यही है आपका पावर पोस्चर.

 

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