Goals

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Zig Ziglar
लाइफ में ज्यादा से ज्यादा अचीव कैसे किया जा सकता है?

दो लफ्ज़ों में
अगर आपको भी टारगेट या गोल्स के बारे में जानना है? तो फिर ये किताब आपको बताएगी कि गोल को सेट कैसे किया जाता है? इसी के साथ ही साथ ये किताब आपको उन टूल्स से भी रूबरू करवाएगी जिनकी मदद से आप किसी भी गोल को अचीव कर सकते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि साल 2019 में रिलीज़ हुई किताब ‘गोल्स’ आपको अपने सपनों तक पहुँचने में मदद करेगी. इसलिए अगर आपको भी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में सक्सेसफुल होना है. तो फिर एक बार इस किताब की गली में ज़रूर आइएगा. यहाँ आकर आपको पता चल जाएगा कि सिंपल-सिंपल स्टेप्स से आप लाइफ को प्रोडक्टिव बना सकते हैं. 

ये किताब किसके लिए है? 
- प्रोफेशनल्स जिन्हें करियर को आगे लेकर जाना है 
- सभी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
- ऐसे लोग जिनके अंदर कुछ कर गुज़रने की लगन है 
- ऐसे लोग जो करियर में कुछ पीछे छूट गए हैं 
- ऐसे लोग जिन्हें लगता है कि उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी है 

लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Zig Ziglar ने किया है. वह मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर भी रहे हैं. जिन्होंने अपनी स्किल्स की मदद से हज़ारों लोगों की प्रोफेशनली और पर्सनली मदद की है. इन्होने अब तक 28 किताबों का लेखन किया है. जिनमे से 10 बेस्ट सेलिंग नॉवेल रह चुकी हैं. इनकी किताबों को 40 से ज्यादा भाषाओँ में ट्रांसलेट किया गया है.

क्या आप क्लियर गोल्स के महत्त्व को समझते हैं?
क्या आपको भी कभी-कभी फ्रस्ट्रेशन का सामना करना पड़ता है? भले ही आपके सपने बहुत अच्छे हों, लेकिन फिर भी आप उन्हें पूरा नहीं कर पा रहे हैं. आपको ऐसा लगता है कि आपकी प्रोफेशनल लाइफ से लेकर पर्सनल लाइफ तक कुछ भी सही नहीं चल रही है. 

अगर आपको ये सब बातें जानी पहचानी लग रही हैं. तो इसका मतलब साफ़ है कि आपको गोल्स को सही से सेट करते नहीं आता है. अब तक आपको नहीं पता है कि गोल्स को सेट करने के लिए भी एक मेथड का यूज़ किया जाता है. ये बहुत ज़रूरी है कि हमें उस मेथड के बारे में अच्छे से पता रहे. 

इस किताब को पढ़ने के बाद आपको पता चल जाएगा कि फुल पोटेंशियल में लाइफ को जीने के लिए आखिर क्या करना होता है? कुछ सिंपल-सिंपल से टूल्स और ट्रिक्स होते हैं. जिन्हें आपको खुद की लाइफ में उतारने की ज़रूरत होती है. 

तो चलिए शुरू करते हैं!

फ्रांसीसी प्रकृतिवादी जीन हेनरी फैबरे ने एक बार कैटरपिलर के साथ एक प्रयोग किया था. उन्होंने जिस प्रजाति के साथ ये रिसर्च कंडक्ट की थी. उसे Pine Processionary कहते हैं. उनका ये नाम बस इसलिए पड़ा है क्योंकि वो एक-दूसरे को विशेष तरीके से फॉलो करते हैं. 

फैबरे ने अपने एक्सपेरिमेंट के दौरान कैटरपिलर को एक रिंग में रख दिया था. इसके बाद उन्होंने उस रिंग के बीच में खाने का समान रखा हुआ था. ये वही समान था जिसका उपयोग आम तौर पर कैटरपिलर किया करते हैं. लेकिन उन्होंने ओब्सर्व किया कि किसी भी कैटरपिलर ने रिंग को नहीं तोड़ा था. वो एक हफ्ते तक भूखे थे. उन्हें मरना मंज़ूर था लेकिन रिंग को तोड़ना नहीं. वो सोच रहे थे कि ऐसे चलते-चलते ही वो भोजन तक पहुँच जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं होने वाला था. 

लेखक यहाँ बताते हैं कि हम लोगों में से अधिकत्तर लोग कैटरपिलर की तरह ही बिहेव करते हैं. हम अपने एक्शन को बहुत यूजफुल समझ लेते हैं. फिर पूरी लाइफ हम उसी तरह से जीते रहते हैं. जब हमारे एक्शन की मदद से हम कहीं भी नहीं पहुँच पाते हैं. तो फिर हम एक सर्कल में चले जाते हैं.

इसलिए अगर आपको आगे बढ़ना है. तो फिर आपको गोल्स को सेट करना ही होगा. 

आप ऐसा सोच सकते हैं कि आप कैटरपिलर से बहुत ज्यादा स्मार्ट हैं. ऐसा हो भी सकता है और ऐसा नहीं भी हो सकता है. 

खुद से एक सवाल करिए कि क्या आपको आपका गोल पता है? अगर पता है तो फिर क्या आपने अपने गोल को सिस्टमेटिक ढ़ंग से नोट डाउन किया है? आपको बता दें कि सिर्फ और सिर्फ 3 प्रतीशत अमेरिकन्स ही अपने गोल्स को नोट डाउन करते हैं. यही 3 प्रतीशत लोग होते हैं. जो कि अपने सपनों को हकीकत में बदल पाते हैं.

अगर आपके पास क्लियर गोल्स होंगे. तो फिर आपको पता रहेगा कि आगे आपको क्या-क्या करना है? इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता रहेगा कि कौन-कौन सी चीज़ आपके लिए महत्वपूर्ण है? इसलिए लक्ष्य का पता होना बहुत ज़रूरी होता है. इससे आपके अंदर मोटिवेशन भी रहेगा. किसी भी गोल को पाने के लिए मोटिवेशन का होना बहुत ज़रूरी होता है. इसलिए अपने मोटिवेशन को जिन्दा रखने के लिए खुद के गोल्स को नोट डाउन करने की आदत डाल लीजिए. गोल की तरफ एफर्ट्स की ज़रूरत पड़ती है. उसके लिए किस समय में एफर्ट करना है. इसका पता आपको तभी चलेगा, जब आपके पास आपका गोल होगा. इसलिए सबसे पहले खुद के लिए क्लियर और सटीक गोल का निर्माण करिए. 

गोल्स के बारे में क्लियर स्ट्रेटजी बनाना इतना आसान काम नहीं है. हो सकता है कि इसके लिए आपको काफी समय भी खर्च करना पड़े. लेकिन आपको लक्ष्य के लिए टाइम को इन्वेस्ट करना ही चाहिए. जब आपके पास क्लियर गोल होगा. तब आपके पास बेहतर फोकस भी होगा. जिसकी वजह से आपका बहुत सारा टाइम भी बचेगा. आगे बहुत सारा समय बचाने के लिए आज आपको गोल की पहचान करने के लिए टाइम खर्च करना होगा. क्लियर गोल होने के कई फायदे हैं. उन्ही में से एक फायदा ये भी है कि तब आपको पता रहता है कि किस रास्ते पर सफर करना है? याद रखिए, मंज़िल तभी मिलेगी जब आपको रास्ता पता होगा.

गोल सेट करने के लिए टाइम और रिफ्लेक्शन की ज़रूरत होती है
हम लोगों में से कई लोगों पास कई सारी चीज़ों की लिस्ट होती हैं. इस लिस्ट में मेंशन होता है कि हमें क्या-क्या चाहिए और हमारे पास क्या-क्या है? आपको पता होना चाहिए कि गोल्स भी दो तरह के होते हैं. एक गोल्स वो होते हैं जो रीयलिस्टिक होते हैं. दूसरे गोल्स को आप टाइम पास भी कह सकते हैं. 

इसलिए ज़रूरी ये है कि आप रीयलिस्टिक गोल की तरफ प्रॉपर स्ट्रेटजी के साथ बढ़ने की कोशिश करिएगा. इसके लिए आपको गोल सेटिंग स्टेप को समझने की ज़रूरत है. 

सबसे पहला स्टेप ये है कि आपको पहचानना पड़ेगा कि आपका लक्ष्य क्या है? इसके बाद सोचना पड़ेगा कि क्या आप उसको अचीव करने के लिए एफर्ट्स कर सकते हैं? इसी के साथ ही साथ ये भी सोचना चाहिए कि वहां तक पहुँचने का रास्ता कहाँ से होकर जाता है? 

अब सवाल ये उठता है कि गोल को सेट कैसे किया जाए? 

सबसे पहले कुछ पेपर और एक पेन लीजिए. उसकी हेडिंग होनी चाहिए “वाइल्ड ड्रीम्स”. इसके बाद पेपर में आपको हर एक सपने को लिखना है. जिसे आप पाना चाहते हैं. उस सपने को तय करने के लिए क्या मापदंड होने चाहिए? 

वो ये होने चाहिए कि “वो सपना ज़रूरी क्यों है? क्या आप उसके लिए पैशनेट हैं? आप उसे क्यों हासिल करना चाहते हैं? क्या उसे पाकर आप खुश रह पाएंगे?”

अगरआपके ड्रीम्स अज़ीब से अज़ीब से हैं. तब भी आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. बस, नोट डाउन करने की शुरुआत कर दीजिए. 

नोट डाउन करने के बाद उस लिस्ट को एक-दो महीनों के लिए छोड़ दीजिए. आप भी लाइफ के अन्य कामों में व्यस्त हो जाइए. नए-नए लोगों से मिलने की कोशिश करिए. 

अब कुछ महीनों बाद, फिर से उस लिस्ट को ओपन करिए. क्या अभी भी आपको उन्हें हासिल करना है? अगर करना है तो फिर आप उन्हें ही क्यों हासिल करना चाहते हैं? इस तरह के सवालों की मदद से आपको सही ड्रीम के बारे में पता चलेगा. 

आइडियल तौर पर आपकी लिस्ट बैलेंस होनी चाहिए. आपके ड्रीम की भी कैटेगरी होनी चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि कौन से ड्रीम करियर वाले हैं और कौन से ड्रीम रिलेशनशिप या फिर मौज़ मस्ती वाले हैं. 

अगर आप ही कैटेगरी के ड्रीम तय करेंगे. तो फिर आप खुश नहीं रह पाएंगे. इसके पीछे का रीज़न यही रहेगा कि आप लाइफ के बाकी बिन्दुओं को नज़र अंदाज़ कर रहे होंगे. ऐसा आपको नहीं करना है. 

इसलिए आपकी लिस्ट बैलेंस होनी ही चाहिए. 

तीसरा स्टेप क्या है? 

वो ये है कि आपको पता लगाना है कि हर ड्रीम से आपको क्या फायदा होने वाला है?
इसी के साथ आपको ये भी पता होना चाहिए हर ड्रीम को पूरा करने के लिए रिसोर्स क्या लगेंगे? इससे आपको पता चल जाएगा कि आप अपने ड्रीम्स से कितनी दूरी पर हैं? अगर किसी भी ड्रीम के लिए आप रिसोर्स इकट्ठा नहीं कर सकते हैं. तो फिर अभी उसे पूरा करने का सही वक्त नहीं आया है. 

फाइनली अब समय आ गया है कि लिस्ट में से 4 गोल को आप सेलेक्ट कर लीजिए. ये वो गोल्स होने चाहिए जिनकी कद्र आपको सबसे ज्यादा है. इसी के साथ जिनके ऊपर आप तुरंत काम शुरू कर सकें. 4 ड्रीम ही क्यों? रिसर्च के अनुसार इतने ही गोल्स का पीछा इंसान एक समय में कर सकता है. जितना अचीव कर सकते हैं. उतने के ही पीछे जाने का मतलब निकलता है. खुद को परेशान करने का कोई भी मतलब नहीं होता है. इसलिए फैसले बड़ी सावधानी से लेने चाहिए. पहले 4 गोल्स को अचीव करने के बाद ही आपको आगे के गोल्स की तरफ बढ़ना चाहिए. तब तक के लिए उन्हें होल्ड में रख दीजिए. अपना फोकस अभी के 4 गोल्स की तरफ रखिए. 

अब आपको पता चल चुका है कि ड्रीम के साथ गोल सेट कैसे किया जाता है?

हर दिन अपने गोल्स के ऊपर काम करना चाहिए
ऑथर यहाँ अपनी एक कहानी बताते हैं. वो कहते हैं कि एक समय पर उनका वजन काफी ज्यादा हुआ करता था. उस समय डॉक्टर ने उन्हें वजन कम करने के लिए कह दिया था. उनका वजन इतना ज्यादा हो गया था कि अब कम करना बहुत ज़रूरी था. अगर वो अच्छी खासी मेहनत वजन कम करने के ऊपर नहीं करते तो उन्हें एडमिट भी होना पड़ सकता था. लेकिन उसी समय 10 महीनों के अंदर उन्हें एक किताब भी लिखनी थी. ये दोनों चीज़ें कैसे होंगी? फिर लेखक ने फैसला किया कि वो दोनों गोल्स को साथ में लेकर बढ़ेंगे. 

उन्होंने अपने वजन कम करने वाले टास्क को छोटे-छोटे टुकड़े में बाँट लिया था. वो खुद के लिए हर रोज़ टारगेट सेट किया करते थे. गोल की तरफ आपका पहला स्टेप यही होना चाहिए कि आप उसे छोटे-छोटे भागों में बाँट लें. ऐसा करने से आपके अंदर थकान नाम की चीज़ नहीं आएगी. जब आप फ्रेश रहेंगे तो ज्यादा मेहनत और उर्जा के साथ अपने लक्ष्य का पीछा करेंगे. गोल को टास्क में बदलिए और से हर रोज़ अचीव करने की कोशिश करिए. 

इसके लिए आप गोल प्लानर की भी मदद ले सकते हैं. उसकी मदद से आप हर रोज़ के टारगेट को अचीव कर पाएंगे. रात को सोने से पहले 10 मिनट ये लिखने में लगाइयेगा कि क्या आज का टारगेट आपने अचीव किया है? 

जिस दिन आप टारगेट को अचीव ना करें, उस दिन को लाल पेन से मार्क कर दीजिएगा. जो आपको बतायेगा कि आज आप फेल हो गए हैं. अगर आपका कोई दोस्त है या पार्टनर है. जिसे आप ट्रस्ट करते हैं. तो अपने गोल को उनके साथ शेयर करिए. उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करिए. दोनों ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. 

ऐसे लोगों की बात को मत सुनियेगा जो कहें कि आप इस टारगेट को अचीव नहीं कर सकते हैं. आपको ऐसे कई लोग मिलेंगे जो आपको पीछे खींचने की कोशिश करेंगे. आपको उनकी बातों में नहीं आना है. हो सके तो वहां से भी कुछ मोटिवेट होने का मसाला उठा लीजिएगा. 

अगर आप 211 डिग्री फेरेनहाईट पर पानी को गर्म करते हैं. तो आप उससे एक कप गर्म चाय बना सकते हैं. 

अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी नई बात है? 

लेकिन अगर आप उसे 1 डिग्री और गर्म कर देते हैं. तो फिर वो स्टीम बन जाएगा. जिससे चाय तो नहीं बन सकती है. लेकिन वो आपके और भी कुछ करने के काम ज़रूर आ सकती है. कई ऐसे लोग होते हैं जो अपने गोल्स पर इसी फाइनल डिग्री को एड नहीं कर पाते हैं. इसके पीछे का रीज़न ये है कि उनके अंदर ड्राइव की कमी होती है. उन्हें ऐसा लगता ही नहीं है कि उन्हें गोल को अचीव करना है. 

जो भी लोग टारगेट अचीव नहीं कर पाते हैं. वो यही सोचते हैं कि उनके अंदर ही कमी है. लेकिन ऐसा नहीं होता है. कमी उनकी इच्छाशक्ति में होती है. इनके अंदर डेटरमिनेशन की कमी होती है. यही पहलू होता है, जिसकी वजह से लोग अपने को असफल पाते हैं. फिर इसका ठीकरा वो खुद के टैलेंट के ऊपर फोड़ देते हैं. 

आपको पता होना चाहिए कि आपके अंदर बहुत टैलेंट है. कमी है तो बस उस इच्छाशक्ति की, जिसकी वजह से आप मेहनत नहीं कर रहे हैं. डिज़ायर वो चीज़ होती है. जिसकी मदद से आप किसी भी गोल को पा सकते हैं. ऐसी कोई भी सिचुएशन नहीं बनी है. जो कि आपके डिज़ायर को मात दे सके. 

लेखक बताते हैं कि Bernie Lofchick के बेटे को जन्म के बाद ही ऐसी बिमारी हो गई थी. डॉक्टर ने बोल दिया था कि वो कभी भी चल नहीं पाएगा. लेकिन Bernie Lofchick और उसकी पत्नी की इच्छाशक्ति बहुत प्रबल थी. उन्होंने कई जगह संपर्क किया था. कहीं भी बात नहीं बन पा रही थी. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चे की डेली थैरेपी कराने का फैसला किया था. ये थैरेपी वो कई सालों तक करवाते रहे थे. असर नहीं दिख रहा था, कई लोग बोल भी रहे थे कि बेकार में ही मेहनत कर रहे हो. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी थी. आखिरकार उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला और उनके बच्चे में प्रोग्रेस दिखने लगी थी. देखते-देखते ही वो चलने भी लगा था. आज का दिन है उस बच्चे का हंसता खेलता परिवार भी है. वो खुद भी पिता बन चुका है. आज उसे पता होना चाहिए कि वो यहाँ पर बस अपने पैरेंट्स की इच्छाशक्ति की वजह से पहुंचा हुआ है. इसलिए कहा गया है कि आप डेटरमिनेशन से कुछ भी हासिल कर सकते हैं. 

हार्ड वर्क में ही सफलता की कुंजी छुपी हुई है

कई लोग ऐसा सोचते हैं कि बड़ी-बड़ी स्कूलों से सफल स्टूडेंट निकलते हैं. आपको पता होना चाहिए कि सफलता के लिए मेहनत ज़रूरी होती है. पैसों से सफलता नहीं खरीदी जा सकती है. अंत में मैटर यही करता है कि आपने हार्ड वर्क कितना किया था? 

हमारी अगली जनरेशन अपने गोल्स को अचीव करे, इसके लिए ज़रूरी है कि उनके अंदर वर्क एथिक्स की नींव डाली जाए. उन्हें पता होना चाहिए कि गोल्स को सेट कैसे किया जा सकता है? 

ऐसा देखा गया है कि जापान के स्टूडेंट्स अमेरिका के स्टूडेंट्स से बेहतर कर रहे हैं. ऐसा क्यों है? क्या वो दिमाग से तेज़ होते हैं? आपको बता दें कि जापान के स्टूडेंट्स दिमाग से तेज नहीं होते हैं. फिर भी वो बेहतर क्यों कर रहे हैं? वो बेहतर इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि हार्ड वर्क कैसे और क्यों करना ज़रूरी है. ये क्वालिटी वो काफी कम उम्र में सीख लेते हैं. कई रिसर्च में ये बात निकलकर सामने आई है कि जापान स्टूडेंट क्लास रूम में अमेरिकन स्टूडेंट्स से ज्यादा समय बिताते हैं. इसी के साथ वो हर रोज़ 3 घंटे स्कूल के बाहर भी पढ़ाई करते हैं. होमवर्क में कम समय बिताना ही अमेरिकन स्टूडेंट्स के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है. 

लेखक बताते हैं कि जापान के स्टूडेंट्स का फोकस भी अमेरिकन स्टूडेंट्स से बेहतर होता है. वहां के स्टूडेंट्स को पता होता है कि आने वाले 10 सालों में वो कहाँ पर होंगे? 

अगर आप भी समझदार हो चुके हैं. तो फिर आपको पता होना चाहिए कि सक्सेस का मात्र एक ही रास्ता है. वो ये है कि आपको हार्डवर्क करते आना चाहिए. 

गोल को अचीव करने के लिए लंबी रेस का खिलाड़ी बनना ज़रूरी होता है। 

Thomas Edison को कौन नहीं जानता है? 
लेकिन उन्हें भी सफल होने के पहले 10 हज़ार बार फेल होना पड़ा था. लेकिन उन्होंने उसको फेल की तरह नहीं देखा था. उन्होंने कहा था कि उन्हें 10 हज़ार बार सीखने को मिला है. 

आपको पता होना चाहिए कि रातों-रात सफलता नहीं मिलती है. उसे पाने के लिए कई रातों को जागना पड़ता है. 

पूर्व यू.एस प्रेसिडेंट Calvin Coolidge कहते हैं कि “एक दिन मेहनत टैलेंट को पीछे छोड़ ही देती है” इसलिए जिसे भी गोल अचीव करना हो, उसे मेहनत करते आना चाहिए. 

जिनके बड़े सपने होते हैं, कई बार देखा गया है कि वो इस चीज़ को भूल जाते हैं कि सपनों को पूरा करने के लिए एफर्ट्स भी करने होते हैं. 

आपको याद रखना चाहिए कि आप वैसी ही फसल काटेंगे जैसी आप बोयेंगे, इसलिए सही नींव डालने की कोशिश करनी चाहिए. 

कई बार तो पहला मौका ही काफी देर में मिलता है. उसके लिए आपको Thomas Edison को याद रखना है. कई बार फेल हो सकते हैं. लेकिन हार नहीं माननी चाहिए. 

हर दिन कोशिश करते रहिए, जल्दी से क्विट करने की कोशिश मत करिएगा.

कुल मिलाकर
क्लियर गोल बनाइए, रोड मैप बनाइए, इसके बाद एफर्ट्स करिए. एक साथ 4 गोल्स का ही सिलेक्शन करिएगा. मेहनत का कोई पर्याय नहीं होता है. इसलिए एफर्ट्स करते रहिएगा. 

 

क्या करें?

आप क्या-क्या अचीव करना चाहते हैं? उसके ऊपर एक किताब लिख डालिए. समय लगेगा लेकिन इससे आपको काफी ज्यादा फायदा भी होगा. स्ट्रेटजी के साथ गोल्स का पीछा करिएगा, बिना स्ट्रेटजी से की गई मेहनत भी खराब हो सकती है. इसलिए खुद के ऊपर विश्वास रखिए और गोल्स की तरफ बढ़ते रहिए. 

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